व्यष्टि Meansशास्त्र और समष्टि Meansशास्त्र में अंतर

व्यष्टि Meansशास्त्र तथा समष्टि Meansशास्त्र आर्थिक समस्याओं तथा विश्लेषण के दो मार्ग हैं। First का संबंध व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयों के अध्ययन से है, जबकि Second का समस्त Meansव्यवस्था के अध्ययन से। रेगनर प्रिफश (Ragner Frisch) पहला व्यक्ति था जिसने 1933 में Meansशास्त्र में व्यष्टि तथा समष्टि Wordों का प्रयोग Reseller था। व्यक्तियों और व्यक्तियों के छोटे ग्रुपों की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन व्यष्टि Meansशास्त्र है। प्रोफेसर बोल्डिंग (Boulding) के According, ‘‘इसमें विशेष फर्मो, विशेष परिवारों, व्यक्तिगत कीमतों, मजदूरी, आय, व्यक्तिगत उद्यमों तथा विशेष वस्तुओं का अध्ययन’’ शामिल है। कीमत निर्धारण के विश्लेषण तथा विशिष्ट प्रयोगों में संसाधनों के आवंटन से यह अपना संबंध रखता है। व्यष्टि Meansशास्त्र के क्षेत्रों में से कुछ ये हैं-फर्म या उद्योग के संतुलन उत्पादन का निर्धारण, Single विशिष्ट प्रकार के श्रम की मजदूरी दर, तथा चावल, चाय या कार जैसी किसी विशिष्ट वस्तु की कीमत का निर्धारण।

ऐक्ले (Ackley) के According, ‘‘व्यष्टि Meansशास्त्र उद्योगों, वस्तुओं और फर्मो में कुल उत्पादन के वितरण And प्रतियोगी ग्रुपों के बीच संसाधनों के आवंटन से संबंध रखता है। इसकी रुचि विशेष वस्तुओं तथा सेवाओं की सापेक्षित कीमतों से है।’’ वास्तव में जैसा कि मारिस डॉब्ब (Maurice Dobb) ने कहा है कि व्यष्टि Meansशास्त्र Meansव्यवस्था का सूक्ष्मतम (microscopic) अध्ययन है। यह Single प्रकार से सूक्ष्मदर्शक (microscope) द्वारा Meansव्यवस्था को देखने के समान है ताकि व्यक्तिगत वस्तुओं की मार्किटों तथा व्यक्तिगत उपभोक्ताओं And उत्पादकों की क्रियाशीलता को जाना जा सके। Second Wordों में, व्यष्टि Meansशास्त्र में हम व्यक्तिगत परिवारों, व्यक्तिगत फर्मो And व्यक्तिगत उद्योगों के Single-Second के साथ परस्पर संबंध का अध्ययन करते हैं। इस दृष्टिकोण से व्यष्टि Meansशास्त्र समूहों (aggregates) का अध्ययन है।

समष्टि Meansशास्त्र

समष्टि Meansशास्त्र समूहों (aggregates) अथवा समस्त Meansव्यवस्था से संबंध रखने वाली औसतों का अध्ययन है जैसे कि कुल रोजगार, बेरोजगारी, राष्टींय आय, राष्टींय उत्पादन, कुल निवेश, कुल उपभोग, कुल बचत, कुल पूर्ति, कुल मांग और सामान्य कीमत स्तर, मजदूरी स्तर, ब्याज दरें तथा लागत ढांचा। Second Wordों में यह सामूहिक Meansशास्त्र जो विभिन्न समूहों के आपसी संबंधों, उनके निर्धारण और उनमें होने वाले उतार-चढ़ावों की जांच करता है। इस प्रकार, ऐक्ले के According ‘‘समष्टि Meansशास्त्र आर्थिक घटनाओं से वृहत Reseller से व्यवहार करता है। यह आर्थिक जीवन के कुल आयामों से संबंध रखता है। यह आर्थिक अनुभव के ‘हाथी’ के व्यक्तिगत अंगों के कार्यकरण, हड्डियों के जोड़ों और आयामों को देखने की बजाय, उसके कुल परिमाण और आकार तथा कार्यकरण को देखता है। यह उन वृक्षों से स्वतंत्र रहकर, जंगल की प्रकृति का अध्ययन करता है जिनसे कि वह (जंगल) बना है।’’

समष्टि Meansशास्त्र को ‘आय और रोजगार का सिद्धांत’ या केवल ‘आय विश्लेषण’ भी कहते हैं। बेरोजगारी, आर्थिक उतार-चढ़ाव, मुद्रास्फीति, अपस्फीति, अस्थिरता, गतिहीनता, अंतर्राष्टींय व्यापार तथा आर्थिक विकास की समस्याओं से इसका संबंध है। यह बेरोजगारी के कारणों तथा रोजगार के विभिन्न निर्माारकों का अध्ययन करता है। व्यापार चवें के क्षेत्र में, यह कुल उत्पादन, कुल आय तथा कुल रोजगार पर पड़ने वाले निवेशों के प्रभावों से अपना संबंध रखता है। मौद्रिक क्षेत्र में यह सामान्य कीमत स्तर पर मुद्रा की कुल मात्रा के प्रभाव का अध्ययन करता है। अंतर्राष्टींय व्यापार में भुगतान-शेष तथा विदेशी सहायता की समस्याएं समष्टि आर्थिक विश्लेषण के क्षेत्र में आती हैं। इन सब से बढ़कर, समष्टि आर्थिक सिद्धांत Single देश की कुल आय के निर्धारण की समस्याओं और उसके उतार-चढ़ाव के कारणों पर विचार करता है। अंतिम, यह उन कारणों का अध्ययन करता है जो विकास में रुकावट डालते हैं और उनका, जो Meansव्यवस्था को आर्थिक विकास के मार्ग पर लाते हैं।

व्यष्टि Meansशास्त्र और समष्टि Meansशास्त्र में अंतर

‘व्यष्टि’ Word ग्रीक Word ‘micros’ से व्युत्पन्न Reseller गया है जिसका Means है ‘छोटा’। व्यष्टि Meansशास्त्र व्यक्तियों और व्यक्तियों के छोटे ग्रुपों का अध्ययन है। यह विशेष परिवारों, विशेष फर्मो, विशेष उद्योगों, विशेष वस्तुओं और व्यक्तिगत कीमतों का अध्ययन है। ‘समष्टि’ Word भी Single ग्रीक Word ‘macros’ से व्युत्पन्न Reseller गया है, जिसका Means है ‘बड़ा’। यह ‘‘इन मात्राओं के समूहों से संबंधित है न कि व्यक्तिगत आय बल्कि राष्टींय आय से, व्यक्तिगत कीमतों से नहीं, परंतु सामान्य कीमत स्तरों से, व्यक्तिगत उत्पादन से नहीं बल्कि राष्टींय उत्पादन से।’’

व्यष्टि Meansशास्त्र का मांग की ओर उद्देश्य उपयोगिता को अधिकतम करना है जबकि पूर्ति की ओर न्यूनतम लागत पर लाभों को अधिकतम करना है। दूसरी ओर, समष्टि Meansशास्त्र के मुख्य उपेश्यपूर्ण रोजगार, कीमत स्थिरता, आर्थिक वृद्धि और अनुकूल भुगतान संतुलन हैं।

व्यष्टि Meansशास्त्र का आधार कीमत तंत्र है जो मांग और पूर्ति की शक्तियों की सहायता से कार्य करता है। ये शक्तियां मार्किट में संतुलन कीमत निर्धारक करने में सहायक होती हैं। दूसरी ओर, समष्टि Meansशास्त्र के आधार राष्टींय आय, उत्पादन रोजगार और सामान्य कीमत स्तर हैं जो कुल मांग और कुल पूर्ति द्वारा निर्धारित होते हैं।

व्यष्टि Meansशास्त्र उन मान्यताओं पर आधारित है जिनका संबंध व्यक्तियों के विवेकी व्यवहार से है। फिर इसमें ‘अन्य बातें समान रहें’ का प्रयोग विभिन्न आर्थिक नियमों की व्याख्या करने के लिए Reseller जाता है। दूसरी ओर, समष्टि Meansशास्त्र की मान्यताएं Meansव्यवस्था के उत्पादन की कुल मात्रा, किस सीमा तक इसके संसाधन नियोजित हैं राष्टींय आय का आकार और सामान्य जीवन स्तर, जैसे चरों पर आधारित हैं।

व्यष्टि Meansशास्त्र आंशिक संतुलन विश्लेषण पर आधारित है जो Single व्यक्ति, Single फर्म, Single उद्योग और Single सामान की संतुलन शर्तो की व्याख्या करने में सहायक होता है। दूसरी ओर, समष्टि Meansशास्त्र सामान्य संतुलन विश्लेषण पर आधारित है जो Single आर्थिक प्रणाली के कार्यकरण को समझने के लिए अनेक आर्थिक चरों और उनके परस्पर संबंधों और परस्पर निर्भरताओं का विस्तृत अध्ययन है।

व्यष्टि Meansशास्त्र में संतुलन शर्तो का अध्ययन Single विशेष अवधि में Reseller जाता है। यह समय तन्व की व्याख्या नहीं करता है। इसलिए व्यष्टि Meansशास्त्र स्थैतिक विश्लेषण है। दूसरी ओर, समष्टि Meansशास्त्र समय पश्चताओं परिवर्तन की दरों और चरों के विगत And प्रत्याशित मूल्यों पर आधारित है। इस प्रकार यह गत्यात्मक विश्लेषण से संबंधित है।

व्यष्टि Meansशास्त्र विस्तृत रेंज की स्थितियों, समस्याओं, वस्तुओं, मार्किटों और संगठन की किस्मों पर अधिकतम सामान्यता और व्यवहार्यता से युक्त है। यह धारणाओं और प्रणाली-विज्ञान (methodology) पर बल देता है जिनका समस्या हल करने के लिए प्रयोग Reseller जाता है। इसकी तुलना में, समष्टि Meansशास्त्र Single Meansव्यवस्था के व्यावहारिक ज्ञान का पता लगता है जिसमें समष्टि आर्थिक समस्याएं अपेक्षतया कम हैं और इसी प्रकार उनके विशेष हल भी।

व्यष्टि Meansशास्त्र और समष्टि Meansशास्त्र दोनों में समूहों (aggregates) का अध्ययन शामिल है। परंतु व्यष्टि Meansशास्त्र में समूह समष्टि Meansशास्त्र में समूहों से भिन्न हैं। व्यष्टि Meansशास्त्र में, व्यक्तिगत परिवारों, व्यक्तिगत फर्मो और व्यक्तिगत उद्योगों के Single Second के साथ परस्पर संबंध समूहन (aggregation) के साथ संबंध रखते हैं। ‘‘उदाहरण के तौर पर, ‘उद्योग’ की धारणा अनेक फर्मो या वस्तुओं का जोड़ करती है। जूतों के लिए उपभोक्ता मांग कई परिवारों की मांगों का जोड़ होती है, तथा जूतों की पूर्ति कई फर्मो के उत्पादन का जोड़ है। किसी Single इलाके या उद्योग में श्रम की मांग व पूर्ति स्पष्टता सामूहिक धारणाएं हैं।’’ परंतु व्यष्टि Meansशास्त्र में समूहों का अध्ययन समष्टि Meansशास्त्र से भिन्न होता है। समष्टि Meansशास्त्र में समूहों के प्रयोगों का संबंध ‘‘समस्त Meansव्यवस्था के जोड़’’ से होता है जबकि व्यष्टि Meansशास्त्र में ये Meansव्यवस्था के साथ संबंधित नहीं होते परंतु व्यक्तिगत परिवारों, फर्मो And उद्योगों से होते हैं।

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