विदेशी व्यापार का Means, परिभाषा And महत्व
विदेशी व्यापार की परिभाषाएॅं
प्रो. बेस्टेबिल- ‘सामाजिक विज्ञान की दृष्टि कोण से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार विभिन्न समुदाओं के बीच होने वाला व्यापार है Meansात् यह उन विभिन्न सामाजिक संगठनों के बीच होने वाला व्यापार है, जिन्हें समाजशास्त्र अपने अन्वेषण का क्षेत्र मानता है।’
फेडरिक लिस्ट- ‘आंतरिक व्यापार हमारे बीच है तथा विदेशी व्यापार हमारे और उनकें ;Second देशों के बीचद्धबीच होता है।’
संक्षेप में कहा जा सकता है कि देश की सीमाओं के भीतर होने वाला व्यापार अंतरसेवीय या राष्ट्रीय व्यापार कहलाता है तथा देश की सीमाओं के विभिन्न देशों के बीच होने व्यापार अंतर्राष्ट्रीय/विदेशी व्यापार कहलाता है। विदेशी व्यापार Single देश Second देश के साथ लाभ के सिद्धांतों पर आधारित होता हैं।
विदेशी व्यापार का महत्व
वर्तमान व्यापार का महत्व दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इनका कारण यह है कि कोर्इ भी राष्ट्र दावे के साथ यह नहीं कह सकता कि वह आत्म निर्भर है। अपनी कुछ ना कुछ Needओं के लिए उसे विदेशी व्यापार पर निर्भर ही रहना पड़ता है। इस संदर्भ में विदेशी व्यापार के महत्व या लाभों का विवेचन उपयोगी होगा। एडम स्मिथ के According-विश्व में सभ्यता और संस्कृति विदेशी व्यापार के माध्यम से ही संभव हो सकी है। विदेशी व्यापार में आयात और निर्यात दोनों ही शामिल होता है अत: विदेशी व्यापार के महत्व को आयात और निर्यात के संदर्भ में निम्न According समझा जा सकता है –
1. आयात का महत्व –
- जीवन स्तर को बढ़ा़ ने के लिए- संसाधनों की कमी के कारण विलासिता की वस्तुएॅं जैसे- कार, वाशिंग मशीन, टी.वी. आदि विकासशील देशों में सीमित मात्रा में होती है। मांग के According आयात कर इन्हें प्राप्त कर सकते हैं।
- Meansव्यवस्था के विकास में सहायक- आयात Meansव्यवस्था के विकास में सहायक होता है। औद्योगिक विकास के लिए मशीन उपकरण आदि पूंजीगत वस्तुओं की Need होती है देश में ये साधन उपलब्ध न होने की स्थिति में विदेशी से क्रय कर इन्हें आयात Reseller जा सकता है।
- उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार- वस्तुाओं का आयात घरेलु उत्पादन की गुणवत्ता को सुधारने में सहायक हो सकता है। विदेशी वस्तुओं से प्रतिस्पर्धा होने से गुणात्मक वस्तुओं का उत्पादन कर ही प्रतिस्पर्धा Reseller जा सकता है। जैसा कि इलेक्ट्रानिक वस्तुओं के आयात से भारत में भी इनकी गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
- आवश्यक वस्तुुओ की कमी को पूरा करना- आवश्यक वस्तुओं जैसे- अनाज, खाने के तेल आदि के घरेलू मांग And पूर्ति के अंतर को आयात के द्वारा पूरा Reseller जा सकता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत अनाज के मामले आत्मनिर्भर नहीं था। इसकी कमी को गेहूॅं और चांवल का बड़ी मात्रा में आयात कर पूरा Reseller गया वर्तमान खाद्य तेल की पूर्ति आयात कर Reseller जा रहा है।
2. निर्यात का महत्व –
- Meansव्यवस्था के विकास मे सहायक – निर्यात Meansव्यवस्था के विकास में निम्नप्रकार से सहायक होते हैं।
- अतिरेक उत्पादन को बेचने में सहायक- निर्यात अतिरेक उत्पादन को बेचने में सहायक होता है।