वस्ति क्या है? –
वस्ति क्या है?
अनुक्रम
वस्ति नाम बड़ी आंत के लिए प्रयुक्त होता है । इस अभ्यास में गुदा द्वारा वायु अथवा जल को खीचा जाता है जिससे बड़ी आंत की सफाई होती है। चुँकि बड़ी आंत शरीर में अवशिष्ट पदार्थो का निष्काशन शरीर से बाहर करती है।
वस्ति कर्म के प्रकार
वस्ति कर्म दो प्रकार का होता है (1) जल वस्ति (2) शुष्क वस्ति जल वस्ति जल वस्ति का अभ्यास जल में Reseller जाता है शुष्क वस्ति का अभ्यास भूमि पर, सूखे स्थल पर Reseller जाता है।
जल वस्ति
जल से बड़ी आंतो की सफाई की यह क्रिया जल वस्ति के नाम से जानी जाती है।
क्रियाविधि-
- सरोवर, नदी में उत्कट आसन लगाकर खडे हो जाये।
- पैरो को उत्कट आसन में इतना मोडे कि जल नाभि तक आ जाये।
- दोनों हाथों को जंघाओं पर रख लीजिए।
- गुदा द्वार का संकुचन व प्रसारण कीजिए।
नोट- जल वस्ति की वह प्राचीनतम प्रक्रिया के लाभ एनिमा द्वारा भी लिए जा सकते है।
लाभ –
- मधुमेह के उपचार में सहायक है।
- आंतों के अनेकानेक रोगों विशेष Reseller से कब्ज व बवासीर में लाभकारी है।
- शरीर से दूषित वायु का निष्कासन कर शरीर की शुद्धि करती है।
- तंत्रिका तंत्र पर इसका प्रभाव पड़ता है।
- त्वचा सम्बन्धित रोगों में भी लाभकारी है।
सावधानियॉं- हठयोग की प्राचीनतम यह क्रिया गुरू के मार्गदर्शन व निर्देश के According की जानी चाहिए। चूँकि वर्तमान में सरोवर तालाब का जल अशुद्ध देखा गया है। अत: योग गुरू के निर्देशानुसार इस क्रिया की जगह ‘एनिमा’ घर पर ही लिया जा सकता है।
स्थल वस्ति
चूँकि यह क्रिया स्थयल Meansात जमीन पर की जाती है अत: यह क्रिया स्थल Meansात जमीन पर की जाती है अत: यह क्रिया स्थल वस्ति के नाम से जानी जाती है।
क्रियाविधि-
- First दण्डासन में बैठ जाये।
- दोनों हाथो से दोनों पैरों की अंगुलियों को पकड़ ले।
- गुद्रा द्वार का आंकुन्चन And प्रसारण कीजिए।
- “वास लेते समय गुद्रा द्वारा का आंकुन्चन तथा “वास छोड़ते समय गुदा द्वार का प्रसारण कीजिए।
लाभ-
- बड़ी आंत की स्वछता की यह सर्वोत्तम विधि है।
- इस अभ्यास को नियमित करने से कोष्ठ दोष से मुक्ति मिलती है।
- भूख बढ़ाने में यह क्रिया सहायक है।
- वायु विकार, अजीर्ण कब्ज, पित्त व कफ दोषों में लाभकारी है।
सावधानियॉं-
- उच्च रक्त चाप व हार्निया में इस अभ्यास को न करें।
- पाचन सम्बन्धी कोई गंभीर रोग हो तो वो व्यक्ति भी इस अभ्यास को न करे।
- योग गुरू की सलाह इस अभ्यास को करना चाहिए।