लियोपोल्ड वॉन रांके का जीवन परिचय तथा उसकी Creationएं
लियोपोल्ड वॉन रॉके History में आधुनिक शास्त्रीय अध्ययन और History लेखन की प्रणाली में पथप्रदर्शक की भूमिका 19 वीं शताब्दी के जर्मन विश्वविद्यालयों, विशेषकर, गॉन्टिनजेन विश्वविद्यालय ने निभाई थी। महानतम जर्मन Historyकार, वस्तुनिश्ठ History लेखन के जनक, मूल्यों से मुक्त वस्तुनिश्ठता के मसीहा तथा आलोचनात्मक History-विज्ञान के संस्थापक – लियोपोल्ड वॉन रॉके ने इस क्षेत्र में सबसे Historyनीय योगदान दिया है। यूनीवर्सिटी ऑफ लीपज़िग में रॉके ने धर्म-शास्त्र And शास्त्रीय दर्शन की शिक्षा प्राप्त की थी। जिमनेशियम ऑफ़ फ्रैकफ़र्ट में Seven वर्श अध्यापन कार्य करने के दौरान अचानक ही रॉके की अभिरुचि दर्शन के स्थान पर History में हो गई। प्राचीन रोम के History के सन्दर्भ में बार्टहोल्ड नेबूर द्वारा ऐतिहासिक अन्वेशण की वैज्ञानिक प्रणाली का विस्तार कर रॉके ने History दर्शन की निश्चयात्मक अभिगम का विकास Reseller।
बावेरिया के King मैक्समिलियन द्वितीय ने रॉके से प्रभावित होकर ने बावेरियन Singleेडमी ऑफ़ साइंस के अन्तर्गत 1858 में हिस्टोरिकल कमीशन की स्थापना की और रॉके को उसका अध्यक्ष नियुक्त Reseller। अपने ग्रंथ ‘दि हिस्ट्री ऑफ़ दि लैटिन एण्ड ट्यूटोनिक पीपुल्स फ्रॉम 1494 टु 1514’ से ही रॉके ने अपने समकालीन Historyकारों की तुलना में विविध ऐतिहासिक स्रोतों का अत्यधिक विस्तृत अध्ययन Reseller। इनमें संस्मरण, दैनन्दिनी, व्यक्तिगत And औपचारिक पत्र,सरकारी दस्तावेज़, कूटनीतिक विज्ञप्ति और प्रत्यक्षदर्शियों का आँखो-देखा वृतान्त सम्मिलित थे। लियोपोल्ड वॉन रॉके को इस बात का श्रेय दिया जाता है कि उसी के कारण परवर्ती काल की शैक्षिक संस्थाओं में सुव्यवस्थित अभिलेखीय शोध और स्रोत-समीक्षा के सिद्धान्तों को अपनाया जाना Single आम बात हो गई।
लियोपोल्ड वॉन रॉके History की महत्ता और उपयोगिता को स्वीकार करता है। ‘हिस्ट्री ऑफ़ दि लैटिन एण्ड जर्मेनिक नेशन्स’ में वह कहता है – ‘ आप यह समझते हैं कि History को भूतकाल का आकलन करने का तथा भविष्य के कल्याण हेतु वर्तमान को निर्दिश्ट करने का दायित्व दिया गया है। परन्तु मेरा ग्रंथ ऐसी कोई आशा नहीं रखता है। यह तो केवल यह प्रस्तुत करने की कोशिश करना चाहता है कि वास्तव में क्या घटित हुआ।’
लियोपोल्ड वॉन रॉके के पूर्ववर्ती Historyकार अपने ग्रंथों की Creation करते समय बिना अभिलेखीय शोध किए हुए पूर्व-रचित ग्रंथों की हू-ब-हू नकल कर लेते थे और स्रोत-विश्लेशण का आलोचनात्मक परीक्षण भी नहीं करते थे। रॉके किस प्रकार किसी चयनित विशय पर शोध करता था? अपनी पहली ही Creation से लेकर अपनी अन्तिम Creation तक रॉके ने अभिलेखीय शोध हेतु अथक परिश्रम Reseller था। अपने जीवन में उसने 50,000 दस्तावेज़ों को Singleत्र Reseller था। अपने शोध में उसने गौण स्रोतों को भी महत्व दिया था। उसके निजी पुस्तकालय में 24,000 ग्रंथ थे।
1831 में उसने ‘कॉन्सिपिरेसी ऑफ़ वेनिस-1618’ की Creation की। इस पुस्तक में रॉके ने यूरोपीय History के Single विशिष्ट क्षण (Single खास घटना) का, तथा उससे सम्बन्धित मूल स्रोतों का विष्लेशण Reseller है। रॉके ने अन्तर्राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृष्य को History में महत्वपूर्ण स्थान दिलाने में सफलता प्राप्त की। उसका कहना था – ‘History में विशेष तथ्य का History होता है किन्तु उसे व्यापक सन्दर्भ ही देखा जाना चाहिए।’
1832-36 में वह ‘हिस्टोरिको.पोलिटिकल रिव्यू’ का सम्पादक रहा। 1834 से 1836 के मध्य उसने बहु-खण्डी ‘हिस्ट्री ऑफ़ दि पोप्स, देयर चर्च एण्ड देयर स्टेट इन दि सिक्सटीन्थ एण्ड सेवेन्टीन्थ सेन्चुरीज़’ की Creation की। प्रोटैस्टेन्ट मत के अनुयायी होने के कारण उसे वैटिकन अभिलेखगार जाकर मूल स्रोतों का अध्ध्यन करने की अनुमति प्राप्त नहीं हुई किन्तु उसने इस हेतु रोम तथा वेनिस में उपलब्ध All निजी पत्रों का विस्तृत अध्ध्यन कर इस वृहद ग्रंथ की Creation की थी। रॉके ने पोप के पद को यूरोपीय सभ्यता को Singleीकृत करने का श्रेय दिया है। इस पुस्तक का सार प्रति-धर्मसुधार आन्दोलन था जिसका कि रॉके पहला आधिकारिक व्याख्याकार था। जी0 पी0 गूच ने इस ग्रंथ में रोमन कैथोलिकों And प्रोटेस्टैन्टों के प्रति पूर्णResellerेण तटस्थ भाव रखने के लिए रॉके की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। रॉके ने 1839 से 1843 के मध्य ‘जर्मन हिस्ट्री ऐट दि टाइम ऑफ़ दि रिफ़ॉर्मेशन’ की Creation की। इस पुस्तक का विषय प्रोटेस्टैन्ट मत की उत्पत्ति है किन्तु गूच के According इसमें रॉके ने मार्टिन लूथर की उपलब्धियों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया है। 1847-48 में रॉके ने ‘नाइन बुक्स ऑफ़ प्रशियन हिस्ट्री’ की Creation की जिसमें कि उसने Single महा-शक्ति के Reseller में प्रशा के उत्थान पर प्रकाश डाला है। लियोपोल्ड वॉन रॉके हिंसक क्रान्ति का पोशक नहीं था क्योंकि वह ईश्वर प्रदत्त विधान में विश्वास रखता था। 1836 में लिखे गए अपने लेख – ‘डॉयलॉग ऑन पोलिटिक्स’ में उसने यह कहा है कि ईश्वर द्वारा हर देश को Single खास नैतिक चरित्र प्रदान Reseller गया है। उसने इन देशों के निवासियों से यह अपेक्षा की कि वो अपने-अपने राश्ट्र के विशिष्ट नैतिक चरित्र को उत्कृश्टता तक पहुंचाने के लिए हर सम्भव प्रयास करें। रॉके तथ्यों की प्रस्तुति में भले ही तटस्थता का दावा करता हो किन्तु उसके History लेखन में उसकी अपनी पसन्द और नापसन्द की झलक मिल जाती है। ई0 एच0 कार ‘व्हाट इज हिस्ट्री’ में कहता है – ‘तथ्य वही बोलते हैं जो Historyकार उनसे बुलवाता है।’
1859 में लियोपोल्ड वॉन रॉके ने History सम्बन्धित पत्रिका ‘हिस्टोरिक पोलिट्ज़े ज़ीट्शरिफ़्ट’ का प्रकाशन Reseller जिसका कि उद्देश्य History लेखन को वैज्ञानिक आधार प्रदान करना और ऐतिहासिक शोध की Single निश्चित And यथार्थवादी प्रणाली का प्रतिनिधित्व करना था। अपनी इस पत्रिका में रॉके ने उदारतावाद पर प्रहार किए। रॉके ने यूरोप की All महा-शक्तियों का पृथक-पृथक History लिखा। इन History- ग्रंथों में ‘दि ओटोमन एण्ड दि स्पैनिश एम्पायर्स इन दि सिक्सटींथ एण्ड सेविन्टींथ सेन्चुरीज़’, ‘हिस्ट्री ऑफ़ फ्रांस (1852-61)’, ‘हिस्ट्री ऑफ़ इंग्लैण्ड (1859-68)’ तथा ‘दि जर्मन पॉवर्स एण्ड दि प्रिन्सेज़ लीग (1871)’ प्रमुख हैं। रॉके ने अपने ग्रंथ ‘हिस्ट्री ऑफ़ फ्रांस’ में स्वयं जर्मन होते हुए भी फ्ऱान्सीसियों के प्रति किसी भी प्रकार की दुर्भावना नहीं रखी है। इस पुस्तक में उसने Singleछत्र राजतन्त्र के अन्तर्गत हेनरी चतुर्थ के चरित्र और उसकी नीतियों, सली के आर्थिक सुधारों, रिशलू की महानता व निश्ठुरता, मैज़ेरिन का मिथ्याभिमान और उसका लालच तथा लुई Fourteenवें के शासन की विस्तार से Discussion की गई है। रॉके ने लुई चौइहवें की विदेश नीति की भत्र्सना की है किन्तु कला, साहित्य और विज्ञान के विकास में उसके योगदान की सराहना की है। अपने जीवन के अन्तिम चरण में रॉके ने सार्वभौमिक History ‘यूनीवर्सल हिस्ट्री: दि ओल्डेस्ट हिस्टोरिकल ग्रुप ऑफ़ नेशन्स एण्ड दि ग्रीक’ की Creation की। रॉके की Single अन्य महत्वपूर्ण Creation के अंग्रेज़ी अनुवाद का शीर्षक – ‘दि सीक्रेट ऑफ़ वर्ड हिस्ट्री: सेलेक्टेड राइटिंग्स ऑन दि आर्ट एण्ड साइंस ऑफ़ हिस्ट्री’ है।
लियोपोल्ड वॉन रॉके का History
दर्शन यूनानी Historyकार थ्यूसीडाइडीस (456-396 ईसा पूर्व) घटनाओं की तह तक जाकर तथ्यों को Singleत्र करता था और वह तथ्यों को History की रीढ़ की हड्डी मानता था। यूनानी Historyकार पोलिबियस ने सत्य को History की आँख माना था, वह कहता था कि यदि History में से सत्य निकाल लिया जाए तो वह अंधा हो जाएगा। चीनी History लेखन में भी तथ्यों की यथार्थता पर विशेष बल दिया गया है। उन्नीसवीं शताब्दी में History लेखन के लिए प्रामाणिक तथ्यों की Need पर ग्रैण्ड ग्राउण्ड ने लिखा था – ‘मुझे तथ्य चाहिए और जीवन में हमको केवल तथ्यों की Need है।’
लियोपोल्ड वॉन रॉके ने स्रोतों की विश्वसनीयता Meansात् उनकी निश्चयात्मकता नितान्त आवश्यक माना है। उसकी दृष्टि में अनुमान का History लेखन में कोई स्थान नहीं है और अनुमान व निष्कर्ष का अधिकार केवल पाठक का है। उसका मानना है कि Historyकारों को सिद्धान्तों का प्रतिपादन करने की प्रवृत्ति से बचकर रहना चाहिए। रॉके History और दर्शन शास्त्र की घनिष्टता के भी विरुद्ध है। रॉके तथ्यों को बुद्धि की कसौटी पर परख कर ही उनको History लेखन के लिए उपयुक्त मानता है। रॉके की दृष्टि में Historyकार का यह धर्म है कि वह तथ्यों को उसी Reseller में प्रस्तुत करे जैसे कि वो वास्तव में थे। History दर्शन की निश्चयात्मक अभिगम का जनक रॉके प्राथमिक स्रोतों की प्रामाणिकता के बिना उन्हें स्वीकार नहीं करता है। विवेचनात्मक ऐतिहासिक विज्ञान का पथप्रदर्शक रॉके कहता है – ‘मैं उस समय की आहट सुन रहा हूँ जब हम आधुनिक History को descriptionों (भले वो समकालीन भी क्यों न हों) पर आधारित करने के स्थान पर प्रत्यक्ष-दर्शियों के बयानों और प्रामाणिक व मौलिक दस्तावेज़ों के आधार पर लिखेंगे।’
History के तकनीकी दृष्टिकोण के According प्रत्येक काल अपने परवर्ती काल की तुलना में पिछड़ा हुआ होता है। सत्रहवीं शताब्दी में Historyकारों का यह विश्वास था कि यह पाश्चात्य सभ्यता की नियति थी कि वह कपोल-कल्पनाओं का विनाश करे, सांस्कृतिक स्मरणों को मिटा दे और History को अप्रसांगिक बना दे। परन्तु रॉके इसे स्वीकार नहीं करता है। रॉके का यह मत है कि -’हम सावधानी व साहस के साथ विशिष्ट से सामान्य की ओर बढ़ सकते हैं किन्तु ऐसा कोई मार्ग नहीं है जिससे कि हम सामान्य से विशिष्ट की ओर बढ़ सकें।’ बावेरिया के भावी King मैक्समिलियन द्वितीय के समक्ष अपनी भाषण श्रृंखला में रॉके ने कहा था – ‘प्रत्येक युग ईश्वर के निकट है।’ इस कथन से उसका तात्पर्य यह था कि History का प्रत्येक युग विशिष्ट है और उसको उसी के परिप्रेक्ष्य में समझना चाहिए और केवल उन सामान्य विचारों की खोज का प्रयास करना चाहिए जिन्होंने कि उस काल को जीवन्त बनाया था। रॉके ने किसी भी राजनीतिक व्यवस्था को उसी के ऐतिहासिक सन्दर्भ के अन्तर्गत ही समझने का प्रयास Reseller। ऐतिहासिक तथ्यों (जैसे संस्था, विचार आदि) की प्रकृति को समझने के लिए उनके ऐतिहासिक विकास और कालान्तर में उनमें आए हुए परिवर्तनों को समझना आवश्यक था। रॉके का यह मानना है कि ऐतिहासिक युगों को पूर्व-निर्धारित आधुनिक मूल्यों And आदर्शों की कसौटी पर नहीं परखा जाना चाहिए बल्कि आनुभविक साक्ष्यों पर आधारित History (जैसा कि वास्तव में हुआ था) के परिप्रेक्ष्य में उनका आकलन Reseller जाना चाहिए।
नीरस और उबाऊ History लेखन के लिए आलोचना का पात्र होने के बावजूद रॉके ने पवित्र रोमन साम्राज्य के उदाहरण के अनुReseller Single संगठित यूरोप की कल्पना की थी। उसके All ग्रंथों में यह कल्पना प्रतिबिम्बित होती है। अपने समकालीन Historyकारों की तुलना में रॉके का ऐतिहासिक दृष्टिकोण बहुत हटकर है। वह न तो रोमानी आन्दोलन का अनुकरण करता है, न दैवकृत History की Creation करता है और न ही सामाजिक डार्विनवाद से Agree होता है। वह वह बुद्धिवाद व यथार्थवाद की महाद्वीपीय परम्परा का अनुगमन करता है। Historyकार के Reseller में रॉके ने पूर्व-स्थापित सिद्धान्तों और धारणाओं को नकार कर मूल स्रोतों के श्रम-साध्य उपयोग द्वारा तथ्यों का बिना लिपा-पुता मौलिक स्वReseller प्रस्तुत करता है।
रॉके हीगेल द्वारा प्रतिपादित History दर्शन की कटु आलोचना करता है। उसका कहना है कि हीगेल ने History में Human-क्रिया की भूमिका की उपेक्षा की है। जब कि Human-क्रिया की उपेक्षा कर केवल विचार और अवधारणा के आधार पर हम प्रामाणिक History की Creation नहीं कर सकते।
लियोपोल्ड वॉन रॉके के History ग्रंथों के गुण And दोष
प्राथमिक स्रोतों पर आधारित वस्तुनिष्ठ History
नेबूर और रॉके का यह विश्वास था कि उन्होंने वैज्ञानिक And वस्तुनिश्ठ History की Creation की है। उनका मत है कि Historyकार का यह दायित्व है कि वह प्राथमिक स्रोतों के आधार पर ऐतिहासिक तथ्यों की सत्यता का परीक्षण कर उन्हें ज्यों का त्यों प्रस्तुत करे। तथ्यों का वस्तुनिष्ठ पुनर्सर्जन रॉके मत के History लेखन की विशिष्टता है और इसमें Historyकार से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपने काल के मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में भूतकाल की घटनाओं का आकलन नहीं करे।
राजनीतिक History को महत्व
चूंकि रॉके राजनीतिक शक्ति को History का प्रमुख प्रतिनिधि मानता है, इसलिए उसने अपने History ग्रंथों में सामाजिक And आर्थिक बलों की उपेक्षा कर Kingओं और अन्य राजनीतिक नेताओं के कायोर्ं को, Meansात् राजनीतिक History को सर्वाधिक महत्व दिया है। रॉके पर बीसवीं शताब्दी के Historyकारों द्वारा यह आरोप लगाया जाता है कि उसने राजनीतिक History, विशेषकर महा-शक्तियों के राजनीतिक History को Need से अधिक महत्व दिया है परन्तु अपने लेखन में उसने सांस्कृतिक History को भी महत्व दिया है। ‘हिस्ट्री ऑफ़ इंग्लैण्ड’ में उसने महारानी एलिज़ाबेथ First के शासन काल के साहित्य पर Single सम्पूर्ण अध्याय लिखा है।
राजनीतिक अनुदारता
अपने ग्रंथ – ‘दि ओरिजिन्स ऑफ़ दि वार ऑफ़ दि रिवोल्यूशन’ में रॉके ने फ्रांसीसी क्रान्ति की भत्र्सना की है और उसको प्रशा के सन्दर्भ में उपयुक्त नहीं माना है। प्रशा के लिए वह सुदृढ़ राजतन्त्र को ही उपयुक्त मानता था और प्रशा की प्रजा से वह यह अपेक्षा करता था कि वह प्रशियन राज्य के प्रति स्वामिभक्त रहे। रॉके की यह मान्यता है कि शासन के सार्वभौमिक सिद्धान्त निरर्थक ही नहीं अपितु खतरनाक भी हैं। प्रशा के सन्दर्भ में वह सक्षम तथा ईमानदार निरंकुश राजतन्त्र का पक्षधर है।
History में धर्म का स्थान
रॉके History को धर्म मानता है अथवा धर्म और History के मध्य घनिश्ठ सम्बन्ध देखता है। वह History को ईश्वरीय लीला के Reseller में देखता है।
History में व्यक्तित्व की भूमिका
रॉके History में महान विभूतियों की भूमिका को महत्वपूर्ण And निर्णायक मानता है।
सार्वभौमिक History
रॉके History लेखन में व्यष्टि से समष्टि की ओर बढ़ता है। वह विभिन्न देशों के History की विशिष्टताओं को सार्वभौमिक History की आवश्यक कड़ियां मानकर सार्वभौमिक History की ओर बढ़ता है।
रॉके की History विषयक अध्ययन-गोष्ठी
रॉके की अध्ययन गोष्ठी की तकनीक ने History के उन्नत विद्यार्थियों को ऐतिहासिक स्रोतों के आलोचनात्मक अध्ययन की प्रणाली में Single क्रान्ति का सूत्रपात Reseller।
Historyकार के Reseller में लियोपोल्ड वॉन रॉके का आकलन
अधिकांश आधुनिक Historyकारों पर रॉके की तकनीक का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। रॉके तथा उसके अनुयायियों – थियोडोर मॉमसे, जॉन गुस्टाव ड्रॉयसेय, फ्रेडरिक विल्हेम शिरमाकर और हेनरिक वॉन ट्रीट्स्के ने समीक्षा And ऐतिहासिक प्रणाली के नियम स्थापित किए। जर्मन विचारधारा ने History लेखन को Single व्यवसाय के Reseller में प्रतिष्ठित Reseller और उसने History के औपचारिक शास्त्रीय अध्ययन की स्थापना की। कैरोलिन होफ़री ने रॉके को इसका श्रेय दिया है कि उसने 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में यूरोप और अमेरिका में History को Single स्वतन्त्र And प्रतिष्ठित विषय के Reseller में मान्यता दिलाई। उसने अपनी कक्षाओं में अध्ययन गोष्ठी की प्रणाली प्रारम्भ की और अभिलेखीय शोध And ऐतिहासिक दस्तावेज़ों के विश्लेषण पर अपनी दृष्टि केन्द्रित की। History लेखन में पूर्ण तटस्थता का अनुचित दावा करने के बावजूद रॉके आधुनिक युग के महानतम Historyकारों में प्रतिष्ठित होने का अधिकारी है। जी0 पी0 गूच के According समकालीन प्रामाणिक स्रोतों को ऐतिहासिक पुनर्सर्जन के लिए सर्वथा आवश्यक सिद्ध करना, History लेखन के क्षेत्र में रॉके की सबसे बड़ी उपलब्धि थी। रॉके First इतिहाकार था जिसने ऐतिहासिक नायकों के निजी पत्रों को ऐतिहासिक दस्तावेज़ के Reseller में प्रयुक्त Reseller।
रॉके ने History में वैयक्तिकता और विकास दोनों पर ही महत्व दिया। हर ऐतिहासिक तथ्य, काल और घटना की अपनी वैयक्तिकता होती है और यह Historyकारों का काम है कि वह इनके सार को स्थापित करे। इस गुरुतर कार्य के लिए Historyकारों को उस विशिष्ट युग में स्वयं को उतारना होगा और उसी समय के मूल्यों के अनुReseller उसका आकलन करना होगा।
रॉके Wordों में – ‘इसके लिए Historyकारों को अपने निजी व्यक्तित्व की आहुति देनी होगी।’ रॉके History के विज्ञान का सूत्रधार है। रॉके ने किसी समकालीन ग्रंथ का परीक्षण करते समय उसके लेखक के पद, उसके द्वारा अपने ग्रंथ की Creation हेतु स्रोत सामग्री Singleत्र करने की उसकी सामथ्र्य, उसकी मानसिकता तथा उसकी निष्ठा का भी आलोचनात्मक परीक्षण Reseller और साथ ही साथ उसके द्वारा उपलब्ध जानकारी का अन्य समकालीन गं्रथों में उपलब्ध जानकारी के साथ तुलनात्मक अध्ययन भी Reseller। रॉके ने स्वयं ईसाई होते हुए भी अन्य धर्मावलम्बियों की उपलब्धियों की कभी भी उपेक्षा नहीं की।
उसका कहना था – ‘मैं First Historyकार हूँ और बाद में ईसाई हूँ।’ रॉके को इसका श्रेय जाता है कि उसने History लेखन में आत्मपरकता के स्थान पर वस्तुनिश्ठता को महत्व दिया। उसके लेखन में जातीय अथवा धार्मिक पूर्वाग्रहों का कोई स्थान नहीं है। पूर्ण तटस्थता अपनाते हुए और पूर्वाग्रहों को नकारते हुए उसने तथ्यों को ज्यों का त्यों प्रस्तुत करने की Single ईमानदार कोशिश की है।