रोकड़ प्रवाह description क्या है ?
रोकड़ प्रवाह description दो समयावधियों के बीच व्यवसाय के रोकड़ शेष में हुए परिवर्तनों का विश्लेषण करता है। जिस तरह Human शरीर में रक्त का स्थान महत्वपूर्ण होता है उसी प्रकार व्यवसाय में रोकड़ का स्थान महत्वपूर्ण होता है। रोकड़ संचार बन्द हो जाने पर व्यवसाय उसी प्रकार गतिहीन हो जाता है जिस तरह रक्त संचार रूकने से Human शरीर निष्प्राण होता है। रोकड़ प्रवाह description रोकड़ संचार को मापने का Single साधन है जिसका उपयोग प्रबन्धक वर्ग द्वारा संस्था की अल्पकालीन रोकड़ व्यवस्था को मापने के लिए Reseller जाता है। रोकड़ संचार से तात्पर्य Single ऐसी प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत First स्वामित्व पूंजी तथा ऋणपूंजी की व्यवस्था की जाती है तत्पश्चात रोकड़ से कच्चा माल क्रय Reseller जाता है फिर मजदूरी तथा अन्य उत्पादन व्ययों का भुगतान करके वस्तुओं का उत्पादन Reseller जाता है। उत्पादित वस्तुओं को बेचकर पुन: रोकड़ प्राप्त की जाती है तथा निरन्तर यही प्रक्रिया चलती रहती है।
रोकड़ प्रवाह description के उद्देश्य
रोकड़ प्रवाह व्यावसाय में अविरल बना रहना चाहिए । रोकड़ प्रवाह description अल्पकालीन नियोजन का Single महत्वपूर्ण घटक है। यह व्यवसाय के अल्पकालीन वित्तीय परिवर्तनों की जांच की Single महत्वपूर्ण तकनीक है। रोकड़ प्रवाह description के उद्देश्य And घटक हैं-
- वित्तीय नीतियों And रोकड़ मूल्यांकन के सहायक प्रबन्धकीय दृष्टि से रोकड़ प्रवाह description वित्तीय नीतियों And कुशल रोकड़ मूल्यांकन का Single महत्वपूर्ण उपकरण है। व्यवसाय की समस्त क्रियाओं व योजनाओं का आधार रोकड़ ही होता है। अत: रोकड़ प्रवाह description वित्तीय नीतियों के नियोजन And समन्वय में सहायता करता है।
- नियन्त्रण में सहायक रोकड़ प्रवाह description Single नियंत्रण तकनीक भी है इस description की रोकड़ बजट से तुलना करके बजट के मौलिक पूर्वानुमानों का रोकड़ प्रवाह description के वास्तविक परिणामों से अन्तर ज्ञात Reseller जा सकता है। इस तुलना से यह ज्ञात Reseller जा सकता है कि संस्था के वित्तीय साधनों का इस स्तर तक योजना According प्रयोग हो रहा है।
- आन्तरिक वित्तीय प्रबन्ध में सहायक रोकड़ प्रवाह description व्यवसाय संचालन से सम्बन्धित रोकड़ आवागमन को प्रतिबिम्बित करता है। इससे प्रबन्धकों को व्यवसाय की आन्तरिक नीतियां निर्धारित करने में सहायता मिलती है।
- रोकड़ शेष में परिवर्तन में ज्ञान रोकड़ प्रवाह description व्यवसाय की रोकड़ स्थिति में हुए परिवर्तनों का कारण सहित विश्लेषण करता हैं कभी-कभी भारी लाभ होते हुए भी रोकड़ शेष में कमी आ जाती है जबकि कभी-कभी हानि होने के बावजूद भी रोकड़ शेष पर्याप्त रहता है। रोकड़ प्रवाह description इस प्रकार की स्थिति के कारणों को स्पष्ट करता है।
- अल्पकालीन निर्णयों में सहायक इस description पत्र की सहायता से प्रबन्धकों को कर्इ अल्पकालीन निर्णय लेने में सहायता मिलती है। प्राप्ति And भुगतान की प्रवृत्ति की जांच से संस्थान की शोधन क्षमता की जानकारी प्राप्त की जा सकती है तथा संस्था का मासिक रोकड़ description तैयार करके इसकी दायित्व भुगतान क्षमता का अनुमान लगाया जा सकता है।
- पूर्वानुमान में सहायक विभिन्न वर्षों के रोकड़ प्रवाह descriptionों के विश्लेषण से रोकड़ के विभिन्न स्रोतों And उपयोगों की प्रवृत्ति का अध्ययन Reseller जा सकता है। इस प्रकार प्रवृत्ति अध्ययन के आधार पर भविष्य में रोकड़ के विभिन्न स्रोतों And उपयोगों का पूर्वानुमान Reseller जा सकता है।
- प्रबन्धकीय दक्षता का मापन रोकड़ प्रवाह description रोकड़ प्राप्ति And भुगतान तथा उपयोग में प्रबन्ध की दक्षता तथा विभिन्न अल्पकालीन वित्तीय सौदों में प्रबन्ध की कार्य-कुशलता का मापन प्रस्तुत करता है। विक्रय की वसूली नीति में दक्षता परीक्षण की यह Single महत्वपूर्ण युक्ति है।
रोकड़ प्रवाह description के लाभ अथवा महत्व
- लेखा-descriptionपत्रों के प्राप्तकर्ताओं को निर्णयन के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण आँकड़े प्राप्त हो जावेंगे।
- ऐतिहासिक चालू और भावी रोकड़ प्रवाह के सम्बन्ध में आंकड़े रिपोर्ट करने से प्रबन्धकों की जवाबदेही बढ़ जावेगी।
- इन आंकड़ों के आधार पर भविष्यवाणी करने में सुगमता रहेगी।
- बंटन आधारित भविष्यवाणी में जो गड़बड़ियां हो सकती हैं उनके अवसर समाप्त हो जावेगी।
- पारम्परिक लेखांकन विधि के अन्तर्गत अस्पष्ट बंटन की जो सम्भावना रहती है वह समाप्त हो जावेगी।
- रोकड़-प्रवाह लेखांकन मूल्य-स्तर में परिवर्तन का भी ध्यान रखता है।
- रोकड़ प्रवाह लेखांकन वित्तीय description पत्रों को समझना आसान बना देता है।
- रोकड़ प्रवाह लेखांकन आय के स्थान पर जोर देता है। यह सम्पूर्ण भूतकाल वर्तमान काल और भविष्यकाल के रोकड़ प्रवाह को प्रकट कर देता है। इस प्रकार वह लेनदारों, विनियोजकों, कर्मचारियों, प्रबन्धकों आदि की निर्णयन में सहायता करता है।
रोकड़ प्रवाह के प्रकार
रोकड़ प्रवाह दो प्रकार का होता है- (i) अन्तर्वाह (Inflow) तथा (ii) बहिर्वाह (Outflow)। रोकड़ के अन्तर्वाह से तात्पर्य है रोकड़ का बाहर से अन्दर आना। माल की नकद बिक्री, देनदारों से प्राप्त राशि, अंश निर्गमन द्वारा प्राप्त राशि आदि। रोकड़ के बहिर्वाह से तात्पर्य है रोकड़ का व्यवसाय से बाहर जाना। जैसे- माल का नकद क्रय, मजदूरी का भुगतान, स्थायी सम्पत्ति का नकद क्रय आदि रोकड़ के बहिर्वाह के उदाहरण हैं।