रॉलेक्ट Single्ट क्या है ?
Indian Customer जनता के All वर्गों में इन विधेयकों के प्रति गहरा आक्रोश था, लेकिन इसके विरोध करने का जो ढंग गाँधीजी नें सुझाया वह अनूठा और व्यावहारिक था। इसकी सिफारिशों पर प्रतिक्रिया करते हुए गाँधीजी ने कहा कि ‘‘उन सिफारिशों ने मुझे चौंका दिया।’’ यह साम्राज्य के Single उस वफादार नागरिक के विचार परिवर्तन का बिन्दु था जिसको अब तक यह विश्वास था कि ‘‘साम्राज्य कुल मिलाकर भलार्इ के लिए काम करने वाली शक्ति ही है। इस परिवर्तन ने उन्हें Single एसे ा विद्राहे ी बना दिया जिसको यकीन हो चुका था कि ब्रिटिश साम्राज्य आज शैतानियत का प्रतीक है।’’ इसके विरोध में देशव्यापी हड़ताल का आहवान Reseller गया। Single सत्यापन सभा का गठन Reseller गया। इस सभा ने अपना समस्त ध्यान प्रचार साहित्य छापने And सत्याग्रह की शपथ के लिए हस्ताक्षर Singleत्रित करने में लगाया। स्वयं गाँधीजी भारत के तूफानी दौरे पर निकल पडे़। मार्च और अप्रैल के बीच उन्होंने बम्बर्इ (मुम्बर्इ), दिल्ली, इलाहाबाद, लखनऊ और दक्षिण भारत के अनेक नगरों की यात्रा की। देश व्यापी हड़ताल के लिए First 30 मार्च और बाद में 6 अप्रैल की तिथि सुनिश्चित की गर्इ। हड़ताल के आहवान का आशातीत उत्तर मिला। देश के अनेक हिस्सों में इस हड़ताल को सफल बनाने की होड़ लग गर्इ। गाँधीजी ने लिखा : ‘‘Single कोने से Second कोने तक संपूर्ण भारत में, भारत के Single-Single गांव में हड़ताल पूर्ण सफल रही।’’
दिल्ली में 30 मार्च को सत्याग्रह सभा आयाेि जत की गर्इ। पद्रर्शनों में हिन्दु-मुसलमान Single साथ शामिल हुए। यह रॉलेट Single्ट विरोधी आन्दोलन तीन चरणों में चला। 4 अप्रैल को जामा मस्जिद में Singleत्र मुसलमानों को आर्य समाजी नेता श्रद्धापदं ने संबोधित Reseller। गाँधीजी के दिल्ली प्रवेश निषेध के समाचार से यह अफवाह फैली कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है इससे लोगों की भावनाए भड़क उठी और 10 अप्रैल तक लगातार हड़ताल रही। बम्बर्इ में गाँधी स्वयं उपस्थित थे। अहमदाबाद में और अन्य स्थानों पर भी दंगे भड़क उठे। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के विरूद्ध दमनात्मक कार्रवाइयां की।
पंजाब में इस आंदोलन की व्यापकता सर्वाधिक रही। पूरे प्रांत में कर्इ विरोध-सभाओं का आयोजन हो चुका था। 6 अप्रैल को लाहौर और अन्य शहरों में हड़ताल हुर्इ। 10 अप्रैल को यह समाचार मिलने पर कि गाँधीजी को गिरफ्तार कर लिया गया। लाहौर में जूलूस निकाला गया। पुलिस ने इस भीड़ पर गोलियां बरसार्इ लेकिन अमृतसर में अधिक भयावह घटना घटने वाली थी। वहाँ 6 अपै्रल को हुर्इ हड़ताल शांितपूर्ण रही। इसके बाद 9 अपै्रल को हिंदुओं, मुसलमानों और सिक्कों का Single बड़ा जुलूस निकाला गया। अमृतसर 10 अप्रैल को सैफुˆीन किचलू और डा. सत्यपाल की गिरफ्तारी के खिलाफ टाउन हॉल और पोस्ट ऑफिस पर हमले किए गए, टेलिग्राफ तार काट दिए गए और अंग्रेजों को मारा-पीटा गया। औरतों पर भी हमले किए गये। शहर को सैनिक अधिकारियों को सौंप दिया और नगर का प्रशासन जनरल डॉयर के हाथों सौंप दिया गया। डायर ने चेतावनी दी कि अगर सभाएँ और जुलूस आयोजित किये गए तो उसके गंभीर परिणाम होंगें।