रूसो का जीवन परिचय

जीन-जक्क़ुएस रूसो का जन्म 28 जून, 1712 र्इ0 को स्विटजरलैंड के जेनेवा नामक नगर में Single सम्मानित परिवार में हुआ था। उसके पिता Single फ्रांसिसी घड़ीसाज थे। जन्म के तुरन्त बाद रूसो की माता का देहान्त हो गया। उसकी देखभाल उसकी चाची ने की जो लापरवाह थी। उसके पिता और भी लापरवाह थे। वे व्यर्थ के उपन्यास पढ़ते थे- रूसो को इन उपन्यासों से कल्पना, संवेदना And बचपन में ही अधकचरी प्रौढ़ता मिली। इस तरह से रूसो ने स्वच्छन्द जीवन बिताना शुरू कर दिया। निरूद्देश्य इधर-उधर भ्रमण करने के दौर में वह स्विटजरलैंड के प्राकृतिक सौन्दर्य से काफी प्रभावित हुआ। इसका अमिट प्रभाव उसके जीवन पर पड़ा। साथ ही स्वच्छन्दता के दौर में वह बुरी संगति में आया और कर्इ दुर्गुण उसके व्यक्तित्व में आ गए। चचेरे भार्इ के साथ उसने कुछ दिनों तक लैटिन सीखने का प्रयत्न Reseller पर जो कुछ सीखा वह अव्यवस्थित And खंडित ज्ञान था। बारह वर्ष की अवस्था में रूसो घर से भागकर छोटी-मोटी नौकरी करने लगा। कुछ दिनों तक Single स्वच्छन्द, पर आकर्षक महिला मैडम वारेन्स के साथ सेवाय में रहा। बाद में थेरेस लीवेस्योर नामक महिला से विवाह कर वह पेरिस में आ बसा। यहाँ यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि यायावरी के इन दिनों का रूसो के विचारों And कार्यों पर अमिट प्रभाव पड़ा। इस उद्देश्यहीन जीवन के संदर्भ में ग्रेब्ज ने उचित ही लिखा है- ‘‘जो दिन रूसो ने घुमक्कड़ी में बिताया, उन्हीं में उसके मस्तिष्क And हृदय पर प्रकृति प्रेम की अमिट छाप पड़ी। इन्हीं दिनों निर्धनों और शोषितों के प्रति उसके हृदय में सहानुभूति की लहर पैदा हुर्इ।’’

अठारहवीं शताब्दी के मध्य में फ्रांस में फैली हुर्इ सामाजिक विषमताओं, नैतिक आडम्बरों और व्यर्थ के ऐश्वर्य प्रदर्शनों से रूसो का विश्वास तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था से उठ गया। इस बीच उसने मिल्टन, लॉक, हॉब्स जैसे प्रसिद्ध दार्शनिकों की पुस्तकों का अध्ययन Reseller। फ्रांस की सामाजिक-राजनीतिक स्थिति, रूसो के अपने अनुभव तथा इन विद्वानों की कृतियों के सम्मिलित प्रभाव से रूसो के विचारों में क्रांतिकारी परिवर्तन आया। रूसो को First तब प्रसिद्धि प्राप्त हुर्इ जब उसने डिजान Singleेडमी की निबन्ध प्रतियोगिता में 1750 र्इ0 में ‘‘हेज दि प्रोग्रेस ऑफ साइन्सेज एण्ड आर्ट्स कन्ट्रिब्यूटेड टू करप्ट ऑर प्यूरिफाय मोरेलिटी?’’ (विज्ञान और कला की प्रगति का परिणाम नैतिकता में वृद्धि या गिरावट है?) रूसो का उत्तर था विज्ञान और कला की प्रगति से नैतिकता में गिरावट आर्इ है। इस निबन्ध के कारण कल तक का भटकता इन्सान अनायास ही प्रसिद्ध हो गया। तीन वर्षों बाद पुन: इसी Singleेडमी में ‘‘Humanों में असमानता के कारण तथा यह प्राकृतिक नियम द्वारा स्वीकृत है या नहीं?’’ (ह्वाट इज दि ऑरिजिन ऑफ इनइक्वेलिटी एमंग मेन एण्ड इज इट आउथराइजिड बाय नेचुरल लॉ?) पर दूसरा निबन्ध सम्पूर्ण यूरोप में प्रसिद्ध हो गया। इस उपन्यास से वह Single महान प्रकृतिवादी दार्शनिक के Reseller में स्थापित हो गया जिसने तत्कालीन सामाजिक संस्थाओं का विरोध Reseller।

रूसो अपनी महत्वपूर्ण Creationओं : ‘दि न्यू हेल्वायज’, ‘दि एमिल’ तथा ‘दि कॉनफेसन्श’ के कारण Single महान दार्शनिक के Reseller में प्रतिष्ठित तो हुआ पर उसके जीवन के अन्तिम दिन कष्टों में बीते। वह अपमानित हो इंग्लैंड, जेनेवा तथा फ्रांस में भागता फिरता रहा। अंतत: 1778 र्इ0 में फ्रांस में उसकी मृत्यु हुर्इ। 1789 र्इ0 में फ्रांस की क्रांति प्रारम्भ हुर्इ। फ्रांस की क्रांति का Single महत्वपूर्ण कारक रूसो के क्रांतिकारी विचार थे। नेपोलियन ने ठीक ही कहा था: ‘‘रूसो के बिना फ्रांस की क्रांति संभव नहीं थी।’’ रूसो को न केवल Single दार्शनिक के Reseller में ही वरन् महान क्रांतिकारी के Reseller में भी प्रतिष्ठा प्राप्त हुर्इ।

रूसो की प्रमुख Creationयें – 

रूसो की प्रमुख Creationयें निम्नलिखित हैं:- ‘दि प्रोगेस ऑफ साइन्सेज एण्ड आर्ट्स, ‘दि ऑरिजिन ऑफ इनइक्वेलिटी एमंग मेन’, ‘डिस्कोर्स ऑन पोलिटिकल इकोनॉमी’, ‘दि न्यू हेल्वायज’, ‘दि सोशल कॉन्ट्रेक्ट’, ‘दि एमिल’, ‘कन्सीडरेसन ऑन दि गवर्नमेन्ट ऑफ पोलैण्ड’, ‘दि कॉनफेसन्श’ आदि।

शिक्षा की दृष्टि से रूसो की सर्वप्रसिद्ध Creation एमिल है जिसमें उसने एमिल नाम के Single काल्पनिक बालक को शिक्षा देने की प्रक्रिया का वर्णन Reseller है। यद्यपि रूसो का शिक्षा सम्बन्धी विचार एमिल तक ही सीमित नहीं है पर रूसो का मूल्यांकन एमिल के आधार पर ही होता है। लार्ड मारले ने इस कार्य के बारे में कहा ‘‘साहित्य के History में यह Single कालजयी Creation है। यह चरित्र की गहराइयों को छूता है। यह माता-पिता में आत्मसम्मान का भाव भरता है और उनके कार्य को स्पष्ट करता है। यह जमा दुराग्रहों को खत्म करता है। इसने नर्सरी And विद्यालयों की कक्षाओं में- जिनके दरवाजे And खिड़Resellerं बन्द रहीं हैं- प्रकाश And शुद्ध हवा भर दिया।’’ फ्रेडरिका मेकडोनाल्ड ने भी कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में चल रहे अHumanीय सिद्धान्तों And कार्यों को एमिल ने गहरी चोट पहुँचार्इ। पेस्टालॉजी और फ्रोबेल के काफी First रूसो ने आधुनिक शिक्षा पद्धति की नींव रखी। अध्यापकों और माता-पिता को जीवन के प्रभात बेला में ही बच्चों की खुशियों का गला घोटने के लिए लज्जित होना सिखाया।

शिक्षा की दृष्टि से ‘दि न्यू हेल्वायज’ (1761 र्इ0) भी महत्वपूर्ण है। इसमें उन्होंने गृह-शिक्षा का वर्णन Reseller है। इस पुस्तक में रूसो शिशु के प्रति माता के दायित्वों का वर्णन करते हुए उसे प्रारम्भिक काल में सर्वाधिक महत्वपूर्ण अध्यापक कहा।

रूसो का सामाजिक दर्शन

रूसो रूमानी प्रकृतिवादी विचारधारा के प्रतिपादक थे। इनके अध्ययन का विषय सृष्टि की संCreation न होकर सृष्टि की आह्लादकारी प्रकृति तथा Human प्रकृति है। इस विचारधारा को प्रकृतिवादी केवल इन अथोर्ं में कहा जा सकता है कि यह सामाजिक कृत्रिमता का विरोध करता है तथा Human के प्रकृत जीवन को श्रेष्ठ मानता है। दार्शनिक दृष्टि से यह सम्प्रदाय आदर्शवाद के समीप है क्योंकि रूसो ने प्रकृति को र्इश्वर की कृति माना है। अठारहवीं शताब्दी की सामाजिक कृत्रिमताओं, वर्गभेद, धार्मिक अंधविश्वास And राजनीतिक निरंकुशता से उठकर रूसो प्रकश्ति की ओर लौटने का नारा देता है। तत्कालीन समाज को वह सारी बुराइयों का जड़ मानता है। उसका मानना है कि समाज के नियम प्रकृति के सार्वभौमिक And सार्वकालिक नियमों पर आधारित होने चाहिए। रूसो ने स्पष्ट Wordों में यह घोषणा की कि प्रकृति पर अधिकार उसके नियमों पर चल कर ही Reseller जा सकता है।

अठारहवीं शताब्दी की सामाजिक बुराइयों के विरूद्ध जो विद्रोह हुआ उसको सबसे मुखर वाणी रूसो ने दी। रूसो का मानना था कि पूर्व में Human निश्छल And अज्ञानी तो था पर उसका जीवन शांत और सरल था। उसकी Needयें अल्प थी अत: वह उन्हें आसानी से संतुष्ट कर लेता था। लेकिन यह सुखद स्थिति बहुत दिनों तक नहीं रही और उसकी लालसायें बढ़ती गर्इ- उसने अपने अधिकार को स्थापित करने हेतु सभ्यता का विकास Reseller। निजी सम्पत्ति पर अत्यधिक जोर दिया जाने लगा। इस कृत्रिम Need ने ही लोभ की प्रवृत्ति को जन्म दिया। समाज का वर्गों में विभाजन होने लगा। Single तरफ तो प्रभुत्व वाले व्यक्ति थे और दूसरी ओर दास या गुलाम। अत: रूसो सभ्यता को Single भारी भूल बताता है तथा समाज को सारी बुराइयों का जड़। रूसो कहते हैं ‘‘बच्चा जन्म स्वतंत्र-प्राणी के Reseller में लेता है पर उसे All ओर से जंजीरों से बाँध दिया जाता है।’’ अत: रूसो का कहना है कि समाज को और अधिक पतन से बचाने के लिए यह आवश्यक है कि समाज का पुनर्गठन मूल प्राकृतिक सिद्धान्तों के आधार पर Reseller जाय। रूसो के According राज्य के अस्तित्व का आधार आम Agreeि (जनरल विल) है जिसका भाव All की भलार्इ है। अगर राज्य जनसामान्य की भलार्इ में असमर्थ है तो उसे समाप्त कर देना चाहिए। राज्य के नियम नागरिकों की Agreeि के आधार पर बनने चाहिए न कि उनके प्रतिनिधियों की राय के आधार पर। इस प्रकार रूसो के राजनीतिक विचार अपने समय से काफी आगे था। सही Meansों में रूसो को लोकतंत्र का अग्रदूत कहा जा सकता है। रूसो का मानना था कि धर्म के संदर्भ में व्यक्ति को स्वयं निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए। संस्थाबद्ध संगठनों द्वारा इसे व्यक्ति पर थोपना नहीं चाहिए।

रूसो Human को जन्मजात अच्छा मानता है। Human समाज के सम्पर्क में आकर बुराइयों को ग्रहण करता है। वह घोषणा करता है ‘‘ प्रकृति के हाथों आने वाली हर चीज अच्छी होती है; Human समाज हस्तक्षेप करता है और वह दूषित हो जाती है।’’ रूसो के According अच्छार्इ, सहानुभूति, दया, न्याय आदि गुण Human में जन्मजात होते हैं। Need है इन गुणों को समाज की बुराइयों से बचाये रखने की।

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