Reseller परिवर्तन के कारण And दिशाएँ

Reseller परिवर्तन के कारण And दिशाएँ

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Reseller परिवर्तन के कारण ‘Reseller’ का सम्बन्ध ध्वनियों से है। अत: सामान्य तौर पर Reseller-परिवर्तन और ध्वनि-परिवर्तन में विभाजक रेखा खींच पाना कठिन कार्य लगता है। किन्तु इन दोनों में वैज्ञानिक विभेद है। ध्वनि-परिवर्तन से पद की Single-दो ध्वनियाँ प्रभावित होती हैं और Reseller-परिवर्तन से पद का सम्पूर्ण आकार बदल जाता है। इस तरह कहा जा सकता है कि ध्वनि-परिवर्तन का क्षेत्रफल बड़ा होता है और Reseller-परिवर्तन का सीमित।

‘Reseller’ और ‘पद’ Single Second के पर्याय हैं। अत: Resellerों या पदों का सम्यक अध्ययन Resellerविज्ञान कहलाता है।


Reseller परिवर्तन के कारण

1. सरलीकरण की प्रवृत्ति: सरलीकरण की प्रवृति Human की वृत्ति रही है। साथ ही कठिनता से सरलता की ओर बढ़ना भाषा की भी प्रकृति होती है। अत: इस प्रकृति और प्रवृति ने Reseller-परिवर्तन में योगदान Reseller है। हिन्दी में कारकों वचनों And लिंगों की Reseller-संख्या में न्यूनता इसी प्रवृत्ति का परिणाम है। भाषा-व्याकरण के इन Resellerों में First संख्याधिक्य के कारण जहाँ क्लिष्टता का अनुभव होता था वहाँ इनकी संख्यात्मक न्यूनता के कारण सरलता आ गयी है। कुछ उदाहरण और भी लिए जा सकते हैं। वैदिक व्याकरण का ‘लेट लकार’ संस्कृत में लुप्त हो गया है तथा संस्कृत के ‘सुप्’ और ‘तिघ्’ प्रत्यय हिन्दी में लुप्त हो चुके हैं। इस तरह Reseller-Creation में सरलीकरण की प्रवृत्ति ने Single नए भाषा Reseller को जन्म दिया है।

2. नवीनताबोध: नये के प्रति ललक का भाव Humanीय प्रकृति है। Wordों की Reseller-Creation में भी उसकी यह प्रवृत्ति देखी जा सकती है। परम्परागत Wordों के प्रयोग से उफबकर Human-मेध अभिनव Wordबोध के प्रति जिज्ञासु बनती है और इसी कड़ी में उसके द्वारा नवीन और सुन्दर पद-Reseller गढ़ लिये जाते हैं, जैसे-सुन्दरता से सौन्दर्य, विविधाता से वैविध्य, विशेषता से वैशिष्ट्य, नवीनता से नव्य And मृदुता से मार्दव आदि।

3. सादृश्य-समीकरण: Reseller-Creation में वैविध्य लाने के लिए सादृश्य-समीकरण का प्रयोग Reseller जाता है। Reseller-परिवर्तन में सादृश्य-विधन का उपयोग संसार की प्राय All जीवित भाषाओं ने Reseller है। संस्कृत और हिन्दी भाषाओं से कुछ उदाहरण लिये जा सकते हैं। संस्कृत में करिन् + आ = करिना (करिणा) And दण्डिन् + आ = दण्डिना जैसे Wordों में ‘ना’ का संयोग व्याकरणसम्मत है। इन Wordों के सादृश्य पर हरि + आ = हरिणा And वारि + आ = वारिणा जैसे Word प्रयोग व्याकरणविरुद्ध हैं परन्तु सादृश्य-समीकरण के कारण इनके प्रयोग चलने लगे। इसी तरह हिन्दी में ‘तीनों’ के सादृश्य पर ‘दोनों’ Word चलने लगा है जबकि ‘दो’ Word व्याकरणसम्मत है।

4. स्पष्टता: भाषिक स्पष्टताबोध ने Reseller-परिवर्तन में नये प्रयोग किये हैं। भाषा का प्रयोक्ता अपनी अभिव्यक्ति को अधिक स्पष्ट करने के लिए भाषा के अपने ही फराने Reseller को बदल देता है। उसे जब तक लगता रहता है कि उसकी बात ठीक से नहीं समझी जा रही है जब तक अपनी भाषा को भिन्न-भिन्न Resellerों में रचता रहता है। इस रचाव की मनोदशा उसकी भाषा को अधिक स्पष्ट आकृति देती है। इस तरह की Reseller-Creation व्याकरणसम्मत तो नहीं होती किन्तु स्पष्ट होती है, जैसे-’दरअसल में’ And ‘सर्वश्रेष्ठ’ सरीखे स्पष्टतावादी Wordों को लिया जा सकता है। ‘दर’ का Means ही होता है ‘में’, फिर भी स्पष्ट होने की दशा में ‘दरअसल में’ जैसा नया Reseller चल पड़ा है। इसी तरह ‘श्रेष्ठ’ का Means ही होता है ‘सबसे अच्छा’, फिर भी अधिक स्पष्टता के लिए ‘सर्वश्रेष्ठ’ जैसा नया Reseller चलाया जा चुका है।

5. अज्ञान: भाषा-व्याकरण की जानकारी के अभाव में आजकल अनेक Word-Resellerों के प्रचलन चल पड़े हैं। अत: कतिपय Reseller-Creation ज्ञान के अभाव में Single कारण के Reseller में होती रहती है। इस तरह के Reseller-परिवर्तन हिन्दी में अधिक हिन्दी में अधिक मिलते हैं। इसका भी Single प्रधन कारण है। चूँकि हिन्दी ने दूसरी भाषाओं के Wordों को अधिक आत्मSeven् Reseller है। इसलिए जब तक दूसरी भाषाओं की व्याकरण-संस्कृति का ज्ञान नहीं होगा तब तक हिन्दी-भाषी ऐसी अज्ञानता का परिचय देते रहेंगे। कुछ उदाहरण लिये जा सकते हैं-श्रेष्ठ से श्रेष्ठतर, श्रेष्ठतम, सर्वश्रेष्ठ, उपर्युक्त से उपरोक्त, फिजूल से बेफजूलऋ पूजनीय से पूज्यनीयऋ सौन्दर्य से सौन्दर्यताऋ अनुगृहीत से अनुग्रहीत And संयासी से सन्यासी इत्यादि।

6. बल-प्रयोग: बल देने अथवा कथन पर जोर देने के लिए भी भाषा के Reseller में परिवर्तन हो जाता है। उदाहरण के लिए कुछ Reseller-Creation के नमूने लिये जा सकते हैं-खालिस के स्थान पर ‘निखालिस’, खिलाफ के स्थान पर ‘बेलिलाफ’, अनेक स्थान पर ‘अनेकों’ And इस्तीफा के स्थान पर ‘इस्थीपा’ इत्यादि।

7. Need: Need के कारण आविष्कार का होना सर्वविदित बात है। भाषा की Reseller-Creation में भी इस तथ्य को स्वीकारा जा सकता है। भाषा में हमें जो सम्प्रेषित करना है यदि वह सम्प्रेषण नहीं हो पा रहा है तो भाषा के उस Reseller को हम बदल देते हैं जिसमें First बात कही गयी थी। उदाहरण के लिए हिन्दी में कबीर And बिहारी के भाषिक नमूने पर्याप्त होगें। अपनी साधना की रीति पर कबीर ने ‘साधू’ की जगह ‘साधे-Reseller चलाया’ जिसका अभिप्राय था ‘साधना’। इसी तरह बिहारी ने प्राकृतिक सौन्दर्य को पत्र की पंक्तियों में तलाश्ते हुए ‘पत्र ही तिथि पाइयत’ जैसे Word Resellerों की Creation की है। नवीनता-बोध के कारण Word के Reseller परिवर्तन का पाठ से इतर उदाहरण दीजिए।

Reseller-परिवर्तन की दिशाएँ

1. पुराने Resellerों का लोप: Reseller-परिवर्तन की दिशाओं में Single दिशा पुराने प्रचलित Resellerों के विलोप की है। ध्वनि-परिवर्तन की स्थिति में फराना प्रयोग होने के कारण सम्बन्धतत्त्व लुप्त हो जाते हैं। परिणामत: Meansबोध की बाधा आने पर सम्बन्धतत्त्व के नये Reseller जोड़ लिये जाते हैं। इस तरह नये Reseller प्रचलित होकर पुराने का धीरे-धीरे परित्याग कर देते हैं। उदाहरण के लिए संस्कृत के प्रयोग Reseller को छोड़कर हिन्दी के प्रयोग Reseller ने अपने को परिवर्तित कर लिया है। आज हिन्दी में तीन कारक रह गये हैं जबकि संस्कृत में आठ कारक Reseller-पचलित थे। इसी तरह हिन्दी में दो ही वचन और दो ही लिंग रह गये हैं जबकि संस्कृत में तीन वचन और तीन लिंग के प्रचलन मिलते हैं।

2. सादृश्य के कारण नये Resellerों का उद्भव: Reseller-परिवर्तन की Single दिशा सादृश्य-विधि है। सादृश्य के कारण सम्बन्धतत्त्व के नये Reseller विकसित होकर अनेकResellerता का परिचय देते हैं। इस विधि में नवीनता का आकर्षण रहता है। हिन्दी में परसर्गों का विकास यही सादृश्य-विधन है। ‘चलिए’ और ‘पढ़िए’ के सादृश्य का आधार लेते हुए ‘कीजिए’ के स्थान पर ‘करिए’ का उदाहरण लिया जा सकता है।

3. प्रत्यय और Wordों में अधिकपदत्त्य: Reseller-परिवर्तन के कुछ अस्वाभाविक अभिलक्षण मिलते हैं जिनके प्रयोग जाने-अनजाने बहुत से लोग करते हैं। Meansात् Single प्रत्यय के होते Second प्रत्यय का प्रयोग तथा उपयुक्त Word के होते Second Word का प्रयोग लोगों द्वारा Reseller जाता है, जैसे-’कागजात’ से ‘कागजातों’, ‘अनेक’ से ‘अनेकों’ Word-प्रयोगों में क्रमश: ‘आत्’ And ‘इक’ प्रत्यय मौजूद हैं। इनके साथ क्रमश: ‘ओं’ भी जोड़कर अतिरिक्त प्रत्यय लगाये गये हैं। इसी तरह ‘सर्वश्रेष्ठ’ And ‘दरअसल’ Wordों में ‘सर्व’ तथा ‘दर’ Word अधिक हैं, परन्तु Reseller Creation में ऐसे भी अधिकपदत्व मिलते हैं।

4. अभिनव Reseller-Creation: कुछ पुराने और कुछ नये Resellerों को ग्रहण कर आजकल प्रत्ययों के अभिनव Reseller प्रचलित हैं। उदाहरण के लिए ‘छठा’ पुराना Reseller है तो ‘छठवाँ’ नया Reseller है।

5. Reseller-परिवर्तन की मौलिक दिशा: पदों की आकृति में समूल परिवर्तन करके नयी पद-Creation की Single स्वतन्त्र संस्कृति इधर दिखलाई पड़ती है। उदाहरण के तौर पर ‘तुझको’ के स्थान पर ‘तेरे की’, ‘Reseller’ के स्थान ‘करी’ तथा ‘मुझको’ के स्थान पर ‘मेरे को’ देखे जा सकते हैं।

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