राजनीति विज्ञान का Means, परिभाषा And क्षेत्र
राजनीति विज्ञान का Means, परिभाषा
राजनीति विज्ञान Word समूह अंग्रेजी भाषा के Political Science Word समूह का हिन्दी Resellerान्तरण है, जो Politics (पॉलिटिक्स) Word से बना है। Politics Word की ब्युत्पत्ति यूनानी भाषा के Polis Word से हुर्इ है, जिसका उस भाषा में Means है- नगर राज्य, नगर-राज्यों की स्थिति, कार्य प्रणाली And अन्य गतिविधियों से संबंधित विषयों का अध्ययन करने वाले विषय को ग्रीस निवासी ‘पॉलिटिक्स’ कहते थे। वर्तमान में राजनीति विज्ञान मनुष्य के उन कार्य-कलापों का अध्ययन करने वाला विज्ञान है, जिनका संबंध उसके जीवन के राजनीतिक पहलू से होता है गार्नर के According- ‘‘राजनीति विज्ञान की उतनी ही परिभाषाएं हैं जितने कि राजनीति के लेखक है। फिर भी अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से राजनीति विज्ञान का विभिन्न परिभाषाओं को दो वर्गों में विभाजित Reseller जा सकता है-
1. परम्परागत दृष्टिकोण-
इन्हें तीन वर्गों में विभाजित Reseller जा सकता है-
- राजनीति विज्ञान केवल ‘राज्य के अध्ययन है।’ डॉ गार्नर के According- ‘‘राजनीति विज्ञान के अध्ययन का आरंभ और अंत राज्य के साथ होता है।’’
- राजनीति विज्ञान केवल ‘सरकार का अध्ययन है।’ लीकॉक के According- ‘‘राजनीति विज्ञान सरकार से संबंधित है। उस सरकार से जिसका आधार व्यापक Means में प्राधिकार का मूलभूत विचार है।’’
- राजनीति विज्ञान ‘राज्य और सरकार’ ‘दोनों का अध्ययन’ गिलक्राइस्ट के According – ‘‘राजनीति विज्ञान राज्य और सरकार की सामान्य समस्याओं का अध्ययन करता है।’’
2. परिभाषा संबंधी आधुनिक (व्यवहारवादी) दृष्टिकोण-
- लासवेल के According- ‘‘राजनीति विज्ञान का अभीष्ट वह राजनीति है जो यह बताये कि कौन क्या कब और कैसे प्राप्त करता है।’’
- रॉबर्ट ए. डहन कहते हैं-‘‘किसी भी राजनीति व्यवस्था में शक्ति, शासन अथवा सत्ता का बड़ा महत्व है।’’
राजनीति विज्ञान का क्षेत्र-
राजनीति विज्ञान के क्षेत्र का पर्याय इसकी विषय-वस्तु है, परन्तु राजनीति विज्ञान के क्षेत्र के विषय-वस्तु पर राजनीतिक वैज्ञानिक Singleमत नहीं है। सभ्यता, संस्कृति तथा विकासशीलता के कारण राजनीति विज्ञान का क्षेत्र परिवर्तनशील रहा है। इस प्रकार राज्य, सरकार और Human तीनों ही राजनीति विज्ञान के अध्ययन की विषय वस्तु हैं। इन तीनों में से किसी Single के बिना भी राजनीति विज्ञान के क्षेत्र को पूर्णत्व प्राप्त नहीं हो सकता।उपर्युक्त विवेचन के आधार पर राजनीति विज्ञान के अध्ययन क्षेत्र में सम्मिलित विषय सामग्री निम्नवत् है-
1. राज्य का अध्ययन
राजनीति विज्ञान के अध्ययन का प्रमुख तत्व राज्य है, क्योंकि डॉ. गार्नर ने तो यहाँ तक लिखा है, ‘‘राजनीति विज्ञान के अध्ययन का आरंभ और अंत राज्य के साथ होता है।’’ प्रो. लास्की ने कहा है- ‘‘राजनीति विज्ञान के अध्ययन का संबंध संगठित राज्यों से संबंधित Human-जीवन से है।’’ गिलक्राइस्ट ने लिखा है- ‘‘राज्य क्या है? राज्य क्या रहा है? और राज्य क्या होना चाहिए?’’ राजनीति विज्ञान यह बताता है। अत: स्पष्ट है कि राजनीति विज्ञान में राज्य के अतीत, वर्तमान और भविष्य तीनों कालों का ही अध्ययन Reseller जाता है, जिसका विवेचन निम्नवत् है-
- राज्य का अतीत या ऐतिहासिक स्वReseller- राज्य के सही अध्ययन के लिए राज्य के अतीत या उसके ऐतिहासिक स्वReseller को जानना आवश्यक है, क्योंकि अतीत में राज्य को ‘नगर-राज्य’ कहा जाता था और राज्य में र्इश्वर का अंश मानते हुए उसे र्इश्वर का प्रतिनिधि माना जाता था। King की आज्ञा सर्वेपरि कानून थी। इस प्रकार राज्य के पास असीमित शक्तियाँ थीं, परन्तु धीरे-धीरे नगर राज्यों के आकार में वृद्धि होती गयी और राज्य संबंधी विचारधाराओं में भी परिवर्तन होता रहा। राज्य के अतीत के अध्ययन में राज्य की उत्पत्ति, उसके संगठन, उसके आधारभूत तत्वों, यूनानी शासन-व्यवस्था, प्रजातान्त्रिक विचारों का विकास, राजनीतिक क्रान्तियाँ, उनके कारण और परिणाम, राज्य के सिद्धांत, उद्देश्य And प्रभुसत्ता का ऐतिहासिक स्वReseller आदि सम्मिलित हैं और ये तत्व ही राजनीति विज्ञान के अध्ययन की विषय वस्तु है जिनका परिणाम राज्य का वर्तमान स्वReseller है।
- राज्य का वर्तमान स्वReseller-राज्य का वर्तमान स्वReseller, उसके अतीत के क्रमिक विकास का ही परिणाम है, जो कि प्राचीन ‘नगर-राज्यों’ की सीमाओं में वृद्धि हो जाने के कारण ही संभव हो सका। उन्होंने ‘राष्ट्रीय राज्यों’ का Reseller धारण कर लिया है और इससे भी अधिक अब तो ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना के आधार पर सम्पूर्ण विश्व के लिए ही Single राज्य Meansात् ‘विश्व राज्य’ की कल्पना की जाने लगी है। इसीलिए विदेश नीति, अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ And अन्र्तराष्ट्रीय सन्धि And समझौते भी राजनीति विज्ञान के अध्ययन की विषय वस्तु बन गये हैं। आधुनिक युग में राज्य को Single लोक-कल्याणकारी संस्था माना जाता है। अत: आज Human-जीवन का कोर्इ भी ऐसा पक्ष नहीं है, जो किसी न किसी Reseller में राज्य के संपर्क में न आता हो। इसीलिए Human व सामाजिक जीवन को सुखी बनाने और उसके सर्वांगीण विकास हेतु राज्य द्वारा किये गये कार्यों का अध्ययन व राजनीति विज्ञान के अध्ययन के क्षेत्र में सम्मिलित है।
- राज्य की भविष्य या भावी स्वReseller- राज्य के अतीत के आधार पर वर्तमान के आधार पर राज्य के भावी आदर्श And कल्याणकारी स्वReseller की कल्पना की जाती है। इस प्रकार वर्तमान सदैव ही सुधारों का काल बना रहता है। अतीत And वर्तमान की त्रुटियों And असफलताओं के दुष्परिणामों के अनुभवों से भविष्य का पथ प्रशस्त होता है। इन अनुभवों के आधार पर ही राज्य के भावी आदर्श स्वReseller के निर्धारण में इस प्रकार की व्यवस्थाएँ करने का प्रयास Reseller जाता है कि अतीत औ वर्तमान की समस्त उपलब्धियाँ तो राज्य के आधार के Reseller में बनी रहें, परन्तु त्रुटियों And असफलताओं की पुनरावृत्ति न हो। राज्य के अतीत और वर्तमान स्वReseller के अध्ययन के आधार पर ही विभिन्न राजनीतिक विचारकों द्वारा Single आदर्श राज्य के स्वReseller की भिन्न-भिन्न Resellerरेखाएँ प्रस्तुत की गर्इ हैं। इस प्रकार राजनीति विज्ञान राज्य के Single श्रेष्ठ, सुखद, कल्याणकारी And आदर्श स्वReseller की कल्पना करता है।
2. सरकार का अध्ययन
राज्य के अध्ययन के साथ ही साथ राजनीति विज्ञान में राज्य के अभिन्न अंग सरकार क भी अध्ययन Reseller जाता है। प्राचीन काल में जहां निरंकुश राजतन्त्र थे, वहाँ आज लोकतान्त्रिक सरकारें हैं। इस समय King की आज्ञा ही सर्वोपरि कानून थी, परन्तु आज सरकार के तीनों अंगों (व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका) में शक्ति- पृथक्करण का सिद्धांत क्रियाशील है और King की आज्ञा कानून न होकर लोकतांत्रिक सरकारों की वास्तविक शक्ति जनता में निहित है।
3. मनुष्य का अध्ययन
मनुष्य, राज्य की इकार्इ है। मनुष्यों के बिना राज्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती, अत: मनुष्य राजनीति विज्ञान के अध्ययन का प्रमुख तत्व है। मनुष्य का सर्वागीण विकास And कल्याण करना ही राज्य का प्रमुख कर्तव्य हैं परन्तु जहाँ नागरिकों के प्रति राज्य के कर्तव्य होते है वहा राज्य के प्रति नागरिकों के भी कर्तव्य होते हैं। आर्दश नागरिक ही राज्य को आदर्श स्वReseller प्रदान कर सकते हैं और उसकी प्रगति में योगदान कर सकते हैं।
4. संघों And संस्थाओं का अध्ययन
प्रत्येक राज्य में अनेक समाजोपयोगी संस्थाएं होती है, जो नागरिकों के उत्थान And विकास के लिए कार्य करती हैं। इन संस्थाओं में राज्य Single सर्वोच्च संस्था होती है और अन्य All संस्थाएँ राज्य द्वारा ही नियन्त्रित होती हैं।
5. अन्तर्राष्ट्रीय कानून And संबंधों का अध्ययन
आधुनिक युग में कोर्इ भी राष्ट्र पूर्णत: स्वावलम्बी नहीं है। विश्व के समस्त राष्ट्र किसी न किसी न Reseller में Single-Second पर निर्भर हैं। इस पारस्परिक निर्भरता के कारण ही आज Single राष्ट्र की घटना से अन्य राष्ट्र भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते। इस प्रकार विश्व के विभिन्न राष्ट्रों की पारस्परिक निर्भरता ने उन्हें Single-Second से घनिष्ठ Reseller में संबंध कर दिया है। यातायात And संचार-साधनों के माध्यम से आज समस्त राष्ट्र Single Second के बहुत ही निकट आ गये हैं और उनमें परस्पर विभिन्न प्रकार के संबंध स्थापित हो गये हैं। अतएव विश्व के समस्त राष्ट्रों के पारस्परिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक, राजनयिक And अन्य विभिन्न प्रकार के अंतराष्ट्रीय संबंध, राजनीति विज्ञान के अध्ययन के प्रमुख विषय बन गये हैं।
6. वर्तमान राजनीतिक समस्याओं का अध्ययन
वर्तमान राजनीतिक समस्याओं का अध्ययन राजनीति विज्ञान का प्रमुख विषय है। प्रत्येक राष्ट्र में, चाहे वहाँ शासन प्रणाली किसी भी प्रकार की क्यों न हो, स्थानीय या राष्ट्रीय स्तर की अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती ही रहती हैं। उदाहरणार्थ, भारत इस समय सम्प्रदायवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद, And भाषावाद जैसी अनेक समस्याओं से ग्रसित है। इसी प्रकार विश्व के अन्य देश भी अपनी-अपनी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इस प्रकार, विभिन्न राष्ट्रों की स्थानीय And अंतर्राष्ट्रीय स्तर की समस्त राजनीतिक समस्याओं का अध्ययन राजनीति विज्ञान के अध्ययन में सम्मिलित है।
निष्कर्ष के Reseller में यह कहा जा सकता है कि अब राजनीति विज्ञान के क्षेत्र में समुदाय, समाज, श्रमिक, संगठन, राजनीतिक दल, दबाव समूह और हित समूह आदि का अध्ययन भी सम्मिलित है, इसके साथ ही साथ आधुनिक व्यवहारवादी दृष्टिकोण की नूतन प्रवृत्तियों ने स्वतंत्रता, समानता और लोकमत जैसी नवीन अवधारणाओं तथा Human-जीवन के अराजनीतिक पक्षों को भी उसकी विषय वस्तु में सम्मिलित करके राजनीति विज्ञान के क्षेत्र को अत्यधिक व्यापक बना दिया है। वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए रॉबर्ट ए. डहल ने लिखा है, ‘‘राजनीति आज Humanीय अस्तित्व का Single Indispensable तत्व बन चुकी है। प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी Reseller में किसी न किसी प्रकार की राजनीतिक व्यवस्था से संबंद्ध होता है।’’