Humanवाद क्या है? –
Humanवाद क्या है?
अनुक्रम
‘Humanवाद’ Word की उत्पत्ति लैटिन भाषा के ह्युमनिट्स (Humanitus) Word से हुई है जिसका Means है ‘उन्नत ज्ञान’ है। अत: Humanवादी साहित्यकारों ने प्राचीन यूनानी And रोमन साहित्य का ज्ञान आवश्यक बताया। Humanवाद का उद्देश्य मध्यकालीन बंधनों (Meansात चर्च And धर्म) से सम्बंधित बातों को छोड़कर उन All विषयों का अध्ययन करना था जो Human जीवन से सम्बंधित हो। Humanवाद का जनक पेट्रार्क (Petrarch) को कहा जाता है क्योंकि उसने ही सबसे First परलोक चिंतन के बजाय इस लोक के जीवन को आनंदपूर्वक व्यतीत करने पर बल दिया।
Humanवाद से आशय
Humanवाद मुख्यत: 15वीं 16वीं शताब्दी कि सोच है तथा पुनर्जागरण कि मुख्य देन है, Humanवाद का Means है- Human जीवन में रूचि लेना, Human की समस्याओं का अध्ययन करना, Human का आदर करना, Human जीवन के महत्व को स्वीकार करना तथा उसके जीवन के प्रति Single विशेष रूचि झलकती है, क्योंकि यूनानी लोग इसी संसार में पूर्ण दिलचस्पी लेते थे, जिसमें वे रहते थे। पुनर्जागरण युग में परलोक कि अपेक्षा लौकिक रूचि को महत्व देने की विचारधारा को ही Humanवाद कहते हैं, इससे ऐसा लगता है, मानो मनुष्य के विचारों And कार्यों पर से धर्म का दबाव ख़त्म हो गया हो। प्राचीन यूनानी And रोमन तत्वों को आधार बना कर मध्यकाल की धार्मिक भावनाओं, दर्शन, कला And शिक्षा का प्रबल विरोध Reseller। मध्यकाल के All कार्य, विचारों के विषय-वस्तु चर्च And धर्म केन्द्रित होते थे, परन्तु पुनर्जागरण के समय विषय-वस्तु धर्म न होकर Human आधारित हो गया। अब साहित्य कला And प्रत्येक क्षेत्र में Human And Human से सम्बंधित विषयों पर लिखा जाने लगे, Humanवाद के लेखक Humanवादी कहलाये। उन्होंने Human And Human से सम्बंधित उनकी खुशियों उनके ग़मों को अपने चिंतन का आधार बनाया, उन्होंने अपने And अपने समय कि ज़िन्दगी के बारे में लिखा, अपनी कविताओं में लोगों की भावनाओं को अभिव्यक्त Reseller, Humanवादियों के Accordingकृ जीवन का लक्ष्य ईश्वर को खुश करना या सैनिक सेवा देना नहीं है, बल्कि मनुष्य कि सेवा करना, लोगो की भलाई के लिए काम करना होना चाहिए। मनुष्य से तात्पर्य ऐसे Human से है जिसका सब कुछ तन, मन, भाव, भावना, All कुछ सुन्दर हो। Humanवादी जनता को सुसंस्कृत बनाने के लिए प्राचीन रोमन And यूनानी साहित्य के अध्ययन पर जोर देते थे। Humanवाद का उत्थान, पुनर्जागरण की Single प्रमुख विशेषता है, मध्यकाल में जनता ग्रंथो का अध्ययन धार्मिक दृष्टिकोण से ही करती थी परन्तु अब वह Human हित की भावना से इस कार्य की ओर आकर्षित हुआ। इस प्रकार उनमे Human हित And Humanवादी भावनाएं जागृत हुई।
Humanवादी विद्वानों के विचार
इटली के प्रसिध्द लेखक ‘पेटार्क’ ने इसके लिए बहुत कार्य किये हैं इन्होंने Human को केंद्र में रखकर अत्यधिक Creationयें की जिसने जनता में धर्म सुधार तथा जन-सेवा कि भावना जागृत होने लगीं। पेट्रार्क को Humanवाद का पिता कहा जाता है, उसके According मनुष्य को परलोक की चिंता के बजाय अपने इसी जीवन को आनन्द्पूर्वक व्यतीत करना चाहिए। उसने अन्धविश्वास And धर्माधिकारियों की जीवन प्रणाली का मजाक उड़ाया, वह मध्ययुग की विचारधारा जिससे लोग स्वयं को जकड़ा हुआ समझते थे उन All अंकुशों से लोगों को मुक्त करना चाहता था, जिससे मनुष्य प्रकृति के नज़दीक आकर उसका आनंद प्राप्त कर सके। अनेक धार्मिक प्रतिबंधों के कारण वे अपनी इच्छाओं को प्रकट और उसका विकास नहीं कर पाते थे। यदि हम यह कहें कि धर्म निरपेक्षता की भावना Humanवाद की ही विशेषता है, तो गलत नहीं होगा। बुकासियो तथा ब्रसिओलोनी पर Humanवादी विचारों का गहरा प्रभाव था, परन्तु इरैस्मस का नाम Humanवादी विचारकों में सबसे आगे है, उसे Humanवादियों का King कहा जाता है। जर्मनी के रयुक्लिन और मेलांकथन प्रसिध्द विचारक हुए, इंग्लैण्ड के टामस मूर और जॉन आदि Humanवादी विचारकों ने अपने महत्वपूर्ण विचारों के ज़रिये Human मूल्यों को प्रभावित Reseller।
Humanवाद का प्रभाव
Humanवाद का व्यापक Reseller से प्रभाव हमें साहित्य And कला के विभिन्न क्षेत्रों में देखने को मिलता है। यूरोप में साहित्य, चित्रकला, स्थापत्यकला, मूर्तिकला इत्यादि क्षेत्रों में Humanवाद का प्रभाव दिखता है, जोकि मध्यकाल से बिल्कुल भिन्न है। 15वीं शताब्दी में जिस साहित्य की Creation हुई, वह पूर्व के साहित्य से अलग था। First भाषा के Reseller में केवल लैटिन और विषय-वस्तु, धर्म And चर्च ही होता था, अधिकांश Creationएं धार्मिक विषयों पर आधारित होती थी, परन्तु परिस्थितियां अब इसके विपरीत थीं, अब धार्मिक विषयों के स्थान पर मनुष्य And उससे सम्बंधित विषयों का अध्ययन होने लगा। इस युग में साहित्य आलोचना प्रधान, Humanवादी And व्यक्तिवादी हो गया। Creationओं ने लोगों को Human-प्रेम, देश-प्रेम And प्रकृति-प्रेम कि शिक्षा दी। इस युग के महान साहित्यकारों में शेक्सपियर, रेबेलास, सर्वेनटीज़ तथा दांते, पेट्रार्क And बुकासियो इत्यादि कवियों ने भी अपनी Creationओं का कथानक धर्म से हटकर Human केन्द्रित Reseller था। कला का क्षेत्र भी Humanता प्रभावित था, अब कला का उद्देश्य जीवन And प्रकृति में संतुलन बनाना था, इस युग में कला का क्षेत्र भी धार्मिक बंधनों से मुक्त होकर यथार्थवादी हो गया, मध्यकाल में चित्रकला के विषय के Reseller में मरियम And यीशु ही थे, परन्तु अब आम आदमी And उससे जुड़ी घटनाओं को महत्त्व दिया जाने लगा, सादगी तथा भावों की अभिव्यक्ति, किसी बच्चे की मुस्कान हो या उड़ते हुए पक्षी का चित्र, मोनालिसा की रहस्यमयी मुस्कान हो या नक्षत्रों का मंडल All में Human को प्रमुख Reseller से दर्शाया गया है। इस युग के चित्रकारों में लिओनार्डो-दा-विन्ची, माइकल एंजेलो, तथा राफेल प्रमुख है। इस युग का स्थापत्यकला हो या मूर्तिकला इनमे भी Humanवाद को महत्व दिया गया। संगीत के क्षेत्र में भी अब मनुष्य के मनोरंजन को ध्यान में रख कर धुनें बनायी जाने लगीं, Meansात लौकिक संगीत का महत्व बढ़ गया।
अत: 15वीं शताब्दी के Humanवादी आन्दोलन के महत्व के सम्बन्ध में निम्न बातें Historyनीय हैंकृ Humanवादियों ने Human के बौध्दिक विकास और स्वतंत्र चिंतन में सहयोग दिया। Humanवादियों द्वारा प्राचीन ग्रीक And रोमन साहित्य को महत्त्व दिया गया। अब समाज में व्यक्ति को भी सम्मान प्राप्त हो गया, व्यक्ति अपनी इच्छा से स्वतंत्र विचार रखकर धर्म And उसकी प्रथाओं का पालन या आलोचना कर सकता था।