भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण
भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण
- उच्च जन्म-दर
- घटती हुर्इ मृत्यु-दर
- अवैध प्रवास
- बढ़ता जीवन प्रत्याशा
- विवाह व सन्तानोत्पत्ति की भावना
- अशिक्षा And अज्ञानता
- बाल विवाह
- अंधविश्वास
- लडके की चाह मे लडResellerँ पैदा करना
1. जन्म-दर –
किसी देश में Single वर्ष में जनसंख्या के प्रति हजार व्यक्तियों में जन्म लेने वाले जीवित बच्चों की संख्या ‘जन्म-दर’ कहलाती है। जन्म-दर अधिक होने पर जनसंख्या वृद्धि भी अधिक होती है, भारत में जन्म-दर बहुत अधिक है। सन् 1911 में जन्म-दर 49.2 व्यक्ति प्रति हजार थी, लेकिन मृत्यु-दर भी 42.6 व्यक्ति प्रति हजार होने के कारण वृद्धि दर कम थी। उच्च जन्म-दर के कारण वृद्धि दर मन्द थी। सन् 1971 की जनगणना में जन्म-दर में मामूली कमी 41.2 व्यक्ति प्रति हजार हुर्इ, लेकिन मृत्यु-दर 42.6 व्यक्ति प्रति हजार से घटकर 19.0 रह गयी इसलिए वृद्धि दर बढ़कर 22.2 प्रतिशत हो गर्इ।
2. मृत्यु दर-
किसी देश में जनसंख्या के प्रति हजार व्यक्तियों पर Single वर्ष में मरने वाले व्यक्तियों की संख्या को मृत्यु दर कहतें हैं। किसी देश की मृत्यु दर जितनी ऊॅंची होगी जनसंख्या वृद्धि दर उतनी ही नीची होगी। भारत में सन् 1921 की जनगणना के According मृत्यु दर में 47.2 प्रति हजार थी, जो सन् 1981-91 के दशक में घटकर 11.7 प्रति हजार रह गयी Meansात् मृत्यु दर में 35.5 प्रति हजार की कमी आयी। अत: मृत्यु दर नीची हुर्इ तो जनसंख्या दर ऊॅंची हुर्इ। मृत्यु दर में निरन्तर कमी से भारत में वृद्धों का अनुपात अधिक होगा, जनसंख्या पर अधिक भार बढ़ेगा। जन्म दर तथा मृत्यु दर के अन्तर को प्राकृतिक वृद्धि दर कहा जाता है। मृत्यु दर में कमी के फलस्वReseller जनसंख्या में वृद्धि हो जाती है।
3. प्रवास-
जनसंख्या के Single स्थान से Second स्थान पर स्थानान्तरण को प्रवास कहते हैं। जनसंख्या की वृद्धि में प्रवास का भी प्रभाव पड़ता है। बांग्लादेश के सीमा से लगे राज्यों में जनसंख्या वृद्धि का Single बड़ा कारण प्रवास है त्रिपुरा, मेघालय, असम के जनसंख्या वृद्धि में बांग्लादेश से आए प्रवासी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, क्योंकि इन राज्यों में जन्म-दर वृद्धि दर से कम है। ऐसा माना जाता है कि भारत की आबादी में लगभग 1 प्रतिशत वृद्धि दर में प्रवास प्रमुख Reseller से उत्तरदायी है।
4. जीवन प्रत्याशा-
जन्म-दर And मृत्यु-दर के अन्तर को प्राकृतिक वृद्धि दर कहा जाता है। मृत्यु-दर में कमी के कारण जीवन प्रत्याशा में बढ़ोत्तरी होती है। सन् 1921 में भारत में जीवन प्रत्याशा 20 वर्ष थी जो आज बढ़कर 63 वर्ष हो गया है, जो वृद्धि दर में तात्कालिक प्रभाव डालता है। जीवन प्रत्याशा में बढ़ोत्तरी से अकार्य जनसंख्या में वृद्धि होती है।
5. विवाह And सन्तान प्राप्ति की अनिवार्यता-
हमारे यहॉं All युवक व युवतियों के विवाह की प्रथा है और साथ ही सन्तान उत्पत्ति को धार्मिक And सामाजिक दृष्टि से आदरपूर्ण माना जाता है।
6. अशिक्षा And अज्ञानता-
आज भी हमारे देश में अधिकांश लोग निरक्षर है। अशिक्षा के कारण अज्ञानता का अंधकार फेला हुआ है। कम पढे लिखे होने के कारण लोगो को परिवार नियोजन के उपायो की ठीक से जानकारी नहीं हो पाती है। लोग आज भी बच्चो को भगवान की देन मानते है। अज्ञानता के कारण लोगो के मन में अंधविश्वास भरा है।
7. बाल विवाह-
आज भी हमारे देश में बाल विवाह तथा कम उम्र में विवाह जैसी कुप्रथाएँ प्रचलित है। जल्दी शादी होने के कारण किशोर जल्दी माँ बाप बन जाते है। इससे बच्चे अधिक पैदा होते है। उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पडता है। कम उम्र में विवाहित होने वाले अधिकांश युवा आर्थिक Reseller से दूसरो पर आश्रित होते है तथा बच्चे पैदा कर अन्य आश्रितो की संख्या बढाते है। परिणामस्वReseller कमाने वालो की संख्या कम और खाने वालो की संख्या अधिक हो जाती है। अत: सरकार ने 18 वर्ष से कम उम्र में लडकियों की तथा 21 वर्ष से कम उम्र मे लडको की शादी कानूनन अपराध घोषित Reseller है।
8. अंधविश्वास-
आज भी अधिकांश लोगो का मानना है कि बच्च्े र्इश्वर की देन है र्इश्वर की इच्छा को न मानने से वे नाराज हो जाएंगे। कुछ लोगो का मानना है कि संतान अधिक होने से काम में हाथ बंटाते है जिससे उन्हे बुढापे में आराम मिलेगा। परिवार नियोजन के उपायो को मानना वे र्इश्वर की इच्छा के विरूद्ध मानते है। इन प्रचलित अंधविश्वास से जनसंख्या में नियंत्रण पाना असंभव सा लगता है।
9. लडके की चाह मे लडResellerँ पैदा करना-
लोग सोचते है कि लडका ही पिता की जायदाद का असली वारिस होता है तथा बेटा ही अंतिम संस्कार तक साथ रहता है और बेटियाँ परार्इ होती है। इससे लडके लडकियों में भेदभाव को बढावा मिलता है। बेटे की चाह में लडResellerँ पैदा करते चले जाते है। लडके लडकियो के पालन पोषण में भी भेदभाव Reseller जाता है। व्यवहार से लेकर खानपान में असमानता पार्इ जाती है। परिणामस्वReseller लडResellerँ युवावस्था या बुढापे में रोगो के शिकार हो जाती है। इसके अलावा कर्इ पिछडे इलाको तथा कम पढे लिखे लोगो के बीच मनोरंजन की कमी के कारण वे कामवासना को ही Only संतुष्टि तथा मनोरंजन का साधन समझते है जिससे जनसंख्या बढती है।
10. अन्य कारण-
हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि के अन्य भी कर्इ कारण हैं, जैसे- संयुक्त परिवार प्रथा, गरीबी, निम्न जीवन-स्तर व अशिक्षा आदि ऐसे अनेक कारण हैं जो जनसंख्या की वृद्धि में सहायक हो रहे हैं।