भारत छोड़ो आन्दोलन के कारण और परिणाम
भारत छोडो आन्दोलन के कारण-
- क्रिप्स मिशन से निराशा- Indian Customerों के मन में यह बात बैठ गर्इ थी कि क्रिप्स मिशन अंग्रेजों की Single चाल थी जो Indian Customerों को धोखे में रखने के लिए चली गर्इ थी । क्रिप्स मिशन की असफलता के कारण उसे वापस बुला लिया गया था ।
- बर्मा में Indian Customerों पर अत्याचार- बर्मा में Indian Customerों के साथ किये गए दुव्र्यवहार से Indian Customerों के मन में आन्दोलन प्रारम्भ करने की तीव्र भावना जागृत हुर्इ ।
- ब्रिटिश सरकार की घोषणा- 27 जुलार्इ, 1942 र्इ. को ब्रिटिश सरकार ने Single घोषणा जारी कर यह कहा कि कांग्रेस की मांग स्वीकार की गर्इ तो उससे भारत में रहने वाले मुस्लिम तथा अछूत जनता के ऊपर हिन्दुओं का आधिपत्य हो जाएगा । इस नीति के कारण भी आन्दोलन आवश्यक हो गया ।
- द्वितीय विश्व Fight के लक्ष्य के घोषणा- ब्रिटिश सरकार Indian Customerों को भी द्वितीय विश्व Fight की लड़ार्इ में सम्मिलित कर चुकी थी, परन्तु अपना स्पष्ट लक्ष्य घोषित नहीं कर रही थी । यदि स्वतंत्रता And समानता के लिए Fight हो रहा है तो भारत को भी स्वतंत्रता And आत्मनिर्णय का अधिकार क्यों नहीं दिया जाता ?
- आर्थिक दुर्दशा- अगेंजी सरकार की नीतियों से भारत की आर्थिक स्थिति अत्यन्त खराब हो गर्इ थी और दिनों-दिन स्थिति बदतर होती जा रही थी ।
- जापानी आक्रमण का भय- द्वितीय विश्व Fight के दारैान जापानी सेना रंगनू तक पहुंच चुकी थी, लगता था कि वे भारत पर भी आक्रमण करेंगी । Indian Customerों के मन में यह बात आर्इ कि अंग्रेज जापानी सेना का सामना नहीं कर सकेंगे ।
भारत छोडो आन्दोलन का निर्णय-
14 जुलार्इ., 1942 र्इ. मे बर्मा में कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में ‘भारत छोड़़ो प्रस्ताव’ पारित Reseller गया । 6 और 7 अगस्त, 1942 र्इ. को बम्बर्इ में अखिल Indian Customer कांग्रेस की बैठक हुर्इ। गाँधीजी ने देश में ‘भारत छोड़़ो आन्दोलन’ चलाने की Need पर बल दिया । गाँधीजी ने नारा दिया- ‘‘इस क्षण तुम में से हर Single को अपने को स्वतन्त्र पुरुष अथवा स्त्री समझना चाहिए और ऐसे आचरण करना चाहिए मानों स्वतन्त्र हो । मैं पूर्ण स्वतन्त्रता से कम किसी चीज से सन्तुष्ट नहीं हो सकता । हम करेंगे अथवा मरेंगे । या तो हम भारत को स्वतंत्र करके रहेंगे या उसके पय्रत्न में प्राण दे देगें ।’’, ‘‘करो या मरो ।’’
भारत छोड़ो आन्दोलन का आरम्भ और प्रगति-
8 अगस्त, 1942 र्इ. को ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पास हुआ और 9 अगस्त की रात को गांधीजी सहित कांग्रेस के समस्त बड़े नेता बन्दी बना लिए गये । गाँधीजी के गिरफ्तार होने के बाद अखिल Indian Customer कांगे्रस समिति ने Singleसूत्रीय कार्यक्रम तैयार Reseller और जनता को ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन में सम्मिलित होने के लिए आव्हान Reseller । जनता के लिए निम्न कार्यक्रय तय किए गये-
- आन्दोलन में किसी प्रकार की हिंSeven्मक कार्यवाही न की जाए ।
- नमक कानून को भंग Reseller जाए तथा सरकार को किसी भी प्रकार का कर न दिया जाए । अंग्रेजों द्वारा Indian Customerों के प्रति दुव्र्यवहार का विरोध ।
- सरकार विरोधी हड़तालें, प्रदर्शन तथा सार्वजनिक सभाएं करके अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश Reseller जाए ।
- मूल्यों में असाधारण वृद्धि, आवश्यक वस्तु उपलब्ध न होने के विरोध में ।
- पूर्वी बंगाल में आतंक शासन के खिलाफ ।
भारत छोड़ो आन्दोलन और सरकारी दमन-
अंग्रेजों ने प्रारम्भ में ही दमनकारी नीति अपनार्इ थी । आन्दोलन को कुचलने के लिए 9 अगस्त को ही कांग्रेस पार्टी को अवैध घोषित कर दिया गया । 9 अगस्त 1942 को प्रात: काल के First ही गांधीजी, मौलाना आजाद, कस्तरू बा गांधी, सरोजनी नायडू सहित कर्इ बड़े नेता गिरफ्तार कर लिये गये । जिला, तहसील, गांव स्तर में नेतृत्व के लिये कोर्इ नेता नहीं बचे । सामाचार पत्रों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया, जिससे अनेक पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन बंद हो गया, सभाओं और जुलूसों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया । सरकारी भवनों, डाकखानो, पुलिस स्टेशनों और रेलगाड़ियों को आग लगा दी जाती थी । शासन के सिर पर तो मानो खून ही सवार था, भीड़ देखते ही चाहे वे अहिंसक ही क्यों न हों, मशीनगनों से उन पर हमला Reseller जाता था । इससे लगभग 10 हजार लोग मारे गये थे ।
आन्दोलन की विफलता के मुख्य कारण
- आन्दोलन की न तो सुनियोजित तैयारी की गर्इ थी और न ही उसकी Resellerरेखा स्पष्ट थी, न ही उसका स्वReseller । जनसाधारण को यह ज्ञात नहीं था कि आखिर उन्हें करना क्या है ?
- सरकार का दमन-चक्र बहुत कठोर था और क्रान्ति को दबाने के लिए पुलिस राज्य की स्थापना कर दी गयी थी, फिर गांधीजी के विचार स्पष्ट नहीं थे ।
- भारत में कर्इ वर्गो ने आन्दोलन का विरोध Reseller ।
- कांग्रेस के नेता भी मानसिक Reseller से व्यापक आन्दोलन चलाने की स्थिति में नहीं थे ।
- आन्दोलन अब अहिंसक नहीं रह गया था । ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरूद्ध सशक्त अभियान था ।
भारत छोडो आंदोलन के महत्व तथा परिणाम
- ब्रिटिश सरकार ने हजारों Indian Customer आन्दोलनकारियों को बन्दी बना लिया तथा बहुतों को दमन का शिकार होकर मृत्यु का वरण करना पड़ा ।
- अंतर्राष्ट्रीय जनमत को इंग्लैण्ड के विरूद्ध जागृत Reseller । चीन और अमेरिका चाहते थे कि अंग्रेज भारत को पूर्ण Reseller से स्वतंत्र कर दें ।
- इस आंदोलन ने जनता में अंग्रेजों के विरूद्ध अपार उत्साह तथा जागृति उत्पन्न की ।
- इस आन्दोलन में जमींदार, युवा, मजदूर, किसान और महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया । यहां तक कि पुलिस व प्रशासन के निचले वर्ग के कर्मचारियों ने आंदोलनकारियों को अप्रत्यक्ष सहायता दी And आंदोलनकारियों के प्रति सहानुभूति दिखार्इ ।
- भारत छोड़ो आन्दोलन के प्रति मुस्लिम लीग ने उपेक्षा बरती, इस आंदोलन के प्रति लीग में कोर्इ उत्साह नहीं था । कांग्रेस विरोधी होने के कारण लीग का महत्व अंग्रेजों की दृष्टि में बढ़ गया ।
- यद्यपि भारत छोड़ो आन्दोलन को अन्य राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त नहीं हुआ, परन्तु स्थानीय स्तर पर कम्युनिस्टों आदि ने आंदोलन की मदद की । मुहम्मद अली जिन्ना की पाकिस्तान की माँग- अगस्त 1941 र्इ. में वाइसराय लार्ड लिनलिथगों ने Indian Customer नेताओं को Fight के बाद संविधान सभा बनाने का आश्वासन दिया किन्तु अल्पसंख्यकों को भी यह विश्वास दिलाया कि उनकी सम्मति के बगैर कोर्इ प्रणाली स्वीकार नहीं की जायेगी ।
सन् 1942 में क्रिप्स मिशन ने मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग को और अधिक प्रोत्साहित Reseller, क्रिप्स के प्रस्तावों से पृथक्करण शक्तियों को बढ़ावा मिला, जिन्ना अब मुसलमानों का Only प्रतिनिधि और पाकिस्तान का प्रतीक बन गया । अब कांग्रेस और मुस्लिम लीग के सम्बन्ध बहुत बिगड़ गये, मुस्लिम लीग अब पाकिस्तान के अतिरिक्त किसी भी बात पर समझौते के लिए तैयार नहीं थी, आगे चलकर अंग्रेजों ने भी पाकिस्तान निर्माण का समर्थन Reseller ।