बैंकिंग के कार्य And बैंकिंग खाते के प्रकार
यह शायद All आधुनिक बैंकों का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है ,जनता से जमा स्वीकार करना, जो बैंक की अन्य गतिविधियों का आधार हैं।Single बैंक की बड़ी शक्ति धन है, जिससे यह व्यापारी समुदाय की सहायता करता हैं, जो कि सावधि जमा, बचत खाता या चालू खाते के Reseller में हो सकती हैं। यह समस्त खाते बैंक के स्रोतों में वृद्धि करते हैं जो धन सावधि जमा में स्वीकार Reseller जाता है वह देय तिथि तक बिना जोखिम के इस्तेमाल Reseller जा सकता है And बचत खाता की दशा में बैंक इसकी बड़ी मात्रा प्रयोग में ला सकते हैं, क्योंकि इस प्रकार के खातों में ग्राहको की मांग अपेक्षाकृत कम होती है Single सप्ताह में ऐसे खातों में निकासी की मात्रा And संख्यापर भी प्रतिबंध रहता है। चालू खाता खोलने पर बैंक पूंजी ही नहीं वरन् अपने ग्राहकों को जमा मुद्रा भी प्रदान करता है, जो अन्य किसी भी प्रकार की मुद्रा से अधिक सुविधाजनक And किफायती होती है। बैंक लोगों से धन स्वीकार कर उनके धन को Safty प्रदान करता है। लेकिन यह धन Single मजबूत (Windows Hosting) कमरे में नहीं रखा जाता है। यह धन बैंक पर ऋण के Reseller में प्रतिस्थापित हो जाता हैं, जो जमाधन पर, जब तकवह उसके द्वारा जमा के Reseller में रखा जाता है, ब्याज देता हैं। अनुबंध की शर्तो के According क्लेम करने पर मूलधन ब्याज सहित वापिस कर दिया जाता हैं। यह कार्य, जो Single समय में बैंकिग व्यवसाय का मुख्य भागमाना जाता था, आधुनिक समय में विष्व के प्रमुख देशों में केन्द्रीय बैकिंग संस्थाओं द्वारा निभाया जा रहा हैं। सामान्यत: बैंक के लिए यह महत्वपूर्ण है कि महत्वपूर्ण देशों में चैक-मुद्रा को बड़े पैमाने पर बैंक-पत्र में बदल देते हैं। उदाहरणार्थ- इंग्लैण्ड And संयुक्त राज्य अमेरिका में बैंक नोट जो भूमिका अदा कर रहे थे वह अब कम महत्वपूर्ण होती जा रही है जबकि यूरोपियन देशों जैसे फ्रान्स,And जर्मनी मेंयह आज भी बहुत प्रचलित है, जहां चैकों द्वारा भुगतान के प्रचलन को बढ़ावा देने हेतूु गम्भीर प्रयास किए जा रहे हैं। बैंकों का यह कार्य महत्वपूर्ण ही नहीं वरन् अधिकांष बैंकों के लिए लाभ का मुख्य स्रोत भी है। जब Single बैंक Single बिल पर छूट पर Agree,या वचनपत्र के बदले में पूंजी देते हैं, यह अंतरण ऋण या छूट कहलाता हैं। अन्य मामले में बैंक भविश्यमें भुगतान के वादे के बदले ऋणी के निपटान को पूंजी देने पर Agree होता है। यह उन व्यक्तियों And संस्थाओं को सक्षम बनाता है,जो बड़े पैमाने पर अपने व्यापार को चलाने में अपनी पूंजी अपर्याप्त पाते हैं, बैंक से उधार ली गर्इ पूंजी की सहायता से वे ऐसा कर पाते हैं And वे इस प्रकार अपनी पूंजी का अधिक लाभयुक्त प्रयोग कर पाते है। इस प्रकार बैंक न केवल व्यापारियों की सहायता में सक्षम है वरन् अन्य की भी, जो बदले में , न केवल धन का अपने लाभ हेतु प्रयोग कर सकते हैं वरन समुदाय को भी लाभ पहुंचाते हैं। सामान्यत: आधुनिक बैंक अपने धन को उनकी शाखाओं पर आरहित ड्राफ्ट के माध्यम से या एजेण्ट द्वारा Single स्थान या देश से अन्य स्थान या देश में, बाहर भेजने की स्थिति में हैं। वे विनिमय पत्रों की खरीद द्वारा व्यापारियों And अन्य को Second शहरों And देशों में उनके देनदारों से धन प्राप्त करने में सक्षम भी बना सकते हैं। ये सुविधाएं न केवल विभिन्न देशों के आंतरिक व्यापार में सहायक हैं वरन अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में भी। यह स्पष्ट करना होगा कि महान प्रगति जो व्यापार और वाणिज्य ने की हैवह बदले बड़े पैमाने पर में विश्व के विभिन्न भागों में ओद्योगिक विकास के लिए उत्तरदायी है, असंभव सा है लेकिन बैंकों द्वारा प्रदान विनिमय की सुविधाओं के लिए।
बैंकिंग के विविध कार्य
उपरोक्त दिए गए महत्वपूर्ण कार्यों के अलावा आधुनिक बैंक, विविध सेवाएं भी प्रदान करते हैं : जैसे:-
- विभिन्न प्रकार के क्रेडिट जारी करना, जैसे-क्रेडिट पत्र, यात्री चैक, क्रेडिट कार्ड, और परिपत्र नोट;
- पूंजी मुद्दों की अंडर-राइटिंग;
- विनिमय पत्र की स्वीकृति, जिसके द्वारा बैंकर कमीशन के लिए बदले में अपने ग्राहक को अपना नाम उधार देते हैं;
- मूल्यवान वस्तुओं की Windows Hosting जमा;
- ग्राहकों के लिए निश्पादक And न्यासी का कार्य;
- ग्राहकों के लिए आयकर रिटर्न तैयार करना;
- ग्राहकों की ओर से गारंटी प्रदान करना, आदि।
बैंकिंग खाते के प्रकार
चालू खाते के मामले में जिसे मांग जमा भी कहा जाता है बैंकर उसकेनिमित्त आरहित All चैकों के भुगतान उसके का दायित्व लेता है जब तक कि वहां ग्राहक के क्रेडिट हेतु पर्याप्त धन रहता हैं। दूसरी ओर ग्राहक धन का भुगतान नगद, चैक, ड्राफ्ट, पोस्टल आर्डर, मनीआर्डर के Reseller में चालू खाते में करता है। यह भुगतान पर्ची (paying in slip) भरकर Reseller जाता हैं जिसे बैंक में या तो खुले Reseller में या गैंकर द्वारा पुस्तक के Reseller में दिया जाता हैं। ये भुगतान पर्ची (slip) ग्राहक द्वारा हस्ताक्षरित होती हैं, या इसके अभिकर्ता द्वाराजो उसी राशि का भुगतान इसमें करता है। जब ये पर्चियां पुस्तक के Reseller मेंहोती हैं उनमें काउंटरफॉइल होती है जिनमें बैंक का कैशियर नगद राशि प्राप्त करने के पष्चात रबर की मोहर लगाता है। इस मुद्रांकन का विधिक प्रभाव केवल रसीद है इस बात को प्रभाव देने के लिए कि पर्ची क्रम में है And राशि ग्राहक के खाते में जमा कर दी गर्इ हैं। यह Single प्राप्ति रसीद नहीं है जिसे रिवेन्यू स्टाम्प की Need हो़ती है अगर राशि स्टाम्प अधिनियम द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक होती है।
हालांकि चालू खाते मुख्यत: व्यापारी वर्ग के लिए हैं, बचत बैंक खाते व्यक्तियों के लिए धन Singleत्र करने, उसे बढ़ाने के लिए हैं। हालांकि चालू खातों कोर्इ ब्याज लागू नहीं है, ब्याज एस. बी. खातों पर अनुमत है And यह Indian Customer रिजर्व बैंक आफ द्वारा प्रसारित होता है। पहली बार Indian Customer रिजर्व बैंक आफ इण्डिया ने चैक सुविधा रहित बचत खातों और चैक सुविधा वाले बचत खातों में अंतर Reseller। चैक सुविधा रहित बचत खातों पर 5 प्रतिशत दर से बैंक ब्याज और चैक सुविधा वाले खातों पर 3 प्रतिशत दर से ब्याज दिया जायेगा। ये नर्इ ब्याज की दरें 1 जून 1977 से अस्तित्व में आर्इं। पुन: 01 मार्च 1978 को रिजर्व बैंक ने यह अंतर समाप्त कर दिया और एस. बी. खाते पर 4.5 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज निर्धारित Reseller, बिना इस बात के कि चैक सुविधा बढ़ार्इ गर्इ है या नहीं,ब्याज की गणना प्रत्येक केलेंडर माह के अन्तिम तिथि के First दस दिनों की अवधि के दौरान खाते में क्रेडिट न्यूनतम राशि पर की जाएगी। कोर्इ ब्याज देय न होगा अगर एस. बी. खाते के अन्तर्गतजमाएं प्रत्येक छमाही न्यूनतम 50 पैसा कमाने में असमर्थ रहती हैं। ब्याज का भुगतान केवल छमाही होगा सामान्यत: प्रत्येक वर्ष के मर्इ And नवम्बर के माह में। कुछ विशेष प्रकार के खाते होते हैं जो व्यक्तिगत या प्रोपराइटरी खातां से भिन्न होते हैं, जिन्हें न केवल खोलते समय कुछ देखभाल And ध्यान की Need होती है वरन उसके बाद भी।जैसे व्यक्तिगत And मालिकाना हक के खाते। ये सावधानियां जानी मानी हैं जो विशेष प्रकार के खातों के लिए ली जाती हैं। यह विशेष प्रकार के खाते जमा या उधार खाते हो सकते हैं लेकिन किसी भी मामले में विशेष प्रकार के खाते से संबंधित कुछ सिद्धांतों की जानकारी Single बैंकर को होनी चाहिए। खातों को विशेष प्रकार के खाते माना जा सकता है :-
- अव्यस्क/नावालिग का खाता
- पागल व्यक्ति का खाता
- नशा करने वाले का खाता
- दिवालिया का खाता
- संयुक्त खाता
- पति-पत्नी का संयुक्त खाता
- विवाहित स्त्री का खाता
- अविभाजित/संयुक्त हिन्दू परिवारकी फर्म का खाता