प्रजाति का Means, परिभाषा, निर्धारक तत्व And वर्गीकरण
‘प्रजाति’ Word को अनेक Meansो में प्रयुक्त Reseller जाता है। यूनानियों ने संपूर्ण Human जाति को ग्रीक अथवा यवनों में वर्गीकृत Reseller था, परन्तु इनमें से किसी भी समूह को प्रजाति नहीं कहा जा सकता। ‘प्रजाति’ Word को कभी-कभी राष्टींयता (nationality) का समानार्थक समझकर प्रयुक्त Reseller जाता है। उदाहरणतया, फ्रेंच, चीनी And जर्मनी को प्रजाति कहा जाता है। जर्मन And फ्रेंच राष्ट्रं हैं। सर्वश्री हक्सले और हैडेन आदि विद्वानों का विचार है कि राष्ट्रं और प्रजाति में कोई अंतर न मानने का ही फल है कि यूरोप में उग्र राष्ट्रंवाद हिंसक प्रजातिवाद के Reseller में व्यक्त हुआ। इसलिए राष्ट्रं की प्रजाति के Reseller में कल्पना करना उचित न होगा। कभी-कभी प्रजाति भाषा And धर्म का समानार्थक समझा जाता है। उदाहरणतया, आर्य प्रजाति Word के प्रयोग में। परन्तु आर्य नाम की कोई प्रजाति नहीं है, केवल आर्यभाषा है। किसी विशिष्ट भाषा का प्रयोग किसी की प्रजाति को निर्दिष्ट नहीं करता। हब्शी अंग्रेज़ी भाषा बोलते हैं, परन्तु इससे वे अंग्रेज नहीं बन जाते। कभी-कभी प्रजाति Word का प्रयोग त्वचा के रंग के आधार पर Humanों के वर्गीरकण को निर्दिष्ट करने हेतु Reseller जाता है, यथा श्वेत प्रजाति अथवा काली प्रजाति। परन्तु प्रजाति को त्वचा के रंग के साथ नहीं मिलाया जा सकता। कभी-कभी प्रजाति Word का व्यापक Means में प्रयोग Reseller जाता है, यथा हम All Human प्राणियों को सम्मिलित करके Human जाति Word का प्रयोग करते हैं।
प्रजाति की परिभाषा
ग्रीन (Green) के According, प्रजाति Single बड़ा जैविकीय Human-समूह है जिसमें अनेक विशेष आनुवंशिक लक्षण पाए जाते हैं, जो कुछ सीमा के अन्दर भिन्न होते हैं, भाषा And धर्म सांस्कृतिक अवधारणाएं हैं, अतएव उनके आधार पर प्रजाति जो जैविकीय अवधारणा है, कि परिभाषा नहीं की जा सकती। मनुष्यों के मध्य वंशीय भेद रक्त के कारण होते हैं। उन्हें वंशानुगत द्वारा जैविकीय माध्यम से आंख, त्वचा And केश के रंग जैसी शारीरिक विशेषताओं के साथ-साथ प्राप्त Reseller जाता है। ‘प्रजाति’ Word से Humanशास्त्रियों का Means व्यक्तियों के ऐसे समूह से है जिसमें सामान्य वंशानुगत लक्षण पाए जाते हैं तथा जो उन्हें अन्य समूहों से विभेिकृत कर देते हैं। बीसंज (Biesanz) के According, प्रजाति मनुष्यों का विशाल समूह है जो वंशानुगत प्राप्त शारीरिक अन्तरों के कारण अन्य समूहों से भिन्न है। यह Human जाति के Single उपभाग का बोध् कराती है जिसके सदस्यों में कुछ समान आनुवांशिक शारीरिक विशेषताएं पाई जाति हैं तथा जो उन्हें अन्य उपभागों से अलग कर देती हैं। लिंटन (Linton) के According, प्रजाति में अनेक नस्लें होती हैं जिनमें कुछ शारीरिक विशेषताएं पाई जाती हैं। यह व्यक्तियों का संग्रह है जो जैविकीय आनुवंशिकता द्वारा हस्तांतरणीय कुछ समान प्रेक्षणीय लक्षणों के भागी होते हैं। मैकाइवर (MacIver) ने लिखा है, जब ‘प्रजाति’ Word का ठीक प्रयोग Reseller जाता है तो उससे Single जैविक श्रेणी सूचित होती है। उससे जनन की दृष्टि से विभेिकृत Human-कुल Single-Second के प्रति अपनी विभिन्नताओं के लिए ऋणी, प्रधान Human-प्रReseller तथा पैतृकता के दूरस्थ पृथकपरण सूचित होते हैं,पाल ए. एफ. (Paul, A.F.) के According, फ्प्रजाति Human प्राणियों का Single विशाल विभाग है जो अन्य से सापेक्षतया कुछ स्पष्ट शारीरिक विशेषताओं द्वारा विभेिकृत है जो विशेषताएं वंशानुगत समझी जाती हैं तथा जो अपेक्षाकृत अनेक पीढ़ियों तक स्थिर रहती हैं, प्रोफेंसर डन (Dunn) के According, प्रजाति यां Single ही जाति मेधवी Human के अंदर जैविकीय उपसमूह हैं जिसमें संपूर्ण जाति में सामान्य Reseller से प्राप्त समान आनुवंशिकता से भिन्न विशेषताएं मिलती हैं। ए. एल. वेबर (A. L. Krdzeber) के According, प्रजाति Single वैध जैविकीय अवधारणा है। यह आनुवंशिकता द्वारा संयुक्त Single समूह, जाति अथवा जननिन उपजाति है। हाबेल (Hdzebel) के According, प्रजाति विशिष्ट जननिक रंचना के फलस्वReseller उत्पन्न होने वाले शारीरिक लक्षणों का Single विशिष्ट संयोग रखने वाले अन्त:सम्बिन्ध्त मनुष्यों का Single वृहत् समूह है। मजूमदार (Mazumdar) के According, व्यक्तियों के समूह को उस समय प्रजाति कहा जाता है, जब इसके All सदस्यों में कुछ समान महत्वपूर्ण शारीरिक लक्षण पाए जाते हैं जो आनुवंशिकता के माध्यम द्वारा वंशानुगत Reseller से हस्तांतरित होते हैं।,
Single प्रजाति को दूसरी प्रजाति से भिन्न करने वाले लक्षण आनुवंशिक होते हैं तथा पर्यावरण में परिवर्तन के बावजूद भी सापेक्षतया स्थिर रहते हैं। इसके अतिरिक्त ये लक्षण Single वृहत् समूह में सामान्य होने चाहिए। Single ऐसे परिवार को, जिसमें कुछ भिन्न आनुवंशिक लक्षण पाए जाते हैं, प्रजाति नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह अत्यधिक छोटा समूह है। परन्तु यदि इस परिवार का विस्तार हो जाए, और यह किसी भौगोलिक क्षेत्र में फेंल जाए तो इसे प्रजाति कहा जा सकता है। कुछ लेखकों का विचार है कि प्रजाति की जैविकीय व्याख्या यथेष्ठ नहीं है। प्रजाति को वंशानुगतता पर आधरित करना गलत है, क्योंकि प्रजातियां अधिकतया वर्णसंकर रही हैं। अतएव इस Word का प्रयोग जननिक Means में Reseller जाना चाहिए। पैनीमान (Penniman) के According, प्रजाति Single जननिक वर्ग है, जिसमें अनेक अनिश्चित And पारस्परिक संबंधित जननिक विशेषताएं होती है, जिनके आधार पर इसे Second वर्गो से पृथक Reseller जा सकता है। हक्सले भी प्रजाति के जैविकीय Means से Agree नहीं है। वह ‘प्रजाति’ Word के स्थान पर ‘नृवंशीय समूह’ (ethiicgroup) का प्रयोग करना चाहता था। लापियर, हडसन And गेटिस ने भी ‘प्रजाति’ Word के स्थान पर ‘नृवंशीय समूह’ Word का प्रयोग Reseller है।
हार्टन And हंट (Horton and Hunt) के According, प्रजाति को केवल जैविकतया भिन्न समूह के Reseller में परिभाषित करना उचित नहीं है। उनके According यह सामाजिक Reseller से महत्वपूर्ण संकल्पना भी है। अतएव वे ‘प्रजाति’ Word की परिभाषा इस प्रकार करते हैं कि यह Second समूहों से आनुवंशिक शारीरिक विशेषताओं में कुछ भिन्न व्यक्तियों का समूह है, परन्तु प्रजाति लोकप्रिय सामाजिक परिभाषा द्वारा भी तत्वत: निर्धारित होती है। इस प्रकार कोई व्यक्ति नीग्रो है अथवा नहीं, यह इस तथ्य पर निर्भर करता है कि क्या लोग उसे ऐसा समझते हैं न कि उसके बालों की आकृति, सिर के आकार अथवा त्वचा के अधिक कालेपन पर। क्या कोई व्यक्ति नीग्रो है अथवा नहीं, यह इस बात से निर्धरित होता कि क्या उसकी नीग्रो आनुवंशिकता है। प्रजाति व्यक्तियों का वृहत् समूह है जिसमें वंशानुगत हस्तांतरण के कारण विशिष्ट शारीरिक समानता पाई जाती है।
प्रजाति के निर्धारक तत्व
प्रजाति के निर्धरण में शारीरिक लक्षणों पर ध्यान दिया जाता है, परन्तु बहुधा यह निश्चित करना कठिन होता है कि लक्षणों की विभिन्नताएं आनुवंशिकता के कारण हैं, पर्यावरणीय परिवर्तनों के कारण नहीं। महत्वपूर्ण शारीरिक लक्षण जिन पर ध्यान दिया जाता है,
- सिर, मुख And शरीर पर केशों का प्रकार, रंग And विभाजन। केशों के प्रकारों को 1. कोमल सीधे केश जैसे मंगोल And चीनी लोगों के, कोमल घुंघराले केश, जैसे भारत पश्चिमी यूरोप, आस्टेंलिया And उत्तरी-पूर्वी अनीका के निवासियों के, तथा
- घने घुंघराले केश जैसे नीग्रो लोगों के, में श्रेणीबद्ध Reseller गया है।
- 2. शरीर, कद, वक्ष And कंधें का व्यास।
- सिर की बनावट, विशेषतया कपाल And मुख की लम्बाई तथा चौड़ाई, नाक की लम्बाई And चौड़ाई। सिरों के तीन भेद किए गए हैं 1. दीर्घ कपाल (dalichocepalic). 2. मध्य कपाल (mesocephalic) And 3. पृथु कपाल (brachy-cephalic)।
- मुखाकृति की विशेषताएं, यथा नासिका की बनावट, ओष्ठ की बनावट, पलकों की बनावट, कपोल की हड्डियां, ठोड़ी, कान And जबड़ों की बनावट। नासिकाओं के तीन भेद किए गए हैं 1. पतली या लम्बी नासिका (leptorhine), 2. मध्य या चपटी नासिका (mesorrhine) And 3. चौड़ी नासिका (platyrrhine)। 5. त्वचा And आंखों का रंग। त्वचा के रंग के तीन भेद किए गए हैं 1. गोरा रंग (leucoderm), 2. पीला रंग (xanthoderm) And 3. काला रंग (melanoderm)।
- भुजाओं And टांगों की लम्बाई।
- रक्त-प्रकार। रक्त चार प्रकार का होता है, O, A , B And AB A O प्रकार के रक्त को A, B And AB से मिलाया जा सकता है, परन्तु अन्य तीनों को Single-Second के साथ साधरणतया संयुक्त नहीं Reseller जा सकता।
प्रजातियों का वर्गीकरण
प्रजाति के आधार पर कुछ शारीरिक विशेषताओं के According लोगों को वर्गीकृत Reseller गया है। सामाजिक समूहों के सदस्य त्वचा के रंग, सिर की बनावट And अन्य प्रेक्षणीय अन्तरों के विषय में भिन्न होते हैं। Humanशास्त्रियों ने अनेक प्रकार के वर्गीकरण प्रस्तुत किए हैं जो Single-Second से काफी भिन्न हैं। लिनीयस (Linnaeous) And क्यूवीर (Cuvier) ने Human-समूह को छ: प्रजातियों में बांटा था। हीकेल (Heakel) ने चौंतीस प्रजातियों को गिनाया है। आर्थर कीथ (Arthur Keith) ने चार वर्गो का वर्णन Reseller है। आधुनिक काल में जी. इलियट स्मिथ ने छ: प्रजातियों में Human जाति को विभक्त Reseller है। सरगी (Sergi) ने Human जाति को यूर-अफ्रीकन (Eurafrican) And यूरेशियन (Eurasian) में विभक्त Reseller है। कुछ Humanशास्त्री हक्सले के वर्गीकरण को अपनाते हैं जिसने पांच प्रजातियों, Meansात् नीग्रायड (Negroid), आस्टेंलायड (Australoid), मंगोलायड (Mongoloid), जैन्थोवयड (Xanthochroid) And मेलोनोवयड (Melanochroid) का History Reseller है। कुछ लेखकों ने चार प्रजातियों, यथा काकेशियन (Causcasian), मंगोल (Mangol), नीग्रो (Negro) तथा आस्टेंलियन (Australian) का History Reseller है, And काकेशियन को नार्डिक (Nordic) तथा आस्टेंलियन (Australian) का History Reseller है, And काकेशियन को नार्डिक (Nordic), अल्पाइन (Alpine) And भूमध्यसागरीय (Medierranean) में उपविभाजित Reseller है।
वंशावलिक वर्गीकरण (Genealogical classification) इस प्रकार Humanशास्त्रियों में इस विषय पर कोई सहमाति नहीं है कि प्रजातियों को किस प्रकार वर्गीकृत Reseller जाए। प्रजाति की उचित अवधारणा And इसके उचित आधारों के अभाव के कारण प्रजातियों के उतने ही वर्गीकरण हैं, जितने लेखक। डैनीकर (Denikar) ‘प्रजाति’ Word की वर्तमान जनसंख्या में वास्तविक Reseller से मिलने वाले लक्षणों के समूह के Means में व्याख्या करता है। दूसरी और, रिपले (Ripley) ने आदर्श प्रकारों जो किसी समय विशुद्ध Reseller में वर्तमान समझे जाते हैं को खोजन का प्रयत्न Reseller है। अनेक लेखक विभिन्न प्रजातियों की Single-Second के साथ समानताएं खोजने तथा उस आधार पर आनुवंशिक वर्गीकरण के प्रयास को निराशापूर्ण समझते हैं। इस प्रकार फिशर (Fischer), मेटीगका (Matiegka) And मारटन (MUurtan) ने वंशावलिक वर्गीकरण के प्रयत्न का परित्याग कर दिया। श्री हैडन (Haddon) ने स्पष्ट उल्लिखित Reseller है कि उसका वर्गीकरण वह वर्गीकरण नहीं हैं, जिस Means में प्राणिशास्त्री And वनस्पतिशास्त्री इस Word की व्याख्या करते हैं, क्योंकि इस वर्गीकरण में भौगोलिक बातों को सम्मिलित Reseller गया है। प्रजाति-प्रकार मुख्यत: हमारे मस्तिष्क में वर्तमान होती है। वह अन्य स्थान पर लिखता है कि Humanता का प्रजातियों में स्थिर वर्गीकरण का कार्य असम्भव है।
कोई विशुद्ध प्रजाति नहीं है (NO pure race) भौतिक Humanशास्त्रियों की कठिनाई यह है कि व्यक्तियों में उस प्रजाति, जिससे वे सम्बिन्ध्त हैं, के All लक्षण वर्तमान नहीं होते। प्रजाति की अवधारणा पूर्णतया स्पष्ट And निश्चित नहीं होते। प्रजाति की अवधारणा पूर्णतया स्पष्ट And निश्चित नहीं है तथा न ही यह हो सकती है। मनुष्य सदैव प्रवास करता आया है, जनजातियों And राष्टींयताओं ने इस भूमंडल पर प्रयाण And प्रतियान Reseller है, लोगों ने अपरिचितों के साथ यौन सम्बन्ध रखे हैं, जिसने संकरण सार्वभौमिक बन गया है। प्रजातीय लक्षण Human जाति के विभिन्न समूहों में व्यापक Reseller से मिश्रित है। इस विषय पर संदेह हो सकता है कि क्या History में कभी कोई विशुद्ध प्रजाति रही है। डन And डाबझैंस्की (Dunn and Dobzhansky) ने लिखा है, सम्पूर्ण लिखित History में प्रजाति-मिश्रण वर्तमान रहा है। Human-अवशेषों के अध्ययन से प्राप्त अकाट्य साक्ष्य दर्शाता है कि प्रागैतिहासिक काल में भी Humanता के उद्भव के समय विभिन्न नस्लों का मिश्रण होता था। Human जाति सदैव संकर रही है और अब भी है। प्रोफेंसर फ्लीर (Fleure) के According, ब्रिटेन में अधिकांश लोग बीच के लोग हैं, न कि पूर्णतया Single अथवा दूसरी प्रकार के। प्रजाति-संकरता के इस तथ्य के कारण वर्गीकरण की किसी योजना पर Agree होना कठिन है।
Single महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रजातीय वर्गीकरण सामाजिक संCreation अथवा संस्कृति प्रतिमानों के साथ सहसम्बन्ध नहीं हैं। कपोल की ऊची हड्डियों का लाल भूरी त्वचा से कुछ सम्बन्ध हो सकता है, काले-भूरे बालों का भूरी-काली त्वचा से सम्बन्ध है। परन्तु इनमें से किसी को बुद्धि अथवा जाति संCreation, अथवा गायन योग्यता अथवा ईश्वर में आस्था अथवा बहुपत्नी प्रथा अथवा अन्य किसी सामाजिक विशेषता से सम्बद्ध नहीं Reseller जा सकता। आनुवंशिक शारीरिक विशेषतायें जिनके आधार पर प्रजातियों का वर्गीकरण Reseller जाता है, वे सामाजिक व्यवहार के साथ सम्बिन्ध्त नहीं हैं।
इसके अतिरिक्त कुछ वर्गीकरण सहायक होने की अपेक्षा हानिकारक अधिक सिद्ध हुए हैं, क्योंकि उन्होंने व्यक्तियों को यह मान लेते में प्रोत्साहित Reseller है कि कुछ प्रजातियां अन्य से मानसिकतया श्रेष्ठ हैं तथा शारीरिक लक्षणों And बुद्धि में परस्पर सम्बद्ध हैं। परन्तु जैसा हम बाद मे वर्णन करेंगे, ऐसी मान्यता बहुध ठीक नहीं होती। परन्तु इसका Means यह भी नहीं है कि Human जाति को शारीरिक लक्षणों के आधार पर वर्गीकृत करने के कोई प्रयत्न नहीं किए जाने चाहिए।
तीन मुख्य प्रजातियां (Three main races) प्रजातियों का नीग्रो, मंगोलायड And काकेशियन में वर्गीकरण सामान्यत: स्वीकृत Reseller गया है। यद्यपि उनको पृथक करने वाली स्पष्ट रेखाएं नहीं हैं, तथापि प्रत्येक प्रजाति के कुछ विशिष्ट लक्षण हैं जो इसके All सदस्यों में पाए जाते हैं। नीग्रो लोगों की त्वचा काली, जबड़े आगे की और, चौड़ी नासिका तथा घुंघराले केश होते हैं। इसमें मलेनेशियन लोग भी सम्मिलित हैं जिनकी त्वचा कुछ हल्की एंव नासिका नीग्रो समूह से कुछ भिन्न होती है। मंगोल प्रजाति की त्वचा का रंग पीला-सा अथवा ताम्र-गेहुंआ-सा होता है। इनके होंठ साधरणतया मोटे और ठोढ़ी गोल होती हैं। आंखें अधखुली होती हैं तथा उनका रंग बादामी या गहरा बादामी होता है। इस समूह में अमेरिकन इंडियन्स सम्मिलित हैं। कुछ Humanशास्त्री श्वेत जाति को पृथक प्रजाति मानते हैं, जबकि अन्य इस मंगोल प्रजाति की उपशाखा ही मानते हैं। काकेशियन प्रजाति में पूर्वोक्त दोनों प्रजातियों के लक्षण धुले-मिले हैं। इन तीन प्रजातीय भागों को उपप्रजातियों में विभक्त Reseller गया है, यद्यपि इन उपप्रजातियों प्रजाति की उपप्रजातियां कहा जाता है।
भारत में प्रजातियां (Race in India) सर हर्बर्ट रिजले (Sir Herbert Risley) के According भारत में Seven प्रजातियों के प्रकार मिलते हैं
- द्रविड़ीय-पूर्व प्रकार (Pre-Dravidian type) जो पहाड़ियों And वनों में आदिम जनजातियों में अब भी वर्तमान है, यथा भील।
- द्रविड़ियन प्रकार (Dravidian type) जो गंगा घाटी तक दक्षिण प्रांयद्वीप में आवासी हैं।
- इंडो-आर्यन प्रकार (Indo-Aryan type) जो काश्मीर, पंजाब And राजपूताना में है।
- आर्य-द्रविड़ियन प्रकार (Aryo-Dravidian type) जो गंगा घाटी में पाई जाती है।
- साइथो-द्रविड़ियन प्रकार (Cytho-Dravidian type) जो सिंध कू पूर्व में स्थित है।
- मंगोलायड प्रकार (Mongoloid type) जो आसाम And पूर्वी हिमालय की तराइयों में पाई जाती है।
- मंगोल-द्रविड़ियन प्रकार (Mongolo-Dravidian type)।
हटन (Hutton) के मतानुसार, नेग्रिटो (Negrito) प्रजातियां सम्भवत: भारत की मौलिक वासी थीं। तत्बाद प्रोटो-आस्टेंलायड प्रजातियों का आगमन हुआ, जिनके पूर्वज फिलिस्तीन में थे। उसके उपरांत भूमध्यसागरीय प्रजाति आई। 4,000 ईसापूर्व इंडो-आर्यन प्रजाति भारत में आई।
प्रजाति-पूर्वाग्रह
यहां पर हम प्रजाति-पूर्वाग्रह अथवा प्रजाति-भेदभाव के प्रश्न पर विचार करेंगे, जिसने Human जाति को विरोधी गुटों में विभक्त कर दिया है। Single प्रजाति द्वारा दूसरी प्रजाति पर काफी अत्याचार Reseller जाता है, यथा प्रजाति दासता में मनुष्य की मनुष्य के प्रति दानवता प्रजाति पर अधिकांशतया आधरित होती है। अधिकारों, अवसरों And प्रस्थिति के बारे में किसी प्रजाति के विरुद्ध गंभीर भेदभाव Reseller जाता है।
पूर्वाग्रह Single मनोवृत्ति है जो व्यक्ति को किसी समूह अथवा इसके व्यक्तिगत सदस्यों के प्रति अनुकूल अथवा प्रतिकूल ढंग से विचारने, विरचने, अनुभव करने And कार्य करने के लिए प्रवृत करती हैं।
पूर्वाग्रह का Means है पूर्व-निर्णय करना। हम अपनी भावनाओं के प्रभाव में बिना विवेकयुक्त विचार के शीघ्र ही पूर्वनिर्णय कर लेते हैं। तीव्र भावना विचार को कुंठित कर देती है And हमें अंध्विश्वास की और प्रेरित करती है। Single बार पूर्वाग्रह की स्थापना हो जाने पर वास्तविक तथ्य भी इसे दूर नहीं कर पाते। पूर्वाग्रह किसी व्यक्ति को Second व्यक्ति अथवा समूह के प्रति तीव्र Reseller से अनुकूल अथवा प्रतिकूल बना देता है। पूर्वाग्रह भेदभाव से भिन्न है। भेदभाव व्यक्तियों के बीच विभेदक व्यवहार है। यह साधरण Reseller से पूर्वाग्रह की स्पष्ट अथवा व्यावहारिक अभिव्यक्ति है, परन्तु यह पूर्वाग्रह के बिना भी प्रकट हो सकता है। प्रजाति-पूर्वाग्रह इस मान्यता पर आधरित है कि नृवंशीय अन्तर रक्त के अंतर के कारण है तथा ऐसे अन्तर शारीरिक लक्षणों, यथा आंख, त्वचा And केश के रंग की भांति जैविकतया हस्तांतरित होते हैं परन्तु जैसा ऊपर described Reseller गया है कि यह विचार कि कुछ प्रजातियां मानसिक Reseller से अन्य प्रजातियों से कुछ विशिष्ट जैविक लक्षणों के कारण श्रेष्ठ हैं, अभी तक प्रमाणित नहीं हुआ है। यदि All प्रजातियां जैविक Reseller में समान उत्पन्न हों तब भी प्रजाति-पूर्वाग्रह समाप्त नहीं होगा। प्रजातियों में तब भी संघर्ष होंगे, ठीक उसी प्रकार जैसे राष्टांें के बीच Fight होते हैं।
प्रजातीय पूर्वाग्रह जन्मजात नहीं है
अतएव First ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि प्रजाति-पूर्वाग्रह जन्मजात नहीं होता। बालक किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रह को लेकर जन्म नहीं लेता। हम बहुध बच्चों को दूसरी प्रजातियों के बच्चों के साथ बिना किसी पूर्वाग्रह अथवा भेदभाव के खेलते देखते हैं। पूर्वाग्रह सामाजिक शिक्षा (indoctrination) का परिणाम है जो विश्वासों And मनोवृत्तियों को इस प्रकार उत्पन्न कर देती है कि वे अभ्यस्तता की प्रक्रिया द्वारा सुदृढ़ Reseller धरण कर लेते हैं। बच्चा पूर्वाग्रह को धीरे-धीरे प्राप्त करता है। यह समाजीकरण की प्रक्रिया की उपज है जहां ‘मेरा’ ‘हमारा’ बन जाता है तथा बालक अपने समूह के सदस्यों को Second व्यक्तियों से प्रत्येक क्षेत्र में श्रेष्ठ समझने लगता है। वह Second व्यक्तियों को श्रेष्ठता-हीनता के Wordों में विभेिकृत And मूल्यांकित करता है And उनके प्रति जो उसके पूर्वाग्रहों में भागी हैं, अनपाुराग And निष्ठा रखने लगता है। अतएव समूह-पूर्वाग्रह जन्मजात नहीं है, अपितु शिक्षाजनित है। कभी-कभी पूर्वाग्रह के बीच बालक के प्रारम्भिक जीवन में ही बो दिए जाते हैं जिससे वह जन्मजात दिखलाई देता है, परन्तु वस्तुत: यह अर्जित होता है। पूर्वाग्रह के कारणों का वर्णन है
- आर्थिक लाभ (Economic advantages) प्रजाति-पूर्वाग्रह का Single महत्वपूर्ण कारण आर्थिक लाभ है जो कुछ परिस्थितियों में प्रभुत्वशाली समूह को प्राप्त होता है। प्राचीन यूनान And रोम में कुलीन वर्ग ने दासों के हितों को बलिदान कर समृद्ध प्राप्त की, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में दक्षिणी राज्यों के नीग्रो ने विस्तारशील Means-व्यवस्था को सस्ता श्रम प्रदान Reseller। इन व्यक्तियों को हीन समझा जाता था, अतएव इन्हें निम्न पद दिए जाते थे जिनसे उ।ति की कोई आशा नहीं थी। ये हीन जनजाएं प्रतिष्ठा की निचली सीढ़ियों पर रह जाती हैं और समान कार्य के लिए समान वेतन, समान शिक्षा, सार्वजनिक सुविधओं के समान उपयोग से वंचित होकर स्वतंत्र समूह बन गई। इन अधिकारों And सुविधओं के प्रतिरोधन का समर्थन इस आधार पर Reseller जाता था कि वे हीन व्यक्ति है, अतएव कम पात्र हैं। उनके लिए कुछेक व्यवसाय, जहां तक कि योग्य And प्रशिक्षित व्यक्तियों के लिए भी, प्रतिबंध्ति थे। पृथकपरण And विभेदीकरण से नीग्रो जाति में निहित व्यावसायिक हित का उत्थान हुआ जो गोरे नियोक्ताओं के आर्थिक हितों के अनुReseller भी था।
- राजनीतिक लाभ (Pdzlitical advantages) कभी-कभी प्रभुत्वशाली समूह अपनी राजनीति सर्वोच्चता को सुदृढ़ करने अथवा स्थिर रखने के लिए भी प्रजाति-पूर्वाग्रहों को प्रोत्साहित करता है। दक्षिणी अफ्रीका का में Indian Customerों, तथाकथित काले लोगों को मतदान And सार्वजनिक पद के अधिकार से वंचित रखा गया है, ताकि गोरे लोगों की राजनीतिक शक्ति स्थिर रहे। संयुक्त राज्य के कुछ राज्यों में भी ऐसा ही व्यवहार नीग्रो लोगों के साथ Reseller जाता है। राजनीतिक नेता उसी सीमा तक शक्ति प्राप्त करते हैं जहां तक वे मतदाताओं के आदर्श नियमों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे व्यक्तियों जो इन आदर्श नियमों का समर्थन नहीं करते, के निर्वाचित होने की संभावना नहीं होती। इस प्रकार जब इन नेताओं को शक्ति प्राप्त हो जाती है तो वे स्थिति को ज्यों का त्यों रखने हेतु और अधिक प्रभाव प्रयुक्त करते हैं। दक्षिणी अमेरिका के पृथकवादी नेताओं के हितों की संतुष्टि नीग्रो के प्रति प्रजाति-पूर्वाग्रहों को स्थिर रखने से होती है।
- संजाति-केन्द्रीयता (Ethnocentrism) संजाति-केन्द्रीयता वह भावना है जिसके द्वारा देशीय लोग विदेशियों से घृणा करते हैं And स्वयं को श्रेष्ठ समझते हैं। जब यह भावना चरम सीमा पर पहुंच जाती है तो उग्र राष्टींयता को जन्म देती है जिसमें व्यक्ति अपने देश के प्रति तर्कहीन And उच्छृंलन अहं तथा विदेशी राष्टांे के प्रति घृणा दिखलाते हैं। संजाति-केन्द्रीयता का Single प्रसिद्ध उदाहरण चीन के सम्राट् चाइन लुंग (Chien Lung) के द्वारा इंग्लैड के King जार्ज-तृतीय को 1793 में भेजे गए संदेश में मिलता है। संदेश में लिखा था तुम, अरे King, अनेक समुद्रों के पार रहते हो, तथापि तुमने हमारी सभ्यता के लाभों से भाग लेने की विनम्र आकांक्षा से संप्रेरित होकर सादर Single प्रतिनिधि मंडल अपने अभ्यावेदन सहित भेजा है।, यदि तुम्हारा विचार है कि हमारे अलौकिक राजकुल के प्रति तुम्हारी श्रण ने हमारी सभ्यता सीखने की आकांक्षा उत्पन्न की है तो मैं यह बतला देना चाहता हूं कि हमारे संस्कार And नियमावलियां तुम्हारे से पूर्णतया इतने विभिन्न हैं कि यदि तुम्हारा राजदूत हमारी सभ्यता की आरम्भिक बातें भी प्राप्त कर सके, तो तुम हमारे रीति-रिवाजों And जीवन-वििध्यों को अपनी विदेशी भूमि पर संभवत: प्रतिरोपित नहीं कर सकते। हमारे राजकुल के गौरक्रमय गुण इस आकाश के नीचे प्रत्येक देश में प्रवेश कर चुके हैं तथा All राष्टांें के Kingओं ने समुद्री And भूमि मार्ग से अपनी बहुमूल्य श्रणंजलियां भेजी हैं। तुम्हारा राजदूत स्वयं देख सकता है कि हमारे पास All वस्तुएं हैं। मैं विदेशी अथवा अजनबी वस्तुओं को कोई महत्व नहीं देता And तुम्हारे देश की निर्मित वस्तुओं का हमारे लिए कोई उपयोग नहीं है।
- निराशा की क्षतिपूर्ति (Compensation for frustration)- कभी-कभी अल्पसंख्यक समूह को सामाजिक And आर्थिक अशांति के लिए दोषी समझा जाता है And उसे प्रभुत्वशाली समूह द्वारा अजमेध (scapegoat) बनाया जाता है जिससे इस समूह को अपनी सामाजिक अथवा व्यक्तिगत निराशा, जिसका कारण संभवत: King समूह की अकुशलता अथवा बेईमानी हो सकती है, कि क्षतिपूर्ति मिल जाती है। जर्मनी में नाजियों ने First विश्वFight में जर्मन की पराजय के लिए यहूदियों को दोषित Reseller। अमेरिका में नीग्रो, रोमन-केथोलिकों And सामान्यतया विदेशियों को सामाजिक व्यवस्था में होने वाले दोषी घोषित Reseller जाता है। इन व्यक्तियों को सामाजिक विघटन का कारण अथवा देश की सामाजिक And आर्थिक स्थिरता के लिए भय समझा जाता है। यहूदियों को विशेषतया ऐसी दु:खद प्रसिण् िप्रदान की गई है। इसके जो कुछ भी कारण रहे हों, यह कथन विवेकयुक्त होगा कि उन्हें जबकि देश में उनकी अल्पसंख्या है, सामाजिक विघटन का कारण नहीं समझा जा सकता। वस्तुत: अपनी असफलताओं के लिए स्वयं की अकुशलता को दोषी न ठहरा कर किसी अन्य समूह जिसे हीन, तुच्छ And निर्लज्ज समझा जाता है, के व्यक्तियों की साजिशों And चालों को दोष देना Humanीय स्वभाव है।
- उचित शिक्षा का अभाव (Lack of propere ducation)- यह प्रजाति-पूर्वाग्रह का सबसे महत्वपूर्ण कारण है। जैसा ऊपर described Reseller गया है, प्Kingति-पूर्वाग्रह जन्मजात नहीं होता, अपितु शिक्षाजनित होता है। शिक्षा व्यक्ति में पूर्वाग्रह-मनोवृत्तियों को जन्म दे देती है। जैसे व्यक्ति सामाजिक विरासत के अन्य तत्वों को प्राप्त करता है, वह पूर्वाग्रह को भी प्राप्त कर लेता है। सोवियत रूस में नवयुवक को प्रत्येक ऐसे व्यक्ति से जो साम्यवाद मे विश्वास नहीं करता, घृणा करना सिखाया जाता है। इस प्रकार बाल्यावस्था से ही कुछ समूहों के बारे में प्रतिकूल रूढ़िबद्ध प्रResellerों का निर्माण हो जाता है। व्यक्तियों को उनके वैयाक्तिक गुणों के आधार पर संबोधित नहीं Reseller जाता, अपितु उस नाम से संबोधित Reseller जाता है, जिससे आधार पर संबोधित नहीं Reseller जाता, अपितु उस नाम से संबोध्ति Reseller जाता है, जिससे उनके समूह को नििकृत Reseller जाता है। रोस (Rose) का कथन है कि रूढ़िबद्ध, प्रReseller अल्पसंख्यक समूह के कूछ सदस्यों में वर्तमान कुछेक शारीरिक लक्षणों अथवा सांस्कृतिक विशेषताओं की अतिशयोक्तियां होते हैं जिन्हें समूह के All सदस्यों पर आरोपित कर दिया जाता है। ये रूढ़िबद्ध प्रReseller अन्य व्यक्तियों के बारे में हमारे ज्ञान को Single अकेले फार्मूला में संक्षेपित करने की भूमिका की पूर्ति करते हैं।, चीनियों को ‘लांडींमैन’ (Laundrymen), स्काट-निवासियों को दृढ़ मुष्टिबद्ध कहा जाता है। इसका परिणाम होता है अन्य समूह के प्रति तुच्छ And आधारहीन पूर्वाग्रह।
यह भी ध्यान रहे कि किसी समूह के प्रति Single बार पूर्वाग्रह सुस्थापित हो जाने पर उस समूह से संबंधित भावनाएं आदर्शात्मक महत्व प्राप्त कर लेती हैं। ये भावनाएं सामाजिक आदर्श नियमों का भाग बन जाती हैं। समूह के सदस्यों से अपेक्षा की जाती है कि प्रत्येक इन भावनाओं में विश्वास करेगा। यदि कोई सदस्य इन भावनाओं का पालन नहीं करता तो उसके विरुद्ध सकारात्मक And नकरात्मक शास्तियों का समूह द्वारा प्रयोग Reseller जाता है। यह भी देखा गया है कि जो व्यक्ति समूह के आदर्श नियमों को पूर्वाग्रह-सहित प्रबल समर्थन प्रदान करते हैं, नेतृत्व का पद प्राप्त करते हैं।
प्रजाति-पूर्वाग्रह को किस प्रकार समाप्त Reseller जाए? (How to eradicate race prejudice?) इस प्रकार पूर्वाग्रह, वैमनस्य And समूहगत भेदभाव स्वयं ही उत्पन्न नहीं हो जाते, अपितु इनके द्वारा उन समूहों, जो इनसे बंधे रहते हैं, को कुछ लाभ प्राप्त होते हैं अथवा कम से कम उन्हें लाभकारी समझा जाता है। प्रजाति ने बुरी है, न अच्छी। प्रजातिवाद निश्चित Reseller से हानिकारक And बपुरा है। यह सहयोगी सामाजिक क्रिया के मार्ग में शक्तिशाली बाध है। यह भेदभाव And अन्याय को जन्म देता है। कभी-कभी यह विश्व-शांति के लिए घातक बन जाता है, जब इसे निरकुश शक्ति द्वारा आरोपित Reseller जाता है, जैसा नाजी संजाति-उन्मादियों ने Reseller। प्रजाति-पूर्वाग्रह को समाप्त करने हेतु केवल प्रजातीय श्रेष्ठता की आधारहीन मान्यता की दुर्बलता को सिद्ध करना ही पर्याप्त नहीं है, अपितु नवयुवकों को उचित दिशा में प्रशिक्षित करना And निर्विवाद तथ्य कि त्वचा का रंग, वर्ग, धर्मिक विश्वास, भौगोलिक अथवा राष्टींय उद्गम, सामाजिक अनुकूलनीयता के कोई परीक्षण नहीं हैं, को बतलाना भी आवश्यक है। यदि पूर्वाग्रहित अमेरिकन गोरे नवयुवकों को यह ज्ञात हो जाए कि नीग्रो लोग, जिन्हें वे घृणा करते हैं, दयालु, सुपोषित And बुद्धिमान हैं तो उनके पूर्वाग्रह दूर हो जाएंगे। नागरिक का मूल्यांकन उसकी त्वचा के रंग से नहीं, अपितु सामाजिक संCreation में उसके द्वारा स्वयं को अनुकूलित करने की तत्परता तथा देश के विकास में उसके योगदान के आधार पर होना चाहिए। संचार-साधनों के विस्तार से भी जिससे सम्पर्को की संख्या में वृद्धि हुई है, प्रजातीय अवरोमाकों की समाप्ति में सहायता मिलेगी। प्रजाति के विषय का सही ज्ञान, संस्कृतियों का विकास किस प्रकार होता है And वे भिन्न क्यों हैं, का ज्ञान तथा इस तथ्य कि प्रजातीय पूर्वाग्रह आर्थिक अथवा राजनीतिक Reseller में अन्तत: लाभदायक नहीं होता, की स्वीकृति प्रजातीय पूर्वाग्रह को दूर करने में काफी सहायक होंगे। ‘प्रजातीय सम्बन्धों’ के विषय पर शिक्षण-संस्थाओं में व्याख्यान भी दिए जाने चाहिए।
इस सम्बन्ध में यह बतलाना आवश्यक है कि हाल ही में समाजविज्ञानवेनाओं ने प्रजातीय पूर्वाग्रहों पर सशक्त नियंत्रण पाने के सिद्धान्तों, इसकी वििध्यों And प्रणालियों में बारे के अनुसंधन को अपने विषय-क्षेत्र में सम्मिलित कर लिया है। Humanशास्त्रियों, मनोवैज्ञानिकों And समाजशास्त्रियों ने इस दिशा में पर्याप्त काम Reseller है। विशिष्ट संगठनों, यथा यूनेस्को द्वारा अन्तर्राष्टींय तनावों की स्थितियों का अध्ययन Reseller जा रहा है, And सामाजिक पूर्वाग्रह को मिटाने के सम्मिलित प्रयत्न किए जा रहे हैं। यूनेस्को ने गणमान्य समाजशास्त्रियों, Humanशस्त्रियों And मनोवैज्ञानिकों का Single सम्मेलन भी बुलाया जो सितम्बर, 1952 में हुआ। इस सम्मेलन ने प्रजाति की समस्या पर निम्नलिखित निष्कर्षो की घोषणा की –
- मूलत: सम्पूर्ण Human जातियों का समान उद्गम है तथा All मनुष्य मेधवी Human (homosapiens) हैं।
- मनुष्यों के शारीरिक लक्षणों में भिन्नता आनुवंशिकता And पर्यावरण दोनों के कारण होती हैं।
- प्रजातीय विशुद्धता की अवधारणा केवल मात्र कल्पना है।
- Humanी प्रजातियों का वर्गीकरण Reseller जा सकता है, परन्तु इन वर्गीकरणों का मानसिक अथवा बौण्कि श्रेष्ठता अथवा हीनता से कोई सम्बन्ध नहीं है।
- बुद्धि And संस्कृति के विकास की क्षमता प्रत्येक प्रजाति में समान Reseller से पाई जाती है। बुद्धिमान व्यक्ति All प्रजातियों में पाए जाते हैं।
- प्रजातियों का सम्मिश्रण हानिकारक है, यह विचारणा गलत है।
- विभिन्न Humanीय समूहों के मध्य सामाजिक And सांस्कृतिक भिन्नताओं पर प्रजाति का कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं है। प्रजातीय And सामाजिक परिवर्तनों में कोई सह सम्बन्ध नहीं है।
- यह संभव है कि किसी राष्ट्रं में प्रजातीय भिन्नता की मात्रा अन्य किसी राष्ट्रं की अपेक्षा अधिक हो सकती है।