पार्षद अंतर्नियम क्या है ?
पार्षद अंतर्नियम के लक्षण And विशेषताएं
- पार्षद अंतर्नियम कंपनी अधिनियम And पार्षद सीमानियम दोनो के अधीन होता है।
- यह कंपनी का दूसरा महत्वपूर्ण प्रलेख है जिसे कंपनी के समामेलन के समय कंपनी रजिस्ट्रार के कार्यालय में जमा कराना होता है।
- इसमें पार्षद सीमानियम में Historyित उद्देश्यों को प्राप्त करने तथा कंपन की आन्तरिक प्रबन्ध व्यवस्था को चलाने के लिये नियमों एव उपनियमों का समावेश होता है।
- यह कंपनी के सदस्यों तथा संचालक मण्डल के पारस्परिक सम्बंधों, अधिकारों, कर्तव्यों And दायित्वों को परिभाषित करता है।
- पार्षद अंतर्नियम या सारणी ‘अ’ को स्वीकार किये बिना कंपनी का समामेलन नहीं हो सकता।
- यह कंपनी के सदस्यों के आपसी व्यवहार को तया करता है, जिससे All सदस्य नियमानुसार कार्य करते है।
- यह कंपनी के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये अनिवार्य होता है।
- यह कम्पनी के प्रबन्ध व संचालक में सहायक होता है।
- यह कंपनी के कार्यो का नियमन करता है।
पार्षद अंतर्नियम की विषय वस्तु
पार्षद अंतर्नियम कंपनी की आंतरिक प्रबंध व्यवस्था से संबंधित नियम व उपनियम होते है, अत: इसमें उन सब बातों का History होना चाहिए जो कंपनी द्वारा निर्धारित किये गये उद्देश्यों को प्राप्त करने And कंपनी की आंतरिक प्रबंध व्यवस्था को कुशलता पूर्वक चलाने के लिये आवश्यक है। Single कंपनी के पार्षद अंतर्नियम में मुख्य Reseller से निम्न बातों का समावेश होना चाहिए-
- कंपनी अधिनियम की प्रथन अनुसूची सारणी ‘अ’ किस सीमा तक लागू होगी।
- कंपनी के अंदर व बाहर के व्यक्तियों के साथ किये गये अनुबंध का description
- अश्ं ा पूंजी की कुल राशि व उसका विभिन्न प्रकार के अंशों में विभाजन
- अंशो के वितरण करने की विधि
- याचना की राशि And याचन राशि प्राप्ति की विधि
- अंश प्रमाण पत्र जारी करने की विधि
- अभिगोपकों के कमीशन का भुगतान करने की विधि
- प्रारंभिक अनुबंधों का पुष्टिकरण करने की विधि
- ऋण लेने संबंधी नियम 10. अंश हस्तांतरण करने की विधि
- अंशो का हरण व उनके पुन: निर्गमन की विधि
- अंश पूंजी के पुनसंगठन की विधि
- कंपनी की सभाओं का आयोजन
- सदस्यों का अधिकार व उनका मताधिकार
- संचालकों व प्रबंध अभिकर्ताओं की Appointment व उनके अधिकार
- कार्यालय के संगठन संबंधी नियम
- लाभांश की घोषणा व उसकी भुगतान की विधि
- हिसाब किताब व पुस्तकों में लेखे रखने की विधि
- अंकेक्षक की Appointment व उसके पारिश्रमिक का निर्धारण
- कंपनी के सदस्यों का विभिन्न सूचनायें देने की विधि
- कंपनी की सार्वमुद्रा व उसके उपयोग से संबंधित नियम
- न्यूनतम अभिदान राशि
- कंपनी के लाभों के पूंजीकरण की विधि
- कंपनी के समापन के नियम
पार्षद अंतर्नियमों का प्रभाव
पार्षद अंतर्नियम कंपनी को सदस्यों के प्रति व सदस्यों को कंपनी के प्रति तथा सदस्यों को Single Second के प्रति प्रतिबद्ध करते है। यह Single प्रकार का करार होता है जो कंपनी को सदस्यों से व सदस्यों को कंपनी से बांध देता है।
पार्षद अंतर्नियम में परिवर्तन
पार्षद अंतर्नियम में सीमानियम की तुलना में सरलता से परिवर्तन Reseller जा सकता है। पार्षद अंतर्नियम में परिवर्तन अंशधारियों की साधारण सभा में विशेष प्रस्ताव पास करके Reseller जा सकता है। इस परिवर्तन कीसूचना निर्धारित अवधि में रजिस्ट्रार को देना अनिवार्य होता है। पार्षद अंतर्नियम के अधीन होते है तथा इसके नियम व उपनियम उसी में निहित होते है। अत: इसमें कोर्इ भी ऐसा परिवर्तन नहीं Reseller जा सकता जो पार्षद सीमानियम अथवा कंपनी के विरूद्ध हों।