पारिस्थितिकी तंत्र की परिभाषा And प्रकार
पारिस्थितिक तंत्र की परिभाषा
- लिण्डमेन के According – “किसी भी आकार की किसी भी क्षेत्रीय इकार्इ में भौतिक – जैविक क्रियाओं द्वारा निर्मित व्यवस्था पारिस्थितिक तंत्र (ecosystem) कहलाती है।”
- ओडम के According – “पारिस्थितिक तंत्र पारिस्थितिक की Single आधारभूत इकार्इ है जिसमें जैविक And अजैविक पर्यावरण परस्पर प्रभाव डालते हुए पारस्परिक अनुक्रिया से ऊर्जा और रासायनिक पदार्थों के संचार से पारस्थितिक तंत्र की कार्यात्मक गतिशीलता को बनाए रखते है।”
- थ्रीमेन के According :- “वह इकार्इ जिसमें All जैविक तत्व पाये जाते है Meansात् क्षेत्र के सामुदायिक जीव परस्पर अन्तक्रिया करते है अपने 20 भौतिक वातावरण से भी अन्त: क्रिया करते हैं जिससे ऊर्जा का प्रवाह निरन्तर चलता रहता है इस्से जैव जगत व भौतिक जगत में ऊर्जा का आदान – प्रदान होता है इसे ही पारिस्थितिक तंत्र कहते है। “
पारिस्थितिक तंत्र के प्रकार
1. प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र –
वे तंत्र जो कि स्वयं प्राकृतिक Reseller से संतुलित रहते है, इन पर मनुष्य का अधिक हस्तक्षेप नहीं रहता है
2. स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र –
वे पारिस्थितिकी तंत्र जो कि थल में पाये जाते है वे स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र कहलाते है जैसे वन पारिस्थितिकी तंत्र, मरूस्थलीय And घास के मैदान का पारिस्थितिक तंत्र।
3. मरूस्थलीय पारिस्थितिक तंत्र –
Earth के लगभग 17% भाग पर उष्ण मरूस्थल है। यहाँ का पर्यावरण अल्प वर्षा व उच्च ताप के कारण विशेष होता है। यहाँ पर जल की कमी होती है जिससे यहाँ की वनस्पति भी विशेष प्रकार की होती है तथा शुण्कता के कारण बालू के स्तूपों का सर्वत्र विस्तार होता है। मरूस्थल क्षेत्र की प्राकृतिक वनस्पति कंटीली झाड़ियाँ छोटी घास व कुछ शुण्कता सहन करने वाले वृक्ष होते हैं। मरूस्थलीय क्षेत्र में रेंगने वाले व अन्य जीवों के साथ ऊँट, भेड़, बकरी की संख्या अधिकाधिक होती है जो कम वर्षा तथा अल्प भोजन पर जीवन व्यतीत कर सकें। इन क्षेत्रों में अपघटक क्रिया अपेक्षाकृत कम होती है। इन प्रदेशों में पशु पालन के साथ जहाँ जल उपलब्ध हो जाता है मोटे अनाज की खेती भी की जाती है। ऐसा अनुमान है कि मरूस्थलीय क्षेत्र में जल उपलब्ध हो जाए तो वहाँ भी उत्तम कृषि हो सकती है जैसा कि नील नदी की घाटी में थार के इन्दिरा गाँधी नगर क्षेत्र में आदि। इन क्षेत्रों के पारिस्थितिक तंत्र में फिर परिवर्तन आ जाता है और खेती भी आसानी से की जा सकती है।
4. वनीय पारिस्थितिक तंत्र –
5. जलीय पारिस्थितिक तंत्र –
जलीय स्त्रोतो के पारिस्थितिकी तंत्रो को जलीय पारिस्थितिक तंत्र कहते है ।
6. अवलणीय जलीय पारिस्थितकी तंत्र –
- बहते जल का पारिस्थितिकी तंत्र (Lotic Ecosystem)- झरना, नदियाँ आदि का पारिस्थितिक तंत्र।
- रूके हुए जल का पारिस्थितिक तंत्र (Lantic Ecosystem)- झील तालाब पोखर, गंदा दलदल आदि का पारिस्थितिक तंत्र
7. लवणीय पारिस्थितिक तंत्र –
समुद्र महासागर, खाड़ी आदि का पारिस्थितिक तंत्र।
8. कृत्रिम पारिस्थितिक तंत्र –
वह पारिस्थितिक तंत्र जो मनुष्य द्वारा निर्मित Reseller जाता है वह कृत्रिम पारिस्थितिक तंत्र कहलाता है। इस तंत्र में ऊर्जा प्रवाह नियोजन And प्राकृतिक संतुलन में व्यवधान रहते है। जैसे खेत की फसल का पारिस्थितिक तंत्र, बाग का पारिस्थितिक तंत्र।