पत्रकारिता के कार्य, सिद्धांत And प्रकार
पत्रकारिता के कार्य
प्रारंभिक अवस्था में पत्रकारिता को Single उद्योग के Reseller में नहीं गिना जाता था । इसका मुख्य कार्य था नए विचार का प्रचार प्रसार करना। तकनीकी विकास, परिवहन व्यवस्था में विकास, उद्योग And वाणिज्य के प्रसार के कारण आज पत्रकारिता Single उद्योग बन चुका है। इसका कार्य भी समय के According बदल गया है। आज पत्रकारिता का तीन मुख्य कार्य हो चला है। पहला, सूचना प्रदान करना, दूसरा, शिक्षा और तीसरा, मनोरंजन करना। इसके अलावा लोकतंत्र की रक्षा And जनमत संग्रह करना इसका मुख्य कार्य में शामिल है।
सूचना
अपने आसपास की चीजों घटनाओं और लोगों के बारे में ताजा जानकारी रखना मनुष्य का सहज स्वभाव है। उसमें जिज्ञासा का भाव बहुत प्रबल होता है। जिज्ञासा नहीं रहेगी तो समाचार की भी जरूरत नहीं रहेगी। पत्रकारिता का विकास ही इसी सहज जिज्ञासा को शांत करने के प्रयास के Reseller में हुआ। यह मूल सिद्धान्त के आधार पर ही यह काम करती है। पत्रकारिता का मुख्य कार्य घटनाओं को लोगों तक पहुंचाना है। समाचार अपने समय के विचार, घटना और समस्याओं के बारे में सूचना प्रदान करता है। यानी कि समाचार के माध्यम से देश दुनिया की समसामयिक घटनाओं समस्याओं और विचारों की सूचना लोगों तक पहुंचाया जाता है। इस सूचना का सीधे सीधे अधिक से अधिक लोगों पर प्रभाव पड़ता है। जैसे भारत में नोटबंदी हा े या किसानों का ऋण माफी या जीएसटी लागू करने का निर्णय। यह सब सूचनाएँ लोगों को प्रभावित करती है। ये सूचनाएँ हमारे दैनिक जीवन के साथ साथ पूरे समाज को प्रभावित करती हैं। यही कारण है कि आधुनिक समाज में सूचना और संचार माध्यमों का महत्व बहुत बढ़ गया है। आज देश दुनिया में जो कुछ हो रहा है, उसकी अधिकांश जानकारियाँ हमें समाचार माध्यमों से ही मिलती है। सच तो यह है कि हमारे प्रत्यक्ष अनुभव से बाहर की दुनिया के बारे में हमें अधिकांश जानकारियाँ समाचार माध्यमों द्वारा दिए जानेवाले समाचारों से ही मिलती है। तो इस तरह पत्रकारिता आज के जमाने में सूचना प्रदान करने का सबसे बड़ा माध्यम बन गया है।
शिक्षा
समाचार के माध्यम से हमें देश दुनिया की तमाम घटनाओं विचार, समस्याओं की जानकारी मिलती है। यह समाचार हमें विभिन्न समाचार माध्यमों के जरिए हमारे घरों में पहुंचते हैं। समाचार सगंठनों में काम करनेवाले पत्रकार देश दुनिया में घटनेवाली घटनाओं को समाचार के Reseller में परिवर्तित करके हम तक पहुंचाते हैं। यह हमे विभिन्न विषय में शिक्षा प्रदान करते हैं। हमें विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक डिग्री प्राप्त करने के लिए औपचारिक पढ़ार्इ के लिए पुस्तक पढ़नी पड़ती है। उन पुस्तकों में History, भूगोल, विज्ञान, वाणिज्य, साहित्य, समाज, संस्‟ति आदि का History रहता है। उनमें समाज में घटित हुर्इ घटनाओं को लेखकों द्वारा लिखी गर्इ बातों को पढ़कर शिक्षा प्राप्त करते हैं। लेकिन संचार माध्यम चाहे वह समाचार पत्र पत्रिकाएँ हो या रेडियो या दूरदर्शन या फिर इंटरनेट या फिर सोशल मीडिया भी लोगों को वर्तमान में घटित हो रही घटनाओं को समाचार के Reseller में परिवर्तित करके पेश करते हैं। यह समाचार सम सामयिक घटनाओं विचारों की परूी जानकारी प्रदान करती है जो अनौपचिरक Reseller से व्यक्ति को, पाठक को या दर्शक को शिक्षा प्रदान करती है। जैसे कि अंतरिक्ष में भारत ने क्या उपगह्र छोडा़ , भूकंप से बचाव के लिए First जानकारी प्राप्त करने कौन सी नर्इ तकनीकी बनार्इ गर्इ है, स्वास्थ्य सेवा में क्या बदलाव लाया गया, राजनीति में क्या परिवर्तन हाे रहा है, प्रसिद्ध साहित्यकारों ने समाज की समस्याओं पर क्या लेखनी चलार्इ आदि। समाचार पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित फीचर के जरिए कर्इ ऐसी पहलू पर मार्गदर्शन दिया जाता है जो पाठîपुस्तकों जैसे औपचारिक पढ़ार्इ में नहीं मिल पाती है। दूसरी बात यह कि समाचार पत्र पत्रिकाओं में स्वास्थ्य, समाज, नारी, विज्ञान, ज्योतिष, वाणिज्य में नित्य हाे रहे बदलाव आरै उसका प्रभाव पर विश्लेषण, समीक्षा आदि समाज का मार्गदर्शन करता है। विभिन्न क्षेत्र के सफल व्यक्तियों के साक्षात्कार से जहां समाज को उनका संघर्ष का पता चलता है तो उनके विचार, मूल्य के बारे में जानकारी मिलती है। इस तरह पत्रकारिता न केवल सूचना प्रदान करता है बल्कि पाठक, दर्शक को सीधे And अनौपचारिक Reseller से शिक्षा प्रदान करने का कार्य करती है।
मनोरंजन
पत्रकारिता का आयाम बहुत ही विस्तृत हो चला है। यह केवल सूचना और शिक्षा प्रदान करने तक सीमित न रहकर लोगों का मनारेंजन करने के लिए भी सशक्त माध्यम के Reseller में उभर कर सामने आया है। समाचार पत्र में जैसे कथा, कहानी, जीवनी, व्यंग्य आदि लेख प्रकाशित होते हैं। इस तरह के साहित्यिक लेखों से लोगों का मनारेंजन होता है। इसके अलावा समाज में नित्य प्रतिदिन घटित हाे रही घटनाओं पर कार्टून तथा व्यंग्य चित्र पश्े ा किए जाते हैं। समाचार पत्र पत्रिकाओं तथा श्रव्य दृश्य माध्यमों में सिनेमा, दूरदर्शन, नाटक आदि से जुड़ी खबरें लेख प्रकाशित किये जाते हैं जो पाठकों तथा दर्शकों का पूरा मनोरंजन करते हैं। हम कहीं ट्रेन में बस में या हवार्इ जहाज में सफर कर रहे होते हैं तो समय काटना बड़ा कठिन होता है। इस समय पर दिल को बहलाने के लिए लोगों को अक्सर समाचार पत्र And पत्रिकाओं को पढ़ते देखा जाता है। एसेे वक्त में लोगों का दिल बहलाने के साथ साथ शिक्षा And सूचनाएं भी प्रदान करते हैं। आज कल तो समाचार पत्र पत्रिकाएं बच्चों को खास ध्यान में रखकर बाल पत्रिकाओं का प्रकाशन कर रहे हैं साथ ही बड़े समाचार पत्र समूह बाल मनोविज्ञान से संबंधित कथा, कहानियां सचित्र प्रकाशित कर बाल मनोरंजन कर रहे हैं। यहां तक कि टेलीविजन पर अनेक चैनल भी हैं जो केवल बाल मनोविज्ञान पर आधारित कार्यक्रम पेश करते हैं। दर्शकों, श्रातेाओं, पाठकों को केवल समाचार से मन उब न जाए इसलिए मन बहलाने के लिए हर समाचार माध्यमों द्वारा समाचारों के प्रसारण के साथ ही मनोरंजन का भी यथासंभव प्रसारण And प्रकाशन Reseller जा रहा है।
लोकतंत्र का रक्षक
राजनैनिक परिदृश्य में मीडिया की भूमिका सबसे अहम है। पत्रकारिता की पहुंच का सीधा Means है जनमत की पहुंच। इसलिए कहा गया है कि पत्रकारिता लोकतंत्र की Safty And बचाव का सबसे बड़ा माध्यम है। यह दोनों नेता And जनता के लिए लाभकारी है। नेता जनता तक अपनी सुविधा According पहुंच पाते हैं लेकिन खासकर के इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से नेता Single ही समय में काफी लोगों तक पहुंच पाने में सक्षम हो जाते हैं। मीडिया में पहुंच का फायदा यह होता है कि उन्हें तथ्य, विचार And व्यवहार में सुधारने का मौका मिलता है। रेडियो And टीवी के कारण अब दूरी मिट गर्इ है। इस तरह नेता इसके माध्यम से जनता तक पहुंच जाते हैं। और मीडिया के माध्यम से उनके द्वारा किए गए कार्य का विश्लेषण कर उन्हें चेताया जाता है।
जनमत
पत्रकारिता का कार्य में सबसे प्रमुख है जनमत को आकार देना, उसको दिशा निर्देश देना और जनमत का प्रचार प्रसार करना। पत्रकारिता का यह कार्य लोकतंत्र को स्थापित करता है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में पत्रकारिता यानि मीडिया लोगों के मध्य जागरूकता लाने का Single सशक्त माध्यम है। और यह King पर सामूहिक सतर्कता बनाए रखने के लिए सबसे बड़ा अस्त्र है। और यह तभी संभव है जब बड़ी आबादी तक मीडिया की पहुंच हो।
एजेडा निर्धारण
इन कार्यों के अलावा पत्रकारिता यानी मीडिया अब एजेडा निर्धारण करने के कार्य में भी शामिल हाे चुका है। इसका Means यह है कि मीडिया ही सरकार और जनता का एजेडा तय करता है- मीडिया में जो हागेा वह मुद्दा है और जो मीडिया से नदारद है वह मुद्दा नहीं रह जाता। एजेडा निर्धारण में मीडिया की यह भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो गयी है। मीडिया में कौन सी बात उठ रही है उसे सरकार प्राथमिकता देने लगी है और उस पर त्वरित कार्रवार्इ कर रही है। दूसरी ओर जनता भी मीडिया के माध्यम से जो दिषा निर्देष मिलते हैं उसी हिसाब से अपना कामकाज करने लगी है। मीडिया में खबर आने के बाद सरकार And जनता यह तय करते हैं कि उनका अगला कदम क्या होगा। जैसे कि मीडिया में खबर आइर् कि आनेवाले दिनों में जीएसटी लागू हो जाएगी। व्यापारी उसी हिसाब से अपनी तैयारी “ाुरू कर देते हैं।
पत्रकारिता के मुख्य कार्यों पर नजर डालें तो हम यह कह सकते हैं कि समाचार के माध्यम से लोगों को घटित घटनाओं को सूचित करना है। सूचित करने की इस प्रक्रिया में लोग शिक्षित भी होते हैं Second पक्ष पर अगर हम विचार को लें ताे इसका संपादकीय और लेख हमें जागरूक बनाते हैं। इसके अलावा खेल, सिनेमा की खबरें आरै विभिन्न विशयों पर आधारित फीचर का उद्देश्य ही लोगों का मनोरजं न करना होता है राजनैनिक परिदृष्य में इसका मुख्य कार्य लोकतंत्र की Safty And बचाव करना है। जहां इसके माध्यम से नेता सीधे जनता तक पहुंच जाते हैं वहÈ इसके माध्यम से उनके द्वारा किए गए कार्य का विश्लषेण कर उन्हें चेताया जाता है। लोकतंत्र में जनमत ही सर्वोपरि होती है। वर्तमान में मीडिया ही जनमत का सबसे बड़ा माध्यम बन गया है। King पर सामूहिक सतर्कता बनाए रखने के लिए सबसे बड़ा अस्त्र बन गया है। पत्रारिता के कार्य में अब Single और नया कार्य जुड़ गया है वह है सत्ता And जनता का एजेडा निर्धारण करना।
पत्रकारिता के सिद्धांत
पत्रकारिता और पत्रकार And पत्रकारिता के मूल्य पर Discussion करते समय हमने देखा कि अपनी पूरी स्वतंत्रता के बावजूद उस पर सामाजिक और नैतिक मूल्यों की जवाबदेही होती है। यह सामाजिक और नैतिक मूल्य की जवाबदेही उसे Single नियम कानून के दायरे में चलने को मजबूर करता है। दूसरी बात यह है कि लोकतंत्र में पत्रकारिता को चौथा स्तंभ माना गया है। इस हिसाब से न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधयिका जैसे तीन स्तंभ को बांधे रखने के लिए पत्रकारिता Single कड़ी के Reseller में काम करती है। इस कारण पत्रकार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। उसके सामने कर्इ चुनौतियाँ होती है और दबाव भी। सामाजिक सरोकारों को व्यवस्था की दहलीज तक पहुँचाने और प्रशासन की जनहितकारी नीतियों तथा योजनाओं को समाज के सबसे निचले तबके तक ले जाने के दायित्व का निर्वहन करना पत्रकार और पत्रकारिता का कार्य है।
इस दृष्टि से देखा जाए तो अन्य विषय की तरह पत्रकारिता भी कुछ सिद्धान्त पर चलती है। Single पत्रकार से यह अपेक्षा की जाती है कि वह इसका पालन करे। यह पत्रकारिता का आदर्श है। इस आदर्श को पालन कर Single पत्रकार पाठकों का विष्वास जीत सकता है। और यह विश्वसनीयता समाचार संगठन की पूंजी है। पत्रकारिता की साख बनाए रखने के लिए निम्नलिखित सिद्धान्तों का पालन करना जरूरी है-
यथार्थता
पत्रकार पर सामाजिक और नैतिक मूल्य की जवाबदेही है। यह वास्तविकता या यथार्थता की ओर इशारा करती है। Single पत्रकार संगठन को अपनी साख बनाए रखने के लिए समाज के यथार्थ को दिखाना होगा। यहां पर कल्पना की कोर्इ जगह नहीं होती है। यह पत्रकारिता की पहली कसौटी है। समाचार समाज के किसी न किसी व्यक्ति, समूह या देश का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इसका Addedव सीधे समाज की सच्चार्इ यानी वास्तविकता से हो जाता है। यानी कि यह कह सकते हैं कि समाचार समाज का प्रतिबिंब होता है। पत्रकार हमेशा समाचार यथार्थ को पेश करने की कोशिश करता है। यह अपने आप में Single जटिल प्रक्रिया है। दरअसल मनुष्य यथार्थ की नहीं यथार्थ की छवियों की दुनिया में रहता है। किसी भी घटना के बारे में हमें जो भी जानकारियां प्राप्त होती है उसी के According हम उस यथार्थ की Single छवि अपने मस्तिष्क में बना लेते हैं। और यही छवि हमारे लिए वास्तविक यथार्थ का काम करती है। Second Wordांे में कहा जाए कि हम संचार माध्यमों द्वारा सृजित छवियों की दुनिया में रहते हैं।
संपूर्ण यथार्थ को प्रतिबिंबित करने के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कि तथ्यों के चयन में संपूर्णता का ध्यान रखना हागेा। समाचार लिखते समय यह ध्यान रखना होगा कि कौन सी सूचनाएं और कौन सा तथ्य संपूर्ण घटना का प्रतिनिधित्व कर सकता है, एसेे तथ्य And सूचनाओं का चयन करना हागेा। जैसे कि Single नस्ली, जातीय या धार्मिक हिंसा की घटना का समाचार कर्इ तरह से लिखा जा सकता है। इसे तथ्यपरक ढंग से इस तरह भी लिखा जा सकता है कि किसी Single पक्ष की शैतान की छवि सृजित कर दी जाए और Second पक्ष को इसके कारनामों का शिकार। घटना के किसी Single पक्ष को अधिक उजागर कर Single अलग ही तरह की छवि का सृजन Reseller जा सकता है। या फिर इस घटना में आम लोगों के दु:ख दर्द को उजागर कर इस तरह की हिंसा के अHumanीय और बर्बर चेहरे को भी उजागर Reseller जा सकता है। Single रोती विधवा, बिलखते अनाथ बच्चे या तो मात्र विधवा और अनाथ बच्चों के बारे में पेश करके यह दिखाना कि जातीय या धार्मिक हिंसा ने यह हालत की है। या फिर यह पेश Reseller जा सकता है कि चूिक ये किसी खास जाति या धर्म के हैं इसलिए ये विधवा और अनाथ हैं। इस तरह समाचार को वास्तव में हकीकत के करीब रखने के लिए Single पत्रकार को प्रोफेशनल और बौद्धिक कौशल में महारथ हासिल करना जरूरी है।
वस्तुपरकता
वस्तु की अवधारणा हमें सामाजिक माहौल से मिलते हैं। बचपन से ही हम घर में, स्कूल में, सड़क पर चलते समय हर कदम, हर पल सूचनाएँ प्राप्त करते हैं और दुनिया भर के स्थानों लोगों संस्‟तियों आदि सैकड़ों विषय के बारे में अपनी Single धारणा या छवि बना लेते हैं। हमारे मस्तिष्क में अनेक मौकों पर इस तरह छवियां वास्तविक भी हो सकती है और वास्तविकता से दूर भी हो सकती है। वस्तुपरकता का संबंध सीधे सीधे पत्रकार के कर्तव्य से Added है। जहां तक वस्तुपरकता की बात है पत्रकार समाचार के लिए तथ्यों का संकलन और उसे प्रस्तुत करते हुए अपने आकलन को अपनी धारणाओं या विचारों से प्रभावित नहीं हानेे देना चाहिए क्योंिक वस्तुपरकता का संबंध हमारे सामाजिक-सांस्‟तिक, आर्थिक मूल्यों से कहीं अधिक है।
वैसे भी दुनिया में हर चीज को देखने का नजरिया हर व्यक्ति में अलग अलग होती है। ऐसे में पत्रकार का कर्तव्य है कि वह समाचार को ऐसा पेश करे कि पाठक उसे समझते हुए उससे अपना लगाव महसूस करे। समाचार लेखन में लेखक को अपनी राय प्रकट करने की छूट नहीं मिल पाती है। उसे वस्तुपरक होना अनिवार्य है। लेकिन यह ध्यान रखना होता है कि वस्तुपरकता से उसकी जिम्मेदारी भी जुड़ी हुर्इ है। पत्रकार का उत्तरदायित्व की परख तब होती है जब उसके पास कोर्इ विस्फोटक समाचार आता है। आज के संदर्भ में दंगे को ही लें किसी स्थान पर दाे समुदायों के बीच दंगा हो जाता है और पत्रकार सबकुछ खुलासा करके नमक-मिर्च लगाकर समाचार पेश करता है तो समाचार का परिणाम विध्वंSeven्मक ही होगा। ऐसी स्थिति में अनुभवी पत्रकार अपने विवेक का सहारा लेते हैं और समाचार इस Reseller से पेश करते हैं कि उससे दंगाइयों को बल न मिले एसेे समाचार के लेखन में वस्तुपरकता और भी अनिवार्य जान पड़ती है।
इसलिए कोर्इ भी समाचार Single साथ वस्तुपरक नहीं हो सकता है। Single ही समाचार को Single पत्रकार वस्तुपरक बना सकता है तो दूसरा पूर्वाग्रह से प्रभावित होकर बना सकता है। चाहे जो भी हो Single पत्रकार को जहां तक संभव हो अपने समाचार प्रस्तुतीकरण में वस्तुपरकता को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए। यही कारण है कि वस्तुपरकता को भी तथ्यपरकता से आंकना जरूरी है। क्योंकि वस्तुपरकता और यथार्थता के बीच काफी कुछ समानताएं भी है और दोनों के बीच अंतर भी है। यथार्थता का संबंध अधिकाधिक तथ्यों से है वहीं वस्तुपरकता का संबंध इस बात से है कि कोर्इ व्यक्ति उस तथ्य को कैसे देखता है। जैसे कि किसी विषय या मुद्दे के बारे में हमारे मस्तिष्क में First से सृजित छवियां समाचार के मूल्यांकन की हमारी क्षमता को प्रभावित करती है और हम इस यथार्थ को उन छवियों के अनुReseller देखने का प्रयास करते हैं। लेकिन पत्रकार को जहां तक संभव हाे अपने लेख में वस्तुपरकता का अवश्य ध्यान रखना चाहिए।
निष्पक्षता
चूंकि पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है इसलिए राष्ट्रीय And सामाजिक जीवन में इसकी अहम भूमिका है। इसलिए पत्रकारिता सही आरै गलत, न्याय और अन्याय जैसे मसलों के बीच तटस्थ नहीं होना चाहिए बल्कि वह निष्पक्ष होते हुए सही And न्याय के साथ होना चाहिए। इसलिए पत्रकारिता का प्रमुख सिद्धान्त है उसका निष्पक्ष होना। पत्रकार को उसका शतप्रतिशत पालन करना जरूरी है तभी उसके समाचार संगठन की साख बनी रहेगी। पत्रकार को समाचार लिखते समय न किसी से दोस्ती न किसी से बैर वाले सिद्धांत को अपनाना चाहिए तभी वह समाचार के साथ न्याय कर पाएगा। और जब पत्रकारिता की आजादी की बात आती है तो इसमें न्यायसंगत होने का तत्व अधिक अहम होता है। आज मीडिया की ताकत बढ़ी है। Single ही झटक में वह किसी को सर आख्ों पर बिठा सकता है ताे किसी को जमीन के नीचे गिरा सकता है। इसलिए किसी के बारे में समाचार लिखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कहीं किसी को अनजाने में ही सही उसे बिना सुनवार्इ के फांसी पर तो नहीं लटकाया जा रहा है। इसलिए पत्रकार And पत्रकार संगठन की जिम्मेदारी है कि वह निष्पक्ष होकर हमेशा सच्चार्इ को सामने रखे और सही And न्याय का साथ दे।
संतुलन
पत्रकारिता में निष्पक्षता के साथ संतुलन की बात भी जुड़ी हुर्इ है। जब किसी समाचार के कवरेज पर यह आरोप लगाया जाता है कि वह संतुलित नहीं है तो यहां यह बात सामने आती है कि समाचार किसी Single पक्ष की ओर झुका हुआ है। यह ऐसे समाचार में सामने आती है जब किसी घटना में अनेक पक्ष शामिल हों और उनका आपस में किसी न किसी Reseller में टकराव हाे एसेी स्थिति में पत्रकार को चाहिए कि संबद्ध पक्षों की बात समाचार में अपने अपने समाचारीय महत्व के According स्थान देकर समाचार को संतुलित बनाना होगा। Single और स्थिति में जब किसी पर कोर्इ किसी तरह के आरोप लगाए गए हों या इससे मिलती जुलती कोर्इ स्थिति हो। उस स्थिति में निष्पक्षता और संतुलन की बात आती है। ऐसे समाचारो में हर पक्ष की बात को रखना अनिवार्य हो जाता है अन्यथा Single पक्ष के लिए चरित्र हनन का हथियार बन सकता है। तीसरी स्थिति में व्यक्तिगत किस्म के आरापेों में आराेिपत व्यक्ति के पक्ष को भी स्थान मिलना चाहिए। यह स्थिति तभी संभव हो सकती है जब आरोपित व्यक्ति सार्वजनिक जीवन में है आरै आरोपों के पक्ष में पक्के सबतू नहीं हैं। लेकिन उस तरह के समाचार में इसकी जरूरत नहीं होती है जो घोषित अपराधी हों या गंभीर अपराध के आरोपी। संतुलन के नाम पर मीडिया इस तरह के तत्वों का मंच नहीं बन सकता है। दूसरी बात यह कि यह सिद्धांत सार्वजनिक मसलों पर व्यक्त किए जानेवाले विचारों और „ष्टिकोणों पर लागू नहीं Reseller जाना चाहिए।
स्रोत
पत्रकारिता के मूल में समाचार है। समाचार में कोर्इ सूचना या जानकारी होती है। पत्रकार उस सूचना And जानकारी के आधार पर समाचार तैयार करता है लेकिन किसी सूचना का प्रारंभिक स्रोत पत्रकार नहीं होता है। आमतौर पर वह किसी घटना के घटित होने के समय घटनास्थल पर उपस्थित नहीं होता है। वह घटना के घटने के बाद घटनास्थल पर पहुंचता है इसलिए यह सब कैसे हुआ यह जानने के लिए उसे Second स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है। उस सूचना And जानकारी में क्या सही है, क्या असली घटना है, कौन शामिल है उसकी पूरी जानकारी के बिना यह अधूरा And Single पक्ष होती है जो हमने पत्रकारिता के सिद्धांतों में यथार्थता, वस्तुपरकता, निष्पक्षता और संतुलन पर Discussion करते हुए देखा है। किसी भी समाचार के लिए जरूरी सूचना And जानकारी प्राप्त करने के लिए समाचार संगठन And पत्रकार को कोर्इ न कोर्इ स्रोत की Need होती है। यह समाचार स्रोत समाचार संगठन के या पत्रकार के अपने हातेे हैं। स्रोतों में समाचार एजेंिसयां भी आती हैं।
समाचार की साख बनाए रखने के लिए उसमें शामिल की गर्इ सूचना या जानकारी का क्या स्रोत है उसका History करना आवश्यक हो जाता है। खासकर एसे े समाचार जो सामान्य के दायरे से निकलकर खास श्रेणी में आते हैं। स्रोत के बिना समाचार का महत्व कम हो जाता है। इसलिए समाचार में समाहित सूचनाओं का स्रोत होना आवश्यक है। हाँ जिस सूचना का कोर्इ स्रोत नहीं है उसका स्रोत या तो पत्रकार स्वयं है या फिर यह Single सामान्य जानकारी है जिसका स्रोत देने की जरूरत नहीं होती है।
पत्रकारिता के प्रकार
संसार में पत्रकारिता का History बहुत पुराना नहीं है लेकिन इक्किसवीं शताब्दी में यह Single ऐसा सशक्त विषय के Reseller में उभरा है जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। आज इसका क्षेत्र बहुत व्यापक हो चुका है और विविधता भी लिए हुए है। शायद ही कोर्इ क्षेत्र बचा हो जिसमें पत्रकारिता की उपादेयता को सिद्ध न Reseller जा सके। इसलिए यह कहना अतिशयोक्ति न होगी कि आधुनिक युग में जितने भी क्षेत्र हैं सबके सब पत्रकारिता के भी क्षेत्र हैं, चाहे वह राजनीति हो या न्यायालय या कार्यालय, विज्ञान हो या प्रौद्योगिकी हो या शिक्षा, साहित्य हो या संस्‟ति या खेल हो या अपराध, विकास हो या कृषि या गांव, महिला हो या बाल या समाज, पर्यावरण हो या अंतरिक्ष या खोज। इन All क्षेत्रों में पत्रकारिता की महत्ता And उपादेयता को सहज ही महसूस Reseller जा सकता है। दूसरी बात यह कि लोकतंत्र में इसे चौथा स्तंभ कहा जाता है। ऐसे में इसकी पहुंच हर क्षेत्र में हो जाता है। इस बहु आयामी पत्रकारिता के कितने प्रकार हैं उस पर विस्तृत Reseller से Discussion की जा रही है।
खोजी पत्रकारिता
खोजी पत्रकारिता वह है जिसमें आमतौर पर सार्वजनिक महत्व के मामले जैसे भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और गड़बड़ियांे की गहरार्इ से छानबीन कर सामने लाने की कोशिश की जाती है। स्टिंग ऑपरेशन खोजी पत्रकारिता का ही Single नया Reseller है। खोजपरक पत्रकारिता भारत में अभी भी अपने शैशवकाल में है। इस तरह की पत्रकारिता में ऐसे तथ्य जुटाकर सामने लाए जाते हैं, जिन्हें आमतौर पर सार्वजनिक नहीं Reseller जाता। लेकिन Single वर्ग यह मानता है कि खोजपरक पत्रकारिता कुछ है ही नहीं क्योंिक कोर्इ भी समाचार खोजी „ष्टि के बिना लिखा ही नहीं जा सकता है। लोकतंत्र में जब जरूरत से ज्यादा गोपनीयता बरती जाने लगे और भ्रष्टाचार चरम पर हो तो खोजी पत्रकारिता ही उसे सामने लाने का Only विकल्प होती है। खोजी पत्रकारिता से जुड़ी पुरानी घटनाओं पर नजर ड़ालें तो मार्इ लार्ड कांड, वाटरगेट कांड़, एंडर्सन का पेंटागन पेपर्स जैसे अंतराष्ट्रीय कांड तथा सीमेटं घोटाला कांड़, बोफर्स कांड, ताबूत घोटाला कांड जैसे राष्ट्रीय घोटाले खोजी पत्रकारिता के चर्चित उदाहरण हैं। संचार क्रांति, इंटरनेट या सूचना अधिकार जैसे प्रभावशाली अस्त्र अस्तित्व में आने के बाद तो घोटाले उजागर होने का जैसे दौर शुरू हो गया। इसका नतीजा है कि पिछले दिनांे 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कमनवेल्थ गेम्स घोटाला, आदर्श घोटाला आदि Historyनीय हैं। समाज की भलार्इ के लिए खोजी पत्रकारिता अवश्य Single अंग है लेकिन इसे भी अपनी मर्यादा के घेरे में रहना चाहिए।
वाचडाग पत्रकारिता
लोकतंत्र में पत्रकारिता को चौथा स्तंभ माना गया है। इस लिहाज से इसका मुख्य कार्य सरकार के कामकाज पर निगाह रखना है और कहीं भी कोर्इ गड़बड़ी हो तो उसका पर्दाफाश करना है। इसे परंपरागत Reseller से वाचडाग पत्रकारिता कहा जा सकता है। दूसरी आरे सरकारी सूत्रों पर आधारित पत्रकारिता है। इसके तहत मीडिया केवल वही समाचार देता है जो सरकार चाहती है और अपने आलोचनापरक पक्ष का परित्याग कर देता है। इन दाे बिंदुओ के बीच तालमेल के जरिए ही मीडिया और इसके तहत काम करनेवाले विभिन्न समाचार संगठनों की पत्रकारिता का निर्धारण होता है।
एडवोकेसी पत्रकारिता
एडवोकेसी यानि पैरवी करना। किसी खास मुद्दे या विचारधारा के पक्ष में जनमत बनाने के लिए लगातार अभियान चलानेवाली पत्रकारिता को एडवोकेसी पत्रकारिता कहा जाता है। मीडिया व्यवस्था का ही Single अंग है। और व्यवस्था के साथ तालमेल बिठाकर चलनेवाले मीडिया को मुख्यधारा मीडिया कहा जाता है। दूसरी ओर कुछ ऐसे वैकल्पिक सोच रखनेवाला मीडिया होते हैं जो किसी विचारधारा या किसी खास उद्देश्य की पूर्ति के लिए निकाले जाते हैं। इस तरह की पत्रकारिता को एडवोकेसी (पैरवी) पत्रकारिता कहा जाता है। जैसे राष्ट्रीय विचारधारा, धार्मिक विचारधारा से जुड़े पत्र पत्रिकाएँ।
पीत पत्रकारिता
पाठकों को लुभाने के लिए झूठी अफवाहों, आरोपों प्रत्यारोपों प्रमे संबंधों आदि से संबंधित सनसनीखेज समाचारों से संबंधित पत्रकारिता को पीत पत्रकारिता कहा जाता है। इसमें सही समाचारों की उपेक्षा करके सनीसनी फैलानेवाले समाचार या ध्यान खींचनेवाला शीर्षकों का बहुतायत में प्रयोग Reseller जाता है। इसे समाचार पत्रों की बिक्री बढ़ाने, इलेक्ट्रिनिक मीडिया की टीआरपी बढ़ाने का घटिया तरीका माना जाता है। इसमें किसी समाचार खासकर एसेे सार्वजनिक क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति द्वारा Reseller गया कुछ आपत्तिजनक कार्य, घोटाले आदि को बढ़ाचढ़ाकर सनसनी बनाया जाता है। इसके अलावा पत्रकार द्वारा अव्यवसायिक तरीके अपनाए जाते हैं।
पेज थ्री पत्रकारिता
पजे थ्री पत्रकारिता उसे कहते हैं जिसमें फैशन, अमीरों की पार्टियों महिलाओं और जानेमाने लोगों के निजी जीवन के बारे में बताया जाता है।
खेल पत्रकारिता
खेल से जुड़ी पत्रकारिता को खेल पत्रकारिता कहा जाता है। खेल आधुनिक हों या प्राचीन खेलों में हानेेवाले अद्भूत कारनामों को जग जाहिर करने तथा उसका व्यापक प्रचार-प्रसार करने में खेल पत्रकारिता का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आज परूी दुनिया में खेल यदि लोकप्रियता के शिखर पर है तो उसका काफी कुछ श्रेय खेल पत्रकारिता को भी जाता है। खेल केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं बल्कि अच्छे स्वास्थ्य, शारीरिक दमखम और बौद्धिक क्षमता का भी प्रतीक है। यही कारण है कि पूरी दुनिया में अति प्राचीनकाल से खलेों का प्रचलन रहा है। आज आधुनिक काल में पुराने खेलों के अलावा इनसे मिलते जुलते खेलों तथा अन्य आधुनिक स्पर्धात्मक खलेों ने परूी दुनिया में अपना वर्चस्व कायम कर रखा है। आज स्थिति यह है कि समाचार पत्र तथा पत्रिकाओं के अलावा किसी भी इलेक्ट्रनिक मीडिया का स्वReseller भी तब तक परिपूर्ण नहीं माना जाता जब तक उसमें खेल का भरपूर कवरेज नहीं हो। दूसरी बात यह है कि आज भारत ही नहीं पूरी दुनिया में आबादी का Single बड़ा हिस्सा युवा वर्ग का है जिसकी पहली पसंद विभिन्न खले स्पर्धाएं हैं। शायद यही कारण है कि पत्र-पत्रिकाओं में अगर सबसे अधिक कोर्इ पन्न पढ़े जाते हैं तो वह खेल से संबेधित होते हैं। प्रिंट मीडिया के अलावा टीवी चानै लों का भी Single बड़ा हिस्सा खले प्रसारण से Added हातेा है। दूसरी आरे कुछ खेल चैनल हैं जो चौबीसों घंटे कोर्इ न कोर्इ खले लेकर हाजिर ही रहते हैं। पाठकों और दर्शकों की खले के प्रति दीवानगी का ही नतीजा है कि आज खेल की दुनिया में अकूत धन बरस रहा है। आज धन चाहे विज्ञापन के Reseller में हो चाहे पुरस्कार राशि के Reseller में न लुटानेवालो ं की कमी है आरै पानेवालों की। खलेों में धन वर्षा का प्रारंभ कर्पोरेट जगत के इसमें प्रवश्े ा से हुआ। खलेों में धन की बरSeven में कोर्इ बुराइर् नहीं है लेकिन उसका बदसूरत पहलू भी है। खलेों में गलाकाट स्पर्धा के कारण इसमें फिक्सिंग और डोपिगं जैसी बुराइयों का प्रचलन भी बढ़ने लगा है। फिक्सिंग और डोपिगं जैसी बरुाइयां न खिलाड़ियांे के हित में है और न खलेों के। खले पत्रकारिता की यह जिम्मदेारी है कि वह खलेों में पनप रही उन बुराइयों के खिलाफ लगातार आवाज उठाती रहे। खेल पत्रकारिता से यह अपेक्षा की जाती है कि खेल में खेल भावना की रक्षा हर कीमत पर होनी चाहिए। खेल पत्रकारिता से यह उम्मीद भी की जानी चाहिए कि आम लोगों से जुड़े खलेों को भी उतना ही महत्व और प्रोत्साहन मिले जितना अन्य लोकप्रिय खलेों को मिल रहा है।
महिला पत्रकारिता
महिला परुु“ा समानता के इस दौर में महिलाएं अब घर की दहलीज लांघ कर बाहर आ चुकी है। प्राय: हर क्षेत्र में महिलाओं की उपस्थिति और भागिदारी नजर आ रही है। ऐसे में पत्रकारिता के क्षेत्र में महिलाओं की भागिदारी भी देखी जाने लगी है। दूसरी बात यह है कि शिक्षा ने महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनाया है। अब महिलाएं भी अपने करियर के प्रति सचेत हैं। महिला जागरण के साथ साथ महिलाओं के प्रति अत्याचार और अपराध के मामले भी बढ़े हैं। महिलाओं की सामाजिक Safty सुनिश्चित करने के लिए बहुत सारे कानून बने हैं। महिलाओं को सामाजिक Safty दिलाने में महिला पत्रकारिता की अहम भूमिका रही है। आज महिला पत्रकारिता की अलग से जरूरत ही इसलिए है कि उसमें महिलाओं से जुड़े हर पहलू पर गौर Reseller जाए और महिलाओं के सवार्ंगीण विकास में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके।
वर्तमान दौर में राजनीति, प्रशासन, सेना, शिक्षण, चिकित्सा, विज्ञान, तकनीकी, उद्योग, व्यापार, समाजसेवा आदि All क्षेत्रों में महिलाओं ने अपनी प्रतिभा और दक्षता के बलबतू अपनी राह खुद बनार्इ है। कर्इ क्षेत्रों में तो कड़ी स्पर्धा और चुनौती के बावजूद महिलाओं ने अपना शीर्ष मुकाम बनाया है। विकास के निरंतर तेज गति से बदलते दारै ने महिलाओं को प्रगति का समान अवसर प्रदान Reseller लेकिन पुरुषों की तुलना में अपनी प्रतिभा आरै लगन के बलबतू पर समाज के हर क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोडऩे का जो सिलसिला शुरू Reseller है वह लगातार जारी है। इसका उदाहरण भारत की इंदिरा नूर्इ, नैना किदवार्इ, चंदा कोचर, नंदिनी भट्टाचार्य, साक्षी मलिक, पीवी सिंधु आदि के Reseller में देखा जा सकता है। आज के दौर में कोर्इ भी ऐसा क्षेत्र नहीं जहां महिलाओं की उपस्थिति महसूस नहीं की जा रही हो। ऐसे में पत्रकारिता भी कहां पिछे रहेगी। मृणाल पांडे, विमला पाटील, बरखा दत्त, सीमा मुस्तफा, तवलीन सिंह, मीनल बहोल, सत्य शरण, दीना वकील, सुनीता ऐरन, कुमुद संघवी चावरे, स्वेता सिंह, पूर्णिमा मिश्रा, मीमांसा मल्लिक, अंजना ओम कश्यप, नेहा बाथम, मिनाक्षी कंडवाल आदि महिला पत्रकारों के आने से देश के हर लड़की को अपने जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिल रही है।
महिला पत्रकारिता की सार्थकता महिला सशक्तिकरण से जुड़ी है, क्योंकि नारी स्वातंत्र्य और समानता के इस युग में भी आधी दुनिया से जुड़ ऐसे अनेक पहलू हैं जिनके महत्व को देखते हुए महिला पत्रकारिता की अलग विधा की जरूरत महसूस की जा रही है।
बाल पत्रकारिता
Single समय था जब बच्चों को परीकथाओं, लोककथाओं पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक कथाओं के माध्यम से बहलाने फुसलाने के साथ साथ उनका ज्ञानवर्धन Reseller जाता था। इन कथाओं का बच्चों के चारित्रिक विकास पर भी गहरा प्रभाव होता था। लेकिन आज संचार क्रांति के इस युग में बच्चों के लिए सूचनातंत्र काफी विस्तृत और अनंत हो गया है। कंप्यूटर और इंटरनेट तक पहुंच ने उनके बाल मन स्वभाव के According जिज्ञासा को असीमित बना दिया है। ऐसे में इस बात की आशंका और गुंजाइश बनी रहती है कि बच्चों तक वे सूचनाएं भी पहुंच सकती है जिससे उनके बालमन के भटकाव या वि‟ ती भी संभव है। एसे ी स्थिति में बाल पत्रकारिता की सार्थक सोच बच्चों को सही दिशा की आरे अग्रसर कर सकती है। क्योंिक बाल मन स्वभावतरू जिज्ञासु आरै सरल हाते ा है। जीवन की यह वह अवस्था है जिसमें बच्चा अपने माता पिता, शिक्षक और चारों तरफ के परिवेश से ही सीखता है। बच्चे पर किसी भी घटना या सूचना की अमिट छाप पड़ती है। बच्चे के आसपास का परिवेश उसके व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एसेे में उसे सही दिशा दिखाना का काम पत्रकारिता ही कर सकता है। इसलिए बाल पत्रकारिता की महसूस की जाती है।
आर्थिक पत्रकारिता
आर्थिक पत्रकारिता में व्यक्तियों संस्थानांे राज्यों या देशों के बीच हानेेवाले आर्थिक या व्यापारिक संबंध के गुण-दोषों की समीक्षा और विवेचन की जाती है। जिस प्रकार आमतौर पर पत्रकारिता का उद्देश्य किसी भी व्यवस्था के गुण दोषों को व्यापक आधार पर प्रचारित प्रसारित करना है ठीक उसी तरह आर्थिक पत्रकारिता Means व्यवस्था के हर पहलू पर सूक्ष्म नजर रखते हुए उसका विश्लष्ेाण कर समाज पर पड़नेवाले उसके प्रभावों का प्रचार प्रसार करना होना चाहिए। दूसरी बात यह भी है कि आर्थिक पत्रकारिता को आर्थिक व्यवस्था और उपभेक्ता के बीच सेतू की भूमिका निभानी पड़ती है।
आर्थिक उदारीकरण आरै विभिन्न देशों के बीच आपसी व्यापारिक संबंधों ने पूरी दुनिया के आर्थिक परि„श्य को बहुत ही व्यापक बना दिया है। आज किसी भी देश की Means व्यवस्था बहुत कुछ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधों पर निर्भर हो गर्इ है। दुनिया के किसी कोने में मची आर्थिक हलचल या उथल पुथल अन्य देशों की Means व्यवस्था को प्रभावित करने लगी है। सोने और चादंी जैसी बहुमूल्य धातुओं कच्चे तेल, यूरो, डलर, पांड, येन जैसी मुद्राओं की कीमतों में उतार चढ़ाव का प्रभाव पूरी दुनिया पड़ने लगी है। कहने का मतलब यह है कि हर देश अपनी Means व्यवस्थाओं के स्वयं नियामक And नियंत्रक हों लेकिन विश्व के आर्थिक हलचलों से अछूते नहीं हैं। पूरा विश्व Single बड़ा बाजार बन गया है। इसलिए उसकी गतिविधियों से देश की Means व्यवस्था निर्धारित होने लगी है। ऐसे में पत्रकारिता Single प्रमुख भूमिका निर्वाह कर रही है। उस पर Single बड़ी जिम्मेदारी है कि विश्व की Means व्यवस्था को प्रभावित करनेवाले विभिन्न कारकों का निरंतर विश्लष्ेाण करने के साथ साथ उसके गुण दोषों के आधार पर एहतियाती उपायों की Discussion करे। इसमें लेकिन विश्व का आर्थिक परिवेश को जानने समझने की Single बड़ी चुनौती होती है। इयके अलावा कर चोरी, कालाधन और जाली नोट की समस्या को उजागर करना भी Single चुनौती होती है। विकसित और विकासशील देशों में कालाधन सबसे बड़ी चुनौती है। कालाधन भ्रष्टाचार से उपजता है और भ्रष्टाचार को ही बढ़ावा देता है। भ्रष्टाचार देश के विकास में बाधक बनती है। इसलिए आर्थिक पत्रकारिता की जिम्मेदारी है कि कालाधन आरै आर्थिक अपराधों को उजागर करनेवाली खबरों का व्यापक प्रचार प्रसार करे। दूसरी आरे व्यापार के परंपरागत क्षेत्रों के अलावा रिटेल, बीमा, संचार, विज्ञान And तकनीकी व्यापार जैसे आधुनिक क्षेत्रों ने आर्थिक पत्रकारिता को नया आयाम दिया है।
ग्रामीण And कृषि पत्रकारिता
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में हमारी अथर् व्यवस्था काफी कुछ कृषि और कृषि उत्पादों पर निर्भर है। भारत में आज भी लगभग 70 प्रतिशत आबादी गांवों में बसती है। देश के बजट प्रावधानांे का बड़ा हिस्सा कृषि And ग्रामीण विकास पर खर्च होता है। ग्रामीण विकास के बिना देश का विकास अधूरा है। ऐसे में आर्थिक पत्रकारिता का Single महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि वह कृषि And कृषि आधारित योजनाओं तथा ग्रामीण भारत में चल रहे विकास कार्यक्रम का सटीक आकलन कर तस्वीर पेश करे।
विशेषज्ञ पत्रकारिता
पत्रकारिता केवल घटनाओं की सूचना देना नहीं है। पत्रकार से अपेक्षा की जाती है कि वह घटनाओं की तह तक जाकर उसका Means स्पष्ट करे और आम पाठक को बताए कि उस समाचार का क्या महत्व है। इसलिए पत्रकार को भी विशेषज्ञ बनने की जरूरत पड़ती है। पत्रकारिता में विषय के आधार पर Seven प्रमुख क्षेत्र हैं। इसमें संसदीय पत्रकारिता, न्यायालय पत्रकारिता, Meansिक पत्रकारिता, खेल पत्रकारिता, विज्ञान और विकास पत्रकारिता, अपराध पत्रकारिता तथा फेशन आरै फिल्म पत्रकारिता शामिल हैं। इन क्षेत्रों के समाचार उन विषयों में विशष्ेाज्ञता हासिल किए बिना देना कठिन हातेा है। एसेे में इन विषयों के जानकार ही विषय की समस्या, विषय के गुण दाष्ेा आदि पर सटिक जानकारी हासिल कर सकता है।
रेडियो पत्रकारिता
मुद्रण के आविष्कार के बाद संदशेा और विचारों को शक्तिशाली आरै प्रभावी ढंग से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचना मनुष्य का लक्ष्य बन गया। इसी से रेडियो का जन्म हुआ। रेडियो के आविष्यकार के जरिए आवाज Single ही समय में असख्ं य लोगों तक उनके घरों को पहुंचने लगा। इस प्रकार श्रव्य माध्यम के Reseller में जनसंचार को रेडियो ने नये आयाम दिए। आगे चलकर रेडियो को सिनेमा और टेलीविजन और इंटरनेट से कडी चुनौतियां मिली लेकिन रेडियो अपनी विशिष्टता के कारण आगे बढ़ता गया और आज इसका स्थान Windows Hosting है। रेडियो की विशेषता यह है कि यह सार्वजनिक भी है और व्यक्तिगत भी। रेडियो में लचीलापन है क्योंकि इसे किसी भी स्थान पर किसी भी अवस्था में सुना जा सकता है। दूसरा रोडियो समाचार और सूचना तत्परता से प्रसारित करता है। मौसम संबंधी चेतावनी और प्रा‟तिक विपत्तियों के समय रेडियो का यह गुण शक्तिशाली बन पाता है। आज भारत के कोने-कोने में देश की 97 प्रतिशत जनसंख्या रेडियो सुन पा रही है। रेडियो समाचार ने जहां दिन प्रतिदिन घटित घटनाओं की तुरंत जानकारी का कार्यभार संभाल रखा है वहीं श्रोताओं के विभिन्न वर्गों के लिए विविध कार्यक्रमों की मदद से सूचना और शिक्षा दी जाती है। जैसे युवाओं, महिलाओं, बच्चों किसान, गृहिणी, विद्यार्थियों के लिए अलग अलग समय में कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। इस तरह हर वर्ग जोड़े रखने में यह Single सशक्त माध्यम के Reseller में उभरकर सामने आया है।
व्याख्यात्मक पत्रकारिता
पत्रकारिता केवल घटनाओं की सूचना देना नहीं है। पत्रकार से अपेक्षा की जाती है कि वह घटनाओं की तह तक जाकर उसका Means स्पष्ट करे और आम पाठक को बताए कि उस समाचार का क्या महत्व है। पत्रकार इस महत्व को बताने के लिए विभिन्न प्रकार से उसकी व्याख्या करता है। इसके पीछे क्या कारण है। इसके पीछे कौन था और किसका हाथ है। इसका परिणाम क्या होगा। इसके प्रभाव से क्या होगा आदि की व्याख्या की जाती है। साप्ताहिक पत्रिकाओं संपादकीय लेखों में इस तरह किसी घटना की जांच पड़ताल कर व्याख्यात्मक समाचार पेश किए जाते हैं। टीवी चैनलों में तो आजकल यह ट्रेडं बन गया है कि किसी भी छोटी सी छोटी घटनाओं के लिए भी विशेषज्ञ पेनल बिठाकर उसकी सकारात्मक And नकारात्मक व्याख्या की जाने लगी है।
विकास पत्रकारिता
लोकतंत्र का मूल उद्देश्य है लोगों के लिए शासन लोगों के द्वारा शासन। इस लोकतंत्र में तीन मुख्य स्तंभ है। इसमें संसदीय व्यवस्था, शासन व्यवस्था And कानून व्यववस्था। इन तीनों की निगरानी रखता है चौथा स्तंभ – पत्रकारिता। लोकतंत्र का मूल उद्देश्य है लोगों के लिए। शासन द्वारा लोगों का जीवन स्तर सुधारने के लिए सही ढंग से काम Reseller जा रहा है या नहीं इसका लेखा जोखा पेश करने की जिम्मेदारी मीडिया पर है। इसका खासकर भारत जैसे विकासशील देशों के लिए आरै भी अहम भूमिका है। देश में शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी, कृषि And किसान, सिंचार्इ, परिवहन, भूखमरी, जनसंख्या बढ़ने प्रा‟तिक आपदा जैसी समस्याएं हैं। इन समस्याओं से निपटने सरकार द्वारा क्या क्या कदम उठाए जा रहे हैं। कोर्इ योजना बनी तो उसका फायदा लोगों तक पहुंच पा रहा या नहीं या उसे सही ढंग से लागू Reseller जा रहा है या नहीं उस बारे में पत्रकार विश्लेषण कर समाचार पेश करने से King की आख्ंों खुल सकती है। कहने का तात्पर्य यह कि क्या इन सरकारी योजनओं से देश का विकास हो रहा है या नहीं उसका आकलन करना ही विकास पत्रकारिता का कार्य है। विकास पत्रकारिता के जरिए ही इसमें यथा संभव सुधार लाने का मार्ग प्रशस्त होगा।
संसदीय पत्रकारिता
लोकतंत्र में संसदीय व्यवस्था की प्रमुख भूमिका है। संसदीय व्यवस्था के तहत संसद में जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि पहुंचते हैं। बहुमत हासिल करनेवाला शासन करता है ताे दूसरा विपक्ष में बैठता है। दानेों की अपनी अपनी अहम भूमिका होती है। इनके द्वारा किए जा रहे कार्य पर नजर रखना पत्रकारिता की अहम जिम्मेदारी है क्योंकि लोकतंत्र में यही Single कड़ी है जो जनता And नेता के बीच काम करता है। जनता किसी का चुनाव इसलिए करते हैं तो वह लोगों की सुख सुविधा तथा जीवनस्तर सुधारने में कार्य करे। लेकिन चुना हुआ प्रतिनिधि या सरकार अगर अपने मार्ग पर नहीं चलते हैं तो उसको चेताने का कार्य पत्रकारिता करती है। इनकी गतिविधि, इनके कार्य की निगरानी करने का कार्य पत्रकारिता करती है।
टेलीविजन पत्रकारिता
समाचार पत्र And पत्रिका के बाद श्रव्य माध्यम का विकास हुआ। और इसके बाद श्रव्य „श्य माध्यम का विकास हुआ। दूर संचार क्रांति में सेटेलार्इट, इंटरनेट के विकास के साथ ही इस माध्यम का इतनी तेजी से विकास हुआ कि आज इसके बिना चलना मुश्किल सा हाे गया है। इसे मुख्यत: तीन वर्गों में रखा जा सकता है जिसमें सूचना, मनोरंजन और शिक्षा। सूचना में समाचार, सामयिक विषय आरै जनसचार उद्घोषणाएं आते हैं। मनोरजंन के क्षेत्र में फिल्मों से संबंधित कार्यक्रम, नाटक, धारावाहिक, नृत्य, संगीत तथा मनोरजं न के विविध कार्यक्रम शामिल हैं। इन कार्यक्रमों का प्रमखु उद्देश्य लोगों का मनोरंजन करना है। शिक्षा क्षेत्र में टेलीविजन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। पाठय सामग्री पर आधारित और सामान्य ज्ञान पर आधारित दा े वर्गों में शैक्षिक कार्यक्रमों को बांटा जा सकता है।
आज उपगह्र के विकास के साथ ही समाचार चैनलों के बीच गलाकाट प्रतिस्पर्धा चल पड़ी है। इसके चलते छोटी सी छोटी घटनाओं का भी लाइव कवरेज होने लगा है।
विधि पत्रकारिता
लोकतंत्र के चार स्तंभ में विधि व्यवस्था की भूमिका महत्वपूर्ण है। नए कानून, उनके अनुपालन और उसके प्रभाव से लोगों को परिचित कराना बहुत ही जरूरी है। कानून व्यवस्था बनाए रखना, अपराधी को सजा देना से लेकर शासन व्यवस्था में अपराध राके ने, लोगों को न्याय प्रदान करना इसका मुख्य कार्य है। इसके लिए निचली अदालत से लेकर उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय तक व्यवस्था है। इसमें रोजाना कुछ न कुछ महत्वपूर्ण फैसले सुनाए जाते हैं। कर्इ बड़ी बड़ी घटनाओं के निर्णय, उसकी सुनवार्इ की प्रक्रिया चलती रहती है। इसबारे में लोग जानेन की इच्छुक रहते हैं, क्योंकि कुछ मुकदमें ऐसे होते हैं जिनका प्रभाव समाज, संप्रदाय, प्रदेश And देश पर पड़ता है। दूसरी बात यह है कि दबाव के चलते कानून व्यवस्था अपराधी को छोड़कर निर्दोष को सजा तो नहीं दे रही है इसकी निगरानी भी विधि पत्रकारिता करती है।
फोटो पत्रकारिता
फोटो पत्रकारिता ने छपार्इ तकनीक के विकास के साथ ही समाचार पत्रों में अहम स्थान बना लिया है। कहा जाता है कि जो बात हजार Wordांे में लिखकर नहीं की जा सकती है वह Single तस्वीर कह देती है। फोओ टिप्पणियों का असर व्यापक और सीधा होता है। दूसरी बात ऐसी घटना जिसमें सबूत की जरूरत हातेी है वसैे समाचारों के साथ फाटेो के साथ समाचार पशेा करने से उसका विश्वसनीयता बढ़ जाती है।
विज्ञान पत्रकारिता
इक्कीसवीं शताब्दी को विज्ञान का युग कहा गया है। वर्तमान में विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली है। इसकी हर जगह पहुचं हो चली है। विज्ञान में हमारी जीवन शैली को बदलकर रख दिया है। वैज्ञानिकों द्वारा रोजाना नर्इ नर्इ खोज की जा रही है। इसमें कुछ तो जनकल्याणकारी हैं तो कुछ विध्वंसकारी भी है। जैसे परमाणु की खोज से कर्इ बदलाव ला दिया है लेकिन इसका विध्वंसकारी पक्ष भी है। इसे परमाणु बम बनाकर उपयोग करने से विध्वंस हागेा। इस तरह विज्ञान पत्रकारिता दोनों पक्षों का विश्लेषण कर उसे पेश करने का कार्य करता है। जहां विज्ञान के उपयोग से कैसे जीवन शैली में सुधार आ सकता है तो उसका गलत उपयोग से संसार ध्वंस हो सकता है।
विज्ञान पत्रकारों को विस्तृत तकनीकी आरै कभी कभी Wordजाल को दिलचस्प रिपोर्ट में बदलकर समाचार पाठक दर्शक की समझ के आधार पर प्रस्तुत करना होता है। वैज्ञानिक पत्रकारों को यह निश्चिय करना होगा कि किस वैज्ञानिक घटनाक्रम में विस्तृत सूचना की योग्यता है। साथ ही वैज्ञानिक समुदाय के भीतर होनवेाले विवादांे को बिना पक्षपात के आरै तथ्यों के साथ पेश करना चाहिए।
शैक्षिक पत्रकारिता
शिक्षा के बिना कुछ भी कल्पना करना संभव नहीं है। पत्रकारिता All नर्इ सूचना को लोगों तक पहुंचाकर ज्ञान में वृद्धि करती है। जब से शिक्षा को औपचारिक बनाया गया है तब से पत्रकारिता का महत्व और बढ़ गया है। जब तक हमें नर्इ सूचना नहीं मिलगेी हमें तब तक अज्ञानता घेर कर रखी रहेगी। उस अज्ञानता को दूर करने का सबसे बड़ा माध्यम है पत्रकारिता। चाहे वह रेडियो हाे या टेलीविजन या समाचार पत्र या पत्रिकाएं All में नर्इ सूचना हमें प्राप्त हातेी है जिससे हमें नर्इ शिक्षा मिलती है। Single बात आरै कि शिक्षित व्यक्ति Single माध्यम में संतुष्ट नहीं होता है। वह अन्य माध्यम को भी देखना चाहता है। यह जिज्ञासा ही पत्रकारिता को बढ़ावा देता है तो पत्रकारिता उसकी जिज्ञासा के अनुReseller शिक्षा And ज्ञान प्रदान कर उसकी जिज्ञासा को शांत करने का प्रयास करता है। इसे पहुंचाना ही शैक्षिक पत्रकारिता का कार्य है।
सांस्कृतिक-साहित्यिक पत्रकारिता
मनुष्य में कला, संस्‟ति And साहित्य की भूमिका निर्विवादित है। मनुष्य में छिपी प्रतिभा, कला चाहे वह किसी भी Reseller में हो उसे देखने से मन को तृप्ति मिलती है। इसलिए मनुष्य हमेशा नर्इ नर्इ कला, प्रतिभा की खोज में लगा रहता है। इस कला प्रतिभा को उजागर करने का Single सशक्त माध्यम है पत्रकारिता। कला प्रतिभाओं के बारे में जानकारी रखना, उसके बारे में लोगों को पहुंचाने का काम पत्रकारिता करता है। इस सांस्कृतिक साहित्यिक पत्रकारिता के कारण आज कर्इ विलुप्त प्राचीन कला जैसे लोकनृत्य, लोक संगीत, स्थापत्य कला को खोज निकाला गया है और फिर से जीवित हो उठे हैं। दूसरी ओर भारत जैसे विशाल और बहु सांस्कृति वाले देश में सांस्कृतिक साहित्यिक पत्रकारिता के कारण देश की Single अलग पहचान बन गर्इ है। कुछ आंचलिक लोक नृत्य, लोक संगीत Single अंचल से निकलकर देश, दुनिया तक पहचान बना लिया है। समाचार पत्र And पत्रिकाएं प्रारंभ से ही नियमित Reseller से सांस्कृतिक साहित्यिक कलम को जगह दी है। इसी तरह चौनलों पर भी सांस्कृतिक, साहित्यिक समाचारों का चलन बढ़ा है। Single अध्ययन के According दर्शकों के Single वर्ग ने अपराध व राजनीति के समाचार कार्यक्रमों से कहीं अधिक अपनी सांस्कृति स े जुड़े समाचारों व समाचार कार्यक्रमों से जुड़ना पसंद Reseller है। साहित्य व सांस्कृति पर उपभेक्तावादी सांस्कृति व बाजार का प्रहार देखकर केद्रं व प्रदेश की सरकारें बहुत बड़ा बजट इन्हें संरक्षित करने व प्रचारित प्रसारित करने में खर्च कर रही है। साहित्य एव सांस्कृति के नाम पर चलनेवाली बड़ी बड़ी साहित्यिक व सांस्कृति संस्थाओं के बीच वाद प्रतिवाद, आरोप-प्रत्यारोप और गुटबाजी ने साहित्य सांस्कृति में मसाला समाचारों की संभावनाओं को बहुत बढ़ाया है।
अपराध पत्रकारिता
राजनीतिक समाचार के बाद अपराध समाचार ही महत्वपूर्ण होते हैं। बहुत से पाठकों व दशर्कों को अपराध समाचार जानने की भूख होती है। इसी भूख को शांत करने के लिए ही समाचारपत्रों व चौनलों में अपराध डायरी, सनसनी, वारदात, क्राइम फाइल जैसे समाचार कार्यक्रम प्रकाशित And प्रसारित किए जा रहे हैं। Single अनुमान के According किसी समाचार पत्र में लगभग पैंतीस प्रतिशत समाचार अपराध से जुड़े हातेे हैं। इसी से अपराध पत्रकारिता को बल मिला है। दूसरी बात यह कि अपराधिक घटनाओं का सीधा संबंध व्यक्ति, समाज, संप्रदाय, धर्म और देश से हातेा है। अपराधिक घटनाओं का प्रभाव व्यापक हातेा है। यही कारण है कि समाचार संगठन बड़े पाठक दर्शक वर्ग का ख्याल रखते हुए इस पर विशेष फोकस करते हैं।
राजनैतिक पत्रकारिता
समाचार पत्रों में सबसे अधिक पढ़े जानेवाले आरै चैनलों पर सर्वाधिक देखे सुने जानेवाले समाचार राजनीति से जुड़े होते हैं। राजनीति की उठा पटक, लटके झटके, आरोप प्रत्यारोप, रोचक रोमांचक, झूठ-सच, आना जाना आदि से जुड़े समाचार सुर्खियों में होते हैं। राजनीति से जुड़े समाचारों का परूा का पूरा बाजार विकसित हो चुका है। राजनीतिक समाचारों के बाजार में समाचार पत्र और समाचार चौनल अपने उपभेक्ताओं को रिझाने के लिए नित नये प्रयोग करते नजर आ रहे हैं। चुनाव के मौसम में तो प्रयोगों की झडी लग जाती है और हर कोर्इ Single Second को पछाड़कर आगे निकल जाने की होड़ में शामिल हो जाता है। राजनीतिक समाचारों की प्रस्तुति में First से अधिक बेबाकी आयी है। लोकतंत्र की दुहार्इ के साथ जीवन के लगभग हर क्षेत्र में राजनीति की दखल बढ़ा है और इस कारण राजनीतिक समाचारों की भी संख्या बढ़ी है। एसेे में इन समाचारों को नजरअंदाज कर जाना संभव नहीं है। राजनीतिक समाचारों की आकर्षक प्रस्तुति लोकप्रिया हासिल करने का बहुत बड़ा साधन बन चुकी है।