नेतृत्व का Means, परिभाषा And शैली
नेतृत्व के सम्बन्ध में अनेक विचारधाराएं प्रचलित हैं। इन विचारधाराओं को नेतृत्व अध्ययन के दृष्टिकोण अथवा उपागम भी कहा जाता है। नेतृत्व सम्बन्धी प्रमुख विचारधाराएं And दृष्टिकोण हैं :-
नेतृत्व के अध्ययन के दृष्टिकोण इस मान्यता पर आधारित है कि ‘नेता पैदा होते हैं, बनाये नहीं जाते।’ यह विचारधारा इस बात में विश्वास रखती है कि ‘नेता नेता है’ (A Leader is a Leader) Meansात् वह महान् व्यक्ति है और हर तरह से योग्य है। इन नेताओं में वंशानुगत Reseller से नेतृत्व गुण होते हैं। ऐसे महान जन्मजात नेताओं के उदाहरण बताए जाते हैं, जैसे महात्मा गांधी, माओ, अब्राहम लिंकन, सिकन्दर, आदि। इस विचारधारा के समर्थक’ अधिशासी विकास’ (Exective Development) की नीति में कोर्इ विश्वास नहीं रखते। नेतृत्व की सफलता के मूल्यांकन के लिए वे नेता के व्यवहार And उसकी कार्यविधियों के अध्ययन And विश्लेषण में कोर्इ रुचि नहीं रखते। इस विचारधारा की यह मान्यता है कि ऐसे लोग किसी भी समय, काल व परिस्थिति में नेता के Reseller में सफल होते है। क्योंकि उनमें जन्मजात नेतृत्व कौशल व गुण पाए जाते है। यह कहा जाता है कि History इन्हीं महान व्यक्तियों की कथा कहानी है। ऐसे महान् नेता अपने युग के रचयिता होते हैं, न कि वह युग उनका रचयिता होता है। इस विचारधारा से आशय झलकता है:
- कुछ लोगों को महान् बनने का दैवी वरदान मिलता है। ऐसे नेता Humanता के लिए दैवी उपहार हैं। इन नेताओं में दिव्य गुण व विषिश्टता होती है।
- नेता बनने के लिए और अपने अनुयायियों को प्रभावित करने के लिए तथा सफलता पाने हेतु जन्मजात नेतृत्व कौशल आवश्यक और पर्याप्त होते हैं।
- यह विचारधारा इस बात को अमान्य बनाती है कि किसी व्यक्ति को नेतृत्व करने के लिए प्रशिक्षित Reseller जा सकता है। नेतृत्व गुणों को शिक्षा व प्रशिक्षण द्वारा विकसित नहीं Reseller जा सकता।
2. गुण दृष्टिकोण –
’गुण’ विचारधारा महान् व्यक्ति दृष्टिकोण से भिन्न है। गुण दृष्टिकोण इस मान्यता पर आधारित है कि सफल नेतृत्व नेता की व्यक्तित्व सम्बन्धी विशेषताओं पर आश्रित होता है और उन विशेषताओं व गुणों का व्यवस्थित Reseller से अध्ययन And विष्लेशण करना सम्भव होता है। यहां नेतृत्व के विष्लेशण करने का उद्देश्य बौद्धिक, शारीरिक, सामाजिक, भावात्मक और अन्य व्याक्तत्वजन्य विशेषताओं को पहचान करना रहा है जो प्रभावी नेताओं में पाए जाते हैं। जहां तक व्यक्तित्व सम्बन्धी गुणों के निर्धारिण का प्रश्न है यह अत्यनत विवादास्पद मामला है। गुण सूची में 5-6 से लेकर 20 इससे भी अधिक गुणों को सम्मिलित Reseller जा सकता है। इस सम्बन्ध में कोर्इ सर्वसम्मत गुणसूची उपलब्ध नहीं है। यद्यपि अन्यशास्त्री किसी Single सामान्य गुण सूची के सम्बन में मतैक्य उत्पन्न नहीं कर सके हैं तथापि तीन सामान्य गुण क्षेत्रों के सम्बन्ध में निर्विवाद Reseller से Singleमत हैं-
- बुद्धिमत्ता,
- संचार चातुर्य,
- समूह लक्ष्य की मूल्यांकन योग्यता।
- शारीरिक गुण – जैसे लम्बार्इ, सवास्थ्य, हृष्ट-पुष्ट, रंग-Reseller, आदि।
- बुद्धि और योग्यता का गुण-जैसे धैर्य, उदारता, आत्मविश्वास, आदि।
- व्यक्तित्वजन्य गुण-जैसे धैर्य, उदारता, आत्मविश्वास, आदि।
- कार्य से सम्बन्धित गुण-जैसे उपलब्धि, उद्यमशीलता, पहलपन, प्रबलपन, प्रबल इच्छाशक्ति, आदि।
- सामाजिक गुण-जैसे सहकारिता, पर्यवेक्षकीय योग्यता, अन्तव्र्यक्तिगत कौशल, आदि।
3. परिस्थितीय दृष्टिकोण –
इस दृिश्कोण का विकास आर. एम. स्टोडगिल And उकने सहयोगियों द्वारा Reseller गया है। यह विचारधारा इस तथ्य पर बल देती है कि नेतृत्व की सफलता उस परिस्थिति विशेष से प्रभावित होती है, जिसमें नेता कार्य करता है। नेतृत्व की सफलता के अध्ययन में परिस्थिति विशेष का विश्लेषण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। Single सफल नेता का व्यवहार सदैव Singleसा नहीं रहता। वह भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न तरह से व्यवहार करता है।
- निदेश,
- विक्रय,
- भाग ग्रहण And
- हस्तान्तरण।
4. व्यवहार दृष्टिकोण –
व्यावहार दृष्टिकोण में नेता के व्यक्तिगत गुणों और उसकी विशेषताओं के स्थान पर उसके व्यवहार के अध्ययन Single अधिक बल दिया जाता है। व्यवहार से अभिप्राय नेता द्वारा किये जाने वाले कार्य और नेतृत्व विष्लेषण के इस दृष्टिकोण में अधिकारियों द्वारा निरोजन, अभिप्रेरणा And संचार में लगाया जाने वाला समय और विधि का अध्ययन सम्मिलित है। इस दृष्टिकोण के According नेतृत्व की सफलता नेताओं के व्यवहार पर निर्भर करती है Meansात् किसी नेता की सफलता का मूल्यांकन उसके व्यवहार का विष्लेशण करके ही Reseller जा सकता है।
5. लक्ष्य विचारधारा –
नेतृत्व की इस विचारधारा के प्रारम्भिक प्रतिपादक हाऊस है किन्तु बाद में इसे हाऊस और मिचैल द्वारा विकसित Reseller गया। यह विचारधारा ओहिओ स्टेटे नेतृत्व अध्ययन और अभिप्रेरणा के प्रत्याशा सिद्धान्त से पे्ररित है। पथ-लक्ष्य विचारधारा का इस बात पर बल है कि नेता अधीनस्थों को पथ-लक्ष्यों तथा Need-सन्तुष्टि के प्रति उनके अवबोध को प्रभावित कर संगठनात्मक प्रभावशीलता को अनुकूलतम बना सकते है। इसकी पहली मान्यता यह है कि अधीनस्थों द्वारा नेता को स्वीकारा जाता है और उसके लक्ष्यों, योजनाओं व नीतियों का उस सीमा तक प्रत्युत्तर दिया जाता है जिस सीमा तक उन्हें यह लगता है कि उसने उनकी तात्कालिक या भावी Needओं की सन्तुष्टि होगी।
इसकी दूसरी मान्यता है कि नेता अपने अधीनस्थों से सफलतापूर्वक कार्य लेने व संगठनात्मक लक्ष्यों में योगदान करने में उस सीमा तक सफल होगा जिस सीमा तक उन्हें यह लगता है कि उनसे उनकी तात्कालिक या भावी Needओं की सन्तुष्टि होगी। इसकी मान्यता यह है कि अधीनस्थों द्वारा नेता को स्वीकारा जाता है और उसके लक्ष्यों, योजनाओं व नीतियों का उस सीमा तक प्रत्युत्तर दिया जाता है जिस सीमा तक उन्हें यह लगता है कि उनसे उनकी तात्कालिक या भावी Needओं की सन्तुष्टि होगी। इसकी दूसरी मान्यता है कि नेता अपने अधीनस्थों से सफलतापूर्वक कार्य लेने व संगठनात्मक लक्ष्यों में योगदान करने में उस सीमा तक सफल होगा जिस सीमा तक वह (अ) कर्मचारियों की Need-सन्तुष्टि को प्रभावी निष्पादन पर आधरित करताहै और, (ब) उन्हें प्रभावी निष्पादन के लिए तैयार करने, (ब) उनकी Needओं की पूर्ति में सहायता व मार्गदर्शन देने, तथा (स) उनकी Need-सन्तुष्टि को प्रभावी निष्पादन पर आधारित करने की कितनी योग्यता रखता है।
इस प्रकार, जब कर्मचारियों को यह लगता है कि उनकी Need निष्पादन पर आधारित करने की कितनी योग्यता रखता है। इस प्रकार, जब कर्मचारियों को यह लगता है कि उनकी Need सन्तुष्टि उनके प्रभावी निष्पादन पर निर्भर है, तब वे संगठनात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति में अपनी पूरी क्षमता से काम करेंगे और अपना अनुकूलतम योगदान प्रदान करेंगे।
6. जीवन चक्र दृष्टिकोण –
ए.के. कोरमेन पाल हर्से तथा केनेथ ब्लेनकार्ड इस दृष्टिकोण के प्रणेता है। यह दृष्टिकोण ‘ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के अध्ययनों’ का परिणाम है। जीवन चक्र दृष्टिकोण में नेता की विशेषताओं तथा परिस्थिति के स्थान पर अनुयायियों की महत्ता पर बल दिया गया है। इसकी मान्यता के According नेतृत्व का सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटक अनुयायी होते है।
क्योंकि प्रत्येक परिस्थिति में व्यक्तिगत Reseller से वे ही किसी नेता को स्वीकार अथवा अस्वीकार करते हैं और सामूहिक Reseller से वे ही वस्तुत: नेता की व्यक्तिगत शक्ति का निर्धारण स्रोत होते हैं। इस नेतृत्व की यह मौलिक मान्यता है कि सर्वाधिक प्रभावशाली नेतृत्व शैली की उपयुक्तता अनुयायियों की तत्परता-सतर पर निर्भर है। हर्से और ब्लेनकार्ड ने कर्इ परिस्थित्यात्मक कारकों की Discussion की है-नेता, अनुयायाी, शीर्ष अधिकारी (boss) , मुख्य सहयोगी (key associates), संगठन, कार्य की प्रकृति (job-demands) और निर्णय-समय। लेकिन उनका यह दृढ़ विचार है कि किसी भी नेतृत्व-स्थिति में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक नेता और उनके अनुयायियों के बीच सम्बन्ध ही है। यदि अनुयायी नेता का अनुसरण न करने की ठान लें तो फिर यह बात Meansहीन है कि शीर्ष अधिकारी और मुख्य सहयोगियों के क्या विचार है। अथवा कार्य की प्रकृति कैसी है। अनुयायियों के बिना नेतृत्व नहीं Reseller जा सकता है।
नेतृत्व के प्रकार
1. परिस्थित्यात्मक नेतृत्व –
- वह अपने अधीनस्थों को अपने कार्यक्षेत्रों में महत्वपूर्ण निर्णय लेने की अनुमति देता है।
- वह अपने अधीनस्थों को उन निर्णयों को लेने में सहभागी बनाता है जो उन्हें प्रभावित करते हैं।
- वह अपने आदेशों में अन्तर्निहित कारणों को स्पष्ट करता है तथा भावी योजनाओं से समूह को अवगत रखता है।
- वह अपने अनुयायियों को Single सामाजिक इकार्इ के Reseller में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करता है।।
- वह कर्मचारी-केन्द्रित अधिक होता है और कर्मचारियेां को पूर्ण स्वतन्त्रता प्रदान करता है। व मूलाधार पॉल हर्से और ब्लेनकार्ड का मानना है कि नेता की कौन-सी नेतृत्व शैली सर्वाधिक उपयुक्त होगी, यह वस्तुत: लोगों के तत्परता-स्तर पर निर्भर है। इससे स्पष्ट है कि अनुयायियों या अधीनस्थों की तत्परता का स्तर यह निर्धारित करता है कि नेता द्वारा किस नेतृत्व शैली का चयन होना चाहिए। तत्परता को परिपक्वता (maturity) vFkok fodkl (development) भी कहा जा सकता है।
2. निर्बाध नेतृत्व –
यह Single ऐसे प्रकार का नेतृत्व है जिनमें नेता अपने अनुयायियों और अधीनो के साथ सम्पर्क नहीं रखता और उन्हें अपने लक्ष्य निर्धारित करने तथा स्वयं निर्णय लेने के लिए अवसर प्रदान करता है। वास्तव में, अधीनस्थानों को पर्याप्त अधिकार सौंप दिये जाते है। ऐसा नेता मार्गदशर्न नहीं करता है। इस प्रकार वह आज्ञा देने के आदेश होता है। वह सम्पूर्ण प्रयास में शायद ही अपना योगदान देता है।
फलत: सम्पूर्ण संगठन में अव्यवस्था पायी जाती है, क्योंकि वह व्यक्तियों को विभिन्न दशाओं में कार्य करने की अनुमति प्रदान करता है। ऐसा नेतृत्व उसी स्थिति में सफल हो सकता है जब अधीनस्थ पूर्णतया समझदार तथा कर्तव्य के प्रति निष्ठावान हो। यही कारण है क इस प्रकार का नेतृत्व कुछ विशेष परिस्थितियों में ही सफल हो सकता है। सामान्य Reseller से इस प्रकार के नेतृत्व को अपनाने का सुझाव नहीं दिया जा सकता।
3. जनतन्त्रीय नेतृत्व –
जनतन्त्रीय विचारों वाला नेता ऐसा व्यक्ति होता है जो कि समूह के साथ विचार-विमर्श करके नीतियों का निर्माण करता है। इस प्रकार के नेतृत्व की अवधारणा अधिकार तथा निर्णयन के विकेन्द्रीकरण पर आधारित है। Single लोकतांत्रिक नेता अपने अनुयायी को Single सामाजिक इकार्इ के Reseller में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करता है तथा समूह के सदस्यों की निपुणताओं और योग्यताओं का पूरा-पूरा लाभ उठाता है।
नेतृत्व सम्बन्धी गुण
- संपे्रषण की योग्यता (Ability to Communicate)- Single अच्छे नेता में निदेशों And बिचारों तथा आदेशों को अन्य व्यक्तियों को संप्रेषित करने की योग्यता होनी चाहिए। साथ ही साथ संपे्रझण के परिणमस्वReseller् उसमें अन्य व्यक्तियों की प्रतिक्रिया जानने की झमता भी होनी चाहिए।
- सत्यनिष्ठा (Integrity)-नेतृत्व सर्वोत्तम ढंग से उसी समय कार्य करता है जबकि वह सद्भावना, निश्कपटता तथा सत्यनिष्टा, नैतिक सुटृढता And सच्चार्इ पर आधारित होता है।
- निर्णायकता (Decisiveness)- यह गुण नेता मे निर्णय लेने से सम्बन्धित होता है। प्रत्येक नेता में किसी भी परिस्थिति मे निर्णय लेने की झमता अवश्य होनी चाहिए क्योकि प्रभावशाली निर्णयकर्ता पर भी संगठन क्ी सफलता निर्भर करती है।
- उत्साहित करने की योग्यता (Ability to Inspire)- Single नेता मे अपने अनुयायियों को प्रभावित करने की पर्याप्त योग्यता होनी चाहिए।
- साहस (Courage)- Single नेता में उन कार्यो को करने जिन्हें वह ठीक समझता है, का नैतिक साहस होना चाहिए। उन्हें निर्णय लेने और उन निर्णयों के According कार्य करने में अडिग बने रहने के लिए निभ्र्ाीक होना चाहिए। फील्ड मार्शल स्लिम के According, ‘‘बिना साहस के कोर्इ भी सद्गुण प्रभावी नही होते है। क्योकि विश्वास, आशा तथा दया आदि All सद्गुण नही रह पाते जब तक कि उनका प्रयोग करने के लिए साहस का आश्रय नही लिया जाता है’’
- विचारों में लोचशीलता (Flexibility in Ideas)-त्रीव गति से परिवर्तनशील सामाजिक आर्थिक वातावरण मे Single नेता में लोचशीलता होना आवश्यक है। परिस्थितियों के बदलने पर उसमें अपने विचारों में परिवर्तन करने की झमता भी होनी चाहिए।
- उत्तरदायित्व (Responsbility)-Single अच्छे नेता मे Second उत्तरदायित्व को निभाने की झमता भी होनी चाहिए। अपने उत्तरदायित्व को वहन करने पर ही वह अपने नैतिक कर्तव्य को पूरा कर सकता है।
- अनुभूति (Persuasiveness)-Single नेता में Second व्यक्तियों की भावनाओं, जिज्ञासाओं, हितों And परिस्थितियों को समझने And अनुभव करने की क्षमता होनी चाहिए। Single अच्छा नेता वही माना जाता है जो अपने अधीनस्थों की भावनाओं के अनुReseller कार्य करता है। लोग ऐसे नेता के आदेशों का अनुपालन करते है, उसके निर्देशानुसार अपना कार्य स्वेच्छा से करने के लिए तत्पर रहते है।
- समझदारी :- Single नेता में अपने अनुयायियों से अधिक समझदारी होनी चाहिए जिससे कि वह पूर्व उचित मार्गदर्शन दे सके और उनसे अपेक्षित लक्ष्यों की प्राप्ति कर सके।
- अच्छा निर्णय :- Single अच्छे नेता में भविष्य के सन्दर्भ में सोचने And समझने की क्षमता होनी चाहिए जिससे कि वह भविष्य में किये जाने वाले कार्यों And समस्याओं के समाधान के लिए अच्छे निर्णय ले सके।
उपर्युक्त गुणों का विश्लेषण करने पर यह निश्कर्ष निकलता है कि Single नेता में दो प्रकार के गुणों का होना नितान्त आवश्यक है : -(i) अनिवार्य गुण तथा, (ii) आन्तरिक And अमूर्त गुण।
- अनिवार्य गुणों के अन्तर्गत साहस, दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प, निर्णायकता, बुद्धिमानी कल्पना शक्ति, सक्रियता निपेक्षा, समन्वय, संपेश््राण And प्रबन्ध करने की क्षमता, Creationत्मकता, आदि गुण सम्मिलित किये जाते है।
- आन्तरिक गुणों के अन्तर्गत सत्यनिष्ठा, नैतिक, साहस, उदारता कूटनीतिज्ञता, व्यवहार कौशल शिष्टाचार सामंजस्य का तथा परानुभूति के गुण सम्मिलित है। ये All गुण मिलकर किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाते हैं। नेता का व्यक्तित्व प्रसन्नचित होना चाहिए ये All गुणों के होने पर उसके सहायोगी And अनुयायी उसे पसन्द करेंगे। और उस पर विश्वास करेंगे साथ-साथ Single अच्छे नेता को अपने अधीनस्थों को प्रोत्साहित करने तथा उनकी सहायता करने की तत्परता होनी चाहिए।
नेता को अपने अधीनस्थों की विशेषताओं का मूल्यांकन भी करना चाहिए कि उनमें कितनी सक्षमता, अभिप्रेरणा तथा प्रतिबद्धता है। यदि उनमें आत्मनिर्भरता की अत्यधिक Need है। निर्णयन के उत्तरदायित्व को ग्रहण करने की तत्परता है, अस्पष्टता कि प्रति उच्चस्तरीय सहनशीलता है, समस्या में रूचि है, संगठनात्मक लक्ष्यों के प्रति समझ व प्रतिबद्धता है, निर्णय लेने के लिए आवश्यक ज्ञान व कुशलता है तथा निर्णयन में सहभागी बनने की अपेक्षा है तो उन्हें निर्णय लेने की अधिक स्वतन्त्रता दी जा सकती है।
परिस्थितियों में निहित शक्तियां भी नेतृत्व शैली के चुनाव को प्रभावित करती जैसे कि संगठन की विशेषताएं जैसे उसके परम्पराएं कार्यशील र्इकार्इ का आकार उनका भौगौलिक स्थल उपक्रम के लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु आवश्यक स्तर संगठनात्मक और संगठन के भीतर अन्तरक्रियाओं की मात्रा समूह सदस्यों का Single इकार्इ के Reseller में साथ साथ काम करने की क्षमता समस्या की प्रकृति व उसके लिए अपेक्षित ज्ञान व सफलता, समय का दबाव और दीर्घकालीन व्यूहCreation।
नेता को अपने अधीनस्थों की वैयक्तिक Reseller से और समूह सदस्यों के Reseller में विशेषताओं का तथा संगठन And उदाहरण में निहित शक्तियों का पता होना चाहिए, उसमें परिस्थिति के अनुReseller उपयुक्त नेतृत्व शैली को अपनाने की स्पष्टता होनी चाहिए। वे इस निश्कर्ष पर पहुँचते है कि Single सफल प्रबन्धक न तो सुदृढ़ होता है और न ही अनुमत प्रस्तुत परिस्थितियों का सही सही आकलन कर अपने लिए सर्वाधिक उपयुक्त नेतृत्व व्यवहार का निर्धारण करता है। और वैसा व्यवहार करता है। वह अन्तदृश्टिपूर्ण तथा लाचशील दोनों होता है। इसलिए उसे नेतृत्व की समस्या असमंजस में नहीं डालती है।
इसमें कोर्इ संदेह नहीं कि टैननबाम और शिमिट ने प्रबन्धकों के लिए नेतृत्व शैलियों के चयन हेतु व्यावहारिक मार्गदर्शन Resellerरेखा प्रस्तुत की है। उनका यह योगदान अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि वे इस बात को मान्यता देते है कि All परिस्थितियों में Single विशिष्ट नेतृत्व शैली प्रभावित नहीं होती। प्रबन्धक को प्रस्तुत परिस्थितियों के अनुReseller अपने नेतृत्व व्यवहार में परिवर्तन चाहिए। नेतृत्व के निम्नलिखित गुणों का History Reseller है : –
- स्वास्थ्य And शारीरिक स्वस्थता या क्षमता,
- समझदारी मानसिक शक्ति,
- नैतिक गुण,
- समानता, तथा
- प्रबन्धकीय योग्यता।
श्री केट्ज ने Single नेता में तीन प्रकार के गुणों के होने पर विशेष बल दिया है : -(1) तकनीकी गुण, (2) माननीय गुण तथा (3) सैद्धान्तिक गुण।
- तकनीकी गुणों से आशय उसकी उस योग्यता से है जिसके द्वारा वह अपने ज्ञान, And तकनीकों का समुचित Reseller से अपने कार्य निष्पादन में प्रयोग करने में समर्थ हो पाता है। यह योग्यता उसको अनुभव, तथा प्रशिक्षण से प्राप्त होती है।
- Humanीय गुण के अन्र्तगत उसकी उस योग्यता And निर्णयन की क्षमता को सम्मिलित Reseller तथा सहायता से वह अन्य व्यक्तियों के साथ कार्य करने में अभिप्रेरण प्रक्रिया को समझने में तथा प्रभावी नेतृत्व का उपयोग में स्वयं हो पाता है।
- सैद्धान्तिक गुण से आशय उसकी योग्यता से है जो उसे समग्र संगठन को समझने तथा यह ज्ञात उसमें उसका क्या स्थान है, में समर्थ बनाती है।