दलित Word का Means और परिभाषा
दलित Word की यूं तो हमें अनके परिभाषाएँ देखने को मिलती है और उन सब से Single ही मूल बात या तथ्य उभर कर सामने आता है कि ‘दलित’ Word की व्युत्पत्ति ‘दल्’ धातु से हुई है।’’ जिसके Seven Means इस प्रकार हैं- 1. किसी वस्तु का वह खंड जो उसी प्रकार के Second खंड से Added हो पर जरा सा दबाव पड़ने से अलग हो जाये, जैसे ‘दाल के दो दल’। 2. पौधे का पत्र 3. फूल की पंखुडी जैसे कमल के दल। 4. समूह, झुंड तथा गिरोह। 5. किसी कार्य या उद्देश्य की सिद्धि के लिए बना हुआ लागेों का Single गुट। 6. सेना, फ़ौज। 7. परत की तरह फैली किसी लम्बी चीज की मोटाई।’’
फिर यहीं से यह Word ‘दलन’ ‘दलित’ और ‘दलित वर्ग’ के रुप में व्युत्पन्न हुआ जिनके अपने कई Wordिक Means हैं। जैसे 1. दलने की क्रिया का भाव। 2. संहार विनाश करने वाला, जैसे ‘दुष्ट दलन’। ‘दलना’-स-दलन 1. चक्की आदि में पीसकर छाटे छाटे टकुड़े करना ; माटेा चूर्ण करना। 2. रौंदना, कुचलना। 3. मसलना, मीड़ना। 4. Destroy या ध्वस्त करना। दलित Word का Wordिक Means है – दलन Reseller हुआ। इसमें वह हर व्यक्ति आ जाता है जिसका शेण-उत्पीड़न हुआ है। रामचंद्र वर्मा ने अपने Wordकोष में दलित का Means लिखा है, ‘‘मसला हुआ, मर्दित, दबाया, रौंदा या कुचला हुआ, विनश्ट Reseller हुआ।’’
‘‘दलित-वर्ग- समाज का वह वर्ग जो सबसे नीचा माना गया हो या दुखी और दरिद्र हो जिसे उच्च वर्ग के लोग उठने न देते हों। जैसे भारत की छाटेी या अछूत माने जाने वाली जातियों का वर्ग।’’
हिन्दी Wordकोष के साथ ही संस्कृत Wordकोष में भी दलित Word का वही Means दखेते हैं।
संस्कृत Wordकोश के According-’’दलित’’- दलमस्यं जातं दलतारिका दित्वादि तच्। 1. प्रस्फुटितं, प्रफुल्ल। 2. खंडित, टुकडा Reseller हुआ। 3 . विद्रोण, रौंदा हुआ, कुचला हुआ। 4. विनिष्ट Reseller हुआ। 5. दल’’मअत्यंज। 4.नाषित, ध्वंसितं। अस्पृष्य:, नीच: हरिजन:।’’ ‘‘दलित’-वि-दल+त्क्त टूटा हुआ। फटा हुआ। चिरा हुआ। खुला हुआ। फैला हुआ।’’ ‘‘दलन’’न’-(न) दल+ल्यटु्-तोड़ना। काटना। हिस्से करना। कुचलना, मत्तभेदलने भुवि सन्तिषूरा:, भर्त। पीसना। चीरना।’’
‘‘दलित’-वि-सं-रौंदा, कुचला दबाया हुआ पदाक्रान्त। वर्ग-पु. हिन्दुओं में वे शूद्र जिन्हें अन्य जातियों के समान अधिकार प्राप्त नहीं थे।’’ मराठी भाषा में दलित का Means निम्न रुपों में व्यक्त होता है जैसे- दलना-क्रि. स। 1. वाटणं। 2.चेंदा मेंदा करणें;,3. चिरडणें। 4.मळणें।’’6 ‘दलित’-वि कुचला हुआ, पददलित,मर्दित, रौंदा हुआ, विमर्दित। अंग्रेजी Wordकोश के According-’’Downtrodden ‘‘डाउन ट्रॉडन, उत्पीड़ित, प्रपीड़ित, पददलित। ‘Downword’’- डाउनवॅडर्-अधामेुखी, अध:, अधोमुख, पतनषील, नीचे की ओर, उत्तर की ओर।’’ ‘‘दलित’-Dalit-, Downtrodden, Depressed, Depressed class” इस प्रकार संस्कृत, हिन्दी, अंग्रजेी और मराठी भाषा के Wordकोषों को देखने से पता चलता है कि ‘दलित’ Word का Means है- अधामेुख की आरे जाने वाला, पतनषील, उत्पीड़ित, पददलित, कुचला हुआ, रौंदा हुआ, मदिर्त, टूटा हुआ, चिरा हुआ, दबाया हुआ, पदाक्रान्त, विनिष्ट Reseller हुआ, अस्पृष्य, अत्यंज, हरिजन:, नीच, अवपीडित, मसला हुआ, Depressed और Downdrodden इत्यादि हैं।
‘दलित’ Word ‘दलित साहित्य’ और ‘दलित विमर्श’ मराठी साहित्य के प्रभाव से हिन्दी में आया। सबसे First यह Word मराठी भाषा में मराठी साहित्य में उभरा वहाँ से होकर हिन्दी में आया। ‘दलित’ का Wordिक Means है-’कुचला हुआ।’ अत: दलित वर्ग का सामाजिक संदर्भों में Means होगा, वह जाति समदुाय जिसका अन्यायपूर्वक सवर्ण उच्च जातियों द्वारा दमन Reseller गया हो, रौंदा गया हो। दलित Word व्यापक रुप में पीडित के Means में आता है, पर दलित वर्ग का प्रयागे हिन्दू समाज-व्यवस्था के अंतर्गत परंपरागत रुप में शूद्र माने जाने वाले वर्णो के लिए रुढ़ हो गया है। दलित वर्ग में वे All जातियाँ सम्मिलित हैं जो जातिगत सोपान-क्रम में निम्नतम स्तर पर हैं और जिन्हें सदियों से दबाये रखा गया है।
विभिन्न Wordकोषों के According दलित का Means स्पष्ट होने के बाद हिन्दी के साहित्यकार और अन्य विद्वान दलित Word को विभिन्न रुप में परिभाषित करते हैं। डॉ श्यौराज सिहं बचेैन दलित Word की व्याख्या करते हुए कहते हैं- ‘‘दलित’ वह है जिसे Indian Customer संविधान ने अनुसूचित जाति का दर्जा दिया है।’’8 इसी प्रकार कँवल भारती का मानना है कि ‘दलित’ वह है जिस पर अस्पृश्यता का नियम लागू Reseller गया है। जिसे कठारे और गन्दे कार्य करने के लिए बाध्य Reseller गया है। जिसे शिक्षा ग्रहण करने और स्वतन्त्र व्यवसाय करने से मना Reseller गया और जिस पर अछूतो ने सामाजिक निर्योग्यताओं की संहिता लागू की, और वही दलित है, और इसके अन्तर्गत वही जातियाँ आती हैं, जिन्हें अनुसूचित जातियाँ कहा जाता है।’’ मोहनदास नैमिशराय,’दलित’ Word को और अधिक विस्तार दते हुए कहते हैं- ‘‘दलित’ Word मार्क्स प्रणीत सर्वहारा Word के लिए समानार्थी लगता है, लेकिन इन दानेों Wordों में पर्याप्त भेद है। दलित की व्याप्ति अधिक है, तो सर्वहारा की सीमित। दलित के अन्तर्गत सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, राजनीतिक, शेषण का अन्तर्भाव होता है, तो सर्वहारा केवल आर्थिक शेषण तक सीमित है। प्रत्यके दलित व्यक्ति सर्वहारा के अन्तर्गत आ सकता है, लेिकन प्रत्यके सर्वहारा को दलित कहने के लिए बाध्य नहीं हो सकते…..Meansात् सर्वहारा की सीमाओं में आर्थिक विषमताओं का शिकार वर्ग आता है, जबकि दलित विशेष तौर पर सामाजिक विषमता का शिकार हातेा है।’’ धीरेन्द्र वर्मा द्वारा सम्पादित हिन्दी साहित्य कोश के According-’’यह समाज का निम्नतम वर्ग हातेा है, जिसको विशिष्ट संज्ञा आर्थिक व्यवसायों के अनुरुप ही प्राप्त हातेी है। उदाहरणार्थ-दास प्रथा में दास, सामन्तवादी, व्यवस्था में किसान, पूँजीवादी व्यवस्था में मजदूर समाज का ‘दलित वर्ग’ कहलाता है।’’ दलित चिन्तक माता प्रसाद ने दलित Word की व्याख्या करते हुए स्पष्ट Reseller है- ‘‘शैक्षिक, आर्थिक, राजनैतिक और धार्मिक दृष्टि से जो जातियाँ पिछड गयी हैं या जिन्हें पिछड़े रहने को विवश कर दिया गया है वे ही दलित जातियाँ है।’’ दलित Word आधुनिक है, किन्तु दलितपन प्राचीन है। सबसे First श्रीमती एनीबेसेण्ट ने शेिषत, पीड़ितों के लिए Word ‘डिप्रेस्ड’ का प्रयागे Reseller था। दलित Word के विभिन्न Means हैं। ‘ मानक अंग्रेजी Wordकोश में दलित Word के लिए ‘डिप्रेस्ड’ Word दिया गया है, जिसका Means दबाना, नीचा करना, झुकाना, विनत करना, नीचे लाना, स्वर नीचे करना, धीमा करना, मलामत करना, दिल ताडे़ना है। दलित वर्ग का Means प्राय: नीची जातियों के ‘अछूत’ वर्ग से लगाया जाता है। किन्तु दलित वर्ग का Means अस्पृष्य वर्ग ही नहीं अपितु सामाजिक रुप से अविकसित, पीड़ित, शेिषत, निम्न जातियों की भी गणना दलित में हातेी है। इस प्रकार दलित वर्ग के अन्तर्गत आने वाली जातियों का description इस पक्रार दिया जा सकता है:-
- अनुसूचित जातियाँ
- अनुसूचित जन जातियाँ
- भूतपूर्व अपराधकर्मी जातियाँ
- पिछड़ी जातियाँ
- अत्यधिक पिछड़ी जातियाँ
दलित Word वर्ग से जुडकर विकसित हुआ़ । यह अंग्रजेी के Word ‘डिप्रेस्ड क्लासेज’ And ‘डाउन ट्रॉडन’ के हिन्दी रुपान्तरण के Means में प्रयागे हो रहा है। सैद्धान्तिक रुप से यह Word समस्त अस्पृष्य जातियों, आदिवासियों, भूमिहीन खते मजदूरों, मजदूर वर्ग तथा पिछड़ी जातियों के लिए प्रयुक्त हातेा है । परन्तु व्यावहारिक रुप में दलित Word सामाजिक, धामिर्क, व आर्थिक शेषण, के शिकार अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के लिए प्रयुक्त हातेा है। दलित वर्ग को पारिभाषित करते हुए डॉं. साहेनपाल सुमनाक्षर अपने लेख ‘हिन्दी में दलित साहित्य’ में कहते हैं ‘‘Humanीय अधिकारों से वंचित रखा गया है, जिसे निजी स्वाथोर्ं के लिए Human निर्मित झूठी, बर्बर मान्यताओं को मनुस्मृति और धर्म के नाम पर स्वीकारने के लिए बाध्य Reseller गया हो, वह दलित वर्ग है। उपेिक्षत, अपमानित, प्रताडित, बाधित और पीड़ित व्यक्ति भी ‘दलित’ की श्रेणी में आते हैं। भूमिहीन, अछूत, बंधुआ, दास, गुलाम, दीन, और पराश्रित-निराश्रित भी ‘दलित’ ही हैं।’’ दलित वर्ग की पहचान करते हुए दलित लेखक डॉ. महीप सिहं अपने लेख ‘Discussion के केन्द्र में है दलित साहित्य’ में कहते हैं-’’षताब्दियों से इस देष की समाज-व्यवस्था, इसी व्यवस्था के Single बहतु बड़े वर्ग को शूद्र श्रेणी में रखती रही है। शूद्रों में Single वर्ग को अछूत घाेिषत कर दिया गया, जिनकी छाया से भी भ्रष्ट हो जाने की आषंका से ग्रस्त होकर अपने आपको सवर्ण मानने वाले लागे, कतराने लगे। इनके हाथ से पानी पीना तो धर्म भ्रष्ट हो जाना नियती बन गया। पिछले कुछ वषार्ंे में इस वर्ग के लोगों ने अपने लिए अछूत, अस्पृष्य, हरिजन आदि Wordों का त्याग करके अपने आपको दलित कहलाना पसंद Reseller।’’ वहीं दूसरी आरे मराठी लेखक नामदवे ढ़साल दलित वर्ग की पहचान में व्यापकता लाते हुए स्पष्ट करते हैं- ‘‘अनुसूचित जातियाँ बौद्ध, श्रमिक, भूमिहीन, कृषक, व भटकने वाली जातियाँ दलित हैं।’’ मध्यप्रदेष शसन द्वारा तैयार किये गये ‘भापेाल दस्तावजे के अध्याय-1’ ‘कलंक के मूल पहचान’ में दलित Word को परिभाषित करते हुए कहा ,’’दलित Word से आषय उन समुदाओं से है जो अछूत और आदिवासी है जिन्हें क्रमश: शसकीय रुप से अनुसूचित जाति आरै अनसुूचित जनजाति कहा गया
Indian Customer सामाजिक व्यवस्था में जाति की न कवेल भूमिका महत्वर्पूण है बल्कि निर्णायक भी है। Indian Customer समाज में व्यक्ति की प्रतिष्ठा और हैसियत उसकी जाति पर निर्भर करती है। अस्सी के दषक में दलितों की सामाजिक, राजनैतिक स्थिति में Single विषेष परिवर्तन आया है। इसी समय को नये दौर की संज्ञा से विभूषित Reseller जाता है। इस नये दौर में पुराने मानदण्डों And ब्राह्मणवादी परम्राओं को नकारते हुये दलित अवधारणाओं को नये सिरे से पुर्नपरिभाषित Reseller जाता ह।
आजादी के पष्चात् हरिजनों को अनुसूचित जाति And जनजाति के रुप में संवैधानिक मान्यता दी गयी है। नये दौर इस समुदाय के लिये ‘दलित’ Word का प्रयागे अधिक चर्चित हुआ है। Indian Customer सामाजिक सन्दर्भों में लगभग आठ दषकों पूर्व ‘दलित’ Word का प्रयोग आरम्भ हो चुका था। ‘दलित’ Word का प्रारम्भिक प्रयागे करने वालों में स्वामी विवकेानन्द, महात्मा ज्योतिबा फुल,े And रानाडे का नाम लिया जा सकता है। श्रीमती एनीबेसेण्ट ने इस वर्ग के लिये ‘डिप्रेस्ड कास्ट’ Word का प्रयागे Reseller। डॉ. अम्बडेकर ने भी ‘दलित’ Word को अधिक उपयुक्त माना है क्योंकि दलित Single सटीक Word है जो संघर्ष की प्रेरणा दतेा है।
दलित Word व्यापक Meansबोध की अभिव्यंजना दतेा है। Indian Customer समाज में जिसे अस्पृष्य माना गया वह व्यक्ति ही दलित है। दुर्गम पहाड़ां,े वनों के बीच जीवन यापन करने के लिये बाध्य जनजातियाँ और आदिवासी, जरायम पेषा घाेिषत जातियाँ All इस दायरे में आती हैं। All वर्गों की स्त्रियाँ दलित हैं। बहुत कम श्रम-मूल्य पर चौबीसों घंटे काम करने वाले श्रमिक, बँधुआ मजदूर दलित की श्रेणी में आते हैं। इन तथ्यों से स्पष्ट हातेा है कि दलित Word उस व्यक्ति के लिये प्रयागे हातेा है जो समाज-व्यवस्था के तहत सबसे निचली पायदान पर है। वैदिक काल में समाज का विभाजन चार वर्णों में Reseller गया था, जिसका description ‘ऋग्वेद के दसवें खण्ड पुरुषसुक्त’ में मिलता है। उत्तर वैदिक काल तक वर्णों के साथ-साथ जाति-व्यवस्था का अविर्भाव हुआ। धर्म सूत्रों स्मृतियों, अमरकोष आदि में विभिन्न वर्णों के लिए निर्धारित कायर्-व्यवसाय बताये गये है। All वर्णों की रक्षा करना And धर्म का उल्लंघन करने वालों को उचित दण्ड दने का उत्तरदायित्व King का था। शूद्रों का कार्य तीनों वर्णों की सवेा करना आरै उन्हीं से जीवन निर्वाह करने का आदेष था। कालान्तर में पेषों अथवा व्यवसाय के आधार पर अनके जातियों का जन्म हुआ। विदेशी यवनो, शको, पारसीको, कुषाno, नोंआभीरो, हूणों को भी हिन्दू समाज में मिला लिया गया और इनमें से अधिकांश: शूद्रों में सम्मिलित किये गये। वर्णों के नियम में कठोरता होने के कारण ये विदेषी ऊपर के तीन वर्णों में कम, शूद्र वर्ण में ही अधिक आए। अनुलामे And प्रतिलोम मिश्रित विवाहों से उत्पन्न सन्तानों को भी शूद्र वर्ण में ही रखा गया। शूद्र वर्ण के स्त्री या पुरुष से ब्राह्मण वर्ण के स्त्री या पुरुष से उत्पन्न सन्तानों को चाण्डाल की श्रण्ेाी में रखा गया। इसी कारण शूद्र अधिक संख्या में हो गये ब्राह्मण पुराण में तो यहाँ तक कहा गया है कि क्षत्रिय And वैश्य जातियाँ समाप्त हो रही हैं और कलियुग में शूद्रों की संख्या अधिक हागेी और वे राज्य करगें।
‘‘अमरकोश में शूद्रों की जातियों की Single लम्बी सूची दी गयी है।’’ इन जातियों में मिश्रित विवाहों से उत्पन्न सन्तानों And हीन व्यवसाय करने वाली जातियों के description हैं जिनमें से कछु अस्पृष्य शूद्र जातियाँ थीं जो कि ग्राम के बाहर रहती थीं जिनका स्पषर् वजिर्त था। इनके अतिरिक्त स्पृष्य शूद ्रजातियाँ थीं जो कि अन्य व्यवसायों में रत समाज में ही रहती थीं और तीनों वर्णों की सवेा करती थीं। अमरकोष में दी हुई शूद्र जातियों को दो भागों में विभाजित कर सकते हैं। स्पृष्य शूद्र-स्पृष्य शूद्र जाति के लागे समाज में ही रहते थ।े इनका मुख्य कार्य तीनों वर्णों की सवेा करना था। पषुपालन, कृषि, And अन्य छोटे छोटे व्यवसाय करके अपना जीवन निर्वाह करते थे।
अस्पृष्य शूद्र- अस्पृष्य शूद्र जाति में दो वर्ग के लागे थ,े Single तो व्यवसाय करने वाले और Second मिश्रित वर्णों से उत्पन्न सन्तान। इस वर्ग में अपवित्र, हिंसा प्रधान तथा घृणित कार्य व्यवसायों द्वारा जीवन निवार्ह करने वाली जातियाँ थीं, इसलिए यह अन्त्यज शूद्र कहलाते थे और इन्हें ग्राम के बाहर रहना पड़ता था। याज्ञवल्क्य ने इन्हें शव तथा क़ब्रिस्तान के समान अपवित्र माना है। उन्हीं के According-षव या चाण्डाल के छू जाने से स्नान करें और गायत्री मंत्र का जाप करके पवित्र हां।े ब्राह्मण के शरीर का स्पर्ष करने वाले चाण्डाल को 100 पग के Means दण्ड का आदेष था। ग्राम या नगर में प्रवेष करते समय यह लकड़ी से आवाज़ करते हुये चलते थे, ताकि उच्च वर्ण के लागेों पर इनकी छाया भी न पड़।े मार्कण्डये पुराण में शूद्रों को देखने से भी अपवित्र हाने And उस अपवित्रता को दूर करने का उपाय बताया गया है। स्मृतियों, सूत्रों पुराणों And समकालीन ग्रन्थों में शूद्रों को जन्म And कर्म से कलुषित बताया गया है । प्रचंडता, निर्दयता, क्रोध, असत्य वचन, नास्तिकता, लोलुपता, चारेी करना, हिंसा, अHumanीय कार्य आदि इनकी विषिष्टताएँ बतलायी गर्इ हैं।
अब तक के प्राप्त शस्त्रों And साक्ष्यों के आधार पर शूद्र बहुत ही निम्ऩ कोटि के लोग थे किन्तु यह प्रष्न तो अभी बना हुआ है कि इस वर्ग को इतना हयेदृष्टि से क्यों देखा गया? शूद्रों को पठन-पाठन का अधिकार नहीं था। अधिकांषत: शस्त्रों की Creation उच्च वर्ण के लागेों ने ही की है।