त्राटक क्रिया –

त्राटक क्रिया

By Bandey

अनुक्रम

त्राटक शुद्धिकरण की पॉंचवी प्रक्रिया है। त्राटक का Means है किसी Single वस्तु या प्रतीक को लगातार देखते रहना। त्राटक का Single Means है लक्ष्य को Singleटक देखते हुए उसके प्रति सजग रहना। त्राटक की प्रक्रिया दिव्य नेत्रों को प्रदान करने वाली तो है ही साथ ही साथ इस प्रक्रिया के कई मानसिक व आध्यात्मिक लाभ भी है। व्यक्ति अपने मस्तिष्क को त्राटक के अभ्यास से प्रभावित कर सकता है। मस्तिष्क ही पूरे शरीर में स्थित तन्त्रों का नियंत्रक है। हमारी सोच, विचारणा, संवेदना का केन्द्रबिन्दु है। मस्तिष्क में ही सृजन व Creationत्मकता का Single विचार उत्पन्न, होता है। सृजन का Single विचार सामान्य Human को महाHuman बना देता है। हमारे अन्दर अन्तरनिहित शक्तियों का जागरण त्राटक क्रिया से सम्भव होता है तथा साथ ही साथ त्राटक से मस्तिष्क के क्षेत्र को शान्त और निर्मल बनाया जा सकता है। त्राटक वास्तव में आन्तरिक सजगता की Single उच्च अवस्था है।

त्राटक के प्रकार

महर्षि घेरण्ड ने त्राटक की प्रक्रिया में Single सूक्ष्म लक्ष्य की ओर टकटकी लगा कर देखते रहने की बात की है। योग शास्त्रों में त्राटक की तीन महत्वपूर्ण प्रक्रियाये बताई है। पहली प्रक्रिया का नाम वहि:त्राटक है इसमें संसार में साकार Reseller में जितनी वस्तु्ए दिखाई देती है जैसे- Ultra site चन्द्रमा, तारे, मूर्ति, वृक्ष, आराध्य का चित्र, महायोगियों का चित्र पर त्राटक Reseller जाता है। दूसरी प्रक्रियायें का नाम है अन्तरंग त्राटक। इस त्राटक में साधक अपनी कल्पना शक्ति का उपयोग कर आँख बन्द कर प्रतीक पर त्राटक करता है। तीसरी प्रक्रिया का नाम है अधोत्राटक इसका अभ्यास आँखों को आधा खुला और आधा बन्द कर Reseller जाता है। त्राटक की उपरोक्त तीनों अवस्थाओं की विस्तृत वर्णन इस प्रकार है।


वहिर्त्राटक

बहिर्त्राटक जैसा नाम से स्पष्ट है बहि Meansात बाहर, त्राटक Meansात Singleटक देखना। इस प्रक्रिया में पूर्णिमा दृष्टि का प्रयोग Reseller जाता है संसार में हमें विविध वस्तु ,प्रतीक दिखाई देते है साधक सबसे First किसी Single प्रतीक का चुनाव करता है फिर पूर्णिमा दृष्टि का प्रयोग करते हुए उस लक्ष्य को Singleटक तब तक देखता है जब तक आँखों से आँसू न निकले । तद्पश्चात उस प्रतीक का आँख बन्द कर अवलोकन करता है। इस प्रक्रिया में जलती मोमबत्ती का प्रयोग भी Reseller जा सकता है जिसे वर्तमान में कई लोग (Candle light meditation) भी कहते है।

अन्त:रंग त्राटक

अन्तरंग त्राटक के नाम से ही स्पष्ट है है अन्त:रंग का मतलब है अन्त:करण के अन्दर त्राटक का Means है Singleटक देखना। Meansात आँख बन्द कर लक्ष्य का काल्पनिक अवलोकन कर उसे देखते रहना। व्यक्ति आँख खोलकर स्थूल Reseller से विविध वस्तुओं को देख सकता है पर जो वस्तुव उसने स्थूल जगत में देखी है अगर व काल्पनिक अवलोकन करे तो अन्त: चक्षु से उसे वह वस्तुए आंख बन्द कर भी दिखाई देती है। उदाहरणार्थ आँख बन्द करवाकर आपसे कहा जाये, आपके ईष्ट, आराध्य, गुरू, सूरज, चन्द्रमा, तारे तो आपको Single पल वह स्पष्ट दिखाई देने लगेंगे भलाई आपकी अमा दृष्टि ही क्यो न हो। त्राटक की काल्पनिक अवलोकन की यह प्रक्रिया अन्त:रंग त्राटक का अन्त्तरत्राटक के नाम से जाती है।

अधोत्राटक

अधोत्राटक की इस प्रक्रिया में आँखों को आधा खुला आधा बन्द Reseller जाता है। योग के ग्रन्थों में इस अवस्था को प्रतिपदा दृष्टि, नासिकाग्र मुद्रा या कही इसे शाम्भवी मुद्रा भी कहा जाता है। अधोत्राटक में लक्ष्य या प्रतीक को प्रतिपदा –ष्टि से देखा जाता है अभ्यास के क्रम में बीच में आंख बन्द कर उसका काल्पनिक अवलोकन भी कर सकते है। त्राटक भलाई शास्त्रों में तीन प्रकार का बताया गया है पर त्राटक की सर्वसुलभ क्रियाविधि को गुरू के निर्देशानुसार निम्नानुसार Reseller जा सकता है।

त्राटक की क्रियाविधि

  1. ध्यान के किसी आसन (स्वस्तिक, पदमासन, सिद्धासन या सुखासन) में बैठ जाए।
  2. सिर, कन्धे व रीढ की हड्डी Single सीध में रहे।
  3. आँखों के ठीक सामने „ फिट की दूरी पर Single जलती मोमबत्ती रख दीजिए।
  4. आँख बन्द कर काल्पननिक अवलोकन कर शरीर का ध्यान करें।
  5. कायास्थैर्यम् का अभ्यास करे तो उचित होगा।
  6. अब धीरे से आंख खोलकर मोमबत्ती की लौ को अनवरत देखते रहे।
  7. लौ को तब तक देखे जब तक आँखों से आँसू न निकले।
  8. 40-50 सेकण्डो से 2-3 मिनट तक लगातार लौ पर त्राटक करे।
  9. तद्बाद आँखे बन्दे कर चिदाकाश में उस लौ का अवलोकन कीजिए।
  10. उचित मार्गदर्शन में 2-3-4 बार यह प्रक्रिया दोहराई जा सकती है।

लाभ

  1. त्राटक की क्रिया नेत्र दोषों में लाभकारी है।
  2. त्राटक के अभ्याास से आँखों में जमा मल बाहर निकल जा सकता है।
  3. दूर–दृष्टि दोष, निकट –ष्टिदोष व मोतियाबिन्द में लाभकारी है।
  4. त्राटक के आध्याात्मिक लाभ में दिव्यम –ष्टि की प्राप्ति होती है।
  5. त्राटक के अभ्यास मात्र से साधक All अष्ट सिद्धियों की प्राप्ति कर सकता है।
  6. त्राटक के अभ्यास से आत्मसाक्षात्कार Reseller जा सकता है।
  7. त्राटक के अभ्यास से शाम्भवी मुद्रा की भी सिद्धि प्राप्त होती है।
  8. चित्त स्थिर व तनाव को दूर करता है।
  9. त्राटक के अभ्या्स से पीनियल ग्रन्थि पर सार्थक व सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  10. स्मरण शक्ति बढ़ाने, कल्पना शक्ति का विकास करने में त्राटक Single अचूक रसायन है।
  11. आन्तरिक उत्तेजनाओं पर नियंत्रण होता है आत्मबल बढ़ता है मन शान्त होता है, तथा शक्ति प्रदान होती है।

सावधानियॉं

  1. त्राटक का अभ्यास Single कुशल मार्गदर्शन में करना चाहिए।
  2. माइग्रेन हो तो त्राटक न करें।
  3. अवसाद के रोगियों को भी त्राटक नहीं कराना चाहिए।
  4. आँखों में अगर चश्मा (ज्यांदा पावर) का लगा है तो उचित देखरेख में करें।
  5. मोतियाबिन्द का आपरेशन हुआ हो तो वह व्यक्ति भी इस अभ्यास को न करें।
  6. इस अभ्यास को प्रात: काल या रात्रि के समय में ही करें।

Related Post

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *