जय प्रकाश नारायण का जीवन परिचय And Creationएं
को बिहार के छपड़ा जिले के गांव सिताबदियारा में हुआ। उनकी माता का नाम फूलरानी देवी
तथा पिता का नाम हरसू बाबू था। उनके पिता Single सरकारी कर्मचारी थे। उनकी मातृभाषा
भोजपुरी थी। जयप्रकाश नारायण को बचपन में नाम बबूल कहा जाता था, क्योंकि वे 5 वर्ष
तक बोले में असमर्थ थे। जब उन्होंने 6 वर्ष की आयु में बोलना शुरू Reseller तो उन्हें गांव के
स्कूल में दाखिल करा दिया गया, बाल्यकाल से ही उनकी रुचि नैतिकता व भगवद्गीता के
सिद्धान्तों में थी। 12 वर्ष तक गांव में पढ़कर वे उच्च शिक्षा के लिए पटना के कालेजिएट
स्कूल में प्रविष्ट हुए। यहां पर Single बार परीक्षा में अनुपस्थित रहने के कारण स्कूल के अंग्रेज
मुख्याध्यापक द्वारा किए गए दुव्र्यवहार के कारण उनके मन में ब्रिटिश शासन के प्रति घृणा
की भावना पैदा हो गई और देश भक्ति की भावना का जागरण हो गया, यहां से दसवीं की
परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने पटना कॉलेज में प्रवेश ले लिया और अपनी परीक्षा से कुछ
दिन First गांधी के असहयोग आन्दोलन में शामिल हो गए। उन्होंने बाद में यह परीक्षा बिहार
विद्यापीठ से पास की।
16 मई, 1920 को उनका विवाह प्रभावती देवी से हो गया, यह उस समय का अजीबो-गरीब
विवाह था। बाबू राजेन्द्र प्रसाद की प्रेरणा से उन्होंने कोई दहेज नहीं लिया। लेकिन उन्हें
वैवाहिक जीवन में कोई रुचि नहीं ली। वे अपनी पत्नी की ऐच्छिक अनुमति से उम्र भर ब्रह्मचारी
रहे और उनकी पत्नी First तो अपने मायके रही और बाद में महात्मा गांधी उसे अपनी पुत्री
बनाकर अपने साबरमती आश्रम में ले गए और नारायण जी अपनी आगे की शिक्षा ग्रहण करने
के लिए 1922 में अमेरिका चले गए।
उन्होंने कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय से रसायन इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की। वहां पर 2)
वर्ष अध्ययन करने के बाद वे शिकागो स्थित विसकौंसिन विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र का
अध्ययन करने लग गए। इससे उन्हें बी0ए0 की डिग्री मिली और उनका नाम जे0पी0, बी0ए0
पड़ गया। उसके बाद उसी विश्वविद्यालय में उन्हें समाजशास्त्र का प्राध्यापक नियुक्त कर लिया
गया। पढ़ाने के साथ-साथ वे स्वयं भी पढ़ते रहे और उन्हें एम0ए0 भी पास की। उसके बाद
उन्होंने पी0एच0डी में प्रवेश लिया और ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) नामक
विषय पर अपनी शोद्य शुरू की, लेकिन अपनी माता की गम्भीर बीमारी का समाचार सुनकर
वे शोध अधुरी छोड़कर भारत लौट आए।
समाजशास्त्र के अध्ययन व अध्यापन कार्य ने उन्हें माक्र्सवाद की तरफ प्रेरित Reseller। उन्होंने
मार्क्स एंजेल्स के साथ-साथ लवस्टोन तथा Humanेन्द्र नाथ राय की माक्र्सवादी Creationएं भी पढ़ीं।
इनके अध्ययन से वे पक्के माक्र्सवादी बन गए। अपनी माता के देहांत के बाद उन्होंने राजनीति
में सक्रिय भाग लेना शुरू कर दिया और भारत में माक्र्सवादी तथा समाजवादी क्रान्ति लाने
के उपायों पर विचार करने लग गए। 1932 के Second अहिंसक असहयोग आन्दोलन में उन्हें
गिरफ्तार करके नासिक जेल में बन्द कर दिया गया। वहां पर उनकी भेंट राम मनोहर लोहिया,
अशोक मेहता तथा मीनू मसानी से हुई। ये All व्यक्ति भी समाजवादी विचारधारा के थे।
जेल से छूटने के बाद उन्होंने बम्बई में 1934 में कांग्रेस के भीतर कांग्रेस समाजवादी दल की
स्थापना की। इस दल ने भारत की राजनीतिक स्वतन्त्रता के साथ-साथ आर्थिक समानता
तथा न्याय के लिए संघर्ष Reseller। 1936 में जय प्रकाश नारायण ने ‘समाजवाद क्यों (Why
Socialism) नामक पुस्तक लिखी। जिसमें उन्होंने समाजवाद लाने की Need और उपायों
का वर्णन Reseller। इस पुस्तक से उन्हें बड़ी ख्याति प्राप्त हुई।
जय प्रकाश नारायण Single समाजवादी नेता होने के साथ-साथ Single महान क्रान्तिकारी तथा
राष्ट्रीय आन्दोलनकारी भी थे। इसलिए 18 अक्टूबर, 1941 को उन्हें अंग्रेज सरकार ने ‘षड़यन्त्री
नम्बर Single’ घोषित करके हजारीबाग जेल में कैद कर दिया। यहां पर उन्हें राजनीतिक कैदियों
से विचार-विमर्श करने की सुविधा नहीं दी गई। जेल से भागने के बाद उन्होंने गांधी जी के
‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ में सक्रिय भाग लिया। 1943 में उन्होंने युवा समाजवादियों को गोरिल्ला
कार्यवाही करके ब्रिटिश सम्पत्ति को हानि पहुंचाने के लिए प्रेरित Reseller। गांधी जी उन्हें कांग्रेस
का अध्यक्ष बनाने की योजना बनाई लेकिन कार्यकारिणी में पूर्ण बहुमत न मिलने के कारण
वे कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं बन सके। महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद 1948 में राष्ट्रीय कांग्रेस
और कांग्रेस समाजवादी दल में आपसी मतभेदों के चलने समाजवादियों को कांग्रेस से निकाल
दिया गया और 1950 में जय प्रकाश नारायण ने समाजवादियों के सहयोग से ‘Indian Customer
समाजवादी दल’ की स्थापना की। 1952 में उन्होंने चुनावी राजनीति छोड़कर बिनोबा जी के
सर्वोदय तथा भू-दान आन्दोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अपना सम्पूर्ण जीवन सर्वोदय
समाज की स्थापना में लगाने की शपथ ली।
28 अप्रैल, 1958 को वे अपनी पत्नी तथा सर्व सेवक सघ के अपने साथी सिद्धराज डड्ढा
के साथ विदेश यात्रा पर गए। इस दौरान उन्होंने यूरोप के 14 देशों का भ्रमण Reseller। 28
दिसम्बर, 1961 में उन्होंने बेरुत अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया और वहां पर Single विश्व
शांति सेना का गठन Reseller। 1964 में भारत लौटने पर उन्हें समाज सेवा का कार्य प्रारम्भ कर
दिया। 1965 में भारत लौटने पर उन्हें समाज सेवा का कार्य प्रारम्भ कर दिया। 1965 में वे
दोबारा अमेरिका गए और मास्को होते हुए वापिस भारत लौे। मास्को में लेनिन के मृत शरीर
को देखकर वे रो पड़े। भारत वापिस आने पर उन्होंने समाज सुधार का Single नया कार्यक्रम
चलाया। 12 अप्रैल, 1972 को उन्होंने चम्बल के डाकूओं को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित Reseller।
लगभग 600 डाकूओं ने आत्म-समर्पण Reseller, लेकिन यह कार्यक्रम अधिक सफलता प्राप्त नहीं
कर सका और नारायण जी ने राजनीति से संन्यास ले लिया। परन्तु इस कार्यक्रम के द्वारा
उन्होंने सर्वोदय के विचार को पोषित Reseller।
अपने जीवन के अन्तिम दशक में उन्होंने Indian Customer लोकतन्त्र की रक्षा का बीड़ा उठाया। उन्होंने
इिन्दा गांधी की दमनकारी नीतियों के खिलाफ समग्र क्रान्ति (Total Revolution) का ऐलान
Reseller। उन्होंने घोषणा की कि आज भारत कब्रिस्तान है, हिन्दुस्तान नहीं, 26 जून, 1975 को
इन्दिरा गांधी द्वारा आपातकाल की घोषणा कर देने के बाद उन्होंने सरकार विरोधी रवैया
अपनाया और उन्हें जेल में डाल दिया गया। उन्हें हरियाणा के सोहना नामक स्थान पर नजरबंद
रखा गया। लम्बी बीमारी के बाद उनके स्वास्थ्य में गिरवट आती देखकर सरकार ने उन्हें 12
नवम्बर, 1975 को जेल से रिहा कर दिया। स्वास्थ्य में कुछ सुधार आने पर उन्होंने 1977 में
‘जनता पार्टी’ की स्थापना की और 1977 के चुनावों में इस पार्टी ने भारी बहुमत हासिल Reseller
यह चुनाव जय प्रकाश नारायण की तानाशाही के ऊपर लोकतांत्रिक विजय थी। इसके बाद
उन्हें लोकनायक कहा जाने लगा। उन्होंने मोरारजी देसाई को जनता पार्टी के अध्यक्ष के बतौर
प्रधानमंत्री पद पर सत्तारुढ़ Reseller और किंग मेकर के Reseller में भूमिका अदा की। अपनी लम्बी
बीमारी के कारण 8 अक्टूबर, 1979 को 77 वर्ष की आयु में उनका स्वर्गवास हो गया। इस
प्रकार लोकनायक, किंगमेकर व समाजवादी व्यक्तित्व का अन्त हो गया।
जय प्रकाश नारायण की महत्वपूर्ण Creationएं
लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने महत्वपूर्ण Creationएं लिखकर Indian Customer व पाश्चात्य राजनीतिक
चिन्तन के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने अपनी सबसे पहली पुस्तक ‘Why
Socialism’ 1936 ई0 में लिखी। उन्होंने इस पुस्तक में भारत में समाजवाद लाने की योजना
पर व्यापक Reseller से लिखा है। उनकी अन्य Creationएं भी शोषण मुक्त जनतन्त्रीय समाज के लक्ष्य
को प्रतिपादित करती हैं। उन्होंने राजनीतिक सत्ता का प्रयोग सामाजिक उत्थान के लिए Reseller
है। उनकी प्रमुख Creationएं हैं।
- Why Socialism? (1936)
- Towards Struggle (1946)
- Decmocratic Socialism: Our Ideal and our Method (1949)
- Towards a New Society (1958)
- A Plea for the Reconstruction of Indian Polity (1959)
- From Socialism to Sarvodaya (1959)
- A Picture of Sarvodaya Social Order (1961)
- Socialism, Sarvodaya and Democracy (1964)
- Prison Diary (1977)
- Towards Total Revolution (1977)
इस प्रकार जयप्रकाश नारायण ने अनेक पुस्तकें लिखीं और पत्र-पत्रिकाओं में अपने मन्तव्य भी
दिए। उन्होंने अपनी अन्तिम पुस्तक ‘Towards Total Revolution’ की Creation करके भारत में
तानाशाही King श्रीमति इन्दिरा गांधी के खिलाफ जंग का आधार तैयार Reseller। इसी पुस्तक के
सिद्धान्तों के आधार पर जय प्रकाश नारायण ने अपने समाजवादी समर्थकों के साथ मिलकर 1977
के चुनावों में कांग्रेस को भारी मात दी। अत: लोकनायक जयप्रकाश नारायण की समस्त Creationएं
Indian Customer समाज के पुनर्निर्माण से सरोकार रखती हैं। उन्होंने किसी न किसी Reseller में समाजवाद के
विचार का ही पोषण Reseller है।