जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न समस्याएँ
विश्व के अन्य देशो की अपेक्षा भारत में जनसंख्या वृद्धि तेजी से हो रही है। जिससे अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो रही है। इन समस्याओ के पीछे कोर्इ न कोर्इ वैज्ञानिक कारण भी है। जनसंख्या वृद्धि का सबसे बुरा प्रभाव पर्यावरण पर पड रहा है जिससे जीवन संबंधी अनेक कठिनार्इयाँ उत्पन्न हो रही है। जनसंख्या वृद्धि से होने वाली प्रमुख समस्यायें है-
1. पर्यावरण प्रदूषण-
जनसंख्या वृद्धि के साथ साथ मनुष्य की आवश्यक्ताएं भी बढती गर्इ जिससे मनुष्य ने प्रकृति का दोहन करना आरंभ कर दिया। जिससे पर्यावरण के घटक जैसे जल, वायु, मृदा आदि में प्रदूषण बढा। वाहनो के आवागमन ने तथा कल कारखानो से निकलने वाले धुँओ के कारण जल प्रदूषण होने लगा। पर्यावरण प्रदूषण के विभिन्न स्वReseller तथा कारण है-
2. वायु प्रदूषण-
कल कारखानो तथा मोटर गाडियों से निकलने वाला धुँआ वातावरण में घुलकर वायु को प्रदूषित करता है। धुँओ में कार्बन डार्इ ऑक्साइड , कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर डार्इ ऑक्साइड, सीसा-हाइड्रोजन सल्फाइड तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसे होती है, जो न मनुष्य के स्वास्थ्य को बल्कि Earth के अन्य जीव जन्तुओं तथा पेड पौधो को भी प्रभावित करती है। इस प्रदूषण के कारण कर्इ बीमारियाँ जैसे अस्थमा, मानसिक विक्षिप्तता तथा सांस की कर्इ बीमारियाँ बढ रही है। वहीं पेड पौधो तथा वनस्पतियाँ की कर्इ दुर्लभ प्रजातियाँ भी लुप्त होती जा रही है। फसलो पर भी बुरा प्रभाव पड रहा है।
3. जल प्रदूषण-
कल कारखानो से निकलने वाले कूडे कचरे तथा घरो से निकलने वाले कूडे कचरो को नदियों में प्रवाहित कर दिया जाता है। जिससे जल प्रदूषित हो जाता है। जल प्रदूषण से कर्इ तरह की बीमारियाँ जिसमें पेट संबंधी बीमारी प्रमुख है लोग ग्रसित हो जाते है। लोगो को पीने के लिए भी स्वच्छ पानी नही मिल पाता ।
4. मृदा प्रदूषण-
जनसंख्या वृद्धि के कारण लोगो द्वारा उपयोग में लार्इ गर्इ वस्तुओ के अवशेष, कूडे कचरे Human मल आदि को गली मुहल्ले या बस्ती के किसी कोने में डाल दिया जाता है जो सडकर बदबू फेलाते है इससे मृदा प्रदूषण होता है। इसके अलावा फसलेा बढाने के लिए विभिन्न खादो का उपयोग Reseller जाता है जिससे जमीन की उर्वरता शक्ति Destroy होने लगती है। जिससे फसलो को भी नुकसान पहुँचता है।
5. ध्वनि प्रदूषण-
बडी बडी औद्योगिक इकार्इयों तथा सघन बसी बस्तियों में चलने वाली मशीनो की आवाज से जो प्रदूषण होता है ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। बडे बडे शहरो में वाहनों की तेज आवाज भी ध्वनि प्रदूषण को बढाता है। ध्वनि प्रदूषण के कारण बहरापन, चिडचिडापन तथा दिल संबंधी बीमारियाँ पैदा होती है।
6. ओजोनपरत को हानि-
ओजोन स्वत: उत्पन्न होने वाली गसै है जो Earth के चारो ओर Safty कवच के समान है जो Ultra site की हानिकारक पराबैंगनी किरणेा को धरती तक आने से रोकता है। माना गया है । कि ओजोन परत के बिना Earth पर जीवन ही संभव नही है। उससे जीव जंतुओ तथा वनस्पतियों पर बुरा प्रभाव नहीं पडता । क्लोरोफलोरो कार्बन जैसी रासायनिक गैंसे ओजोन से क्रिया करके उसे Destroy करने लगी है। जिससे ओजोन परत में छेद हो रहा है और Ultra site की पराबैंगनी किरणे सीधे Earth पर पहँुचकर जनजीवन को प्रभावित करने लगी है।
7. पारितंत्रीय समस्या-
पारितंत्र समूचे वातावरण को कहते है जिसमें All जीवधारी आपसी सहयोग से रहते है। पारितंत्र के अंतर्गत पेड पौधे नदी तालाब पर्वत घाटी खेत तथा जीव जंतु आते है। जनसंख्या वृद्धि के कारण पारितंत्र संबंधी समसयाएं उत्पन्न हो गर्इ है। पेड पौधो की कटार्इ से वातावरण में कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा बढ़ गर्इ है। पेड़ पौधो की कटार्इ से हरियाली कम होने के कारण वातावरण गरम रहता है। जिससे वर्षा कम होती है। वनस्पतियाँ Destroy हो रही है। कहीं कहीं वर्षा अधिक होती है जिससे बाढ की स्थिति निर्मित हो जाती है इस प्रकार पारितंत्रीय समस्या आज की सबसे बडी समस्या बनती जा रही है।
8. ब्रम्हांडीय तापमान का बढना-
कार्बन डार्इ ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, मिथेन, क्लोरो फलोरो कार्बन तथा ओजोन इन पाँचो गैसो को ग्रीन हाउस गैसे कहते है। ये गैसे Earth की सतह के तापमान को संतुलित करती है। जिससे कृषि उत्पादन तथा पेड पौधो के विकास में सहायता मिलती है। वाहनो के अधिक उपयोग, कल कारखानेा से निकलने वाले रासायनिक धुएँ इन गैसो की मात्रा में वृद्धि करते है। जिससे ब्रम्हांडीय तापमान में वृद्धि हो रही है।
9. प्राकृतिक संसाधनो का दोहन-
जनसंख्या वृद्धि के साथ ही लोगो की आवश्यक्ताओ की पूर्ति के लिए मनुष्यो ने प्राकृतिक संसाधनेा का दोहन करना आरंभ कर दिया। जिसमें जंगलो का कटना, उर्जा के लिए कोयले लकडी की खपत, पानी की कमी , कृषि योग्य भूमि की कमी होने लगी। जिससे अनेक समस्याएं पैदा होने लगी।
10. स्वास्थ्य संबंधीं समस्याएं-
जनसंख्या वृद्धि के कारण लोगो के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर होने लगा। पर्यावरण प्रदूषण के कारण अनेक गंभीर बीमारियों से लोग ग्रसित होने लगें। पोषण की कमी के कारण बच्चे कुपोषण, अपंग, तथा कमजोर हड्डियों वाले तथा विभिन्न बीमारियों के शिकार हो जाते है। रासायनिक व घरेलू कूडे कचरो से उत्पन्न मच्छरो के काटने से डेंगू, मलेरिया जैसे बीमारियाँ फैलती है। जो जानलेवा साबित होती है।
11. गरीबी तथा बेकारी-
हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में आर्थिक विकास नही हो पा रहा है। कृषि योग्य भूमि की कमी के कारण देश में खाद्यान्न की कमी हो रही है। जनसंख्या के अनुपात में रोजगार के अवसर कम है। जिससे बेकारी और गरीबी की समस्या बढ रही है। हमारे देश में आज भी 52.2 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन जी रहे है।
12. नैतिक मूल्यो का पतन तथा अपराध में वृद्धि-
जनसंख्या वृद्धि से घनी आबादी होने के कारण लोगो में वैमनस्यता तथा द्वैष की भावना बढ रही है। लोगो का नैतिक पतन हो रहा है। गरीबी तथा रोजगार के अवसर कम होने के कारण लोगो में अपराध की प्रवृत्ति बढ रही है। चोरी डकैती की घटनाएं आए दिन होती रहती है।