चयन का Means, विशेषताएं And महत्व
Human संसाधन प्रबन्धन के अन्तर्गत भर्ती And चयन दो निर्णायक चरण होते हैं तथा प्राय: इन दोनों Wordों को Single-Second के लिए प्रयुक्त Reseller जाता है। परन्तु, दोनों के बीच पर्याप्त अन्तर होता है। जहाँ Single ओर, भर्ती सगंठनों के अन्तर्गत रिक्त पदों के लिए आवेदन करने हेतु भावी कर्मचारियों की खोज करने तथा उन्हें प्रोत्साहित करने की प्रक्रिया है, वहीं दूसरी ओर, चयन उन्ही अभ्यर्थियों के समूह में से उपयुक्त अभ्यार्थियों को चुनने से सम्बन्धित होता है। भर्ती को इसके दृष्टिकोण से सकारात्मक कहा जा सकता है, क्योंकि यह जितना सम्भव हो सके अधिक से अधिक अभ्यार्थियों का संगठन में आवेदन करने के लिए आकर्षित करने का प्रयास करता है, जबकि चयन अपने व्यवहार से नकारात्मक कहा जा सकता है, क्योंकि यह उपयुक्त अभ्यार्थियों को चुनने के उद्देश्य से जितना सम्भव हो सके अधिक से अधिक अयोग्य अभ्यार्थियों को निकाल बाहर करने का प्रयास करते है। इसके अतिरिक्त First भर्ती की जाती है तथा उसके बाद चयन Reseller जाता है। चयन के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण परिभाषाओं का description निम्नलिखित प्रकार से है:
- थॉमस एच. स्टोन के According, ‘‘चयन Single कार्य में सफलता की अत्यधिक सम्भावना से युक्त लोगों की पहचान करने ( तथा पारिश्रमिक देकर नियुक्त करने) के उद्देश्य से आवेदकों के मध्य भेद करने की प्रक्रिया है।’’।
- अरून मोनप्पा And मिर्जा एस. सैय्यद के According, ‘‘ चयन आवेदन-पत्रों में से Single अथवा अधिक आवेदकों को रोजगार प्रदान करने की प्रक्रिया से सम्बन्धित होता है।
चयन पर अत्यधिक ध्यान दिया जाना अत्यन्त आवश्यक होता है, क्योंकि Single ओर इसका Means कार्य की अपेक्षाओं के मध्य ‘सर्वाधिक उपयुक्त’ को तथा दूसरी ओर अभ्यथ्र्ाी की पात्रताओं को नियत करना होता है।’’
चयन प्रक्रिया की विशेषताएं
उपलिखित विवेचन के अध्ययन से चयन प्रक्रिया की जो विशेषतायें सामने आती हैं, उनमें से कुछ प्रमुख का वर्णन निम्नलिखित प्रकार से है:
- चयन प्रक्रिया, Human संसाधन प्रबन्धन के अन्तर्गत Single निर्णायक चरण होता है।
- चयन प्रक्रिया के द्वारा वे लोग जो आवेदन करते हैं, उनके सम्पूर्ण समूह में से, किसी कार्य में सफलता की अत्यधिक सम्भावना से युक्त लोगों की पहचान की जाती है।
- चयन प्रक्रिया के द्वारा कुल अभ्यर्थियों में से ‘सर्वाधिक उपयुक्त’ को चुना जाता है।
- चयन Single नकारात्मक दृष्टिकोण है, क्योंकि इसके द्वारा अयोग्य अभ्यार्थियों को अस्वीकार कर दिया जाता है।
- चयन प्रक्रिया में वे अभ्यथ्र्ाी, जो इसके विभिन्न चरणों को पार करते हुए अन्त तक पहुँच जाते हैं, वे चुन लिये जाते हैं तथा शेष अभ्यथ्र्ाी चयन की दौड़ से बाहर हो जाते हैं।
इस प्रकार, संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि Human संसाधन प्रबन्धन के अन्तर्गत चयन Single ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा संगठनों के लिए वांछित योग्यताओं के श्रेष्ठता अभ्यर्थियों का चयन करके उन्हें रोजगार प्रदान Reseller जाता है तथा शेष अभ्यर्थियों को अस्वीकार कर दिया जाता है।
चयन का महत्व
Single संगठन की इसके लक्ष्यों को प्रभावपूर्ण Reseller से प्राप्त करने तथा Single गतिशील वातावरण में विकास करने की क्षमता इसके चयन कार्यक्रम की प्रभावशीलता पर अत्यधिक निर्भर करती है। इसके अतिरिक्त, योग्य कर्मचारियों के चयन का महत्व निम्नलिखित कारणों से भी बढ़ जाता है:
- चयन प्रक्रिया के माध्यम से योग्य कर्मचारियों को चुनना सम्भव होता है, जिससे संगठन की ख्याति And प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
- चयन प्रक्रिया के द्वारा यदि उपयुक्त कर्मचारियों का चयन कर लिया जाता है, तो वे संगठन के लिए मूल्यवान परिसम्पत्ति बन जाते हैं।
- उचित ढंग से किये गये योग्य लोगों के चयन से कर्मचारी-परिवर्तन में कमी होती है तथा साथ ही कर्मचारियों का मनोबल भी बढ़ता है।
- Single श्रेष्ठ चयन प्रक्रिया का अनुसरण करने से कर्मचारियों की संगठन के प्रति कर्तव्य-निष्ठा, अपनत्व तथा सहयोग की भावना में वृद्धि होती है।
- समुचित चयन प्रक्रिया के अपनाये जाने से संगठन के अन्तर्गत सेवायोजक And कर्मचारियों के मध्य मधुर सम्बन्धों की स्थापना होती है।
- योग्य कर्मचारियों का चयन करने से संगठन की उत्पादन लागत And अपव्यय में कमी होती है तथा साथ ही कार्यों की निष्पादन कुशलतापूर्वक होता है।
चयन नीति
चयन नीति संगठन की रोजगार नीति का अंग होती है। Single उत्तम चयन नीति में निम्नलिखित तथ्यों का समावेश अवश्य ही होना चाहिये:
- चयन नीति को रोजगार उन्मुख होने के साथ-साथ व्यावसायिक मार्गदर्शन में सहायक होना चाहिए।
- चयन नीति, सम्पूर्ण संगठनात्मक नीति के अनुReseller होनी चाहिये।
- चयन नीति में, चयन करते समय देश में प्रचलित विधान के अनुपालन के विषय में प्रावधान होना चाहिये।
- चयन नीति सरल, स्पष्ट And न्यायसंगत होनी चाहिये।
- चयन नीति कठोर न होकर लोचशील होनी चाहिये, ताकि समयानुसार उसमें परिवर्तन Reseller जा सके।
- . चयन नीति में प्रत्येक स्तर के पद हेतु चयन करने के लिए प्राधिकारी व्यक्तियों का स्पष्ट History Reseller जाना चाहिये। चयन का कार्य अकेले व्यक्ति के स्थान पर चयन-मण्डल को सांपै े जाने का प्रावधान Reseller जाना चाहिये।
- चयन नीति पक्षपारहित होनी चाहिए
- चयन नीति का अनुपालन कठोरता से Reseller जाना चाहिए।
चयन प्रक्रिया
चयन हेतु किसी आदर्श प्रक्रिया का प्रावधान नहीं है, जिसका All क्षेत्रों में All संगठनों द्वारा अनुसरण Reseller जा सके। विभिन्न संगठनों द्वारा, संगठन के आकार, व्यवसाय की प्रकृति, रिक्त पदों की संख्या And प्रकार तथा प्रचलित विधानों के अनुपालन की स्थिति के आधार पर भिन्न-भिन्न चयन अपनी तकनीकों अथवा पद्धतियों को अपनाया जा सकता है। इस प्रकार प्रत्येक संगठन अपनी सुविधानुसार तथा अपने लिए अनुकूल चयन की कोर्इ भी Single पद्धति अथवा अनेक पद्धतियों के संयोजन का अनुसरण कर सकता है।
चयन प्रक्रिया में रोजगार हेतु कोर्इ अभ्यथ्र्ाी उपयुक्त है अथवा नहीं, इसके विषय में निर्णय करने के लिए उसकी पात्रताओं, अनुभव, शारीरिक And मानसिक क्षमता, स्वभाव And व्यवहार ज्ञान तथा अभिरूचि आदि के सम्बन्ध में सूचनायें Singleत्रित करने की विभिन्न पद्धतियों का प्रयोग Reseller जाता है। अत: चयन प्रक्रिया Single अकेला कार्य नहीं है, बल्कि अनिवार्य Reseller से पद्धतियों अथवा चरणों की Single श्रंखला है जिसके द्वारा विभिन्न चयन तकनीकों के माध्यम से भिन्न-भिन्न प्रकार की सूचनायें Singleत्रित करने में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
प्रत्येक चरण पर तथ्यों के प्रकाश में आने की सम्भावना होती है जो कि कार्य की अपेक्षाओं And कर्मचारी विशिष्टताओं के साथ तुलना करने के लिए उपयोगी होते हैं। सामान्यत: Single वैज्ञानिक चयन प्रक्रिया के अन्तर्गत निम्नलिखित चरणों का समावेश Reseller जा सकता हैं:
1. आवेदन-पत्रों के छँटार्इ –
चयन प्रक्रिया के अन्तर्गत, First, भर्ती के माध्यम से रोजगार हेतु अत्यधिक संख में आकर्षित अभ्यार्थियों की ओर सक संठगन द्वारा प्राप्त किये गये आवदेन-पत्रों के छँटार्इ की जाती है। उक्त आवेदन-पत्र चयन प्रक्रिया का मूल आधार होते हैं, क्योंकि इनके द्वारा अभ्यार्थियों के विषय में सामान्य जानकारी प्राप्त की जाती है। तथा उनके चयन हेतु First दृष्ट्या निर्णय लिया जाता है।
इस आवेदन-पत्र के द्वारा अभ्यर्थियों की आयु, शैक्षिक योग्यता, प्रशिक्षण, अनुभव, पृष्ठभूमि तथा अपेक्षित वेतन आदि की जानकारी प्राप्त होती है। यहाँ यह विशेष Reseller से Historyनीय है कि कुछ संगठनों द्वारा स्वयं तैयार Reseller गया आवेदन-पत्र का प्राReseller ही स्वीकृत Reseller जाता है, जबकि अनेक संगठन यह अभ्यर्थियों पर ही छोड़ देते हैं। कि वे जिस Reseller से चाहें अपना आवेदन कर सकतेहैं इस हेतु प्राय: आवेदन-पत्र के Reseller में Single सह-पत्र के साथ बायोडेटा अथवा रिज्यूम का उपयोग Reseller जाता है।
आवेदन पत्रों की छँटार्इ का उद्देश्य प्रारम्भिक चरण में ही जो अभ्याथर्ीे निर्धारित पद के लिए स्पष्ट Reseller से अयोग्य होते हैं उन्हैं। चयन प्रक्रिया से अलग करना होता हैं। आवेदन-पत्रों की प्रभावी तरीके से छँटार्इ करने से समय And धन की काफी बचत होती है। परन्तु इस विषय में आश्वस्त होने के लिए सावधानी रखना अनिवार्य होता है। कि अच्छे योग्य अभ्याथ्र्ाी छूटने न पाये तथा महिलाओं And अल्पसंख्यकों को निष्पक्ष Reseller से महत्व प्रदान Reseller जाये तथा बिना औचित्य स्पष्ट किये उन्हें अस्वीकार न Reseller जाये यह भी ध्यान देने योग्य है कि आवेदन-पत्रों की छँटार्इ के लिए प्रयोग की जाने वाली तकनीकें अभ्यर्थियों की प्राप्ति के स्त्रोतों तथा भर्ती की पद्धतियों के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती है। आवेदन-पत्रों की छँटार्इ के दौरान जिन अभ्यर्थियों में संगठन द्वारा निर्धारित न्यूनतम अपेक्षित योग्यता से कम योग्यता होती है, उन्हें अस्वीकार कर दिया जााता है तथा केवल योग्य अभ्यर्थियों को ही अगले चरण के लिए प्रवेश दिया जाता है।
2. प्रारम्भिक साक्षात्कार –
आवेदन-पत्रों की छँटार्इ के द्वारा जिन अभ्यार्थियों को चुना जाता हैं, उन्हैं। प्रारम्भिक साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है। प्रारम्भिक साक्षात्कार अत्यन्त संक्षिप्त होता है। इसका उद्देश्य आवेदन-पत्रों के माध्यम से अभ्यार्थियों की जो अयोग्यतायें प्रकट नहीं हो पाती हैं, उनको प्रत्यक्ष Reseller से ज्ञात करके अनुपयुक्त अभ्यार्थियों को चयन प्रक्रिया से हटा देना होता है।
प्रारम्भिक साक्षात्कार के अन्र्तगत अभ्यार्थियों को कार्य की प्रकृति, कार्य के घंटों, कार्य-दशाओं तथा वेतन आदि की जानकाी प्रदान की जाती है। साथ हीे, उनकी शैक्षिक योग्यताओं, प्रशिक्षणों, अनुभवों, वर्तमान कार्यों तथा रूचियों आदि की जानकारी प्राप्त की जाती है। इसके अतिरिक्त उनसे अपेक्षित वेतन तथा वर्तमान कार्य को छोड़ने के विषय में कारणों की भी जानकारी प्राप्त की जाती है। इस प्रकार अभ्यर्थियों की वाक्-पटुता, मस्तिष्क की दशा तथा उनके विषय में Single सामान्य जानकारी प्राप्त की जाती है। इससे उनके विषय में यह निर्णय लेने में सहायता प्राप्त होती है कि उनके चयन किये जाने की कुछ सम्भावनायें हैं अथवा नहीं। इस प्रकार प्रारम्भिक साक्षात्कार के ज्ञात अयोग्य अभ्यर्थियों को छाँट दिया जाता है तथा केवल योग्य अभ्यर्थियों को ही चयन प्रक्रिया के आगामी चरण के लिए आमन्त्रित Reseller जाता है।
3. चयन परीक्षण –
प्रारम्भिक साक्षात्कार के द्वारा चुने गये अभ्यर्थियों को चयन परीक्षण से गुजरना होता है। यह चयन प्रक्रिया का महत्वपूर्ण भाग होता है। सामान्यत: चयन परीक्षण मनोवैज्ञानिक प्रकृति का होता है। जिसके द्वारा अभ्यर्थियों की योग्यताओं चातुर्य, कार्य अभिरूचियों तथा व्यवहारों आदि का मूल्याकंन Reseller जाता है तथा साथ ही अभ्यर्थियों की कार्य क्षमताओं And निपुणताओं को भी परखा जाता है चयन परीक्षण के द्वारा उचित पद के लिए उचित व्यक्ति को चुनना अत्यन्त सरल हो जाता है। चयन परीक्षण के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित है:
- योग्यता परीक्षण: इन परीक्षणों के माध्यम से अभ्यर्थियों की छिपी हुर्इ विशिष्टता योग्यताओं तथा रूझानों को ज्ञात करने का प्रत्यन Reseller जाता है। इसके द्वारा यह अनुमान लगाने का प्रयास Reseller जाता हैं कि यदि किसी अभ्यथ्र्ाी को चयन कर लिया जाय तो भविष्य में वह अपने कार्य में सफल हो पायेगा अथवा नहीं। इसके साथ ही, परीक्षणों से किसी विशिष्ट कार्य को सीखने के लिए अभ्यथ्र्ाी के रूझान को भी ज्ञात Reseller जा सकता है। योग्यता परीक्षण निम्नलिखित प्रकार के हो सकते है:
- बुद्धि परीक्षण: इन परीक्षणों के माध्यम से अभ्यर्थियों की ग्रहण शक्ति, गणितीय प्रवृत्ति, स्मरण-शक्ति तथा तर्क-शक्ति की जाँच की जाती है। इन परीक्षणों के पीछे आधारभूत मान्यता यह है कि कुशाग्र बुद्धि वाला व्यक्ति किसी भी कार्य को शीघ्रता And सरलता से सीख सकता है।
- यान्त्रिक योग्यता परीक्षण: इन परीक्षणों के माध्यम से अभ्यर्थियों की यन्त्रों को पहचानने तथा उन्हें सुचारू Reseller से प्रयोग करने की क्षमता का मापन Reseller जाता है। यन्त्रों पर कार्य करने वाले कुशल And तकनीकी कर्मचारियों के चयन हेतु इन्हीं परीक्षणें का प्रयोग Reseller जाता है।
- लिपिकीय योग्यता परीक्षण: इन परीक्षणों के माध्यम से कार्यलय की क्रियाओं की निष्पादन क्षमता का मापन Reseller जाता है इन परीक्षणों में वर्ण विन्यास गणना करना, बोध शक्ति, प्रतिलिपि बनाना तथा Word मापन आदि सम्मिलित होते है।
- उपलब्धि अथवा निष्पादन परीक्षण: इन परीक्षणों का प्रयोग उस समय Reseller जाता है, जबकि अभ्यर्थियों द्वारा विशिष्ट प्रशिक्षण प्राप्त किये जाने का दावा Reseller जाता है। इनके माध्यम से यह ज्ञात करने का प्रयास Reseller जाता है कि अभ्यर्थियों द्वारा प्राप्त प्रशिक्षणों में से कितनी बातें वे सीख पाय है। ये परीक्षण दो प्रकार से किये जा सकते है:
- कार्य ज्ञान : इस परीक्षण के अन्तर्गत Single कार्य विशेष के सम्बन्ध से अभ्यर्थियों के ज्ञान का पता लगाया जाता है। यह मौखिक अथवा लिखित दोनों ही प्रकार का हो सकता है।
- कार्य-नमूना परीक्षण: इस परीक्षण के अन्तर्गत अभ्यर्थियों को Single वास्तविक कार्य के भाग को सम्पन्न करने के लिए कहा जाता है तथा उनके निष्पादन के स्तर के आधार पर उनके विषय में निर्णय Reseller जाता है।
- स्थितिपरक परीक्षण: इस परीक्षण के माध्यम से अभ्यर्थियों का वास्तविक जीवन से मिलती-जुलती Single परिस्थिति में मूल्यांकन Reseller जाता है। इस परीक्षण में अभ्यर्थियों को या तो किसी परिस्थिति का सामना करने के लिए, या फिर कार्य के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण परिस्थितियों को समाधान करने के लिए कहा जाता है। तत्पश्चात यह देखा जाता है कि अभ्यथ्र्ाी किस प्रकार से तनावपूर्ण परिस्थिति में प्रतिक्रिया करते है।
- रूचि परीक्षण: इस परीक्षण के माध्यम से अभ्यर्थियों की कार्य,पद, व्यवसाय, शौक तथा मनोरंजनात्मक क्रियाओं के सम्बन्ध में उनकी पसन्द And नापसन्द को ज्ञात करने का प्रयत्न Reseller जाता हैं इस परीक्षण का उद्देश्य इस बात का पता लगाना होता है कि कोर्इ अभ्यथ्र्ाी जिस कार्य के लिए उसने आवेदन Reseller है, उसमें रूचि रखता है अथवा नहीं तथा साथ ही यह भी ज्ञात करना होता है कि कार्य के किस विशेष क्षेत्र कमे वह अभ्यथ्र्ाी रूचि रखता है। इस परीक्षण की आधारभूत मान्यता यह है कि Single कार्य के प्रति अभ्यथ्र्ाी की रूचि तथा कार्य की सफलता के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध होता है।
4. समूह परिDiscussion-
समूह परिDiscussion की तकनीक का प्रयोग, कार्य के लिए अभ्यर्थियों की उपयुक्तता के सम्बन्ध में अतिरिक्त सूचनायें प्राप्त करने के उद्देश्य से Reseller जाता है। समूह परिDiscussion में अभ्यर्थियों को समूह में विभाजित करके उन्हें कोर्इ चर्चित अथवा सामयिक विषय दे दिया जाता है, जिस पर उन्हें तर्क-वितर्क करना होता है। इस परिDiscussion में अभ्यर्थियों के ज्ञान की गहनता, विचारों की गुणवत्ता, स्तर And मौलिकता, कम Wordों में अपनी बात समझाने की योग्यता तथा उच्चारण पर विशेष ध्यान दिया जाता है। कोर्इ अभ्यथ्र्ाी अपने समूह में कितनी पहल करता है तथा Second सदस्यों को किस हद तक प्रभावित कर पाता है, इसका विशेष महत्व होता हे। समूह में Discussion के समय अभ्यर्थियों की सहनशीलता And Second की बात सुनने की क्षमता को भी ध्यानपूर्वक मापा जाता है। अनेक व्यावसायिक संगठनों द्वारा आज कल समूह परिDiscussion के बाद समूह कार्य भी करवाया जाता है।
5. चिकित्सकीय परीक्षण-
मुख्य सेवायोजन साक्षात्कार में योग्य पाये गये अभ्यर्थियों का चिकित्सकीय परीक्षण Reseller जाता है। विभिन्न संगठनों में अनेक कार्य ऐसे होते हैं, जिनके लिए कुछ निश्चित शारीरिक योग्यताओं, जैसे- स्पष्ट दृष्टि, स्पष्ट सुनने की शक्ति, असाधारण शारीरिक शक्ति, कठोर कार्य-दशाओं के लिए सहन-शक्ति तथा स्पष्ट आवाज आदि का होना नितान्त आवश्यक होता हैं। चिकित्सकीय परीक्षण के द्वारा इस बात की जाँच की जाती है कि अभ्यर्थियों में ये शारीरिक योग्यतायें हैं। अथवा नहीं। इसके अन्तर्गत अभ्यर्थियों के शरीर के विभिन्न अंगों And प्रत्यंगों की चिकित्सकों द्वारा गहन जाँच की जाती है।
6. सन्दर्भों की जाँच-
मुख्य सेवायोजन साक्षात्कार तथा चिकित्सकीय परीक्षण की समाप्ति के बाद Human संसाधन विभाग द्वारा सन्दर्भों की जाँ की जाती है। विभिन्न संगठनों द्वारा अभ्यर्थियों से उनके आवेदन-पत्रों में दो अथवा दो से अधिक व्यक्तियों के नाम व पते सन्दर्भ के Reseller में दिये जाने की अपेक्षा की जाती है। ये सन्दर्भ उन व्यक्तियों के हो सकते हैं, जो कि अभ्यर्थियों को अच्छी तरह से जानते हो अथवा वे अभ्यर्थियें के पूर्ववर्ती सेवायोजक हों तथा जो अभ्यर्थियों की शैक्षणिक उपलब्धियों And उनके पूर्व के कार्य-निष्पादन के विषय में भली प्रकार से परिचित हों।
7. Appointment आदेश-
इस प्रकार अन्तिम चयन निर्णय कर लिये जाने के बाद संगठन को सफल अभ्यर्थियों को इस निर्ण के विषय में सूचित करना होता हैं। इसके लिए संगठन द्वारा सफल अभ्यर्थियों को Appointment आदेश भेजा जाता है। Appointment आदेश पर Appointment प्राधिकारी का हस्ताक्षर होना अनिवार्य होता है।
चयन में आधुनिक प्रवृत्तियाँ
चयन प्रक्रिया के साथ-साथ Human संसाधन प्रबन्धन के अन्य क्षेत्रों में नवीन प्रवृत्तियाँ उभर कर सामने आयी हैं। चयन सम्बन्धी कुछ प्रमुख आधुनिक प्रवृत्तियाँ निम्नलिखित प्रकार से हैं:
- निमन्त्रण द्वारा चयन: विभिन्न संगठनों के प्रबन्धनों द्वारा प्रतिस्पध्र्ाी संगठनों के महत्वपूर्ण अधिशासियों And प्रबन्धकों के कार्य-निष्पादन का निरन्तर अवलोकन Reseller जाता है। यदि इन अधिशासियों And प्रबन्धकों का कार्य-निष्पादन उत्कृष्ट होता है, तो प्रबन्धन आकर्षक वेतन And हित-लाभों की पेशकश करने के द्वारा ऐसे अधिशासियों And प्रबन्धकों को अपने संगठन में कार्य करने के लिए आमन्त्रित करते है।
- ठेका करना: वर्तमान में संगठनों के लिए अति कुशलता के कार्यों को जारी रखने के लिए विशेषज्ञों को नियुक्त करना आवश्यक होता है। वस्तुत: प्रौद्योगिकी में परिवर्तनों का होना अति-कुशल कर्मचारियों की माँग में वृद्धि करता है। यह छोटे संगठनों के लिए अत्यन्त कठिन होगा कि वे अति-कुशल कर्मचारियों को नियुक्त करें, क्योंकि वे उच्च वेतन की माँग करते हैं। ये परामर्शदात्री संगठन प्रधान सेवायोजक होते हैं तथा अवश्यकताग्रस्त संगठन, कर्मचारियों के समूह में से स्वयं के लिए अपेक्षित कर्मचारियों को ठेके पर प्राप्त करते है। तथा परामर्शदात्री संगठनों को आपसी Agreeि पर आधारित धनराशि का भुगतान करते हैं परामर्शदात्री संगठन ही कर्मचारियों को वेतन का भुगतान करते हैं।
- 3600 चयन कार्यक्रम: सामान्यत संगठनों के अन्तर्गत वरिष्ठों के द्वारा ही चयन परीक्षणों And साक्षात्कारों का प्रशासन Reseller जाता है। वे पद And अभ्यथ्र्ाी के बीच उपयुक्तता का निर्णय करते हैं। परन्तु इन भावी कर्मचारियों का ज्ञान, निपुणतायें And कार्य-निष्पादन केवल वरिष्ठों कोही नहीं, बल्कि उनके अधीनस्थों And समान स्तर के कर्मचारियों को भी प्रभावित करते हैं। अत:, विभिन्न संगठनों ने अधीनस्थों And समान स्तर के कर्मचारियों को चयन परीक्षणों And साक्षात्कारों के प्रशासन में सम्मिलित करना प्रारम्भ कर दिया। इस प्रकार का चयन कार्यक्रम, ‘3600 चयन कार्यक्रम’ कहलाता है।
कार्य पर Appointment
चयन प्रक्रिया के माध्यम से जब किसी अभ्यथ्र्ाी का अन्तिम Reseller से चयन कर लिया जाता है तथा उसे Appointment आदेश दे दिया जाता है तो आगामी चरण उसकी ‘कार्य पर Appointment’ का होता है जब नव-नियुक्त कर्मचारी कार्य करने के लिए उपस्थित होता है तो संगठन को उसे उस कार्य पर, जिसके लिए उसका चयन Reseller गया है, नियुक्त करना होता हैं। अत:, सही कार्यों पर नव-नियुक्त कर्मचारियों को स्थापित करना ही कार्य पर Appointment कहलाती है। जैसा की पॉल पिगर्स And चाल्र्स ए. मेयर्स का कथन है कि ‘‘ कार्य पर नियुिक्त् से आशय चयनित अभ्यथ्र्ाी को सांपै े जाने वाले कार्य पर निधार्र ण करना तथा वह कार्य उसे सांपैना है।’’
कार्य पर Appointment का उत्तरदायित्व उस विभागाध्यक्ष का होता है, जिसके विभाग में नये कर्मचारी की Appointment की जानी है प्रारम्भ में नये कर्मचारी की कार्य पर Appointment छ: महीने से Single वर्ष की परिवीक्षा-अवधि पर की जाती हैं यदि कर्मचारी का कार्य उक्त अवधि में सन्तोषजनक पाया जाता हैं तो इस परिवीक्षा-अवधि की समाप्ति के बाद उसे स्थायी Reseller से नियुक्त कर दिया जाता है। बहुत ही कम स्थितियों में किसी कर्मचारी को इस अवधि के बाद कार्य से निकाला जाता है।