ग्राम पंचायत का गठन, चुनाव प्रणाली, कार्य, And शक्तियां
ग्राम पंचायत का गठन (धारा- 12-1)
सर्व First यह जानना जरूरी है कि ग्राम पंचायत का गठन कैसे होता है। त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था की पहली इकार्इ ग्राम पंचायत में Single प्रधान व कुछ सदस्य होते हैं। ग्राम पंचायत के सदस्यों की संख्या पंचायत क्षेत्र की आबादी के According निम्न प्रकार से होगी –
- 500 तक की जनसंख्या पर – 05 सदस्य
- 501 से 1000 तक की जनसंख्या पर – 07 सदस्य
- 1001 से 2000 तक की जनसंख्या पर – 09 सदस्य
- 2001 से 3000 तक की जनसंख्या पर – 11 सदस्य
- 3001 से 5000 तक की जनसंख्या पर – 13 सदस्य
- 5000 से अधिक की जनसंख्या पर – 15 सदस्य
प्रधान तथा 2 तिहार्इ सदस्यों के चुनाव होने पर ही पंचायत का गठन घोषित Reseller जायेगा।
ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों के चुनाव
1. प्रधान का चुनाव (धारा- 11- ख – 1)
ग्राम सभा सदस्यों द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली द्वारा प्रधान का चुनाव Reseller जायेगा। यदि पंचायत के सामान्य चुनाव में प्रधान का चुनाव नहीं हो पाता है तथा पंचायत के लिए दो तिहार्इ से कम सदस्य ही चनु े जाते है उस दशा में सरकार Single प्रशासनिक समिति बनायेगी। जिसकी सदस्य संख्या सरकार तय करेगी। सरकार Single प्रKing भी नियुक्त कर सकती है। प्रशासनिक समिति व प्रKing का कार्यकाल 6 माह से अधिक नहीं होगा। इस अवधि में ग्राम पंचायत, उसकी समितियों तथा प्रधान के All अधिकार इसमें निहित होंगे। इन छ: माह में नियत प्रक्रिया द्वारा पंचायत का गठन Reseller जायेगा।
2. उपप्रधान का चुनाव (धारा- 11 – ग – 1)
उप प्रधान का चुनाव ग्राम पंचायत के सदस्यों के द्वारा अपने में से ही Reseller जाऐगा। यदि उप प्रधान का चुनाव न हो पाये तो नियत अधिकारी किसी सदस्य को उप प्रधान मनोनीत कर सकता है।
पंचायतों का कार्यकाल
ग्राम पंचायत की पहली बैठक के दिन से 5 साल तक ग्राम पंचायत का कार्यकाल होता है। यदि पंचायत को उसके कार्यकाल पूर्ण होने के 6 माह पूर्व भंग Reseller जाता है तो ग्राम पंचायत में पुन: चुनाव करवाकर पंचायत का गठन Reseller जाता है। इस नवनिर्वाचित पंचायत का कार्यकाल 5 वर्ष के बचे हुए समय के लिए होगा Meansात बचे हुए छ: माह के लिए ही होगा।
पंचायतों की बैठक
पंचायतीराज को स्थानीय स्वशासन की इकार्इ के Reseller में स्थापित करने की दिशा में पंचायतों में ग्राम सभा व ग्राम पंचायतों की बैठकों का आयोजन विशेष महत्व रखता है। 73वें संविधान संशोधन के द्वारा जो नर्इ पंचायत व्यवस्था लागू हुर्इ ह,ै उसमें ग्राम पंचायतों व ग्राम सभा की बैठकों का आयोजन वैधानिक Reseller से आवश्यक माना गया है। यही नहीं इन बैठकों में प्रधान व उप-प्रधान सहित अन्य पंचायत सदस्यों की भागेदारी अत्यन्त आवश्यक है। इसके साथ ही ग्रामीण विकास से जुड़े विभिन्न रेखीय विभाग के प्रतिनिधियों द्वारा भी बैठक में भागीदारी की जायेगी। महिला, दलित व पिछड़े वर्ग के लोगों की भागीदारी के बिना बैठकों का कोर्इ महत्व नहीं है। अत: पंचायतों की बैठकों का नियमित समय पर आयोजन व उन बैठकों में समस्त प्रतिनिधियों की भागीदारी विकेन्द्रीकरण की दिशा में किये गये प्रयासों को साकार करने का Single महत्वपूर्ण माध्यम है। अक्सर यह देखा गया है कि ग्राम सभा या ग्राम पंचायतों की बैठकों में प्रतिनिधियों व ग्राम सभा सदस्यों की समुचित भागीदारी न होने से बैठकों में दो-चार प्रभावशाली लोगों द्वारा ही निर्णय लेकर ग्राम विकास के कार्य किये जाते हैं। अत: अगर ग्रामस्वराज या स्थानीय स्वशासन को मजबूत बनाना है तो पंचायत प्रतिनिधियों व ग्राम सभा के सदस्यों को अपनी जिम्मेदारी का अहसास होना जरूरी है। साथ ही इन बैठकों को पूरी तैयारी के साथ आयोजित Reseller जाना चाहिए।
1. ग्राम पंचायत की बैठक के आयोजन से संबंधित कार्यवाही
ग्राम पंचायत की बैठक प्रत्येक माह में Single बार जरूर होनी चाहिये। जिस गांव में पंचायत घर होगा वहीं बैठक होगी। दो लगातार बैठकों के बीच दो माह से अधिक का अन्तर नहीं होना चाहिये।
- पंचायत की बैठक की सूचना निश्चित तारीख के कम से कम पांच दिन First लिखित नोटिस से सदस्यों को दी जायेगी। सूचना को ग्राम के प्रमुख स्थानों पर चिपकाना होगा।
- प्रधान पंचायत की बैठक की अध्यक्षता करेगा/करेगी तथा समय, स्थान व तारीख तय करेगा/करेगी। उसके गैर हाजिरी में उपप्रधान द्वारा बैठक की अध्यक्षता की जायेगी।प्रधान, उपप्रधान दोनों की गैर हाजिरी में प्रधान बैठक में अध्यक्षता के लिए किसी सदस्य का नाम First दे सकता/सकती है या उसके द्वारा चुना अधिकारी किसी सदस्य का नाम अध्यक्षता के लिये दे सकता/सकती है। इन सब की नामौजूदगी में ग्राम पंचायत किसी सदस्य को बैठक की अध्यक्षता करने के लिये चुन सकती है।
- पंचायतेां की बैठकों में सदस्यों की Single तिहार्इ संख्या का होना जरूरी है इसे कोरम कहते है। जिसके बिना बैठक नहीं हो सकती। सरल Wordों में पंचायत सदस्य, प्रधान ओर उपप्रधान को मिला कर पूरे सदस्यों की संख्या यदि 18 है तो 6 के होने पर बैठक हो सकेगी। कोरम के न होने से यदि बैठक नहीं हो सके तो सदस्यों को दुबारा नोटिस देना होगा। इस बैठक में कोरम की जरूरत नहीं होगी।
- पंचायत के Single तिहार्इ सदस्य यदि लिख कर बैठक बुलाने की मांग करें तो 15 दिन के अन्दर प्रधान को बैठक बुलानी होगी। अगर किसी कारण वश प्रधान बैठक नहीं बुलाता है तो ए. डी. ओ. पंचायत द्वारा बैठक बुलार्इ जायेगी।
- बैठक की कार्यवाही को Single रजिस्टर में लिखा जायेगा जिसे “एजेन्डा रजिस्टर” कहते हैं।
2. बैठक से First
- ग्राम पंचायतों की हर माह होने वाली बैठक में प्रतिनिधि, वार्ड की समस्याओं पर Discussion, विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत हुए आय-व्यय का ब्यौरा, जिला या ब्लाक से मिली सूचना का आदान-प्रदान करते हैं।
- इस बैठक में पंचायत राज अधिकारी भी भागीदारी करते हैं। अत: प्रधान को बैठक में उपस्थित होने वाले लोगों की सूची, किन विषयों पर Discussion होगी उसका एजेण्डा या कार्य सूची तैयार कर लेनी चाहिए।
- बैठक का स्थान All की सुविधा व महिलाओं की पहुँच को ध्यान में रखकर तय करना चाहिए।
- जिस विषय पर बैठक हो रही है उससे सम्बन्धित जानकार लोगों को भी बैठक में बुलाना चाहिए ताकि उनके सुझावों का लाभ लिया जा सके। अगर कार्यक्रम नियोजन को लेकर बैठक है तो नियोजन से सम्बन्धित विभागीय विशेषज्ञ को बैठक में बुलाना चाहिए। यदि वित्त प्रबन्धन से सम्बन्धित बैठक है तो वित्त से सम्बन्धित विशेषज्ञ को बैठक में बुलाना चाहिए।
- बैठक का एजेण्डा बनाते समय सरल व स्पष्ट Wordों का प्रयोग करें व विषयों को क्रमानुसार रखें। साथ ही बैठक प्रारम्भ होने व समाप्त होने का समय अवश्य लिखा होना चाहिए।
- बैठक का समय ऐसा हो जिसमें अधिक से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी हो, महिलाओं पर अत्यधिक कार्यबोझ होने से उनकी बैठक में अनुपस्थिति अधिक रहती है। अत: प्रधान को महिलाओं की समस्या के प्रति संवेदनशील रहते हुए बैठक का समय ऐसा रखना चाहिए ताकि महिला प्रतिनिधि सक्रिय Reseller से भागीदारी कर सकें।
- महिला सदस्यों की भागेदारी सुनिश्चित करने के लिए बैठक से पूर्व ही उनको बैठक में आने के लिए प्रेरित करना चाहिए। यह Single योग्य व सक्रिय प्रधान का कर्तव्य भी है।
- बैठक के आयोजन से पूर्व प्रधान को गांव के All सदस्यों व गांव के लोगों का बैठक के बारे में बताना चाहिए। व प्रत्येक सदस्य के घर एजेण्डा भेजकर सदस्यों द्वारा उठाये जाने वाले मुद्दों की सूचना भी Singleत्र करनी चाहिए।
ग्राम पंचायतों की कार्यवाही
गाम पंचायत की कार्यवाही के कुछ कायदे हैं जिनका ध्यान हर ग्राम प्रधान को रखना चाहिय। बैठक में First पिछली बैठक की कार्यवाही पढ़कर सुनार्इ जायेगी तथा सदस्यों द्वारा सर्व सम्मति से पारित होने पर प्रधान उस पर अपने हस्ताक्षर करेगी/करेगा। इसके पष्चात पिछले माह में किये गये विकास कार्यों को सबके सामने बैठक में रखा जायेगा व उससे सम्बन्धित हिसाब-किताब व व्यय को ग्राम पंचायत के सामने रखकर उस पर विचार Reseller जायेगा। अगर राज्य, जिला व ब्लाक स्तर से पंचायत को कोर्इ महत्वपूर्ण सूचना मिली है तो उसको पंचायत की बैठक में पढ़कर सुनाया जायेगा। ग्राम पंचायत की बैठक में ग्राम पंचायत की समितियों की कार्यवाही पर भी विचार होगा। इन कार्यों के पष्चात मतदाता सूची, परिवार रजिस्टर, जन्म मृत्यु रजिस्टर में किये गये व किये जाने वाले नामांकन या बदलाव पर Discussion की जायेगी।यदि कोर्इ पंचायत सदस्य प्रशासन या कृत्यों से सम्बन्धित किसी विषय पर प्रस्ताव लाना चाहे या प्रश्न उठाना चाहे तो उसकी Single लिखित सूचना बैठक से 11 दिन First प्रधान या उपप्रधान को देनी होगी। प्रधान किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार करने के सम्बन्ध में निर्णय लेगा/लेगी। प्रस्ताव या प्रश्न नियम के According होने चाहिये व विवाद बढ़ाने वाले मनगढ़ंत या किसी जाति/ व्यक्ति के लिये अपमानजनक नहीं होने चाहिये। यदि कोर्इ भी प्रस्ताव या प्रश्न संविधान के नियमों के अनुReseller नहीं है तो प्रधान उन्हें पूछने के लिये मना कर सकती/सकता है।
1. बैठक के दौरान ध्यान देने वाली बातें
प्रधान ग्राम पंचायत का मुखिया होने के नाते बैठक का आयोजन करती/करता है। बैठक के दौरान अपने विचारों को ठीक प्रकार से रखना, Discussion का सही Reseller से संचालन करना, बैठक में उठाये मुद्दों पर सदस्यों को सन्तुष्ट करना जैसे अनेक बातें हैं जिन्हें प्रधान को बैठक के दौरान ध्यान में रखनी है।
- बैठक के प्रारम्भ में प्रधान All सदस्यों का स्वागत करना चाहिए तथा बैठक के एजेण्डा को All सदस्यों के सम्मुख रखना चाहिए। प्रधान को यह ध्यान रखना है कि अपनी बात रखते समय वह All उपस्थित लोगों की तरफ देख कर अपनी बात को कहे। केवल Single ही व्यक्ति की तरफ देखते हुए अपनी बात नहीं कहनी चाहिए। Discussion के दौरान यदि कोर्इ दूसरा बोल रहा हो तो उसे बीच में नही टोकना चाहिए अपितु बोलने वाले को अपनी बात समाप्त करने का मौका देना चाहिए।
- बैठक में यदि कोर्इ सदस्य अपनी बात रख रहे हों तो अपनी बात शुरू करने से First ‘माननीय’ प्रधान जी या अध्यक्ष जी कह कर सम्बोधन करना चाहिए।
- यदि बैठक में कोर्इ प्रश्न पूछना है या कोर्इ सूचना देनी है तो प्रधान की अनुमति लेकर अपनी बात रखी जा सकती है। और यदि कोर्इ बात आपकी समझ में न आयी हो तो वह भी प्रधान की अनुमति मांगकर स्पष्ट की जा सकती है।
- अगर किसी मुद्दे पर Discussion विषय से हट गर्इ हो तो ऐसी स्थिति में हस्तक्षेप द्वारा Discussion को पुन: मुद्दे पर लाना चाहिए व Discussion को संतुलित बनाये रखना चाहिए।
- कुछ सदस्य खासकर महिलाएं, दलित व पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधि अपनी बात नहीं रखते व बैठक में चुप्पी साधे रहते हैं। अत: प्रधान व सक्रिय सदस्यों को चाहिए कि वे उन लोगों को विशेष Reseller से प्रेरित करें, उन्हेंं अपनी बात रखने के लिए उचित वातावरण प्रदान करें ताकि महिलाएं बिना झिझक, संकोच व डर के अपनी बात को बैठक में रख सकें।
3. बैठक का समापन
बैठक के समापन से First बैठक में लिये गये निर्णयों को Single बार All को पढकर सुनाना चाहिए व उसके क्रियान्वयन से सम्बन्धित जिम्मेदारी भी तय हो जानी चाहिए। जिम्मेदारी सुनिश्चित करते समय यह भी तय कर लेना चाहिए कि अमुक कार्य कब पूरा होगा। बैठक की कार्यवाही सुनाने के पश्चात उस पर प्रधान ग्राम पंचायत तथा ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (पंचायत सचिव) के हस्ताक्षर करवाने चाहिए। बैठक समापन करते समय प्रधान/अध्यक्ष को बैठक में उपस्थित All प्रतिभागियों का धन्यवाद करना चाहिए। बैठक की कार्यवाही की Single प्रति सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) /खण्ड विकास अधिकारी को भेजनी चाहिए।
4. ग्राम प्रधान के कार्य एंव अधिकार
- ग्रामसभा की And ग्राम पंचायत की बैठक बुलाना व बैठक की कार्यवाही पर नियन्त्रण करना।
- ग्राम पंचायतों में चल रही विकास योजनाओं,निर्माण कार्य व अन्य कार्यक्रमों की जानकारी रखना।
- पंचायत की आर्थिक व्यवस्था और प्रशासन की देखभाल करना तथा इसकी सूचना गांव वालों को देना।
- पंचायती राज संम्बन्धी विभिन्न रजिस्टरों का रखरखाव करना व ग्राम पंचायत द्वारा रखे गये कर्मचारियों की देखभाल करना।
- ग्राम पंचायत के कार्यों को क्रियान्वित करना व सरकारी कर्मचारियों से आवश्यक सहयोग लेना व सहयोग देना।
- ग्रामपंचायत संम्बन्धी संम्पत्तियों की Safty व्यवस्था करना तथा ग्राम पंचायत द्वारा निर्धारित विभिन्न शुल्कों की वसूली भी सुनिश्चित करना।
ग्राम पंचायत सचिव के कार्य And अधिकार
पंचायत सचिव का First कार्य पंचायत अधिनियम व उसके अन्र्तगत बने नियमों , विभागीय आदेशों का सावधानी से अघ्ययन करना व उनका पालन सुनिश्चित करवाना है।
- ग्राम पंचायत कार्यालय को व्यवस्थित करना तथा पंचायत के समस्त अभिलेखों का विषयवार रख-रखाव करना सचिव का कर्तव्य है। इसके साथ ही पंचायत के पुराने अभिलेखों को पंजीबद्ध करके Windows Hosting रखना होता है।
- विभिन्न योजनाओं हेतु पात्र लाभार्थियों का सर्वेक्षण करना।
- प्रधान की Agreeि से ग्राम पंचायत की बैठक बुलाने की कार्यवाही करनी होती है साथ ही बैठक का एजेण्डा भी तैयार करना होता है। सचिव को पंचायतों की बैठकों की समय पर All सदस्यों को सूचना देनी होती है। बैठक में जो सदस्य उपस्थित नहीं हैं, उनकी सूचना प्रधान केा देनी होती है। सचिव ही ग्राम पंचायत की बैठकों की कार्यवाही का लेखन करता है।
- विकास खण्ड द्वारा मांगी गर्इ सूचनाओं को ग्राम पंचायत द्वारा समय से प्रेषित करना होता है।
- सचिव द्वारा ग्राम पंचायत में विकास कार्यों के सम्पादन में ग्राम पंचायत व पंचायत समितियों को सहयोग दिया जाता है। ग्राम पंचायत की समितियों की बैठकों की कार्यवाही का description रखना व उसे पंचायत की बैठक में प्रस्तुत करना सचिव का ही कार्य है। साथ ही ग्रामपंचायत का वार्षिक प्रतिवेदन हर साल निश्चित तिथि तक तैयार कर उसे पंचायत की बैठक में रखना व उनपर कार्यवाही सुनिश्चित करवाना सचिव का कार्य है।
- सचिव द्वारा पंचायत में विभिन्न स्रोतों से प्राप्त राषि को पंचायत कोष में जमा करवाया जाता है , उसका हिसाब-किताब रखा जाता है तथा उनके व्यय हेतु आवश्यक कार्यवाही की जाती है।
प्रधान, उप-प्रधान पर आन्तरिक नियन्त्रण(अविश्वास प्रस्ताव)
पंचायत राज अधिनियम की धारा- 14 व सहपठित नियम -33 ख के अन्तर्गत ग्राम पंचायत के प्रधान व उप-प्रधान को हटाये जाने की व्यवस्था की गयी है। अविश्वास प्रस्ताव से सम्बन्धित मुख्य बिन्दु हैं-
- ग्राम पंचायत प्रधान के प्रति अविश्वास प्रस्ताव लाने हेतु ग्राम सभा के कम से कम आधे सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस को कम से कम 3 सदस्य स्वयं जिला पंचायत राज अधिकारी को देंगे।
- जिला पंचायत राज अधिकारी नोटिस प्राप्ति के 30 दिन के अन्तर्गत ग्राम सभा की बैठक बुलायेगें। उक्त बैठक की अध्यक्षता जिला पंचायत राज अधिकारी स्वयं करते है या इस हेतु प्रधिकृत व्यक्ति द्वारा की जाती है।
- इस बैठक हेतु कोरम कुल ग्राम सभा सदस्यों का 1/5 निर्धारित है। बैठक में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की जाती है। तदुपरान्त गुप्त मतदान सम्पन्न करवाया जाता है।
- अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में उपस्थित व मतदान करने वाले ग्राम सभा सदस्यों के दो तिहार्इ मत पड़ने की दशा में प्रस्ताव पारित समझा जाता है तथा प्रधान अपने पद से हट जाता है।
- प्रधान के निर्वाचन के उपरान्त Single वर्ष तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता। अविश्वास प्रस्ताव पारित न होने या बैठक में गणपूर्ति के अभाव की दशा में प्रधान के प्रति आगामी दो वर्षों तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है।
- उप प्रधान को हटाने हेतु उसके प्रति अविश्वास प्रस्ताव पंचायत सदस्य लाते है, बाकी नियम वही लागू होंगे जो प्रधान को पद से हटाये जाने के लिए है।
1. बाह्य नियंत्रण
राज्य सरकार ग्राम पंचायत के प्रधान, उप प्रधान या ग्राम पंचायत सदस्यों को हटा सकती है । यदि प्रधान, वित्तीय अनियमितता, पद का दुResellerयोग आदि कदाचार का दोषी पाया जाता है तो उसे सरकार पदच्युत कर सकती है। जांच के दौरान जिला मजिस्ट्रेट के द्वारा तीन सदस्यों की समिति गठित की जाती है तथा प्रधान के दायित्वों का निर्वहन इसी समिति के सदस्यों द्वारा Reseller जाता है। यदि ग्राम पंचायत सदस्य बिना कारण बताये लगातार तीन बैठकों से अनुपस्थित रहता/ रहती है, या उसके द्वारा कार्य करने से इन्कार Reseller जाता है अथवा पद का दुResellerयोग Reseller जाता है तो उसे भी राज्य सरकार पदच्युत कर सकती है।
2. पद रिक्त होने पर चुनाव
पंचायत भंग होने या किसी पद के रिक्त होने के छ: माह के अन्तर्गत ही पुन: चुनाव कराये जाऐंगे। किसी भी परिस्थिति में छ: माह से अधिक समय तक पंचायतें भंग नहीं रह सकती व पंचायत का कोर्इ पद रिक्त नहीं रह सकता है।
ग्राम पंचायत के कार्य, And शक्तियॉं
प्रत्येक स्तर पर पंचायतों के कार्यकलाप And दायित्वों की सूची तैयार की गर्इ है। इस सूची के अन्तर्गत पंचायतों की 29 जिम्मेदारियां सुनिश्चित की गर्इ हैं। संविधान के 73 संशोधन द्वारा 29 विषय पंचायतों के अधीन किये गये हैं, जिसके लिये पृथक से 73वें संविधान संशोधन में 243 जी 11वीं अनुसूची जोड़ी गर्इ है। इस सूची में शामिल विषयों के अन्तर्गत आर्थिक विकास, सामाजिक न्याय और विकास योजनाओं को अमल में लाने का दायित्व पंचायतों का होगा। संविधान की ग्यारहवीं अनुसूचि के अन्तर्गत ग्राम पंचायतों की कुछ जिम्मेदारियां सुनिश्चित की गर्इ है। प्रत्येक ग्राम पंचायत निम्नांकित कृत्यों का संपादन निष्ठापूर्वक करेगी। प्रत्येक स्तर पर पंचायतों के कार्यकलाप And दायित्वों की सूची तैयार की गर्इ है इस सूची के अन्तर्गत पंचायतों की 29 जिम्मेदारियां सुनिश्चित की गर्इ हैं। जिसके द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को विभागों And विषयों के दायित्व सांपै े गये हैं।
ग्राम पंचायत के कार्य, And शक्तियॉं
क्र.सं. | जिम्मेदारी | मुख्य कार्य |
---|---|---|
1 | कृषि And कृषि विस्तार | • कृषि And बागवानी का विकास और प्रोन्नति। • बंजर भूमि और चारागाह भूमि का विकास और उसके अनाधिकृत अतिक्रमण And प्रयोग की रोकथाम करना। |
2 | भूमि विकास, सुधार का कार्यान्वयन और चकबन्दी | • भूमि विकास, भूमि सुधार, चकबन्दी और भूमि संरक्षण में सरकार तथा अन्य एजेन्सियों की सहायता करना। |
3 | लघु सिंचार्इ, जल अनुरक्षण, व्यवस्था, जल आच्छादन विकास |
• लघु सिंचार्इ योजनाओं का लिर्माण, मरम्मत और सिंचार्इ के उद्देश्य से जल पूर्ति का विनिमय। |
4 | पशुपालन, दुग्ध उद्योग तथा कुक्कुट पालन |
• पालतु जानवरों कुक्कुटों और अन्य पशुओं की नस्लों में सुधार करना। • दुग्ध उद्योग, कुक्कुट पालन तथा सुअर पालन की प्रोन्नति। • गांव में मत्स्य पालन विकास |
5 | सामाजिक और कृषि वानिकी |
• सड़कों और सार्वजनिक भूमि के किनारों पर वृक्षारोपण और परिरक्षण। • सामाजिक, वानिकी, कृषि वालिकी And रेशम उत्पादन का विकास करना। |
6 | लघु वन उत्पाद | • लघु वन उत्पादों की प्रोन्नति And विकास करना। |
7 | लघु उद्योग | • लघु उद्योगों के विकास में सहायता करना। • कुटीर उद्योगों की प्रोन्नति। |
8 | लघु वन उद्योग | • लघु वन उत्पादन के कार्यक्रम की प्रोन्नतिऔर उसका क्रियान्वयन |
9 | कुटीर और ग्राम उद्योग | • कृषि And वाणिज्यिक उद्योगों के विकास में सहायता करना। • कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करना। |
10 | ग्रामीण आवास | • ग््रामीण आवास कार्यक्रमों को क्रियान्वयन। • आवास स्थलों का वितरण और उनसे सम्बन्धित All प्रकार के अभिलेखों का रख-रक्षाव तथा अनुरक्षण। |
11 | पेयजल | • पीने, कपड़ा धोने, स्नान करने के प्रयोजनों के लिए सार्वजनिक कुओं, तालाबों, पोखरों का निर्माण • अनुरक्षण तथा पेयजल के लिए जल सम्ीाारण के स्रोतों का विनिमय। |
12 | र्इंधन व चारा भूमि | • र्इंधन व चारा भूमि से सम्बन्धित घास और पौधों का विकास। • चारा भूमि के अनियमित चारा पर नियंत्रण। |
13 | पुलिया, नौकाघाट तथा संचार के अन्य साधन |
• गांव की सड़कों, पुलियों, पुलों और नौकाघाटों का निर्माण तथा अनुरक्षण। • जल मार्गों का अनुरक्षण। सार्वजनिक स्थानों से अतिक्रमण को हटाना। |
14 | ग्रामीण विद्युतीकरण | • सार्वजनिक मार्गों तथा अन्य स्थानों पर प्रकाश उपलब्ध कराना तथा अनुरक्षण करना। |
15 | गैर पारम्परिक ऊर्जा स्रोत | • गैर पारम्परिक ऊर्जा के कार्यक्रमों को बढ़ावा देना, प्रोन्नत्ति तथा उनका अनुरक्षण |
16 | गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम | • गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों को बढ़ावा देना, पा्रन्नत्ति And कार्यान्वयन। |
17 | शिक्षा के बारे में सार्वजनिक चेतना |
• त्कनीकी प्रशिक्षण And व्यवसायिक शिक्षा • ग्रामीण कला और शिल्पकारों की प्रोन्नति। |
18 | प्रौढ़, अनौपचाकरक शिक्षा | • प्रौढ़, अनौपचाकरिक शिक्षा का प्रसार। |
19 | पुस्तकालय | • पुस्तकालयों की स्ािापना And अनुरक्षण। |
20 | खेलकूद And सांस्कृतिक कार्य | • समाजिक And सांस्कृतिक क्रियाकलापों को बढ़ावा देना। • विभिन्न त्यौहारों पर सांस्कृतिक संगोष्ठियों का आयोजन करना। • खेलकूद के लिए ग्रामीण कलबों की स्थापना And अनुरक्षण। |
21 | बजार And मेले | • पंचायत क्षेत्रों के मेलों, बाजारों व हाटों को प्रोत्साहित करना। |
22 | चिकित्सा And स्वच्छता | • ग््रामीण स्वच्छता को प्रोत्साहित करना। • महामारियों के विरूद्ध रोकथाम। • मनुष्य, पशु टीकाकरण के कार्यक्रम। • खुले पशु और पशुधन की चिकित्सा तथा उनके विरूद्ध निवारण कार्यवाही। • जन्म-मृत्यु And विवाह का पंजीकरण। |
23 | परिवार कल्याण | • परिवार कल्याण कार्यक्रमों को प्रोत्साहित कर क्रियान्वित करना। |
24 | आर्थिक विकास के लिए योजना |
• ग्राम पंचायत क्षेत्र के आर्थिक विकास हेतु योजना तैयार करना। |
25 | प्रसूति And बाल विकास | • ग्राम पंचायत स्तर पर महिला And बाल विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में भाग लेना। • बाल स्वास्थ्स And बाल विकास के पोषण कार्यक्रमों की प्रोन्नत्ति करना। |
26 | समाज कल्याण | • समाज कल्याण के तहत मानसिक Reseller से विकलांग And मंद बुद्धि के बच्चों, व्यक्तियों, पुरुषों तथा महिलाओं की सहायता करना। • वृद्धावस्था और विधवा पेन्शन योजनाओं में सहायता करना। |
27 | अनुसूचित जातियों And जनजातियों का कल्याण |
• अनुसूचित जातियों And जनजातियों तथा समाज के अन्य कमजोर वगांर् े के लिए विशिष्ट कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में सहयोग करना। • सामाजिक न्याय के लिए योजनाओं की तैयारी करना तथा क्रियान्वयन करनां |
28 | सार्वजनिक वितरण प्रणाली | • सार्वजनिक वितरण प्रणाली, आवश्यक वस्तुओं के वितरण के सम्बन्ध में सार्वजलिक चेतना की प्रोन्नति करना। सार्वजनिक वितरण प्रणाली का अनुश्रवण And मूल्यांकन करना। |
29 | समुदायिक अस्तियों का अनुरक्षण | • समुदायिक अस्तियों का परिरक्षण और अनुरक्षण |
1. ग्राम पंचायत के अन्य कार्य
- ग्राम पंचायत व ग्राम सभा की बैठकों की तिथि, कार्यसूचि निश्चित करना तथा बैठकों की कार्यवाही अंकित करना। साथ ही ग्राम पंचायत की विभिन्न समितियों की बैठक करना।
- किये जाने वाले कार्यों की प्राथमिकता तय करना व कार्यों की निगरानी व प्रगति की देख-रेख।
- ग्राम विकास के लिए योजनायें बनाना व सरकार द्वारा तय तरीके के According निर्धारित समय में उन्हें क्षेत्र पंचायत को भेजना।
- पंचायत द्वारा लगाये जाने वाले करों, पथ करों, शुल्क, फीस की राशि, भुगतान विधि, जमा करने की तिथि निर्धारित करना। प्राप्त होने वाली धनराशियों का लेखा-जोखा रखना।
- ग्राम सभा की बैठकों की कार्यवाही चलाना व अंकित करना। ग्राम सभा द्वारा दी जाने वाली सिफारिशों पर विचार करके निर्णय लेना।
- ग्राम सभा की देख-रेख में चलने वाली सरकारी योजनाओं का नियमों के According संचालन व निगरानी करना।
2. राज्य सरकार द्वारा समनुदेशित कार्य
- पंचायत क्षेत्र में स्थित किसी वन की व्यवस्था व अनुरक्षण।
- पंचायत क्षेत्र के भीतर स्थित सरकार की बंजर भूमि, चारागाह भूमि, खाली पड़ी भूमि की व्यवस्था।
- किसी कर या भूराजस्व का संग्रह और संविधान आदि लेखों का रखरखाव।
- सार्वजनिक सड़कों, जलमार्गों तथा अन्य विषयों के सम्बन्ध में ग्राम पंचायतों की शक्ति।
- नये पुल अथवा पुलिया का निर्माण।
- जल मागोर्ं को पास पड़ोस के खेतों को न्यूनतम क्षति पहुंचा कर सार्वजनिक सड़क, पुल, पुलिया को चौड़ा करना, विस्तार करना।
- सार्वजनिक सड़क पर निकली किसी वृक्ष या झाड़ी की शाखा को काट सकती है।
- सार्वजनिक जलमार्ग, पीने व भोजन बनाने के लिये उपयोग होने वाला जल यदि स्नान करने, कपड़े धोने, पशु नहलाने या अन्य कारणों से गन्दा हो रहा है तो उसका प्रतिषेद्य कर सकती है।
- सफार्इ सुधार के लिये ग्राम पंचायत नोटिस द्वारा किसी भूमि अथवा भवन के स्वामी को उसकी वित्तीय स्थिति का सुधार करते हुये नोटिस दे कर तथा उसके पालन का यथोचित समय देकर निर्देश दे सकती है।
- शौचालय, मूत्रालय, नाली, मल, कूप मलवा, कूड़ा को हटाने सफार्इ करने, मरम्मत करने कीटाणु रहित करने, अच्छी हालत में रखने को कार्य।
- हौज, कुन्ड, तालाब, नौले जलाशय, खदान को जो पास पड़ोस के व्यक्तियों के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है दुर्गन्ध युक्त पदार्थ – जैसे गोबर, मल, खाद, आदि को हटाने व पाटने के आदेश दे सकती है।
- जिस व्यक्ति को सफार्इ का नोटिस पंचायत देती है वह 30 दिन के भीतर जिला स्वास्थ्य अधिकारी को उक्त नोटिस के विरूद्ध अपील कर सकता है। जो उसे बदल सकता है, रद्द कर सकता है, पुष्टि कर सकता है।
- अगर दो या तीन पास पास की पंचायतों में स्कूल, चिकित्सालय, औषधालय नहीं है या अपने सामान्य लाभ के लिये किसी पुल या सड़क की Need है तो वे पंचायतें नियत अधिकारी के निर्देश द्वारा इन सुविधाओं के निर्माण या अनुरक्षित करने में सम्मिलित हो जायेगी। राज्य सरकार व जिला पंचायतों द्वारा अनुदान दिये जायेगें, जो नियत हो।
पंचायतों द्वारा अभ्यावेदन And सिफारिश
- ग्राम पंचायत अपने क्षेत्र में कार्यरत्त सींचपाल, पतरोल, लेखपाल, पटवारी, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी व ग्राम स्तरीय कार्यकर्त्ता/कर्मचारी के स्थानान्तरण, पदच्युत के सम्बन्ध में सिफारिश कर सकती है।
- अपने अधिकारिक क्षेत्र के अन्तर्गत कार्य करने वाले कर्मचारियों के आचार की जांच व रिपोर्ट ए.डी.ओ. पंचायत/सक्षम अधिकारी को भेज सकती है।
- पंचायत मंत्री के अतिरिक्त ऐसे कर्मचारी वर्ग की Appointment कर सकती है जिसकी समय-समय पर Need पड़ती है। ऐसा नियत प्राधिकारी के अनुमोदन से ही कर सकती है। आपात स्थिति में प्राधिकारी के अनुमोदन के बिना भी कर्मचारी की Appointment कर सकती है। लेकिन इसकी सूचना तत्काल देनी होती है। उन कर्मचारियों के वेतन की व्यवस्था पंचायत को अपने खर्चे से करनी होती है।
- ग्राम पंचायत का सदस्य किसी बैठक में कोर्इ संकल्प/प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकता है और प्रधान या उपप्रधान से ग्राम पंचायतों के प्रशासन से सम्बन्धित विषयों के सम्बन्ध में प्रश्न नियत रीति से पूछ सकता है।
- अगर ग्राम पंचायत या ग्राम पंचायतें किसी जमीन को पंचायती Single्ट में निहित किसी कार्य के उपयोग के लिए प्राप्त करना चाहती है तो वे First तो आपसी समझौते से इसे लेंगी अगर दोनो पार्टी किसी एग्रीमेन्ट पर नहीं पहँुचतीं है तो जिलाधिकारी को Single प्रार्थना पत्र भेज सकती है। (नियत प्रपत्र में जिलाधिकारी ग्राम पंचायतों को भूमि अर्जित कर सकती है।)
पंचायत सदस्यों की अन्य जिम्मेदारियां
पंचायत में चुनकर आये प्रतिनिधियों की सबसे पहली जिम्मेदारी है कि गाँव में चुनाव के दौरान हुए आपसी मतभेद को भुलाकर सौहार्द का वातावरण बनाना।
- पंचायत की नियमित बैठकें आयोजित करवाना व उन बैठकों में अपनी सक्रिय भागीदारी देना।
- ग्राम सभा की बैठक नियमित समय पर करवाना व उसमें महिला-पुरूषों की भागीदारी सुनिश्चित करना।
- गांव की महिलाओं, पिछड़े व दलित वर्ग के लोगों को विशेष Reseller से हर कार्य, निर्णय व योजनाओं के निमार्ण में शामिल करना।
- पंचायत के लिये संसाधन जुटाना जैंसे-Human श्रम की उपलब्धता, धन की व्यवस्था करना, कर लगाना व वसूल करना व इससे पंचायत की आमदनी बढ़ाना।
- पंचायत में आये धन का सदुपयोग करना व उसका लेखा-जोखा पंचायत भवन के बाहर लिखना।
- ग्राम पंचायत के अन्र्तगत क्षेत्र में आने वाले कर्मचारियों के कार्यो की देख-रेख करना।
- जन्म मृत्यु का पंजीकरण करना। अगर पंचाायत अपने स्तर पर विवाह पंजीकरण भी करें तो यह Single अच्छी पहल होगी।
- पंचायत की समितियों का गठन कर उसके सदस्य के Reseller में अपने कार्यो व भूमिका का निर्वहन करना।
- पंचायत के प्रतिनिधि गाँव व क्षे़त्र में व्याप्त सामाजिक बुरार्इयों जैसे- दहेज, बालविवाह, शराब आदि पर प्रतिबन्ध भी लगा सकती है। समाज सुधार की दिशा में यह महत्वपूर्ण कार्य होगा।
- अपने क्षेत्र के जल, जंगल, जमीन के संरक्षण व संवर्धन के लिये योजना बनाना व ग्राम वासियों के साथ मिलकर इन प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा व प्रबन्धन करना।
- गाँव में बने अन्य सामुदायिक संगठनों जैसे महिला मंगल दल, स्वयं सहायता समूह या वन Safty समिति आदि के साथ मिलकर कार्य करना व उनके साथ तालमेल बनाना।
- महिला सदस्य गांव में देखें कि गांव की गर्भवती महिलाओं का आंगन बाड़ी रजिस्टर में पंजीकरण व देखभाल की उचित व्यवस्था है या नहीं। आंगनबाड़ी केन्द्र में ए.एन.एमसमय- समय पर आ रही है या नहीं। गर्भवती महिलायें आयरन व फॉलिक एसिड की गोलियां खा रही हैं या नहीं। उनहे नियमित खून की जांच कराने तथा संतुलित आहार लेने के लिए प्रेरित करें।
- आंगनबाड़ी केन्द्र का वातावरण स्वच्छ है या नहीं, बच्चों के लिए आवश्यक सामग्री उपलब्ध हो इसका भी ध्यान दें। ए.एन.एम. बच्चों व गर्भवती महिला को आवश्यक टीके दे रही हैं या नहीं।
- ग्राम पंचायत में महिला समूहों की विशेष बैठक करनी चाहिये जिसमें महिलाओं के अधिकारों व सामाजिक बिन्दुओं पर Discussion करें।
- पंचायतों को देखना होगा कि कोर्इ बाल श्रमिक तो कार्य नहीं कर रहा। बाल श्रमिक को स्वीकारने का मतलब उसे उसकी शिक्षा व खेलने के अधिकार से वंचित रखना। दलित व पिछड़े वर्ग के लोगों खासकर महिलाओं की भागीदारी विकास कार्यक्रमों में सुनिश्चित करें।
- पंचायत की बैठक में गांव के बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के उपायों पर Discussion करें व ग्राम सभा के लोगों को उससे सम्बन्धित जानकारियां दें। विकलांग बच्चों को विकास सम्बन्धित योजनाओं को भी प्राथमिकता दें।
- गांव के विद्यालय में शिक्षक प्रतिदिन उपस्थित हो रहे हैं या नहीं व बच्चों को पढ़ाते हैं या नहीं इस बात को भी ध्यान रखें। निरक्षर महिलाओं को साक्षर बनाने की जिम्मेदारी पंचायत के पढ़े-लिखे सदस्यों को लेनी होगी। उन्हें पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित करें।
- गांव में चल रही योजनाओं की निगरानी करने की जिम्मेदारी भी पंचायत सदस्यों को निभानी है। ताकि योजना सही ढंग से पूरी हो और उसमें किसी प्रकार की धांधलेबाजी न हो।
- गांव में महिला मंगल दल व युवक मंगल दल को मजबूत व सक्रिय बनाना। उनकी Needओं का पंचायत द्वारा ध्यान में रखा जाना चाहिए।