उद्यमिता विकास की परिभाषा, Need And महत्व
उद्यमिता विकास की परिभाषा, Need And महत्व
अनुक्रम
उद्यमिता विकास व्यवसाय में आवश्यक संसाधनों को जुटाता है और व्यवसाय में निहित अनेक प्रकार की जोखिमों को झेलने And अनिश्चितताओं का सामना करना प्रमुख कार्य होता है। उद्यमिता नए-नए उपक्रम की स्थापना, नियंत्रण And निर्देशन करने की कला के साथ नवीन तकनीक का प्रयोग करके उपक्रम को सुधार And परिवर्तन करने की साहसिक क्षमता का परिचय देता है। उपर्युक्त के आधार पर उद्यमिता के परिस्थितियों के According विभिन्न Means है। जैसे प्राचीन मत के According उद्यमिता में केवल जोखिम वहन करना And व्यवसाय के प्रवर्तन से संबंधित है। यहां पर उद्यमिता तथा प्रबंध में कोई अंतर स्पष्ट नहीं है। जबकि आधुनिक युग के मतानुसार उद्यमिता व्यवसाय में नवीन प्रवर्तनों अवसरो की खोज करने सामाजिक मूल्यों के सम्बन्ध में विभिन्न निर्णय लेने, समाज के लिए नए परिवर्तन करने तथा व्यवसाय को गतिशीलता प्रदान करने की योजना बनाने की योग्यताएँ होती है।
उद्यमिता की परिभाषाएँ
उद्यमिता के Means को वर्तमान की बदलती हुई परिस्थितियों में समझने के लिए कुछ प्रमुख विद्वानों के द्वारा उद्यमिता की परिभाषाएँ दी गई जिनका अध्ययन आवश्यक है जो है :-
- फ्रेंक्लिन लिंड्से ‘‘उद्यमिता समाज की भावी Needओं को पूर्वानूमान करने तथा संसाधनों के नवीन सृजनात्मक And कल्पनाशील संयोजनों के द्वारा इन Needओं को सफलतापूर्वक पूरा करने का कार्य है।’’
- जोसेफ शुम्पीटर ‘‘उद्यमिता Single नव- प्रवर्तनकारी कार्य है। यह स्वामित्व की अपेक्षा Single नेतृत्व कार्य है।’’ उपरोक्त परिभाषा के According उद्यमिता को पूर्णत: नए परिप्रेक्ष्य को दिखाती है और इनके According नवप्रर्वन ही उद्यमिता का Single प्रमुख तत्व है।
- हिगिन्स उद्यमिता विनियोग And उत्पादन के अवसरों को देखने, नई उत्पादन प्रक्रिया को प्रारम्भ करने हेतु साधनों को संगठित करने, पूँजी लाने, श्रम को नियुक्त करने, कच्चे माल की व्यवस्था करने, सयंत्र का स्थान ढूँढने, नई वस्तुओं व तकनीकों को अपनाने, कच्ची सामग्री के नए स्त्रोतों का पता लगाने तथा उपक्रम के दैनिक संचालन हेतु उच्च प्रबंधकों के चयन करने का कार्य है।’’ यह परिभाषा उद्यमिता के बारे में वर्णनात्मक व साहसी के विभिन्न कार्यों का वर्णन करती ळें
- मनोहर नागफ़र्णी ’’साहस या उद्यमियता से आशय, समाज में नए उपक्रम स्थापित करने की सामान्य प्रवृत्ति से है।’’
- पीटर एफ ड्रकर – व्यवसाय में अवसवरों को अधिकाधिक करना Meansपूर्ण है।’’ इस परिभाषा के According नवप्रवर्तन उद्यमिता का Single विशेष कार्य है।
- रिचमैन तथा कोपन – उद्यमिता किसी सृजनात्मक, बाह्य अथवा खुली प्रणाली की ओर संकेत करती है। यह नवप्रवर्तन, जोखिम तथा गतिशील नेतृत्व का कार्य है। इस परिभाषा में दोनों विद्वानों द्वारा उद्यमी को समाज का गतिशील प्रतिनिधि मानती है। और साहस को सामाजिक परिवर्तनों का केन्द्रबिन्दु माना गया है।
उपर्युक्त विभिन्न परिभाषाओं के अध्ययन से स्पष्ट होता है, कि विद्वानों के विचारों में उद्यमिता या साहसिकता ही वर्तमान युग की सर्वाधिक महत्वपूर्ण योग्यता होती है देश के विकास में उद्यमिता द्वारा ही आर्थिक And औद्योगिक उन्नति लाई जा सकती है। और यह स्पष्ट है कि उद्यमिता विकास के All स्तर पर सामाजिक, राजनैतिक तथा मनोवैज्ञानिक दशाओं में परिवर्तन के अनुReseller उद्यमिता की परिभाषाएँ भी बदली है।
उद्यमिता की Need And महत्व
विकासशील देशों में उद्यमिता समृद्धि का Single महत्वपूर्ण आधार है, तो विकसित देशों में यह सृजनात्मक चिंतन सामाजिक समस्याओं, नवप्रवर्तन And साहिफ समाज के विकास की महत्वपूर्ण पद्धति है। हमें विश्व के विभिन्न देशों में जो औद्योगिक विकास दिखाई देती है, यह उद्यमियों की ही देन है। ऐसे में उद्यमी अपना तन,मन,धन सर्वस्व लगाकर उपक्रमों को खड़ा करते है। Humanीय And प्राक्रतिक साधनों की प्रचुरता समृद्धि के लिए पर्याप्त नहीं है। वस्तुत: ऐसे ही लोग देश अप्रयुक्त साधनों का अधिकतम उपयोग करके उसके आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त करते है। उद्यमी ही देश में नवीन वस्तुओं का निर्माण करके रोजगार, विनियोग व आय में वृद्धि करके संतुष्टि के स्तर को ऊँचा करके तथा सम्पूर्ण समाज में उद्यमशीलता व साहसिक चिंतन मनन करके राष्ट्र को प्रगति के पथ पर ले जाते है। उद्यमी अपनी व्यवसायिक क्रियाओं के द्वारा ही देश की आर्थिक व सामाजिक समस्याओं तथा गरीबी, निम्न उत्पादकता, आर्थिक सामाजिक विषमता, शोषण व अपराध आदि का निवारण करते हैं। श्री येल ब्रोजन ने ठीक ही कहा है साहसीकरण, आर्थिक विकास का अनिवार्य अंग है। वह Meansव्यवस्था की धुरी होता है, क्योंकि Meansव्यवस्था में उसके बिना उद्योग की गाड़ी को चला नहीं सकते।
प्रत्यक्ष And अप्रत्यक्ष Reseller से उद्यमी के माध्यम से रोजगार के संसाधनों का निर्माण करके लाखों व्यक्तियों को रोजगार प्रदान करता है। और समाज में स्थायित्व लाने का प्रयास करता है। उद्यमिता के महत्व के पक्ष में Single पहलू यह भी है, कि उद्यमों के विकास के कारण देश में ही धीरे-धीरे अनेक वस्तुओं का उत्पादन होने लगा है और आयातों में कमी हो जाती है। आयातों में निरंतर कमी होने पर Single स्थिती यह भी आ जाती है। कि देश आत्मनिर्भर और कुछ समय बाद उस वस्तु का निर्यात करने में सक्षम हो जाएगे।
उद्यमिता से व्यक्तियों में साहसिक भावना, Creationत्मक, मनोवृत्तियों And दृष्टिकोण का विकास होता है, जिससे लोग व्यवसायिक अवसरों की खोज कर नए उद्योग स्थापित कर देश की औद्योगिक विकास की क्रियाओं को प्रोत्साहित करते है। साहस के कारण लोगों में स्वतंत्र जीवन जीने आत्मनिर्भर बनने तथा कुछ प्राप्त करने की प्रवृत्तियाँ विकसित होने लगती है। साहसिक व्यक्ति प्रशिक्षित And कुशल होता है। इसलिए साहसिक व्यक्ति से औद्योगिक विकास की संभावना बढ़ जाती है। और वह रूठ इकाईयों को पुनर्जीवित कर सकता है। उद्यमिता ही Single ऐसा घटक है जो देश की बचतों को उत्पादक कार्यों में विनियोजित करने में सहायक हो सकती है। उद्यमिता वृद्धि द्वारा व्यावसायिक क्रियाओं में वृद्धि करके पूँजी निर्माण की दर में वृद्धि की जा सकती है।
सुप्रसिद्ध Meansशास्त्री मार्शल के According ‘‘उद्यमी उद्योग का कप्तान होता है, क्योंकि वह जोखिमों And निश्चितता का वाहक ही नहीं होता, बल्कि Single प्रबंध, भविष्य दृष्टा, नवीन उत्पादन विधियों का अविष्कारक तथा राष्ट्र के निर्माता भी होता है। वह अपने लाभों को अधिकतम करने के लिए Single ओर वह उद्योगों की आंतरिक व्यवस्था पर निगाह रखता है तो दुसरी ओर अपने प्रतिद्वंद्वियों की गतिविधियों पर भी पूरा ध्यान रखने का प्रयास करता है। उद्यमिता ही Single ऐसा घटक है, जो देश की बचतों को उत्पादक कार्यों में विनियोजित करने में सहायक हो सकती है। उद्यमिता के विकास से सामाजिक हित पूर्ण होता है, क्योंकि उद्यमी व्यवसायिक जोखिमों का पूर्वानुमान करके समाज के अन्नयन की कल्पना को सार्थक Reseller प्रदान करने के लिए कदम उठाता है।
उपरोक्त विभिन्न उद्यमिता के महत्वों के कारण से यह निष्कर्ष निकलता है कि, उत्पाद में भूमि, श्रम, संगठन, व साहस में साहसी अथवा उद्यमी का सर्वाधिक महत्व होता है।
उद्यमिता के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले घटक
उद्यमिता के विकास पर अनेक घटकों का प्रभाव पडता है। अनेक विद्ववानों ने इस बारे में अनुसंधान निष्कर्ष प्रस्तुत किये है। जैसे :- मेक्लीलैंड ने ‘‘उपलब्धि And सत्ता की उच्च आकांक्षा’’ को उद्यमिता विकास के लिए अनिवार्य माना है। जबकि शुम्पीटर में वातावरण And व्यक्तिगत योग्यता को आधारभूत घटक मानते है। किंतु वास्तविकता में उद्यमिता के विकास में अनेक तत्वों का सामुहिक प्रभाव होता है। प्रो. उदय पारिक And मनोहर नागफ़र्णी के According उद्यमिता के विकास में योगदान देने वाले घटकों को चार वर्गों में बाँट कर विस्तृत Means प्रस्तुत Reseller गया है जो इस प्रकार है :-
- व्यक्तिगत घटक
- सामाजिक And सांस्कृतिक घटक
- वातावरण संम्बधी घटक
- सहायता प्रणाली घटक
उपर्युक्त ये All घटक Single-दुसरे को प्रभावित करते हैं। व्यक्तिगत और सामाजिक And सांस्कृतिक घटक उद्यमिता के विकास में अप्रत्यक्ष Reseller से सहयोग प्रदान करते है, जबकि वातावरण संबंधी घटक और सहायता प्रणाली घटक उद्यमिता के विकास में प्रत्यक्ष Reseller से सहयोग प्रदान करते है। यहाँ उद्यमिता को Single निर्भर घटक माना गया है