इन्दौर जिले का History – Scotbuzz
इन्दौर जिले का History
मध्यप्रदेश का केन्द्र बिन्दु, हृदय And वाणिज्य राजधानी इन्दौर शहर को माना जाता है Meansात् जिस प्रकार भारत राष्ट्र की राजधानी तो दिल्ली है परन्तु मुम्बई को व्यवसायिक केन्द्र माना जाता है ठीक उसी प्रकार इन्दौर मध्यप्रदेश का मुम्बई And भारत राष्ट्र के मिनी मुम्बई के नाम से जाना जाता है। इन्दौर जिले ने दिन-प्रतिदिन प्रत्येक क्षेत्र में काफी उन्नति की है And इस उन्नति से नवीन ऊँचाई को छुआ है, जिसके कारण इन्दौर काफी प्रगतिशील जिले के Reseller ने विख्यात है। इन्दौर शहर वर्तमान में काफी सुदृढ़ स्थिति में है। इन्दौर जिले में औद्योगिक, व्यापारिक विकास के साथ-साथ बैंकिंग के क्षेत्र में भी काफी उन्नति हुई है।
इन्दौर जिले का प्रारंभिक History
इन्दौर जिला मालवा के सुरम्य मनोरम पठार पर स्थित है। इन्दौर जिले के दक्षिण-पश्चिम में विंध्याचल पर्वत And उत्तर-पश्चिम में अरावली पर्वत स्थित है। इन्दौर जिले को मध्यप्रदेश की वाणिज्य राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। इन्दौर जिला माँ अहिल्या की नगरी के नाम से भी विख्यात है। माँ अहिल्या की पावन नगरी इन्दौर मध्यप्रदेश का जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़े नगर के Reseller में तथा औद्योगिक राजधानी के Reseller में विख्यात है। यह नगर सांस्कृतिक And व्यावसायिक गतिविधियों, प्रशासनिक, प्रबंधकीय चिकित्सा And उच्च शिक्षा का भी प्रमुख केन्द्र है।
‘‘डग-डग रोटी पग-पग नीर’’ वाले मालवा के पठार पर समुद्र तट से 584.64 मीटर ऊँचाई पर स्थित इन्दौर जिला ‘शब-ए-मालवा’ वाली समशीतोष्ण जलवायु के कारण इसकी लोकप्रियता Historyनीय है वैसे तो इन्दौर का History लगभग 400 वर्षो से भी अधिक पुराना है, परन्तु प्राचीन अवशेषों के आधार पर जूनी इन्दौर क्षेत्र परमार के समय की Single सम्पन्न बस्ती के Reseller में विद्यमान है। जहाँ से 10वीं, 11वीं शताब्दी की प्रतिमाएँ प्राप्त हुई है।
अधिकांश Historyकारों की मान्यता है कि, इस नगर का प्राचीन नाम इन्द्रपुर हो सकता है। इन्द्रेश्वर यहाँ के ग्राम देवता के Reseller में पूजे जाते थे, जिनका मंदिर नगर के मध्य आज भी विद्यमान है। सभंवतापूर्ण यह भी हो सकता है कि, राष्ट्रकूट King ने मालवा विजय के समय इस स्थान पर जिस मंदिर की स्थापना की थी, उस मंदिर का नाम इन्द्रेश्वर का नाम ही इन्दुर इन्दौर पड़ा हो।
इन्दौर गजेटियर के According इस शहर का History 1761 से मिलता है। इन्दौर का History Single अलग ही गौरव गाथा है। सन् 1725 में निजात की शक्तिहीन स्थिति का लाभ उठाकर बाजीराव पेशव ने होल्कर सिंधिया और पंवार को मालवा से कर वसूलने की सनद दे दी थी। सन् 1733 में बाजीराव पेशवा ने यह जिला मल्हार राव होल्कर को पुरस्कार में दे दिया। श्रीमंत मल्हार राव होल्कर ने अपना शासन 1733 से प्रारंभ Reseller। होल्कर Kingो ने 220 वर्ष 22 दिन तक शासन Reseller। होल्कर मराठा Kingो का पारिवारिक नाम था। होल्कर परिवार उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले के Single छोटे से गाँव होल से आया था। इस गाँव का नाम होल्कर मराठी प्रथा के कारण पड़ा था, जो बाद में होल्कर परिवार का उपनाम कहलाया। होल्कर राज परिवार की शुरूआत मल्हार राव होल्कर से हुई थी। मल्हार राव की (मृत्यु) देहान्त सन् 1766 के बाद उनकी गद्दी पर श्रीमंत मालेराव होल्कर बैठे लेकिन 9 माह 18 दिन के बाद उनकी भी मृत्यु हो गई। श्रीमंत मालेराव होल्कर की मृत्यु के बाद कुर्सी की राजनीति के इस क्षेत्र ने भी अपना रंग दिखाना प्रारंभ Reseller जैसा कि, राजतंत्र में प्राय: होता है।
परिणाम स्वReseller कई नरसंहार हुए और राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो गई तथा विकास गति में बाध्य पैदा होने लगा। इसके बाद इस भयावह स्थिति को देखते हुए तथा स्वयं के राष्ट्र पर संकट के बादल मँडराने का आभास करते हुए राज्य हित And कल्याण हेतु सन् 1767 में भी श्रीमंत मल्हार राव होल्कर की पुत्रवधु माँ अहिल्याबाई होल्कर ने शासन की बागडोर स्वयं के हाथों में लेते हुए राज्य सिंहासन की गद्दी पर बैठी। रानी माँ अहिल्याबाई ने महेश्वर के महल से अपना शासन चलाया। माँ अहिल्याबाई ने भी उनका मुँह तोड़ जवाब दिया। इसके साथ-साथ ही राजनीतिक क्षेत्र में उत्पन्न अस्थिरता को भी समाप्त Reseller And इन्दौर को विकास पथ पर अग्रसर Reseller।
28 वर्ष 5 माह 17 दिन राज्य करने के बाद माँ अहिल्याबाई होल्कर का भी देहान्त हो गया। माँ अहिल्या के स्वयं के राज्य के प्रति इस अतुलनीय योगदान के लिए ही इन्दौर को माँ अहिल्या नगरी के नाम से भी पुकारा जाता है।
भौगोलिक विकास
इन्दौर जिला मध्यप्रदेश राज्य के 5 जिलो में से Single है। व्यावसायिक दृष्टि, जनसंख्या दृष्टि से मध्यप्रदेश का First स्थान प्राप्त इन्दौर औद्योगिक नगर के Reseller में विख्यात है। मालवा के पठारी क्षेत्र में स्थित यह जिला प्राकृतिक वातावरण से परिपूर्ण है। माँ अहिल्याबाई की नगरी (इन्दौर) मध्यप्रदेश के दक्षिण-पश्चिम भाग में मालवा के पठार में मध्य 22.2 से 23.5 उत्तर अक्षांश And 75.5 से 76.15 पूर्व दक्षांश पर स्थित है। समुद्री सतह से इसकी ऊँचाई 553 मीटर लगभग है समुद्री तल से दूर होने के कारण यहाँ की जलवायु सामान्य रहती है शीत ऋतु में यहाँ 5 डिग्री से 13 डिग्री सेन्टीग्रेड के मध्य तापमान रहता है। इन्दौर जिलें में औसत वर्षो 35 इंच रहती है। इन्दौर नगर मालवा के पठार पर स्थित होने कि वजह से दिन में गर्मी रहती है, लेकिन रात्रि के तापमान में ठण्डक धुल जाती है।
इन्दौर संभाग के अन्तर्गत 654 कुल ग्राम है, जिसमें से कुल 640 आबाद ग्राम है। 53 हजार हेक्टर भूमि में वन क्षेत्र स्थित है इन्दौर संभाग की प्रमुख वनोपज इमारती लकड़ी, बांस, तेंदुपत्ता, गोद है असिंचित कृषि क्षेत्रफल 25899 हेक्टर है And सिंचित कृषि क्षेत्रफल 69841 हेक्टर है। इन्दौर जिले में अनेक बड़ी छोटी नदियाँ चम्बल, गंभीर, खान, क्षिप्रा है इन नदियों के अतिरिक्त इस जिले में अनेक नाले व जलाशय अस्थित है, जिनका उपयोग सिंचाई तथा पीने के पानी के लिए होता है। पीने के पानी का जल प्रदाय प्रमुखत: नर्मदा नदी के पानी तथा यशवंत सागर बाँध के पानी का होता हैं।
इन्दौर जिले में चना, तुअर, गेहूँ, मक्का, ज्वार, मूंग, उड़द, सोयाबीन, मूंगफली, कपास, गन्ना प्रमुख फसल के Reseller में पाई जाती है। यहाँ काली मिट्टी पाई जाती है, जो कृषि के लिये उत्तम है। इस मिट्टी में लोहे, चूने And एल्युमिना की प्रधानता अधिक होने के कारण यह उपजाऊ तत्वों से भरपूर है। 2.4 ‘‘इन्दौर जिले की आर्थिक प्रगति’’ :-
इन्दौर जिले का जन्म तो सन् 1724 में भी पूर्व का है, परन्तु जिले का आर्थिक विकास दुगुनी गति से प्रारंभ सन् 1818 से हुआ। जब द्वितीय तुकोजीराव होल्कर ने 06/01/1818 में मन्दसौर से संधि कर इन्दौर नगर को राजधानी बनाया। महाराज तुकोजीराव का कार्यकाल 42 वर्ष का रहा। इस अवधि में तुकोजीराव द्वितीय ने कृषि And उद्योगों का विस्तार Reseller। रेल्वे कार्यो को प्रारंभ कर व्यापारिक गतिविधियों को नवीन शक्ति प्रदान की उद्योग And व्यापार के प्रति उदारवादी नीति को अपनाते हुए इन्दौर को नई दिशा प्रदान की। महाKing तुकोजीराव द्वितीय के सफल प्रयत्नों से ही यहाँ पर First सूची कपड़ा मिल की स्थापना सन् 1866 में हुई। सन् 1875 में इन्दौर को रेलमार्ग से समबद्ध होने का गौरव प्राप्त हुआ। सन् 1902 में महाKing शिवाजीराव ने अपने नाबालिक पुत्र तुकोजीराव (तृतीय) के पक्ष में गद्दी त्यागी, तब तुकोजीराव (तृतीय) अवयस्क होने के कारण नियमानुसार राज्य का शासन एजेन्सी कांउसिल ने संभाला। एजेन्सी काउंसिल के कार्यकाल में महारानी सराय, गाँधी हॉल, हाईकोर्ट, भवन, यशवंत निवास पैसेल, एम.वाय. अस्पताल आदि की स्थापना हुई। सन् 1907 में इन्दौर नगर में द्वितीय कपड़ा मील द यूनिटेड मालव कार्टन टेक्स मिल्स की स्थापना हुई।
सन् 1910 में इन्दौर भारत देश का मुख्य व्यापारिक नगर था। इसके परिणामस्वReseller राज्य की आय में वृद्धि हुई। सन् 1924 में नगर के विकास की दृष्टि योजना के अन्तर्गत CITY IMPROUEMENT TRUST शहर संस्था की स्थापना हुई, जिसके परिणाम स्वReseller हुकुमचंद मिल, राजकुमार मिल, भण्डारी मिल, स्वदेशी मिल And तुकोजीराव क्लॉथ मार्केट की स्थापना हुई, जिसके फलस्वReseller यहां के औद्योगिक और आर्थिक विकास को गति प्राप्त हुई। इन्दौर जिले में मुख्य Reseller से कपड़ा मिलों के साथ-साथ बहुत से उद्योगों का विकास हुआ है। दिनांक 20/04/1948 सन् के बाद इन्दौर का संविलयन Indian Customer संघ में हो गया। आज इन्दौर अन्तर्राष्ट्रीय मानचित्र पर उभरता हुआ शहर है कपड़ा मिले यहाँ का मुख्य व्यवसाय है। वस्त्र उद्योग और नवीनतम फैशन के मामले में पीछे नहीं है, जो फैशन देश के प्रमुख नगरों में First आता है Single-दो सप्ताह बाद इन्दौर में आ जाता है। राज्य के विभिन्न शहरों में इन्दौर से ही कपड़ा थोक में जाता है। चिकित्सा के क्षेत्र में इस शहर की उपलब्धि कम नहीं है। यहां आधुनिक चिकित्सा पद्धति से लैस अस्पताल और चिकित्सक है दवाईयाँ बनाने के अनेक सुसज्जित कम्पनियाँ यहां पर है। सोने-चाँदी के आभूषणों प्लास्टिक के सामान, लोहा-स्टील के सामान, मशीनों के औजार बड़ी मात्रा में बनाये जाते है। ट्रक ट्रांसपोर्ट यहां का मुख्य व्यवसाय है। इन्दौर के आस-पास भी उद्योग धंधे विकसित होने से इस शहर का महत्व बढ़ा है। सराफा, कोठारी मार्केट, मालवा मिल, छावनी, मल्हारगंज, बर्तन बाजार, जवाहर मार्ग, इतवारिया बाजार, पाटनीपुरा, महारानी रोड़, सीतलामाता बाजार, एम.जी.रोड, महारानी रोड, क्लॉथ मार्केट, सुभाष चौक, छप्पन भोग, आनन्द बाजार, टॉवर चौराहा, सियागंज, जवाहर मार्ग, महावीर मार्ग, खजूरी बाजार, नन्दलालपुरा, छोटी ग्वालटोली, पंढ़रीनाथ, तुकोगंज, जेलरोड, मालवामिल, बोहरा बाजार इन्दौर के प्रमुख बाजार है। छोटी ग्वालटोली, आर.एन.टी. मार्ग और तुकोगंज में होटल, भोजनालय अधिक है। इन्दौर सड़क, वायु तथा रेलमार्ग से देश के विभिन्न शहरों से Added हुआ है यहाँ दो बस स्टेण्ड है। सरवटे बस स्टेण्ड राज्य का सबसे बड़ा बस स्टेण्ड है। इसका नाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तात्या सरवटे की स्मृति में ‘सरवेट बस स्टेण्ड’ रखा गया। धार मार्ग पर गंगवाल बस स्टेण्ड है। इस बस स्टेण्ड का नाम श्री मिश्रीलाल गंगवाल के नाम पर ‘गंगवाल बस स्टेण्ड’ रखा गया। यातायात के All साधन आसानी से उपलब्ध होने से इन्दौर राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय मानचित्र पर प्रमुख शहर के Reseller में अंकित है।
लाल बाग पैलेस
खान नदी के तट पर होल्कर Kingों द्वारा निर्मित लालबाग पैलेस इन्दौर का प्रमुख स्मारक है। यह शहर के मध्य में स्थित है। होल्कर King तुकोजीराव होल्कर द्वितीय ने 18वीं सदी में इसका निर्माण कार्य मिस्टर हार्वे के सहयोग से शुरू करवाया था। इस निर्माण कार्य को अंतिम Reseller 1921 में तुकोजीराव होल्कर तृतीय ने दिया उन्होने आधुनिक शैली में संगमरमर से पैलेस को भव्यता प्रदान करवायी। 4 Singleड़ क्षेत्र में स्थित इस पैलेस की छतों को भित्ति चित्रों के माध्यम से सजाया गया है। पैलेस का शाही दरबार इटली के संगमरमर से बना है। बाहर से सामान्य दिखाई देने वाला यह पैलैस स्थापत्य कला का अद्भूत नमूना है। वर्ष 1937 में म.प्र. सरकार द्वारा लालबाग पैलेस का अधिग्रहण कर उसे वर्ष 1988 में संस्कृति विभाग के तहत राज्य पुरातत्व And संग्रहालय विभाग को सौंपा गया। लाल बाग पैलेस का सौन्दर्य आज भी होल्कर शासन के समय की याद दिलाता है और अहसास कराता है कि, प्राचीन धरोहर Human समाज के लिये कितना जरूरी है।
राजवाड़ा
इन्दौर शहर के बीच स्थित राजवाड़ा सुन्दर और इस शहर के अतीत का प्रतीक है। इस स्मारक ने इन्दौर के विविध दंगो को देखा है। 19वी सदी में राजवाड़ा की नींव मल्हाराव होल्कर ने रखी थी। तुकोजीराव First ने इसका निर्माण कार्य पूर्ण करवाया। 221 फुट चौड़ा और 289 फुट लम्बा स्मारक होल्कर वंश की गद्दी है। राजवाड़ा बार-बार आक्रोश का शिकार हुआ। सन् 1801 में First बार इसे आग का शिकार होना पड़ा। बाद में इसका पुन: निर्माण हुआ। वर्ष 1984 में राजवाड़ा को आग से काफी नुकसान पहुँचा। इसके सौन्दर्य में कमी आयी। बार-बार आग के हवालें हो चुका। राजवाड़ा आज भी अपने मूल Reseller में नहीं उभर सका है। राजवाड़ा में मल्हार मार्तण्ड का मंदिर दर्शनीय है।
छत्रीबाग की छत्रियाँ
छत्रीबाग में बनी छत्रियाँ दो भागों में विभक्त है। First भाग में मल्हाराव, खाण्डेराव, अहिल्याबाई और मालेराव की छत्रियाँ है। वहीं, दूसरी ओर तुकोजीराव First, मल्हारराव द्वितीय तथा ताई साहब की छत्रियाँ बनी हुई है। ये छत्रियाँ आज अपने अतीत के सुनहरे दिनों की याद करते हुए वर्तमान में अपेक्षित सा महसूस कर रही है।
कृष्णपुरा की छत्रियाँ
उन्नीसवी सदी में खान और सरस्वती नदियों के तट पर स्थित ये छत्रियाँ उदाहरण है। यहां तीन छत्रियाँ (कृष्णाबाई, तुकोजीराव द्वितीय और शिवाजी राव) बनी हुई है। इन छत्रियों को भी उन लोगों का इंतजार है, जो उनकी पुरातन सुन्दरता लौटाने का प्रयास कर सकते है।
फूटी कोठी
शिवाजीराव होल्कर ने शहर के पत्थरों की विशाल इमारत बनवाने का कार्य आरंभ Reseller था किंतु यह निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका। बाद में इस इमारत में उपयोग आने वाली सामग्रियों का अन्यत्र उपयोग Reseller गया। इमारत अधूरी रह जाने की वजह से इसका नाम फूटी कोठी पड़ा।
संग्रहालय
आगरा मुम्बई मार्ग पर पुरातत्व संग्रहालय स्थित है। इस संग्रहालय में पुरातत्वीय धरोहरों को सहेजकर रखा गया है।
काँच मंदिर
काँच मंदिर के नाम से विख्यात यह जैन मंदिर है। पूरा मंदिर काँच का बना हुआ है। कहीं भी नजर दौड़ने पर काँच में आकृतियाँ दिखाई देती है। यह मंदिर 20वीं सदी में सेठ हुकुमचंद ने बनवाया था। इस मंदिर की छत, दीवारे, खम्भे, दरवाजे All कुछ काँच से बने हुये है मंदिर में भगवान महावीर की मूर्ति विद्यमान है। यह सुबह 10 बजे से सायं 5 बजे तक खुला रहता है।
बड़ा गणपति मंदिर
इस मंदिर में गणपति जी की विशाल प्रतिमा है, जो विश्व की सबसे बड़ी है। यह प्रतिमा 25 फीट लम्बी है उज्जैन निवासी श्री दधीचि ने वर्ष 1875 में अपने स्वप्न को मंदिर के Reseller में साकार Reseller। गणपति की मूर्ति श्रद्धालुओं के आर्कषण का केन्द्र रहती है।
खजराना-सिद्धी विनायक
देवी अहिल्याबाई द्वारा निर्मित इस गणेश मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है। मान्यता है कि, इस मंदिर में माँगी गई हर मुराद पूरी होती है। लगभग 4 Singleड़ में फैले इस मंदिर में भगवान गणेश सिद्धी-रिद्धी के साथ विराजमान है। यहीं पर भगवान शिव और दुर्गाजी का मंदिर है। प्रतिदिन असंख्य श्रद्धालु यहाँ दर्शन हेतु आते है प्रति बुधवार यहाँ पर मेला भरता है।
अन्नपूर्णा मंदिर
अन्नपूर्णा मंदिर की स्थापना सन् 1959 में हुई थी। इस मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित है। भगवान शिव की विशाल मूर्ति है। मंदिर के बारे में कहावत है कि, अन्नपूर्णा मंदिर बहुत कम जगहों पर होते है। यह जहाँ भी होते है, वह जगह भाग्यशाली होती है।
इन्द्रेश्वर मंदिर
इन्द्रेश्वर मंदिर इन्दौर का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है इसका निर्माण वर्ष 1741 में मराठों ने करवाया था। यह शिव मंदिर है। इन्दे्रश्वर मंदिर के नाम पर ही शहर का नाम इन्दौर पड़ा।
हरसिद्धी मंदिर
देवी दुर्गा का यह मंदिर सन् 1832-43 के मध्य करवाया गया था। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि, महाKing हरिराव होल्कर को यहाँ स्थापित मूर्ति का सपना आया था। उन्होने की उस मूि र्त की स्थापना करवायी।
गोपाल मंदिर
भव्य गोपाल मंदिर का निर्माण महाKing यशवंतराव होल्कर (First) की पत्नी कृष्णाबाई साहेब ने सन् 1832 में करवाया था। इस मंदिर पर लगभग 80 हजार Resellerये व्यय हुआ था। मंदिर में बड़ा कक्ष है, जिसके मजबूत खम्बे इस छत को संभाले हुये हैं। श्री कृष्ण जन्माष्ठमी पर मंदिर की सुन्दरता देखते ही बनती है।
शनि मंदिर
जूनी इन्दौर स्थित शनि मंदिर दर्शनीय है इस मंदिर की तुलना देश के अन्य शनि मंदिरों से की जाती है।
बिजासन टेकरी
पहाड़ी पर स्थित देवी बिजासन का मंदिर सन् 1920 में बना था। यहाँ नवरात्रि पर्व पर विशाल मेला लगता है। पहाड़ी से Ultra siteास्त का दृश्य मनोरम दिखाई देता है। रात्रि में पूरे शहर की रोशनी दिखाई देती है। टेकरी के आस-पास बगीचें है
गीता भवन
विभिन्न धार्मिक गतिविधियों का केन्द्र है गीता भवन। यहाँ विभिन्न मूर्तियाँ स्थापित है। इस भवन का केन्द्रीय कक्ष धार्मिक चित्रों से सुसज्जित है। कक्ष में प्रवचन, अन्य धार्मिक कार्य सम्पन्न होते है।
पंढरीनाथ मंदिर
यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। महाKing मल्हारराव होल्कर (द्वितीय) ने यह मंदिर बनवाया था। इस मंदिर को पंढरीनाथ मंदिर से पहचाना जाता है।
जैन मंदिर
सराफा के समीप यह जैन मंदिर वर्ष 1925 में बना है यह मंदिर लाल पत्थरों से निर्मित है।
गोमटगिरी
यह स्थल जैन समाज का पवित्र स्थल है। छोटी सी ऊँची मूर्ति स्थापित है। इन्दौर हवाई अड्डे से गोमटगिरी का मार्ग 10 मिनिट का है। यहाँ धर्मशाला, जलपान गृह है।
महात्मा गाँधी हॉल
इस भवन का निर्माण वर्ष 1904 में हुआ था और किंग एडवर्ड हॉल के नाम से जाना जाता था। सन् 1948 में इसके नाम में परिवर्तन Reseller गया और यह भवन महात्मा गाँधी हॉल कहलाया। इस भवन के अग्र भाग में Single घडी लगी हुई है, जिसके कारण इसे घंटाघर भी कहा जाता है। यहां चित्रकला प्रदर्शनियाँ And अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते है।
नेहरू पार्क
इन्दौर शहर का पुराना और सुन्दर पार्क। यह पार्क ब्रिटिश सरकार ने अपने लिये बनवाया था। स्वतंत्रता बाद इसका नाम बदलकर नेहरू पार्क कर दिया गया। यहां सुन्दर फूल, पौधे और बच्चों के लिये मनोरंजन के विभिन्न साधन उपलब्ध है।
मेघदूत उपवन
मेघदूत उपवन में पेड़-पौधों की सुन्दरता मन को मोह लेती है। रंगीन फब्बारें उपवन की सुन्दरता में अभिवृद्धि करते है शाम को यहाँ काफी भीड़ दिखायी देती है।
कमला नेहरू पार्क
इस पार्क को चिडियाघर के नाम से भी जाना जाता है। यहां शाम को घूमने वालों की भीड़ उमड़ पड़ती है।
चौखी ढाणी
खण्डवा मार्ग पर स्थित यह स्थल राजस्थान की पाम्परिक संस्कृति के दर्शन कराता है। पूरा परिवेश देखकर लगता है कि, जैसे राजस्थान के किसी गाँव में आ गये हो। मनोरंजन के साधन यहाँ सुलभ रहते है। राजस्थानी व्यंजनों का स्वाद लेने वालो की अपार भीड़ दिखाई देती है।
इन्दौर के आस-पास भी ऐसी मनोरम स्थल है। जहाँ मन को सुकून मिलता है व प्रकृति से सीधा साक्षात्कार होता है। इन्दौर भ्रमण के बाद इन स्थलों पर जाया जा सकता है। नेमावर मार्ग पर जिनपानी गाँव के निकट मझधार फॉल में 5 कि.मी. की दूरी पर किटी है यहाँ से नर्मदा तट बड़ा सुन्दर दिखाई देता है। विभिन्न प्रकार के परिन्दों को यहाँ देख जा सकता है। भेरूघाट से पूर्व जोगीभड़क फॉल है। मानपुर से 3 कि.मी. की दूरी पर टिन्चा फॉल है। महू – महेश्वर रोड़ पर मेंहदीकुण्ड फॉल है। तेलाखेडी के पास हत्यारी खोह फॉल है। महू से 13 कि.मी. की दूरी पर जानापाव फॉल है।
खण्डवा मार्ग पर सिमरोल के समीप कणलीगढ़ पुरातत्व स्थल है। खण्डवा रेलमार्ग पर काला कुण्ड है। यहाँ प्राकृतिक कुण्ड और झरना है। महू जाम मार्ग पर नखेरी बाँध सुन्दर पिकनिक स्थल है। सन् 1948 में इन्दौर की मध्य भारत में ग्रीष्म कालीन बनाने से उसका विकास और भी तीव्र गति से हुआ। सन् 1956 में (राज्य पुर्नगठन आयोग की अनुशंसा के आधार पर) मध्य भारत को हटाकर 1 नवम्बर 1956 को मध्यप्रदेश का निर्माण हुआ।
मध्यप्रदेश के इस नवीन गठन के समय 43 जिलों में इन्दौर जिला भी शामिल था। इस मध्यप्रदेश के नवीन गठन के बाद इन्दौर ने औद्योगिक, व्यावसायिक Reseller से सम्पूर्ण भारत में ख्याति अर्जित की।
इन्दौर जिले का ऐतिहासिक परिचय
इन्दौर के ऐतिहासिक First महत्वपूर्ण गौरव निम्न प्रकार है :-
- 1961 ई. में इन्दौर में मध्यप्रदेश का First दन्त चिकित्सा महाविद्यालय स्थापित Reseller गया था।
- 19 फरवरी 1984 को इन्दौर में एशिया का First And विश्व तृतीय लेसर परमाणु ऊर्जा अनुसंधान केन्द्र स्थापित Reseller गया था। इसकी स्थापना 125 करोड़ Resellerये की लागत से 1100 Singleड़ भूमि क्षेत्रफल में की गई।
- वर्तमान में इन्दौर में केन्द्रीय परमाणु ऊर्जा विभाग के अधीन सेन्टर फॉर एडवांस टैक्नोलॉजी में सिन्क्रोटेन रेडिएशन सोर्स (SRS) के विकास के लिए इन्ण्डस-2 की स्थापना की जा रही है।
- मध्यप्रदेश राज्य में निजी क्षेत्र में पहला पत्रकारिता महाविद्यालय 4 दिसम्बर 1999 को इन्दौर में स्थापित Reseller गया था।
- 20 नवम्बर 1999 को देश का पहला सोयाबीन वायदा बाजार इन्दौर में स्थापित Reseller गया।
- दुरदर्शन प्रसारण जिला केन्द्र सर्व उच्च शक्ति का ट्रांसमीटर (HPT) वाला केन्द्र मध्यप्रदेश में First इन्दौर में स्थापित Reseller गया।
- सन् 1927 में छावनी में पहला टॉकिज प्रांरभ हुआ। इसका नाम क्राउन रखा गया था। कुछ दिनो बाद टॉकिज मालिक ठाकुरिया जी ने इसका नाम बदलकर बेटे के नाम पर प्रकाश टॉकिज कर दिया। टॉकिज बन्द होने के बाद यह स्थान प्रकाश प्लाजा के नाम से विख्यात है।
- सन् 1997 में इन्दौर में पहला डिस्को थैक वोल्केनों साऊथ तुकोगंज में शुरू हुआ। यहाँ पहली बार लेजर लाईट लाई गई थी, जो उस समय 1.75 लाख की थी। यहाँ बाहर से डी.जे. भी बुलवाए गए थे।
- शहर का पहला सरकारी होटल आर.एन.टी. मार्ग पर स्थापित हुआ था। इसका नाम इन्दौर होटल रखा गया। इस स्थान पर वर्तमान में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय संचालित होता है।
- इन्दौर शहर का पहला प्रायवेट होटल लेंटर्न था, जिसके नाम से अब इस स्थान को लेंटर्न चौराहा कहा जाता है।
- वर्ष 2005 में एम.जी.रोड, पर शहर का पहला मॉल ट्रेजर आईलैण्ड प्रारंभ हुआ। यह मध्यप्रदेश का भी First मॉल था।
- सन् 1902 में प्रदेश में पहली लिफ्ट लालबाग में लगाई गई थी। इसे तुकोजीराव द्वितीय ने लंदन की उत्तर वेगुड एण्ड कम्पनी से इसका निर्माण करवाया था। यह लिफ्ट पूर्णत: लकड़ी से बनी थी।
- पहला एसकेलेटर (स्वचलित सीढियाँ) :- एम.जी.रोड पर स्थित अपोलो टॉवर में पहला एसकेलेटर (स्वचलित सीढ़ियाँ) लगाई गई थी। जहाँ सिर्फ Single तरफ बिना शारीरिक श्रम किये बिजली सयंत्र की सहायता से Single तल से द्वितीय तल तक जाने की सुविधा दी गई। इसकी शुरूआत सन् 1988 में हुई थी।
- 2004 में पहली बार Single छत के नीचे तीन स्क्रीन वाला वेलोसिटी मल्टीप्लेक्स प्रारंभ हुआ यहाँ पर लोगों ने पहली बार थ्री डी सपोर्ट को समझा। 15) इन्दौर शहर का पहला इंजीनियर कॉलेज एस.जी.एस.आई.टी.एस. था।
- रीगल टॉकिज के सामने रानी सराय में संचालित Reseller गया था। नई बिल्ंिडग बनने के बाद इस इमारत को सरकार को सौंप दिया गया। वर्तमान में यहाँ अब एस.पी. ऑफिस लगता है।
- किंग एडवर्ड मेमोरियल कॉलेज शहर का पहला मेडिकल कॉलेज था, जो 1870 से 1880 के बीच तैयार हुआ।
- First Kingीय अस्पताल एम.टी. एच कम्पाउण्ड स्थित महाKing तुकोजीराव अस्पताल था। यह अस्पताल 18वीं सदी में विशेष तौर पर प्रमुख के लिए तैयार Reseller गया था।
- बड़े घराने के लोगों को ध्यान में रखकर इसका गठन Reseller गया था। वर्ष 1933 में शहर का First क्लब यशवंत क्लब का निर्माण हुआ।
- इन्दौर शहर में पहला पेट्रोल पम्प रूस्तम जी नौश खान ने स्थापित Reseller था। नेहरू स्टेडियम के पास जो आज भी मौजूद है।
- वर्ष 1849 में मालवा अखबार के नाम से शुरू हुआ पहला अखबार था। इसमें मालवा प्रांत की खबरे And रोचक जानकारी दी जाती थी।
- 22 मई 1952 में इन्दौर शहर को आकाशवाणी केन्द्र के Reseller में नवीन सौगात प्राप्त हुई थी। आकाशवाणी की स्थापना के साथ शहर में शुरू हुआ गीत- संगीत का दौर आज भी नए आकाश को छू रहा है।
- 26 जुलाई 1948 को पहली बार शहर से मुम्बई के लिए फ्लाइट शुरू हुई। ग्वालियर दिल्ली के लिए फ्लाइट ने उड़ान भरी थी। इसके पूर्व यशवंत राव होल्कर (अंतिम) का खुद का निजी विमान था।
- प्रदेश का First विशेष आर्थिक क्षेत्र (एस.ई.झेड.) इन्दौर में स्थापित Reseller गया था And इसकी सफलता को देखते हुये कई वर्षो बाद वर्तमान में तीन नवीन (SEZ) विशेष आर्थिक क्षेत्रों की ग्वालियर, भोपाल And जबलपुर में स्थापित करने का प्रयास Reseller जा रहा है।
संदर्भ –
- म.प्र. गजेटियर इन्दौर पृष्ठ 651 से 656 तक)
- सर जान मालकम, मेमायर्स, जिल्द 1 पु. 198 )
- उपकार सामान्य ज्ञान मध्यप्रदेश वर्ष 2011-12 पृष्ठ क्रमांक 1)