History अतीत का Means, परिभाषा, उपयोगिता, महत्व, प्रकृति व क्षेत्र

History अतीत का Means, परिभाषा, उपयोगिता, महत्व, प्रकृति व क्षेत्र

By Bandey

अनुक्रम

History अतीत क्या है? इस प्रश्न के उत्तर अनेक Resellerों में हमारे सामने आते हैं। विभिन्न विद्वानों के द्वारा इसके अनेक उत्तर दिये गये हैं। History अतीत Single ऐसा विषय है जिसे सीमाओं में नहीं बाँधा जा सकता। History अतीत हर विषय से सम्बन्धित है। प्राचीनकाल से आज तक इस Earth पर जो कुछ भी हुआ है वह History अतीत ही है। हर वस्तु का अपना History अतीत होता है। Single विद्वान का मानना है कि History अतीतकार के प्रयास का लक्ष्य अतीत तथा वर्तमान के मध्य Single ऐसे सेतु का निर्माण करना है जिसके माध्यम से वह समसामयिक समाज को अतीत का अवलोकन कराकर अतीत के उद्धरणों द्वारा वर्तमान को प्रशिक्षित करे तथा भविष्य का मार्गदर्शन कर सके।

जब स्मृति अथवा अतीत को वैज्ञानिक अध्ययन के सहारे क्रमबद्ध Reseller जाता है तब History अतीत का जन्म होता है। परन्तु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इसके प्रति भी दृष्टिकोण बदला है। अब घटनाओं का मात्र क्रमबद्ध description ही नहीं अपितु उनसे जुड़ी हुई परिस्थितियों का अध्ययन भी अब आवश्यक हो गया है। इस अध्ययन में भी नियमबद्धता होनी आवश्यक है। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि History अतीत वह है जो अतीत का अवलोकन करते हुए वर्तमान को शिक्षा देता है तथा भविष्य के लिये पथ प्रशस्त करता है।

आज History अतीत प्रत्येक वस्तु तथा व्यक्ति से सम्बन्धित है। यह किसी व्यक्ति विशेष अथवा समय विशेष तक ही सीमित नहीं है वरन् समाज And संस्कृति के प्रत्येक पहलू से Added हुआ है। अत: हम कह सकते हैं कि अतीत के सत्य की खोज ही History अतीत है। कुछ विद्वानों का मानना है कि History अतीत अतीत की महत्त्वपूर्ण घटनाओं का अभिलेख है परन्तु यदि देखा जाए तो History अतीत सम्पूर्ण अतीत का आलेख है। समाज का हर पहलू History अतीत का अंग है। इस धरती पर History अतीत का सम्बन्ध Humanीय अस्तित्व के शुरू होने से ही है। मनुष्य ने इस धरती पर कहाँ तथा कब पैर रखा वहीं से मनुष्य का History अतीत प्रारम्भ होता है। भौगोलिक परिस्थितियाँ भी मनुष्य की कार्यक्षमता तथा History अतीत को प्रभावित करती हैं।

History अतीत की उत्पत्ति

History अतीत Word की उत्पत्ति संस्कृत व्याकरण के विद्वानों के According इति + ह + आस, इन तीन Wordों के Reseller में स्वीकार की जाती है। जिसका Means इस प्रकार से है-निश्चित Reseller से ऐसा ही हुआ था। History अतीत Word का प्रयोग हमें अनेक प्राचीन ग्रन्थों में भी मिलता है। इस Word का History अथर्ववेद में भी मिलता है।

आचार्य दुर्ग ने इस विषय में लिखा है-इति हैवमासीदति यत् कथ्यते तत् History अतीत: (निरुक्त भाष्य वृत्ति Creation) Meansात् यह निश्चत Reseller से इस प्रकार ही हुआ था-यह जो कहा जाता है, वह History अतीत है। इसी प्रकार से छादोग्य उपनिषद में ‘ History अतीत: प×चमोवेद:’ (7-1-2) Meansात् History अतीत को पाँचवा वेद माना गया है। इस प्रकार से हम देखते हैं कि प्राचीन Indian Customer ग्रंथों, वेदों, पुराणों में भी History अतीत Word का प्रयोग हुआ है।

अंग्रेजी में History अतीत को (History) कहते हैं जोकि यूनानी संज्ञा लोरोप्ला (Loropla) से ग्रहण Reseller गया है। जिसका Means होता है सीखना। कुछ अन्य विद्वानों के According History अतीत के लिये जर्मन Word ‘GESCHICHTE’ है और इसका Means है ‘घटित होना’ परन्तु इस Means में History अतीत को दोहराया नहीं जा सकता।

History (हिस्ट्री) Word की उत्पत्ति यूनानी Word हिस्टोरिया (Historia) से मानी जाती है। जिसका Means होता है जानना अथवा ज्ञात होना। यूनानी भाषा में History अतीतकार को हिस्तोर कहा जाता है। इस समय में History अतीतकार उसे कहते थे जो वाद-विवाद का निर्णय करता था, तथा जिसे विषय की पूर्णतया जानकारी अथवा अच्छी तरह समझ होती थी।

History अतीत की परिभाषा

यह तो स्पष्ट है कि अतीत का अध्ययन ही History अतीत है परन्तु यह अध्ययन वैज्ञानिक होना चाहिए। इस प्रकार से देखा जाये तो अतीत का वैज्ञानिक Reseller से अध्ययन ही History अतीत कहलाता है। रेनियर ने कहा है कि History अतीत Single कहानी है। जी. एम. ट्रेवेलियन के According भी History अतीत Single कथा है। हेमरी पेरिने ने History अतीत को समाज में रहने वाले मनुष्यों के कार्यों And उपलब्धियों की कहानी बताया है।

शाब्दिक Means की दृष्टि से देखा जाये तो (History) का Means होता है-सत्य के अन्वेषण अथवा खोज का क्रम और History अतीत का Means होता है निश्चित Reseller से ऐसा ही हुआ था अथवा ऐसा ही होता आया है। अत: स्पष्ट है कि History अतीत निश्चित Reseller से होने के साथ-साथ प्रामाणिक भी है। हेरोडोट्स ने जो History अतीत लिखा उसे कथात्मक History अतीत कहा जाता है। अगर हम Wordकोष के आधार पर भी देखें तो History अतीत का Means यही निकलता है। लेकिन यह मात्र सार्वजनिक घटनाएं ही न हों बल्कि क्रमबद्ध होने के साथ-साथ कहीं भी अवरोधित न हो और इनके साथ प्रमाण होने आवश्यक हैं। थ्यूसीडाइडस के द्वारा जो History अतीत लिखा गया उसे प्रबोधक History अतीत की संज्ञा दी जाती है। उन्होंने अपने History अतीत लेखन में तथ्यों को अत्यधिक महत्त्व दिया। इसके अलावा अनेक विद्वानों ने History अतीत लेखन की वैज्ञानिक पद्धति भी प्रस्तुत की और इस प्रकार की लेखन शैली को कालान्तर में अत्यधिक महत्त्व प्राप्त हुआ। अनेक विद्वानों ने History अतीत को अपने-अपने ढंग से देखा है तथा अपने ढंग से Means दिये हैं। परन्तु इसके Means के Reseller में विद्वानों में मतैक्य नहीं रहा। इस Reseller में History अतीत को अतीत के अभिलेख (Records of Past) के Reseller में माना गया। लेकिन History अतीत तिथियों अथवा तारीखों का संग्रह मात्र नहीं है। कार्ल आर. पापर के According- History अतीत का कोई लक्ष्य नहीं होता इसलिये उसका कोई Means नहीं है। कुछ विद्वानों ने इसका समर्थन तो Reseller है परन्तु अधिकांश लोगों ने इसको गलत माना है। कार्ल आर. पापर ने अपना यह सिद्धान्त कि History अतीत का Means नहीं होता इससे समर्थित Reseller कि प्रकृति के समान History अतीत भी हमें नहीं बता सकता कि हमें क्या करना चाहिये। परन्तु इसके विपरीत विल्हेल्म हिल्थे (1823-1911) ने जीवन को History अतीत के समान Meansपूर्ण माना। उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण History अतीत मन की अभिव्यक्ति होता है क्योंकि History अतीत की Creation मस्तिष्क से होती है। इस तरह से गार्डनर तथा हीगेल ने भी History अतीत को Meansपूर्ण बताया है। एरिख काल्हर के According-पापर द्वारा दी गई अनेक आपत्तियों के बावजूद, Human History अतीत में Single व्यवस्था का दर्शन होता है और जहाँ व्यवस्था होती है वहाँ Means का अस्तित्त्व हो सकता है।

गार्डनर का मानना है- History अतीतकार अतीत के तथ्यों पर उस काल की घटनाओं का Single परिकल्पनात्मक चित्र प्रस्तुत करता है जिसमें described घटनाएं Meansपूर्ण होती हैं-इसी को History अतीत का Means कहते हैं।

कल्पना तो मात्र साधन है इससे अतीत को साकार Reseller जा सकता है। अतीत की घटनाएं Meansपूर्ण होती हैं अत: History अतीत का भी अपना Means होता है। विको ने ‘द न्यू साइंस’ (The New Science) नामक ऐतिहासिक ग्रन्थ की Creation की। उसका कहना था कि-फ् History अतीत का ज्ञान प्रकृति के ज्ञान से भिन्न है, प्रकृति ईश्वर की Creation है जबकि History अतीत की Creation मनुष्य करता है। इसलिए व्यक्ति प्रकृति की अपेक्षा History अतीत को अधिक स्पष्ट Reseller से जान सकता है। अन्य विद्वानों ने भी History अतीत को Meansपूर्ण बताया है। वास्तविक स्थिति भी यही है कि जब विश्व में All चीजें Meansपूर्ण हैं तब History अतीत Meansहीन केसे हो सकता है। History अतीत तो ज्ञान का अजस्त्र स्रोत है। अन्य कई विषयों का उद्गम स्रोत ही History अतीत है तब History अतीत Meansहीन केसे हो सकता है? History अतीत में हम अतीत की घटनाओं का अध्ययन तथा विश्लेषण करते हैं। History अतीतकार History अतीत को Means प्रदान करता है। अत: यह History अतीतकार का ही दायित्व होता है कि वह सकारात्मक रुख अपनाकर सकारात्मक History अतीत की Creation कर, सकारात्मक Means निकाले। History अतीतकार Single विशेष काल के तथ्यों को Singleत्रित करके उस काल के History अतीत को Means प्रदान करता है। यह ऐतिहासिक तथ्य बिखरे हुए होते हैं। अत: उन तथ्यों के साथ वह कार्य तथा कारण इत्यादि सम्बन्धों की विवेचना And खोज करके अतीत के उस History अतीत को साकार करता है। इस प्रकार से अतीत की Creation History अतीत के Reseller में History अतीतकार ही करता है।

History अतीत में बहुत सी घटनाएं ऐसी होती हैं जो देखने में निरर्थक प्रतीत होती हैं परन्तु उनके पीछे कुछ Means भी छिपे होते हैं, जोकि History अतीतकार के माध्यम से ही साकार होते हैं तथा जिन्हें History अतीतकार को अपने विवेक के द्वारा ही खोजना पड़ता है।

डेवी ने अपनी पुस्तक ‘“यूमन नेचर एण्ड कण्डक्ट’ (Human Nature and Conduct) में लिखा है- अतीत पर निष्ठा अतीत के लिये ही नहीं अपितु Windows Hosting And सुसम्पन्न वर्तमान के लिये इस उद्देश्य से की जाती है कि वह सुखद And सुन्दर भविष्य का निर्माण करेगा।

अत: हम कह सकते हैं कि History अतीत का First Means यही है कि वह वर्तमान में अतीत से प्रेरणा लेकर सुखद भविष्य का निर्माण करे। ऐसे में History अतीतकार का दायित्व और बढ़ जाता है कि वह अतीत का भली प्रकार से अध्ययन करने के बाद History अतीत को Single सार्थक Means प्रदान करे। जिससे लोग प्रेरणा ग्रहण कर सके तथा जो लोगों के लिये ज्ञान का स्रोत हो। यह सब History अतीतकार के ऊपर निर्भर करता है।

ओकशाट अपनी पुस्तक ‘Single्सपीरियेन्स एण्ड इट्स मोड्स’ (Experience and its Modes) में लिखते हैं कि- History अतीत, History अतीतकार का अनुभव होता है। History अतीतकार के अतिरिक्त अन्य कोई भी इसकी अनुभूति नहीं कर सकता। History अतीत लेखन का अभिप्राय इसका निर्माण होता है। लेकिन इसके साथ ही History अतीतकार का कार्य अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि उसका कार्य मात्र घटनाओं का अध्ययन तथा संकलन ही नहीं अपितु उचित Means के साथ Single उपयुक्त निष्कर्ष तक पहुँचाना भी होता है।

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि History अतीत का अपना Single Means होता है तथा अतीत की प्रत्येक घटना के पीछे तथ्य तथा उद्देश्य होते हैं। प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष Reseller से उसमें Means निहित होते हैं। निष्कर्षत: वर्तमान में अतीत से प्रेरणा लेकर भविष्य को सुखी बनाना तथा प्रेरणा प्राप्त करना ही History अतीत का मुख्य Means है।

अनेक विद्वानों ने History अतीत को जिन विभिन्न Meansों में देखा उसी के अनुReseller उन्हें परिभाषित भी Reseller है। अत: History अतीत की कई अलग-अलग परिभाषाएँ निश्चित होने के पीछे भी यही मुख्य कारण है। इसीलिये चाल्र्स फर्थ ने लिखा है कि- History अतीत को परिभाषित करना सरल नहीं है। परिभाषा का मुख्य कार्य सम्बन्धित विषय के बारे में उनके तत्वों को स्पष्ट करना तथा उसे सुबोध और सरल बनाना होता है। History अतीत स्वयं में Single ऐसा विषय है जिससे अन्य विषय भी जुड़े हुए हैं। अत: इसके लिये अनेक प्रकार की परिभाषाओं की व्याख्या की गई हैं। History अतीत को समाज का पूर्ण चित्रण कहा गया है। यह तो निश्चित है कि History अतीत में देशकाल तथा परिस्थितियों के साथ-साथ समाज के स्वReseller का भी चित्रण होता है। History अतीत का प्रारम्भ तभी से ही हो जाता है जबसे इस Earth पर मनुष्य का जन्म हुआ है। गैरोन्सकी का कहना है- History अतीत Human अतीत के उस बिन्दु के प्रारम्भ काल का अभिलेख है जबसे लिखित अभिलेख प्राप्त होता है। History अतीत Human सभ्यता का अभिलेख है।

History अतीत की उपयोगिता

History अतीत Word को मुख्यत: दो Meansों से जोड़ा जाता है जिसमें First है विभिन्न घटनाओं का संकलन तथा द्वितीय के According History अतीत स्वयं ही Single घटना है। क्योंकि घटना के अभाव में History अतीत लेखन करना सम्भव ही नहीं है। अगर History अतीत स्वयं Single घटना है तो इसके बारे में अनेक प्रश्न उठते हैं यथा क्यों, कब, कहाँ तथा केसे? अत: यदि देखा जाये तो हमें प्रत्येक घटना के सम्बन्ध में History अतीत से जानकारी प्राप्त होती है। चाल्र्स फर्थ (Charles Firth) ने लिखा है कि-History अतीत मनुष्य के समाज में जीवन का, समाज में हुए परिवर्तनों का, समाज के कार्यों को निश्चित करने वाले विचारों का तथा उन भौतिक दशाओं का जिन्होंने उसकी प्रगति में सहायता की, लेखा-जोखा है। डॉ. राधाकृष्णन ने History अतीत को राष्ट्र की स्मरण शक्ति कहा है। यद्यपि इस कथन से भी समस्त History अतीतकार पूर्ण Resellerेण Agree नहीं है तथापि इसमें कुछ सत्यता हो सकती है क्योंकि अनेक राष्ट्रों तथा Human जातियों को अपने विस्मृत गौरव तथा अतीत की जानकारी History अतीत से होती है।

अनेक विद्वानों ने History अतीत को मात्र Single कहानी के Reseller में स्वीकार Reseller है। जी.एम. ट्रेवेलियन के According- History अतीत अपने अपरिवर्तनीय Reseller में Single कहानी है। हेनरी पिरेने के According- History अतीत समाज में रहने वाले मनुष्यों के कार्यों तथा उपलब्धियों की कहानी है। इसी विचार को तुइ¯जग ने भी व्यक्त Reseller है कि- History अतीत अतीत की कथात्मक घटनाओं का History है। रेनियर ने History अतीत को कहानी के Reseller में परिभाषित Reseller है। जिन्होंने लिखा है कि- History अतीत सभ्य समाज की सन्निवासित Humanीय अनुभवों की कहानी है। History अतीत अतीत की कहानी मात्र है ऐसा नहीं है। अपितु History अतीत सिर्फ कथा नहीं बल्कि अतीत का जीवन्त चित्रण है। और अतीत के इस description तथा चित्रण में सिर्फ समाज के विशिष्ट लोग ही नहीं आते बल्कि सम्पूर्ण समाज आता है। वास्तव में किसी भी राष्ट्र अथवा स्थान का History अतीत तब पूरा माना जाता है जब वहाँ के All वर्ग History अतीत में समाहित होते हों।

अगर हम History अतीत को मात्र Single कहानी मान लें तब उसमें History अतीत के मूल स्वReseller का लोप हो जाता है क्योंकि History अतीत तथ्यों पर आधारित होता है और उन तथ्यों के आधार पर History अतीत को लिखना History अतीतकार के ऊपर निर्भर करता है कि वह उसे मात्र Single कहानी के Reseller में प्रस्तुत करता है अथवा वास्तविक अतीत के तथ्यों को भलीपूर्वक विश्लेषण करने के बाद वर्तमान के समक्ष लाता है। कहानी कल्पनाओं पर आधारित होती है। और History अतीत कल्पना पर नहीं तथ्यों पर आधारित होता है। प्राचीन समय में राजनीतिक History अतीत लेखन का प्रचलन अवश्य था क्योंकि राजनीति को History अतीत से सम्बद्ध कर दिया जाता था। परन्तु अब History अतीत जनसाधारण के सामाजिक तथा साँस्कृतिक पक्ष पर विशेष रोशनी डालता है। अत: ऐसे में History अतीत को मात्र Single कहानी के Reseller में कदापि स्वीकार नहीं Reseller जा सकता है। यद्यपि इस तथ्य से इंकार नहीं Reseller जा सकता कि History अतीत की कुछ घटनाऐं ऐसी होती हैं जो स्वयं में रोचकता से परिपूर्ण होती हैं। वे Single कहानी की तरह लगती हैं परन्तु फिर भी हम History अतीत को मात्र Single कहानी नहीं मान सकते।

कलिंगवुड ने लिखा है कि History अतीत अद्वितीय ज्ञान है और यह मनुष्य के सम्पूर्ण ज्ञान का स्रोत है। यह सत्य ही प्रतीत होता है क्योंकि History अतीत में ही मनुष्य जाति का सम्पूर्ण अतीत समाया हुआ है। अत: चाल्र्स फर्थ ने भी कहा है कि- History अतीत ज्ञान की Single शाखा ही नहीं, अपितु Single विशेष प्रकार का ज्ञान है जो मनुष्य के दैनिक जीवन में उपयोगी है। History अतीत से हमें यथेष्ट ज्ञान प्राप्त होता है। मनुष्य अपनी All समस्याओं के लिये History अतीत की ओर उन्मुख होता है, क्योंकि History अतीत का मुख्य कार्य अतीत के उदाहरणों के द्वारा वर्तमान को भविष्य के लिये ज्ञान प्राप्त कराना होता है। लाल बहादुर वर्मा के According- अतीत के प्रति मनुष्य का नैसख्रगक लगाव होता है, History अतीत इस लगाव को History अतीत बोध में बदल देता है। संवेदना और भावना के यथार्थ को बौद्धिक यथार्थ-ज्ञान व विवेक में विकसित कर सकता है। Meansात् उस लगाव को प्रासंगिक तथा उपयोगी बना सकता है। क्रोचे ने भी History अतीत को Human ज्ञान के सर्वश्रेष्ठ Reseller के साथ-साथ Single प्रेरक शक्ति भी माना है। History अतीत से हमें पर्याप्त ज्ञान प्राप्त होता है। अतीत से व्यक्ति शिक्षा लेता है तथा अपने भविष्य का निर्माण करता है। History अतीत में ऐसे अनेक उदाहरण विद्यमान हैं जैसे अलाउद्दीन खिलजी (खिलजी वंश) ने सिकन्दर की असफलता को देखकर अपनी विश्व विजय की महत्त्वाकांक्षा का परित्याग कर दिया। यह उचित ही है कि History अतीत अतीत के ज्ञान का संकलन है जो All के जीवन के विविध पहलुओं का ज्ञान प्रदान करता है। मगर Single तथ्य यह भी है कि Human And समाज History अतीत से सीख कम ही लेता है। विश्व में होने वाले अनेक Fight इसके प्रमाण हैं। परन्तु साथ ही ऐसे उदाहरण भी हैं जब History अतीत से सीख ली गई है। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि History अतीत ज्ञान का भंडार होने के साथ ही ज्ञान का प्रमुख स्रोत भी है। जिससे शिक्षा लेकर Human अपने सुखद भविष्य का निर्माण कर सकता है।

History अतीत को सामाजिक विज्ञान के Reseller में भी मान्यता दी गयी है। यह कार्य First कार्ल मार्क्स ने Reseller। परन्तु विल्हेल्म डिल्थे First व्यक्ति था जिसने History अतीत को वास्तव में सामाजिक विज्ञान का Reseller देने की कोशिश की। डिल्थे का कहना था कि यदि मनुष्य के कार्य, व्यवहार तथा कृतियों का अध्ययन Reseller जाये तो History अतीत ही ऐसा माध्यम है जिससे मनुष्य को समझा जा सकता है। History अतीत ही वह स्थान है जहाँ से सामाजिक विज्ञान की उत्पत्ति होती है। अत: History अतीत में राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक विकास के वर्णन का समावेश होना चाहिये। पिरेने ने लिखा है- History अतीत अतीत में स्थित Human समाजों के विकास का व्याख्यात्मक वर्णन है। निष्कर्ष के Reseller में हम कह सकते हैं कि History अतीत सामाजिक विज्ञान तो है ही साथ ही सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत जितने भी विषय आते हैं उनमें सर्वप्रमुख है और अन्य सामाजिक विज्ञान इसी में आत्मSeven हैं।

History अतीत का महत्व

History अतीत Single अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण विषय है। इसका अध्ययन हमें वर्तमान में अतीत के महत्त्व को बताता है तथा भविष्य के लिये हमें नई धरोहर देता है। Human जाति आज जितनी प्रगति कर चुकी है, उसका आधार वह अतीत ही है जहाँ से उसे ज्ञान मिला है। मनुष्य के लिये History अतीत का ज्ञान बहुत उपयोगी है। शेख अली का मानना है कि-History अतीत की उपेक्षा करने वाले राष्ट्र का कोई भविष्य नहीं होता। दूसरी तरफ कुछ विद्वानों का यह भी कहना है कि History अतीत का अध्ययन उचित नहीं है। उनके According वर्तमान ही सब कुछ है तथा अतीत के विषय में जानकारी प्राप्त करने में हमें समय Destroy नहीं करना चाहिये। हेनरी फोर्ड तथा हीगल भी इसी मत का समर्थन करते हैं। किन्तु यह मत सर्वमान्य नहीं है। हमारा वर्तमान अतीत से Added हुआ है। वर्तमान में अतीत का अत्यधिक महत्त्व है। इस सृष्टि की उत्पत्ति केसे हुई, Human समाज का प्रादुर्भाव तथा विकास केसे हुआ, इसकी जानकारी हमें History अतीत से ही मिल सकती है। मनुष्य तथा विश्व में वर्तमान Reseller की जो पृष्ठभूमि है वह अतीत में ही विद्यमान है। इन परिस्थितियों में हम अतीत को अनदेखा केसे कर सकते हैं। History अतीत Single ऐसी कड़ी है जो वर्तमान को अतीत से सम्बद्ध करती है। जिस प्रकार से किसी भी चिकित्सक को रोग दूर करने के लिये रोग की पृष्ठभूमि की जानकारी आवश्यक होती है उसी प्रकार से किसी भी समाज व देश के विकास के लिये तथा उनकी समस्याओं के निदान के लिये हमें उसकी पृष्ठभूमि के लिये अतीत की ओर झाँकना ही पड़ता है।

हम जानते हैं कि History अतीत का क्षेत्र अत्यन्त ही व्यापक है। यह समाज के हर वर्ग से सम्बन्धित है। व्यवसायिक Reseller में भी History अतीत की उपयोगिता कम नहीं है। फरातत्व विभाग, पर्यटन, अभिलेखागार, संस्कृति विभाग, ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ History अतीत का ज्ञान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण ही नहीं बल्कि अनिवार्य भी है। शिक्षा के क्षेत्र में भी History अतीत की अत्यन्त उपयोगिता है। प्रशासनिक क्षेत्र में Humanीय तथा सामाजिक समस्याओं को समझने तथा हल करने में भी History अतीत Single धुरी का कार्य करता है। राउज ने लिखा है कि समाज को उच्चतर शिक्षा प्रदान करने के लिये History अतीत का ज्ञान अत्यावश्यक है। वास्तविकता भी यही है क्योंकि History अतीत से मनुष्य हर प्रकार की शिक्षा प्राप्त करता है यह शिक्षा अन्य विषयों में दुलर्भ है। History अतीत All विषयों में Singleसूत्रता स्थापित करता है। यह उक्ति उचित ही प्रतीत होती है कि History अतीत मनुष्य को बुद्धिमान बनाता है।

History अतीत के अध्ययन का प्रयोजन भी है। यह मनुष्य को न सिर्फ वर्तमान के लिये ज्ञान देता है अपितु भविष्य के निर्माण में भी सहायता करता है। भविष्य के लिये यह दिशा-निर्देश देता है। यह Human के अनुभव क्षेत्र में वृद्धि करता है। यह न केवल मनुष्य को सत्य की खोज के लिये प्रेरित करता है अपितु अतीत के फनर्निमाण में भी सहायता प्रदान करता है। वर्तमान समय में History अतीत की उपयोगिता मात्र नैतिक, सांस्कृतिक तथा सामाजिक ही नहीं है अपितु सूचनापरक भी है। History अतीत के अध्ययन के बारे मे कलिंगवुड ने लिखा है कि- History अतीत का अध्ययन Human जीवन के लिये उपयोगी है क्योंकि परिवर्तन की लय स्वयं को दोहराती रहती है क्योंकि उसी प्रकार की घटनाएं और समान परिणाम अक्सर दृष्टिगोचर होते हैं। यह न केवल घटित होने वाली घटनाओं की ओर संकेत करता है अपितु उन संकटों से भी अवगत कराता है जिनके आने की संभावना होती है। History अतीत का सम्बन्ध समाज के All वर्गों से है History अतीत स्वयं को समझने तथा आंकलन करने का और भविष्य को संवारने का अनुभव देता है। यह हमें Humanीय समाज का ज्ञान प्रदान करता है। समाज की उत्पत्ति स्वReseller, विकास, विचारधाराओं के पारस्परिक संघर्ष तथा प्रगति का description हमें History अतीत से ही मिलता है। History अतीत हमें उन प्राकृतिक नियमों की जानकारी देता है जिन पर Humanीय व्यवहार आधारित हैं। History अतीत के प्रति Human की हमेशा से रुचि रही है।

History अतीत के अध्ययन का नैतिक महत्व भी है। अतीत से लेकर वर्तमान तक चाहे जो भी स्थितियाँ अथवा परिस्थितियाँ रही हों नैतिक मूल्यों And सिद्धान्तों के गुण तथा विशेषताएँ प्राय: समान ही रहती हैं। अत: ऐसी स्थिति में History अतीत का नैतिक महत्व स्वयं ही सिद्ध हो जाता है।

History अतीतकार History अतीत में शोध के द्वारा अतीत को वर्तमान में चित्रित करता है। यह Human मस्तिष्क की जिज्ञासाओं को शान्त करता है। नित्य नई खोजें तथा अनुसंधान हमारे सामने नये तथ्य लाते रहते हैं। History अतीत की श्रंखला से अतीत, वर्तमान तथा भविष्य सम्बद्ध रहते हैं।

कुछ विद्वानों ने इस दृष्टिकोण को नहीं माना है। यद्यपि उनके According History अतीत का महत्त्व है परन्तु Single सीमा तक। उनका कहना है कि अतीत के अध्ययन का कोई सैद्धान्तिक महत्त्व नहीं है। History अतीतकार वर्तमान के महत्त्व को अनदेखा कर देता है क्योंकि वह हमेशा अतीत के अध्ययन में ही व्यस्त रहता है। ऐसे में History अतीत का अध्ययन वर्तमान के महत्त्व को कम करता है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी History अतीत निरर्थक है क्योंकि यह मात्र अतीत को ही दर्शाता है। History अतीत का अध्ययन कभी-कभी पूर्वाग्रहों से भी प्रेरित होता है। ऐसी स्थिति में History अतीतकार सम्पूर्ण वर्णन अपनी इच्छा के आधार पर ही करता है और ऐसी स्थिति में History अतीत का वास्तविक Means ही समाप्त हो जाता है दूसरी ओर वर्णन तथा व्याख्या करने के लिये जो स्रोत प्रयोग किये जाते हैं उनमें भी विरोधाभास होता है अत: ऐसी स्थिति में History अतीत का अध्ययन संदेहपूर्ण बन जाता है।

परन्तु इन तर्कों के कारण History अतीत का महत्त्व समाप्त नहीं हो जाता। वर्तमान समय में नई तकनीक तथा साधनों के कारण अतीत का वैज्ञानिक तरीके से आंकलन Reseller जा सकता है तथा इन्हीं के आधार पर घटनाओं की व्याख्या की जा सकती है। अतीत में बिखरे हुए साक्ष्यों को समेटकर उन पर अनुसंधान करके ही History अतीतकार हमारे सामने रखता है। History अतीत का अध्ययन इस प्रकार से न केवल History अतीतकार वरन् All के लिये उपयोगी तथा महत्त्वपूर्ण बन जाता है। ए.जी. विझोरी ने लिखा है कि- History अतीतकारों ने Humanता के जीवन की निरंतरता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। History अतीत के अध्ययन के लिये अनेक सशक्त कारण रहे हैं और रहेंगे। इस प्रकार से History अतीत का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। समाज का कोई भी पहलू इससे अछूता नहीं रहा है।

History अतीत की प्रकृति व क्षेत्र

History अतीत अतीत की घटनाओं की व्याख्या करता है, अत: यह History अतीतकार का दायित्व होता है कि वह History अतीत की प्रकृति को ध्यान में रखे। प्रारम्भ में History अतीत लेखन के समय मात्र अतीत लेखन को ही महत्त्वपूर्ण समझा जाता था परन्तु समय के साथ-साथ History अतीत का अध्ययन करते समय वैज्ञानिक पद्धति को प्राथमिकता दी जाने लगी। यह सर्वमान्य तथ्य है कि History अतीतकार का कार्य मात्र अतीत की घटनाओं का वर्णन नहीं अपितु उन्हें तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत करना है। Single अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि वह अपने व्यक्तिगत तर्कों तथा तथ्यों को ऐतिहासिक तथ्यों से अलग रखे। History अतीतकार अपने History अतीत लेखन में साधारण वर्णन सामाजिक-आर्थिक तथा धार्मिक जीवन के बारे में अपने विचार रखता है और इसमें उसके स्वयं के विचार तथा पूर्वाग्रह भी सम्मिलित दिखाई पड़ते हैं। पूर्वाग्रह से History अतीतकार हमेशा ही प्रभावित होता है। क्योंकि उसे धार्मिक, आर्थिक तथा सामाजिक Reseller में अतीत की घटनाओं का अध्ययन करना पड़ता है। History अतीत लेखन के साथ यह आवश्यक हो जाता है कि इसका पुनर्लेखन हो। नये तथ्यों के साथ जो अनुसंधानों तथा खोजों के परिणाम होते हैं उनका भी History अतीत लेखन में महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। इसके अतिरिक्त नये साधनों का प्रयोग करके भी History अतीत लेखन के द्वारा व्याख्या की जा सकती है। ऐसे अनेक तथ्य हैं जो History अतीत की प्रकृति को प्रभावित करते हैं।

कुछ विद्वानों का यह कहना है कि History अतीत स्वयं को दोहराता है। दूसरी ओर कुछ अन्य का विचार है कि ऐसा सत्य नहीं है। लेकिन सत्य इन दोनों तथ्यों के बीच में विद्यमान है। अगर हम First तथ्य को देखें कि History अतीत स्वयं को दोहराता है तो इसका कारण पाते हैं कि विश्व में जो घटनायें होती हैं वे समान Reseller से होती हैं परन्तु उनके पीछे कारण अथवा घटित होने का ढंग अलग होता है। मनुष्य के सोचने का ढंग और कार्य करने का ढंग प्राय: Single सा रहता है। उदाहरण के लिये अगर हम देखें तो पायेंगे कि History अतीत ऐसी कई घटनाओं से भरा हुआ है जो Fight अशोक के समय में हुआ था, वही Fight First विश्वFight तथा द्वितीय विश्वFight के Reseller में सामने आया। Fight की भयावहता को तथा विनाश को देखते हुए First विश्वFight के बाद लीग ऑफ नेशन्स (League of Nations) की स्थापना की गई और Second विश्वFight के बाद भी संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O.) को स्थापित Reseller गया। हिटलर, नेपोलियन, सिकन्दर तथा जूलियस सीजर इत्यादि के कार्य मुख्यत: Single ही पथ पर आधारित थे। प्रसिद्धि के प्रति मोह तथा महत्त्वाकांक्षा हर युग में विद्यमान रही है। दूसरी ओर जो इस कथन- History अतीत स्वयं को दोहराता है के पक्ष में नहीं है। उनका कहना है कि बदलाव प्रकृति का नियम है तब History अतीत स्वयं को केसे दोहरा सकता है। अगर ऐसा होता है तब विकास की सम्भावनाएँ खत्म हो जाती हैं। उदाहरणार्थ हम History अतीत में कला को देखें तो हर युग में इसमें विभिन्नता है। इसके पीछे मनुष्य, समाज तथा संस्कृति की विभिन्नता भी परिलक्षित होती हैं। यह Single विचार का विषय है कि History अतीत स्वयं को दोहराता है अथवा नहीं। परिवर्तन History अतीत में है जब History अतीत स्वयं को नहीं दोहराता है जैसे All स्थायी परिवर्तन धीरे-धीरे होते हैं और यह सत्य है कि अपरिवर्तनशीलता स्थायी नहीं है। अगर हम इस कथन के पक्ष में देखें तो पाएंगे कि क्रान्तियाँ, सुधार, राजनीतिक, परिवर्तन हर युग में हुए हैं, लेकिन इनके घटित होने का ढंग अलग था। अत: हम कह सकते हैं कि History अतीत स्वयं को दोहराता भी है और नहीं भी दोहराता है। कभी-कभी समान परिस्थितियों के कारण History अतीत में हुई घटनाओं की प्रवृत्ति का आभास कराता है। इस बारे में टे्रवेलियन का कथन विचारणीय है कि-History अतीत स्वयं को दोहराता है परन्तु कभी भी पूर्णतया नहीं दोहराता है।

History अतीत के बारे में दूसरा विचार यह है कि-सम्पूर्ण History अतीत समसामयिक History अतीत होता है। इसकी व्याख्या क्रोचे ने इस प्रकार से की है कि-प्रत्येक ऐतिहासिक तथ्य निर्णय के पीछे जो व्यावहारिक Needयें होती हैं वे प्रत्येक History अतीत को समसामयिक History अतीत का चरित्र प्रदान करती हैं क्योंकि लिखी जाने वाली घटनायें वर्तमान स्थितियों से ही संदख्रभत होती हैं और उन्हीं में First की वे घटनायें प्रतिध्वनित होती हैं। History अतीत का लेखन वर्तमान में अतीत को आधुनिक अथवा वर्तमान समस्याओं के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करता है। History अतीतकार का मुख्य कार्य मात्र उन घटनाओं को लिखना ही नहीं बल्कि उनका पूर्ण Reseller से निरपेक्ष होकर मूल्यांकन करना होता है। कुछ ऐतिहासिक तथ्य Single Second से जुड़े हुए होते हैं तथा स्थाई Reseller से Single Second से सम्बद्ध होते हैं। ओकशाट, गालाब्रेथ तथा डेवी इत्यादि अनेक विद्वानों ने इस बात को स्वीकार Reseller है कि History अतीत समसामयिक होता है। वर्तमान समाज की उपादेयता के लिये ही अतीत का अध्ययन Reseller जाता है। कौटिल्य और कालिदास की Creationएं इसका उदाहरण हैं। अशोक का Fight त्याग आज भी Human जाति को Fight से होने वाले संहार के बारे में सावधान करता है। ईसा मसीह, महात्मा बुद्ध, गाँधी जी इत्यादि के विचार आज भी उतने ही महत्त्वपूर्ण हैं जितने उस समय में थे। लेकिन कुछ विद्वानों ने History अतीत के समसामयिक होने पर प्रश्न उठाए हैं कि यदि History अतीतकार History अतीत के तथ्यों को वर्तमान में उपादेय बनाने पर जोर देता है तब यह मात्र उपयोगितावादी दृष्टिकोण बनकर ही रह जाता है। अत: यह विशेष ध्यान रखना चाहिये कि उपयोगितावाद के कारण तथ्यों की मौलिकता Destroy न हो। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि History अतीत समसामयिक होता है। परन्तु उसे समसामयिक बनाने के प्रयास के लिये तथ्यों से खिलवाड़ नहीं करना चाहिये।

कुछ अन्य History अतीतकारों की मान्यता है कि History अतीत की प्रकृति चक्रीय (Cyclic) अथवा रैखिक (Linear) होती है। जिन History अतीतकारों का मानना है कि History अतीत की प्रकृति चक्रीय होती है उनका मानना है कि History अतीत Single वृत्त के आधार पर घटित होता रहता है। प्रत्येक घटना Single नियत स्थान से आरम्भ होकर चरम अवस्था पर पहुँचती है, तत्बाद उसका पतन हो जाता है। यह प्रक्रिया क्रमश: होती रहती है और अनेक सभ्यताओं का उत्थान तथा पतन इसका उदाहरण है। चाहे वह सभ्यता किसी स्थान की हो, रोम की हो अथवा चीन की या ग्रीक की All के लिये यह सिद्धान्त लागू होता है। हड़प्पा की सभ्यता भी इसका अपवाद नहीं है। कुछ विद्वानों का विचार है कि History अतीत की घटनाएं रैखिक होती हैं। ये All घटनाएं निरन्तर घटती रहती हैं। वर्तमान तथा अतीत Single Second में सम्बद्ध रहता है। घटनाओं की यह निरन्तरता तथा अनवरतता ही History अतीत की रैखिक प्रकृति का निर्माण करती है। इसके According History अतीत की घटनाएं अतीत से प्रारम्भ होकर वर्तमान से गुजरकर अज्ञात भविष्य की ओर जाती हैं। इन प्राकृतिक सिद्धान्तों के अतिरिक्त तूर्गो (Turgot) तथा कोन्डोरे (Condorcet) ने विकास के विचार को मान्यता दी है। उनके According विकास का Means अल्प वांछित स्थिति से अधिक वांछित स्थिति की ओर जाना है। छोटी घटनाएं बड़ी घटनाओं को जन्म देती हैं। कॉम्टे ने भी इस प्रकृति को स्वीकार Reseller है।

प्रसिद्ध विद्वान ई.एच.कार. के According History अतीत वर्तमान तथा अतीत के मध्य अनन्त वार्ता है। अतीत पूर्णत: ज्ञात नहीं होता है और History अतीतकार का कार्य उस अतीत के बारे में अनुसंधान तथा खोज करके तथ्यों को हमारे सामने रखना होता है और वह इसमें अपने ज्ञान का प्रयोग करता है। ऐसा करते समय History अतीत अतीत तथा वर्तमान की घटनाओं का सर्वेक्षण करता है। History अतीतकार के समक्ष अतीत की घटनाएं घटती नहीं हैं अत: उसे कल्पनाशीलता का सहारा भी लेना पड़ता है। अतीत की घटनाओं का वर्तमान में अनावरण ही History अतीत का मुख्य ध्येय है। इन घटनाओं का वर्तमान में वर्णन करते समय अतीत की मुख्य भूमिका होती है। इस प्रकार History अतीत अतीत तथा वर्तमान के बीच सम्बद्ध है। वर्तमान तथा अतीत के मध्य Single महत्त्वपूर्ण सम्बन्ध होता है जो इन दोनों को जोड़ने के लिये प्रयुक्त होता है। जब अतीत और वर्तमान दोनों को Single साथ देखने के लिए साधन के Reseller में प्रयोग होता है तब इसे History अतीत की दृष्टि कहा जाता है। इसी आधार पर वर्तमान समाज को अतीत के उन तथ्यों से परिचित कराया जाता है जो वर्तमान के लिए रुचिकर तथा उपयोगी हो। यह भी कहा जाता है कि अतीत तथा वर्तमान को आपस में जोड़ने के लिये History अतीत का प्रयोग Reseller जाता है। यह History अतीत की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण व्याख्या तथा प्रकृति भी है।

History अतीत की प्रकृति की व्याख्या इस Reseller में भी की गई है कि सम्पूर्ण History अतीत विचारों का History अतीत है। इसको कालिंगवुड ने स्वीकार Reseller है और यह कहा है कि- History अतीतकार प्रधान नहीं बल्कि विचार प्रधान होते हैं तथा History अतीत प्राचीन विचारों का पुन: प्रदर्शन करता है। Human के मूर्त कार्यों का स्रोत अथवा आधार विचार ही होते हैं। मनुष्य First विचार करता है तत्बाद उन्हीं विचारों को लिखित Reseller देता है। परिस्थितियाँ तथा वातावरण विचारों को प्रभावित करते हैं। जब हम Kingों का अध्ययन करते हैं तब यह बात उचित ही प्रतीत होती है। परन्तु इसके विपरीत अनेक विद्वानों ने इसे गलत माना है। प्रो. वाल्श के According भी History अतीत विचार प्रधान नहीं होता। दैवी विपत्तियाँ, बाढ़, भूकम्प इत्यादि विचारों के विपरीत दृष्टिगोचर होते हैं। निष्कर्ष के Reseller में हम कह सकते हैं कि History अतीत Single सीमा तक ही विचारों का History अतीत कहा जा सकता है तथा सम्पूर्ण History अतीत को विचारों का History अतीत कहना उचित प्रतीत नहीं होता। परिस्थितियाँ, देशकाल तथा वातावरण History अतीतकार को प्रभावित करती हैं। अत: History अतीत मात्र विचारों का History अतीत ही नहीं है।

History अतीत समय के साथ हर युग में बदलता है और Single History अतीतकार के वर्णन Second History अतीतकार से अलग होते हैं। काल के According History अतीत की प्रकृति भी बदल जाती है। काल अथवा समय का History अतीत पर बहुत प्रभाव पड़ता है। History अतीतकार जो लिखता है-वह उसके तत्कालीन वातावरण से बहुत हद तक प्रभावित होता है। Single समकालीन History अतीतकार ऐतिहासिक घटनाओं का वर्णन अपने दृष्टिकोण से करता है और दूसरा व्यक्ति उसका वर्णन अपने According करता है।

History अतीतकारों के मध्य मुख्य विवाद का विषय है कि तथ्यों के महत्त्व का आकलन History अतीत में वांछनीय है अथवा नहीं। लॉर्ड Single्टन के According तथ्यों के महत्त्व का आकलन History अतीत में अनिवार्य है। जबकि दूसरी ओर रेंकी (Ranke) तथा बरी (Bury) के According यह सही नहीं है। उनका कहना है कि History अतीत में तथ्यों को उनकी मौलिक अवस्था में ही प्रस्तुत करना चाहिये। परन्तु अगर ऐसा Reseller गया तो History अतीत का कोई उद्देश्य नहीं रह जायेगा। History अतीत को अपने दृष्टिकोण से तथ्यों की व्याख्या करनी चाहिये। अन्यथा History अतीत में नीरसता आ जायेगी। साथ ही यह व्याख्या इतनी भी नहीं होनी चाहिए कि History अतीत अपने मूल Reseller से ही वंचित हो जाये। इस प्रकार से History अतीत की प्रकृति का अध्ययन विभिन्न ढंगों से Reseller जा सकता है। History अतीत स्वयं को दोहराता भी है और नहीं भी। Single ओर History अतीत समसामयिक है तो दूसरी ओर अतीत और वर्तमान के मध्य परस्पर संवाद है। History अतीत में तथ्यों के महत्त्व का आकलन भी आवश्यक है जिसे अनदेखा नहीं Reseller जा सकता। ऐतिहासिक तथ्यों की अवधारणा चक्रीय अथवा रैखिक दोनों ही प्रकार की हो सकती है। History अतीत की प्रकृति के विषय में भले ही विद्वानों के मध्य विचारों में समानता न हो परन्तु History अतीत के महत्त्व पर All में Agreeि है। History अतीत का Means है तथा उसका उद्देश्य भी है। यह History अतीतकार का कर्त्तव्य है कि वह History अतीत का वर्णन करते समय तर्वफसंगत दृष्टिकोण को महत्त्व दे।

विद्वानों का मानना है कि-समय के साथ History अतीत के क्षेत्र में भी विस्तार हुआ तथा उसमें नवीन क्षेत्र जुड़ गये हैं। History अतीत का मुख्य कार्य घटित घटनाओं का वर्णन करना, उनके घटित होने के कारण बताना और उनका विश्लेषण करना है। उसका क्षेत्र भी निरंतर बढ़ रहा है। History अतीत, अध्ययन विषय के Reseller में काफी सीमा तक Single नवीन क्षेत्र कहा जा सकता है। यह मुख्यत: अठारवीं तथा बीसवीं शताब्दी के मध्य Single अलग क्षेत्र के Reseller में उभरा तथा विकसित हुआ। History अतीत Single प्राचीन विषय रहा है। लेकिन उस समय में History अतीतकार ज्यादा संख्या में नहीं थे तथा उनका ऐतिहासिक लेखन कार्य मात्र कुछ मुख्य घटनाओं जैसे-Fightों, सैनिक उपलब्धियों तथा धार्मिक वर्णन तक ही सीमित हुआ करता था। लेखन कार्यों में भी अधिकांशत: उन Kingों का वर्णन होता था, जिनके वे आश्रित होते थे। इसी कारण वश उस समय History अतीत का क्षेत्र अधिक विस्तृत नहीं था।

Human समाज में विकास की प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है। इसके उत्थान, विकास तथा पतन की गति को History अतीत की गति माना गया है। इस प्रकार से History अतीत का क्षेत्र सामाजिक Needओं के According सदैव विकसित होता रहता है। हम History अतीत लेखन के जनक हेरोडेटस से 20वीं सदी के टायन्बी तक इस परिवर्तन को लगातार देख सकते हैं। अत: आदिकाल से आधुनिक युग तक History अतीत क्षेत्र का स्वReseller निरन्तर परिवर्तनशील रहा है।

समय के साथ History अतीत का क्षेत्र भी निरंतर विकसित होता जा रहा है। प्रारम्भ में History अतीत का अध्ययन ज्ञान की तृप्ति का साधन था। हेरोडोटस ने अतीत के कार्यों को तथा घटनाओं को वर्तमान तथा भविष्य के लिये Windows Hosting रखने हेतु History अतीत का अध्ययन माना। समय के According History अतीत अध्ययन का विकास हुआ तथा परिणामस्वReseller उसका क्षेत्र भी विकसित हुआ। अगर हम प्रारम्भ से लेकर अब तक के History अतीत पर दृष्टि डालें तो हमें इसके विभिन्न Reseller मिलेंगे। History अतीत में समय-समय पर होने वाले परिवर्तनों के कारण उसके क्षेत्र में विस्तार हुआ है। History अतीत के काल के According विभाजन से तथा विषय के According विभाजन से भी History अतीत के क्षेत्र में वृद्धि हुई है। History अतीत को मुख्यत: तीन भागों में बाँटा गया है-प्राचीन, मध्य तथा आधुनिक काल का History अतीत। इसी प्रकार से विषयों के अनुReseller विभाजन कर देने से भी History अतीत के अनेक उपविषय बन गये हैं, जैसे- राजनीतिक History अतीत, आर्थिक History अतीत, सैन्य History अतीत, सामाजिक History अतीत, दार्शनिक History अतीत, कला And शिक्षा का History अतीत तथा धार्मिक History अतीत आदि। इस प्रकार History अतीत प्रत्येक विषय से सम्बन्धित हो गया है।

History अतीत अध्ययन के विविध Resellerों तथा पुरालेखा विज्ञान, पुरातत्व विज्ञान शाखाओं के विकास से History अतीत का अध्ययन क्षेत्र लगातार बढ़ता जा रहा है। इस प्रकार से हम देखते हैं कि History अतीत के क्षेत्र का Reseller समय And समाज की Needओं के अनुReseller विकसित हो रहा है। प्रो. कार ने इस विषय में लिखा है कि- History अतीत विज्ञान के समान ही विस्तृत है जिसमें तथ्यों का वैज्ञानिक विश्लेषण Reseller जाता है। History अतीत की विषय वस्तु को लेकर विद्वानों में Agreeि नहीं रही है। प्रारम्भ में घटनाओं को History अतीत की विषय वस्तु के Reseller में स्वीकार Reseller गया परन्तु बाद में यह उचित प्रतीत नहीं हुआ तब यह कहा गया कि मनुष्य की विविध साँस्कृतिक गतिविधियाँ ही History अतीत की विषयवस्तु है। अब History अतीत का स्वReseller मात्र कुछ घटनाओं तक ही सीमित न रहकर सर्वव्यापी हो गया है। History अतीत का मुख्य ध्येय अथवा कार्य मनुष्य के कार्यों तथा उपलब्धियों की गणना करना है और यह किसी भी परिप्रेक्ष्य से सम्बन्धित हो सकती है। जैसे विज्ञान, आविष्कार तथा तकनीकी क्षेत्र। इसके अतिरिक्त कला तथा आख्रथक पहलू भी History अतीत से अछूते नहीं हैं। अत: स्पष्ट है कि History अतीत की विषय वस्तु अत्यन्त विस्तृत Reseller में है। रोके तथा सीले के According History अतीत की विषय वस्तु राजनीति से सम्बद्ध है। परन्तु वहीं ब्यूरी के According- History अतीत के अध्ययन में व्यक्ति और समाज की बौद्धिक And भौतिक उपलब्धियों का अध्ययन भी आवश्यक है। टायन्बी ने कहा है कि-Human जीवन से सम्बद्ध सम्पूर्ण कार्य व्यवहार History अतीत की विषय वस्तु हैय् अन्य History अतीतकारों ने भी History अतीत के क्षेत्र को अत्यन्त विस्तृत माना है। उनके According History अतीत के अन्तर्गत समाज के All पक्षों का वर्णन आवश्यक है। जैसे-आर्थिक व्यापार, उद्योग, भौगोलिक दशा, धार्मिक वर्णन, भू-व्यवस्था तथा प्रशासनिक व्यवस्था इत्यादि। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि History अतीत मनुष्य के जीवन के सामाजिक, भौतिक तथा सांस्कृतिक प्रत्येक पक्ष का अध्ययन करता है। माक्र्स, हीगल जैसे अनेक विद्वानों ने अपनी Creationओं में जो समाज के पतन का तथा विकास का चित्रण Reseller है उससे भी यह बात और स्पष्ट Reseller से सामने आती है कि History अतीत का विस्तार क्षेत्र लगातार बढ़ता ही जा रहा है। पूर्व में कभी History अतीत भले ही वृहद् Reseller में न स्वीकार Reseller जाता हो परन्तु अब यह स्वतंत्र विषय है। इसमें निरंतर होने वाले परिवर्तनों के परिणामस्वReseller इसका क्षेत्र बढ़ा है। इसमें सामाजिक Needओं तथा शोध कार्यों का भी महत्त्वपूर्ण योगदान है। कुछ विद्वानों के According History अतीतकार दो प्रकार से History अतीत को लिखते हैं। उनका पहला कार्य घटना से सम्बन्धित तथ्यों को Singleत्रित करना तथा दूसरा कार्य उन घटनाओं का वर्णन करना। टे्रवेलियन का मत है कि- फ् History अतीतकार से तीन कार्यों की अपेक्षा की जाती है कि उसमें वैज्ञानिक, काल्पनिक तथा साहित्यिक फट होना चाहिए। इसके साथ ही अन्य तथ्य भी महत्त्वपूर्ण हैं जैसे प्रकृति का अध्ययन तथा भौगोलिक वातावरण आदि, क्योंकि ये भी Human के उत्थान को प्रभावित करते हैं। History अतीत-लेखन के समय इन तथ्यों के महत्त्व को अनदेखा नहीं Reseller जा सकता। प्रो. एल्टन ने लिखा है कि- अच्छा ऐतिहासिक लेखन ही विश्व History अतीत की दृष्टि से उचित है क्योंकि भले ही वह उसके किसी भी भाग का वर्णन करे वह विश्व व्यापकता का स्मरण करता है।

वर्तमान समय में बहुत ही सावधानीपूर्वक तथा व्यवस्थित ढंग से तथ्यों का संकलन तथा उनका मूल्यांकन करने के लिये आलोचनात्मक दृष्टिकोण अपनाना पड़ता है। First का History अतीत मात्र राजनीतिक घटनाओं के अध्ययन तक सीमित हो सकता था परन्तु अब History अतीत के अन्तर्गत सामाजिक, आर्थिक, नैतिक तथा साहित्यिक Reseller से भी लोगों के जीवन का अध्ययन Reseller जाता है। अत: अब History अतीत जन-साधारण से भी सम्बन्धित है। इन्हीं All विचारधाराओं के कारण History अतीत के क्षेत्र में उत्तरोत्तर वृद्धि होती जा रही है।

वर्तमान में History अतीत के अन्तर्गत अन्य विषयों का भी अध्ययन Reseller जाता है क्योंकि समाज तथा Human के विकास के पूर्ण description के लिये ये आवश्यक है। प्राचीन काल से ही History अतीत में राजनीति को विशेष स्थान प्राप्त रहा है। प्रत्येक काल में History अतीतकारों ने राजनीतिक History अतीत का वर्णन Reseller। इसका कारण यह भी था कि हर समाज में राजनीति में कुछ लोग ही प्रमुख होते थे। वे ही Fight अथवा शांति में मुख्य भूमिका निभाते थे। First जब राजनीतिक History अतीत लिखा जाता था तब उसमें जन साधारण की कोई मुख्य भूमिका नहीं होती थी। परन्तु बाद में राजनीतिक अध्ययन के समय जनसाधारण के योगदान को भी महत्त्व दिया जाने लगा और राजनीतिक History अतीत के अन्तर्गत राजनीतिक घटनाओं तथा महापुरुषों का अध्ययन Reseller जाने लगा।

आर्थिक History अतीत भी History अतीत की Single महत्त्वपूर्ण शाखा हैं 18वीं सदी के बाद 19वीं शताब्दी में इस प्रकार की History अतीत लेखन की परम्परा को अधिक बल मिला। जब History अतीतकार आर्थिक दृष्टि से सामाजिक बंधनों और Humanीय व्यवहार को अपने लेखों में वख्रणत करता है तब यही आर्थिक History अतीत कहलाता है। आर्थिक History अतीत में औद्योगिक क्रान्ति की भूमिका महत्त्वपूर्ण रही है। कई History अतीतकारों ने इसमें अपने कार्यों के द्वारा योगदान दिया। जैसे- हीरन, काम्टे आदि।

सामाजिक History अतीत में लोगों से जुड़े हुए सामाजिक जीवन का अध्ययन Reseller जाता है, जिसके अन्तर्गत धर्म, रीति-रिवाज, खान-पान व परम्पराएं आती हैं। वस्तुत: देखा जाए तो किसी भी देश का सामाजिक History अतीत उसके आर्थिक तथा राजनैतिक History अतीत का महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है।

समाज किसी भी प्रकार के History अतीत की आधारशिला होता है। रील और फर्टग First ऐसे विद्वान थे जिनके द्वारा जर्मनी के मध्यकालीन तथा आधुनिक सामाजिक जीवन का वर्णन Reseller गया। सामाजिक History अतीत के अध्ययन के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता। इंग्लैण्ड के अलावा यूरोप के अन्य देशों में भी ऐसे History अतीत लेखन की तैयारी की ओर ध्यान दिया गया जो समाज से सम्बन्धित हो।

प्रारम्भ में किसी भी देश के कानून लिखित Reseller से नहीं होते थे तथा जो King की आज्ञा होती थी वही कानून बन जाया करती थी। Single ही कार्य के लिये ये आज्ञा भिन्न भी हो सकती थी। उस समय में वैधानिक History अतीत के लिये कोई स्थान नहीं था किन्तु वर्तमान समय में यही ऐतिहासिक विधा महत्त्वपूर्ण है। इस विधा से Single नये History अतीत का जन्म हुआ। History अतीतकारों ने कानून से सम्बन्धित विकास तथा इससे सम्बन्धित संस्थाओं को लोगों के समक्ष रखने का प्रयास Reseller। इसके अतिरिक्त अनेक राज्यों के मध्य परस्पर सम्बन्ध तथा राजनैतिक सम्बन्धों का अध्ययन वूफटनीतिक History अतीत कहा जाता था अगर देखा जाये तो यह राजनैतिक History अतीत की ही Single शाखा थी। लेकिन वस्तुत: यह Single स्वतंत्र विषय है। कौटिल्य ने Meansशास्त्र में वूफटनीतिज्ञों के बारे में विस्तार से लिखा है। अन्य विद्वानों ने भी वूफटनीतिक History अतीत पर प्रकाश डाला है। परन्तु इस प्रकार के History अतीत का अध्ययन करते समय विशेष सावधानी रखनी चाहिये तथा इसका अध्ययन आलोचनात्मक दृष्टिकोण से ही करना चाहिये।

बौद्धिक History अतीत का आरम्भिक समय में विशेष महत्त्व नहीं था। अत: इससे सम्बन्धित सामग्री का अभाव है। मनुष्य के व्यवहार, कार्यों तथा व्यक्तित्व का प्रभाव संस्कृति पर पड़ता है। यही कारण था कि लेखकों तथा विद्वानों के द्वारा इस प्रकार के History अतीत लेखन की परम्परा को महत्त्व प्रदान Reseller गया। वेगहो, टे्रड तथा दुख्र्ाीम, इत्यादि History अतीतकारों ने इसमें विशेष Reseller से योगदान दिया। इस प्रकार के History अतीत के अतिरिक्त Single और History अतीत भी है जो मनुष्य के रीति-रिवाजों, परम्पराओं, धर्म, संगीत, शिक्षा तथा साहित्य से Added हुआ है। यह प्रत्येक काल में विद्यमान अवस्थाओं को जो संस्कृति से जुड़ी होती है उन्हें दर्शाता है। इस प्रकार के History अतीत को सांस्कृतिक History अतीत का नाम दिया गया है। यह History अतीत प्रत्येक काल की विभिन्न दशाओं को जानने का महत्त्वपूर्ण साधन है। इसके माध्यम से जहाँ तत्कालीन कला तथा संस्कृति के विकास के बारे में जानकारी मिलती है, वहीं दूसरी ओर संगीत, शिक्षा तथा साहित्य के बारे में भी विस्तृत ज्ञान प्राप्त होता है।

वर्तमान समय में विश्व बंधुत्व की भावना के विकास से विश्व के History अतीत का अध्ययन अत्यन्त ही आवश्यक हो गया है। विश्व के History अतीत से तात्पर्य विश्व के ज्ञान से है। कोई भी देश स्वयं में परिपूर्ण नहीं होता है, सम्पूर्ण विश्व में ऐसा कोई भी राष्ट्र नहीं है जो Second पर अवलम्बित नहीं हो। All राष्ट्र किसी न किसी Reseller में Single Second पर अवलम्बित हैं। अत: विश्व History अतीत का ज्ञान अत्यन्त आवश्यक होता जा रहा है। विश्व का History अतीत अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं की व्याख्या करता है। जब विश्व Fightों के परिणाम स्वReseller हुई भयावहता ने संस्थाओं की Need अनुभव की जो भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न होने दें। तब लीग ऑफ नेशन्स संयुक्त राष्ट्र संघ इत्यादि की स्थापना हुई। इससे विश्व के राष्ट्र Single Second के करीब आये तथा विश्वबंधुत्व की भावना को बल मिला। तभी विश्व History अतीत की ओर लोगों का ध्यान गया। First वाल्टर रेले ने तत्बाद एच.जी. वेल्स, हीगल, स्पेंग्लर, टायन्बीं तथा हेज इत्यादि ने इस परम्परा को आगे बढ़ाया। वर्तमान समय में आधुनिक संचार साधनों तथा तकनीकी विकास के कारण विश्व History अतीत का अध्ययन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हो गया है।

राष्ट्रीय History अतीत का अध्ययन भी महत्त्वपूर्ण है प्रत्येक मनुष्य को उसके राष्ट्र का ज्ञान अवश्य होना चाहिये। History अतीत के माध्यम से किसी भी राष्ट्र के निवासियों में देशभक्ति And अतीत के लिये गौरव की भावनाओं का विकास Reseller जा सकता है। अत: ऐसे History अतीत का भी अत्यन्त महत्त्व है समस्त राष्ट्र की अखंडता के लिये राष्ट्रीय History अतीत का लेखन आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी है।

इसके अतिरिक्त Single अन्य History अतीत क्षेत्रीय History अतीत का महत्त्व भी होता है। क्षेत्रीय History अतीत से तात्पर्य भौगोलिक सीमाओं में बँधे Single विशेष क्षेत्र के History अतीत से है। History अतीत के क्षेत्र में हम क्षेत्रीय History अतीत तथा संस्कृति के महत्त्व को नकार नहीं सकते। क्षेत्रीय History अतीत भी राष्ट्र के विकास में मुख्य भूमिका निभाता है। इनके अतिरिक्त कई अन्य History अतीत भी विद्यमान हैं जो विभिन्न क्षेत्रों से सम्बन्धित हैं। जैसे दार्शनिक History अतीत, धार्मिक History अतीत, सैन्य History अतीत तथा औपनिवेशिक History अतीत आदि। इस प्रकार से History अतीत का क्षेत्र अत्यन्त ही विस्तृत है तथा निरन्तर ही इसका विकास होता जा रहा है।

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