अंतर्राष्ट्रीयता की अवधारणा And विशेषताएं
अंतर्राष्ट्रीयता की विशेषताये
- यह भावना उदार And विस्तृत होती है।
- इस भावना में उदार राष्ट्रीयता की भावना की झलक मिलती है।
- अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना मनुष्य को ‘स्व’ से बहुत उपर उठाती है, विश्व से जोड़ती है।
- यह भावना मनुष्य को Humanता के सर्वोत्कृट गुणों से परिपूर्ण बनाती है।
- यह विश्व शान्ति और विश्व विकास की ओर प्रमुख आधार प्रदान करती है।
- यह भावना सम्पूर्ण विश्व के प्राणियों को मानसिक Reseller में बांधती है।
- यह भावना विश्व मेंं प्राणी मात्र को मानसिक बंधन व संवेदना से बांधने का आधार है।
- यह भावना संघर्ण की समाप्त कर स्नेह और णान्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।
- यह भावना मनुष्य को द्वेण, घृणा, र्इश्र्या और असहयोग की निम्न भूमि से उठाकर प्रेम सहानुभूति और सहयोग की उच्च भूमि पर लाकर खड़ा करती है।
वर्तमान मे अंतर्राष्ट्रीयता के बोध का औचित्य
अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना हमारे लिये नूतन भावना ही नहीं यह तो हमारे धर्म में First से है। धर्म ने ‘‘वैसुधैव कुटुम्बकम’’ का First ही Human का आदर्श दृष्टिकोण के Reseller में प्रतिस्थापित Reseller। आधुनिक युग उपनिवेशवाद ने Humanता को कुचलकर रख दिया। सम्पूर्ण विश्व कर्इ भागों And गुटों में बंट और सबल देशों ने निर्बल And शान्त देशोंं को अपना बाजार बनाया अपने अधीन Reseller और सम्पूर्ण विश्व धार्मिक क्रांतियों के चपेट में भी आ गया था। पुरातन धर्मों पर नये धर्मों ने अपने प्रचार के लिये पांव पसार लिया। औद्योगीकरण और भूमण्डलीकरण का प्रभाव सम्पूर्ण विश्व में स्वार्थपरता And बर्चस्व की होड़ लग गयी और इसके परिणामस्वReseller सम्पूर्ण विश्व सबल-निर्बल, रिपन्न, सम्पन्न, मालिक व नौकर के Reseller में बंटा। 18वीं And 19वीं शताब्दी में सम्पूर्ण विश्व अशान्ति के आग में झुलस रहा था। अनेक देश भारत की तरह अपने स्वतंत्रता के लिये छटपटा रहे थे। इसी समय बर्चस्व की लड़ार्इ में दो विश्व Fight हुये और जन-धन की अपूर्णनीय क्षति हुयी। सम्पूर्ण विश्व अन्धी राष्ट्रीयता के चपेट में है विश्व के अधिकांश राष्ट्र Second राष्ट्रों की बलि देकर अपनी सुख समृद्धि प्राप्त करने की इच्छा रखता है, और Third महाFight का सम्भावित संकट तथा आंतकवाद इसके परिणाम है। धार्मिक कट्टरता And संकुचित राष्ट्रीयता का परित्याग कर अन्तर्राष्ट्रीय भावना का विकास करके ही Human का कल्याण हो सकता है।
History इस बात का गवाह है कि अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना के विकास हेतु बहुत लम्बे समय से प्रयास Reseller है आज से करीब 620 वर्ष पूर्व पियरे डयूबियस ने अन्तर्राष्ट्रीय भावना के विकास के लिये अन्तर्राष्ट्रीय विद्यालयों को खोले जाने की संस्तुति की थी। कामेलियस ने इसी विचार को आगे बढ़ाया और अन्तर्राष्ट्रीय उपबोध के लिये पैनासोफिक कालेज खोले जाने की संस्तुति दी। अमेरिका में राष्ट्रपति टेफ्ट ने 1921 में हेग Single सम्मेलन इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर Reseller परन्तु यह उपाय बहुत कारगर नहीं रहा। इस बीच First विश्व Fight की विभिषिका विश्व झेल रहा था।
श्रीमती इन्ड्रूज ने अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा विभाग को राष्ट्र संघ में मिलाने का प्रयास Reseller। सन् 1926 में ‘‘बौद्धिक सहयोग आयोग’’ की स्थापना तो की गयी परन्तु धनाभाव में यह प्रयास असफल रहा।
इस बीच में हिटलर के जर्मनी में जातिवाद व मुसोलिनी के इटली में फांसीवाद के सिद्धान्तों के प्रचार के कारण यूरोप पुन: द्वितीय विश्वFight की विभिषिका झेलने पर मजबूर हुआ। इस Fight के समाप्ति पर सम्पूर्ण विश्व आतंकित हो गया शान्ति का उपाय ढूढना लगा और अपने विचारों को साकार Reseller देने के लिये Single नये अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना की ओर कदम बढ़ाया। सन् 1945 में Single नये अन्तर्राष्ट्रीय संगठन ने ‘‘संयुक्त राष्ट्र संघ’’ के Reseller में स्थापित हुआ।
इस संघ की स्थापना विश्व शान्ति के ध्येय से की गयी है, ओर अपने इस उद्देश्य को ‘‘संयुक्त राष्ट्र संघ’’ के अधिकार पत्र में कहा कि – ‘‘अन्तर्राष्ट्रीय स्थिरता का विकास करने के लिये संयुक्त राष्ट्र संघ अन्तर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक और शैक्षिक सहयोग को विकसित करेंगा।’’ संयुक्त राष्ट्र संघ (यू0एन0ओ0) के प्रमुख संगठन यूनेस्को का आधारभूत सिद्धान्त यही है कि- ‘‘क्योंकि Fight मनुष्यों के मस्तिष्क में आरम्भ होते हैं इसलिये शान्ति की Safty के साधनों का निर्माण भी मनुष्य के मस्तिष्क में ही Reseller जाना चाहिये।’’
- यूनेस्को यह बात मानता है कि राष्ट्रों के मध्य भेद का प्रमुख आधार- संस्कृति की विभिन्नता ही है। अत: शिक्षा विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्रो में विविध राज्यों में सहयोग स्थापित करने व उनकी आपस की विभिन्नताओं तथा विरोध के कारणों को मिटाने के लिये यह बहुत आवश्यक है कि विश्व संस्कृति का विकास Reseller जाये।
- विश्व के प्रत्येक राष्ट्र की अपनी विशेषतायें And क्षमतायें हैं कुछ प्रकृति प्रदत्त है वो कुछ Human निर्मित। कोर्इ देश कपास पैदा करता है तो दूसरा देश कपड़ा अच्छा बनाता है, प्रत्येक देश Single-Second पर कच्चा माल व बाजार के लिये निर्भर है। अन्तर्राष्ट्रीयता आर्थिक दृष्टिकोण से भी सहायक है।
- विश्व के राष्ट्रों के मध्य आर्थिक व शैक्षिक स्तर में विभिन्नता है। राष्ट्रों के मध् य अच्छी समझ All देशों को इन परिस्थितियों में उचित सहयोग प्रदान कर वहां के नागरिकों को विकास का अवसर देता है।
- के0जी0 सैयदेन ने Single उदारहण देते हुये लिखा था कि- ‘‘Fight यूरोप में आरम्भ होता है, और बंगाल के तीन लाख व्यक्ति अकाल से मर जाते हैं, लाखों लोग बेघर हो जाते हैं, अपने साधारण कार्यों से पृथक हो जाते हैं, और All सुख से वंचित हो जाते हैं।’’ इसी प्रकार हम दूसरा उदाहरण देखे कि – अमेरिका के आर्थिक मंदी ने विश्व बाजार को हिलाया और भारत भी उससे प्रभावित हुआ इसका अभिप्राय यह है कि शिक्षा बालकों को यह सिखाये कि सब सम्पूर्ण विश्व Single है।