संगठन संCreation का Means And परिभाषा
संगठन संCreation का Means And परिभाषा
संगठन संCreation से आशय सम्पूर्ण संगठन में परस्पर सम्बन्धों And कार्यों की व्यवस्था से हैं । संगठन की संCreation के आधार पर ही संगठन की व्यवस्था का समग्र Reseller से निर्धारण Reseller जाता है। किसी संगठन की सम्पूर्ण संगठनात्मक व्यवस्था वे कार्यरत कर्मचारियों के सम्बन्धों को प्रदर्शित करने वाला कलेवर ही संगठन संCreation कहलाता है। संगठन संCreation संस्था का Single ऐसा Reseller प्रस्तुत करता है जिसके आधार पर संगठन के प्रशासनिक सम्बन्ध स्थापित And विकसित किये जाते हैं। इस सम्बन्ध में विद्वानों द्वारा दिये गये कुछ प्रमुख विचार हैं।
- विलियम एच. न्यूमैन के According, ‘‘सगंठन सरंचना किसी प्रतिष्ठान की सम्पूर्ण संगठनात्मक व्यवस्था का वर्णन करती है।
- फ्रडेलूथन्स के According, ‘‘सगंठन सरंचना, सगंठनात्मक व्यवहार के लिए कंकाली ढांचे को प्रकट करता है।
- हर्ले के According, ‘‘सगंठन सरंचना Single फर्म की विभिन्न स्थितियों के बीच And विभिन्न स्थितियों के बीच And विभिन्न स्थितियों को धारित व्यक्तियों के बीच सम्बन्धों का ढांचा है।
- एटबर्स हेनरी एच. के According, ‘‘सगंठन सरंचना वह कलवे र है जिसके अन्तर्गत प्रबन्धकीय And कार्यात्मक कार्य सम्पन्न किये जाते हैं।
संगठन संCreation का निर्धारण
संगठन संCreation का निर्धारण करने से पूर्व प्रबंधकों को उद्देश्यों का निर्धारण करना चाहिए जिसकी पूर्ति संगठन का निर्माण Reseller जा रहा है क्योयंकि उद्देश्यों के आधार पर ही यह निर्धारित होगा कि कौन सी संCreation अमुक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु उपयुक्त है। संगठन संCreation का सृजन करने के लिए प्रबंधकों को सावधानीपूर्वक प्रयास करना पड़ता है इन प्रयासों को निम्नलिखित वर्गों में विभक्त Reseller जा सकता है।
1. क्रिया विश्लेषण –
संगठन के कार्य के आधार पर ही उनकी क्रियाओं का निर्धारण Reseller जाता है। उत्पादन संगठन, वितरण संगठन, सेवा संगठन, व्यापार संगठन, प्रषासनिक संगठन, अनुसंधान संगठन, आदि संगठनों में किन्हीं सुनिष्चित गतिविधियों को अधिक प्राथमिकता दी जाती है। उत्पादन संगठन में ऐसी संगठन संCreation पर बल दिया जाता है जिससे उत्पादन के साधनों का अनुकूलतम प्रयोग Reseller जा सके और न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पान सम्भव हो सके। सेवा संगठन में, संगठन संCreation इस प्रकार व्यवस्थित की जाती है जिससे न्यूनतम लागत पर ग्राहकों को बेहतर सेवा प्रदान की जा सके, यदि ग्राहक हो कार्इ षिकायत हो तो उसका त्वरित निपटान Reseller जा सके। ग्राहको को जो सेवायें प्रदान की जा रही हैं उससे उन्हें आत्म संतुश्टि पहुॅंचनी चाहिए Meansात् ग्राहक सेवा से पूर्णत: संतुश्ट होना चाहिए। संगठन संCreation के लिए प्रबंधकों को उद्दश्यों के निर्धारण के बाद क्रियाओं का विश्लेषण करना चाहिए। जिन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु संगठन का निर्माण Reseller जा रहा है उनमें कौन कौन सी क्रियायें सम्मिलित होंगी, इनका विश्लेषण करना आवश्यक होता है। यदि निर्माणी संगठन है तो उसमें सामग्री क्रय हेतु स्रोतों का चयन, सामग्री क्रय उत्पादन विधियों का प्रयोग, उत्पादन, विपणन, सेविवर्गीय लेखांकन कर्य, शोध And विकास वित्तीय कार्य आदि क्रियाएं करनी पड़ती हैं। इसके लिए सम्पूर्ण क्रियाओं का व्यापक विश्लेषण Reseller जाता है। इन क्रियाओं की Single सूची तैयार की जाती है। इन क्रियाओं का वर्गीकरण कर समूहीकरण Reseller जाता है। इसके पश्चात विभागीयकरण के आधार पर कार्य उपयुक्त And दक्ष व्यक्तियों को सौंप दिया जाता है। क्रिया विश्लेषण ही विभागीयकरण की आधारशिला है। यह नवीन And विद्यमान दोनों प्रकार की संस्थाओं के लिए Indispensable है। इससे भ्रामक स्थितियों का अन्त हो जाता है And अपव्यय में कमी आती है।
2. निर्णय विश्लेषण –
क्रियाओं के विश्लेषण के पश्चात अगला चरण निर्णयों के विश्लेषण से सम्बन्धित है। इसमें इस बात का ध्यान रखा जाता है कि संगठन को कौन कौन से निर्णय लेने हैं या संगठन को किस सम्बंध में निर्णय लेने हैं। किसी भी संगठन संCreation के निर्धारण के लिये यह आवष्यक है कि संगठन द्वारा लिये जाने वाले भावी निर्णयों पर भी विचार कर लिया जाय। संगठन के निर्णय उनकी क्रियाओं पर ही आधारित होते हैं अत: निर्णय विश्लेषण में निम्नलिखित बातों पर विचार Reseller जाता है :-
- संगठन के उद्देश्यों की पूर्ति सम्बन्धी निर्णय
- निर्णयों की प्रकृति सम्बन्धी निर्णय
- प्रबन्ध के विभिन्न स्तरों से सम्बन्धित निर्णय
- निर्णयों से प्रभावित होने वाली क्रियाओं सम्बन्धी निर्णय
- विभिन्न निर्णयों में प्रबन्धकों की भागीदारी सम्बन्धी निर्णय
- निर्णयों से प्रभावित कार्मिक सम्बन्धी निर्णय
- निर्णय सम्बन्धी सूचनाओं के सम्प्रेषण सम्बन्धी निर्णय आदि।
इस प्रकार निर्णय सम्बन्धी उपर्युक्त तथ्यों पर विचार के पश्चात संगठन संCreation के निर्माण सम्बन्धी निर्णय लेने में सरलता होती है। निर्णयों की प्रकृति And Need के अनुReseller ही सम्पूर्ण संगठन में अधिकार सत्ता का केन्द्रीकरण, विकेन्द्रीकरण तथा भारापर्ण And उत्तरदायित्वों का भली भॉंति निर्धारण Reseller जा सकता है। अत: संगठन संCreation के निर्माण के समय उसके निर्णय विश्लेषण से प्राप्त परिणाम को ध्यान में रखकर ही निर्माण Reseller जाना चाहिए।
3. सम्बन्ध विश्लेषण –
इस चरण के अन्तर्गत अन्तर वैयक्तिक सम्बन्धों का विश्लेषण Reseller जाता है। जिसमें मुख्य Reseller से निम्नलिखित बातों पर विचार Reseller जाता है:-
- क्रिया विशेष का प्रभारी प्रबन्धक कौन है?
- क्रिया विशेष के प्रभारी प्रबन्धक किन प्रबन्धकों के अधीनस्थ है?
- अन्य क्रियाओं के प्रभारी प्रबंधकों से किस प्रकार सहयोग प्रदान Reseller जाय?
- प्रबन्ध Single Second तक किस सीमा तक सहयोग दे सकते हैं?
इस प्रकार प्रत्येक प्रबंधकों को Single-Second से सम्बन्ध रखने पड़ते हैं।इसलिए संगठन में ऊध्र्व, क्षैतिज, उदग्र केन्द्रीय आदि सम्बन्धों को भी निध्र्धारित करना पड़ताहै। इन्हीं सम्बन्धों के आधार पर संप्रेषण व्यवस्था का निध्र्धारण होता है, संगठन से क्रियाओं को परस्पर समन्वित And निर्देंशित Reseller जाता है।
प्रत्येक संगठन में अलग अलग क्रियाओं के लिए अलग अलग विभाग (उत्पादन क्रिया, विपणन क्रिया,वित्तीयन क्रिया ) बने हुये हैं और प्रत्येक विभाग में Single शीर्ष अधिकारी (प्रबंधक) होता है। इन प्रबंधकों के बीच परस्पर सूचनाओं का आदान प्रदान होता रहता है। All प्रबंधकों और शीर्ष प्रबंधकों के बीच संप्रेशण व्यवस्था जितनी अच्छी होगी, विभागों के कार्योे में और समन्वय और नियंत्रण उतना ही अच्छा होगा। कर्ता क्रिया कारण जितने सुपरिभाशित होंगे Meansात परस्पर सम्बन्ध जितने अधिक स्पश्ट होंगे, लक्ष्यों को प्राप्त करना उतना ही सहज होगा। समय And संसाधनों का सदुपयोग होगा और संगठन विकास की राह पर अग्रसर होगा।
संगठन संCreation को प्रभावित करने वाले घटक
संगठन संCreation का निर्माण करना प्रबन्धकों का महत्वपूर्ण कर्तव्य है। उपयुक्त संगठन संCreation के निर्माण से ही उद्देश्यों की प्राप्ति सम्भव है जो संगठन को लक्ष्य प्राप्ति कराती परन्तु यदि संगठन संCreation दोषपूर्ण हो तो यह संगठन को विनाश की ओर ले जाती है।अत: संगठन संCreation को कर्इ तत्व प्रभावित करते हैं जिनमें से कुछ प्रमुख हैं :-