Human संसाधन नियोजन की परिभाषा, Need, उद्देश्य And प्रक्रिया

Human संसाधन नियोजन की Need 

Humanीय संसाधनों का सदुपयोग ही प्रबन्ध की कुशलता का मापदण्ड होता है। अत: Single श्रेष्ठ व अच्छा प्रबन्धक कार्य करने की दशाओं व वातावरण की मधुर व आकर्षक बनाकर अधिक उत्पादन प्राप्त करने में सदा सफल होता है। यह आवश्यक नहीं है कि संगठन में अधिक कर्मचारी अधिक उत्पादन कर ही लें। कर्मचारियों की संख्या भले ही कम हो किन्तु यदि वे प्रशिक्षित, योग्य व कुशल हैं तो निश्चय ही उत्पादन अधिक होगा। Human शक्ति की नियोजन दृष्टि से पदों का सृजन कार्य आवंटन, Appointment, कार्य अवलोकन, कार्यभार का अनुमान, पद समापन आदि कार्य आवश्यक है। अत: उपयुक्त कार्य पर (On right job), सही समय पर (On right time),सही स्थान पर (On right place),उपयुक्त व्यक्ति की Appointment करने के लिए Human संसाधन नियोजन आवश्यक है।
किसी व्यवसायिक उपक्रम में Human संसाधन नियोजन की Need Human शक्ति के अपव्यय को रोककर उसका प्रभावशाली उपयोग करना होता है। Humanीय संसाधन का बाहुल्य Human शक्ति नियोजन को और भी आवश्यक बना देता है क्योंकि उपलबध Human शक्ति में से उपक्रम अपनी Needनुसार कर्मचारियों का चयन कर सकें। मेकफार लैण्ड (Mefor land) ने ठीक ही कहा है, ‘‘आज के विशेष प्रकार के कौशल जैसे इन्जीनियरी, गणित तथा भौतिक विज्ञान का अभाव उपस्थित है, साथ ही प्रKingीय And नेतृत्व योग्यता का अभाव सदैव से ही रहा है। ऐसी कमियों को पूरा करने, के लिए बड़ी मात्रा में राष्ट्रीय And उपक्रम आधार पर Human संसाधन नियोजन की Need है।’’ उपक्रम के आधार पर Human शक्ति नियोजन की Need कारणों से है –

  1. कर्मचारी लागत का ऊंचा होना (High Cost of Personnel) – कर्मचारी लागत के कम करने के लिए इस पर नियन्त्रण का प्रयत्न प्रबन्धकों द्वारा करना आवश्यक होता है। Human शक्ति नियोजन कर्मचारी बाहुल्य और कमी को दूर करके उपक्रम के लिए आदर्श कर्मचारी शक्ति की व्यवस्था करता है।
  2. Human शक्ति के प्रकार के निर्धारण द्वारा उसकी भर्ती के श्रोतों की खोज में सहायक होना – भविष्य में किस प्रकार के कर्मचारियों की Need होगी, इस बात के निर्धारण द्वारा भर्ती के सही श्रोतों का चयन Reseller जा सकता है। साथ ही भर्ती के लिए उपलब्ध विभिन्न श्रोतों में किसका अथवा जिनका उपयोग Reseller जाय यह निर्धारित करना प्रबन्धकों के लिए सरल हो जाता है।
  3. कर्मचारी विकास की प्रभावशीलता (Effectiveness of Employee Development) – कर्मचारी विकास कार्यक्रमों को प्रभावी तभी बनाया जा सकता है जबकि विकास कार्यक्रमों को Human संसाधन नियोजन से सम्बद्ध Reseller जाय।
  4. Human शक्ति के चयन, Appointment तथा प्रतिस्थापन में सहायक (Helpful in selection, placement and replacement of Personnel)- HRP का लक्ष्य सही कार्य पर सही व्यक्ति का सही समय पर चयन व Appointment करना होता है। संस्था के लिए Human शक्ति की Need का नियोजन करके सरलतापूर्वक उपयुक्त व्यक्ति का चयन तथा Appointment की जा सकती है।
  5. Human शक्ति की Needओं में समन्वय (Co-Ordination in man power requirement) – संस्था के विभिन्न विभागों द्वारा कर्मचारियों की Needओं में तालमेल स्थापित करना आवश्यक है। Human संसाधन नियोजन द्वारा ही ऐसा Reseller जा सकता है।
  6. उत्पादन में उत्पन्न विघटन पर रोक (Check on diseruption in production) – उत्पादन विघटन पर रोक के लिए Human शक्ति नियोजन बहुत प्रभावशाली साधन है। पूर्व नियोजन, Human शक्ति की मात्र व पूर्ति में सन्तुलन की स्थापना द्वारा उत्पादन में बाधा नहीं उत्पन्न होने देता है।
  7. राष्ट्रीय जनशक्ति नियोजन का आधार – हर संस्था के स्तर पर Reseller गया Human शक्ति नियोजन श्रृंखला में Single कड़ी के Reseller में कार्य करता है।
  8. औद्योगिक अशान्ति में कमी होना – विवेकपूर्ण Human शक्ति नियोजन के परिणामस्वReseller श्रम निष्कासन, श्रम बदली, अशान्ति, झगड़े पैदा नहीं होते हैं।

    Human संसाधन नियोजन के उद्देश्य

    1. Humanीय शक्ति की Need का सही पूर्वानुमानलगाना (Correct Estimation of Man Power Requirements)- HRP से संस्था में आवश्यक Humanीय शक्ति का पूर्वानुमान लगाना सम्भव हो जाता है। अत: संगठन की Need के समय उपयुक्त मात्रा में पर्याप्त योग्य कर्मचारी की प्राप्ति सरलतापूर्वक की जा सकती है।
    2. कुशल और निपुुण कर्मर्चचारियोंं की उचित पूर्ति की व्यवस्था करना (To manage the eligible man power) – संस्था में Need के According सही समय पर सही स्थान पर योग्य व निपुण Human शक्ति आज Single बार नियुक्त कर लेने के बाद किसी कर्मचारी को बाहर निकालना बड़ा कठिन हो गया है। अत: यह आवश्यक है कि First से ही ऐसी व्यवस्था की जाये ताकि प्रत्येक कार्य के लिए उपयुक्त कर्मचारियों की Appointment की जा सके। यह उद्देश्य HRP द्वारा पूरा Reseller जाता है।
    3. उचित प्रशिक्षण द्वारा कर्मचारियो का विकास करना – HRP नियुक्त कर्मचारियों को प्रशिक्षित करके संस्था के कार्यों के लिए उन्हें और योग्य बनाता है उनका विकास करता है।
    4. कर्मचारियों का अधिकतम उपयोग करना ताकि प्रति इकार्इ श्रम-लागत में कमी हो सके।
    5. परिवर्तनशील Meansव्यवस्था के Needओं के अनुReseller HRP में आवश्यक संसोधन करना।
    6. Human संसाधन विषयक Needओं का पूर्वानुमान लगाना।
    7. HRP से श्रमिकों की अनुपस्थिति दर, श्रम आवर्तन दर And अन्य करणों से ली जाने वाली अवकाश की दरें कम हो जाती हैं जिससे HRP के द्वारा उत्पादन स्तर को बनाये रखने में मदद मिलती है।
    8. HRP के द्वारा कर्मचारी कल्याण कार्यक्रमों को और अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है।
    9. औद्योगिक सम्बन्धों को सुदृढ़ बनाना इत्यादि।
    10. अधिशासी विकास कार्यक्रम आयोजित करना। इस सम्बन्ध में विचार करते हुये फिलिप्पो के According, ‘‘Human शक्ति नियोजन का उद्देश्य योग्य व्यक्तियों की निरन्तर पूर्ति द्वारा किसी संगठन के स्थायित्व And प्रगति में योगदान करना है।’’ इस उद्देश्य की पूर्ति तभी की जा सकती है जब वर्तमान And भावी Human शक्ति परिस्थितियों का सावधानी पूर्वक विश्लेषण Reseller जाय।
    11. स्ट्रास And सार्इल्स (Strauss and Sayles) के According सावधानी पूर्वक किये गये HRP के उद्देश्य निम्न हैं –
    1. रिक्त स्थानों की पूर्ति के लिए कर्मचारियों की निरन्तर And व्यवस्थित पूर्ति का आश्वासन।
    2. वाह्य श्रोतों से अथवा वर्तमान कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान कर जिन स्थानों की पूर्ति की जानी है। उनका अनुमान।
    3. पदोन्नति के लिए प्रत्येक कर्मचारी पर विचार किये जाने का आश्वासन।
    4. आन्तरिक श्रोतों के अधिकतम उपयोग की सम्भावना ।

    Human संसाधन नियोजन के प्राReseller 

    Human संसाधन नियोजन के तीन प्राReseller हैं –

    1. अल्प कालीन Human शक्ति आयोजन – 

    इससे तात्पर्य उस आयोजन से है जो थोड़े समय (दो वर्ष से कम) के लिए Reseller जाता है। यह आयोजन उन दशाओं में Reseller जाता है जब संस्था में किसी नर्इ विधि पर प्रयोग Reseller जा रहा हो या नर्इ तकनीक के According प्रशिक्षित कर्मचारी उपलब्ध होने की अवधि तक की व्यवस्था करनी हो। यह आयोजन कर्मचारियों के पदस्थापन के लिए अथवा नव सृजित पदों को भरने के लिए Reseller जाता है । अल्पकालीन आयोजन का उद्देश्य है कि वर्तमान कर्मचारियों को उनके वर्तमान पदों के अनुReseller बनाना And वर्तमान Human शक्ति द्वारा वर्तमान पद-रिक्तियों की सर्वोत्तम ढंग से पूर्ति करना है।

    2. मध्यकालीन Human शक्ति आयोजन – 

    इसका आशय उस Human शक्ति नियोजन से हैं जो मध्यकालीन अवधि के लिए Reseller जाता है Meansात यह अवधि 2 से 5 वर्ष तक की होती है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य मध्यकालीन अवधि के लिए जनशक्ति की व्यवस्था करना है। यह नियोजन पर्यवेक्षकीय स्तर के पदों के लिए Reseller जाता है क्योंकि निम्नतम वर्ग के श्रमिकों को अधिक प्रशिक्षण की Need नहीं होती है। पर्यवेक्षकीय तथा प्रबन्धक स्तर के पदों पर कार्य करने वाले कर्मचारी या तो सीधी भर्ती द्वारा लिये जा सकते हैं या पदोन्नति द्वारा। इस तरह का नियोजन सामान्य अनुभव द्वारा भी Reseller जा सकता है।

    3. दीर्घकालीन Human शक्ति आयोजन – 

    ऐसे आयोजन का आशय ऐसे आयोजन से है जो सामान्यत: पॉंच वर्ष की अधिक की अवधि के लिए Reseller जाये। इसका उद्देश्य है –

    1. भविष्य में संस्था के अन्दर ऐसी स्थिति पैदा करने का प्रयास करना जिसमें कि समस्त पदों और All पदाधिकारियों में पूर्ण SingleResellerता स्थापित हो सके।
    2. भविष्य के पद रिक्तियों के लिए First से ही उपयुक्त कर्मचारियों की व्यवस्था करना।

    दीर्घकालीन Human शक्ति नियोजन हेतु निम्न चरण उठाना आवश्यक होता है-

    1. भावी Needओं के संदर्भ में वर्तमान कर्मचारियों की उपयुक्तता का पता लगाना।
    2. भावी Human शक्ति का अनुमान लगाना,
    3. कर्मचारियों के व्यक्तिगत विकास हेतु योजना बनाना।
    4. निश्चित समयावधि के बाद  HRP की पुनरावलोकन करना।

    Human संसाधन नियोजन प्रक्रिया

    आर्थिक दृष्टि से Human शक्ति का आशय प्रबन्धकीय वैज्ञानिकी, इन्जीनियरिंग, तकनीकी, कुशल व योग्य और अन्य कर्मचारियों से हैं जो उत्पादकीय, आर्थिक और सेवा संगठनों के निर्माण, विकास तथा प्रबन्धकीय कार्यों में लगे हुये हैं। Single निरन्तर परिवर्तनशील व गतिशील Meansव्यवस्था में व्यवसाय में निरन्तर परिवर्तन होते रहते हैं। अत: भावी Human शक्ति सम्बन्धी Needओं का सही अनुमान लगाना आवश्यक है। Human संसाधन नियोजन Single सतत प्रक्रिया है जो विभिन्न क्रियाओं के द्वारा आगे बढ़ती रहती है। National Industrial Conference Board, USA ने निष्कर्ष निकाला है कि Human शक्ति का नियोजन विभिन्न क्रियाओं की श्रृंखला के द्वारा निम्नलिखित मार्गदर्शक सिद्धान्तों का अनुसरण करके Reseller जा सकता है। Meansात नियोजन की प्रक्रियाओं का आशय उन चरणों से है जिनके द्वारा नियोजन Reseller जाता है। Human शक्ति नियोजन के लिए भी कुछ आवश्यक चरण उठाने पड़ते है  –

    1. Human शक्ति Needओं का निर्धारण (Determination of Man power needs) :- प्रत्येक सगंठन में Human ससांधन की Need का निर्धारण उसके उत्पादन कार्यक्रम के द्वारा होता है जो स्वयं विक्रय आदेशों पर निर्भर करता है। विक्रय अनुमानों से उत्पादन कार्यक्रम निश्चित Reseller जा सकता है तथा कर्मचारियों का अनुमान लगाया जा सकता है और कर्मचारी आवर्तन को कम Reseller जा सकता है। इस प्रकार Human संसाधन की Needओं के निर्धारण हेतु संगठन द्वारा अग्रांकित कदम उठाये जा सकते हैं।
      1. विक्रय का पूर्वानुुमान लगाना (To Make Sale Forecasting) – प्रत्येक संगठन द्वारा जो विक्रय पूर्वानुमान लगाया जाता है उस पर संगठन का सम्पूर्ण क्रियाकलाप निर्भर करते हैं। यह दीर्घकालीन या अल्पकालीन पूर्वानुमान हो सकते हैं। संगठन के उत्पादन, वित्त कर्मचारी आदि नीतियों के निर्धारण व परिवर्तन को ये पूर्वानुमान विशेष Reseller से प्रभावित करते हैं।
      2. उत्पादन कार्यक्रम का निर्धारण (Determination of Production Programme) :- विक्रय पूर्वानुमान पर उत्पादन का कार्यक्रम निर्भर है। उत्पादन में वृद्धि हेतु Human संसाधन के अधिकतम उपयोग की व्यवस्था की जाती है और पूर्वानुमान के आधार पर नये भर्ती व चयन प्रक्रिया के कार्यक्रम तैयार किये जाते हैं।
      3. पदों की Need का निर्धारण (Determination of Position Needed) :- उत्पादन कार्यक्रमों के According Human शक्ति की Need (निश्चित कृत्यों व पर्दो) में परिवर्तन करना आवश्यक है। उत्पादन कार्यक्रम से Human शक्ति में स्थायी परिवर्तन का आयोजन करने में सहायता प्राप्त होती है।
      4. पदो की स्वीकृति लेना :- कृत्यों And पदों के निर्धारण से विभिन्न विभागों में Human शक्ति Need का सही अनुमान लग जाता है। इसी के आधार पर पदों की स्वकृति उच्च अधिकारियों द्वारा प्रदान की जा सकती है। इस हेतु पे-रोल बजट और मैनिंग तालिकाओं का उपयोग Reseller जा सकता है। पे-रोल-बजट प्रत्येक विभाग के लिए निर्धारित वेतन की अधिकतम राशि होती है। जिसके अन्तर्गत कर्मचारियों की व्यवस्था की जा सकती है। इसी प्रकार मैनिंग तालिका कर्मचारियों की संख्या And पदों का निर्धारण करते समय कर्मचारियों की विभिन्न कारणों से अस्थायी अनुपस्थिति का भी ध्यान रखना चाहिए। साथ ही दो प्रकार के विश्लेषण भी किये जाते हैं।
        1. कार्यभार विश्लेषण 
        2. कार्यशक्ति विश्लेषण
    2. Human शक्ति Needओंं को प्रभावित करने वाले तत्व (Factors Affecting Manpower Needs) :- संगठन के लिए आवश्यक कर्मचारियों की संख्या And उनके प्रकार का निर्धारण अनेक तत्वों पर निर्भर करता है। First से ही काम कर रहे संगठन में Human शक्ति की Needयें अग्रांकित तत्वों द्वारा प्रभावित होती है।
      1. वर्तमान Human शक्ति की प्रकृृति (Nature of Present work Force) :- किसी भी संगठन की बदलती हुर्इ Needओं के संदर्भ में Human शक्ति की वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन करना आवश्यक है ताकि भावी Human शक्ति की Need का मूल्यांकन करना आवश्यक है। ताकि सही अनुमान लगाया जा सके। स्ट्रास And साइलस  के Wordों में ‘‘भर्ती सम्बन्धी प्रबन्धकीय दृष्टिकोण में ऐतिहासिक तत्वों का भी योगदान होता है।’’
      2. कर्मचारी आवर्तन (Employee Turnover) :- कर्मचारी आवर्तन का आशय संस्था में कार्य कर रहे कर्मचारियों के कार्य छोड़कर चले जाने की प्रवृत्ति से है। यह प्रवृत्ति स्थायी Reseller से कर्मचारियों की संख्या पर प्रभाव डालती है।
      3. उपक्रम के विकास की दर (Rate of Growth of The Organisation) :- विकास स्वयं प्रबन्धकीय नीतियों, प्रतिस्पर्धा, देश की Meansव्यवस्था आदि अनेक कारणों से प्रभावित होता है। अत: संगठन के विकास के संदर्भ में Human शक्ति की Need का अनुमान लगाते समय तकनीकी विकास की गति का ध्यान रखना भी आवश्यक है।
      4. श्रम बाजार की प्रकृति (Nature of Labour Market) :- श्रम बाजार Single ऐसा भौगोलिक क्षेत्र है जिसमें से नियोक्ता कर्मचारियों की भर्ती करने तथा इच्छुक व्यक्ति रोजगार की खोज करके उसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं। यह संगठन के लिए यहीं से श्रम की मॉंग And उसकी पूर्ति होती है।
    3. Human शक्ति Needओंं का पूर्वानुुमान (Forecasting Manpower Needs) :- भावी Need का पूर्वानुमान संगठन नियोजन और कृत्य विशेषताओं में परिवर्तन का सावधानीपूर्वक अंकन है। भावी Human शक्ति की Need का पूर्वानुमान के लिए मैनिंग तालिका के साथ प्रतिस्थापन तालिका का उपयोग भी होता है । भावी Needओं के पूर्वानुमान अल्पकाल, दीर्घकाल या मध्यकाल के लिए हो सकते हैं।

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