गृह व्यवस्था दो संयुक्त Word है- Single गृह तथा दूसरा व्यवस्था या प्रबंध। गृह जो वास्तव में गृहिणी द्वारा बनाया जाता है, जिसमें गृहिणी की सक्रिय भूमिका रहती है, जबकि व्यवस्था Word का व्यापक Means है जीवन के All स्तरो पर जीवन को व्यवस्थित करना ही व्यवस्था कहलाता है।
गृह व्यवस्था का तात्पर्य है कि परिवार के सीमित साधनों का सर्वोतम उपयोग करके पारिवारिक Needओं की पूर्ति की जाए। प्रचीन समय में मनुष्य की Needएं And साधन सीमित थे, इसलिए वह गृहव्यवस्था की योजना को सुविधापूर्वक नियंत्रित कर लेता था। किन्तु आज के समय में समाज के भौतिक मूल्यो व रहन-सहन के स्तर में वृध्दि हुर्इ है मनुष्य की Needएँ निरन्तर बढ़ रही है। इन Needओं की पूर्ति हेतु पूर्ण सोंच विचार कर व्यक्ति को साधन और साघ्यों का चुनाव करना पड़ता है। इसलिए पुरानी और आज की व्यवस्था में बहुत अंतर आ गया है। अत: गृहव्यवंस्था का प्रमुख उद्देंश्य पारिवारिक लक्ष्यों की पूर्ति करना है।
निकेल And डांर्सी :- ‘‘गृह प्रबंध पारिवारिक साधनो का नियोजन, नियत्रंण And मूल्यांकन है, जिसके द्वारा पारिवारिक लक्ष्यों को प्राप्त Reseller जाता है।’’
राजम्माल देवदास :-‘‘प्रबंध प्राप्त भौतिक व Humanीय साधनों का सर्वश्रेष्ठ उपयोंग है।
ग्रास And क्रेण्डल:-‘‘प्रबंध वांछित की प्राप्ति हेतु उपलब्ध साधनो का उपयोग है’’
साधारण Wordो में, प्रबन्ध का Means विचार पूर्वक की गर्इ व्यवस्था से है जिनके द्वारा हम किसी भी परिस्थिति में समंस्त उपलब्ध साधनो का सर्वोतम ढ़ंग से उपयोग करतें है व अपनी अधिकतम इच्छाओं की पूर्ति करने का प्रयास करते है। इस प्रकार कम से कम साधनो का उपयोंग कर अच्छी से अच्छी तरह हमारें अधिकतम लक्ष़्यों को प्राप्त करने की जो विधियाँ है उनका अध्ययन ही गृह व्यवस्था या गृह प्रबंध कहलाता है।