आहार And पोषण का Means, परिभाषा

जीवधारियों को जैविक कार्यो के लिए ऊर्जा की Need होती है। ऊर्जा भोज्य पदार्थो के जैव-रासायनिक आक्सीकरण से प्राप्त होता है। सम्पूर्ण प्रक्रिया को जिसके अन्तर्गत जीवधारियों द्वारा बाह्य वातावरण से भोजन ग्रहण करके उसे कोशिका में ऊर्जा उत्पादन करने या जीवद्रव्य में स्वांगीकृत करके मरम्मत या वृद्धि में प्रयुक्त करता है; पोषण कहते है। पोषण Word की उत्पत्ति ‘पोषित’ Word से हुर्इ है। इसमें वे सब सम्मिलित है, जो हमारे द्वारा खाये गये भोजन का उपयोग शरीर वृद्धि, ऊर्जा और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करते है। पोषण के अन्तर्गत निम्नांकित चरण होते है-

अन्र्त ग्रहण पाचन अवशोषण स्वांगीकरण बहि:क्षेपण 

हरे पौधों में पर्णहरित होता है वे अपना भोजन जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड तथा पर्णहरित की उपस्थिति में बनाते है। हरे पौधों को उत्पादक कहते है। इससे स्पष्ट होता है कि पौधे स्वपोषी होते है। जबकि All जन्तु परपोषी होते है। ये अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते है।

आहार – 

आहार प्राकृतिक या अप्राकृतिक Reseller से प्राप्त भोज्य पदार्थ होता है। जैसे प्रकृति द्वारा प्राप्त अनाज दाल, सब्जी, फल, कन्द-मूल, दूध, शर्करा, तेल आदि तथा अप्राकृतिक भोजन जैसे माँस, मछली, अण्डा तथा अन्य प्राणियज पदार्थ। पोषण- आहार के पाचन शोषण तथा संग्रह के बाद शरीर के उसका सुक्ष्म रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा होता है। इन प्रक्रियाओं को हम पोषण कहते है।

आहार – यह वह ठोस या तरह पदार्थ होता है जो जिन्दा रहने की Singleता के लिए सवेगात्मक तृप्ति के लिए, Safty व प्रेम की भावना को दृढ़ बनाने के लिए आवश्यक होता है। मनुष्य की शारिरिक, मानसिक, संवेगात्मक सामाजिक क्षमता के सन्तुलन के लिए ‘आहार’ अव्यावश्यक पदार्थ है।

पोषण- जिन जटिल प्रक्रियाओं द्वारा Single सजीव प्राणी अपने शरीर के कार्यो वृद्धि तथा तत्वों के पुननिर्माण And भरण-पोषण के लिए आवश्यक पदार्थो का ग्रहण तथा उपयोग करता है। उसे पोषण कहते है।’’

डी0 एफ0 टर्नर के According- ‘‘पोषण उन प्रतिक्रियाओं का संयोजन है। जिनके द्वारा जीवित प्राणी क्रियाशीलता को बनाये रखने के लिए तथा अपने अंगों की वृद्धि And उनके पुन: निर्माण हेतु आवश्यक पदार्थ प्राप्त करता है और उनका उचित उपयोग करता है।’’

उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि भोजन केवल जीवन का अस्तित्व बनाए रखने के लिए ही नहीं, बल्कि अधिक से अधिक उत्तम स्वास्थ, शरीर का निर्माण, वर्धन, सुगठन क्षतिग्रस्त अवयवों And उनकी कोशिकाओं की क्षतिपूर्ति And ऊर्जा And ऊष्मा प्राप्ति के लिए आवश्यक है।

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