सामूहिक सौदेबाजी का Means

ऐतिहासिक दृष्टि से सामूहिक सौदेबाजी की अवधारणा का विकास सामूहिक सम्बन्धों के विकास के तृतीय चरण में हुआ। उत्पादन कार्य को प्रारम्भिक स्थिति में फल की प्राप्ति शक्ति के आधार पर की जाती थी दूसरी स्थिति में सामाजिक विधान के आधार पर और Third तीसरी स्थिति में पारस्परिक विचार-विमर्श And समझौते के आधार पर सामूहिक समझौते का निर्धारण And फल का वितरण प्रारम्भ हुआ। यही से सामूहिक सौदेबाजी का सूत्रपात हुआ।

समूहिक सौदेबाजी – दो Wordों की योग है – सामूहिक और सौदेबाजी सामूहिक Word का तात्पर्य है अनेक वर्गो या व्यक्तियों का समूह सेवायोजक या मालिकों और कर्मचारियों या श्रमिको का समूह और सौदेबाजी का Means है हिला डुलाकर अनुबंध करना। इस प्रकार सामूहिक सौदेबाजी की प्रक्रिया के अन्तर्गत सेवायोजक अथवा उनके प्रतिनिधि और श्रमिक अथवा उनके संघ के प्रतिनिधि किसी विवाद के प्रकरण पर Discussion करते है, गहन विवेचना करते है तथा समझौता करते है। वार्तालाप की इस प्रणाली के माध्यम से श्रमिक अपने हितों का संरक्षण तथा उनमें वृद्वि करने का प्रयास करते है। परिभाशायें : विभिन्न संगठनों, विशेषज्ञों व विद्वानों ने सामूहिक सौदेबाजी को विभिन्न ढंगो से परिभाषित Reseller है, कुछ प्रमुख परिभाशायें निम्नलिखित है।

  1. निर्माताओं का राष्ट्रीय संघ के According –’’सामूहिक सौदेबाजी की प्रक्रिया Single ऐसी विधि है जिसके द्वारा प्रबन्ध And श्रमिक Single Second की समस्याओं And दृष्टिकोण को सामने ला सकते है तथा सेवा सम्बन्धों की Reseller रेखा का विकास करते है दोनों पक्ष परस्पर सहयोग, प्रतिष्ठा तथा लाभ की दृष्टि से काम करते है’’ 
  2. एडविन फिलापों –’’सामूहिक सौदेवाजी से तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जिसके अन्तर्गत श्रम संगठनो के प्रतिनिधि तथा व्यावसायिक संगठन के प्रतिनिधि मिलते है तथा Single समझौता या अनुबन्ध करने का प्रयास करते है जो कर्मचारियों And सेवायोजक संघ के सम्बन्धों की प्रकृति का निर्धारण करता है’’ 

उपर्युक्त परिभाशाओं के अध्ययन से सामूहिक सौदेबाजी की प्रकृति को स्पष्ट Reseller जा सकता है –

  1. सामूहिक सौदेबाजी दो पक्षकारों के मध्य विवादों को सुलझाने की Single विधि है। 
  2. यह प्रंबध की Single प्रणाली है। 
  3. औद्योगिक प्रशासन का यह Single प्राReseller है। 
  4. श्रम को बेचने के लिए यह अनुबन्ध करने का Single साधन है। 
  5. यह कि सामूहिक समानता व वैधानिक सौदेबाजी का विकल्प है। 
  6. सामूहिक सौदेबाजी नियम बनाने वाली प्रक्रिया है। 
  7. सौदेबाजी में दोनो पक्ष भाग लेते है तृतीय पक्ष नहीं। 
  8. यह कि सामूहिक प्रक्रिया है। जिसमें श्रमिकों व सेवायोजकों के प्रतिनिधि भाग लेते है। 
  9. यह Single गतिशील प्रक्रिया है जो निरन्तर चलती रहती है क्योंकि व्यवसाय में प्रतिदिन नवीन चुनौतियां व समस्यायें आती रहती है And उनके समाधान हेतु यह प्रक्रिया सदैव चलती रहती है। 
  10. समूहिक सौदेबाजी से व्यावहारिक Reseller से औद्योगिक जनतंत्र की भावना जागृत होती है। 
  11. यह अन्तर अनुशासन था स्वशासन का Single सुन्दर Reseller है जो औद्योगिक संस्थाओं में पाया जाता है। 
  12. यह Single लोचपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें कोर्इ भी पक्ष अधिक कठोर Reseller नहीं अपना सकता। 
  13. इस प्रक्रिया में अनेक गतिविधियों को शामिल Reseller जाता है एडविन फिलापों के मतानुसार, ‘‘सामूहिक सौदेबाजी होने, मांग प्रस्तुत करने, विचार विमर्श करने, समीक्षा करने, प्रति-प्रस्ताव करने, मोलभाव करने, फुसलाने, धमकाने And ऐसी अनेक गतिविधियों की प्रक्रिया है’’ 
  14. इस प्रक्रिया का परिणाम श्रम अनुबन्ध नहीं, वरन Single व्यापार अनुबन्ध है। 
  15. इसमें बाहय हस्तक्षेप नहीं होता 
  16. समझौता दोनों पक्षकारों के सामूहिक सहयोग प्रतिष्ठा And लाभ की वृद्वि से Reseller जाता है। 
  17. सामूहिक सौदेबाजी दो सामान्य And परस्पर प्रतिकूल हित रखने वाले पक्षकारों के मध्य Singleता समन्वय की प्रक्रिया है। 

सामूहिक सौदेबाजी की विषय-सूची 

यद्यपि ऐसी कोर्इ खास व्यवस्था नहीं है कि सामूहिक सौदेबाजी में कौन-सी मदें शामिल की जाये और कौन सी इसके बाहर रहैं।, फिर भी मूल Reseller में कुछ समस्यायें जैसे- प्रबन्धकीय निर्णय और नीतियां इसके क्षेत्र के बाहर रहती है। सामूहिक सौदेबाजी में श्रमिक संघो की Safty, मजदूरी प्रमोषन, ट्रांस्फर, काम के घंटे, काम की दशायें, छुटिटयां, Safty And स्वास्थ्य, आदि से सम्बन्धित समस्याएं शामिल की जाती है। इसमें श्रमिकों ओर सेवायोजकों के बीच बढ़ते हुए विवादों को दूर करने के ढंगों में सुधार की भी व्यवस्था है इस तरह सामूहिक सौदेबाजी के अन्तर्गत विविध विषयों को शामिल Reseller जा सकता है।

मुददे : प्रारम्भिक काल में सामूहिक सौदेबाजी का प्रयोग मजदूरी कार्य के घंटे And रोजगार से सम्बन्धित शर्तों से सम्बन्धित था किन्तु आजकल सामान्यत: सवेतन अवकाश, छुटिटयां, अधिक समय कार्य के लिये वेतन, जबरी छुट्टी का नियमन, सवेतन बीमारी अवकाश, उत्पादन प्रमाव, पेंषन, वरिश्ठता, पदोन्नतियों, स्थानान्तरण तथा अन्य मुददे सामूहिक सौदेबाजी में सम्मिलित किये जाते हैं। इसमें आनुवंषिक लाभ, बीमारी व मातृत्व लाभ आदि मुददे भी सम्मिलित किए जाते है। सामूहिक सौदेबाजी अव संस्थागत हो चुकी है द्वितीय विश्व युद्व के उपरान्त सामूहिक सौदेबाजी काफी विकसित है। डेबी के According ‘‘सामूहिक सौदेबाजी में समझौता, प्रशासन निर्वचन, लिखित समझौता के According कार्य करना तथा उन्हें लागू करने और सामूहिक समन्वय क्रियायें सम्मिलित है। इनके अतिरिक्त , मजदूरी और वेतन दर का निर्धारण, कार्य के घंटे तथा नियोजन की दशाएं आदि समस्याएं भी सामूहिक सौदेबाजी के मुददों में सम्मिलित है।

सामूहिक सौदेबाजी सम्बन्धी मुददों की संक्षिप्त सूची – 
समझौता तथा इसका प्रशासन :-

  • प्रबन्धकीय अधिकार And दायित्व
  • संघीय Safty And स्थिति
  • इकरार को लागू करना
  • शिकायत प्रक्रिया । 
  • मध्यस्थता तथा पंच फैसला 

काम की Safty, पदोन्नति तथा छंटनी :

  • वरीयता का प्रावधान
  • भाड़ा तथा छंटनी प्रक्रिया 
  • प्रषिक्षण And पुन: परीक्षण 
  • विच्छेद भुगतान 
  • ओवर टाइम कार्य का आवंटन 

मजदूरी का निर्धारण : 

  • मूल मजदूरी की दरें And मजदूरी की संCreation । 
  • पेर्र णा व्यवस्था 
  • ओवर टाइम काम के लिए मजदूरी की दर
  • दो षिफ्टों में अन्तराल 
  • जीवन-निर्वाह सम्बन्धी समायोजन 

सीमावर्ती लाभ : 

  • पेंषन योजना 
  • स्वास्थ्य And बीमा योजना 
  • बीमारी पर छुटटी 
  • छुटिटयां And अवकाश 
  • लाभ में भागीदारी 

कम्पनी की क्रियायें :

  • काम के नियम
  • अनुशासन प्रक्रिया 
  • उत्पादन दर And मानक 
  •  Safty And स्वास्थ्य 
  • अवकाश की अवधि 
  • तकनीकी परिवर्तन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *