संसद के कार्य

Indian Customer ससंद के कार्य And शक्तियों को विधायी, कार्यपालिका, वित्तिय एंव अन्य श्रेणियों में वर्गीकृत Reseller जा सकता है ।

विधायी कार्य –

मूलतया संसद कानून बनाने वाली संख्या है । केन्द्र और राज्यों में शक्ति विभाजन Reseller गया है जिसके लिए तीन सूचियां है- संघसूची राज्य सुची And समवर्ती सूची। संघ सूची में 97 विषय हैं और संघ सूची में described विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केवल संसद को है। राज्य सूची में described विषय पर कानून राज्यों की ब्यवस्थापिका बनाती है समवर्ती सूची के विषयो पर दोनों, राज्य And केन्द्र की व्यवस्थापिका कानून बना सकती है। परन्तु समवर्ती सूची के किसी विषय पर संसद तथा राज्य दोनों कानून बनातें है ओैर दोनों द्वारा बनाए कानून में अतं र्विरोध है, तो केन्द्र द्वारा बनाए गए कानून को मान्ंयता दी जायेगी। ऐसा कोर्इ विषय जिसका History किसी भी सूची में नही Reseller गया हो तो ऐसी अविशिष्ट शक्तियां संसद के पास है कि वह उस विषय पर कानून बना सकेगी। इस प्रकार संसद की कानून निर्माण संबंधी शक्तियां बहुत विस्तृत है। इसके अंतर्गत संघ सूची, समवर्ती सूची तथा कुछ परिस्थितियों में राज्य सूची में described विषय भी आ जाते हैं

कार्य पालिका संबंधी कार्य-

संसदीय शासन प्रणाली में विधायिका तथा कार्यपालिका में घनिष्ठ सबंध होता हैं। अपने All के कार्यो के लिए कार्यपालिका विधायिका के प्रति उत्तरदायी होती है। प्रधानमंत्री सहित मंत्रिपरिषद् व्यक्तिगत तथा सामूहिक Reseller से ससंद के प्रति उत्तरदायी होती है । ससंद अविश्वास प्रस्ताव पारित कर मंत्रिपरिषद् को पदच्युत कर सकती है। भारत में ऐसा कर्इ बार हुआ है। ऐसा 1999 में हुआ जब अटल बिहारी बाजपेगी की सरकार केवल Single मत से लोक सभा में विश्वास मत प्राप्त करने में असफल रही और उसने त्यागपत्र दे दिया। अत: अविश्वास मत या विश्वास मत संसद द्वारा कार्यपालिका पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए सर्वाधिक कठोर तरीका है। इसका प्रयोग केवल विशेंष परिस्थितियों में ही Reseller जाता है। नित्य प्रति के कार्यो में भी संसद कर्इ प्रकार से कार्यकालिका पर अपना नियंत्रण बनाए रखती है। उनमें से कुछ इस प्रकार है :-

  1. केन्द्रीय सरकार से संबंधित मामलों में किसी भी विषय के बारे में सांसद प्रश्न अथवा परू क प्रश्न कूछ सकते है । ससंद के प्रत्यके कार्य दिवस का पहला घंटा प्रश्नकाल का होता हैं। जिसमें मंत्रियों को सांसदों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देने होते है।
  2. यदि सदस्य सरकार द्वारा दिए गए उत्तरों से संतुष्ट नहीं होते तो वे उस विषय पर अलग से Discussion करने की मागं कर सकते है ।
  3. संसद कर्इ प्रस्तावों के माध्यम से भी कार्यपालिका पर नियंत्रण बनाए रखती है। उदाहरण के लिए, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव या स्थगन प्रस्ताव कुछ ऐसे साधन है जिनके द्वारा लोक महत्व के तत्कालीन अत्यावश्यक मामले उठाये जाते हैं। सरकार इन प्रस्तावों को बडी गम्भीरता से लेती है क्योंकि इसमें सरकारी नीतियों की कडी आलोचना की जाती है। जिसका प्रभाव जनता पर पड़ता है। संसद के समक्ष आखिर तो सरकार को जाना पडता है और यदि इस प्रकार का कार्इे प्रस्ताव पारित हो जाता है तो सरकार निदित मानी जाती है।
  4. बजट अथवा धन विधेयक, ही नहीं किसी साधारण विधेयक को भी अस्वीकार करके लोक सभा मंत्रिपरिषद् में अपना अविश्वास प्रकट कर सकती है।

वित्तिय कार्य-

संसद महत्वपूर्ण वित्तिय कार्य करती है। इसे सरकारी धन का संरक्षक माना जाता है। यह केन्द्रीय सरकार की सम्पूर्ण आय पर नियंत्रण बनाए रखती है। बिना संसद की आज्ञा के कोर्इ धन राशि व्यय नहीं की जा सकती। यह स्वीकृति वास्तविक व्यय से पूर्व या फिर किसी असाधारण स्थिंति में व्यय के पश्चात ली जा सकती है। संसद हर वषर्ं सरकार के आय-व्यय Meansात बजट को स्वीकृति प्रदान करती है।

निर्वाचन संबंधी कार्य-

संसद के All निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव हेतु निर्वाचक मडंल के सदस्य होते है। इसलिए, राष्ट्रपति के निर्वाचन में वे भाग लेते है द्यै वे उपराष्ट्रपति का भी चुनाव करते है। लोक सभा अपने अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का तथा राज्य सभा अपने उपसाभापति का निर्वाचन करती हैं।

अपदस्थं करने की शक्ति-

संसद की पहल पर कर्इ महत्वपूर्ण उच्चस्तरीय अधिकारियों को उनके पद से हटाया जा सकता है। भारत के राष्ट्रपति को महाभियोग की प्रReseller से अपदस्थ Reseller जा सकता है। यदि संसद के दोनो सदन विशेष बहुमत से प्रस्ताव पारित करे तो सर्वोच्च न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को राष्ट्रपति द्वारा पदच्युत कराया जा सकता है।

संविधान संशोधन संबंधी कार्य-

संविधान के अधिकांश भागों में संशोधन विशेष बहुमत द्वारा Reseller जा सकता है। परन्तु कुछ प्रावधान ऐसे है। जिनमें संसद द्वारा संशाोधन के लिए राज्यों का समर्थन भी आवश्यक है। भारत Single सघं राज्य होने के नाते संसद की संशोधन सबंधी शक्तियां अत्यंत सीमित रखी गर्इ हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने Single निर्णय में यह कहा है कि संसद संविधान संविधान का मूल ढांचा नहीं बदल सकती। आप Single अन्य पाठ में संविधान संबधीं संशोधन प्रक्रिया को First ही पढ चुके है।

विविध कार्य-

उपरोक्त कार्यो के अरिरिक्त संसद कर्इ अन्य कार्य भी करती है जो इस प्रकार है:-

  1. यघपि आपातकाल की घोषणा करने की शक्ति राष्ट्रपति की है तथापि आपातकाल की All ऐसी घोषणाओं को स्वीकृति की है। लोक सभा तथा राज्य सभा दोनों की स्वीकृति संसद ही प्रदान करती आवश्यक है।
  2. किसी राज्य से कुछ क्ष़त्रे अलग करके दो या दो से अधिक राज्यों को मिलाकर संसद किसी नए राज्य का निर्माण कर सकती हैं। यह किसी राज्य की सीमाएॅं अथवा नाम में भी परिवर्तन कर सकती है । कुछ वर्ष पूर्व (2002) में छत्तीसगढ, झारखण्ड तथा उत्तरांचल (अब उत्तराखंड ) नए राज्य बनाए गये।
  3. संसद किसी नए राज्य का विलय Indian Customer संध में कर सकती है। जैसे 1975 में सिक्किम को भारत में विलय Reseller गया। घ. संसद राज्य विधान परिषद् को समाप्त कर सकती हैं अथवा इसका निर्माण भी कर सकती है ।

परन्तु यह केवल सबंधित राज्य के अनुरोध पर ही Reseller जाता हैं। हमारी राजनीतिक व्यवस्था की संधात्मक प्रकृति के कारण यघपि संसद की शक्तियां सीमित हैं, तथापि इसे अनेक कार्य करने होते है। अपना दायित्व निभाते समय, इसे जनता की आकांक्षाओं तथा Needओं का पूरा ध्यान रखता पड़ता है। देश में सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक संघर्षो को हल करने का माध्यम संसद है। विदेश नीति निर्माण जैसे राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर जनमत निर्माण करने में भी यह सहायक प्रदान करती है।

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