Word शक्ति क्या है?

वर्णों के सार्थक समूह को Word कहते हैं किन्तु किसी Word का Means उसके प्रयोग पर निर्भर करता है। अत: Word में अन्तर्निहित Means को प्रकट करने वाले व्यापार को Word-शक्ति कहते हैं। प्रत्येक Word में वक्ता के अभीष्ट Means को व्यक्त करने का जो गुण होता है, वह Word शक्ति के कारण ही होता है। शक्ति के According Word तीन प्रकार के होते हैं।

  1. वाचक 
  2. लक्षक और 
  3. व्यंजक। 

वाचक Word द्वारा व्यंजित Means वाच्यार्थ या अभिधेयार्थ कहलाता है, लक्षक के द्वारा आरोपित Means लक्ष्यार्थ कहलाता है तथा व्यंजक Word के द्वारा प्रकट अन्य Means या व्यंजित भाव व्यंग्यार्थ कहलाता है।

Word शक्ति के प्रकार

Word And Means के सम्बन्ध के According Word शक्ति तीन प्रकार की होती है-

  1. अभिधा 
  2. लक्षणा 
  3. व्यंजना

अभिधा Word शक्ति 

अभिधा Word-शक्ति की परिभाषा देते हुए पं. रामदहिन मिश्र ने कहा कि ‘‘साक्षात् संकेतित Means के बोधक व्यापार को अभिधा Word शक्ति कहते है।’’ आचार्य मम्मट के According साक्षात् संकेतित Means जिसे मुख्यार्थ कहा जाता है उसका बोध कराने वाले व्यापार को अभिधा व्यापार कहते हैं। Single रीतिकालीन आचार्य के According अनेकार्थक हू सबद में, Single Means की भक्ति। तिहि वाच्यारथ को कहै, सज्जन अभिधा शक्ति।।

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि किसी Word के मुख्यार्थ का, वाच्यार्थ का, संकेतित Means का, सरलार्थ का, Wordकोशीय Means का, नामवाची Means का, लोक प्रचलित Means या अभिधेय Means का बोध कराने वाली शक्ति अभिधा Word शक्ति होती है। अत: Word की जिस शक्ति के कारण किसी Word का मुख्य Means समझा जाता है वह अभिधा Word शक्ति कहलाती है। बहुत से Word ऐसे होते हैं जिनके Word कोश में भी अनेक Means होते हैं जैसे कनक। कनक का Means सोना भी होता है और धतूरा भी। कनक का कौनसा Means लिया जाय, इसका ज्ञान प्रसंग से अथवा वाक्य के अन्य Wordों के साथ उसके संबंध से होता है। इसी प्रकार अन्य उदाहरण भी दिए जा सकते हैं-

  1. मोती Single नटखट लड़का है।
  2. उसके हार के मोती कीमती हैं।
  3. हरि पुस्तक पढ़ रहा है।
  4. विष्णु ने नारद को हरि Reseller दिया। (बन्दर)
  5. गाय दूध देती है।
  6. गधा घास चर रहा है।
  7. शेर जंगल में रहता है।

लक्षणा Word शक्ति 

मुख्यार्थ बाधेतद्योगे रूढितोSथ प्रयोजनात्। अन्यSर्थो लक्ष्यते (तत्र) लक्षणा रोपिता क्रिया।। जब किसी वक्ता द्वारा कहे गये Word के मुख्य Means से अभीष्ट Means का बोध न हो Meansात् Word के मुख्यार्थ में बाधा हो तब किसी रूढ़ि या प्रयोजन के आधार पर मुख्यार्थ से सम्बन्ध रखने वाले अन्य Means या लक्ष्यार्थ या आरोपितार्थ से अभिप्रेत Means यानी इच्छित Means का बोध होता है वहाँ लक्षणा Word शक्ति होती है। अत: लक्षणा Word शक्ति के लिए निम्न तीन बातें आवश्यक हैं।

  1. Word के मुख्य Means में बाधा पड़े।
  2. Word के मुख्यार्थ से सम्बन्धित कोई अन्य Means लिया जाए।
  3. उस Word के लक्ष्यार्थ को ग्रहण करने का कोई विशेष प्रयोजन हो।
लक्षणा Word शक्ति के मुख्यत: दो भेद होते हैं (i) रूढ़ा लक्षणा (ii) प्रयोजनवती लक्षणा।

(i) रूढ़ा़ लक्षणा : जब किसी काव्य रूढि या परम्परा को आधार बनाकर Word का प्रयोग लक्ष्यार्थ में Reseller जाता है, वहाँ रूढ़ा लक्षiणा Word-शक्ति होती है। Meansात् रूढ़ा लक्षणा Word शक्ति में Word अपना नियत या मुख्य Means छोड़कर रूढ़ि या परम्परा प्रयोग के कारण भिन्न Means यानी लक्ष्यार्थ का बोध कराता है। हिन्दी के All मुहावरे रूढ़ा लक्षणा के अन्तर्गत आते हैं। जैसे –

  1. वह हवा से बातें कर रहा है।
  2. बाजार में लाठियाँ चल गई।
  3. उसने तो मेरी नाक कटा दी।
  4. पुलिस को देख चोर नौ दो ग्यारह हो गया।
(ii) प्रयोजनवती लक्षणा : जब किसी विशेष प्रयाजे न से प्रेरित होकर Word का प्रयागे लक्ष्यार्थ में Reseller जाता है, Meansात् जहाँ मुख्यार्थ किसी प्रयोजन के कारण लक्ष्यार्थ का बोध कराता है वहाँ प्रयोजनवती लक्षणा होती है। जैसे –

  1. उसका आश्रम गंगा में है।
  2. अब सिंह अखाड़े में उतरा।
  3. लाल पगड़ी आ रही है।
  4. वह तो निरी गाय है।
  5. अध्यापक जी ने कहा, मोहन तो गधा है।

व्यंजना Word शक्ति 

जब किसी Word के अभिप्रेत Means का बोध न तो मुख्यार्थ से होता है और न ही लक्ष्यार्थ से, अपितु कथन के सन्दर्भ के According अलग अलग Means से या व्यग्ं यार्थ से हो, वहाँ व्यंजना Word-शक्ति होती है। जैसे- प्रधानाचार्य जी ने कहा, ‘‘साढ़े चार बज गये।’’ पुजारी ने कहा, ‘‘अरे ! सन्ध्या हो गई।’’

व्यंजना Word शक्ति भी मुख्यत: दो प्रकार की होती है।

  1. शाब्दी व्यंजना 
  2. आर्थी व्यंजना 

(i) शाब्दी व्यजना : वाक्य मे प्रयुक्त व्यंग्याथर् जब किसी Word विशेष के प्रयोग पर ही निर्भर करता है Meansात् उस Word के हटाने पर या उसके स्थान पर उसके किसी पर्यायवाची Word रखने पर व्यंजना नहीं रह पाती, वहाँ शाब्दी व्यंजना होती है। अत: शाब्दी व्यंजना केवल अनेकार्थ Wordों में ही होती है जैसे – चिरजीवो जोरी जुरै, क्यों न सनेह गंभीर। को घटि, ये वृषभानुजा, वे हलधर के बीर।।

यहाँ ‘वृषभानुजा’ के दो Means हैं गाय तथा राधा; वही ‘हलधर’ के भी दो Means हैं बैल और बलराम (कृष्ण के भाई)। अत: Wordों के दोनों Meansों पर ध्यान जाने से ही छिपा Means व्यंजित होता है। अन्य उदाहरण ‘पानी गये न ऊबरे, मोती मानुस, चून।’

(ii) आर्थी व्यंजना : जब व्यंजना किसी Word विशेष पर निर्भर न हो, Meansात उस Word का पर्याय रख देने पर भी बनी रहे, वहाँ आर्थी व्यंजना होती है। आर्थी व्यंजना बोलने वाले, सुनने वाले, Word की सन्निधि, प्रकरण, देशकाल, कण्ठस्वर आदि का बोध कराती है। यथा सघन कुंज, छाया सुखद, सीतल मंद समीर। मन ह्वै जात अजौ वहै, वा यमुना के तीर।।

यहाँ कृष्ण के वियोग में राधा या गोपी के हृदय में कृष्ण के साथ यमुना तट पर बिताये गए दिनों, क्रीड़ा-विलास आदि के विषय में बताया गया है।

अभिधा एवम् लक्षणा में अन्तर 

अभिधा Word शक्ति में मुख्यार्थ से अभिप्रेत Means का बोध होता है जबकि लक्षणा Word शक्ति में मुख्यार्थ के बाधित होने पर किसी रूढ़ि या प्रयोजन से लक्ष्यार्थ द्वारा अभिप्रेत Means का बोध होता है। जैसे- ‘गाय दूध देती है’ में ‘गाय’ Word में अभिधा Word शक्ति का बोध होता है जबकि ‘‘उस बुढ़िया को मत सताओ, वह तो निरी गाय है।’’ यहाँ ‘निरीगाय’ में लक्षणा Word शक्ति प्रयुक्त हुई है।

लक्षणा और व्यंजना Word शक्ति में अन्तर 

लक्षणा Word शक्ति में मुख्यार्थ के बाधित होने पर किसी रूढ़ि या प्रयोजन के आधार पर लक्ष्यार्थ से अभिप्रेत Means का बोध होता है जबकि व्यंजना Word शक्ति में न तो मुख्यार्थ से और न ही लक्ष्यार्थ से बल्कि कथन के सन्दर्भ के According अलग-अलग Means या व्यंजित व्यंग्यार्थ से अभिप्रेत Means का बोध होता है। उदाहरण – लक्षणा Word शक्ति – मैंने उसे नाकों चने चबवा दिये। व्यंजना Word शक्ति – बातें करती हुई गृहिणी ने कहा, ‘‘अरे ! सन्ध्या हो गई।’’

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