विज्ञापन क्या है ?

आधुनिक युग विज्ञापन का युग हैं, इसके अभाव में उद्योग And व्यापार की उन्नति संभव नहीं है अब तक विज्ञापन का Means सूचना देना, सूचित करना तथा जानकारी देना आदि तक सीमित था, लेकिन आधुनिक औद्योगिक जगत में तथा प्रतिस्पर्द्धा के युग में इसका Means अधिक विस्तृत हो गया है आज के वैज्ञानिक युग मे विज्ञापन Word की परिभाषा के अन्तर्गत हम उन All साधनों का समावेश करते है। जिनके द्धारा विक्रेता And उपभोगकर्ता को नवीन वस्तुओं की उत्पित्त,, गुण And मूल्य आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है संक्षेप मे हंम यह कह सकते हैं कि व्यापारिक दृष्टिकोण से विज्ञापन का तात्पर्य उन क्रियाओं से है, जो किसी वस्तु अथवा सेवा की उपयोगिता का जनता के ऊपर प्रभाव डालने से संबंध रखती हैं।

विज्ञापन बिना वैयक्तिक विक्रयकर्ता के विक्रय कला है’’ इस प्रकार विज्ञापन वस्तु या सेवा की मॉंग उत्पन्न करने की कला है यह Single प्रकार की ऐसी व्यापारिक शक्ति है जो मुद्रित Word के द्वारा विक्रय करती है तथा विक्रय कराने में सहायक होती है, कीर्ति का निर्माण करती हैं And ख्याति में वृद्धि करती है।

विज्ञापन के उद्देश्य

विज्ञापन आधुनिक व्यापार का जीवन रक्त कहा जाता है, इसके बिना व्यावसायिक उन्नति संभव नहीं है Single प्रसिद्ध विद्वान के According ‘‘विज्ञापन का उद्देश्य उत्पादक अथवा निर्माता को लाभ पहुॅंचाना, उपभोक्ता को शिक्षित करना, विक्रेता को सहायता देना, प्रतिस्पर्द्धा को समाप्त कर व्यापारियों को अपनी ओर आकशित करना और सबसे अधिक तो उत्पादन और उपभोक्ता में सबंधं स्थापित करना है’’ विज्ञापन के उद्देश्य  हैं-

  1. वस्तुुओं के बारे में जानकारी देना – विज्ञापन का प्रमुख उद्देश्य निर्मित वस्तुओं के संबंध में अधिक से अधिक लोगों को जानकारी देना है जब तक वस्तुओं के बारे में सामान्य जनता को जानकारी नहीं होगी, तब तक उसकी इच्छा उसे खरीदने की नहीं होगी, तब तक वस्तुओं का विक्रय होना असंभव है।
  2. मॉंग उत्पन्न करना – विज्ञापन का दूसरा उद्देश्य बाजार में वस्तु की मॉंग उत्पन्न करना है बाजार में वस्तु की मॉंग तभी पैदा होती है, जब उपभोक्ताओं के समक्ष वस्तु का बार-बार विज्ञापन And प्रचार Reseller जाता है, जिससे जनता में उसे क्रय करने की इच्छा जागृत होती है फलस्वReseller उसकी मॉंग होने लगती है।
  3. मॉंग में वृद्धि करना – मॉंग उत्पन्न करने के साथ-साथ विज्ञापन का यह भी उद्देश्य है, कि नए-नए ग्राहको को खोजकर वस्तु की मॉंग में वृद्धि करना भी है यह कार्य विज्ञापन के विविध साधनो के प्रयोगो द्वारा Reseller जाता सकता है।
  4. ख्याति में वृद्धि करना – विज्ञापन के द्वारा वस्तु के साथ-साथ व्यवसाय की साख में भी वृद्धि होती है निरन्तर विज्ञापन करने से उत्पादन करने वाली संस्था के प्रति जनता में विश्वास जागृत होता है।
  5. मॉंग को स्थिर बनाए रखना – निर्माता विज्ञापन के द्वारा वस्तुओं की मॉंग को स्थिर बना रखने के लिए प्रयोग करता है विज्ञापन केवल वस्तु का प्रचार ही नहीं करता, अपितु जनता में उत्पन्न भ्रांतियों को दूर करता है और वस्तु के गुणों का विज्ञापन द्वारा प्रचार करता है विज्ञापन के द्वारा मूल्य उपयोगिता And उपयोग की विधि संबंधी जानकारी दी जाती है इससे जनता में विश्वास पैदा होता है और वस्तुओ की मॉंग निरन्तर बनी रहती है।
  6. नवीन उत्पादन के लिये मांग का आधार तैयार करना – जब किसी नर्इ वस्तु का उत्पादन या निर्माण Reseller जाता है तो उसे बाजार मे प्रचलित करने के लिए विज्ञापन अनिवार्य सा हो जाता है विज्ञापन के माध्यम से ऐसे नए उत्पाद के लिए आधार तैयार Reseller जाता है और प्रत्येक संभावित क्रेता या ग्राहक को ऐसी वस्तु की विशेषताओं से परिचित कराया जाता है।
  7. विक्रेता की सहायता करना – विज्ञापन के द्वारा विक्रेता के विक्रय कार्य में सहायता मिलती है विज्ञापन से ग्राहकों को पूर्व में ही वस्तु के बारे में वस्तु के गुण, मूल्य, प्रकार, आकार आदि के बारे में जानकारी हो जाती है फलस्वReseller ग्राहक उस वक्त वस्तु को प्राप्त करने के लिए विक्रेता के पास आता है इस प्रकार विक्रेता को ग्राहकों को समझाने की Need नहीं होती और न ही वस्तु के बारे में कुछ कहना पड़ता है क्योंकि ग्राहक विज्ञापन के माध्यम से पूर्ण जानकारी प्राप्त कर चुका।
  8. क्रय की विवेकशीलता विकसित करना – विज्ञापन का उद्देश्य क्रेता को विवेकशील बनाना है इसकी सहायता से विज्ञापनकर्ता की वस्तु तथा प्रतियोगी संस्था की वस्तु में अन्तर कर सकने की क्षमता क्रेता मे आती है ओर बेहतर वस्तु के चुनाव करने के लिए वह तैयार होता है।
  9. नए प्रयोगो की जानकारी देना – विज्ञापन का उद्देश्य वस्तुओं के नए-नए प्रयोग तथा प्रयोग की विधियों की पर्याप्त जानकारी देना भी है, ताकि क्रेता पूरा-पूरा लाभ उठा सके।
  10. परिवर्तर्नों के बारे में जानकारी देना – विज्ञापन का महत्वपूर्ण उद्देश्य संस्था की नीतियॉं, वस्तुओं की किस्म, बनावट, मूल्य आदि मे परिवर्तन की सूचना देना भी होता हैं।
  11. अन्य उद्देश्य – उपर्युक्त उद्देश्यों के अतिरिक्त विज्ञापन के कर्इ उद्देश्य है जैसे उपभोक्ताओं को स्मरण दिलाना, मध्यस्थों को वस्तु बचे ने के लिए विवश करना, मध्यस्थों व विक्रेताओं का नैतिक स्तर उन्नत करना, नए बाजार में प्रवेश करना, संस्था की साख बढ़ाना, स्थानापन्न वस्तुओं का मुकाबला करना आदि।

    विज्ञापन की Need या महत्व 

    वर्तमान युग में विज्ञापन का महत्व All क्षेत्रों में बहुत अधिक बढ़ गया है प्राचीनकाल में जब मनुष्य की Need सीमित थी, उस समय विज्ञापन का कोर्इ महत्व नहीं था, किन्तु उत्पादन And बाजार के विस्तार के साथ-साथ विज्ञापन का महत्व भी बढ़ता गया वर्तमान में विज्ञापन के विभिन्न साधनों का प्रयोग Reseller जाता है, अत: यह कहा जा सकता है कि विज्ञापन ग्राहकों को आकृष्ट करने का सबसे अधिक शक्तिशाली तथा प्रभावकारी साधन है।

    विज्ञापन के लाभ 

    1. बिक्री में वृद्धि -वर्तमान युग विज्ञापन का युग कहलाता हैं कोर्इ भी व्यवसायी चाहे छोटा हो या बड़ा विज्ञापन के बिना सफलता प्राप्त नहीं कर सकता वर्तमान में विज्ञापन को आधुनिक श्रंृगारमय And आकर्षक तरीकों से Reseller जाता है इन विज्ञापनों से ग्राहक प्रभावित होते है। और इस प्रकार बिक्री में वृद्धि होती है बिक्री में वृद्धि होने से विक्रेता के लाभ में वृद्धि होती है।
    2. रोजगार में वृद्धि – रोजगार के दृष्टिकोण से भी विज्ञापन अत्यन्त महत्वपूर्ण है, क्योंकि अधिकांश व्यक्ति विज्ञापन संबंधी कार्यो में ही संलग्न रहते हैं इससे ही उनका जीवन निर्वाह होता है विज्ञापन कार्य के लिए कर्इ प्रकार के व्यक्तियों की Need होती है जैसे- लेखक, कलाकार, विशेषज्ञ आदि आजकल तो कर्इ व्यावसायिक संस्थाएॅं ऐसी खुल गर्इ है।, जिनका कार्य केवल विज्ञापन करना है।
    3. लागत व्यय में कमी – आज के प्रतियोगी बाजार में वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि करके अधिक लाभ कमाना संभव नहीं है इसके विपरीत वह विज्ञापन द्वारा वस्तुओं की मॉंग में वृद्धि करके उन्हें अधिक मात्रा में उत्पादन करके उनकी लागत में कमी करने का प्रयास करता है अधिक मात्रा में किसी वस्तु का उत्पादन लागत में कमी करने यह निश्चित है कि उस वस्तु का उत्पादन मूल्य कम हो जाता है इस प्रकार विज्ञापन And कुशल प्रबंध द्वारा वस्तुओं का विक्रय मूल्य घटाया जात सकता है मूल्य कम होने से वस्तुओ की बिक्री अधिक होती है इससे विक्रेता और ग्राहक दोनों लाभान्वित होते है।
    4. विक्रेताओं को प्रोत्साहन – विज्ञापन के द्वारा विक्रेताओं का कार्य बहुत आसान हो जाता है अब विक्रेता को वस्तु के मूल्य, गुण And प्रयोग के बारे में समझाने की अधिक आवश्कता नहीं होती, क्योंकि यह कार्य विज्ञापन द्वारा हो जाता है अब तो उन्हे केवल आदेश प्राप्त करने का कार्य ही शेष रह जाता है इससे स्पष्ट है कि विज्ञापन के द्वारा विक्रेताओं को बहुत प्रोत्साहन मिलता है।
    5. विज्ञापन अधिक मात्रा में वस्तुएॅं उपलब्ध कराने में योगदान करता है – विज्ञापन द्वारा नर्इ वस्तुओं को प्रयाग करने की शिक्षा दी जाती है जब कोर्इ नर्इ वस्तु बाजार में आती है। तो प्रारंभ में बहुत कम लोग उसे तत्काल खरीदते हैं अधिक लोग उस वस्तु का प्रयोग करें, इसके लिए यह Need है कि उन्हें उनकी उपयोगिता And Need के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए नया विज्ञापन उत्पादकों के लिए लोगों में इच्छाएॅं जागृत करता है और पुरानी आदतों को बदलने में सहायक होता है।
    6. विज्ञापन उत्पाद सुधार में Single महत्वपूर्ण घटक है – अनेक कम्पनियों द्वारा बनार्इ गर्इ वस्तुओं के ब्रांड, गुण, डिजाइन And पैकिंग में समानताएॅं हो सकती है इसलिए प्रत्येक निर्माता का यह दायित्व है कि वह स्वयं के द्वारा निर्मित वस्तुओं की श्रेष्ठता का परिचय विज्ञापन में तुलनात्मक श्रेष्ठ्ता का History कर बिक्री बढ़ाने का प्रयास करता है इसलिए प्रत्येक निर्माता को अपनी वस्तुओं को श्रेष्ठतर बनाने का ज्ञान भी हो जाता है अत: प्रत्येक उद्योगपति अपने उत्पाद को अधिक उत्त्ाम बनाना चाहता है, उसे सुविधाजनक, टिकाऊपन, आकर्षक पैकिगं और कम मूल्य में देने का प्रयत्न करता है अत: वर्तमान प्रतियोगी Meansव्यवस्था मे विज्ञापित वस्तु में निरन्तर सुधार होना आवश्यक हो जाता है विज्ञापन से संस्थाओं का आकार बढ़ता है, विशिष्टीकरण को प्रोत्साहन मिलता है और नए-नए आविष्कारा संभव होते हैं ।
    7. वस्तुओं के लिए स्थायी मॉंग – विज्ञापन Single ऐसा साधन है, जिसके द्वारा किसी वस्तु की मॉंग को स्थार्इ रखा जा सकता है उदाहरण के लिए हम बाटा के जूतों को लेते हैं, समाचार पत्रों मे इस प्रकार का विज्ञापन निकाला जाता हैं कि’’बाटा के जूते पहनिये, यह गर्मियों में ठण्डे और सर्दियों में गर्म रहते हैं’’ अधिकांश व्यक्ति इन विज्ञापनों से प्रभावित होकर वर्षभर बाटा के जूते पहनने लगते हैं इससे जूतो की मॉंग भी स्थायी बन जाती है। 
    8. मध्यस्थों की संख्या में कमी – मध्यस्थों की संख्या अधिक होने के कारण वस्तुओं के मूल्य बढ़ जाते हैं और इसका प्रभाव प्रत्यक्ष Reseller से उपभोक्ताओं पर अच्छा नहीं पड़ता है, लेकिन विज्ञापन के द्वारा मध्यस्थों को कम Reseller जा सकता है और उपभोक्ताओं से उत्पादनकर्त्त्ााओं का प्रत्यक्ष संबंध स्थापित हो जाता है तथा वस्तुओं का मूल्य भी कम हो जाता है इसका परिणाम यह होता है कि उपभोक्ताओं को कम मूल्य पर वस्तुएॅं उपलब्ध हो जाती है तथा बिक्री मे भी वृद्धि होती है।
    9. नवनिर्मित वस्तुओं की मॉंग में वृद्धि – विज्ञापन के द्वारा जनता को नवनिर्मित वस्तुओं का ज्ञान करवाया जाता है विज्ञापन के द्वारा जनता को वस्तुओं के गुणों को इस प्रकार बताया जाता है कि ग्राहक तुलनात्मक अध्ययन कर यह सुनिश्चित कर सके कि जो वस्तु चलन में आर्इ है, वह गुणों में अन्य वस्तुओं की अपेक्षा अच्छी है ऐसा होने से पुरानी वस्तुओं की मॉंग कम हो जाती है और नर्इ वस्तुओं की मॉंग बढ़ जाती है यह सब विज्ञापन द्वारा ही संभव है इस प्रकार विज्ञापन से नवनिर्मित वस्तुओं की मॉंग में वृद्धि होती है।
    10. प्रबधकों व मजदूरों को प्रोत्साहन – विज्ञापन से प्रबंधको व मजदूरों को भी प्रोत्साहन मिलता है प्रबंधक And मजदूर इस बात का प्रयास करते हैं कि उन्होने अपनी वस्तु के जो गुण विज्ञापन में बताए है, वे पूर्ण Reseller से पूरा करें,, जिससे कि बाजार में उनकी वस्तु की ख्याति में वृद्धि हो सके अधिक बिक्री होने से इन्हें कार्य करने की प्रेरणा मिलती है और भविष्य में और अधिक अच्छी वस्तु बनाने का प्रयास करते हैं।

    विज्ञापन की हानियॉं

    यद्यपि विज्ञापन का व्यावसायिक And औद्योगिक जगत में विशिष्ट महत्व है, तथापि यह दोषों में मुक्त भी नहीं है विज्ञापन की हानियों या दोषों को  विभक्त Reseller जात सकता है-

    1. धन का अपव्यय – विज्ञापन के कारण कर्इ उपभोक्ता उन वस्तुओं को भी खरीद लेते हैं जो कि उनके लिए आवश्यक नहीं होती हैं इस प्रकार उनका सीमित धन अनावश्यक वस्तुओं पर खर्च हो जाता है ऐसा करने से धन का अपव्यय होता हैं।
    2. मिथ्या विज्ञापन – विज्ञापन Single उग्र विद्या बन गर्इ है। क्योंकि इसके द्वारा बहुत-सी मिथ्या बातों का प्रचार Reseller जाता है, जैसे- ‘‘आज ही सौ Resellerये भेजकर Single घडी़ व रेडियो प्राप्त करें’’ आदि जनता इस प्रकार विज्ञापनों से प्रभावित होकर हानि उठाती है, क्योंकि इसमें सत्यता का अभाव होता है हमारे देश में इस प्रकार के विज्ञापन बहुत देखने को मिलते है। 
    3. फैशन में परिवर्तन – विज्ञापन के द्वारा फैशन में बहुत परिवर्तन आता है इस कारण विक्रेता और उपभोक्ता दोनों को हानि होती है विक्रेता के पास जो पुराने फैशन का माल रखा है, वह बेकार हो जाता है, क्योंकि फैशन में परिवर्तन के कारण उपभोक्ता उसे नहीं खरीदते उपभोक्ता के दृष्टिकोण से भी यह हानिप्रद इसलिए है कि फैशन में परिवर्तन होने के कारण उन्हें अपनी पुरानी वस्तुओं में भी कुछ परिवर्तन करवाने के लिउ व्यय करना पड़ता है।
    4. उपभोक्ताओं पर बोझ – विज्ञापन करने में प्रत्येक व्यवसायी को धन व्यय करना पड़ता है इस व्यय का भार प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष Reseller से उपभोक्ताओं पर पड़ता है, क्योंकि विक्रेता तो इस व्यय को वस्तु के मूल्य मे जोड़ देते हैं।
    5. चंचलता – विज्ञापन के प्रभाव से उपभोक्ता का मन चलायमान हो जाता है वह उस वस्तु के उपभोग को छोड़ देता है जिसके विषय मे उसने पूर्व मे निश्चय Reseller था और उस वस्तु का उपभोग करने लगता है, जिसके लिए वह विज्ञापन से प्रभावित होता है।
    6. प्रतिस्पर्द्धा को जन्म – विज्ञापन से प्रतिस्पर्द्धा के क्षेत्र में विस्तार होता है, जिससे निर्माताओं को वस्तुओं के मूल्य में अनायास कमी करनी पड़ती है इस प्रकार वस्तुओं के मूल्य की कमी की पूर्ति उनकी गुणवत्त्ाा घटाकर की जाती है।
    7. सामाजिक बुराइयों में वृद्धि – जो विज्ञापन आरामदायक और विलासिता संबंधी वस्तुओं के संबंध में Reseller जाता है उसके कर्इ सामाजिक दुष्परिणाम निकलते हैं जब किसी व्यक्ति को किसी Single विशेष चीज के उपभोग की आदत पड़ जाती है, तो उसका छूटना बहुत कठिन हो जाता है अत: विज्ञापनों से सामाजिक बुराइयों में वृद्धि होती है।
    8. स्वच्छता मे कमी – विज्ञापन प्राय: दीवारों पर लिखकर या पोस्टर चिपकाकर Reseller जाता है इसमे चारों ओर गंदगी बढ़ जाती है तथा मकानों की दीवारों व सड़कें आदि गंदी दिखार्इ देने लगती है।
    9. Singleाधिकार का भय – जिन वस्तुओं का विज्ञापन निरन्तर होता रहता है, उन वस्तुओं का बाजार में Singleाधिकार हो जाता है और अन्य वस्तुएॅं बढ़िया किस्म की होने पर भी विज्ञापन के अभाव में बाजार से लुप्त हो जाती है इसका दूसरा प्रभाव यह होता है कि Singleाधिकारी मनमाने तरीके से वृद्धि कर देता है।

    प्रभावी विज्ञापन के सिद्धान्त या आवश्यक तत्व

    1. संभावित ग्राहकों को जानने का तत्व- विज्ञापन करते समय इस बात को ध्यान में अवश्य रखना चाहिए कि संभावित ग्राहक कोैन-से है उनकी शिक्षा, सामाजिक स्तर, आय के साधन, सामाजिक रीति-रिवाज आदि को भी ध्यान में रखना होगा। 
    2. संभावित ग्राहकों की समस्या के अध्ययन का तत्व-Single प्रभावी विज्ञापन वह है, जिसमें संभावित ग्राहकों की समस्याओं को अच्छी प्रकार समझ लिया जाए, ताकि उन समस्याओं के समाधान हेतु विज्ञापन साहित्य आवश्यक ब्यौरा दिया जा सके। 
    3. रूचि उत्पन्न करने वाले तत्व- विज्ञापन ऐसा होना चाहिए कि पढ़ने वाले या देखने वाले की उस विज्ञापन के प्रति रूचि जागृह हो जाए, Meansात् संभावित ग्राहको की रूचि को दृष्टिगत रखकर विज्ञापन का प्राReseller तैयार करना चाहिए। 
    4. आकर्षक शीर्षक का तत्व- विज्ञापन का शीर्षक आकर्षक होना चाहिए, ताकि संभावित ग्राहक का ध्यान सरलतापूर्वक खींचा जा सके। 
    5. सरल And सरस भाषा का तत्व-विज्ञापन की भाषा सरल And रोचक नहीं होनी चाहिए, ताकि साधारण व्यक्ति भी उसे समझ सके। 
    6. चित्रोंं के प्रयोग का तत्व- चित्र विज्ञापन को प्रभावकारी बनाते है। अत: संभावित ग्राहक का ध्यान आकृष्ट करने के लिउ चित्रों का प्रयोग भी करना चाहिए। 
    7. माल की किस्म पर जोर देने का तत्व- विज्ञापन में सबंधित वस्तु या माल की किस्म पर विशेष बल Reseller जाना चाहिए। 
    8. उपयोगिता सिद्ध करने का तत्व-विज्ञापन को प्रभावशाली बनाने के लिए विज्ञापन में वस्तु की उपयोगिता को सिद्ध करना चाहिए, ताकि संभावित ग्राहकों को खरीदने के लिए प्रेरित Reseller जा सके। 
    9. संक्षिप्तता का तत्व-विज्ञापन में संक्षिप्तता पर विशेष बल देना चाहिए ‘‘गागर में सागर’’ सिद्धान्त को ध्यान में रखकर विज्ञापन का प्राReseller तैयार करना चाहिए, लेकिन आवश्यक संदेश को अधुरा नहीं छोड़ना चाहिए विज्ञापन में पूर्णता And संक्षिप्तता दोनों बातों का समावेश होना चाहिए। 
    10. वस्तु की कल्पना करने के तत्व- विज्ञापन इस प्रकार से कया जाए कि उसे देखकर संभावित ग्राहक वस्तु की कल्पना कर सके। 
    11. वस्तु को रखने में गर्व का तत्व-विज्ञापन मे यह स्पष्ट किय जाना चाहिए कि उस विज्ञापनकर्त्त्ाा की वस्तु खरीदना Single गर्व की बात है। 
    12. नवीनता का तत्व-विज्ञापन को प्रभावकारी बनाने के लिए उसमें वस्तु की नवीनता का प्रदर्शन Reseller जाना चाहिए वस्तु में किए गए परिवर्तन नवीनतम सुधार आदि को विज्ञापन में दर्शाना चाहिए।

    विज्ञापन के माध्यम का चयन-

    ध्यान देने योग्य बातें विज्ञापन के उपर्युक्त माध्यम का चुनाव Single समस्या है विज्ञापन का कौन सा माध्यम सर्वश्रेष्ठ होगा या किस माध्यम का उपयोग Reseller जाए, इसके लिए अनेक बातों पर Single साथ विचार करना होगा इनमें निम्न बाते विशेष Reseller से ध्यान देने योग्य हैं-

    1. बाजार – First विज्ञापक को यह ध्यान रखना चाहिए कि वस्तु बाजार किस प्रकार का है आरै वह किन व्यक्तियों तक अपना सदेंश पहुॅंचाना चाहता है क्या विज्ञापन संदेश All व्यक्तियों तक पहॅुंचाना है या स्त्री, बच्चे, व्यापारी, किसान आदि तक इसके लिए उपभोक्ता अनसु ंधान जरूरी है विज्ञापन साधन के कुछ तरीके ऐसे होते है जो देखने मे एं क से लगते है्र, किन्तु उनको अपनाने वाले लोग भिन्न-भिन्न हो सकते हैं जैसे पत्रिका द्वारा विज्ञापन की दशा में पत्रिका पढ़ने वाले अलग-अलग वर्ग के लोग हो सकते हैं कुछ पत्रिकाएॅं बच्चों के लिए होते हैं कुछ महिलाओं के लिए कुछ व्यापारियों के लिए कुछ सिनेमा प्रेमियों के लिए आदि इसी प्रकार समाचार-पत्र भी भिन्न-भिनन प्रकार के होते है। अत: विज्ञापन के माध्यम का चुनाव करते समय उपभोक्ता के प्रकार तथा माध्यम की प्रकृति को दृष्टिगत रखकर निर्णय लेना होगा।
    2. वितरण प्रणाली – विज्ञापन के माध्यम का चुनाव करते समय विज्ञापक को अपनी वितरण प्रणाली को भी ध्याान में रखना चाहिए यदि वस्तु के क्रेता किसी क्षेत्र विशेष में हैं, तो समूचे देश में विज्ञापन करने का कोर्इ औचित्य नहीं है अत: विज्ञापन ऐसे साधन से ही कराया जाए कि यदि संबंधित वर्ग प्रभावित होकर वस्तु खरीदने के लिए प्रेरित हो जाए, तो वस्तु उसके शहर या स्थान पर उपलब्ध हो सके।
    3. माध्यम का चलन – जिस माध्यम से विज्ञापन करने की योजना हो, वह माध्यम उस स्थान या क्षेत्र में चलन में भी होना चाहिए जैसे समाचार-पत्र या पत्रिका में विज्ञापन देना है, तो First यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि ऐसे समाचार-पत्र या पत्रिका की कितनी प्रतियॉं बिकती हैं या उसके कितने ग्राहक है टेलीविजन से विज्ञापन कराना हो, तो यह देखना होगा कि कितने लोग उसे देखते हैं रेडियो से विज्ञापन के बारे में भी यह देखना होगा कि कितने लोग उसे देखते हैं रेडियो से विज्ञापन के बारे में भी यह देखना होगा कि कितने लोग रेडियो सुनते हैं अत: जिस माध्यम का चयन जहॉं सर्वाधिक हो, उसका चुनाव करना हितकर होगा।
    4. माध्यम की लागत – समाचार-पत्र, पत्रिका, रेडियो, टेलीविजन आदि पर विज्ञापन कराने की लागत, घेरे गए स्थान तथा लिए गये समय के आधार पर निर्धारित होती है समाचार-पत्र या पत्रिका के कवर पृष्ठ या मुख पृष्ठ के लिए भिन्न दर होती है तथा भीतर के पृष्ठ के लिए भिन्न विज्ञापन के आकार के According (Word संख्या या पंक्तियॉं अथवा कॉलम) भी दरें भिन्न-भिन्न होती है टेलीविजन तथा रेडियों में विज्ञापन की दरें प्रति सैकण्ड, प्रति मिनट, प्रति घंटा आदि के According भिन्न-भिन्न होती है अत: विज्ञापक को अपने बजट के According माध्यम का चुनाव करना चाहिए उसे यह देखना चाहिए कि कहॉं विज्ञापन देने से न्यूनतमक लागत पर अधिक से अधिक ग्राहको तक विज्ञापन संदेश पहुॅंचाया जा सकता है।
    5. विज्ञापको की रीति – विज्ञापन के माध्यम का चुनाव करते समय विज्ञापक को इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि उसका प्रतिस्पर्द्धी किस माध्यम का सहारा ले रहा है, Meansात् प्रतिस्पद्धी संस्था की विज्ञापन रीजि को भी देखा जाना चाहिए कभी-कभी विज्ञापन की प्रभावोत्पादकता बढ़ाने के लिए वही माध्यम अपनाया जाता है, जो प्रतिस्पर्द्धी संस्था ने अपनाया है।
    6. विज्ञापन का उद्देश्य – विज्ञापन के माध्यम का चुनाव करते,समय यह भली-भॉंति निर्णय कर लेना चाहिए कि विज्ञापन का उद्देश्य क्या है? यदि तुरंत विज्ञापन कराना है, तो टेलीविजन, रेडियो व समाचार-पत्र उपयुक्त हो सकते हैं यदि विज्ञापन का उद्देश्य दीर्घकालीन है, तो पत्रिकाओं मे विज्ञापन देना उपर्युक्त रहता है।
    7. संदेश संबंधी Needएॅं – विज्ञापन के उपयुक्त माध्यम का चुनाव करते समय यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि सदं ेश संबंधी जरूरतें कया है ? उदाहरणार्थ, यदि विज्ञापन में चित्र का प्रदर्शन जरूरी है, तो टेलीविजन द्वारा विज्ञापन कराना उचित रहेगा यदि विज्ञापन संदेश छोटा है, तो समाचार-पत्र या पत्रिका से काम चल सकता है।
    8. ग्राहक की स्थिति – विज्ञापन के माध्यम का चुनाव ग्राहक की स्थिति के According होना चाहिए Meansात् यह देखना चाहिए कि ग्राहक शिक्षित है या अशिक्षित, व्यापारी है या उद्योगपति, गरीब है या धनवान, शहरी है या ग्रामीण उदाहरणार्थ शिक्षित ग्राहक की दशा में समाचार पत्रों, पत्र पत्रिकाओं, टेलीविजन आदि का चयन Reseller जा सकता है।
    9. अन्य बातें – उपर्युक्त बातों मे अलावा विज्ञापन के माध्यम का चुनाव करते समय कुछ बातों को भी ध्यान में रखना चाहिए जैसे संभावित ग्राहक की पसंद, विशेष रूचि, आदत, आय, निवास, रीति-रिवाज, धार्मिक व सांस्कृतिक परम्पराएॅं आदि।

    विज्ञापन के प्रमुख कार्य

    1. संभावित ग्राहको के वस्तुएॅं खरीदने हेतु प्रेरित करना।
    2. वर्तमान तथा भावी ग्राहकों को वस्तुओ तथा उनके निर्माताओं के संबंध में जानकारी देना। 
    3. नवीन वस्तु को बाजार में प्रविष्ट करना, उसमें जनता की रूचि जाग्रत करना तथा उसकी मॉंग में वृद्धि करना। 
    4. वस्तुओ की विद्यमान मॉंग को बनाए रखना। 
    5. स्थानापन्न वस्तुओ के उपयोग को हतोत्साहित करना। 
    6. नकली वस्तुओं के प्रचलन के संबंध मे ग्राहको को सचेत करना।
    7. वस्तुओं के प्रति ग्राहकों में विश्वास उत्पन्न कराना। 
    8. समाज के उपभोग स्तर को ऊॅंचा उठाना। 
    9. ग्राहाके मे वस्तुओं के संबधं में व्याप्त भ्रातियों का निवारण करना। 
    10. वस्तुओं के उयोग के ढंग के बारे में ग्राहकों को जानकारी देना।

    विज्ञापन के माध्यम या साधन

    1. प्रेस या समाचार पत्रीयक विज्ञापन- समाचार पत्रीय विज्ञापन आज के युग का सबसे अधिक लोकप्रिय माध्यम है समाचार पत्र या पत्रिका मे विज्ञापन छपवाकर विज्ञापक अपनी वस्तु, सेवा या विचार को जनसामान्य तक पहुॅंचा सकता है समाचार-पत्र, दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक आदि प्रकार के हो सकते हैं प्रेस विज्ञापन में पत्रिकाएॅं भी आती है, जो साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक या वार्षिक हो सकती है ये पत्रिकाएॅं सामान्य हो सकती हैं अथवा विशिष्ट सामान्य पत्रिका Allवर्गो के लिए होती है विशिष्ट वर्गो के लिए होती है, जैसे व्यावसायिक पत्रिकाएॅं।
    2. बाह्य विज्ञापन- बाह्य विज्ञापन का अभिप्राय दीवारों पर भवनों पर, बसों व रेलगाड़ी पर, चौराहो पर, वस्तु पर या अन्य स्थानां पर किए जाने वाले विज्ञापन से है, जो पोस्टर, विज्ञापन बोर्ड, विद्युत सजावट, सेण्डविच बोर्ड सजावट, बसों व रेलगाडी़ पर, आकाश लेख, स्टीकर, गुब्बारों, पर्चे, डायरी, कापी पर विज्ञापन देनिक उपयोग की वस्तु पर विज्ञापन, भेंट स्वReseller दी जानी वस्तु के Reseller में (चाबी के गुच्छे, पेंसिल डायरी आदि) विज्ञापन के Reseller में हो सकते हैं।
    3. डाक द्वारा प्रत्यक्ष विज्ञापन- डाक द्वारा प्रत्यक्ष विज्ञापन का अभिप्राय ऐसे विज्ञापन से है, जिसमें विज्ञापक कुछ चुने हुए लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए एनके पास स्थायी Reseller से छपे या लिखित संदेश भेजता है डाक द्वारा प्रत्यक्ष विज्ञापन की पद्धति में डाक के माध्यम से ग्राहको को गश्ती पत्र, सूची पत्र, मूल्य पुस्तिका, description पत्र आदि भेजे जाते है। जिनमें वस्तु, सेवा या विचार की जानकारी दी जाती है यदि किसी व्यक्ति को वस्तु का description पसंद आता है, तो वह description भेजने वाले से डाक के माध्यम सो पत्र व्यवहार करता है और Agreeि होने पर आदेश देने पर विज्ञापक माल डाक से भेज देता है तथा विक्रय मूल्य भी डाक के माध्यम से प्राप्त कर लेता है विज्ञापक प्राय: टेलीफोन डायरेक्ट्री य अन्य माध्यम से संभावित ग्राहकों की सूची बना लेता है, जिन्हे अपना साहित्य नियमित Reseller से भेजा जाना है इस सूची को डाक सूची कहते हैं डाक द्वारा प्रयत्क्ष विज्ञापन की सामग्री में परिपत्र, व्यावसायिक जवाबी लिफाफे, मूल्य सूची, सूची-पत्र, लीफलेट, फोल्डर्स, पुस्तिकाएॅं, अभिनव भेंट, व्यिक्त्गत पत्र आदि शामिल है।
    4. अन्य विज्ञापन-  उपर्युक्त साधनों के आंतरिक विज्ञापन के अनेक दसू रे साधन भी है। जो विज्ञापक उत्पादक की प्रकृति, संभावित ग्राहक की स्थिति, रूचि, स्थल, क्षेत्र, शोक आदि को ध्यान में रखकर प्रयुक्त करते रहते हैं इनमे निम्नलिखित विशेष Reseller से Historyनीय हैं-
      1. रेडियो द्वारा विज्ञापन 
      2. टेलीविजन द्वारा विज्ञापन
      3. सिनेमा And सिनेमा स्लाइड्स द्वारा विज्ञापन 
      4. मेले व प्रदर्शनी मे विज्ञापन 
      5. ड्रामा व संगीत कार्यक्रम द्वारा विज्ञापन 
      6. खेल द्वारा विज्ञापन 
      7. लाउड स्पीकर द्वारा विज्ञापन 
      8. प्रदर्शन द्वारा विज्ञापन 
      9. उपहार या भेंट द्वारा विज्ञापन
      10. वस्तुएॅं नमूने में नि:शुल्क बॉंटकर विज्ञापन 
      11. डाक तार विभाग के पोस्ट कार्ड, अंतर्देशीय पत्र, लिफाफे, मनीआर्डर फार्म, तार फार्म आदि पर मुद्रित विज्ञापन।

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