बैंक के प्रकार

Single व्यवसायी को धन की Need व्यापार करने के लिए हो सकती है, Second को Single बड़ी विनिर्माण इकार्इ स्थापित करने के लिए । कभी-कभी सरकार को भी ऋण की आवश्कता होती है। किसी को कम अवधि के लिए धन की Need होती है तो किसी को दीर्घ अवधि के लिए। ग्राहकों की विभिन्न वित्तीय आवश्कताओं को पूरा करने के लिए देश में विभिन्न प्रकार के बैंक कार्यरत हैं, जिन्हे इस प्रकार वर्गीकृत Reseller जा सकता है- (1) वाणिज्यिक बैंक (2) सहकारी बैंक (3) विकास बैंक (4) विशेष उद्धेश्य बैंक (5) केन्द्रीय बैंक ।

वाणिज्यिक बैक-

वाणिज्यिक बैंक वे बैंक्रिग संस्थान है जो जन साधारण से जमा स्वीकार करती हैं तथा अपने ग्राहकों को अल्प अवधि ऋण देती हैं। बैंकिग वाणिज्यिक बैंको के भी विभिन्न प्रकार है जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक और विदेशी बैंक ।

  1. सार्वजनिक क्षेत्र के वाणिज्यिक बैंक- सार्वजनिक क्षेत्र के वाणिज्यिक बैंको मे अधिकांश भागीदारी भारत सरकार व Indian Customer रिजर्व बैंक की होती है Indian Customer बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, सिन्डीकेट बैंक, देना बैंक आदि इसके उदाहरण है।
  2. निजी क्षेत्र के वाणिज्यिक बैंक- निजी क्षेत्र वाणिज्यिक बैंको में बैंको की अधिकांश अंश पूॅजं ी निजी हाथों में होती है यह बैंक सार्वजनिक कम्पनी के Reseller में पंजीकृत होते है। इस वर्ग के बैंको के उदाहरण हैं जम्मू And कश्मीर बैंक लि. कोटक बैंक, एच.डी.एफ.सी. बैंक लि. आदि।
  3. विदेशी बैंक- ऐसे बैंक जिनकी स्थापना व समामेलन विदेशों में हुआ है लेकिन इनकी शाखाएं हमारे देश मे कार्यरत है इस वर्ग के बैंक हैं हांगकांग एण्ड शंघार्इ बैंकिंग कार्पोरेशन (एच.एस.बी.सी) बैंक, अमेरिकन Single्सप्रेस बैंक, स्टैन्डर्ड एण्ड चार्टर्ड बैंक, एबीएन ऐमरो बैंक इत्यादि।

सहकारी बैक-

जब Single सहकारी समिति बैंकिंग व्यवसाय करती है तो इसे सहकारी बैक कहते है। सहकारी बैंक सामान्यत: कम ब्याज दर पर ऋण देते है। इन बैंको का नियन्त्रण And निरीक्षण भी Indian Customer रिजर्व बैंक करता है-

  1. प्राथमिक साख समिति
  2. केन्द्रीय सहकारी बैंक
  3. राज्य सहकारी बैंक

विकास बैंक-

विकास बैंकों की स्थापना Indian Customer रिजर्व बैंक के सहयोगी संस्थानों के Reseller में की गर्इ ।
विकास बैंक वह वित्तीय संस्थान हैं जो उद्योगों को मध्य अवधि And दीर्घ अवधि के लिए ऋण प्रदान करते हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत में उद्योग धन्धों का तेजी से विकास हुआ जिसमें भारी वित्तीय निवेश And अधिक प्रवर्तन की मांग हुर्इ। इसके परिणामस्वReseller इन संस्थानों की स्थापना हुर्इ विकास बैंक उद्योग धन्धों के प्रवर्तन, विस्तार And आधुनिकीकरण में सहायता प्रदान करते है। मध्य अवधि And दीर्घ अवधि के लिए वित्त प्रदान करने के साथ-साथ यह बैंक औद्योगिक उपक्रमो  में पूंजी भी लगाते हैं। Need पडऩ े पर यह तकनीकी सलाह And सहायता भी देते है। भारत में विकास बैंक के उदाहरण हैं। Indian Customer औद्योगिक वित्त निगम, राज्य वित्त निगम And Indian Customer औद्योगिक विकास बैंक।

विशेष उद्देश्य बैक-

कुछ ऐसे बैंक है। जो किसी विशेष गतिविधि अथवा क्षेत्र विशेष में कार्य करते हैं इसलिए इन्हें विशेष उद्देश्य बैंक कहते हैं। Indian Customer आयात निर्यात बैंक, Indian Customer लघु उद्योग विकास बैंक, कृषि एव  ग्रामीण विकास बैंक, आदि इस वर्ग के बैंकों के उदाहरण हैं।

केन्द्रीय बैक-

प्रत्येक देश में Single बैंक को बैंकिंग प्रणाली के मार्गदर्शन And नियमन का उतरदायित्व सांपै ा जाता है। इसे केन्द्रीय बैंक कहते हैं यह Single शीर्षस्थ बैंक होता है और इसे उच्चतम वित्त्ाीय अधिकार प्राप्त होते हैं। भारत में केन्द्रीय बैंकिंग प्राधिकारी Indian Customer रिजर्व बैंक है। यह जनमानस से सीधा लेन-देन नहीं करता यह बैंकों का बैंक है। इसमें All बैंको के जमा खाते होते हैं। यह बैंकों को Need पड़ने पर अग्रिम राशि देता है। यह मुद्रा And साख की मात्रा का नियमन करता है And All बैंकों के मुद्रा संबंधी लेन-देनां का निरीक्षण And नियन्त्रण करता है।
रिजर्व बैंक सरकार के बैंकर की भूमिका भी निभाता है और सरकारी प्राप्तियां, भुगतानों And विभिन्न स्त्रोतों से लिए गए ऋणों का description रखता है। यह सरकार को मौद्रिक And साख नीति के विषय में सलाह देने And बैंकों द्वारा स्वीकार किए जाने वाली जमा राशि और दिये जाने वाले ़ णों पर ब्याज की दर का निर्धारण भी करता है। यह देश मुद्रा, विदेशी मुद्रा के भंडारों, सोना And अन्य प्रतिभूतियों के रखवाले का कार्य भी करता है। रिजर्व बै।क करेंन्सी नोट जारी करने और मौद्रिक आपूर्ति के नियमन का कार्य भी करता है।

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