पर्यावरण संरक्षण के उपाय

पर्यावरण संरक्षण

पर्यावरण प्राणियों And जीवों का Single साथी है जिसकी शक्ति व सुविधा का ज्ञान जैव जगत को तब होता है जबवह किसी कारणवश कुछ हो जाये। खनिजों का शोषण करते समय Human शायद ही कभी सोचता है कि वह क्या कर रहा है अथवा वायु मण्डल में जहरीली गैसों को छोड़ने से पूर्व वय यह कभी नहीं सोचता कि इनसे वायुमण्डल दूषित होगा। भारत में पर्यावरण के प्रति जागरूकता आदि काल से रही है। Indian Customer मनीशियों ने हजारों वर्ष पूर्व प्राकृतिक व्यवस्था को बनाये रखने का मार्ग सुझाया था। वे मानते थे कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करना जीवों के लिए खतरा पैदा करना है। हमारे उपनिशदों में पर्यावरण के तत्वों में धरती या मिट्टी को माँ (धरती माँ), पेड़ को देवता (तरूदेव), जीव को र्इष्वर का अंश जल (वरूण देव), हवा (मास्त देव) और जलवायु (इन्द्र देव) को भी देवता माना गया है। अत: आज के वर्तमान औद्योगिक युग में पर्यावरण की Safty Single महत्वपूर्ण स्वReseller है। हम अपने पर्यावरण की Safty अग्रलिखित बिन्दुओं के माध्यम से कर सकते हैं –

  1. जैव विविधता को संरक्षण प्रदान करके जनता को जागरूक करना। 
  2. जलीय संसाधनों की Safty के उपाय करके जनता को जागरूक करना। 
  3. खनीज संसाधनों की Safty के उपाय करके जनता को जागरूक करना। 
  4. वन विनाश की समस्या से निपटना, भूक्षरण, मरूस्थलीकरण तथा सूखे के बचावों के प्रस्तावों को जनता के समक्ष रखना। 
  5. गरीबी की निवारण तथा पर्यावरणीय क्षति की रोकथाम करके जनता को जागरूक करना। 
  6. विशाक्त धुआँ विसर्जित करने वाले वाहनों पर रोक लगाकर जनता को जागरूक करना। 
  7. पर्यावरण ही Safty के विषय में जनता को मीटिंग करके बतलाया।
  8. समुद्र तथा सागरीय क्षेत्रों की रक्षा करना And जैवीकीय संसाधनों का उचित उपयोग And विकास के उपाय बताकर जनता को जागरूकता प्रदान करना। 
  9. जैव तकनीकी तथा जहरीले अपशिष्टों के लिए पर्यावरण संतुलित प्रावधान की व्यवस्था करना। 
  10. पर्यावरण जागरूकता को वैष्विक Reseller से प्रदान करना। 
  11. पर्यावरण से संबंधी आंदोलनों को मान्यता प्रदान करना। 
  12. शिक्षा द्वारा जनचेतना पर बल देना। 
  13. शिक्षा द्वारा पर्यावरण के अध्ययन की Need पर बल देना। 
  14. पर्यावरण जागरूकता सामाजिक और भौतिक विज्ञानों के अध्ययन पर विशेष बल देना। 
  15. पर्यावरण Safty हेतु राज्य And केन्द्री स्तर पर विशेष प्रावधानों का निर्माण होना चाहिए। 
  16. पर्यावरण Safty के संबंधित नियम कानूनों को सख्ती से लागू करना। 
  17. समय-समय पर पर्यावरा Safty हेतु सेमिनार, कार्यशालाओं का आयोजन करना। 
  18. पर्यावरण Safty से संबंधित सूचना को सार्वजनिक जागरूकता के माध्यम से सामान्य जनता तक पहुंचाना।

 इस प्रकार उपरोक्त बिन्दुओं के माध्यम से पर्यावरण की Safty की जा सकती है।

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