परियोजना का Means

परियोजना का Means-’परियोजना’ Word योजना में ‘परि’ उपसर्ग लगने से बना है। ‘परि’ का Means है ‘पूर्णता’ Meansात् ऐसी योजना जो अपने आप में पूर्ण हो । परियोजना का शाब्दिक Means होता है किसी भी विचार को व्यवस्थित Reseller में स्थिर करना या प्रस्तुत करना। इसके लिए ‘प्रोजेक्ट’ अंग्रेजी का Word है। प्रोजेक्ट का अभिप्राय है-प्रकाशित करना Meansात् परियोजना किसी समस्या के निदान या किसी विषय के तथ्यों को प्रकाशित करने के लिए तैयार की गर्इ Single पूर्ण विचार योजना होती है।

समस्याएँ सुरसा की तरह मुंह फैलाए हुए हमें निगलना चाहती है। हमें आए दिन किसी न किसी समस्या का सामना करना पड़ता है और हम उससे बचने के तरीके सोचते रहते हैं। जैसे-यातायात की समस्या, पीने के पानी की समस्या, बिजली की समस्या हमारे आसपास बहुत सी ऐसी समस्याएं मौजूद हैं, जिन्हें देख सुनकर हम सोचने को विवश हो जाते है और समाधान का उपाय सोचने लगते हैं, जैसे-गंदगी की समस्या, आत्महत्या की घटना, लूट की घटना, नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाली बीमारियों की समस्या आदि।

जब हमारे सामने कोर्इ समस्या आती है तो सबसे First हम उस समस्या की तह तक जाकर उसके All पहलुओं को जानने की कोशिश करते है। उसके निदान की All संभावनाओं और उपायों का विचार करते हैं। इस तरह हमारे मन में तैयार पूरी विचार योजना Single प्रकार की परियोजना होती है।

परियोजना का महत्व

परियोजना तैयार करने का Means है ‘खेल-खेल में सीखना। पीने के पानी की समस्या पर यदि परियोजना तैयार करने कहा गया तो अलग-अलग शहरों में गांवों में पीने के पानी की समस्या से संबंधित अखबारों में छपे समाचारों को काट कर अपनी कापी में चिपकाने से पीने के पानी की समस्या, कारण और समाधान के तरीकों से परिचित हो जाएंगे । परियोजना से हमें देश विदेश की जानकारी भी प्राप्त हो सकती है। इससे जिज्ञासा और उन पर विचार प्रगट करने के कौशल का विकास होता है। आपमें Singleाग्रता का विकास होता है। लेखन संबंधी नर्इ-नर्इ शैलियों की जानकारी प्राप्त होती है। हम चिंतन करते हैं तथा पूर्व घटना से वर्तमान घटना को जोड़कर देखने की क्षमता का विकास होता है। अत: परियोजना का महत्व निम्नलिखित है:-

  1. हम अपने पूर्व ज्ञान के आधार पर नए विषयों के ज्ञान की ओर अग्रसर होते है। 
  2. नए-नए विषयों के प्रति चिंतन करने की प्रवृत्ति का विकास होता है। 
  3. सामान्य खेल-खेल में बहुत सी नर्इ बातें सीखते हैं। 
  4. नए-नए तथ्यों के संग्रह करने का अभ्यास होता है। 
  5. अन्य पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं को पढ़ने की रूचि विकसित होती है। 
  6. इसे खोजी प्रवृत्ति बढ़ती है। 
  7. लेखन संबंधी नर्इ-नर्इ शैलियों का अभ्यास तथा प्रयोग करना सीखने है। 
  8. अर्जित भाषा-ज्ञान समद्ध तथा व्यवहारिक Reseller ग्रहण करता है। 
  9. हम योजनाबद्ध तरीके से अध्ययन के लिए प्रेरित होते हैं। 
  10. पाठ्य सामग्री से संबंधित बोध में विस्तार होता है। 
  11. हममें किसी समस्या के मूल कारण तक पहुंचने की प्रवृत्ति का विकास होता है। 
  12. सामग्री जुटाने, उसे व्यवस्थित करने तथा उसे विश्लेषित करने की क्षमता का विकास होता है । 
  13. समस्या समाधान हेतु संभावित निदान खोज निकालने की क्षमता का विकास होता है । 
  14. हमारा मानसिक विकास तेजी से होता है। 

परियोजना का स्वReseller

प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने ढंग से परियोजना तैयार करता है। परियोजना तैयार करने के कर्इ तरीके हो सकते है। जैसे-निबंध, कहानी, कविता लिखने या चित्र बनाते समय होता है। हम परियोजना को दो भागों में बांट सकते है- 1. वे जो समस्याओं के निदान के लिए तैयार की जाती है। 2. वे जो किसी विषय की समुचित जानाकरी प्रदान करने के लिए तैयार की जाती है।

1. समस्या निदान स्वReseller परियोजना- 

समस्याओं के निदान के लिए तैयार की जाने वाली परियोजनाओं में संबंधित समस्या से जुड़े All तथ्यों पर प्रकाश डाला जाता है और उस समस्या के समाधान के लिए सुझाव भी दिए जाते हैं। इस प्रकार की परियोजनाएं प्राय: सरकारी अथवा Second संगठनों द्वारा किसी समस्या पर कार्य योजना तैयार करते समय बनार्इ जाती हैं। इससे उस समस्या के विभिन्न पहलुओं पर कार्य करने में आसानी हो जाती है।

2. शैक्षिक परियोजना- 

इस तरह की परियोजनाएं तैयार करते समय हम संबंधित विषय पर तथ्यों को जुटाने हुए बहुत सारी नर्इ-नर्इ बातों से अपने आप परिचित भी होते चले जाते है। शैक्षिक परियोजना को दो भागों में बांटा जा सकता है- 1. पाठ पर आधारित शैक्षिक परियोजना 2. शुद्ध ज्ञान के विषयों पर आधारित परियोजना ।

  1. पाठ पर आधारित शैक्षिक परियोजना-‘वह तो तोड़ती पत्थर’ या ‘कुकुरमुत्ता’ पाठ पर आधारित परियोजना बनानी है तो उसके लिए उसी के समान अन्य पांच कवियों की कविताएं संकलित कर लिख सकते है। उनकी तुलना करते हुए विचार भी लिख सकते है या सड़कों, नए बनते भवनों के लिए काम करती महिलाओं के चित्र चिपका सकते है। कुकुरमुत्ता के पौधे के चित्र, गुलाब और पूंजीपति के चित्र, मजदूर Meansात् सर्व द्वारा वर्ग के चित्र चिपका कर अपने विचार तुलनात्मक Reseller में प्रस्तुत कर सकते है। इसी प्रकार रामधारी सिंह दिनकर की कविता पर आधारित परियोजना तैयार कर सकते हैं। ‘आखिरी चट्टान’ यात्रा वृत्तांत पढ़ने के बाद अन्य पर्यटन स्थलों के बारे में बहुत सी नर्इ जानकारियों हमें मिलती है। इस प्रकार पाठ पर आधारित योजना का स्वReseller तैयार होता है।
  2. शुद्ध ज्ञान के विषयों पर आधारित परियोजना- कुछ परियोजनाएं शुद्ध ज्ञान पर आधारित हो सकती हैं। इन परियोजनाओं का उद्देश्य Single प्रकार से आपके द्वारा पढ़े हुए पाठ से प्राप्त जानकारियों के प्रति जागरूक बनाना और अपने अभिव्यक्ति कौशल को विकसित करना होता है।

जैसे हम ‘साक्षरता के महत्व’ पर Single परियोजना तैयार करते हैं। लोगों के अशिक्षा के बारे में अखाबरों तथा पत्रिकाओं से आंकड़े इकट्ठे करते हैं, चित्र जुटाते है, समस्याओं का पता लगाते हैं तो हमें समझ में आ जाता है कि यह परियोजना पाठ को समझने में मददगार साबित हुर्इ। इस प्रकार शुद्ध ज्ञान की परियोजनाएं पढ़े हुए पाठों को समझने, पाठ्य पुस्तकों से जानकारी को बढ़ाने को समझने, पाठ्य पुस्तकों से जानकारी को बढ़ाने तथा अभिव्यक्ति कौशल का विकास करने में मदद करती है।

अत: परियोजना Single प्रकार का क्रियाकलाप ही होती है। लेकिन पाठों में दिए गए क्रियाकलापों से इसका क्षेत्र थोड़ा व्यापक होता है।

परियोजना कैसे तैयार करे

परियोजना तैयार करते समय निम्नलिखित बिन्दुओं पर ध्यान रखना आवश्यक होता है-

  1. दिए गए विषय से संबंधित आंकड़े Singleत्रित करने का प्रयास करें। 
  2. परियोजना के लिए दिए गए विषय को पूरी तरह समझे। 
  3. अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं में छपे विषय संबंधी समाचार Singleत्रित करें। 
  4. संबंधित समस्या का चित्र प्राप्त करें। 
  5. यदि रेखाचित्र, ग्राफिक पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं में उपलब्ध हो सकते हैं तो उन्हें इकट्ठा अवश्य करें। 
  6. परियोजना तैयार करने से First उसकी Single अच्छी सी भूमिका लिखें। 
  7. भूमिका के आधार पर परियोजना तैयार करना चाहिए। 
  8. आंकड़ों के आधार पर समस्या के विभिन्न पहलुओं का Single-Single कर, अलग-अलग उदाहरणों के Reseller में शीर्षक के साथ विश्लेषण करें। 
  9. प्रत्येक पहलू का सटीक वर्ण करें। 
  10. आंकड़े, चित्र, रेखाचित्र, ग्राफिक, विज्ञापन जो भी प्रमाण स्वReseller दें, उनके स्त्रोत यानी उसे अपने कहां से प्राप्त Reseller उसके बारे में अवश्य History करें। (उदाहरण के लिए समाचार पत्र-पत्रिका का नाम, अंक, दिनांक आदि।) 
  11. हम जो भी विश्लेषण करें तथ्यों पर आधारित सटीक होना चाहिए। 
  12. विश्लेषण करते समय हमें भावना में बहना नहीं चाहिए। 
  13. प्रमाण स्वReseller किसी की सुनी हुर्इ बात प्रस्तुत न करें। सही स्त्रोत से उसकी पुष्टि करने के बाद ही उसका History करें। 
  14. देश के किसी जिम्मेदार पद पर बैठे किसी नेता, मंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति आदि के कथनों अथवा भाषणों का History कर सकते है। 

अत: परियोजना दो प्रकार से तैयार की जा सकती है- 

  1. किसी समस्या के निदान के लिए। 
  2. किसी दिए हुए विषय की समुचित जानकारी प्रदान करने के लिए। 

परियोजना बनाना- 
चित्र समस्या प्रधान परियोजना- 
‘देश में पेयेयजल समस्या’ विषय पर Single परियोजना तैयार करते है- 

  1. First इस समस्या को पूर्ण Resellerेण समझे कि यह समस्या किस Reseller में है। 
  2. यह समस्या कर्इ कारणों से हमारे देश में उत्पन्न हुर्इ है। 
  3. इनमें से बरSeven कम होने के कारण नदियों का जल स्तर कम होना मुख्य है। 
  4. जमीन के भीतर जल स्तर का काफी नीचे चले जाना भी Single कारण है। 
  5. कुएं तालाब आदि प्राकृतिक जल स्त्रोतों का सूखना भी मुख्य कारण है। 
  6. प्रदूषण के कारण पानी का पाने लायक न होना भी Single कारण है। 
  7. जनसंख्या वृद्धि पेयजल की समस्या का कारण है। 
  8. पानी का अनावश्यक खर्च भी कारण है। 

इस समस्या के All पहलुओ पर अलग-अलग आंकड़े Singleत्र करें- 

  1. ये आंकड़े समाचार पत्रों-पत्रिकाओं, सरकार द्वारा भारी जल संरक्षण संबंधी पोस्टरों, दस्तावेजों से प्राप्त हो सकते है। 
  2. शासन या किसी अन्य संस्था द्वारा जारी उन पोस्टरों, चित्रों, ग्राफिक आदि को प्रमाण स्वReseller परियोजना के साथ लगा सकते है। 

इस बात की जानकारी प्राप्त करें कि देश के किन-किन राज्यों में पेयजल की सबसे अधिक समस्या है?
इससे संबंधित आंकड़े और चित्र भी Singleत्रित करना चाहिए।

इन राज्यों में प्रतिदिन, प्रति व्यक्ति कितने पानी की Need है और वहां कितना पानी उपलब्ध हो पा रहा है?

यदि Single व्यक्ति को पीने के लिए ज्ञात लीटर पानी की Need है तो यह देखा गया है कि कर्इ-कर्इ दिनों तक नलों में पानी नही आता और पानी आता भी है तो इतना कम कि लोग कतार लगाए खडे़ रहते हैं और सबको पानी नहीं मिल पाता। लड़ाइयां भी हो जाती है यहां तक पानी की लड़ार्इ में मृत्यु भी शामिल है ।

दूर से पानी लेकर आती महिलाओं के चित्र छपते हैं ये चित्र परियोजना में काम आएंगे।

इसी प्रकार पेयजल समस्या निदान के लिए शासन द्वारा किए जाने वाले प्रयासों का पता कराना चाहिए।
यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि सरकार इन प्रयासों में कहां तक सफल रही? और नहीं रही तो क्यों नहीं रही?

शासन की योजनाओं में क्या कमी रह गर्इ ?

अत: पेयजल समस्या से निपटने के क्या-क्या उपाय हो सकते हैं?

  1. बरSeven के पानी को जगह-जगह Singleत्र कर प्राकृतिक जल-स्त्रोतों का विकास करना 
  2. घर में पानी के अनावश्यक खर्च पर रोक नदी के जल को प्रदूषित होने से रोकना। 

शुद्ध ज्ञानवर्द्धन वाले विषय पर परियोजना-‘अनुराधा’ कहानी का विषय परियोजना बन सकती है क्योंकि उस कहानी को हम पढ़ चुके हैं। उस पाठ का स्वReseller काफी हद तक परियोजना शर्तों को पूरा करता है। इसी तरह अनेक विषय मिल सकते हैं। जैसे भारत में ग्रामीण महिलाओं की स्थिती या वृद्ध महिला की स्थिती पर परियोजना तो हमें गांव या आसपास की महिलाओं की स्थिती का अध्ययन करना चाहिए। जैसे प्रेमचन्द रचित ‘बूढ़ी काकी’ पाठ में वृद्धा का जीवन चित्रण Reseller गया है, उनका रहन-सहन कैसा है? उसके जीवन की समस्याएँ क्या है? निदान क्या है? क्या हमें ऐसी महिला मिली जिसने समाज के विकास में योगदान दिया हो। उनसे समाज के विकास में योगदान दिया हो । उनसे बातचीत कीजिए यह जानने का प्रयास कीजिए कि समाज निर्माण के बारे में क्या करना चाहती है? Single वृद्धा जो असहाय है उसकी कैसे सहायता की जाय? वर्तमान सामाजिक व्यवस्था के बारे में उनकी क्या राय है? रेखाचित्र के माध्यम से भी परियोजना तैयार कर सकते हैं।

नमूने की परियोजना- 

पानी की समस्या भूमिका-’बिन पानी सब सून’ पीने के पानी की समस्या दिन-प्रतिदिन भयावह होती जा रही है। इसके निम्नलिखित कारण हैं-

  1. पारंपरिक जल स्त्रोतों का सूखना 
  2. जमीन के अंदर जल स्तर नीचे जाना 
  3. जल स्त्रोतों का प्रदूषित होना 
  4. उपलब्ध जल की बर्बादी शासन पारंपरिक स्त्रोतों के संरक्षण की पूरी तैयारी कर रही है। 

पानी की कमी के कारण- 

  1. बढ़ती जनसंख्या-हमारे देश की जनसंख्या Single अरब के आंकड़े को भी पार कर गर्इ है। जनसंख्या बढ़ने के साथ भोजन, पानी आदि संसाधनों की जरूरत होती है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन शुरू हो गया जिससे प्रदूषण और जल स्त्रोतों के सूखने चले जाने के कारण पानी की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती चली गर्इ। 
  2. जल प्रदूषण-घरों से निकलने वाला कचरा, जल-मल या तो नदियों में बहा दिया जाता है या जमीन के नीचे दबा दिया जाता है। लेकिन शासन ने नदियों में कचरा बहाए जाने पर कानूनी रोक लगा दी है। नदियों का पानी साफ कर पाइप लाइनों के जरिये घरों तक पहुंचाया जाता है अत: इनसे कर्इ बीमारियां पैदा होने का खतरा बना रहता है। 
  3. पारंपरिक जल स्त्रोतों का गलत प्रयोग-नदियां और जमीन के भीतर जमा जल पारंपरिक जल स्त्रोत हैं। पर्यावरण प्रदूषण के कारण संपूर्ण विश्व का तापमान बढ़ने के कारण पहाड़ों में जमी बर्फ जल्दी पिघलने लगी है जिससे नदियों में भरपूर पानी नहीं आ पाता। हैंडपंपो और ट्यूबवेलों के माध्यम से धरती और नदी के जल अधिक दोहन होने लगा है। 
  4. उपलब्ध जल की बर्बादी-पानी के प्रयोग की सही जानकारी न होने के कारण उसका दुResellerयोग भी जल की उपलब्धता में कमी का Single मुख्य कारण है। पाइपलाइनों के फटे होने के कारण पानी बर्बाद होता है। 

समस्या का निदान-1. पानी के सही प्रयोग से 2. जल प्रदूषण पर रोक लगाकर 3. जल संरक्षण कर 4. जल संग्रहण कर जल खेती करें।

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