Single्यूपंक्चर के लाभ

Single्युपंक्चर चिकित्सा के लाभ हैं –

  1. इस प्रणाली के कोर्इ दुष्परिणाम नहीं हैं। 
  2. यह औषधि रहित चिकित्सा प्रणाली है। 
  3. इस पद्धति से रोगी की रक्षा व रोग की समाप्ति होती है। 
  4. यह कष्ट रहित चिकित्सा है। 
  5. यह कम खर्चीली चिकित्सा प्रणाली है। 
  6. यह चिकित्सा Second अन्य चिकित्सा पद्धतियों के साथ भी चल सकती है। 
  7. यह Single सहज, सरल And प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान है। 
  8. Single्युपंक्चर से हमें तुरन्त ही लाभ मिलता है। 
  9. हर प्रकार के रोगों की चिकित्सा संभव है। 
  10. यह चिकित्सा सर्व सुलभ And प्रतिप्रभाव से मुक्त है। 
  11. इसमें समय, श्रम व धन की बचत होती है। 
  12. इसका परिणाम तुरन्त ही प्राप्त होता है। 
  13. शारीरिक व मानसिक प्रतिरोध क्षमता बढ़ती है। 
  14. शरीर के सम्पूर्ण तन्त्र सुचारू Reseller से कार्य करता है। 
  15. शरीर में आवश्यक तत्वों का प्रसार कर मांसपेशियों के तन्तुओं में स्फूर्ति तथा त्वचा में चमक पैदा करता है। 
  16. बिना दवार्इ की कम खर्चीली चिकित्सा पद्धति है।
  17. यह पीड़ा रहित तथा Windows Hosting चिकित्सा पद्धति है।
  18. इसे Needनुसार “ाोधित कर बार-बार उपयोग में लाया जा सकता है। 
  19. चूंकि इस पद्धति में किसी भी प्रकार की औषधि का प्रयोग नहीं होता है, इसलिए इससे कोर्इ भी दुष्परिणाम उत्पन्न नहीं होते तथा यह आर्थिक Reseller से किफायती भी होती है। 
  20. हवार्इ जहाज, रेलवे यात्रा के दौरान, कारखानों, खेतों में कार्य करते समय कहीं पर भी तकलीफ होने पर डॉक्टर की उपलब्धि नहीं होने पर Single्यूपंचर/Single्यूप्रेशर ही Only पर्याय रहता है। 
  21. अनेक बीमारियों की रोकथाम And स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिये दैनंदिनी Single्यूपंचर/Single्यूप्रेशर का प्रयोग Reseller जा सकता है। 
  22. जीर्ण तथा बड़े रोगों में First कुछ दिनों तक Single्यूपंक्चर कराने के बाद चिकित्सक द्वारा बताए गए बिन्दुओं पर प्रेषर देकर घर में ही उपचार चालू रखा जा सकता है। 
  23. Single्यूपंचर And Single्यूप्रेशर का उपयोग मोटापा कम करने के लिये And सौन्दर्यवृद्धि करने के लिये भी Reseller जाता है।
  24. कर्इ रोग ऐसे होते हैं जो किसी भी चिकित्सा पद्धति द्वारा ठीक नहीं किए जा पाते हैं। उन रोगों में भी Single्यूप्रेशर से उपचार करने पर कुछ हद तक सफल परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।

उपचार के प्रतिप्रभाव And बचाव –

  1. Single्युप्रेशर उपचारोपरान्त चक्कर या बेहोशी हो तो Reseller गया उपचार हटाकर, नाक के नीचे व पैर के तलुवे के गहरे भाग को हल्का दबाव दें। 
  2. उपचारोपरान्त पतले दस्त शारीरिक सफार्इ का संकेत है,घबराये नहीं। 
  3. शारीरिक व मानसिक स्तर पर तीव्र परिवर्तन होता है। जिससे क्रोध, चिड़चिड़ापन उदासी व आनन्द आदि की घटना-बढ़ना हो सकती है। 
  4. Single्यु उपचार के बाद मूत्र त्याग की मात्रा बढ़ जाती है, कुछ दिनों में ठीक हो जाती है। 
  5. उपचार के तुरन्त बाद नींद का आना, स्वास्थ्य का द्योतक है।

Single्युप्रेशर की सावधनियाँ –

  1. चिकित्सा स्थान – साफ, हवादार, शान्त व अनुकूल वातावरण होना चाहिए। 
  2. उपचार के समय रोगी व चिकित्सक दोनों तनाव रहित, शान्तचित्त स्थिति में हों।
  3. रोगी को बिठाकर अथवा लिटाकर सुविधानुसार ही उपचार करें। 
  4. टूटे-फूटे, चोट या ऑपरेशन वाले स्थान पर चिकित्सा नहीं करनी चाहिए। 
  5. चिकित्सा के दौरान अपने दोनों हाथ को अच्छी तरह से डेटॉल आदि स्वच्छ करें।

Single्युप्रेशर की सीमाएँ –

  1. आपरेशन फोड़े व घाव के स्थान पर 3-6 महिने तक उपचार नहीं करना चाहिए। 
  2. गर्भवती महिलाओं को तीन माह के बाद कुछ विशेष बिन्दुओं पर उपचार नहीं देना चाहिए। 
  3. महिलाओं में मासिक धर्म के समय उपचार नहीं करना चाहिए। 
  4. Single्यु बिन्दुओं पर निडल आदि से उपचार 30 मिनट से 1 घंटे रोगानुसार लगाना चाहिए। 
  5. Single्यु बिन्दुओं पर दिन में दो बार खाली पेट उपचारित करना चाहिए।
  6. Single्युपंक्चर का उपचार भोजन से Single घण्टे पूर्व तथा 2-3 घण्टे बाद ही करवाना चाहिए। 7Seven साल से कम उम्र तथा 70 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों का उपचार सावधनी पूर्वक करना चाहिए।

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