Meansव्यवस्था की मूलभूत समस्याएं

Meansव्यवस्था Single Human निर्मित संगठन है जिसके माध्यम से लोग समाज की बेहतरी और विकास के लिये परस्पर सहयोग करते है। All आर्थिक गतिविधियों का लक्ष्य Humanीय Needओं की संतुश्टि से होता है। Meansव्यवस्था में Single उत्पादन Single महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें उत्पादक को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं का सामना प्रत्येक Meansव्यवस्था से All उत्पादकों को करना पड़ता है। आर्थिक समस्याएं मूलत: ससाधनों की दुर्लभता के कारण जन्म लतेी है जबकि Needए असीमित होती है।

संसाधनों की दुर्लभता –

  1. असीमित Needएं-Humanीय Needएं असीमित होती है तथा समय के साथ-साथ बढ़ती जाती है । यह वृद्धि ज्ञान में परिवर्तन में आय में परिवर्तन आदि के कारण होती है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी Needओं की संतुष्टि करने का प्रयत्न करता है। 
  2. सीमित साधन-हमारे साधन सीमित है। कितना क्रय खरीदना है, यह हमारी आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है। आय व्यक्ति के लिये वह संसाधन है, जिससे वह अपनी Needओं की संतुष्टि करता है। किसी भी व्यक्ति की आय असीमित नही हो सकती। इस प्रकार आय व्यक्ति के लिये दुर्लभ संसाधन है। 

1. संसाधनो की दुर्लभता 

Meansशास्त्र के सदं र्भ में ससाधनों की दुर्लभता का Means सीमित साधन है। हम अपनी Needओं की संतुष्टि के लिये जो वस्तु व सेवाएं खरीदते है, वे Meansव्यवस्था में उत्पादित होती है। इनका उत्पादन करने के लिये विभिन्न प्रकार के संसाधनों की Need होती है, जैसे Humanीय संसाधन, प्राकृतिक संसाधन और मनुष्य द्वारा निर्मित संसाधन Meansात् पूंजी । इन संसाधनों को भूमि, श्रम, पूंजी And उद्यम के Reseller में वर्गीकृत Reseller जाता है। किसी भी Meansव्यवस्था में ये संसाधन असीमित मात्रा में उपलब्ध नही होते। ये संसाधन असीमित मात्रा में उपलब्ध नहीं होते है। ये सीमित संसाधन है। इन संसाधनों की पूर्ति इनकी मांग की तुलना में कम होती है Meansात् ये संसाधन दुर्लभ होते है। जब किसी संसाधन की मांग उसकी पूर्ति से अधिक हो तो उसे दुर्लभ संसाधन कहते है। Meansव्यवस्था में संसाधनों की दुर्लभता होती है ।

2. संसाधनो का वैकल्पिक प्रयोग 

जब किसी संसाधन का उपयोग विभिन्न वस्तुओं और सेवाओ के उत्पादन के लिये Reseller जाता है तो उसे संसाधनो के वैकल्पिक उपयोग कहते है । जब किसी संसाधन का उपयोग किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन के लिये Reseller जाता है, तो वह अन्य वस्तु या सेवा उत्पादन के लिये उपलब्ध नही रहता है । इससे संसाधनों के उपयोग में चयन की समस्या उत्पन्न होती है । जैसे कोर्इ श्रमिक खेत मे काम कर रहा है, तो वह कारखाने में कार्य नहीं कर सकता। यदि किसी भूमि पर उद्योग है तो वह कृषि कार्य संभव नही होता है ।

3. आर्थिक समस्या 

Meansव्यवस्था अपने सीमित संसाधनों से वस्तु And सेवाओं के विभिन्न समूहों का उत्पादन कर सकती है। लेकिन संसाधनों की दुर्लभता के कारण उसको चयन करना होता है कि वह विभिन्न समहूों में किस समहू का उत्पादन कर।ें इसे आथिर्क समस्या कहा जाता है आर्थिक समस्या Meansात चयन की समस्या का सामना उपभोक्ता और उत्पादकों को ही करना पडत़ा है चयन की समस्या का संबध उत्पादन की तकनीक से भी हातेा है जसे किसी वस्तु का उत्पादन करने अधिक श्रम का उपयोग Reseller जाय या अधिक पूंजी का। श्रम व पूंजी का अनुपात क्या होना चाहिये। श्रम तकनीक का उपयोग या पूंजी तकनीक का उपयोग करना चाहिये ये भी समस्या है। संसाधन दुर्लभ होते है। अत: प्रत्येक Meansव्यवस्था इनका सर्वोतम उपयोग करने का प्रयत्न करती है। इसे संसाधनों की किफायत करना भी कहते है। संसाधनों को उनके अनुकूलतम उपभोग Meansात् संभव उपयोग से है। संसाधनों को संयोग भी अनूकूल होना चाहिये।

Meansव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएं

उत्पादन के सीमित साधनो के कारण All Meansव्यवस्थाओं में चयन की समस्या उत्पन्न होती है। All प्रकार की Meansव्यवस्था के सामने यह समस्या उत्पन्न होती है चाहे उसका आकार, स्वReseller विकास का स्तर कुछ भी हो। Meansव्यवस्था अमीर हो गरीब हो विकसित, अल्प हो, समाजवादी हो, पूंजीवादी हो या अन्य प्रकार की इन समस्याओं का समाधान खोजना पड़ता है। Meansव्यवस्था की तीन मुख्य केन्द्रीय समस्याएं

  1. क्या और कितनी मात्रा में उत्पादन करे ?
  2. उत्पादन कैसे करे ?
  3. उत्पादन किसके लिये करें ?
    ये किसी Meansव्यवस्था की मुख्य समस्याओं से भिन्न होती है । मुख्य समस्याएं तो मौसम, भौगोलिक स्थिति Humanीय संसाधनो की उपलब्धता, रस्मों, अभिरूचियों तथा आय के अन्तरों के कारण पैदा होती है ।

    प्रो. सेम्युलसन के According:-‘‘किसी भी Meansव्यवस्था की तीन आधारभूत समस्याएं परस्पर निर्भर होती है । किन वस्तुओं का उत्पादन हो’’ कैसे उत्पादित की जाए ? किन के लिये उत्पादित की जाए ? विभिन्न व्यक्तियों और परिवारों में सकल राश्ट्रीय उत्पादन का विभाजन किस प्रकार हों ?’’

    1. क्या और कितनी मात्रा में उत्पादन करें ?

    Meansव्यवस्था में उपलब्ध साधन दुर्लभ है प्रत्येक Meansव्यवस्था के पास वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के लिये सीमित साधन है। Needएं असीमित है । सीमित साधनो से All वस्तुओं का उत्पादन नहीं हो सकता। अत: ये समस्या उत्पन्न होती है कि वस्तु की कितनी मात्रा का उत्पादन करें। Meansव्यवस्था को संसाधनों के आबंटन की समस्या का सामना करना पड़ता है। Meansव्यवस्था के सीमित साधनों के कारण यह निर्णय लेना पड़ता है कि वह शस्त्र बनाये, होटल बनाये, मकान बनाये, गेहूॅ उगाये या तिलहन । क्या उत्पादन हो निर्णय लेने के बाद Meansव्यवस्था को यह निर्णय लेना पड़ता है कि वह उनकी कितनी मात्रा में उत्पादन करे । Second Wordों में, उपभोक्ता वस्तुओं व सेवाओं और उत्पादक वस्तुओं व सेवाओं के किस संयोग को उत्पादन के लिये चुना जाय। उत्पादित की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के संयोग की प्रकृति लोगो की प्राथमिकता पर निर्भर करती है।

    2. उत्पादन कैसे करें ?

    दूसरी मूलभूत समस्या का संबंध उत्पादन की व्यवस्था से है Meansात् कौन किन संसाधनों व किस प्रौद्योगिकियों का प्रयोग कर उत्पादन कार्य को संपन्न करेंगा। किसी भी वस्तु का कर्इ विधियों से उत्पादन संभव है। उत्पादन तकनीक का चयन करते समय सावधानी रखनी पड़ती है। उत्पादन तकनीक से तात्पर्य विभिन्न संसाधनों के उस अनुपात से है,जिसमें उनका उपयोग वस्तु के उत्पादन के लिये Reseller जाता है। जैसे श्रम And पूंजी का विभिन्न अनुपातों में प्रयोग करके वस्तु का उत्पादन Reseller जाता है। यदि पूंजी की तुलना में श्रम का अधिक उपयोग करे तो श्रम गहन तकनीक या प्रणाली होगी। यदि पूंजी का अधिक उपयोग कर श्रम की मात्रा कम हो तो पूंजी गहन तकनीक होगी। जैसे खेती के लिये ट्रेक्टर आदि मशीनों की मांग हो तो पूंजी गहन तकनीक होगी। यदि खेती के लिए हल, कृषक आदि का प्रयोग करते है तो श्रम गहन तकनीक है। उत्पादन की तकनीक के चयन में यह समस्या उत्पन्न होने का कारण श्रम And पूंजी दोनो सीमित मात्रा में है।

    3. किसके लिये उत्पादन करें ?

    तीसरी मूलभूत समस्या उत्पादन किसके लिये Reseller जाये, Meansव्यवस्था में उत्पादित राष्ट्रीय आय के विभाजन से जुड़ी है। क्या And कैसे प्रश्नों के उत्तर बाद उत्पादन प्रक्रिया शुरू हो जाती है। Meansव्यवस्था में किसी भी व्यक्ति को सब कुछ प्राप्त नही हो सकता, जिसकी उसे Need होती है। ऐसा इसीलिए होता है, क्योंकि Meansव्यवस्था में जो कुछ भी उत्पादित Reseller जाता है, वह प्रत्येक की Need को पूरा करने के लिये पर्याप्त नही होता है । Meansव्यवस्था में वस्तुओ And सेवाओं का उत्पादन, उत्पादन के चारो साधनों (श्रम,भूमि,पूंजी,उद्यम) के स्वामियों के संयुक्त प्रयत्नों के परिणामस्वReseller होता है।  अत: कुल उत्पादन को इन उत्पादन साधनो के स्वामियों में बॉटना होता है। उत्पादन के साधनों को उत्पादन सेवाओ के बदले में लगान, मजदूरी, ब्याज, व लाभ के Reseller में आय प्राप्त होती है। इस आय से वे वस्तुएं व सेवाएं खरीदते है। इनमें से प्रत्येक कितनी वस्तु व सेवाएं खरीद सकता है, यह प्रत्येक की आय पर निर्भर करता है। अत: यह समस्या आय के वितरण की समस्या है। यह समस्या की दुर्लभता से उत्पन्न होती है।

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