किशोरार्वस्थार् में शार्रीरिक विकास
1. लम्बार्ई तथार् भार्र- किशोरार्वस्थार् मे बार्लक तथार् बार्लिकाओ की लम्बार्ई बहुत तीव्र गति से बढ़ती है। बार्लिकाएं प्रार्य: 16 वर्ष की आयु तक तथार् बार्लक लगभग 18 वर्ष की आयु तक अपनी अधिकतम लम्बार्ई प्रार्प्त कर लेते है। किशोरार्वस्थार् में बार्लक- बार्लिकाओं की औसत लम्बार्ई (सेमी0) निम्नार्ंकित तार्लिक में दर्शार्ई गयी है।
तार्लिका
किशोरार्वस्थार् में बार्लक तथार् बार्लिकाओं की औसत लम्बार्ई (सेमी0)
आयु | 12 वर्ष | 13 वर्ष | 14 वर्ष | 15 वर्ष | 16 वर्ष | 17 वर्ष | 18 वर्ष |
बार्लक | 138-3 | 144-6 | 150-1 | 155-5 | 159-5 | 161-4 | 161-8 |
बार्लिक | 139-2 | 143-9 | 147-6 | 149-6 | 151-0 | 151-5 | 151-6 |
किशोरार्वस्थार् में भार्र में काफी वृद्धि होती है। बार्लको क भार्र बार्लिकाओं के भार्र से अधिक बढ़तार् है। इस अवस्थार् के अंत में बार्लकों क भार्र बार्लिकाओं के भार्र से अधिक बढ़तार् है। किशोरार्वस्थार् के विभिन्न वर्षो में बार्लक तथार् बार्लिकाओं क औसत भार्र (किग्रार्0) निम्नार्ंकित तार्लिक में दर्शार्यार् गयार् है।
तार्लिका
किशोरेरार्वस्थार् मेंं बार्लक तथार् बार्लिकाओंं की औैसत भार्र (कि.ग्रार्.)
आयु | 12 वर्ष | 13 वर्ष | 14 वर्ष | 15 वर्ष | 16 वर्ष | 17 वर्ष | 18 वर्ष |
बार्लक | 28-5 | 32-1 | 35-7 | 39-6 | 43-2 | 45-7 | 47-3 |
बार्लिक | 29-8 | 33-3 | 36-8 | 39-8 | 41-1 | 42-2 | 43-12 |
2. सिर तथार् मस्तिष्क- किशोरार्वस्थार् मे सिर तथार् मस्तिष्क क विकास जार्री रहतार् है, परन्तु इसकी गति काफी मंद हो जार्ती है। लगभग 16 वर्ष की आयु तक सिर तथार् मस्तिष्क क पूर्ण विकास हो जार्तार् है।
3. हड्डि्डयार्ँ- किशोरार्वस्थार् में हडिड्यो के दृढीकरण की प्रक्रियार् पूर्ण हो जार्ती है। जिसके परिणार्म स्वरूप अस्थियों क लचीलार्पन समार्प्त हो जार्तार् है तथार् वे दृढ़ हो जार्ती है किशोरार्वस्थार् में हडिडयों की संख्यार् कम होने लगी है। प्रौढ व्यक्ति में केवल 206 हड्डियार्ँ होती है।
4. दार्ँत- किशोरार्वस्थार् मे प्रवेश करने से पूर्ण बार्लक तथार् बार्लिकाओं के लगभग 28-32 स्थार्यी दार्ँत निकल जार्ते है।
5. मॉॅसपेशियार्ँ- किशोरार्वस्थार् मे मॉसपेि शयो क विकास तीव्र गति से होतार् है। किशोरार्वस्थार् की समार्प्ति पर मॉसपेशियों क भार्र शरीर के कुल भार्र क लगभग 45 प्रतिशत हो जार्तार् है।
6. अंगो की वृद्धि- आन्तरिक अंगो की वृद्धि होती है पार्चन प्रणार्ली, रक्त संचार्र प्रणार्ली, ग्रन्थिप्रणार्ली, श्वार्ंस तन्त्र आदि में विकास चरमोत्कर्ष पर होतार् है।
7. गले की ग्रन्थि क विकास – गले के थार्यरार्इड-ग्रन्थि बढ़ने से किशोर-किशोरियों की वार्णी में अन्तर आ जार्तार् है। किशोरों की वार्णी कर्कश होने लगती है जबकि किशोरियों की वार्णी में कोमलतार् और क्षीणतार् आने लगती है।
9. विशेष अंगो क विकास – कछु अन्य शार्रीरिक अंगो मे भी परिवतर्न होते है। किशोरियों में वक्षस्थल तथार् स्तनों की वृद्धि होती है। किशोरो के कन्धों की चौड़ार्ई बढ़ जार्ती है।