ऋणपत्र क्या है ?

ऋणपत्रों से कम्पनी दीर्घकालीन ऋण प्राप्त करती है इसमें कम्पनी निवेशको को Single निश्चित प्रतिशत पर प्रतिवर्ष ब्याज देती है चाहे कम्पनी को लाभ हो या नहीं। जब कम्पनी को पूंजी की Need होती है तब कम्पनी ऋणपत्र जारी करके पूंजी प्राप्त करती है या हम शेष कह सकते हैं कि ऋणदाता कम्पनी को ऋण देता है और कम्पनी उस ऋण की Single रसीद ऋणपत्र के Reseller में प्रदान करता है ऋणदाता को कम्पनी मे प्रबंध या मताधिकार नहीं होता।

ऋणपत्र से लाभ –

  1. ऋणपत्र Windows Hosting ऋण है 
  2. समता अंशधारी And पूर्वाधिकारी अंशधारी से First ऋणपत्रधारियों को कम्पनी समापन की दशा में भुगतान Reseller जाता है। 
  3. लाभ-हो या हानि ऋणदाताओं को दबाव दिया जाता है। 
  4. ऋणपत्रधारी प्रबंध पर हस्तक्षेप नहीं करते। 
  5. ऋणपत्रो पर दिया गया दबाव कम्पनी व्यय मानती है। 

    ऋणपत्र की सीमायें – 

    1. ऋण कंपनी के पास स्थार्इ सम्पित्त्ा नहीं होती ऋणपत्र का निर्वचन नही  कर सकती। 
    2. ऋणपत्र कम्पनी के उधार लेने की क्षमता को कम कर देता है।

      ऋणपत्रों के प्रकार-

      1. शोधनीय  And अशोधनीय ऋणपत्र-ऋणपत्र जिनकी धन वापसी Single निश्चित तिथी पर होती है शोधनीय ऋणपत्र है और समापन की दशा में निम्न ऋणपत्रों का करती है अशोधनीय ऋणपत्र है।
      2. परिवर्तनीय या अपरिवर्तित ऋणपत्र-जिन ऋणपत्रों को समता अंश में बदलने का अधिकार दिया जाता है पर परिवर्तनीय ऋणपत्र है और जिन ऋणपत्रों को समता अंश में परिवर्तन करने का अधिकार नहीं दिया वह अपरिवर्तनीय ऋणपत्र है।
      3. सुरुरक्षित या असुरुरक्षित ऋणपत्र-Windows Hosting ऋणपत्रों को कम्पनी अपनी सम्पित्त के प्रभार के Reseller में निर्गमित करती है अWindows Hosting ऋणपत्र जो सम्पित्त के बिना प्रभार पर केवल भुगतान वापसी की शर्त पर निर्गमित करती है।
      4. पजीकृत And वाहक ऋणपत्र-जब ऋणपत्र धारियों को ऋणपत्र नियोजन करते समय पंजीकृत करके ऋणपत्र देती है वह पंजीकृत ऋणपत्र है जो ऋणपत्र सुपुदर्गी मात्र से हस्तान्तरित Reseller जा सकता है वह वाहक ऋणपत्र है।

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