इटली का Singleीकरण

इटली का Singleीकरण उन्नीसवीं शताब्दी की महान राजनीतिक परिघटना थी। उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में इटली Single प्रतिष्ठित राष्ट्र के Reseller में नहीं, वरन् सांस्कृतिक Singleता की धरोहर के Reseller में विख्यात थी। इटली के Singleीकरण को इटालवी भाषा में ‘इल रिसोर जिमेंतो’ कहते है। 19 वीं सदी में इटली में Single राजनैतिक और सामाजिक अभियान की शुरूआत हुई, जिसने इटली राज्य के विभिन्न प्रायद्वीपों को संगठित करके Single इटालवीं राष्ट्र बना दिया। इसे इटली का Singleीकरण कहा गया। इटली का Singleीकरण सन् 1815 ई0 में इटली पर नेपोलियन बोनापार्ट के राज्य के अंत पर होने वाले वियेना कांग्रेस के साथ आरम्भ हुआ और 1870 में King वित्तोरियो इमानुएले की सेवाओं द्वारा रोम पर कब्ज़ा होने तक चला।

Singleीकरण से पूर्व इटली की स्थिति

आस्ट्रिया का चांसलर मेटरनिख इटली को ‘Single भौगोलिक अभिव्यक्ति’ कहा करता था। वस्तुत: उन्नीसवीं शताब्दी में इटली का कोई देश नहीं था। उस समय इटली 13 छोटे-छोटे Singleतन्त्रात्मक लघु स्वायत्त राज्यों में विभक्त था। इटली के उत्तर पश्चिम में सार्डीनिया-पीडमेन्ट का राज्य था, जहॉ सेवाय वंश शासन कर रहा था। उसके उत्तर-पश्चिम में लोम्बार्डी और वेनीशिया के प्रदेश थे, जिन पर आस्ट्रिया का आधिपत्य था। परमा, मेडेना और टस्कनी यद्यपि स्वतन्त्र राज्य थे, तथापि उन पर आस्ट्रिया का प्रभाव था। मध्य में पोप का अपना स्वतन्त्र राज्य था। दक्षिण मे नेपल्स और सिसली थे, जहाँ बूर्बो वंश का शासन था।

उत्तर में आल्पस पर्वत और तीन तरफ से सागरों से घिरे यूरोप के मध्य दक्षिण में स्थित यह प्रायद्वीप पूर्णत: Windows Hosting था। यहाँ सास्कृतिक Singleता मौजूद थी जो इटली को Single जीवन्त नाम बनाये रखती थी। इटली का समृद्ध और गरिमामय प्राचीन History था। सम्पूर्ण पश्चिमी यूरोप के साहित्य और धर्म की भाषा ‘लातिन’ इटली की भाषा थी। इटली में धर्म के स्तर पर भी Singleता थी। पोप का निवास रोम में होने के कारण सम्पूर्ण इटली कट्टर Reseller से कैथोलिक धर्म का अनुयायी हो गया था। इस प्रकार इटली में हर तरह से सुसंगठित इकाई के तत्व मौजूद थे। इन्हीं तत्वों से इटली में संगठन और Singleीकरण के बीज प्रस्फुटित हुए।

इटली के Singleीकरण में फ्रांसीसी क्रान्ति And नेपोलियन की भूमिका

इटली के राष्ट्र-निर्माण में फ्रांसीसी-क्रान्ति (1789 ई0) का Historyनीय महत्व है। सामन्तवाद का पतन And जनतांत्रिक सिद्धान्तों में साक्षात्कार इसी क्रान्ति की देन कही जाती है। कानून की दृष्टि में सबको समान अधिकार, धर्म के विषय में All को स्वतंत्रता, पे्रस की स्वाधीनता और स्वायत्त शासन प्रणाली आदि फ्रांसीसी क्रान्ति के वसीयत थे, जिनसे राष्ट्रीय शासन स्थापित करने में इटली को प्रत्यक्ष लाभ हुए। सामन्तवादी व्यवस्था की समाप्ति तथा आन्तरिक व्यापार पर प्रतिबन्धों का अन्त इटलीवासियों को फ्रांस की सबसे बड़ी देन थी। नेपोलियन ने इटलीवासियों को अपने गौरवपूर्ण अतीत का पुन: स्मरण करवाया। किन्तु जब स्वयं नेपोलियन ने ही इटली का उपनिवेश के Reseller में प्रयोग करना शुरू Reseller, तो इटलीवासियों की राष्ट्रवादी भावनाएं भड़क उठी। इन्हीं कारणों की वजह से यह कहा जाता है कि नेपोलियन ही इटली में राष्ट्रवाद का जन्मदाता था।

वियना व्यवस्था (1815) के उपरान्त इटली

1815 के वियना-व्यवस्था के जन-इच्छा और राष्ट्रीयता की भावना की उपेक्षा कर इटली के विभिन्न राज्यों का पुनरूद्धार Reseller गया जिसमें इटली की जो नवीन व्यवस्था का प्राReseller तैयार Reseller गया वह इस प्रकार था-

  1. उत्तरी-इटली में लोम्बार्डी और वेनेशिया के प्रान्त आस्ट्रिया के अधीन कर दिए गए।
  2. मध्य-इटली में पोप के शासन को बनाये रखा गया।
  3. दक्षिण-इटली में नेपल्स और सिसली के राज्य सम्मिलित थे, जहाँ बूर्बो वंश का शासन कायम रहा।

इटली की राष्ट्रीयता के दृष्टिकोण से वियना कांग्रेस की यह व्यवस्था अनुकूल नहीं थी, इसलिए प्रबुद्ध लोगों ने सम्पूर्ण इटली को Single राष्ट्र का दर्जा प्रदान करने हेतु अथक प्रयास आरम्भ Reseller। लेकिन इटली के राष्ट्र-निर्माण में अनेक बाधाऐं थीं, जिन्हें दूर करना अति आवश्यक था।

इटली के Singleीकरण के मार्ग में बाधाएँ

इटली के Singleीकरण के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा यह थी कि इटली की जनता गरीब, अशिक्षित और पिछड़ी हुई थी। उसे Singleीकरण से कुछ लेना-देना नहीं था। उसकी मूल समस्या रोजी-रोटी की थी। प्रबद्ध लोग और मध्यम वर्ग के लोग, जो Singleीकरण में देश का और अपना लाभ देख रहे थे, बिना जनता को साथ लिए कुछ कर नहीं सकते थे।

विभिन्न राज्यों का King वर्ग Singleीकरण का विरोध था क्योंकि उसकी अपनी स्वतन्त्र सत्ता समाप्त हो जातीं इटली के Singleीकरण में सबसे बड़ी बाधा आस्ट्रिया का चांसलर मेटरनिख था क्योंकि इटली में हुए परिवर्तन की लहर निश्चित ही आस्ट्रिया भी पहुँचती। पोप भी Singleीकरण का विरोधी था क्योंकि इटली के King के Reseller में सारे इटली की राजनीतिक सत्ता सिमट जाती और पोप का प्रतिद्वन्दी पैदा हो जाता। उसमें धार्मिक सत्ता का भय बनाए रखना था। इस कारण यूरोप के अन्य कैथोलिक देश भी पोप के समर्थक और इटली में परिवर्तन के विरूद्ध थे। मेटरनिख के नेतृत्व में इन सभा Kingों ने हर तरह की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति पर प्रतिबन्ध लगा रखा था, लेकिन बावजूद इसके धीरे-धीरे परिवर्तन हो रहा था।

Singleीकरण का विकास क्रम

इटली के Singleीकरण में विभिन्न बाधाओं के बावजूद वहाँ के कतिपय देश भक्तों और लोकतंत्र के समर्थकों ने मिलकर स्वतत्रंता और उदारवाद की प्राप्ति के लिए संघर्ष करने का निर्णय Reseller, जिसमें कार्बोनरी नामक गुप्त संस्था प्रमुख थी।

कार्बोनरी

इटली के कोयला झोंकने वालों की इस गुप्त संस्था की स्थापना 1810 ई0 में नेपल्स में हुई थी। जिसके दो मुख्य उद्देश्य थे- विदेशियों को इटली से बाहर निकालना और वैधानिक स्वंतत्रता की स्थापना करना। इस संस्था के तिरंगे- काला, लाल और नीले रंग वाले झण्डे ने शीघ्र ही लोकप्रियता प्राप्त कर ली और लोग इसकी पूजा करने लगे।

जोसेफ मात्सिनी (मैजिनी) And तरूण इटली (यंग-इटली)

जोसेफ मैजिनी इटालवीं राष्ट्रवाद का मसीहा था। वह महान व्यक्ति दार्शनिक चिन्तक, दूरदश्र्ाी राजनेता तथा कर्मठ कार्यकर्त्ता था। मैजिनी ने राष्ट्रवाद में कभी संकीर्णता नहीं आने दी। Singleीकृत गणतंत्र के Reseller में इटली के उदय का सपना देखनें वाले इटालवीं छात्रों And बुद्धिजीवियों के लिए वह Single अक्षय प्रेरणास्रोत था। मेजिनी का जन्म सार्डेनिया स्थित जिनोवा के नगर में हुआ था। तरूणावस्था में वह गुप्त क्रांन्तिकारी दलों के कार्यकलापों में सक्रिय भाग लिया करता था। 1821 ई0 में उसे नेपुल्स के विद्रोह का दमन किये जाने पर असंख्य विस्थापितों को उत्तर की ओर जाते देखकर इटली की दुरावस्था की वास्तविक जानकारी हुई। देश की इस दुर्दशा के प्रतीक के Reseller में मेजिनी ने काले कपड़े पहनना शुरू Reseller, जीवन-भर वह काले वस्त्र धारण करता रहा। 1830-31 के विद्रोह में उसने सक्रिय भाग लिया तथा छह महीने कारावास में भी बिताये। रिहा करते समय उस पर यह शर्त लगा दी गयी कि वह जिनोवा में कभी प्रवेश नहीं करेगा। मेजिनी ने इसके बदले स्वदेश छोड़ने का संकल्प Reseller। तदुपरान्त अपने जीवन के शेष चालीस वर्ष उसने स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन और फ्रांस में बिताये। विदेशों मे रहते हुए भी मेजिनी बराबर अपने प्रेरणा-भरे लेखों, पुस्तिकाओं तथा इश्तिहारों से इटली के नौजवानों में स्वतन्त्रता का बिगुल फूँकता रहा। वहीं उसने ‘युवा इटली’ की स्थापना की, जो इटालवी स्वतन्त्रताकर्मियों की पार्टी थी। इस पार्टी में चालीस वर्ष या उससे कम के नौजवान भर्ती किये जाते थे। इटालवी प्रायद्वीप से विदेशी आधिपत्य समाप्त करना तथा संयुक्त गणतन्त्र स्थापित करना इनका लक्ष्य था। प्रचारक के Reseller में मेजिनी बेमिसाल था, किन्तु अपने देश में विद्रोह कराने में वह सफल नहीं हो सका।

मेजिनी को जन-संप्रभुता के सिद्धान्त में गहरी आस्था थी। उसका ख्याल था कि फ्रांसीसी क्रान्ति के दरम्यान Human के अधिकारों पर तो अत्यधिक जोर दिया गया था, किन्तु Human के कर्तव्यों पर बहुत कम। उसका दृढ़ विश्वास था कि आदमी तभी सुखी रह सकता है जब वह सामूहिक उद्योग में लगा रहे। ‘ड्यूटीज ऑफ मैन’ नामक पुस्तक में उसने लिखा था कि आदमी के सामने सबसे महान उद्यम, जिसके लिए वह अपना जीवन उत्सर्ग कर सकता है, राष्ट्र की सेवा है।

मेजिनी की दृष्टि राष्ट्र के दायरे तक ही सीमित नहीं थी, राष्ट्र के आगे भी जाती थी। उसके According राष्ट्र के प्रति निष्ठा Humanता के प्रति उच्चतर कर्त्तव्यों का Single अंश थी। मेजिनी के Wordों में, “First तुम आदमी हो, उसके बाद किसी देश के नागरिक या अन्य कुछ।” उसकी दृष्टि में राष्ट्र Humanता के प्रति व्यक्ति का अपना कर्त्तव्य पूरा करने का Single साधन था। मेजिनी ने 1834 ई0 में ‘यंग यूरोप’ की स्थापना की थी। यह अन्य राष्ट्रों के प्रति उसके अनुराग का Single परिणाम था। जर्मनी, पोलैंड तथा स्विट्जरलैंड में राष्ट्रवादी आंदोलन का संचालन करने हेतु राष्ट्रीय समिति का गठन करना इसका उद्देश्य था। मेजिनी की धारणा थी कि खंडित राष्ट्रों के Singleीकरण अथवा अन्य राष्ट्रों के आधिपत्य में पड़े हुए लोगों की मुक्ति के लिए काम करना उस मंगल प्रभाव को समीप लाना था जब अपनी राष्ट्रीय आकांक्षाएँ हासिल करने के बाद प्रत्येक राष्ट्र Singleजुट होकर समग्र Humanता के लिए काम करेगा। इन्हीं कारणो से मेजिनी को उन आदर्शों का मसीहा माना जाता है, जिन्हें First विश्वFight के उपरान्त अमेरिकी राष्ट्रपति विल्सन ने वर्साय सन्धि में जोड़ने की पहल की थी। ये आदर्श थे-राष्ट्रीय आत्मनिर्णय तथा हर राष्ट्र को Single मंच पर लाना।

1848 की फ्रांसीसी क्रान्ति और इटली

फ्रांस में 1848 की क्रान्ति का विस्फोट होने पर उसकी सफलता का समाचार सुनकर इटली की जनता का उत्साह बढ़ गया। आस्ट्रिया के चान्सलर मेटरनिख के पतन की घटना के विषय में जब इटलीवासियों को ज्ञात हुआ तो उनके हर्ष And उत्साह की सीमा न रही । लम्बार्डी, वेनेशिया, नेपिल्स, टस्कनी, पीडमॉण्ट And पोप के राज्य की जनता ने विद्रोह कर दिया। All राज्यों के Kingों ने निरंकुशता का मार्ग छोड़कर उदार संविधानों को लागू कर दिया।

इटली की जनता अपने राज्यों के Kingों से माँग की कि आस्ट्रिया को सदैव के लिए इटली से बाहर निकालने के लिए वे संगठित होकर संघर्ष करें। अन्तत: पीडमॉण्ट-सार्डीनिया के King चाल्र्स ऐल्बर्ट के नेतृत्व में इटली के राज्यों ने आस्ट्रिया के विरूद्ध Fight की घोषणा कर दी। प्रारम्भ में लगभग All राज्यों के Kingों ने चाल्र्स को पूर्ण सहयोग प्रदान Reseller जिसके फलस्वReseller आस्ट्रिया की सेना को अनेक स्थानों पर पराजित होना पड़ा। किन्तु शीघ्र ही Kingों की Singleता भंग हो गयी। First पोप ने अपनी सेना को रणक्षेत्र से वापस बुलाने का आदेश दिया। तत्बाद नेपिल्स, टस्कनी व अन्य राज्यों ने भी पोप के मार्ग का अनुसरण Reseller। फलस्वReseller अकेला चाल्र्स ऐल्बर्ट आस्ट्रिया के विरूद्ध अधिक समय तक प्रतिरोध नहीं कर सका और 23 मार्च, 1849 को नोवारा के Fight में आस्ट्रिया द्वारा बुरी तरह पराजित हुआ। उसे इटली के राज्यों के Kingों के विश्वासघातपूर्ण व्यवहार से इतना अधिक दु:ख हुआ कि उसने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया, तथा शासन की बागडोर अपने पुत्र विक्टर इमेन्युअल द्वितीय को सौंप दी।

विक्टर इमेन्युल द्वितीय (1820-1870 ई0)

विक्टर इमेन्युल द्वितीय Single वीर सैनिक, सच्चा देशभक्त और ईमानदार King था। वह यूरोप के राजनीतिक वातावरण से पूर्णत: परिचित नहीं था। तथापि वह Single समझदार राजनीतिज्ञ था। पीडमोन्ट की जनता उसे ईमानदार King कहा करती थी। मार्च 1849 ई0 में जब विक्टर पीडमोन्ट-सार्डीनिया का King बना, उस समय सार्डीनिया की सेना आस्ट्रिया से Defeat हो चुकी थी। अत: उसे आस्ट्रिया से सन्धि करनी पड़ी। विक्टर इमेन्युल को यह विश्वास था कि मध्य मार्ग नीति अपनाकर वह सार्डीनिया के नेतृत्व में वह इटली का Singleीकरण कर सकता है। उसने इस हेतु प्रयत्न भी प्रारम्भ कर दिये थे। वह अपने गुणों के कारण जनता में लोकप्रिय हो गया। गैराबाल्डी जैसे गणतंत्रवादी भी उसकी प्रशंसा करते थे। इटली के All निर्वासित देशभक्त पीडमोन्ट की ओर आकर्षित होने लगे। विक्टर इमेन्युल के भाग्य से 1850 ई0 में काउन्ट कावूर जैसा योग्य मंत्री उसे मिला, जिसकी गणना उन्नीसवीं शताब्दीं के महानतम् राजनीतिज्ञों में की जाती है।

काउण्ट कावूर (1810-1861 ई0)

काउण्ट केमिलो-डी-कावूर का जन्म 1810 ई0 में ट्यूरीन के Single कुलीन परिवार में हुआ था। सैनिक शिक्षा प्राप्त कर वह सेना में इंजीनियर के Reseller में भर्ती हुआ। किन्तु अपने उदार विचारों के कारण उसे सेना से 1841 ई0 में त्यागपत्र देना पड़ां 1841-1846 ई0 तक वह अपनी जमींदारी का कार्य करता रहा, इसी समय वह अपनी उदासी दूर करने के लिए कई बार फ्रांस और इग्लैण्ड की यात्रा पर गया। इग्लैण्ड में रहकर उसने संसदीय प्रणाली को नजदीक से देखा और उससे प्रेरित होकर अपने देश में भी उसी प्रकार की शासन प्रणाली स्थापित करने का प्रयत्न करने लगा। 1847 ई0 कावूर ने ‘इल रिसार्जीमेन्टो’ नामक समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू Reseller था। इस पत्र के माध्यम से इटली के Singleीकरण की बात कहीं जाने लगी। 1848 ई0 में वह सार्डीनिया-पीडमोन्ट की First संसद का सदस्य चुना गया। उसकी योग्यता के कारण उसे 1850 ई0 में वित्त And उद्योग मंत्री बना दिया गया। 1852 ई0 में डी. एजे्रग्लिओ के मंत्रिमण्डल के त्यागपत्र देने पर वह प्रधानमंत्री बना। कावूर के प्रधानमंत्री नियुक्त होते ही इटली के History में Single नवीन अध्याय की शुंरूआत हुई। अपने इस काल में उसने Single कूटनीतिज्ञ And अद्वितीय राजनीतिज्ञ होने का परिचय दिया। मेजिनी और गैरीबाल्डी के समान कावूर भी सच्चा देशभक्त था और इटली को स्वतंत्र कर उसका Singleीकरण करना चाहता था। वह चाहता था कि- (i) इटली का Singleीकरण सार्डीनिया के नेतृत्व में ही सम्भव हो सकता है। (ii) Singleीकरण के लिए यह आवश्यक है कि इटली के राज्यों को आस्ट्रिया से मुक्त कराया जाय और (iii) आस्ट्रिया से मुक्ति प्राप्त करने के लिए विदेशी सहायता आवश्यक है। यह कावूर के महान मस्तिष्क का कार्य था, जिसने मेजिनी के प्रेरणा को Single प्रबल कूटनीतिज्ञ शक्ति के Reseller में गतिमान बनाया और गैरीबाल्डी की तलवार का Single राष्ट्रीय अस्त्र के Reseller में प्रयोग Reseller। वास्तव में कावूर के बिना मैजिनी का आदर्शवाद और गैरीबाल्डी की वीरता निरर्थक होती। कावूर ने इन दोनों के विचारों में सामंजस्य स्थापित Reseller।

कावूर की गृह-नीति

कावूर ने राज्य की आर्थिक उन्नति के लिए विशेष प्रयत्न किए। उसने व्यापार वाणिज्य के विकास के लिए मुक्त व्यापार नीति अपनाकर विदेशी व्यापार को प्रोत्साहन दिया। यातायात की सुविधाओं का विस्तार Reseller और बैंको की स्थापना की। सहकारी समितियॉ खोली तथा कृषि की उन्नति के लिए विभिन्न संस्थाएँ स्थापित की। कावूर ने आर्थिक सुधारों की दिशा में Single बड़ा कदम उठाते हुए गिरिजाघरों की भूमि पर कर लगा दिया। कैथोलिक लोग इटली की Singleता में बाधक थे। अत: चर्च के अनेक विशेषाधिकार छीन लिये गये। सेना में सुधार करते हुए उसने जनरल ला-मारमोरा को सेनाध्यक्ष नियुक्त Reseller। 90000 सैनिकों की उसने Single सुसज्जित सेना तैयार की। राज्य की सीमा पर दुर्ग बनवायें। नौसेना में भी सुधार कार्य Reseller। कावूर अपनी गृह-नीति में बहुत सफल हुआ। पीडमोन्ट जैसे छोटे And गरीब राज्य को उसने सुदृढ़, समृद्ध And Single आदर्श राज्य में परिणत कर दिया।

कावूर की विदेश-नीति

इटली के Singleीकरण के लिये आस्ट्रिया के प्रभुत्व से मुक्त होना तथा पीडमोन्ट के King की अध्यक्षता में उसे संघटित करना कावूर की विदेश नीति का उद्देश्य था। बिस्मार्क की भॉति वह यथार्थवादी राजनीति में विश्वास रखता था। उसे Fight और सैन्यवाद की नीति में विश्वास था। उसे यह ज्ञान था कि इग्लैंण्ड और फ्रांस उसके सहायक हो सकते थे। इग्लैंण्ड में इटली के प्रति सहानुभूति अवश्य थी किन्तु उससे सक्रिय मदद की आशा नहीं थी। दूसरी ओर फ्रांस का King नेपोलियन तृतीय महत्वाकांक्षी, साहसी और राष्ट्रीयता का समर्थक था इसलिए कावूर ने नेपोलियन तृतीय की सहायता प्राप्त करने का प्रयत्न Reseller।

क्रीमिया का Fight (1854-1857 ई0)

इटली के राज्यों से आस्ट्रिया का आधिपत्य समाप्त करने के लिए तथा इटली की समस्या को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाने के लिए कावूर यूरोप के किसी बड़े राष्ट्र का सहयोग प्राप्त करना चाहता था। वह ऐसे अवसर की प्रतीक्षा कर रहा था जब इटली यूरोप के अन्य देशों को किसी प्रकार का सहयोग प्रदान कर सके। सौभाग्यवश क्रीमिया Fight में उसे यह अवसर प्राप्त हो गया। यह Fight मुख्य Reseller से टर्की तथा रूस के मध्य लड़ा गया था। किन्तु इग्लैंण्ड व फ्रांस ने अपने स्वार्थो के कारण टर्की को सैनिक सहयोग प्रदान Reseller था। पीडमोन्ट का इस Fight में कोई स्वार्थ नहीं था किन्तु दूरदश्र्ाी नेता कावूर ने पीडमोन्ट की सेना को टर्की, इग्लैंण्ड व फ्रांस के समर्थन में क्रीमिया Fight में भाग लेने के लिए भेज दिया। क्रीमिया के Fight में इटली के भाग्य का निर्णय हुआ। 1856 ई0 की पेरिस सन्धि के समय कावूर को भी आमंत्रित Reseller गया था। वहॉ पर उसने इटली की समस्याओं को यूरोप के बड़े देशों के समक्ष प्रस्तुत Reseller तथा इन समस्याओं के लिए आस्ट्रिया को उत्तरदायी ठहराया। यह कावूर की महानतम् कूटनीतिज्ञ सफलता थी। इससे कावूर की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई और इग्लैंण्ड तथा फ्रांस ने इटली के Singleीकरण अभियान को मान्यता प्रदान करके उसे अन्तर्राष्ट्रीय समस्या का स्वReseller प्रदान कर दिया। क्रीमिया का Fight कावूर के लिए देवप्रदत्त सुअवसर साबित हुआ। इसलिए कहा जाता है कि “क्रीमिया के कीचड़ में इटली का जन्म हुआ”।

फ्रांसीसी King नेपोलियन तृतीय का सहयोग And लोम्बार्डी की प्राप्ति

फ्रांसासी सहायता मिलने लगी, किन्तु 14 जनवरी 1858 में फेलिस आर्सिनी द्वारा नेपोलियन तृतीय की हत्या के प्रयास से फ्रांस-पीडमोन्ट-तनाव उत्पन्न हो गया। किन्तु कैदी आर्सिनी द्वारा इटली की स्वतंत्रता की माँग किये जाने पर फ्रांसीसी King प्रभावित हुआ। इसके बाद इस स्थिति का लाभ उठाते हुए कावूर ने जुलाई, 1858 में नेपोलियन के साथ प्लोम्बियर्स-समझौता कर लिया।

प्लोम्बियर्स का समझौता:- इस समझौते के According निम्नांकित तथ्य स्वीकार किये गये। नेपोलियन ने पीडमोन्ट-आस्ट्रिया के सम्भावित Fight में 2 लाख सैनिक भेजने का वादा Reseller। (ii) आस्ट्रिया के निष्कासन पर लोम्बार्डी-वेनेशिया आदि का पीडमोन्ट में विलय की योजना बनायी गयी। (iii) कावूर द्वारा फ्रांस को सेवाय व नीस देने का आश्वासन तथा पीडमोन्ट की राजकुमारी का जेरोम बोनापार्ट के साथ विवाह। (iv) अम्ब्रिया-टस्कनी का इटली में विलय तथा उक्त भाग जेरोम को देने की बात। (v) नेपल्स, सिसली व पोप के राज्य की पूर्ववत् व्यवस्था।

आस्ट्रिया-सार्डीनिया Fight – प्लोम्बियर्स समझौते के According कावूर के पास राज्य विभाजन के अलावा कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि इसी शर्त पर नेपोलियन मदद देने के लिए तैयार था। सीमा पर पीडमोन्ट की सेना पहुँच गई, जो आस्ट्रिया की चेतावनी के बाद भी कायम रही। आस्ट्रिया स्थित ब्रिटिश राजदूत लार्ड काउले के प्रयास के बावजूद 29 अप्रैल, 1859 में आस्ट्रिया की सेना ने सार्डीनिया में प्रवेश Reseller और 03 मई को नेपोलियन ने Fight की घोषणा कर दी। 1859 ई0 के मई में मैटेबलो-पेलेस्ट्रो में 4 जून को मेगेन्टा और मिलान में 24 जून को सालफरीनों में आस्ट्रिया की हार हुई। इस अन्तराल में नेपोलियन ने अचानक Fight विराम घोषणा कर दी और 11 जुलाई 1159 ई0 में आस्ट्रिया के सम्राट फ्रांसिस जोसेफ से विलाफ्रेंका की सन्धि कर ली।

विलाफ्रेंका की सन्धि (11 जुलाई 1159 ई0) – इस सन्धि के According विराम की शर्ते तय कर ली गई-

  1. लोम्बार्डी सार्डीनिया को मिला, किन्तु वेनेशिया आस्ट्रिया के पास रहा।
  2. परमा, मोडेना व टस्कनी में पूर्ववर्ती King पुनस्र्थापित हुए।
  3. वेनेशिया सहित पोप के नेतृत्व में इटली संघ निर्माण की योजना बनी।

इस सन्धि से स्तब्ध हुआ असन्तुष्ट कावूर ने एमेन्युल द्वितीय को Fight जारी रखने की सलाह दी, जिसकी अस्वीकृति पर कावूर ने त्याग-पत्र दे दिया। विक्टर ने आस्ट्रिया फ्रांस के विलाफ्रेंका की पूरक सन्धि ज्यूरिख संधि (10 नवम्बर 1859 ई0) पर हस्ताक्षर किए। इससे इटली को लोम्बार्डी मिला और वेनेशिया पर इटली का नैतिक अधिकार स्थापित होने के बाद Singleीकरण का First चरण समाप्त हुआ।

मध्य इटली का विलय

नेशनल सोसाइटी की सहायता से मध्य इटली में राष्ट्रीयता का जोर पकड़ने पर परमा, मोडेना, टस्कनी, वोलोग्ना व रोमाग्ना में देशभक्तों ने अस्थायी सरकार बना ली। इन्होंने प्रस्ताव द्वारा सार्डीनिया में सम्मिलित होना भी स्वीकारा। ब्रिटिश प्रधानमंत्री पामस्र्टन व विदेश मंत्री लॉर्ड जॉन रसेल के समर्थन पर भी विक्टर फ्रांस के भय से यह विलयन नहीं कर पा रहा था। इसी समय पुन: कावूर के प्रधानमंत्री बनते ही फ्रांस को सेवाय व नीस का प्रलोभन देकर उसका अहस्तक्षेप प्राप्त कर लिया, जिसकी आलोचना गैरीबाल्डी सहित कई लोगों ने की। 1860 ई0 में विलयन सम्बन्धी चुनाव हुए, जिसके परिणाम स्वReseller बहुमत से परमा, मोडेना And टस्कनी सार्डीनिया में मिल गये। इससे Singleीकरण का द्वितीय चरण पूर्ण हुआ।

नेपल्स और सिसली का विलय

इन राजनीतिक घटनाओं का प्रभाव नेपल्स-सिसली पर पड़ा। 1860 ई0 में फ्रांसिस द्वितीय के कुछ सुधारों के बावजूद नेपल्स में विद्रोह बढ़ते गये। प्रसंगवश कावूर का कथन- “ये देश कूटनीति से नहीं क्रान्ति से मिलाये जा सकते हैं” पूर्णत: सही है, क्योंकि नेपल्स-सिसली के विद्रोह की सफलता का श्रेय संघर्षशीन सैनिक गेरीबाल्डी को जाता है।

गैरी बाल्डी (1807-1882)

ज्यूसप गैरीबाल्डी का जन्म 1807 ई0 में नीस नामक नगर में हुआ था। उसके पिता छोटे व्यापारिक जहाज के Single अधिकारी थे। उसके पिता चाहते थे कि गैराबाल्डी को उच्च शिक्षा मिले। लेकिन गैराबाल्डी का मन पढ़ने में नहीं लगा। वह केवल इतना पढ़ सका कि पुस्तकें पढ़ सकें और अपनी स्वतंत्र And साहसिक प्रवृत्ति को संतुष्ट कर सके। दस वर्षो तक गैराबाल्डी व्यापारिक जहाजों पर पर्यटन करता रहा। इस कारण उसे भूमध्यसागर का पर्याप्त अनुभव हो गया था। इन्हीं यात्राओं में उसका इटली के देशभक्तों और निवासियों से परिचय हुआ और उनके सम्पर्क से उसके मन में इटली की स्वतंत्रता की भावना जागृत हुई। वह मैजिनी के सम्पर्क में भी आया और उसके उच्चादर्शों से प्रभावित होकर युवा इटली का सदस्य बन गया। 1833 ई0 में उसने मैजिनी द्वारा संगठित नौ-सैनिक षड्यंत्र में भाग लिया। वह पकड़ा गया और उसे मृत्युदण्ड की सजा दी गयी लेकिन वह किसी तरह भागकर दक्षिणी अमेरिका चला गया। Fourteen वर्षों तक वह परीक्षण अमेरिका के क्रांन्तिकारियों का सहयोग करता रहा। इस समय में उसने छापामार Fight का अच्छा प्रशिक्षण प्राप्त Reseller, जो आगे चलकर इटली के Singleीकरण के Fightों में सहायक हुआ। 1848 ई0 की क्रान्ति की सूचना पाकर वह पुन: इटली लौट आया और उसने चाल्र्स एल्बर्ट के नेतृत्व में आस्ट्रिया के विरूद्ध Fight में भाग लिया। इसके बाद वह रोम में मैजिनी के गणतंत्र की सहायता करने पहुँचा। उसने फ्रांसीसी सेनाओ के विरूद्ध रोम की रक्षा का अंत तक प्रयत्न Reseller किन्तु वह सफल न हो सका और किसी प्रकार बचकर टस्कनी पहुँचा। टस्कनी से वह पीडमोन्ट आया और वहाँ पुन: देश छोड़कर जाने की तैयारी करने लगा। जब वह जाने की तैयारी कर रहा था, तब उसके बहुत से अनुयायियों ने उनके साथ ही रहने की प्रबल इच्छा व्यक्त की। उस समय उसने अपने साथियों को सम्बोधित करते हुए कहा था- “मैं तुमको ने तो वेतन देता हूँ, न भोजन देता हूँ और न निवास के लिए मकान। मैं तुम्हें भूख, प्यास और जबरन आगे बढ़ना ही दे सकता हूँ। अत: जो केवल मुख से सहानुभूति प्रदर्शित करने वाले हैं, वे नहीं वरन् सच्चे हृदय से देश को प्यार करने वोल ही मेरा अनुगमन करें।” अन्तत: वह अपने कुछ साथियों के साथ पुन: अमेरिका चला गया। अमेरिका में वह छह वर्ष रहा और वहाँ से काफी धन कमाकर 1854 ई0 में पुन: इटली लौट आय। इटली आने पर उसने सार्डीनिया के निकट केप्रीरा नामक टापू खरीदा और वहाँ Single स्वतंत्र कृषक के Reseller में रहने लगा। 1856 ई0 में उसका कावूर से First सम्पर्क हुआ। वह कावूर के विचारों से इतना अधिक प्रभावित हुआ कि उसने 1857 ई0 में सार्डीनिया के King को अपनी सेवाएँ अर्पित कर दीं। गैरीबाल्डी के जीवन की यह Single महत्वपूर्ण घटना थी क्योंकि गणतंत्रवादी अब वैधानिक राजतंत्रवाद का समर्थक बन गया था। उसी के कारण सार्डीनिया के गणतंत्रवादियों और राजतंत्रवादियों में समझौता हो सका। कैटबली ने लिखा है, “यदि यह समझौता नहीं होता और दोनों के मतभेद बने रहते, तो वे Single-Second को Destroy करने का प्रयत्न करते और इटली की Singleता का प्रयत्न विफल हो जाता।”

सिसली में विद्रोह

सिसली की जनता बूर्बों Kingओं के निरकुंश शासन के विरूद्ध थी। यहाँ के देशभक्तों ने गैरीबाल्डी से प्रार्थना की कि वह उनका नेतृत्व करे। गैरीबाल्डी उनकी सहायता के लिए तैयार हो गया। किन्तु उसने यह शर्त रखी थी कि वे इटली और विक्टर इमेन्युअल के नाम पर विद्रोह करें। 4 अप्रैल 1860 ई0 को मसीना के निकट विद्रोह हो गया। यद्यपि आरम्भ मे विद्रोहियों को कुछ सफलता मिली लेकिन फ्रांसीसी सेनाओं ने इस उपद्रव को क्रूरता से दबा दिया। इस घटना के बाद गैरीबाल्डी सिसली की मदद को तैयार हो गया। 5 मई, 1860 ई0 को गैरीबाल्डी ने अपने प्रसिद्ध Single हजार ‘लाल कुर्ती वाले स्वयंसेवकों’ के साथ जेनेवा से सिसली की ओर प्रस्थान Reseller। 11 मई को गैरीबाल्डी सिसली द्वीप के पश्चिमी किनारे पर मार्सला पहुँच गया। वहाँ पर इंग्लैण्ड की सहायता से गैंरीबाल्डी के सैनिक सिसली पर उतर गये। 15 मई को केल्टाफीमी नामक स्थान पर उसने नेपल्स की सेनाओं को Defeat Reseller। इसके बाद उसने पैलरमो पर अधिकार कर लिया। जून के अंत तक सिसली पर गैरीबाल्डी का अधिकार हो गया और उसने स्वयं को सिसली का अधिनायक घोषित Reseller। अपने अदम्य उत्साह, कौशल और King से असंतुष्ट जनता के अपूर्व सहयोग के कारण गैराबाल्डी को अभूतपूर्व सफलता मिली।

नेपल्स पर अधिकार

थोड़ी तैयारी के बाद गैरीबाल्डी ने अपनी सेना के साथ 19 अगस्त, 1860 ई0 को नेपल्स पर हमला कर दिया। First से ही उसकी स्थिति बेहतर थी क्योंकि उसे अपार-जनसमूह का समर्थन प्राप्त था और सफलता से उसकी सेना का मनोबल ऊँचा था। लेकिन विरोध में Single लाख सेना खड़ी थी, जिसमें कुछ असंतुष्ट सैनिक भी थे। असंतुष्ट सेना हमेशा नुकसान पहुँचाती रही है। ये सैनिक गैरीबाल्डी के साथ मिलने लगे। नेपोलियन तृतीय गैरीबाल्डी की प्रगति को रोकना चाहता था, लेकिन ब्रिटेन की सहानुभूति नीति के कारण गैरीबाल्डी को नेपल्स में आगे बढ़ने का अवसर मिल गया। फ्रांसिस द्वितीय द्वारा गैरीबाल्डी को रोकने के प्रयत्न विफल हुए और उसके सेनापति विद्रोही हो गये। ऐसी स्थिति में King नेपल्स छोड़कर गेटा भाग गया। गैरीबाल्डी बिना किसी प्रतिरोध के आगे बढ़ता ही चला गया। लोगों ने उसका शानदार स्वागत Reseller और उसे दूसरा मसीहा माना। गैरीबाल्डी ने स्वयं को नेपल्स का अधिनायक घोषित Reseller और मैजिनी के समर्थक बर्तानी को राज्य का मंत्री नियुक्त Reseller। तदोपरान्त गैरीबाल्डी वेनेशिया और रोम की ओर बढ़ना चाहता था। इस अभियान में उसके समक्ष कुछ समस्याएं थीं-

  1. फ्रांस का प्रतिरोध हो सकता था व अन्र्तराष्ट्रीय संकट भी उत्पन्न होने की सम्भावना थी।
  2. कावूर विजित प्रदेश में गैरीबाल्डी द्वारा गणतंत्र की स्थापना से संशकित था।
  3. गैराबाल्डी द्वारा वेनेशिया पर सम्भावित आक्रमण से आस्ट्रिया के साथ भी तनाव बढ़ जाता, जिससे आस्ट्रिया और फ्रांस दो शत्रु हो जाते।

विक्टर इमेन्वुअल ने 7 नवम्बर 1860 ई0 को गैराबाल्डी के साथ नेपल्स में प्रवेश Reseller। इसके बाद नेपल्स के राजमहल में विक्टर इमेन्वुअल को संयुक्त इटली का King घोषित Reseller गया। दक्षिण के राज्यों के इटली में विलय के साथ ही इटली के Singleीकरण का तृतीय चरण सम्पन्न हुआ।

18 फरवरी 1861 ई0 को ट्यूरिन में इटली की First संसद की बैठक हुई, जिसमें वेनेशिया और रोम को छोड़कर समस्त इटली के प्रतिनिधि थे। विक्टर इमेन्वुअल द्वितीय को इटली का विविधवत् King स्वीकार कर लिया गया। इस प्रकार सार्डीनिया का राज्य इटली का राज्य हो गया। संसद में कावूर का यह प्रस्ताव स्वीकार Reseller कि रोम इटली की राजधानी होनी चाहिए।

गैरीबाल्डी की महानता

इटली को मुक्त कराने में गैराबाल्डी का योगदान अविस्मरणीय है। विक्टर इमेन्युअल के इटली का King घोषित होने के उपरान्त गैराबाल्डी को सम्मानित करने और उपाधियाँ देने का प्रस्ताव रखा गया। लेकिन उसने आदरपूर्वक उपाधियाँ और पुरस्कारों को लेने से इन्कार कर दिया। उसने कहा “देश सेवा स्वयं Single पुरस्कार है, मुझे कोई दूसरी चीज नहीं चाहिए। स्वतंत्र इटली अमर हो।”

कावूर का मूल्याकंन

इटली के Singleीकरण से पूर्व ही महान देशभक्त कावूर का 6 जून 1861 ई0 को देहावसान हो गया। एलीसन फिलिप्स ने ठीक ही कहा है कि “Single राष्ट्र के Reseller में इटली कावूर की देन है।” वस्तुत: कावूर के बिना मैजिनी का आदर्शवाद और गैराबाल्डी की वीरता निष्फल लड़ाई और निराशा के History में Single अध्याय और बढ़ा देते। कावूर First व्यक्ति था, जिसने इटली की समस्याओं के All पहलुओं को देखा। उसने कुशल राजनेता की भाँति यह जान लिया कि इटली की समस्याओं का समाधान अन्र्तराष्ट्रीय सहयोग, यूरोपीय कूटनीति तथा Fight द्वारा ही हो सकेगा। क्रीमिया के Fight में सार्डीनिया का भाग लेना कावूर की Single कूटनीतिक पहल थी। पेरिस के शान्ति सम्मेलन में इटली के प्रश्न को प्रस्तुत कर उसे Single यूरोपीय प्रश्न बना दिया। कावूर ने बड़ी बुद्धिमानी से सम्राट को सेना के साथ भेजकर गैराबाल्डी के जोश पर अंकुश लगाया। नि:सदेह कावूर आधुनिक इटली का स्वप्नदृष्टा And जन्मदाता था।

इटली के Singleीकरण का अन्तिम चरण

रोम और वेनेशिया को छोड़कर इटली का Singleीकरण लगभग पूर्ण हो चुका था। रोम और वेनेशिया का भाग्य अब भी अन्र्तराष्ट्रीय स्थिति के साथ Added हुआ था। इटली का शेष Singleीकरण प्रशा के कारण हुआ। कावूर के बाद विक्टर इमेन्युअल ने इटली को अधीन लाने में उपयुक्त अवसर की प्रतीक्षा की।

वेनेशिया की प्राप्ति

आस्ट्रिया इटली के Singleीकरण के समान जर्मनी के Singleीकरण में भी बाधक था। बिस्मार्क आस्ट्रिया के विरूद्ध इटली का सहयोग प्राप्त करना चाहता था। अप्रैल 1866 ई0 में दोनों के बीच Single सन्धि हुई, जिस के Fight में इटली की सैनिक सहायता के बदले वेनेशिया दिलाने का वादा Reseller। 14 जून 1866 ई0 को प्रशा ने आस्ट्रिया के विरूद्ध Fight की घोषणा कर दी। इटली ने Fight में बड़े उत्साह से भाग लिया, किन्तु उसे आस्ट्रिया से कई स्थानों पर हारना पड़ा। इसके विप निर्णायक पराजय देने में सफलता प्राप्त की। बिस्मार्क ने प्राग की सन्धि द्वारा वेनेशिया इटली को दिलवा दिया। जनमत संग्रह के द्वारा वेनेशिया का इटली में विलय संपन्न हुआ।

रोम की प्राप्ति

रोम को छोड़कर सम्पूर्ण इटली का Singleीकरण 1866 ई0 में पूर्ण हो चुका था। रोम के बिना इटली स्थिति उसकी प्रकार थी जैसे हृदय के बिना शरीर। रोम पोप के अधीन था और रोम में फ्रांसीसी सेनाएं पोप की रक्षा के लिए मौजूद थी। रोम की प्राप्ति का कार्य तब पूर्ण हुआ जब प्रशा फ्रांस को प्रशा से उलझा देखकर विक्टर इमेन्युअल ने रोम पर आक्रमण कर दिया। 20 दिसम्बर 1870 ई0 को रोम पर इटली का अधिकार हो गया। रोम में जनमत संग्रह कराया गया, जिसमें 40 हजार से अधिक मत विक्टर इमेन्युअल के पक्ष में पड़े जबकि पोप के पक्ष में केवल 46 मत पड़े। फलस्वReseller रोम इटली में शामिल कर लिया गया और उसे संयुक्त इटली की राजधानी बनाया गया। 12 जून 1871 ई0 को विक्टर इमेन्युअल ने संसद का उद्घाटन करते हुए कहा कि “जिस कार्य के लिए हमने अपना जीवन भेंट चढ़ा दिया था, वह आज पू है। हमारी राष्ट्रीय Singleता स्थापित हो गयी है।

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