सामुदायिक संगठन के प्राReseller,आयाम And रणनीतियां

वर्तमान सामुदायिक जीवन के अध्ययन व अवलोकन से ज्ञात होता है कि पूर्व सामुदायिक जीवन की अपेक्षा वर्तमान सामुदायिक जीवन से विभिन्न परिवर्तन हुये है जैसे कि औद्योगीकरण, नगरीकरण, यातायात और संचार की सुविधाओं इत्यादि प्रगति के कारण सामुदायिक जीवन में परिवर्तन सम्भव हुआ है। इन सब प्रगति के फलस्वReseller सामुदायिक जीवन में विघटन, असंतोश, अपराध, बाल अपराध इत्यादि सामाजिक समस्यायें हमारे वर्तमान समाज के सामने खड़ी हैं इन All समस्याओं को दूर करने के लिए सामुदायिक संगठन का प्रादुर्भाव हुआ है।

सामुदायिक संगठन 

सामुदायिक संगठन कार्य में विघटित समुदाय के सदस्यों को आपस में Singleत्रित कर सामुदायिक कल्याण And विकास संबंधी Needओं को खोज निकालने तथा उन Needओं की पूर्ति के लिए आवश्यक साधनों को Singleत्रित करने का प्रयास Reseller जाता है। सामुदायिक कार्यकर्ता का कार्य समुदायिक सदस्यों के साथ मिलकर उनकी अपनी समस्याओं का अध्ययन करने, अपनी Needओं को महसूस करने, उपलब्ध साधनों के विषय में जानकारी प्राप्त करने में, सामूहिक समस्या समाधान के लिये उचित रास्ता अपनाने, Single होकर संघ बनाने, आपसी सहयोग से योग्य नेता का चुनाव करने तथा वैज्ञानिक ढंग से अपनी समस्या का समाधान करने की योग्यता का विकास करना है। इस प्रकार सामुदायिक संगठन की प्रक्रिया में सामुदायिक समस्याओं के अभिकेन्द्रीकरण से लेकर उनके समाधान तक लिये गये समुचित कार्यों And चरणों को सम्मिलित Reseller जाता है। सामुदायिक संगठन Single प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज कार्यकर्ता अपनी अंर्तदृष्टि And निपुणता का प्रयोग करके समुदायों (भौगोलिक And कार्यात्मक) को अपनी समस्याओं को पहचानने And उनके समाधान हेतु कार्य करने में सहायता देता है। सामुदायिक संगठन का लक्ष्य समूहों और व्यक्तियों में ऐसे संबंधों को विकसित करना है जो Single साथ कार्य करने के योग्य बना सकें। ऐसी सुविधाओं And संस्थाओं का निर्माण और रखरखाव करने के योग्य बना सकें। जिसके माध्यम से वे अपने सरलतम मूल्यों को समुदाय के All सदस्यों के सामान्य कल्याण के लिए प्राप्त कर सकें।

सामुदायिक संगठन के उपागम 

सामुदायिक संगठन में समुदायिक कल्याण के लिए विभिन्न अभिगमों का प्रयोग संगठनकर्ता द्वारा Reseller जाता है। सामुदायिक संगठन में अभिगमों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कार्यकर्ता अपने वैज्ञानिक ज्ञान And निपुणताओं के माध्यम से सामुदायिक कल्याण And विकास के लिए विभिन्न उपागमों का प्रयोग बड़ी ही बुद्धिमत्तापूर्वक करता है।

  1. वैयक्तिक उपागम : सामुदायिक संगटन में कार्यकर्ता वैयक्तिक उपागम का प्रयोग करते हुए समुदाय के प्रत्येक सदस्य की Needओं And समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर सामुदायिक विकास के लिए चयनित कर समुदाय के साथ मिलकर कार्य करता है।
  2. सामुदायिक शिक्षा उपागम : सामुदायिक संगठन में संगठनकर्ता समुदाय के प्रत्येक सदस्य को उसकी Needओं के प्रति जागरूक करता है तथा सदस्यों की Needओं की पूर्ति के लिए शिक्षित And प्रशिक्षित करता है। वह समुदाय के आंतरिक And वाह्य साधनों की जानकारी करता है साधनों के कार्यान्वयन के लिए सदस्यों की सहभागिता के लिए प्रोत्साहित करता है।  
  3. Need निर्धारण उपागम : सामुदायिक संगठनकर्ता प्राथमिकता के आधार पर Needओं को निर्धारण करता है तथा यह जानकारी करता है कि कौन सी Need सदस्यों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण And उपयोगी है और उसके आधार पर सदस्यों की सहभागिता को प्रोत्साहित करते हुए उनके लिए उपयुक्त कार्यक्रम का चयन सदस्यों की इच्छाओं And Needओं को ध्यान में रखते हुए करता है। 
  4. विस्तृत उपागम : सामुदायिक संगठन में संगठनकर्ता व्यापक उपागमों का उपयोग कर पथ प्रदर्शक के Reseller में कार्य करता है। संगठनकर्ता को ऐसे कार्यक्रमों को अपनाना चाहिए जो समुदाय के सदस्यों के अनुReseller हों तथा संगठनकर्ता Single विस्तृत सोच को विकसित करके वैज्ञानकि ज्ञान And निपुणता के माध्यम से सामुदायिक विकास की प्रक्रिया प्रारम्भ करता हैं। 
  5. सामाजिक क्रिया उपागम : समुदाय कार्यकर्ता समुदाय कल्याण के लिए सदस्यों और समुदाय के मध्य बेहतर तालमेल बनाने का प्रयास करता है। वह समुदाय की Needओं की पूर्ति के लिए अंत:क्रिया के माध्यम से विकास करने का प्रयास करता है। सामुदायिक संगठन में कार्यकर्ता सदस्यों में आत्म चेतना, जागरूकता तथा स्वस्थ जनमत तैयार करता है। 

सामुदायिक संगठन के प्राReseller 

सामुदायिक संगठन के प्राReseller आवश्यक लक्ष्यों को प्राप्त करने की रणनीति है क्योंकि समान विषयों को लेकर विभिन्न रणनीतियों का उपयोग Reseller जा सकता है। रॉठमैन जैक ने तीन प्राResellerों के द्वारा सामुदायिक संगठन के विषय में बताया है:-

  1. स्थानीय विकास प्राReseller : स्थानीय विकास प्राReseller सामुदायिक संगठन की वह प्रक्रिया है जिसमें सामुदायिक कार्यकर्ता अथवा संस्था निश्चित क्षेत्र की जनसंख्या की Needओं के लिए विभिन्न सेवाओं तथा कार्यक्रमों को बनाता है अथवा उनका प्राReseller तैयार करता है। इस प्राReseller में विभिन्न सेवा प्रदान करने वाली संस्थाओं के बीच समन्वय स्थापित Reseller जाता है तथा नवीन कार्यक्रमों तथा सेवाओं को सम्मिलित Reseller जाता है। 
  2. सामाजिक नियोजन प्राReseller : इस प्राReseller में Single सामाजिक कार्यकर्ता या संस्था किसी शहर, कस्बे, गांव, नगर-पालिका, क्षेत्र तथा राज्य में उपलब्ध सेवाओं तथा Needओं का विश्लेषण करते हैं तथा उन्हें और अधिक कुशलता से उपलब्ध कराने के लिए Resellerरेखा तैयार करते हैं। जैसे-शिक्षा, स्वास्थ्य, आवासीय, महिला सशक्तीकरण इत्यादि। 
  3. सामाजिक क्रिया प्राReseller : इस प्राReseller के अंतर्गत वे सेवाएं आती हैं जिसका संबंध उन विशेष मुद्दों से है जिसमें सामाजिक आंदोलन की Need है। सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता तथा संस्था इन मुद्दों पर समुदाय के लोगों तथा समूहों को शिक्षा तथा पेर्र णा द्वारा सक्रिय करके जनमत का निर्माण करता है। 

एच.वार्इ. सिद्दीकी के According तीन प्राReseller निम्नवत हैं:- 

  1. सामुदायिक विकास प्राReseller : इस प्राReseller में कार्यकर्ता का कार्य इस प्रकार की प्रक्रिया को उत्पन्न करना है जिससे समुदाय के व्यक्तिगत तथा सामूहिक Reseller से Needओं की पूर्ति करने हेतु समुदाय प्रयास कर सके। इस प्रकार के प्राReseller में समुदाय के अन्दर Single स्वत: संगठित आंतरिक संगठन की परिकल्पना की Need है। जो सामाजिक कार्यकर्ता सेवा प्रदान करने वाले अभिकरणों से सामुदायिक विकास की विधि को आत्मSeven कर सके। जैसे-समुदाय में विद्यमान विभिन्न जातियों, असामाजिक समूहों, धार्मिक आस्थाओं को मानने वाले लोग, छोटे परिवार की मान्यता तथा समाज के विभिन्न वर्गों के प्रति दृष्टिकोण इत्यादि में विचार विमर्श करा सकते हैं। इस प्राReseller के चरण निम्नवत हैं:- 
    1. भौतिक क्षेत्र की पहचान स्थिति की परख करना। 
    2. समुदाय में प्रयोग। 
    3. समुदाय में विभिन्न वर्गो की Need की पहचान करना। 
    4. कार्यात्मक नियोजन का प्रयोग। 
    5. संसाधन नियोजन का प्रयोग।
    6. समुदाय में Single संगठनात्मक संजाल का विकास करना। 
    7. निश्चित समय सीमा में समाज कार्य द्वारा आंशिक Reseller से बाहर निकालना। 
  2. व्यवस्था परिवर्तन प्राReseller : इस प्रकार के प्राReseller के अंतर्गत समाज में सेवाएं प्रदान करने वाली व्यवस्थायें शिक्षा, स्वास्थ्य, सेवायोजन, पर्यावरण, संरक्षण, बाल विकास, महिला सशक्तीकरण। इस प्राReseller की यह मान्यता है कि व्यवस्था अनेक कारकों की वजह से कार्य करना बन्द कर देती है जैसे-जनसंख्या वृद्धि के कारण वस्तुओं की मांग में बढोत्तरी हो सकती है उसी प्रकार मूल्य में परिवर्तन के साथ उत्पादन की गुणवत्ता में परिवर्तन अवश्य होगा या फिर प्रौद्योगिकी में परिवर्तन के साथ ही उत्पादन प्रक्रिया की विधियों में परिवर्तन आवश्यक हो जाता है।उदाहरण के लिए भारत की नौंवी शिक्षा नीति के मसौदे में लिखा गया है। 1968 की शिक्षा नीति में जिन उद्देश्यों को निर्धारित Reseller गया था वे कार्ययोजना में परिणित नहीं हो पार्इ तथा वित्तीय And संगठनात्मक सहायता भी स्पष्ट नहीं थी परिणामस्वReseller गुणवत्ता वित्तीय प्रबन्ध जनसंख्या इत्यादि की अनेक समस्यायें बढ़ती गर्इ। इसलिए आवश्यक है कि इन समस्याओं का अत्यंत सावधानी के साथ तुरंत समाधान हो।

सामुदायिक संगठन की रणनीतियॉ 

समुदाय को संगठित करने And उनकी Needओं को पूरा करने के लिए निम्नलिखित रणनीतियॉ अपनायी जाती हैं:’

  1. समस्या पहचान की रणनीति : सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता को समुदाय की समस्याओं का पूर्व ज्ञान होता है। जो समुदाय की सफलता के लिए समुदायिक सदस्यों के साथ रणनीति बनाकर उनकी समस्याओं का निराकरण करता है। सामुदायिक कार्यकर्ता सामुदायिक सदस्यों को प्रेरित करता है जिससे कि वे अपनी समस्या को स्वयं पहचान कर उसके समाधान हेतु रणनीति तैयार करते हैं। 
  2. जनसहभागिता की रणनीति : सामुदायिक कार्यकर्ता समुदाय के सदस्यों के मध्य इस प्रकार जनसहभागिता उत्पन्न करता है कि वे समुदाय के All कार्यक्रमों में मिलजुलकर सहभागिता करें तथा केन्द्रीकरण और विशेषज्ञता के कारण व्यक्ति भाग लेने में कठिनार्इ का अनुभव करते हैं, योजना को नियंत्रित करने के लिए केन्द्र भी प्राय: योजना स्तर से दूर होते हैं। यह सब सहभागिता में बाधायें हैं। इन्हें दूर Reseller जाना चाहिए। जब यह समझने का प्रयास Reseller जाता है कि किस सीमा तक समुदाय के सदस्य समुदाय की प्रकृति और उसकी विशेषताओं And समस्याओं को समझते हुए उनके समाधान के लिए प्रयासों में भाग लेने के उत्तरदायित्व को समझते हैं किस सीमा तक समुदाय संचार के माध्यम स्थापित करता है जिससे विचारों, मतों, अनुभवों, योगदानों को दूसरों तक पहुंचाया जा सके। 
  3. कार्यक्रम नियोजन की रणनीति : इस रणनीति में सामुदायिक संगठन में नियोजन की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिससे सहभागिता का पूरा योगदान प्राप्त होता है। जिसमें Need को ध्यान में रख कर उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्यकर्ता समुदाय के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की Resellerरेखा तैयार करता है। समुदाय के सदस्यों नियोजन की प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है तथा आने वाली बाधाओं को वैज्ञानिक निपुणताओं के माध्यम से दूर Reseller जाता है। 
  4. संसाधनों के उपयोग की रणनीति : इस रणनीति में सामुदायिक संगठन कर्ता समुदाय के उन संसाधनों की खोज करता है जिनसे समुदाय की समस्याओं की पूर्ति और समाधान सम्भव है। समुदाय ऐसी संस्थायें जो समुदाय के लिए कल्याणकारी है। को लक्ष्य कर इनकी सेवा के उपयोग पर बल देता है। समुदायिक संगठनकर्ता समुदाय की आंतरिक And वाहय संसाधनों का प्रयोग समुदाय की विभिन्न Needओं And समस्याओं के समाधान हेतु करता है जिसमें जनसहभागिता को प्रोत्साहित कर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन Reseller जाता है। 
  5. सामुदायिक विकास की रणनीति : इस रणनीति के अंतर्गत समुदाय में सामुदायिक विकास के कार्यों को आगे बढ़ाया जाता है। समुदाय के सदस्य विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए सम्मिलित प्रयास करते है। इस प्रक्रिया में सरकारी कार्यक्रमों And योजनाओं का सहयोग लिया जाता है। समुदाय के सदस्य अपनी सामुदायिक योजना And संगठन के माध्यम से समुदाय का विकास करते हैं। सामुदायिक  सदस्यों द्वारा समुदाय की सामान्य Needओं And उपलब्ध विभिन्न साधनों के मध्य व्यवस्थित संतुलन स्थापित Reseller जाता है जिससे उनका विकास होता है।

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