सामुदायिक संगठन का ऐतिहासिक विकास

दान संगठन समिति आधुनिक सामुदायिक संगठन की आधार शिला थी। सन् 1889 में लंदन में इसलिये स्थापना की गयी जिससे दान या सहायता देने वाली संस्थायें यह जान सकें कि किसको किस प्रकार की सहायता की Need है। All को बिना जॉच-पड़ताल किये आर्थिक सहायता न प्रदान करें। सन् 1877 में अमेरिका के बफैलो नगर में पहली बार दान संगठन समिति की स्थापना की गयी। उसके बाद पेन्सलवानियाा, बोस्टन, न्यूयार्क, फिलाडेल्फियां तथा अन्य स्थानों पर भी इसकी स्थापना की गयी इस दान संगठन समिति का मूल उददे्श्य Single क्षेत्र की All दान संस्थाओं में सहयोग स्थापित करना तथा उनके प्रयत्नों में Singleात्मकता या Singleीकरण लाना या। सैटेलमेण्ट हाउस आन्दोलन सामुदायिक संगठन की दिशा में दूसरा कदम था। सबसे पहला पडा़ेसी गिल्ड सन् 1886 में न्यूयार्क में स्थापित Reseller गया। इसके बाद ये अन्य औधोगिक नगरों में स्थापित होते चले गये। First विश्व युद्व के समय अमरीका रेडक्रास गृह सेवा कार्यक्रम चलाया गया था जिसका व्यवहारिक स्वReseller व्यवसायिक समाज कार्य जैसा था। उसी दौरान अन्य संस्थायें जैसे यंगमेन्स क्रिश्चियन एसोसियेशन यंग विमन्स क्रिश्चियन एसोसियेशन ब्वायज स्काउटस गर्ल गाइड आदि कार्यक्रम चलाये गये।

समाज कार्य में सामुदायिक संगठन की सार्थकता : व्यक्ति And समाज Single Second पर आश्रित है। जहाँ समाज ने व्यक्ति को Humanीय अस्तित्व प्रदान Reseller है, वही समाज द्वारा निर्धनता, बेकारी जैसी विविध प्रकार की समस्यायें भी उत्पन्न की गयी हैं। इन समस्याओं के समाधान हेतु आदिकाल से ही प्रयास किये जाते रहे हैं। इन्हीं प्रयासों की श्रंखला में समाज कार्य Single महत्वपूर्ण कड़ी है। समाज कार्य प्रभावपूर्ण सामाजिक क्रिया And सामाजिक अनुकूलन के मार्ग में आने वाली सामाजिक And मनोवैज्ञानिक समस्यों का वैज्ञानिक ढ़ग से समाधान प्रस्तुत करता है।

समाज कार्य वैज्ञानिक ज्ञान एंव प्राविधिक निपुणताओं का प्रयोग करते हुए समस्याग्रस्त व्यक्तियों, समूहों एंव समुदायों की मनो-सामाजिक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हुए उन्हें आत्म सहायता करने के योग्य बनाता है। इस प्रकार समाज कार्य Single सहायता मूलक कार्य है जो वैज्ञानिक ज्ञान, प्राविधिक निपुणताओं तथा मार्गदर्शन का प्रयोग करते हुए व्यक्तियों की Single व्यक्ति, समूह के सदस्य अथवा समुदाय के निवासी के Reseller में उनकी मनो-सामाजिक समस्याओं का अध्ययन एंव निदान करने के बाद परामर्श, पर्यावरण में परिवर्तन तथा आवश्यक सेवाओं के माध्यम से 18 सहायता प्रदान करता है ताकि वे समस्याओं से छुटकारा पा सकें। सामाजिक क्रिया में प्रभावपूर्ण Reseller से भाग ले सकें, लोगों के साथ संतोशजनक समायोजन कर सकें, अपने जीवन में सुख And शान्ति का अनुभव कर सकें, तथा अपनी सहायता स्वयं करने के योग्य बन सकें।

सेवाथ्र्ाी Single व्यक्ति, समूह अथवा समुदाय हो सकता है। जब सेवाथ्र्ाी Single व्यक्ति होता है तो अधिकांश समस्यायें मनो-सामाजिक अथवा समायोजनात्मक अथवा सामाजिक क्रिया से संबंधित होती है और कार्यकर्ता वयैक्तिक समाज कार्य प्रणाली का प्रयोग करते हुए सेवायें प्रदान करता है। जब सेवाथ्र्ाी Single समूह होता है तो प्रमुख समस्यायें प्रजातांत्रिक मूल्यों तथा नेतृत्व के विकास, सामूहिक तनावों एंव संघर्शो के समाधान तथा मैत्री एंव सौहार्द पूर्ण संबधों के विकास से संबंधित होती है। सामूहिक कार्यकर्ता विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन के दौरान उत्पन्न होने वाली अन्त:क्रियाओं को निर्देशित करते हुए समूह में सामूहिक Reseller से कार्य करते हुए सामान्य सामूहिक उद्देश्यों की प्राप्ति की क्षमता उत्पन्न करता है। जब सेवाथ्र्ाी Single समुदाय होता है तो समुदाय की अनुभूत Needओं की पूर्ति करने के साथ-साथ सामुदायिक Singleीकरण का विकास करने का प्रयास Reseller जाता है। Single सामुदायिक संगठनकर्ता समुदाय में उपलब्ध संसाधनों And समुदाय की अनुभूत Needओं के बीच प्राथमिकताओं के आधार पर सामंजस्य स्थापित करता है और लोगों को Single-Second के साथ मिल-जुलकर कार्य करने के अवसर प्रदान करते हुये सहयोगपूर्ण मनोवृत्तियों, मूल्यों And व्यवहारों का विकास करता है।

सामुदायिक संगठन समाज कार्य की Single प्रणाली है किन्तु कुछ समाज कार्य शिक्षक यह कहते हैं कि मूलरुप से समाज कार्य की दो ही प्रणालियां हैं। क्योंकि समाज कार्य की प्रणालियां व्यक्ति और समूहों के साथ कार्य करती है और व्यक्ति या तो व्यक्तिगत रुप से कार्य करते हैं या समूहों के सदस्य के रुप में/Second शिक्षक समुदायों के साथ कार्य करने को समाज कार्य की Single विशिष्ट प्रणाली मानते हैं जिसमें न केवल व्यक्ति And समूह के ज्ञान की Need पड़ती है बल्कि समुदाय के अध्ययन् में भिन्न निपुणताओं, विस्तृत ज्ञान और विरोधी व्यक्तियों और समूहों की प्राप्ति के लिये गतिमान करने की Need पड़ती है। इसी प्रकार समाज कार्यों में से कुछ कार्य ऐसे हैं जिनका संबन्ध केवल समाज सेवी के साथ है किन्तु अनेक कार्य ऐसे हैं जिन्हें किसी व्यवसाय के साथ सम्बद्ध नहीं Reseller जा सकता। समाज कार्य में मुख्य रुप से वैयक्तिक समाज कार्य में मुख्य रुप से वैयक्तिक समाज कार्य, सामूहिक समाज कार्य तथा सामुदायिक संगठन का उपयोग Reseller जाता है। परन्तु समाज कार्य में इन पद्धतियों को Single Second से पूर्णत: पृथक करना कठिन है। सामुदायिक संगठन वैयक्तिक समाज कार्य और सामूहिक समाज कार्य के उद्देश्य लगभग Single समान हैं। इसी प्रकार इन तीनों प्रकार की पद्धतियों में लगभग समान प्रक्रियाओं और 19 सिद्धांतो का प्रयोग Reseller जाता है। समाज कार्य की विभिन्न पद्धतियों में कुछ तत्व समान Reseller से पाये जाते हैं, जैसे सामाजिक अध्ययन और उपचार, साधनों का उपयोग, साधनों का उपयोग, परिवर्तन, मूल्यांकन इत्यादि। परन्तु सामुदायिक संगठन के पद्धति में कुछ विशेष बातों का समावेश होता है।

बड़े-2 नगरों में सामुदायिक जीवन बिगड़ने के कारण और परम्परागत ग्रामीण समुदाय में उन्नति लाने की Need ने समाज कार्य का का ध्यान सामुदायिक विकास की ओर आकर्शित Reseller है। तकनीकी परिवर्तन के सामाजिक परिणामों के कारण हस्तक्षेप के माध्यम से नियोजित सामाजिक विकास पर बल दिया जाने लगा है। इस हस्तक्षेप के चेतन प्रयोग का उद्देश्य तकनीकी परिवर्तन के कारण व्यक्तियों और समूहों पर पड़ने वाले आघात को रोकना और तेजी से बदलती हुर्इ विचारधाराओं, कार्य करने की विधियों आदि के साथ अनुकूलन स्थापित करने में सहायता देना है। सामुदायिक कार्यकर्ता यह मानते हैं कि परिवर्तन पूर्ण समुदाय को प्रभावित करता है। उसका उद्देश्य समुदाय द्वारा इस परिवर्तन को स्वीकार करने में सहायता देना है और अपनी इच्छा से सुधार लाने के लिए तैयार करना हैं। समाज कार्य यह कार्य सामुदायिक संगठन प्रणाली के प्रयोग से करता है। इससे स्पष्ट होता है कि सामुदायिक संगठन का समाज कार्य में महत्व पूर्ण भूमिका है।

सामुदायिक नियोजन And सामुदायिक विकास 

नियोजन सामुदायिक संगठन का Single महत्वपूर्ण पक्ष है। स्वास्थ्य और कल्याण के लिये नियोजन Single ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति, समूह और समुदाय में चेतन रुप से उन दशाओं, कार्यक्रमों और सुविधाओं को निधार्रित करने, उनकी स्थापना और उन्हें बनाये रखने का प्रयास करते हैं जो उनकी दृष्टि में वैयक्तिक And सामूहिक जीवन को भंग होने से बचा सकते हैं और All व्यक्तियों के लिये Single उच्च स्तर के कल्याण को सम्भव कर सकते हैं। सामुदायिक नियोजन की परिभाषा में जनता द्वारा समर्थन को जुटाना, आवश्यक सूचनाओं का प्रयास, उपयुक्त कमेटियों की Appointment, विरोधी भावों का सुना जाना, उसका विश्लेषण और विरोधी भावों में समझौता All कुछ सम्मिलित हैं। सामुदायिक नियोजन में उन्हीं प्रणलियों का प्रयोग होता है जिनका प्रयोग सामुदायिक संगठन में होता है और जैसा समाज कार्य इन्हें समझता और इनका प्रयोग करता है।

स्वास्थ्य और समाज कल्याण के ठोस नियोजन में समुदाय के मौलिक तथ्यों और शक्तियों का प्रयोग होता है। सामुदायिक नियोजन छोटे स्थानीय क्षेत्रों, नगरों, जनपदों और क्षेत्रीय या राष्ट्रीय स्तर पर Reseller जाता है। नियोजन का Means है कि भविष्य में जो प्रयास किये जाने हैं, उनका First से ही प्रतिपादन Reseller जाना। नियोजन का Means है कि समाज कल्याण के कार्यक्रम किन उद्देश्यों की पूर्ति के लिये किये जाने हैं, उन्हें स्पष्ट Reseller जाना है और उसे कैसे Reseller जाना है Meansात, उसे करने के लिये किस प्रणाली या विधि का 20 प्रयोग Reseller जाएगा। यह क्रिया-कलाप कितना अच्छा Reseller जाना है, Meansात प्रणाली या करने की विधि में किस स्तर की गुणता और विशेषज्ञता होगी। किस प्रकार क्रिया-कलाप का समर्थन Reseller जायेगा। इन सबको Single साथ First से ही निर्धारित कर लिया जाता है।’’

नियोजन तो Single सु-स्थापित तथ्य होता है। Single सामूहिक और परस्पर निर्भर समाज अपने सदस्यों को अच्छा जीवन प्रदान करने के लिए, अन्तिम Reseller से, अपनी नियोजन प्रक्रियाओं पर निर्भर रहता है। नियोजन का Means है सामुदायिक जीवन के क्षेत्रों में क्रमबद्ध चिन्तन लाना क्योंकि नियोजन चिन्तन का चेतन अैार सोद्देश्य निर्देशन होता है जिससे उन उददेश्यों, जिन पर समुदाय में समझौता हो, की पूर्ति के लिए तर्कपूर्ण साधनों का सृजन Reseller जा सके। नियोजन में सदैव और अनिवार्य Reseller से प्राथमिकताएँ निर्धारित की जाती हैं और मूल-निर्णय लेने पड़ते हैं। नियोजन उन Humanीय समस्याओं से निपटने का मौलिक और प्रधान तरीका है जो हमारे सामने आती है। नियोजन Single दृष्टिकोण होता है, Single मनोवृत्ति है और ऐसी मान्यता है जो हमें यह बताती है कि हमारे लिये क्या सम्भव है कि हम अपने भाग्य के विषय में अनुमान लगा सकते हैं। भविश्यवाणी कर सकते हैं। उसे निदर्ेिशत कर सकते है और उसे नियंत्रित कर सकते हैं। जब हम सामुदायिक नियोजन की धारणा को स्वीकार कर लेते हैं तो हम अपने दर्शनशास्त्र की व्यवस्था करते हैं या व्यक्तियों और उनके द्वारा अपने भविश्य को नियंत्रित करने की क्षमता के विषय में अपना पूर्ण मत प्रकट करते हैं। नियोजन के लिये व्यवसायिक कार्यकर्ता और विशेष निपुणताओं की Need पड़ती है और इस निपुणता का प्रयोग नियोजन के पाँच पक्ष दर्शाता है।

  1. व्यावसायिक निपुणता Single निरन्तर प्रक्रिया की स्थापना के लिये आवश्यक है। जिसके द्वारा सामुदायिक समस्याओं को पहचाना जाता है।
  2. व्यवसायिक निपुणता तथ्यों के संकलन हेतु Single प्रक्रिया की स्थापना के लिये आवश्यक होती है। जिससे समस्या से संबन्धित All सूचनाओं का सरलता से प्रकार Reseller जा सके। 
  3. योजना के प्रतिपादन के लिये Single कार्यात्मक प्रणाली का सृजन करने के लिये व्यवसायिक निपुणता का प्रयोग Reseller जाना आवश्यक होता है। 
  4. योजना का प्रतिपादन सामुदायिक संगठन की सम्पूर्ण प्रक्रिया में Single बिन्दू मात्र ही होता है। इस प्रतिपादन के First और बाद में क्या होता है। वह अधिक महत्वपूर्ण होता है। 
  5. योजना के कार्यन्वयन में कार्यविधियों के निर्धारित किरने में व्यवसायिक निपुणता की Need पड़ती है। 

नियोजन “ाून्य में नहीं Reseller जाता है। इसके लिये उद्देश्य चाहिए। योजना के परिणाम स्वReseller कुछ उपलब्धियां होनी चाहिए। उद्देश्य तो Single मानचित्र होते हैं। जो हमें यह दिखाते हैं कि हमें कहां जाना है और हम किन रास्तों से जा सकते हैं। हमें उस समुदाय 21 का पूरा ज्ञान होना चाहिए। जहां हम सामुदायिक संगठन के अभ्यास के लिये जाते हैं। समाज कार्य के कार्य, समुदाय में संस्था या अभिकरण की भूमिका, समूह की विशिष्ट Needएँ और व्यक्तियों की विशिष्ट Needएँ चार प्रमुख क्षेत्र हैं। जो उद्देश्यों के निर्धारण में हमारी सहायता करते हैं।

समुदाय में मनोवैज्ञानिक तत्परता का सृजन करते और उसमें नियोजन करने की इच्छा का सृजन करने के लिये सहायता दी जानी चाहिए। यह समझना आवश्यक है कि नियोजन Single सकारात्मक प्रक्रिया है न कि Single नकारात्मक प्रक्रिया। नियोजन के प्रति यह नहीं चाहिए कि इससें Single परम नियंत्रण होता है। आंशिक नियोजन करना सही नहीं होता है। नियोजन के सिद्धान्त-नियोजन के सिद्धान्तों में प्रशासन के जिन निम्न महत्वपूर्ण सिद्धान्तों का History ट्रेकर ने Reseller है। वह सामुदायिक संगठन के अभ्यास में भी उतनी ही महत्ता रखते हैं।

  1. प्रभावशाली होने के लिये नियोजन उन व्यक्तियों की अभिरूचियों और Needओं से, जिनसे संस्था बनती है, उत्पन्न होनी चाहिए।
  2. प्रभावशाली होने के लिये नियोजन में वह लोग जो नियोजन से प्रत्यक्ष Reseller से प्रभावित होंगें योजना के बनाये जाने में भागीदार होने चाहिए।
  3. अधिक प्रभावशाली होने के लिये, नियोजन का Single पर्याप्त तथ्यात्मक आधार होना चाहिए। 
  4. अधिक प्रभावशाली योजनाएँ उस प्रक्रिया से जन्मती हैं जिसमें आमने-सामने सम्पर्क की प्रणालियों और अधिक औपचारिक कमेटी कार्य की प्रणालियों का मिश्रण होता है।
  5. परिस्थितियों की भिन्नता के कारण नियोजन प्रक्रिया का व्यक्तिकरण और विशिष्टीकरण Reseller जाना चाहिए Meansात स्थानीय, परिस्थिति के According ही योजनाएं बनायी जानी चाहिए। 
  6. नियोजन में व्यवसायिक नेतृत्व की Need पड़ती है।
  7. नियोजन में स्वंय सेवकों, अल्पव्यवसायिक व्यक्तियों, सामुदायिक नेताओं के साथ-साथ व्यावसायिक कार्यकर्ताओं के प्रयासों की भी Need पड़ती है। 
  8. नियोजन के दस्तावेजों को रखने और पूर्ण अभिलेखन की Need पड़ती है, जिससे विचार विमर्श के परिणामों की निरंतरता और निर्देशन के लिये Windows Hosting रखा जा सके।
  9. नियोजन में विधमान योजनाओं और साधनों का प्रयोग Reseller जाना चाहिए और हर बार प्रत्येक नर्इ समस्या को लेकर आरम्भ से ही कार्य आरम्भ नहीं करना चाहिए। 
  10. नियोजन क्रिया के पूर्व चिन्तन पर निर्भर करता है। 

नियोजन में सहभागिता की भागीदारी के महत्व को कम नहीं समझना चाहिए। समुदाय के सदस्यों को नियोजन की प्रक्रिया में और योजना के कार्यन्वयन के All चरणों पर भाग लेना चाहिए। केन्द्रीकरण और विशेषता के कारण व्यक्ति भाग लेने में कठिनार्इ अनुभव करते हैं। योजना को नियंत्रित करने के लिए केन्द्र भी प्राय: योजना स्थल से दूर होते हैं। यह सब सहभागिता में बाधायें हैं इन्हें दूर Reseller जाना चाहिए। नियन्त्रण केन्द्र और कार्यस्थल में निकट सम्पर्क होना चाहिए। समुदाय के सदस्यों द्वारा नियोजन और योजनाओं में भाग लेने के लिए, प्रोत्साहन देने के लिए संचार की All विधियों का प्रयोग करना चाहिये। जनता में निश्क्रियता की भावना को समाप्त Reseller जाना चाहिए। यह तभी हो सकता है जब यह समझने का प्रयास Reseller जाए कि किस सीमा तक समुदाय के सदस्य, समुदाय की प्रकृति और उसकी विशेषताओं और समस्याओं को समझते हुए उनके सामाधान के प्रयासों में भाग लेने के उत्तरदायित्व को समझते हैं, किस सीमा तक समुदाय संचार के माध्यम स्थापित करता है जिससे विचारों, मतों, अनुभवों, योगदानों की दूसरों तक पहुंचाया जा सके, किस सीमा तक समुदाय के सदस्य और कार्यकारिणी के सदस्य आदि सरलता और प्रभावशाली तरीकों से All कार्यो में भाग लेते है, किस सीमा तक भाग लेने से सदस्यों को आत्म-सन्तुश्टि होती है और किस प्रकार कार्यकर्ता इस भागीदारी की प्रक्रिया का निर्देशन करते हैं।

सामुदायिक विकास – सामुदायिक विकास सम्पूर्ण समुदाय के चतुर्दिक विकास की Single ऐसी पद्वति है जिसमें जन-सह भाग के द्वारा समुदाय के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने का प्रयत्न Reseller जाता है भारत में शताब्दियों लम्बी राजनीतिक पराधीनता ने यहाँ के ग्रामीण जीवन को पूर्णतया जर्जरित कर दिया था इस अवधि में न केवल पारस्परिक सहयोग तथा सहभागिता की भावना का पूर्णतया लोप हो चुका था बल्कि सरकार और जनता के बीच भी सन्देह की Single दृढ़ दीवार खड़ी हो गयी थी। स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय जो विषय परिस्थितियाँ विधमान थी उनका History करते हुए टेलर ने स्पष्ट Reseller कि इस समय भारत में व्यापक निर्धनता के कारण प्रति व्यक्ति आयें Second देशों की तुलना में इतनी कम थी कि भोजन के अभाव में लाखों लोगो की मृत्यु हो रही थी, कुल जनसंख्या का 84 प्रतिशत भाग अशिक्षित था कृषि उत्पादन बहुत कम था, ग्रामीण जनसख्या का 83 प्रतिशत भाग प्राकृतिक तथा सामाजिक Reseller से Single Second से बिल्कुल अलग-अलग था ग्रामीण उद्योग Destroy हो चुके थे, जातियों का कठोर विभाजन सामाजिक संCreation को विशाक्त कर चुका था, लगभग 800 भाषाओं के कारण विभिन्न समुहों के बीच की दूरी निरन्तर बढ़ती जा रही थी, यातयात और संचार की व्यवस्था अत्यधिक बिगड़ी हुर्इ थी तब अंग्रेजी शासन पर आधारित राजनीतिक नेतृत्व कोर्इ भी उपयोग परिवर्तन लाने मे पूर्णतया असमर्थ था। ‘‘ स्वभाभिक है कि ऐसी दशा में भारत के ग्रामीण जीवन को पुर्नसंगठित किये बिना सामाजिक पुननिर्माण की कल्पना करना पूर्णतया व्यर्थ है। कैम्ब्रिज में हुए Single सम्मेलन में सामुदायिक विकास स्पष्ट करते हुए कहा गया था कि ‘‘ सामुदायिक विकास Single ऐसा आन्दोलन है जिसका उद्देश्य सम्पूर्ण समुदाय के लिए Single उच्चतर जीवन स्तर की व्यवस्था करना है। इस कार्य में प्ररेणा शक्ति समुदाय की और से आनी चाहिए तथा प्रत्येक समय इसमें जनता का सहयोग होना चाहिए। ‘‘

सामुदायिक विकास का Means – समाज शास्त्रीय दृष्टिकोण से सामुदायिक विकास Single योजना मात्र नहीं है। बल्कि यह स्वयं में Single विचार-धारा तथा संCreation है। इसका तात्पर्य है कि Single विचारधारा के Reseller में यह Single ऐसा कार्यक्रम है जो व्यक्तियों को उनके उत्तरदायित्वों का बोध कराता है तथा Single संCreation के पारस्परिक प्रभावों को स्पष्ट करता है। Second Wordों में यह कहा जा सकता है कि Indian Customer सन्दर्भ में सामुदायिक विकास का तात्पर्य Single ऐसा पद्धति से है जिसके द्धारा ग्रामीण समाज की संCreation, आर्थिक साधनों, नेतृत्व के स्वReseller तथा जनसहभाग के बीच समास्य स्थापित करते हुए समाज का चतुर्दिक विकास करने का प्रयत्न Reseller जाता है।

शाब्दिक Reseller से सामुदायिक विकास का Means है समुदाय का विकास या प्रगति। सामुदायिक विकास की परिभाषा – सामुदायिक विकास को अनेक प्रकार से परिभाशित Reseller गया है जो निम्न प्रकार से हैं-

  1. श्री एस0 के0 डे0 के According ‘‘सामुदायिक विकास योजना नियमित Reseller से समुदाय के कार्यो का प्रबन्ध करने के लिए अच्छी प्रकार से सोची हुर्इ Single योजना हैं।’’ 
  2. योजना आयोग के According ‘‘जनता द्धारा स्वंय अपने ही प्रयासों से ग्रामीण जीवन में सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन लाने का प्रयास ही सामुदायिक विकास हैं। ‘‘ 
  3. संयुक्त राष्ट्र संघ के According ‘‘सामुदायिक विकास योजना Single प्रक्रिया है, जो सारे समुदाय के लिए उसके पूर्ण सहयोग से आर्थिक और सामाजिक विकास की परिस्थितियों को पैदा करती है और जो पूर्ण Reseller से समुदाय की प्रेरणा पर निर्भर करता है।’’ 

उपर्युक्त परिभशाओं से स्पष्ट है कि सामुदायिक विकास समुदाय को भौतिक और प्रगति की दिशा में उत्साहित करता है। समुदाय के सदस्य अपने प्रयासों को संगठित करते हैं। इस संगठन कार्य में राज्य द्वारा प्राविधिक और वित्तिय सहायता प्रदान की जाती है।

सामुदायिक विकास के उद्देश्य :- जिस प्रकार सामुदायिक विकास के सिद्धान्त तथा दर्शन के बारे में विचारक Single मत नहीं है, उसी प्रकार सामुदायिक विकास के लाभो के सम्बन्ध में भी अनेक प्रकार के विभेद हैं। परन्तु इस विभेद के फलस्वReseller भी सामुदायिक विकास के उद्देश्यों की Resellerरेखा को हम निम्न भगों में विभक्त कर सकते हैं-

  1. ग्रामीण जनता को बेरोजगारी से पूर्ण रोजगार की दिशा में ले जाना। 
  2. सहकारिता का प्रयास करना और ग्रामीण जीवन-स्तर की उन्नति करना। 
  3. सामुदायिक हित के कार्यो को सम्पन्न करना। 
  4.  ग्रामीण क्षेत्रो में कृषि के उत्पादन की वृद्धि के लिए आधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान को सुभल करना। 

समुदायिक विकास की विशेषताएँ – भारत में सामुदायिक विकास कार्यक्रम, Singleीकरण पर आधारित है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रो के विकास पर विशेष बल दिया गया है। इस उद्देश्य के लिए प्रशासन के ढ़ाँचे में भी अनेक परिवर्तन किए गये है। इसके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित विभाग First से ही मौजूत थे, अत: सामुदायिक स्तर पर विकास क्षेत्रो के Reseller में विभिन्न विभगों के बीच समन्वय Reseller गया हौ। सम्पूर्ण कार्यक्रम के अन्तर्गत सामुदायिक सगंढन तथा स्वावलम्बन को विशेष महत्व दिया गया हौ इस प्रकार सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताए निम्न प्रकार है-

  1. विभिन्न विभागो के मघ्य समन्वय – सामुदायिक विकास सम्बन्घित विभाग First से ही मौजूद थे जैसे कृषि, सहकारिता, उघोग, शिक्षा, पंचायत राज, स्वास्थ्य तथा सार्वजनिक निर्माण किन्तु इन विभागों के कार्यक्रम में किसी प्रकार का सहयोग तथा SingleResellerता नहीं थी। अत: सामुदायिक के विकास अन्र्तगत इन All विभागों में समन्वय स्थापित Reseller गया है।
  2. क्षेत्रीय स्तर पर विकास का केन्द्रीयकरण – सामुदायिक विकास के लिए Single क्षेत्र को इकार्इ माना गया है। इस स्तर पर विविभ्न विभग Single Second से सहयोंग गा्रमीण विकास के विविध कार्य क्रमों का संचालन करते है। Second Wordों में क्षेत्र विभिन्न विभागों में सभन्वय करने वाली एजेन्सी का कार्य करता है। 
  3. जन सहयोग पर आधारित – जन सहयोग का आधार भी Indian Customer समुदायिक विकास कार्यक्रम की Single विशेषता है। इस योजना के निर्माण का आरम्भ स्थानीय स्तर से होता है। स्थानीय स्तर की Needओं को देखते हुए कार्यक्रम निश्चित होता है। इसी प्रकार खण्ड स्तर, जिला स्तर, प्रादेशिक स्तर तथा राष्ट्रीय स्तर पर योजना के स्वReseller को अन्तिम Reseller दिया गया है। इस प्रकार यह जनता की योजना है। यह सहयोग इसके लिये वांछनीय है। 
  4. सामाजिक जीवन के समस्त पक्षों का समावेश -: भारत में सामुदायिक विकास कार्यक्रम, सामाजिक जीवन के किसी पहलू तक ही सीमित नही है। अत: तो आर्थिक योजना है और न पूर्णतया सामाजिक । इसके अन्र्तगत सामुदायिक जीवन के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृति तथा नैतिक तत्वों का समावेश है। इसका लक्ष्य सर्वागीण सामुदायिक विकास है।

सामुदायिक संगठन, सामुदायिक विकास And सामुदायिक कार्य में संबंध 

सामुदायिक संगठन कार्य में प्रशिक्षित समाज कार्यकर्ता के ज्ञान And कौशल का प्रयोग आवश्यक है। असंगठित And विघठित समुदाय में समाज कार्यकर्ता ही Single ऐसा प्रशिक्षित कार्यकर्ता है जो अपने व्यवहारिक ज्ञान से समुदाय की समस्याओं, उनकी Needओं तथा विभिन्न उपलब्ध साधनों को जानकर सदस्यों में इन बातों की जाग्रति लाते हुए उनके कर्तव्यों का बोध कराता है Meansात प्रशिक्षित कार्यकर्ता का अनुभवशील ज्ञान सामुदायिक ज्ञान के प्रकाष से प्रकाशित होता है जिससे सदस्यगण आवश्यक कदम उठाने की योजना बनाते हैं और इसे कार्यान्वित करने के योग्य होते हैं। प्रशिक्षित कार्यकर्ता अपने ज्ञान And कौशल का प्रयोग समुदाय द्वारा उठाये गए उनके विभिन्न कदमों And चरणों में कर सदस्यों को शिक्षित-प्रशिक्षित करते हुए उनके कार्य And लक्ष्य को आसान बनाता है।

सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता को पूर्ण ज्ञान होता है कि सामुदाय संगठन कार्य की सफलतता सामुदायिक सदस्यों पर ही निर्भर है। इसलिए सामुदाय कार्यकर्ता अपने उपयोगी ज्ञान को जो सामुदायिक सदस्यों के लिए आवश्यक है उसे करता है समस्या के समाधान के उचित कारणों का चयन करने के लिए आवश्यक है कि समस्या का अध्ययन Reseller जाय। इसलिए First समाज कार्यकर्ता सदस्यों की समस्याओं का अध्ययन् करते हुए सदस्यों में अध्ययन करने की स्वयं योग्यता का विकास करता हैं। जिससे वे स्वयं समस्या का अध्ययन करते हुए इसकी वास्तविक Reseller-रेखा जान सकें। सामुदायिक संगठन की Single प्रक्रिया के Reseller में किस प्रकार की भूमिका किसके साथ निभाता है। यदि सामुदायिक संगठन कार्य को इसकी अन्य अवधारणाओं से जोड़ा जाता है तो All संबंधित विषय जैसे-सामुदायिक विकास, सामुदायिक, कार्य, कार्य योजना सामुदायिक क्रिया आदि लोगों में भ्रम पैदा करते हैं। उदाहरणार्थ सामुदायिक विकास कार्य से हमारा तात्पर्य उस प्रकार के विकास कार्य से है जिसमें सरकारी कर्मचारियों द्वारा सामुदायिक सदस्यों की योग्यता And उनकी सामाजिक, आर्थिक सांस्कृतिक शक्तियों का विकास कर उसे राष्ट्रीय विकास से जोड़ना है। इस प्रकार स्पष्ट है कि सामुदायिक विकास कार्य में सामुदायिक सदस्यों, में उनका सामाजिक, आर्थिक And सांस्कृतिक स्तर का विकास सरकारी, स्वयंसेवी And व्यवसायिक कार्यकर्ताओं के शिक्षण-प्रशिक्षण द्वारा Reseller जाता है। अत: कहा जा सकता है कि इस कार्य में भी सामुदायिक सदस्यों को उनकी अपनी विभिन्न उपलब्ध साधनों And सुविधाओं विकसित कर उसकी आवश्यक, दिशा में उपयोग करने के लिए उनकी योग्यताओं And क्षमताओं का विकास करना सम्मलित है। जिससे सामुदायिक विकास के साथ-2 राष्ट्रीय विकास कार्य को साकार बनाया जा सके। इस प्रकार सामुदायिक विकास कार्य सरकारी विस्तार का कार्यो पर निर्भर होता है। इन विस्तार कार्यों में विभिन्न प्रकार के उपलब्ध संचालित कार्यक्रमों को के विषय में, जो समुदाय विशेष के लोगों के लिए आवश्यक है चाहे वह कृषि, के विकास से संबंधित हो या ग्रामीण विकास से संबंधित क्यों न हो, को इस योग्य बनाने का प्रयास Reseller जाता है जिससे All सदस्य अपने आपसी सहयोग सहायता And सहभागिता के साथ संचालित आवश्यक कार्यक्रमों को समझते हुए अपने सामाजिक आर्थिक विकास के लिए अपना सकें तथा लाभान्वित हो सकें। जबकि सामुदायिक सदस्यों की विभिन्न संगठन कार्यकर्ता द्वारा आवश्यताओं And उपलब्ध सरकारी And गैर सरकारी साधनों के बीच सदस्यों की योग्यता का विकास समझोता स्थापित करना है जिससे उपलब्ध साधनों को जरूरत मन्द लोगों तक पहुँचा कर संस्था And सेवा के उददेश्य को पूरा Reseller जाए। साथ-2 जरूरतमंद लोगों आश्यक सेवायें उनकी Needनुसार, मिलती रहें औंर पारस्परिक सहयोग, सहायता And सहकारिता को बढ़ावा मिल सके।

सामुदायिक संगठन समाज कार्य की Single प्रणाली के Reseller में – समाज कार्य Single सहायता मूलक कार्य है जो वै़ज्ञानिक ज्ञान, प्राविधिक निपुणताओं तथा Human दर्शन का प्रयोग करते हुए व्यक्तियों की Single व्यक्ति, समूह के सदस्य अथवा समुदाय के निवासी के Reseller में उनकी मनो-सामाजिक समस्याओं का अध्ययन And निदान करने के बाद परामर्श, पर्यावरण में परिवर्तन तथा आवश्यक सेवाओं के माध्यम से सहायता प्रदान करता है ताकि वे समस्याओं से छुटकारा पा सकें, सामाजिक क्रिया में प्रभावपूर्ण Reseller से भाग ले सके, लोगो के साथ सन्तोषजनक समायोजन कर सके, अपने जीवन में सुख And शान्ति का अनुभव कर सकें तथा अपनी सहायता स्वयं करने के योग्य बन सकें। समाज कार्य की इस प्राथमिक (सामुदायिक संगठन) प्रणाली का आविर्भाव वैसे तो Human जीवन के साथ-2 माना जाता है लेकिन प्रमाणित Reseller में Single दान समिति के प्रयासों से हुआ है। यह तब हुआ जब इस दान समिति ने विभिन्न अन्य कार्यरत गैर-सरकारी कल्याण समितियों के मजबूत संबन्धों, सहयोग And इन समितियों उचित उपयोग के विषय में कदम उठाया। इन प्रयासों से जन्मी प्रणाली को सामुदायिक संगठन का नाम दिया गया। वर्तमान सामुदायिक जीवन के अध्ययन् And अवलोकन से ज्ञात होता है कि समुदाय का मौजूदा Reseller शताब्दी पूर्ण के सामुदायिक जीवन से पूर्णतया भिन्न है। औधोगिकीकरण, नगरीकरण, यातायात और संचार की सुविधाओं, सामाजिक अधिनियम And राजनैतिक तथा समाज सुधार आन्दोलन हो न केवल नगरीय सामुदायिक जीवन के ही प्रभावित Reseller है बल्कि ग्रामीण सामुदायिक जीवन को भी फलस्वReseller वर्तमान सामुदायिक जीवन अपनी वास्तविक विशेषताओं जैसे सामुदायिक सहयोग, आपसी जिम्मेदारी, सामुदायिक कल्याण Safty And विकास से सुदूर सामुदायिक विघटन की तरफ बढ़ता जा रहा है। मात्रा की  दृष्टि से कहा जा सकता है कि नगरीय समुदाय का विघटन ग्रामीण समुदाय से अधिक हुआ है। इन दोनो समुदायों के पुर्नगठन And विकास के लिय सामुदायिक संगठन अत्यन्त आवश्यक है।

सामान्य बोलचाल की भाषा में सामुदायिक संगठन का Means किसी निश्चित क्षेत्र या भू-भाग व्यक्तियों की विभिन्न Needओं And उस भू- भाग में उपलब्ध आन्तरिक And बाहय विभिन्न सांधनों के बीच समुचित And प्रभावपुर्ण संबंध स्थापित करते हुए उन व्यक्तियों में अपनी समस्याओं, कठिनाइयों का अध्ययन् करने तथा उपलब्ध साधनों से समस्या समाधान करने की योग्यता का विकास करना है।

सामुदायिक संगठन कार्य में विघटित समुदाय के सदस्यों को आपस में Singleत्रित कर उनकी सामुदायिक कल्याण And विकास संबंधी Needओं की खोज निकालने तथा उन Needओं कि पूर्ति के लिए आवश्यक साधनों के जुटाने की योग्यता का विकास Reseller जाता है Meansात सामुदायिक कार्यकर्ता का काम सामुदायिक सदस्यों के साथ मिलकर उनको अपनी समस्यों का अध्ययन करने, अपनी Needओं को महसूस करने उपलब्ध साधनों के विषय में पूर्ण जानकारी प्राप्त करने, सामूहिक समस्या समाधान के लिए उचित रास्ता अपनाने, Single होकर संघ बनाने आपसी सहयोग से योग्य नेता का चुनाव करने तथा वैज्ञानिक ढंग से अपनी समस्या का समाधान करने की योग्यता का विकास करता है। इस प्रकार सामुदायिक संगठन की प्रक्रिया में सामुदायिक समस्याओं के अभिकेन्द्रीकरण से लेकर उनके सामाधान तक किये गये समुचित कार्यों एंव चरणों को शामिल Reseller जाता है। सामुदायिक संगठन कार्य अपनी कुछ सामान्य निम्नलिखित विशेषताओं के आधार पर समाज कार्य का अभिन्न अंग है।
(1) सामुदायिक संगठन And निश्चित भू-भाग के सदस्यों के विकास का कार्य है।
(2) सामुदायिक संगठन प्रशिक्षित समाज कार्य के ज्ञान एंव कौशल पर आधारित है।
(3) इसमें समस्या अध्ययन करने की योग्यता का विकास Reseller जाता है।
(4) सामुदायिक संगठन कार्य प्रजातांत्ररिक निर्णय पर आधारित है।
(5) साधनों को जानने एंव उसे संचालित करने का प्रयास Reseller जाता है।
(6) सामुदायिक नियोजन एंव Singleता का विकास Reseller जाता है।
(7) सामुदायिक कल्याण के विकास को जनकल्याण में बदला जाता है।

उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि सामुदायिक संगठन समाज कार्य की Single प्रमुख प्रणाली है। जिसमें समाज कार्य के All प्राविधियों एंव निपुणताओं का प्रयोग Reseller जाता है।

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