सामाजिक मनोविज्ञान क्या है ?

सामाजिक मनोविज्ञान में हम जीवन के सामाजिक पक्षों से सम्बन्धित अनेकानेक प्रश्नों के उत्तरों को खोजने का प्रयास करते हैं। इसीलिए सामाजिक मनोविज्ञान को परिभाषित करना सामान्य कार्य नही है। राबर्ट ए. बैरन तथा जॉन बायर्न (2004:5) ने ठीक ही लिखा है कि, ‘सामाजिक मनोविज्ञान में यह कठिनार्इ दो कारणों से बढ़ जाती है : विषय क्षेत्र की व्यापकता And इसमें तेजी से बदलाव।’ सामाजिक मनोविज्ञान को परिभाषित करते हुए उन्होंने लिखा है कि, ‘‘सामाजिक मनोविज्ञान वह विज्ञान है जो सामाजिक परिस्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार और विचार के स्वReseller व कारणों का अध्ययन करता है।’’ ऐसा ही कुछ किम्बॉल यंग (1962:1) का भी मानना है। उन्होनें सामाजिक मनोविज्ञान को परिभाषित करते हुए लिखा है कि, ‘‘सामाजिक मनोविज्ञान व्यक्तियों की पारस्परिक अन्तक्रियाओं का अध्ययन करता है, और इस सन्दर्भ में कि इन अन्त:क्रियाओं का व्यक्ति विशेष के विचारों, भावनाओं संवेगो और आदतों पर क्या प्रभाव पड़ता है।’’

  1. शेरिफ और शेरिफ (1969 : 8) के According, ‘‘सामाजिक मनोविज्ञान सामाजिक उत्तेजना-परिस्थिति के सन्दर्भ में व्यक्ति के अनुभव तथा व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन है।’’ मैकडूगल ने सामाजिक मनोविज्ञान को परिभाषित करते हुए लिखा है कि, ‘‘सामाजिक मनोविज्ञान वह विज्ञान है, जो समूहों के मानसिक जीवन का और व्यक्ति के विकास तथा क्रियाओं पर समूह के प्रभावों का वर्णन करता और उसका description प्रस्तुत करता है।’’
  2. विलियम मैकडूगल, (1919 :2) ओटो क्लाइनबर्ग (1957 :3) का कहना है कि, ‘‘सामाजिक मनोविज्ञान को Second व्यक्तियों द्वारा प्रभावित व्यक्ति की क्रियाओं को वैज्ञानिक अध्ययन कहकर परिभाषित Reseller जा सकता है।’’ उपरोक्त परिभाषाओं को देखते हुए हम स्पष्टत: कह सकते हैं कि सामाजिक मनोवैज्ञानिक यह जानने का प्रयास करते हैं कि व्यक्ति Single Second के बारे में कैसे सोचते हैं तथा कैसे Single Second को प्रभावित करते हैं।

सामाजिक मनोविज्ञान की प्रकृति 

सामाजिक मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक है। जब हम किसी भी विषय को वैज्ञानिक कहते हैं, तो उसकी कुछ विशेषताएँ (मूल्य) होती हैं, और उन विशेषताओं के साथ ही साथ उस विषय के अध्ययन के अन्तर्गत विभिन्न विधियाँ होती हैं, जिनका प्रयोग सम्बन्धित विषयों के अध्ययन में Reseller जाता है रौबर्ट ए. बैरन तथा डॉन बायर्न (2004 : 6) ने इन विशेषताओं या विजकोश मूल्यों को इस प्रकार बताया है, किसी भी विषय के वैज्ञानिक होने के लिए वे आवश्यक हैं- (1) यथार्थता (2) विषयपरकता (3) संशयवादिता और (4) तटस्थता।

  1. यथार्थता से अभिप्राय दुनिया (जिसके अन्तर्गत सामाजिक व्यवहार व विचार आता है) के बारे में यथासम्भव सावधानीपूर्वक, स्पष्ट व त्रुटिरहित तरीके से जानकारी हासिल करने And मूल्याँकन करने के प्रति वचनबद्धता से है।
  2. विषयपरकता से तात्पर्य यथासम्भव पूर्वाग्रहरहित जानकारी प्राप्त करने And मूल्यांकन करने के प्रति वचनबद्धता से है।
  3. संशयवादिता से तात्पर्य तथ्यों का सही Reseller में स्वीकार करने के प्रति वचनबद्धता ताकि उसे बार-बार सत्यापित Reseller जा सके, से है ।
  4. तटस्थता का अभिप्राय अपने दृष्टिकोण, चाहे वो कितना भी दृढ़ हो, को बदलने के प्रति वचनबद्धता से है, यदि मौजूदा साक्ष्य यह बताता है कि ये दृष्टिकोण गलत है।

सामाजिक मनोविज्ञान Single विषय के Reseller में उपरोक्त मूल्यों से गहन Reseller से सम्बद्ध है। विविध विषयों से सम्बन्धित अध्ययनों के लिए इसमें वैज्ञानिक तरीकों को अपनाया जाता है।

हमने शुरू में सामाजिक मनोविज्ञान की परिभाषाएँ दी हैं उनसे स्पष्ट होता है कि यह विज्ञान समाजशास्त्र और मनोविज्ञान दोनों ही की विशेषताओं से युक्त है। वास्तव में व्यक्ति के व्यवहारों का अध्ययन करने वाला यह Single महत्वपूर्ण विज्ञान है। इस सन्दर्भ में क्रच और क्रचफील्ड (1948 : 7) के According, ‘‘समाज का अध्ययन करने वाले विज्ञानों में केवल सामाजिक मनोविज्ञान ही मुख्यतया सम्पूर्ण व्यक्ति का अध्ययन करता है। Meansशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र तथा अन्य सामाजिक विज्ञानों की अध्ययन वस्तु सामाजिक संगठन की संCreation And प्रकार्य तथा सीमित And विशिष्ट प्रकार की संस्थाओं के अन्तर्गत लोगों द्वारा प्रदर्शित संस्थागत व्यवहार ही है। दूसरी ओर सामाजिक मनोविज्ञान का सम्बन्ध समाज में व्यक्ति के व्यवहार के प्रत्येक पक्ष से है। अत: मोटे तौर पर सामाजिक मनोविज्ञान को समाज में व्यक्ति के व्यवहार का विज्ञान कहकर परिभाषित Reseller जा सकता है।’’ इसकी वास्तविक प्रकृति और वैज्ञानिकता की पुष्टि शेरिफ और शेरिफ (1956 : 5) के इस कथन से होती है कि, ‘‘सामाजिक मनोविज्ञान केवल विभिन्न प्रकार की अवधारणाओं को अपना लेने के कारण ही ‘सामाजिक’ नही हो गया है, अपितु वास्तविकता तो यह है कि सामान्य मनोविज्ञान की प्रामाणिक अवधारणाओं को सामाजिक क्षेत्र में विस्तृत करके या उपयोग में लाकर ही सामाजिक मनोविज्ञान ‘सामाजिक’ विज्ञान बन पाया है।’’

वास्तव में देखा जाये तो सामाजिक मनोविज्ञान में विज्ञान की All अवधारणाएँ, शर्ते या विशेषताएँ पायी जाती है, जैसे इसमें विषय वस्तु का क्रमबद्ध And व्यवस्थित तरीके से वैज्ञानिक पद्धति से अध्ययन Reseller जाता है। Needनुसार प्रयोशाला अध्ययन, क्षेत्रीय अध्ययन या क्षेत्रीय प्रयोग Reseller जाता है। इसमें कार्य-कारण सम्बन्धों की खोज की जाती है। वस्तुगतता के स्थान पर वस्तुनिष्ठता पर जोर दिया जाता है। सम्बन्धित उपकल्पनाओं को निर्मित Reseller जाता है तथा उसकी सत्यता की जाँच प्राप्त तथ्यों के आधार पर की जाती है तथा उसी के आधार पर वैज्ञानिक सिद्धान्त का निर्माण Reseller जाता है तथा उसका प्रमाणीकरण भी होता है।

इस तरह से स्पष्ट है कि सामाजिक मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक प्रकृति है, क्योंकि यह विज्ञान के अन्य विषयों की तरह ही मूल्यों And विधियों को अपनाता हैं। यह Single आनुभविक विज्ञान है। सामाजिक मनोविज्ञान शोध के चार मुख्य लक्ष्य होते हैं (टेलर तथा अन्य 2006 : 15) (1) कारक (2) कार्य-कारण विश्लेषण (3) सिद्धान्त निर्माण, और (4) उपयोग (एप्लीकेशन)।

सामाजिक मनोविज्ञान का क्षेत्र 

सामाजिक मनोविज्ञान का विषय-क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। इसमें हम न केवल वैज्ञानिक व्यवहार, अन्तवर्ैयक्तिक व्यवहार अपितु समूह व्यवहार का भी अध्ययन करते हैं।

Single सामाजिक मनोवैज्ञानिक व्यवहार के All पक्षों के साथ-साथ उससे सम्बन्धित समस्याओं का भी अध्ययन करता है। लैपियर और फान्र्सवर्थ (1949 : 7) का कहना है कि, ‘‘सामाजिक मनोविज्ञान, सामाजिक विज्ञानों के सामान्य क्षेत्र के अन्तर्गत Single विशेषीकृत विज्ञान है, और उसके विषय-क्षेत्र को सुनिश्चित Reseller से परिभाषित नहीं Reseller जा सकता है; क्योंकि ज्ञान में वृद्धि होने के साथ-साथ उसमें भी परिवर्तन होगा ही। Single समय विशेष में जिन समस्याओं का अध्ययन सामाजिक मनोविज्ञान करता है, उन्हीं के आधार पर इसके अध्ययन के सामान्य क्षेत्र को सम्भवत: सबसे अच्छी तरह उजागर Reseller जा सकता है।’’

वर्ष 1908 में मैकडूगल ने ‘सोशल साइकोलॉजी’ नामक पुस्तक लिखी थी, तभी से यह माना जाता है कि इसका History प्रारम्भ हुआ है। स्पष्ट है कि इसका Single विज्ञान के Reseller में History ज्यादा पुराना नही हं,ै फिर भी यह देखा गया है कि इसके क्षेत्र में न केवल तीव्र वृद्धि हुर्इ है अपितु विविध बदलाव भी आए हैं। इसके क्षेत्र के अन्तर्गत मनोविज्ञान की दूसरी विशिष्ट शाखाओं जैसे विकाSeven्मक मनोविज्ञान, असमान्य मनोविज्ञान, तुलनात्मक मनोविज्ञान, शिक्षा मनोविज्ञान, बाल मनोविज्ञान प्रयोगात्मक मनोविज्ञान इत्यादि की भी बहुत सी सामगियाँ समाहित हैं। साथ ही, अन्य सामाजिक विज्ञानों विशेषकर समाजशास्त्र तथा Humanशास्त्र और Meansशास्त्र इत्यादि की भी कुछ सामग्रियाँ इसमें सम्बन्धित हैं। ओटो क्लाइनबर्ग (1957 : 15-16) ने सामाजिक मनोविज्ञान के विषय क्षेत्र के अन्तर्गत निम्नलिखित विषयों के अध्ययन को सम्मिलित Reseller है।

  1. सामान्य मनोविज्ञान और सामाजिक मनोविज्ञान की व्याख्या –इसके अन्तर्गत अभिप्रेरणा, उद्वेगात्मक व्यवहार, प्रत्यक्षीकरण, स्मरण शक्ति इत्यादि पर सामाजिक कारकों के प्रभाव का अध्ययन करने के साथ ही साथ अनुकरण, सुझाव, पक्षपात इत्यादि परम्परागत सामाजिक मनोवैज्ञानिक अवधारणाओं के प्रभाव की भी अध्ययन करने की काशिश की जाती है।
  2. बच्चे का सामाजीकरण, संस्कृति And व्यक्तित्व-Single जैवकीय प्राणी किस प्रकार सामाजीकरण की प्रक्रिया द्वारा सामाजिक प्राणी बनता है, यह इसके अन्तर्गत अध्ययन Reseller जाता है। संस्कृति और व्यक्तित्व के सम्बन्धों को भी ज्ञात Reseller जाता है। व्यक्तित्व के विकास में सामाजीकरण की प्रक्रिया महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। सामाजीकरण के विविध पक्षों And स्वResellerों का अध्ययन सामाजिक मनोविज्ञान का Single महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
  3. वैयक्तिक And समूह भेद- दो मनुष्य Single समान नहीं होते वैसे ही समूह में भी भेद पाया जाता है। वैयक्तिक भिन्नता तथा समूह भिन्नता के सामाजिक-मनोवैज्ञानिक कारणों का अध्ययन सामाजिक मनोविज्ञान का Single विषय क्षेत्र है।
  4. मनोवृत्ति तथा मत, सम्प्रेषण शोध, अन्तर्वस्तु विश्लेषण And प्रचार- मनोवृत्ति या अभिवृत्ति का निर्माण, मनोवृत्ति बनाम क्रिया, कैसे मनोवृत्ति व्यवहार को प्रभावित करती है? कब मनोवृत्तियाँ व्यवहार को प्रभावित करती है? इत्यादि के साथ साथ जनमत निर्माण, विचारों के आदान-प्रदान के माध्यमों, सम्प्रेषण अनुसंधानों, अन्तर्वस्तु विश्लेषण तथा प्रचार के विविध स्वResellerों And प्रभावों इत्यादि को इसके अन्तर्गत सम्मिलित Reseller जाता है। समाज मनोविज्ञान सम्प्रेषण के विविध साधनों तरीकों, And प्रभावों का अध्ययन करता है।
  5. सामाजिक अन्तर्क्रिया, समूह गत्यात्मकता और नेतृत्व- सामाजिक मनोविज्ञान का क्षेत्र सामाजिक अन्तर्क्रिया, समूह गत्यात्मकता तथा नेतृत्व के विविध पक्षों And प्रकारों को भी अपने में सम्मिलित करता है।
  6. सामाजिक व्याधिकी- समाज है तो समााजिक समस्याओं का होना भी स्वाभाविक है। सामाजिक मनोविज्ञान के अन्तर्गत सामाजिक व्याधिकी के विविध पक्षों And स्वResellerों का गहन And विस्तृत अध्ययन Reseller जाता है, जैसे बाल अपराधी, मानसिक असामान्यता, सामान्य अपराधी, औद्योगिक संघर्ष, आत्महत्या इत्यादि इत्यादि।
  7. घरेलू तथा अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति- सामाजिक मनोविज्ञान में राष्ट्रीय And अन्तर्राष्ट्रीय राजनैतिक व्यवहारों का भी विशद अध्ययन Reseller जाने लगा है। समाज मनोविज्ञान के क्षेत्र के अन्तर्गत अनेकानेक क्षेत्र आते हैं। समय के साथ-साथ नये-नये क्षेत्र इसमें समाहित होते जा रहे हैं। नेता अनुयायी सम्बन्धों की गत्यात्मकता, सामाजिक प्रत्यक्षीकरण, समूह निर्माण तथा विकास का अध्ययन, पारिवारिक समायोजन की गत्यात्मकता का अध्ययन, अध्यापन सीख प्रक्रिया की गत्यात्मकता इत्यादि, विविध क्षेत्र इसके अन्तर्गत आते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हं ै कि सामाजिक मनोविज्ञान के विषय क्षेत्र के अन्तर्गत वह सब कुछ आता है, जिसका कि कोर्इ न कोर्इ सामाजिक-मनोवैज्ञानिक आधार हैं। रॉस (1925 : 7) का कहना है कि, ‘‘सामाजिक मनोविज्ञान उन मानसिक अवस्थाओं And प्रवाहों का अध्ययन करता है जो मनुष्यों में उनके पारस्परिक सम्पर्क के कारण उत्पन्न होते हैं। यह विज्ञान मनुष्यों की उन भावनाओं, विश्वासों और कार्यों में पाये जाने वाले उन समानताओं को समझने और वर्णन करने का प्रयत्न करता है जिनके मूल में मनुष्यों के अन्दर होने वाली अन्त:क्रियाएं Meansात् सामाजिक कारण रहते हैं।’’

सामाजिक मनोविज्ञान का महत्व 

सामाजिक मनोविज्ञान का महत्व वैश्वीकरण के इस दौर में निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है। उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण ने जो सामाजिक आर्थिक प्रभाव उत्पन्न किए हैं, उनके परिपे्रक्ष्य में देखा जाये तो हम यह पाते हैं कि सामाजिक मनोविज्ञान उस समस्त परिस्थितियों, घटनाओं And समस्याओं का अध्ययन करता है, जो इनके कारण उत्पन्न हुर्इ है। सामाजिक मनोविज्ञान के महत्व को उसकी अध्ययन वस्तु के आधार पर अलग-अलग Reseller से प्रस्तुत करके स्पष्ट Reseller जा सकता है।

(1) व्यक्ति को समझने में सहायक 

सामाजिक मनोविज्ञान व्यक्ति के सम्बन्ध में वास्तविक और वैज्ञानिक ज्ञान करवाता है। सामाजिक मनोविज्ञान के द्वारा ही संस्कृति और व्यक्तित्व में सम्बन्ध, सामाजीकरण, सीखने की प्रक्रिया, सामाजिक व्यवहार, वैयक्तिक विभिन्नताएँ, उद्वेगात्मक व्यवहार, स्मरण शक्ति, प्रत्यक्षीकरण, नेतृत्व क्षमता इत्यादि से सम्बन्धित वास्तविक जानकारी प्राप्त होती है। व्यक्ति से सम्बन्धित अनेकों भ्रान्त धारणाएँ इसके द्वारा समाप्त हो गर्इ। समाज और व्यक्ति के अन्तर्सम्बन्धों तथा अन्तर्निर्भरता को उजागर करके सामाजिक मनोविज्ञान ने यह प्रमाणित कर दिया कि दोनों की पारस्परिक अन्तर्क्रियाओं के आधार पर ही व्यक्ति के व्यवहारों का निर्धारण होता है। समाज विरोधी व्यवहार के सामाजिक तथा मानसिक कारणों को उजागर करके उन व्यक्तियों के उपचार को सामाजिक मनोविज्ञान ने सम्भव बनाया है। वैयक्तिक विघटन से सम्बन्धित विविध पक्षों की जानकारी भी इसके द्वारा प्राप्त होती है। इतना ही नहीं उपयुक्त सामाजीकरण तथा व्यक्ति और समाज के सम्बन्धों के महत्व को भी सामाजिक मनोविज्ञान ने अभिव्यक्त करके योगदान Reseller है। सामाजिक मनोविज्ञान व्यक्तित्व के अलग-अलग प्रकारों तथा व्यक्ति विशेष के व्यवहार को समझने में योगदान करता है। अच्छे व्यक्तित्व का विकास कैसे हो, सकारात्मक सोच कैसे आये, जीवन में आयी निराशा तथा कुण्ठा कैसे दूर हो और इन All परिस्थितियों के क्या कारण हैं, को सामाजिक मनोविज्ञान द्वारा ही जाना जा सकता है और परिवर्तित Reseller जा सकता है। तनाव से बचाने में भी इसका योगदान है।

(2) माता-पिता की दृष्टि से महत्व 

माता-पिता का संसार ही बच्चे होते हैं। प्रत्येक माता-पिता अपने बच्चों को संस्कारवान तथा स्वस्थ व्यक्तित्व वाला बनाना चाहता है। बच्चों के पालन-पोषण में, समाजीकरण में तथा व्यक्तित्व के विकास में किस प्रकार की परिस्थितियाँ ज्यादा उपयुक्त होंगी और इनके तरीके क्या हं,ै कि वैज्ञानिक जानकारी सामाजिक मनोविज्ञान के द्वारा होती हैं। इसका यथेष्ट ज्ञान बच्चों को बाल अपराधी, कुसंग, मादक द्रव्य व्यसन, अवसाद इत्यादि से बचा सकता है।

(3) शिक्षकों के लिए महत्व 

सामाजिक मनोविज्ञान के अध्ययन द्वारा शिक्षकों को अपने विद्यार्थियों को समझने तथा उनको पढ़ाने के उचित तरीकों को जानने में मदद मिलती है। सामाजिक-मनोवैज्ञानिक तरीकों के प्रयोग द्वारा शिक्षक छात्रों में शिक्षा के प्रति रूचि पैदा कर सकता है। वही सामाजिक-मनोवैज्ञानिक दृष्टि से स्वस्थ व्यक्ति ही सक्षम शिक्षक की भूमिका में खरा उतर सकता है। परिवार सामाजिकरण की First पाठशाला है, वही विद्यालय द्वैतीयक सामाजीकरण की भूमिका अदा करता है। आज Human विकास में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। प्राथमिक शिक्षा के लिए सरकार विविध प्रावधानों के द्वारा व्यापक प्रयास कर रही है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम द्वारा अधिक से अधिक बच्चों को विद्यालयी शिक्षा प्रदान करने की कोशिश की जा रही है। शिक्षकों से अधिकांश छात्रों के पंजीकरण, उनसे समुचित व्यवहार, उचित अध्यापन इत्यादि अपेक्षाएँ हैं। सामाजिक मनोविज्ञान द्वारा शिक्षा क्षेत्र की समस्याओं तथा उनके निदान के उपायों की व्यापक जानकारी प्राप्त होती है।

(4) समाज सुधारकों And प्रKingों के लिए 

सामाजिक मनोविज्ञान के अध्ययन द्वारा समाज सुधारकों को तो लाभ प्राप्त होता ही है, यह प्रKingों को भी विविध तरह से लाभ पहुँचाता है। समाज में व्याप्त विविध कुरीतियों, बुरार्इयों, विचलित व्यवहारों And आपराधिक गतिविधियों, समस्याओं, सामाजिक तनावों, साम्प्रदायिक दंगों, जातिगत दंगो, वर्ग संघर्षों इत्यादि के कारणों तथा उनको रोकने के उपायों की जानकारी सामाजिक मनोविज्ञान के अध्ययन के द्वारा समाज सुधारकों तथा प्रKingों को होती है, जिसके द्वारा उन्हें इन समस्याओं को दूर करने में सहायता मिलती है। अक्सर अफवाहों के चलते न केवल सामाजिक तनाव फैल जाता है अपितु कानून और व्यवस्था की गंभीर समस्या पैदा हो जाती है। सामाजिक मनोविज्ञान का अध्ययन अफवाहों को समझने तथा उसके कारगर उपायों को अपनाने का ज्ञान प्रदान करता है।

(5) विज्ञापन And प्रचार की दृष्टि से महत्व 

आज धन का महत्व बढ़ता ही चला जा रहा है। उद्योगपति अपने उत्पादों को जनसंचार के माध्यमों से विज्ञापनों द्वारा अधिक से अधिक प्रचारित प्रसारित कर रहे हैं। लोगों के मनोविज्ञान को समझकर न केवल उपभोक्तावाद को बढ़ावा दे रहे हैं अपितु उपभोक्ताओं पर मनोवैज्ञानिक दबाव भी डाल रहे हैं ताकि उनका उत्पाद अधिकाधिक बिके। जनमत के महत्व को समझकर सरकार And राजनीतिज्ञ सक्रिय हैं। हाल ही में जनमत के चलते कर्इ Kingों को सत्ता से बेदखल होना पड़ा है। सामाजिक मनोविज्ञान का ज्ञान विविध सरकारी योजनाओं की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने में सम्भव हो रहा है। प्रचार के महत्व को आज हम सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनैतिक जीवन के All पक्षों में महसूस कर रहे हैं।

(6) सम्पूर्ण राष्ट्र की दृष्टि से महत्व 

सामाजिक मनोविज्ञान का सम्पूर्ण राष्ट्र की दृष्टि से भी खासा महत्व है। वैयक्तिक विघटन से लेकर Fight And क्रान्ति जैसी स्थितियाँ किसी भी राष्ट्र के लिए चिन्ताजनक हो सकती हैं। सामाजिक मनोविज्ञान का अध्ययन न केवल व्यक्ति को अपितु समूह And समाज को तथा राष्ट्रीय And अन्तर्राष्ट्रीय जीवन को खतरा करने वाली विविध स्थितियों And कारकों का ज्ञान कराता है और उनके परिणामों के सन्दर्भ में सचेत करता है। सामाजिक मनोविज्ञान के अनुसन्धानों द्वारा व्यापक नीति-निर्माण में मदद मिलती है। व्यक्ति-व्यक्ति के बीच विभेदों, कटुता And कलुषता को दूर करने में सहायता मिलती है, वहीं Fight, क्रान्ति, पक्षपात, अफवाह And विविध प्रकार के तनाव को रोकने में भी मदद मिलती है। सम्पूर्ण राष्ट्र की भलार्इ की दृष्टि से सामाजिक मनोविज्ञान के महत्व को नकारा नहीं जा सकता है।

आज उद्योगों में भी सामाजिक मनोविज्ञान के विविध पक्षों के जानकारों को रखा जा रहा है ताकि औद्योगिक सम्बन्ध शान्त तथा सौहादर््रपूर्ण बना रहें श्रमिकों तथा कर्मचारियों की समस्याओं का भी सामाजिक-मनोवैज्ञानिक तरीकों से समाधान Reseller जा रहा है। सामाजिक मनोवैज्ञानिक तकनीकों And प्रविधियों के प्रयोग द्वारा औद्योगिक उत्पादन को बढ़ाने में सफलता प्राप्त की जा रही है। नौकरशाहों में, प्रबन्धकों में तथा नेताओं में नेतृत्व की क्षमता वृद्धि के लिए भी इसका विशेष महत्व स्वीकार Reseller जा रहा है। यह कहना कदापि अनुचित न होगा कि Humanीय क्रियाकलापों की पहेली को मनोवैज्ञानिक दृष्टि से सुलझाना आज की अनिवार्यता है।

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