सामाजिक क्रिया का Means, परिभाषा And प्राReseller

सामाजिक क्रिया समाज कार्य की सहायक प्रणाली है। प्रारम्भ से ही समाज कार्य का आधार Humanता रही है। सामाजिक क्रिया का जिसे प्रारम्भ में समाज सुधार का नाम दिया गया है, समाज कार्य के अभ्यास में Single महत्वपूर्ण स्थान रहा है।1922 में मेरी रिचमंड ने सामाजिक क्रिया का History समाज कार्य की चार प्रमुख प्रणालियों के अंतर्गत Single प्रणाली के Reseller में Reseller था। 1940 में जॉन फिच द्वारा Single कांफ्रेंस में सामाजिक क्रिया पर Single निबन्ध प्रस्तुत Reseller गया।1945 में केनिथ एलियम प्रे ने ‘सोशल वर्क एण्ड सोशल Single्षन’ नामक लेख लिखा जिसके According यह माना गया कि सामाजिक क्रिया सामुदायिक संगठन का Single अंग नहीं है। Single अलग विधि के Reseller में इसकी पहचान बनी।कालांतर में यह स्पष्ट Reseller से स्वीकार कर लिया गया कि सामुदायिक संगठन में कार्य Single सीमित क्षेत्र में होता है किन्तु सामाजिक क्रिया में यह बडे़ स्तर पर Reseller जाता है।

सामाजिक क्रिया की परिभाषा

सामाजिक क्रिया के सिद्धांतों के बारे में जान सकेंग प्रमुख विचारकों द्वारा दी गर्इ सामाजिक क्रिया की परिभाषायें  हैं-

  1. मेरी रिचमंड (1922) : ‘प्रचार And सामाजिक विधान के माध्यम से जनसमुदाय का कल्याण सामाजिक क्रिया कहलाता है।’ 
  2. ग्रेस क्वायल (1937) : समाज कार्य के Single भाग के Reseller में सामाजिक क्रिया सामाजिक पर्यावरण को इस प्रकार बदलने का प्रयास है जो हमारे जीवन को अधिक संतोशप्रद बनाता है। इसका उद्देश्य व्यक्ति को प्रभावित न करके सामाजिक संस्थाओं, कानूनों, प्रथाओं तथा समुदाय को प्रभावित करना है। 
  3. सैनफोर्ड सोलेण्डर (1957) : समाज कार्य क्षेत्र में सामाजिक क्रिया समाज कार्य दर्शन, ज्ञान तथा निपुणताओं के संदर्भ में व्यक्ति, समूह तथा प्रयासों की Single प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य नवीन प्रगति तथा सेवाओं की प्राप्ति हेतु कार्य करते हुए सामाजिक नीति व सामाजिक संCreation की क्रिया में संशोधन के माध्यम से समाज कल्याण में वृद्धि करना है। 
  4. हिल जॉन (1951) : सामाजिक क्रिया को व्यापक सामाजिक समस्याओं के समाधान का संगठित प्रयास कहा जा सकता है या मौलिक सामाजिक And आर्थिक दशाओं को प्रभावित करके वांछित सामाजिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए संगठित सामूहिक प्रयास कहा जा सकता है। 
  5. फ्रीडलैण्डर (1963) : सामाजिक क्रिया समाज कार्य दर्शन तथा अभ्यास की संCreation के अंतर्गत Single वैयक्तिक, सामूहिक अथवा सामुदायिक प्रयत्न है जिसका उद्देश्य सामाजिक प्रगति को प्राप्त करना, सामाजिक नीति में परिवर्तन करना तथा सामाजिक विधान, स्वास्थ्य तथा कल्याण सेवाओं में सुधार लाना है। 

सामाजिक क्रिया की विशेषताएं

  1. सामाजिक क्रिया में समाज कार्य के सिद्धांत, मान्यताओं, ज्ञान तथा कौशल का प्रयोग Reseller जाता है, अत: यह समाज कार्य का ही Single अंग है। 
  2. इसका उद्देश्य सही Meansों में सामाजिक न्याय और समाज कल्याण की प्राप्ति है। 
  3. इस प्रक्रिया में Needनुसार सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन लाने And अनावष्यक तथा अवांछनीय सामाजिक परिवर्तन को रोकने का प्रयास Reseller जाता है। 
  4. यथासम्भव अहिंSeven्मक ढंग से कार्य Reseller जाता है। 
  5. उद्देश्यपूर्ति के लिए सामूहिक सहयोग अपेक्षित होता है। 
  6. इसमें कार्य जनतांत्रिक मूल्यों और संविधान में दिये गये नागरिक अधिकारों पर आधारित Agreeिपूर्ण आन्दोलन के Reseller में होता है।

सामाजिक क्रिया के मौलिक तथ्य 

  1. समुदाय की सक्रियता नियोजित And संगठित होनी चाहिए। सामाजिक क्रिया तभी सफल हो सकती है जब समूह अथवा समुदाय सक्रिय हो। 
  2. नेतृत्व का विकास करते समय यह ध्यान में रखना चाहिए कि नेता का चयन समाज की Agreeि से हो। 
  3. इसमें कार्य प्रणाली जनतांत्रिक तथा विधि जनतांत्रिक मूल्यों पर आधारित होनी चाहिए। 
  4. संबंधित समूह या समुदाय के All भौतिक या अभौतिक साधनों पर पूर्व विचार कर लेना चाहिए। 
  5. साधनों का सही अनुमान लगाने के बाद ही समस्या का चयन Reseller जाना चाहिए। 
  6. सामाजिक क्रिया के लिए स्वस्थ जनमत आवश्यक है। 
  7. सामाजिक क्रिया के लिए समुदाय के सदस्यों का सहयोग अपेक्षित है। 

    सामाजिक क्रिया के उद्देश्य 

    1. सामाजिक नीतियों के क्रियान्वयन के लिए सामाजिक पृश्ठभूमि तैयार करना।
    2. स्वास्थ्य And कल्याण के क्षेत्र में स्थानीय, प्रांतीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करना। 
    3.  आंकड़ों का Singleत्रीकरण And सूचनाओं का विश्लेशीकरण करना। 
    4. अविकसित तथा पिछडे़ समूहों के विकास के लिए आवश्यक मांग करना। 
    5. समस्याओं के लिए ठोस निराकरण And प्रस्ताव प्रस्तुत करना।
    6. नवीन सामाजिक स्रोतों का अंवेशण। 
    7.  सामाजिक समस्याओं के प्रति जनता में जागरूकता लाना।
    8. जनता का सहयोग प्राप्त करना। 
    9. सरकारी तंत्र का सहयोग लेना। 
    10. नीति निर्धारक सत्ता से प्रस्ताव स्वीकृत कराना। 

    सामाजिक क्रिया के सिद्धांत 

    सामाजिक क्रिया नीतियों में परिवर्तन कर स्वस्थ जनमत का निर्माण करती हैं। इसके प्रमुख सिद्धांत इस प्रकार हैं:-

    1. विश्वनीयता का सिद्धांत : वह समूह या समुदाय, जिसके लिए नेतृत्व कार्यक्रम क्रियांवित करता है, उसे नेतृत्व के प्रति विश्वास को अक्षुश्ण रखना चाहिए। 
    2. स्वीकृति का सिद्धांत : समूह या समुदाय को उसकी वर्तमान स्थिति में स्वीकार करते हुए प्राथमिकता के आधार पर Needओं की पूर्ति के लिए Single स्वस्थ जनमत तैयार Reseller जाना इस सिद्धांत के अंतर्गत आता है। 
    3. वैधता का सिद्धांत : संदर्भित जनता जिसके लिए आंदोलन चलाया जा रहा है या कार्य Reseller जा रहा है तथा जनसामान्य को विश्वास हो कि आंदोलन नैतिक तथा सामाजिक Reseller से उचित है। इस मान्यता के आधार पर ही सहयोग प्राप्त होता है।
    4. नाटकीकरण का सिद्धांत : नेता कार्यक्रम को इस प्रकार जनता के समक्ष प्रस्तुत करता है ताकि जनता स्वयं सांवेगिक Reseller से उस कार्यक्रम से जुड़ जाये And अति आवश्यक मानकर उसके साथ अनवरत And सक्रिय Reseller से सम्बद्ध हो जाये। 
    5. बहुआयामी रणनीति का सिद्धांत : चार प्रकार की रणनीतियॉ सामाजिक क्रिया में प्रयुक्त होती हैं- 
    • शिक्षा संबंधी रणनीति-  1. प्रौढ़ शिक्षा द्वारा 
    • समझाने की रणनीति   2. प्रदर्शन द्वारा 
    •  सुगमता की रणनीति 
    • शक्ति की रणनीति 
  1. बहुआयामी कार्यक्रम का सिद्धांत : इसमें तीन प्रकार के कार्यक्रम सम्मिलित होते हैं- 
    1. सामाजिक कार्यक्रम 
    2. आर्थिक कार्यक्रम 
    3. राजनैतिक कार्यक्रम 

    सामाजिक क्रिया के क्षेत्र 

    सामाजिक क्रिया को समाज कार्य की Single सहायक प्रणाली के Reseller में वर्तमान समय में अधिकांष समाज कार्यकर्ताओं और विद्वानों ने स्वीकार कर लिया है, इन्होनें इस बात को भी स्वीकृति प्रदान की है कि सामाजिक क्रिया में सामूहिक प्रयास का होना आवश्यक है चाहे इस प्रयास का आरम्भ किसी Single व्यक्ति ने ही Reseller हो। इसके लिए आवश्यक है कि सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए संयुक्त Reseller से प्रयास Reseller जाये और यह प्रयास सामाजिक विधान के अनुReseller हो। सामाजिक क्रिया के दो साधन हैं, पहला, जनमत को शिक्षा And सूचना की उपलब्धि द्वारा परिवर्तित करना, और दूसरा सामाजिक विधान को प्रभावित करना Meansात् परिवर्तित करना या उसका निर्माण करना। जनमत को प्रभावित करने के लिए आवश्यक है कि जन संदेशवाहन की प्रणालियों का उपयोग Reseller जाये और सामाजिक विधानों को प्रभावित करने के लिए प्रKingों से सम्पर्क Reseller जाये।

    जब हम सामाजिक क्रिया के विषय क्षेत्र की बात करते हैं तब Single बात स्पष्ट होती है कि सामाजिक क्रिया का विषय क्षेत्र समाज कार्य के विषय-क्षेत्र से पृथक नहीं हैं, क्योंकि समाज कार्य का क्षेत्र मुख्यत: समाज से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओं का निराकरण है और सामाजिक क्रिया समाज कार्य की Single प्रणाली है जोकि समाज कार्य की उसके उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायता करती है। सामाजिक क्रिया का उपयोग समाज कार्यकर्ता द्वारा समाज कल्याण के अन्तर्गत आने वाले विभिन्न वर्गो का कल्याण समाज कार्य के क्षेत्र में सम्मिलित है। समाज कार्य के क्षेत्र में मुख्यत: बाल, युवा, महिला, वृद्ध, असहाय, निर्धन, शोषण का सरलतापूर्वक शिकार बनने वाले वर्गो आदि के कल्याण को रखा गया है और इसके लिए समाज कार्य की विभिन्न प्रणालियों का प्रयोग Reseller जाता है यथा-वैयक्तिक समाज कार्य, सामूहिक समाज कार्य, सामुदायिक संगठन, समाज कल्याण प्रशासन, समाज कार्य अनुसंधान और सामाजिक क्रिया।

    सामाजिक क्रिया के क्षेत्र के बारे में विवेचना करने से पूर्ण यह जानना आवश्यक जान पड़ता है कि क्या सामाजिक क्रिया समाज में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में सक्षम है अथवा नहीं है ? क्या सामाजिक क्रिया सामाजिक संCreation में व्याप्त समस्याओं का निराकरण कर सकती है अथवा नही है ?, चूंकि सामाजिक क्रिया समाजकार्य में Single व्यावसायिक पद्धति के Reseller में प्रयोग की जाती है जो कि समाज कार्य आवास के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों की समस्याओं को दूर करने का प्रयास करती है। वास्तव में सामाजिक क्रिया का क्षेत्र समाज द्वारा निर्धारित की गर्इ Needओं पर निर्भर होता है क्योंकि समाज के लोग अपनी Needओं की पहचान कर लक्ष्यों का निर्धारण करते हैं तथा इन्हीं लक्ष्यों  की पूर्ति हेतु सामाजिक क्रिया का प्रयोग Reseller जाता है। सामाजिक क्रिया द्वारा समाज के लक्ष्यों की पूर्ति हेतु विभिन्न माध्यमों को अपनाकर समाज की संCreation में परिवर्तन लाने का प्रयास Reseller जाता है। आज वहां Single तरफ Indian Customer समाज विभिन्न तरह की समस्याओं से जुझ रहा है, तथा नित नयी समस्यायें जन्म लें रही है। वहीं दूसरी तरफ समाज में असभ्यता भी अपना पैर फैला रही है। इस संदर्भ में समाज में सामाजिक क्रिया के क्षेत्र वृहत्तर होते जा रहे। आज भी हमारे देश में गरीबी, भृश्टाचार, बेरोजगारी, वेथ्यावृत्ति, कानूनों का उल्लंघन जैसी समस्यायें आम हो चली हैं इन क्षेत्रों में सामाजिक क्रिया का अमूल्य योगदान हो सकता है। सामाजिक क्रिया समाज में फैली हुर्इ कुरीतियों, रूढ़ियों, विशमताओं को दूर करने में भी अपना योगदान दे सकती है। सामाजिक क्रिया का क्षेत्र बहुत ही व्यापक है जिसमें कुछ क्षेत्र है –

    1. सामाजिक सुधार -सामाजिक सुधार वास्तव में समाज में होने वाली विशमताओं के लिए Reseller जाता है जिनमें समाज में व्याप्त समस्याओं, कुरीतियों को दूर कर समाज में Single सौहार्द पूर्ण माहौल उत्पन्न Reseller जाता है। सामाजिक क्रिया समाज में विभिन्न प्रकार की सामाजिक कुरीतियों, विशमताओं, समस्याओं, शोषणों को दूर करने में अपना योगदान प्रदान करती है। वर्तमान समय में सामाजिक सुधार Single अतिआवश्यक मुद्दा है, क्योंकि समाज का विकास करना है तो समाज सुव्यवस्थित And कुरीतियों से दूर होना चाहिए और इस हेतु सामाजिक क्रिया अपने विभिन्न प्रविधियों के माध्यम से समाज में बदलाव लाकर समाज सुधार करती है जिससे समाज विकास करता है।
    2. सामाजिक मनोवृत्ति में बदलाव-सामाजिक क्रिया लोगों के मनोवृत्तियों में बदलाव करने में सक्षम है, क्योंकि समाज के लोग अगर किसी समस्या के निराकरण के प्रति सकारात्मक सोच नहीं रखते हैं तो सामाजिक कार्यकर्त्ता सामाजिक क्रिया के विभिन्न प्रविधियों का उपयोग कर समाज के लोगों की मनोवृत्तियों में बदलाव लाने की कोशिश करता है। चूंकि सामाजिक मनोवृत्ति समाज के लोगों से जुड़ी हुर्इ होती है। जिसे परिवर्तित करना आसान काम नही है। अत: सामाजिक कार्य कर्ता समाज के लोगों के बीच में जाकर समस्या के बारे में बताता है तथा समस्या के प्रति लोगों को Singleजुट करता है And उनकी सकारात्मक ऊर्जा को सामाजिक समस्या को दूर करने में लगाता है।
    3. सामाजिक कुरीतियों को दूर करना-हमारा देश विभिन्न प्रकार के धर्मो, सम्प्रदायों, जातियों वाला देश है जहां पर सामाजिक कुरीतियां अत्यधिक मात्रा में पार्इ जाती है। ये कुरीतियां समाज के विकास में बाधक होती है। इनको सामाजिक क्रिया की सहायता से दूर Reseller जा सकता है। देखा जाय तो सामाजिक क्रिया कार्य कर्ता समाज का ही Single अंग है जो इन कुरीतियों के बारे में पूर्णत: जानकारी रखता है तथा इनसे होने वाले हानियों के बारे में भी ज्ञान रखता है। इन कुरीतियों को दूर करने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता  समाज के लोगों के बीच में कुरीतियों से होने वाले दुश्परिणामों को रखता है तथा उन्हें बताता है कि हमारा समाज तब तक विकसित नही होगा जब तक इन कुरीतियों को दूर नहीं Reseller जायेगा। कुरीतियों को दूर करने के लिए सामाजिक क्रिया कार्य कर्ता प्रबुद्धजनों, विशेषज्ञों इत्यादि की सहायता लेता है तथा समाज के लोगों And प्रबुद्धजनों, विशेषज्ञों को Single मंच पर लाता है And विचार विमर्श करता है तथा Single जागरूकता अभियान के तहत कुरीतियों को दूर करने का प्रयास करता है। इस प्रकार देखा जाय तो सामाजिक क्रिया का क्षेत्र सामाजिक कुरीतियों को दूर करना भी है।
    4. गरीबी उन्मूलन-हमारा देश वास्तव में गांवों में निवास करता है ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि हमारे देश की 70 प्रतिशत जनसंख्या गांव में निवास करती है। आज भी हमारे देश में गरीबी Single भयावह समस्या के Reseller में है क्योंकि Single तरफ जहां लोग अमीर होते जा रहे है वहीं दूसरी तरफ निर्धन वर्ग के लोग और गरीब होते जा रहे है। गरीबी उन्मूलन में सामाजिक क्रिया अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करती है। चूंकि सामाजिक नीति बनाने वाले केवल अपने कार्यालयों में बैठकर नीतियों का निर्माण करते हैं। उन्हें वास्तविक स्थिति का पता नही रहता है। अत: सामाजिक क्रिया कार्य कर्ता समाज की वास्तविक स्थिति का सही-सही निResellerण सामाजिक नीति बनाने वालों के सामने प्रस्ुतत कर सकता है क्योंकि सामाजिक क्रिया कार्य कर्ता समाज में रह कर कार्य करता है और उसे पूरी यथा स्थिति पता रहती है। इस प्रकार यदि सामाजिक नीति बनाने वाले सामाजिक क्रिया कार्यकर्ताओं की सहायता लें तो गरीबी उन्मूलन से सम्बन्धित All कार्यक्रम सफल होते और गरीबी की समस्या से कुछ हद निजात पाया जा सकता है। इस प्रकार हम देखे तो गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में अपना योगदान प्रस्तुत करती है।
    5. शिक्षा संबंधी जागरूकता-शिक्षा वर्तमान भारत की महत्वपूर्ण Needओं में Single है। चूंकि किसी भी देश का विकास तभी सम्भव है जब उस देश के All लोग शिक्षित हो। भारत जैसे देश में आज भी 60 प्रतिशत आबादी ही शिक्षित है। जहां पर आज भी लोग शिक्षा का महत्व पूरी तरह से नही समझ पाये है, विशेषकर ग्रामीण अन्चलों में। सरकार ने शिक्षा के लिये विभिन्न कार्यक्रम चलाये है लेकिन पूरी तरह से सफलता प्राप्त नही हो रही है। शिक्षा सम्बन्धी जागरूकता के क्षेत्र में सामाजिक क्रिया अपने महत्वपूर्ण प्रविधियों के आधार पर समाज के लोगों के बीच में शिक्षा के महत्व को बताते हुए जागरूकता फैला सकती है तथा लोगों को शिक्षित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।
    6. बेरोजगारी की समस्या से संबंधी निराकरण- आज वर्तमान समय में हमारे देश की जनसंख्या जहां 1 अरब 21 करोड़ हो चुकी है वहीं दूसरी तरफ जनसंख्या की तीव्र वृद्धि के कारण बेरोजगारी की समस्या विकराल Resellerधारण कर चुकी है। बेरोजगारी की समस्या के निराकरण हेतु सामाजिक क्रिया कार्य कर्ता अपने सुझाव नीति निर्धारकों के पास प्रेशित कर  सकता है तथा उन्हें स्वरोजगार परक कार्यो हेतु कार्यक्रम And योजना बनाने हेतु सुझाव दे सकता है जिससे बेरोजगारी की समस्या से निजात पाया जा सकता है। दूसरी तरफ सामाजिक क्रिया कार्यकर्ता समाज के लोगों के बीच में स्वरोजगार करने हेतु प्रेरित कर सकता है।
    7. सामाजिक भ्रष्टाचार- सामाजिक भ्रष्टाचार के क्षेत्र में सामाजिक क्रिया अपना योगदान दे सकती है जोकि समाज के लोगों को सामाजिक भ्रष्टाचार के खिलाफ Singleजुट कर सकती है तथा सामाजिक भ्रष्टाचार को मिटाने में समाज के लोगों की सहायता ले सकती है।
    8. नियम कानूनों का निर्माण- हमारे देश में प्रगति के साथ-साथ बहुत सी समस्याओं ने जन्म लिया है जिन्हें नियंत्रण में करना वर्तमान नियम कानूनों के अन्तर्गत असम्भव जान पड़ता है। अत: समय के साथ-साथ होने वाले भ्रष्टाचार, समस्यायें इत्यादि से सम्बन्धित नियम कानूनों को बनाने में सामाजिक क्रिया विधि विशेषज्ञों के सामने वास्तविक स्थिति प्रस्तुत कर सकती है, जिससे नये नियम कानूनों का निर्माण Reseller जा सकता है।
    9. सामाजिक आंदोलन- सामाजिक आन्दोलन हमारे देश में बहुत पुराने समय से होता आया है। चाहे वह विनोवा भावे द्वारा Reseller गया हो अथवा महात्मा गांधी जी द्वारा Reseller गया हो। आज वर्तमान भारत में भी सामाजिक आन्दोलनों की Need है जिससे समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर Reseller जा सके। अन्ना हजारे तथा अन्य समाज कार्य कर्ताओं द्वारा Reseller जा रहा आन्दोलन Single सामाजिक क्रिया का ही Reseller है जो वर्तमान समय में सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार मिटाने हेतु Reseller जा रहा है।
    10. असहाय लोगों की स्थिति में सुधार – प्रत्येक देश में कुछ न कुछ ऐसे लोग होते है जो परिस्थिति वष असहाय हो जाते है। ये असहाय लोग बीमारी, दुर्घटना, वृद्धा अवस्था अथवा प्रकृति प्रदत्त कारणों के आधार पर असहाय होते है। चूंकि असहाय लोगों हेतु सरकार समय-समय पर नियम कानून, कार्यक्रम बनाती रहती है लेकिन ये कार्यक्रम And कानून अपर्याप्त जान पड़ते है। असहाय लोगों की स्थिति में सुधार हेतु सामाजिक क्रिया अपना योगदान समाज सुधार प्रविधि के माध्यम से दे सकती है तथा सरकार पर असहाय लोगों के पुनर्वास हेतु नये कार्यक्रमों के निर्माण के लिए दबाव डाल सकती है।
    11. सामाजिक सेवाओं की अप्रचुरता – सामाजिक सेवाओं की अप्रचुरता समाज में असन्तोष उत्पन्न करती है। अत: सामाजिक क्रिया के द्वारा सामाजिक सेवाओं की अप्रचुरता को दूर Reseller जा सकता है तथा सामाजिक क्रिया कार्यकर्ता सामाजिक सेवाओं को प्रदान करने वाले तन्त्र के खिलाफ आन्दोलन कर सामाजिक सेवा प्रदान करने के लिए विवष कर सकती है।
    12. निश्क्रीय कानूनों को क्रियान्वयन में – समाज ज्यो-ज्यों प्रगति की ओर बढ़ता है त्यों-त्यों वे अपने पुराने मूल्यों को भूलता जाता है जिससे समस्या उत्पन्न होने लगती है। कुछ ऐसे नियम कानून जो सामाजिक समस्याओं को दूर करने के लिए बनाये जाते है या तो वे धनिक वर्ग के हाथ की कठपुतली हो जाती है। अथवा लोग उन नियम कानूनों से डरना छोड़ देते है। चूंकि कोर्इ भी नियम कानून समाज की भलार्इ के लिए ही बनाया जाता है अत: निश्क्रिय हुये कानूनों को पुन: पुर्नजीवित करने हेतु सामाजिक क्रिया समाज के लोगों को साथ लेकर आन्दोलन करती है और निश्क्रिय हुये कानूनों को पुन: क्रियान्वित कराती है।
    13. नये समस्याओं के निराकरण हेतु नये कानूनों का निर्माण – समाज का विकास जहां Single तरफ देश को ऊंचार्इयां प्राप्त कराता है वहीं दूसरी तरफ समाज का विकास अगर संग्रहणीय न हुआ तो नर्इ समस्याओं को भी जन्म देता है। इसका Single उदाहरण साइबर क्राइम है। अत: इस प्रकार नर्इ समस्याओं के समाधान हेतु सामाजिक क्रिया अपने प्रयास से सरकार को समय-समय पर सूचित कर मैं नये कानूनों का निर्माण हेतु दबाव डालती रहती है।
    14. सामाजिक मुद्दों पर चेतना जागृत करना – समाज का विकास सामाजिक समस्याओं के निराकरण पर निर्भर है चूंकि सामाजिक समस्यायें कुछ दिनों बाद सामाजिक मुद्दों का Resellerधारण करती है और यही मुद्दे आन्दोलन का Resellerधारण करते है। सामाजिक क्रिया समाज के लोगों के बीच सामाजिक मुद्दों पर चेतना जागृत करती है तथा आन्दोलन हेतु प्रेशित करती है।
    15. वैयक्तिक And पारिवारिक मूल्यों से संबंधित समस्याओं का समाधान – व्यक्ति का विकास बिना समाज के सम्भव नहीं है और व्यक्ति, परिवार, समुदाय तथा समाज Single Second से अन्त:क्रिया करते है। समाज का ज्यो-ज्यों विकास होता है उसी क्रम में व्यक्ति And पारिवारिक मूल्यों से सम्बन्धित समस्यायें उत्पन्न होती है। जैसे आज की परिप्रेक्ष्य में Singleल परिवार की महत्ता। सामाजिक क्रिया वैयक्तिक And पारिवारिक मूल्यों से संबंधित समस्याओं का समाधान करती है।
    16. लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना – समाज कार्य पूरी तरह से लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है और यह हमेषा प्रयासरत रहता है कि समाज में लोकतांत्रिक मूल्य यथावत बने रहे। लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना में सामाजिक क्रिया अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रस्तुत करती है क्योंकि कोर्इ भी आन्दोलन बिना समाज के लोगों को Singleजुट किए नही हो सकता।
    17. लोक चेतना का प्रसार – सामाजिक क्रिया लोक चेतना के प्रसार हेतु प्रयासरत रहती है तथा समसामयिक मुद्दों को लोगों के सामने आन्दोलन, जागरूकता इत्यादि के माध्यम से लोक चेतना का प्रसार करती रहती है।
    18. उपभोक्ता संरक्षण – वर्तमान समय में जहां Single तरफ वैष्वीकरण की प्रक्रिया से व्यापार करना आसान हुआ है वही दूसरी तरफ वाणिज्य के क्षेत्र में नर्इ समस्याओं ने जन्म लिया है। देखा जाय तो आज का उपभोक्ता बहुत ही जागरूक हो गया है लेकिन फिर भी अपने अधिकारों की संरक्षा नहीं कर पाता है। उपभोक्ता संरक्षण में सामाजिक क्रिया अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रस्तुत करती है जिससे उपभोक्ता के अधिकारों की संरक्षा हो पाती है। ‘जागो ग्राहक जागो’ का “लोगन सामाजिक क्रिया द्वारा उपभोक्ता संरक्षण हेतु Single महत्वपूर्ण प्रयास है।

    सामाजिक क्रिया द्वारा सामाजिक विधान को लागू कराना 

    व्यक्ति का समाज के साथ घनिष्ट संबंधा है। उसकी Needओं की संतुष्टि समाज में ही समाज के सामाजिक संCreation का निर्माण And पुनर्गठन इसलिए Reseller जाता है, ताकि इन Needओं की समुचित And प्रभावपूर्ण ढंग से संतुष्टि हो सके दुर्भाग्य की बात है कि कालान्तर में नगर तथा सामाजिक संCreation में ऐसे दोष उत्पन्न हुए जिनके कारण कुछ लो सबल तथा कुछ निर्बल हो गये और सबर्लो द्वारा निर्बलों का शोषण दिया जाने लगा। परिणामत: यह अनुभव Reseller गया कि निर्बल वर्गो के हितों का संरक्षण करने हेतु राज्य द्वारा कुछ प्रयास किये जाने ताकि निर्बलों को भी व्यक्तित्व के विकास And सामाजिक क्रिया कलापों में मापनी योग्यताओं And क्षमताओं के According भाग लेने के अवसर प्राप्त हो सके। यद्यपि ऐसे प्रयास सदैव से होते रहे है, किन्तु इस दिशा में व्यवस्थित चेतन And योजनाबद्ध प्रयास स्वतंत्रता के बाद ही प्रारम्भ किये जा सके। जब राज्य Single कल्याणकारी राज्य के Reseller में उमर कर सामने आया। ये प्रयास निर्बल And शोषण का सरलतापूर्वक शिकार बनने वाले वर्गो के हितों के संरक्षण And सम्बर्द्धन हेतु सामाजिक विधानों के Reseller में सामने आये।

    सामाजिक विधान समाज में होने वाले नित नये परिवर्तनों से उत्पन्न समस्याओं के निराकरण And नियंत्रण हेतु बनाये जाते है। जब भी कोर्इ व्यापक समस्या मुद्दों का Resellerधारण करती है तो मुद्दों के निराकरण के लिए And समाज को नर्इ दिशा प्रदान करने के लिए सरकार सामाजिक विधानों का निर्माण करती है। लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसे ज्वलन्त मुद्दों पर ध्यान नहीं देती है जिसके कारण समाज में असन्तोष व्याप्त होने लगता है। यही असन्तोष समाज में सामाजिक क्रिया के Reseller में उत्पन्न होता है। चूंिक सामाजिक क्रिया लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है अत: कोर्इ भी सामाजिक विधान को लागू करने के लिये समाज में व्याप्त समस्या वृहद Reseller में होनी चाहिए तथा समस्या मुद्दें के Reseller में परिवर्तित होनी चाहिए। सामाजिक क्रिया समाज में व्याप्त समस्याओं के निराकरण And नियंत्रण के लिये सामूहिक प्रयास करती है जिसमें कर्इ विधियों का प्रयोग करती है।

    सामाजिक क्रिया के द्वारा सामाजिक विधान लागू करवाने की विधियां -सामाजिक क्रिया किसी भी सामाजिक विधान को लागू कराने के लिए दो प्रविधियों की सहायता लेती है जिनमें (1) अहिंSeven्मक प्रविधि (2) हिंSeven्मक प्रविधि इनका वर्णन है –

    1. अहिंSeven्मक प्रविधि – 

    सामाजिक क्रिया First किसी भी सामाजिक समस्या के निराकरण हेतु अंिहSeven्मक प्रविधि का सहारा लेती है तथा इसी अहिंSeven्मक प्रविधि का प्रयोग करते हुए सामाजिक विधान बनाने के लिए सरकार पर दबाव डालती है। इस प्रविधि में कुछ माध्यम का उपयोग सामाजिक क्रिया कार्य कर्ता करता है –

    1. प्रचार-सामाजिक क्रिया के द्वारा किसी भी सामाजिक समस्या से सम्बन्धित विधानों के निर्माणों के लिये प्रचार का सहारा लिया जाता है इसमें सामाजिक समस्या से सम्बन्धित All पहलुओं को समाज के जनमानस के सामने रखा जाता है तथा उनसे समस्या के निराकरण हेतु सुझाव मांगे जाते है। प्रचार ही Single ऐसा माध्यम है जिससे सामाजिक मुद्दों के बारे में जनमानस को जानकारी प्राप्त होती है तथा जब उन्हें लगता है कि उक्त समस्या हेतु विधान अवश्य बनने चाहिए तो सामान्य जनमानस भी अपना सहयोग प्रदान करता है। 
    2. शोध-सामाजिक क्रिया में शोध Single ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा सामाजिक मुद्दों And समसामयिक मुद्दों पर गुढ मंथन Reseller जा सकता है तथा आन्तरिक स्तर पर लोगों के सामाजिक समस्याओं के प्रति क्या विचार है निकलकर सामने आ सकते है। शोध के माध्यम से सामाजिक मुद्दों पर सांख्यिकी आंकड़े प्रस्तुत किये जा सकते है। जो सामाजिक विधान को लागू कराने अथवा बनवाने हेतु सरकार को प्रेशित किये जा सकते है। शोध के माध्यम से लोगों के विचार उपर्युक्त सरकार तक पहुचायें जा सकते है। 
    3. रैलियों का आयोजन-सामाजिक क्रिया जनमानस का सहयोग लेने के लिये तथा सामाजिक मुद्दों को उपर्युक्त सरकार तक पहुचाने के लिये रैलियों का आयोजन करती है ये रैलियां लोगों की भावनाओं को व्यक्त करने का Single सशक्त माध्यम होती है। जहां पर जनमानस अपने-अपने विचार रखते है तथा उन्हीं विचारों को Single Resellerरेखा प्रस्तुत कर सरकार के सामने प्रस्तुत Reseller जाता है कि उक्त समस्या कितनी भयावह है तथा इसके लिए कानून का निर्माण अतिआवश्यक है। 
    4. हस्ताक्षर शिविर-हस्ताक्षर शिविर माध्यम से सामाजिक क्रिया हस्ताक्षर अभियान चलाती है जिससे समसामयिक समस्याओं And मुद्दों हेतु लोगों के विचार सामने आते है। यही विचार हस्ताक्षर शिविर के माध्यम से उपयुक्त सरकार प्रेशित किये जाते है तथा सामाजिक विधान बनाने के लिये आग्रह Reseller जाता है। मण् बैनर लगवाना-सामाजिक क्रिया सामाजिक समस्याओं के निराकरण के लिये सामाजिक तथ्यों को बैनर के माध्यम से समाज के सामने प्रस्तुत करती है तथा जनमानस का सहयोग मांगती है जिससे कि सरकार तक लोगों के विचार पहुचाये जा सके। जब समाज के लोग बैनरों के माध्यमों से समस्या की यथा स्थिति से अवगत हो जाते है तो वे लोग भी सामाजिक विधान बनवाने के लिए समाज के मुख्य धारा से जुड़ जाते है। जिससे सरकार पर सामाजिक विधान बनाने के लिए दबाव पड़ने लगता है। 
    5. प्रदर्शन-प्रदर्शन Single ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा समाज के लोग बड़ी मात्रा में सरकारी तन्त्र के सामने उपस्थित होते है तथा अपने हाथ में विभिन्न प्रकार के श्लोगन वाली दफ्तियां, बैनर इत्यादि लिये रहते है जिससे उनके विचार सरकारी तन्त्र तक पहुचे तथा सामाजिक विधान बनाने हेतु प्रेरित हो सके। 
    6. असहयोगात्मक प्रतिरोध-सामाजिक क्रिया में असहयोगात्मक प्रतिरोध ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा समाज के लोग समस्याओं के निराकरण के लिए सामाजिक विधान बनाने हेतु सरकारी तन्त्र के कार्यो में असहयोग करते है जिससे सरकारी तन्त्र प्रभावित होता है और वह सामाजिक विधान बनाने के लिए विवश हो जाता है।
    7. प्रतिरोधात्मक प्रतिरोध-सामाजिक क्रिया में प्रतिरोधात्मक प्रतिरोध के अन्तर्गत सरकारी तन्त्र द्वारा संचालित कार्यक्रमों And योजनाओं का प्रतिरोध करते है तथा सरकारी तन्त्र द्वारा किये जा रहे क्रियाकलापों में अवरोध उत्पन्न करते है जिससे विवष होकर सरकार सामाजिक विधान बनाने के लिए प्रेरित होती है। 
    8. जागरूकता शिविर-सामाजिक क्रिया में जागरूकता शिविर के माध्यम से सरकारी तन्त्र के लोगों के बीच सामाजिक समस्याओं की वास्तविक Resellerरेखा प्रस्तुंत की जाती है तथा उनमें बताया जाता है कि वर्तमान समय में इस सामाजिक समस्या के निराकरण And नियन्त्रण हेतु इस सामाजिक विधान की महत्वपूर्ण Need है जो अवश्य ही बनना चाहिए। 
    9. आमरण अनशन-आमरण अनशन Single ऐसी प्रविधि है जो उपरोक्त प्रविधियों के विफल होने के बाद की जाती है, क्योंकि सामाजिक क्रिया कार्यकर्ता समाज के लोगों को Single साथ लेकर सामाजिक विधान बनाने के लिए पूर्व प्रस्तावित जगह And स्थान पर Singleत्रित होते है तथा सरकार के खिलाफ अनिश्चित कालीन धरने पर बैठ जाते है तथा सरकार को यह सूचना प्रेशित करते है कि जब तक सामाजिक विधान बनाने के क्षेत्र में कोर्इ उद्घोशणा नही होगी तब तक यह अनशन समाप्त नही होगा। इस प्रविधि के द्वारा अत्यधिक सामाजिक विधानों का निर्माण करवाया जा चुका है। भ्रष्टाचार जन लोक पाल विधेयक पारित करवाने के लिए अन्ना हजारे जी ने आमरण अनशन का ही सहारा लिया है।
    10. भूख हड़ताल-भूख हड़ताल भी Single आमरण अनशन का ही Single प्रतिReseller है जिसमें सामाजिक क्रिया कार्यकर्ता तथा अन्य जनमानस भी अन्न जल का त्याग करता है  And उपयुक्त सरकार पर दबाव बनाते है कि जब तक सामाजिक विधान का निर्माण नही होगा अथवा आवश्वासन नही मिलेगा तब तक भूख हड़ताल समाप्त नही करेगें। 

    2. हिंSeven्मक प्रविधि – 

    सामाजिक क्रिया में हिंSeven्मक प्रविधि को बहुत अच्छे नजरिये से नही देखा जाता क्योंकि इस प्रकार की प्रविधि में जन तथा धन दोनों की हानि होती है जिससे समाज विकास की बजाय पतन की ओर उन्मुख हो जाता है। इस प्रकार की प्रविधि को सबसे अन्तिम हथियार के Reseller में अपनाया जाता है। हिंSeven्मक प्रविधि की कर्इ सहायक प्रविधियां है जो बिन्दुओं के माध्यम से प्रस्तुत की जा रही है –

    1. आगजनी : आगजनी Single ऐसी सहायक प्रविधि है जिसमें सामाजिक विधान बनवाने के लिये जनमानस इकट्ठा होता है तथा उसकी बातों पर सरकार कोर्इ ध्यान नही देती है। तो जनमानस उग्र हो जाता है And जगह-जगह पर आगजनी करने लगता है And लूट मचाने लगता है। इस प्रविधि से त्रस्त होकर कभी-कभी सरकारी तन्त्र सामाजिक विधानों का निर्माण करवाने का आश्वासन प्रदान करता है। 
    2. उग्रवादी क्रिया : हिंSeven्मक प्रविधि के Reseller में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इस प्रविधि में जब किसी समस्या, निराकरण And नियन्त्रण हेतु विधानों का निर्माण नही होता है तो सामान्य जनमानस का युवावर्ग उग्रवादी क्रियाये करने लगता है तथा बन्दूकों And अन्य अग्निमारक यन्त्रों का प्रयोग सरकारी तन्त्र के खिलाफ करने लगता है। इस प्रकार की क्रिया में जन And धन की अत्यधिक हानि होती है।
    3. तोड़फोड़ मचाना : हिंSeven्मक प्रक्रिया में सामाजिक क्रिया के तहत कभी-कभी जनमानस इतना उग्र हो जाता है कि उसके सामने जो भी वस्तु होती है उसे तोड़ने फोड़ने लगता है तथा सरकारी तन्त्र का ध्यान अपने तरफ करने का प्रयास करता है। यह प्रक्रिया आगजनी के जैसी ही भयानक होती है तथा जनहानि होती है। 
    4. सरकारी सामानों को छति पहुचाना : सामाजिक विधान बनाने के लिए सामाजिक क्रिया के हिंSeven्मक प्रविधि के तहत जब कोर्इ निर्णय नही निकलता है तो आम जनमानस सरकारी सामानों को छति पहुचाने लगता है तथा लूटने लगता है। जिससे कि सरकार त्वरित निर्णय ले और सामाजिक विधान का निर्माण करे। मण् सरकारी तंत्र के अधिकारियों को बंधक बनाना : सामाजिक क्रिया के तहत कभी-कभी जनमानस इतना उग्र हो जाता है कि वह सरकारी तंत्र को भी बंधक बनाने लगता है And बंधक अधिकारियों के बदले सरकार से सामाजिक विधान बनाने का समझौता चाहता है। 
    5. रेल रोकना, बसों को छति पहुचाना : सामाजिक क्रिया के हिंSeven्मक प्राReseller में रेल रोकना, बसों को छति पहुचाना भी समायोजित होता है चूंकि जनमानस का विचार  होता है कि जब इस प्रकार की घटनायें होगी तो सरकार अपने आप सामाजिक विधान का निर्माण करेगी। 

    इस प्रकार हम देख सकते है कि उपरोक्त सामाजिक क्रिया की प्रविधियों के आधार पर सामाजिक विधानों का निर्माण कराया जा सकता है तथा उनको लागू कराया जा सकता है जिससे समाज में व्याप्त समस्याओं का निराकरण And नियंत्रण हो सकता है।

    सामाजिक क्रिया रणनीतियां और तकनीक 

    सामाजिक क्रिया की रणनितियां और तकनीक वास्तविक Reseller से सामुदायिक संगठन, सामुदायिक विकास, सामाजिक आन्दोलन और गांधीयन समाज कार्य के रणनितियों और तकनीकों पर आधारित हैं। यह All प्रकार की रणनितियां और तकनीक समाज के लिए सुधारात्मक And अतिवादी रणनितियां और तकनीक पर आधारित हैं तथा समाज को Single नर्इ दिशा प्रदान करने का प्रयास करती हैं। वास्तविक Reseller से देखा जाए तो सामाजिक क्रिया की रणनितियां और तकनीक लोगों की सहभागिता And लोकतंत्रात्मक मूल्यों पर आधारित हैं। सामाजिक रणनितियां और तकनीक की विवेचना की जा रही है।

    किसी भी प्रविधि को सफल बनाने में उस प्रविधि की रणनीतियां And तकनीक अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रस्तुत करती है। देखा जाए तो कोर्इ भी प्रविधि के पास अगर उसकी स्वयं की रणनीति और तकनीकि न हो तो उसे प्रविधि नही कह सकते। सामाजिक क्रिया 109 भी समाज कार्य की Single ऐसी प्रविधि है जिसमें स्वयं की कुछ रणनीति And तकनीकि पायी जाती है जिससे यह सामाजिक समस्याओं को दूर करने में सहायता प्रदान करती है। रणनीतियों से तात्पर्य इस प्रकार की Single ब्यूह Creation से है जिसमें समस्याओं के निराकरण And नियंत्रण से सम्बन्धित कुछ ऐसी Creation की जाती है जिससे समस्या का निदान Reseller जा सके। सामाजिक क्रिया में कुछ ऐसी तकनीResellerं भी पार्इ जाती है जो सामाजिक क्रिया को सहायता प्रदान करती है ये तकनीResellerं समय-समय पर परिवर्तित होती रहती है। क्योंकि सामाजिक क्रिया सम सामयिक मुद्दों पर आधारित होती है। अत: इस प्रकार के मुद्दों को हल करने के लिए सामाजिक क्रिया को नर्इ-नर्इ तकनीकों का विकास करना होता है जिससे समस्या का समाधान हो सके।

    सामाजिक क्रिया समाज कार्य की Single सहायक प्रणाली है जिसका उपयोग समाज कार्यकर्ता द्वारा अन्य प्रणालियों में असफल होने के बाद Reseller जाता है। कार्यकर्ता वैयक्तिक समाज कार्य, सामूहिक समाज कार्य, सामुदायिक संगठन, समाज कल्याण प्रशासन, समाज कार्य अनुसंधान का उपयोग जनमानस के कल्याण के लिए करने का प्रयास करता है और यदि वह उपरिलिखित प्रणालियों के माध्यम से कार्य करने में असफल हो जाता है, तो वह समाज कार्य की सहायक प्रणाली सामाजिक क्रिया के माध्यम से स्वस्थ जनमत तैयार करने And विधानों में आवश्यक परिवर्तन करने का प्रयास करता है। लीस ने सामाजिक क्रिया की तीन प्रकार की रणनीतियों का History Reseller है :-

    1. सहभागिता की रणनीति : सामाजिक क्रिया कार्यकर्ता किसी भी समस्या को दूर करने के लिए अथवा नियंत्रित करने के लिए सबसे First लोगों की सहभागिता से सम्बन्धित रणनीतियों का निर्माण करता है, ऐसा इसलिए कि कोर्इ भी सामाजिक क्रिया तब तक सफल नही हो सकती जब तक जनसामान्य सामाजिक क्रिया में अपनी सहभागिता न करे। चूंकि सामाजिक क्रिया लोगों के कल्याण के लिए ही की जाती है। अत: सामाजिक क्रिया कार्यकर्ता जब जनसाधारण को समस्या की गम्भीरता के बारे में विस्तृत Reseller से बताता है तो लोग समझ जाते है कि यह सामाजिक क्रिया उन्हीं के कल्याण हेतु की जा रही है। इस प्रकार सामाजिक क्रिया कार्यकर्ता के साथ जनसाधारण सहभागिता करने लगते है तथा सामाजिक क्रिया से सम्बन्धित विभिन्न प्रकार के आन्दोलनों में हिस्सा लेने लगते है। वास्तव में देखा जाए तो सहभागिता की रणनीति Single जमीनी स्तर की रणनीति है। क्योंकि इसमें लोग मन से वचन से तथा कर्म से सहभागिता करते है And सामाजिक क्रिया को सफल बनाने में सहयोग प्रदान करते है। इस प्रकार हम कह सकते है कि सहभागिता की रणनीति के अन्तर्गत कार्यकर्ता स्वस्थ जनमत तैयार करता है और सामाजिक नीतियों को परिवर्तित करने के लिए जन सहभागिता को प्रोत्साहित करता है। इस रणनीति के माध्यम से 110 जनसमुदाय की रूचियोंं, मूल्यों और व्यवहारों में परिवर्तन होता है, इसमें आपसी विद्वेश की भावना नहीं आती और न ही किसी की शक्ति का हांस होता है।
    2. प्रतिस्पर्धा की रणनीति : प्रतिस्पर्धा की रणनीति में सामाजिक क्रिया कार्यकर्ता समाज के लोगों के बीच विभिन्न प्रकार के मुद्दों के अन्तर्गत विशिष्ट मुद्दों पर लोगों के विचार जानने की कोशिश करता है तथा उन्हीं के According प्रमुख मुद्दों पर सामाजिक क्रिया करने हेतु उन्हीं को प्रेरित करता है। इस प्रकार की रणनीति में सामाजिक क्रिया कार्यकर्ता विभिन्न प्रकार के प्रचार And प्रसार सामग्री का उपयोग करते हुए जैसे रैली, पर्चो का वितरण, भाशण, होिर्ड़ग And विभिन्न प्रकार के ध्वनि प्रसारक यंत्रों का उपयोग करते हुए जन सामान्य को समस्या की गम्भीरता के बारे में जागरूक करता है। वास्तव में देखा जाए तो समाज अगर किसी भी प्रकार की समस्या के बारे में प्रचुर जानकारी प्राप्त कर ले तो समाज के लोग समस्या को दूर करने हेतु सामाजिक क्रिया के लिए उपस्थित हो जाते है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि प्रतिस्पर्धा की रणनीति में सामाजिक कार्यकर्ता प्रचार And प्रसार के माध्यम से वर्तमान परिस्थितियों को परिवर्तित करने के लिए नेतृत्व इस रणनीति का उपयोग करता है। नेतृत्व के द्वारा ऐसे कार्यक्रमों का चयन Reseller जाता है कि जिससे समूह या समुदाय के सदस्य अपने उत्तरदायित्वों का उचित Reseller से निर्वहन करते हुए कार्यक्रमों में अपनी सहभागिता करें और विभिन्न कार्यक्रमों की प्रगति के लिए प्रयास करें।
    3. व्यवधानात्मक रणनीति : व्यवधानात्मक रणनीति के अन्तर्गत समाज के लोग जब किसी भी समस्या से ग्रसित हो जाते है तथा पूर्णReseller से अपने आपको असहाय पाते है तो वे सरकार के खिलाफ आवाज उठाने लगते है। यह आवाज भूख हड़ताल, बहिश्कार, तालाबन्दी, के Reseller में होती है। वास्तव में देखा जाए तो व्यवधानात्मक रणनीति सामाजिक क्रिया की बहुत ही प्रिय And पुरानी रणनीति है। इस प्रकार यह रणनीति पूर्णत: हड़ताल, बहिश्कार, भूख हड़ताल, कर अदायगी न करने, प्रचार And प्रसार, तालाबन्दी आदि से सम्बन्धित है, इसमें जनमानस वर्तमान परिस्थिति के विरूद्ध असन्तोष प्रकट करता है और ऐसा वह नेतृत्व के द्वारा दिये गये सुझावों को ध्यान में रखकर करता है।

    ली ने नौ प्रकार की तकनीकों का वर्णन Reseller है तथा उन्होनें बताया है कि यह All प्रकार की तकनीक सामाजिक क्रिया की प्रक्रिया में प्रयोग किये जाने चाहिए। वर्तमान में All प्रकार के सामाजिक कार्यकर्ता इन्हीं तकनीकों का प्रयोग करते हैं। ली द्वारा बताये गये तकनीResellerं  है –

    तकनीक         स्तर 
    1. अनुसंधान –
    2. शिक्षा –        जगरूकता का विकास करना
    3. सहयोग –
    4.संगठन –        संगठन
    5. विवाचन –
    6. समझौता –        रणनीतियां
    7. सूक्ष्म उत्पीड़न –
    8. विधिक मूल्यों को न मानना
    9. संयुक्त क्रिया-        क्रिया

    उपरोक्त All प्रकार की तकनीकियों का वर्णन हम अप्रस्तुत कर रहे है जिससे सामाजिक क्रिया की तकनीक को समझने में आसानी होगी।

    1. अनुसंधान : अनुसंधान तकनीकि ऐसी तकनीक है जिसमें समस्या के बारे में वैज्ञानिक पद्धति को अपनाकर जानकारी प्राप्त की जाती है। सामाजिक क्रिया के अन्तर्गत कोर्इ भी सामाजिक क्रिया कार्यकर्ता अथवा संगठन समस्या की भयावहता And स्थिति को जानने के लिए First अनुसंधान तकनीकि का ही सहारा लेता है। ऐसा इसलिए Reseller जाता है क्योंकि यदि अनुसंधान वैज्ञानिक Reseller से Reseller जाए तो समस्या के सांख्यिकीय आंकड़े स्पष्ट हो जाते है तथा इन आंकड़ों को जनमानस And सरकार के समक्ष रखकर सामाजिक परिवर्तन की लहर पैदा की जा सकती है। देखा जाए तो अनुसंधान वास्तविक सच्चार्इ को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा सामाजिक कार्यकर्ता And समाज के लोगों को समस्या निवारण And परिवर्तन हेतु पे्ररित करता है।
    2. शिक्षा : शिक्षा वह तकनीकि है जिसमें सामाजिक क्रिया कार्यकर्ता समाज के लोगों के बीच समस्या से सम्बन्धित जागरूकता फैलाता है तथा लोगों के मन में शिक्षा के द्वारा समस्या की वास्तविक स्थिति रखता है। चूंकि शिक्षा समाज का अभिन्न अंग है जिससे समाज के लोग जागरूक होते है And अपने उत्तरदायित्व को समझते हुए सामाजिक समस्याओं And सामाजिक मुद्दों के निवारण हेतु आगे आते है। सामाजिक क्रिया की तकनीकि के Reseller में शिक्षा का दूसरा स्थान है तथा यह तकनीक सामाजिक क्रिया के जागरूकता विकास के Reseller में अपना स्थान रखती है।
    3. सहयोग : सहयोग Single ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से सामाजिक क्रिया कार्यकर्ता समाज के लोगों को Single साथ Singleत्रित कर सहायता लेता है तथा समस्या के प्रति उनकी मनोवृत्तियों को जागृत कर क्रिया करने के लिए प्रेरित करता है। सहयोग की तकनीक सामाजिक क्रिया के संगठन चरण के अन्र्तगत कार्य करती है।
    4. संगठन : चूंकि हम जानते है कि कोर्इ भी सामाजिक क्रिया सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा अथवा संगठन द्वारा की जाती है। चूंकि यदि सामाजिक क्रिया के किसी संगठन के द्वारा संगठन रणनीतियां क्रिया 112 की जाये तो उसका मूल्य लोगों के मनोभावों में ज्यादा होता है तथा जनता तीव्रगति से समस्या निवारण हेतु Singleत्रित होती है। यह तकनीक सामाजिक क्रिया के संगठन स्तर पर कार्य करती है।
    5. विवाचन : विवाचन वह तकनीक है जिसमें सामाजिक क्रिया कार्यकर्ता सामाजिक मुद्दों And समस्याओं को वैधानिक Reseller से जनसामान्य के सामने विशेषज्ञ व्यक्तियों द्वारा विवेचित कराता है तथा समस्या की वैधानिक स्थिति को स्पष्ट करता है जब जनसाधारण लोग विवाचन के माध्यम से समस्या की वैधानिक स्थिति से परिचित हो जाते है तो वे सामान्य Reseller से सामाजिक क्रिया हेतु प्रेरित होते है तथा सामाजिक क्रिया में भाग लेते है। यह तकनीक सामाजिक क्रिया के संगठन स्तर पर कार्य करती है।
    6. समझौता : समझौता तकनीक वह तकनीक है जिसके अन्तर्गत समस्या से ग्रसित लोग सरकारी तंत्र अथवा नियोजक से कुछ मुद्दों पर समझौता करते है तथा इसमें सामाजिक समस्या को दूर करने हेतु दोनों पक्षों के बीच मध्यम स्तर की पहल को अपनाया जाता है। यह तकनीक वास्तव में नौ लॉस, नो गेन पर आधारित है। यह तकनीक सामाजिक क्रिया की रणनीति स्तर पर कार्य करती है।
    7. सूक्ष्म उत्पीड़न : सूक्ष्म उत्पीड़न तकनीक में सामाजिक क्रिया कार्यकर्ता सामाजिक लोगों को Single साथ लेकर सरकारी तंत्र के खिलाफ कुछ ऐसी प्रविधियों का उपयोग करते है जिससे सरकारी तंत्र के लोग कठिनार्इ महसूस करे तथा समस्या के प्रति चिन्तन करे और समस्या को दूर करने के लिए कार्यक्रमों का निर्माण करे। इस प्रकार की तकनीक में रोड़ जाम And तोड़ फोड़ की क्रिया को अपनाया जाता है। यह तकनीक भी सामाजिक क्रिया की रणनीति स्तर पर कार्य करती है।
    8. विधिक मूल्यों को न मानना : विधिक मूल्यों को न मानने की तकनीकि के अन्तर्गत सामाजिक क्रिया द्वारा जनसाधारण ऐसा प्रयास करता है कि सरकार द्वारा बनाये गये विधानों का विरोध हो जिससे सरकार तक जनता की आवाज पहंचु े और सरकार लोगों की समस्यायें सुनने के लिए विवष हो तथा जन साधारण की समस्या दूर हो सके। यह तकनीक सामाजिक क्रिया के क्रिया स्तर पर कार्य करती है।
    9. संयुक्त क्रिया : संयुक्त क्रिया तकनीक सामाजिक क्रिया तकनीकि सबसे अन्तिम तकनीक है जिसमें सरकार यदि उपरोक्त All प्रकार के तकनीकों के आधार पर समस्या का निवारण नही करती है तो इस तरह की तकनीक को अपना कर समाज के All वर्ग के लोग Single साथ इकट्ठा होकर क्रिया करते है तथा सामाजिक क्रिया के विभिन्न प्रविधियों के द्वारा अपनी समस्या को हल करने का प्रयास करवाते है। यह तकनीक सामाजिक क्रिया की क्रिया स्तर पर कार्य करती है।

    सामाजिक क्रिया के प्राReseller 

    सामाजिक क्रिया का प्राReseller वास्तविक Reseller से सामुदायिक संगठन, सामुदायिक विकास, सामाजिक आन्दोलन और गांधीयन समाज कार्य के प्राReseller पर आधारित है। यह All प्रकार के प्राReseller समाज के लिए सुधारात्मक And अतिवादी प्राResellerों पर आधारित है तथा समाज को Single नर्इ दिशा प्रदान करने का प्रयास करते हैं। वास्तविक Reseller से देखा जाए तो सामाजिक क्रिया के प्राReseller लोगों की सहभागिता And लोकतंत्रात्मक मूल्यों पर आधारित है। सामाजिक प्राResellerों की विवेचना  की जा रही है।

    सामाजिक क्रिया के प्राResellerों में अलग-अलग विद्वानों ने समय-समय पर अलग-अलग प्राReseller प्रस्तुत किये कुछ प्राReseller जो सामाजिक क्रिया को Single व्यवस्थित प्रविधि के Reseller में स्थापित करते हैं उनका वर्णन इस इकार्इ में कर रहे है। वास्तव में गांधीयन परम्परा के चिन्तन अतिवादी उपागमों पर अत्यधिक विश्वास करते हैं। गांधीयन And अतिवादी प्राReseller वाले चिंतक लोकशक्ति में विश्वास रखते है। वास्तव में कोर्इ भी प्राReseller समाज की  Needओं प्रक्रियाओं और लक्ष्यों पर आधारित होते हैं। किसी भी समाज में पूर्ण परिवर्तन केवल अतिवादी सुधार और अहिंSeven्मक अथवा हिंSeven्मक आंदोलनों से ही Reseller जा सकता है। वहीं पर राजनैतिक अथवा आर्थिक तंत्र में परिवर्तन हेतु पूर्ण संCreationत्मक परिवर्तन की Need नहीं होती है।

    समाज विज्ञान के तथ्य बताते है कि सामाजिक क्रिया, सामाजिक नीति, सामाजिक कल्याण, विकास और सामाजिक आंदोलन से सम्बन्धित है। कृशक आंदोलन के संदर्भ में अवलोकन करे तो सामाजिक क्रिया पूर्णत: जमीनी स्तर से शुरू हुर्इ और इसकी सफलता पूर्ण राष्ट्रीय स्तर के सहयोग पर समाप्त हुर्इ। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि किसानों की समस्या हेतु सामाजिक क्रिया जो राजनैतिक दृढ़ इच्छा शक्ति और संगठनात्मक तथा शैक्षिक स्थिति से सम्बन्धित थी, वह जमीनी स्तर सहभागिता प्राReseller पर आधारित थी।

    इस प्रकार हम सामाजिक क्रिया के प्राResellerों को विभिन्न अंग परिप्रेक्ष्यों में देखे तो पता चलता है कि सामाजिक क्रिया का प्राReseller अन्य कर्इ विषयों के प्राResellerों से सम्बन्धित है। इसका प्रमुख सम्मुख कुछ प्रश्नों पर आधारित है। जैसे – समाज की मुख्य अवधारणा क्या होनी चाहिए ? वे कौन से लक्ष्य है जो सामाजिक क्रिया के द्वारा प्राप्त किये जा सकते हैं ? वे कौन से शोध And प्रविधियां है ? कौन-कौन से लोग अभिकर्ता के Reseller में कार्य करेगें ? कितने सदस्य है ? लोगों तथा राज्य की भूमिका क्या है ? समाज का आदर्शवाद क्या है ? इन तथ्यों के आधार पर अन्य प्राResellerों की Resellerरेखा बनार्इ जा सकती है। कुछ ऐसे ही प्राReseller होते हैं, जो Single Second के विरोधाभासी होते है। जैसे – संचेतनात्मक अथवा संघर्शात्मक प्राReseller यह प्राReseller वास्तव में अभ्यास में प्रयोग नही होता है लेकिन यह प्राReseller केवल निरन्तरता के विभिन्न स्तरों की व्याख्या करता है। सामाजिक क्रिया के किसी भी प्राReseller की विवेचना अग्रलिखित के Reseller में करना चाहिए। 1. क्रिया की पहल कौन करेगा ? 2. यह किसके साथ होगी तथा कौन उत्तरदायी होगा ? 3. यह क्रिया कहां होगी ? First प्रश्न का उत्तर अभिकर्ता के Reseller में ही है तथा इसके साथ राज्य भी पहल कर्इ क्षेत्रों की नीतियां बनाने में कर सकता है तथा Second प्रश्न का उत्तर सामाजिक क्रिया के लक्ष्य में व्यक्ति, समूह तथा समुदाय हो सकते हैं तथा सामाजिक क्रिया इन्हीं को लेकर क्रिया करेगी अथवा संस्थाओं और सभ्य लोगों को लेकर चलेगी, यह निर्णय अवश्य कर लेना चाहिए। तृतीय प्रश्न के आधार पर यह क्रिया राज्य स्तर पर हो सकती है जिसमें संस्थायें, समितियां, समूह और लोग जमीनी स्तर पर भाग लेगें, बाद में मध्यम स्तर पर क्रिया होगी तथा अन्त में वृहद स्तर पर सामाजिक क्रिया की जायेगी।

    वास्तव में सामाजिक क्रिया का पहल किसी संस्थान अथवा संगठन द्वारा की जा सकती है मगर यह संस्थागत नही हो सकती है। सामाजिक क्रिया Single प्रक्रिया के Reseller में चलती रहनी चाहिए। क्रिया को हमेशा क्रियान्वित रहना चाहिए जब तक कि लक्ष्यों की पूर्ति न हो जाए। इन्हीं उपरोक्त तथ्यों के आधार पर सामाजिक क्रिया की Single Resellerरेखा प्रस्तुत की जा रही है जो है –

    सामाजिक क्रिया के प्राReseller

    उपरोक्त चार्ट को हम बिन्दुबार वर्णन प्रस्तुत कर रहे है-

    1. संस्थागत प्राReseller : इस प्राReseller के अन्तर्गत सामाजिक क्रिया बिना किसी सहभागिता के आधार पर कार्य करती है क्योंकि किसी भी राष्ट्र का परम कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों को Single सौहार्दपूर्ण माहौल तथा कल्याणकारी योजनायें प्रदान करें, जिससे उसके नागरिक Single उच्च जीवन यापन कर सके। वास्तव में इस प्रकार के प्राReseller में सामान्य Reseller से राज्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष Reseller से जन सहभागिता के साथ अथवा जन सहभागिता के बिना जन कल्याण हेतु कदम उठाता है। इस प्राReseller के अधीन संसद अथवा विधानमण्डल कोर्इ कानून बनाता है और उसी के अनुReseller कार्यक्रम का क्रियान्वयन Reseller जाता है। उदाहरण के लिए, अवैध बरितयों को कानून बनाते हुए मान्यता प्रदान करना।
    2. संस्थागत सामाजिक प्राReseller : संस्थागत सामाजिक प्राReseller ऐसा प्राReseller है जो ऐच्छिक Reseller से कार्य करने वाली संस्थायें अपनाती है। ऐसा इसलिए माना जाता है क्योंकि कोर्इ भी ऐच्छिक संस्था समाज के उत्थान के लिए कार्य करती है तथा वह चाहती है कि समाज अग्रेतर वृद्धि करे इस हेतु वह किसी भी सरकारी अथवा गैर सरकारी संस्था से या तो अनुदान लेकर कार्य करती है अथवा बिना अनुदान के कार्य करती है, जिससे समाज की समस्यायें दूर होती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जब गैर सरकारी संस्थाएं अनुदान प्राप्त करते हुए या अनुदान के बिना जनहित में कार्यक्रम आयोजित करती है तो उसे संस्थागत सामाजिक प्राReseller कहते हैं। जन समर्थन धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। प्रारम्भ में संस्था लोगों के लिए कदम उठाती है लेकिन कालान्तर में जनसमुदाय स्वयं उसे अपना लेता है। संस्थागत प्राReseller संस्थागत सामाजिक प्राReseller सामाजिक संस्थागत प्राReseller सर्वमान्य/ आन्दोलनात्मक प्राReseller गांधीवादी प्राReseller अहिंSeven्मक उग्रवादी परम्परा प्राReseller सभ्य अहिंSeven्मक परम्परा प्राReseller नागरिकों के संCreationत्मक कार्य का प्राReseller
    3. सामाजिक संस्थागत प्राReseller : सामाजिक संस्थागत प्राReseller वास्तव में लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित होता है ऐसा इसलिए कि समाज के लोग अपनी समस्याओं का निवारण And नियंत्रण स्वयं करने की कोशिश करते हैं। इस प्रकार की सामाजिक क्रिया में सामाजिक सहभागिता अत्यन्त आवश्यक होती है क्योंिक कोर्इ भी सामाजिक लक्ष्य जो सामाजिक समस्याओं से Added हुआ हो तब तक प्राप्त नही हो सकता जब तक कि समाज के लोग जमीनी स्तर पर Single साथ Singleत्रित होकर कार्य न करें। इस प्रकार हम देखते हैं कि इस प्राReseller के अन्र्तगत नागरिक, स्वयं सहायता समूह, तथा विशिष्ट जन अपने कल्याण के लिए सामाजिक क्रिया करते हैं। धीरे-धीरे वे औपचारिक समूहों तथा संस्थाओं का सहयोग प्राप्त करते हैं।
    4. सर्वमान्य/आन्दोलनात्मक प्राReseller : सर्वमान्य/आन्दोलनात्मक प्राReseller Single ऐसा प्राReseller है जिसे आदर्श प्राReseller कहा जाता है तथा यह प्राReseller लोगों को आत्मविश्वास के साथ समस्याओं से लड़ने की प्रेरणा प्रदान करता है। इस प्रकार के प्राReseller में लोग जब समस्याओं से त्रस्त हो जाते है तो वे Single मंच पर Single साथ Singleत्रित होकर समस्या को दूर करने की कोशिश करते हैं। यह प्राReseller लोगों को सामान्य तौर पर अहिंSeven्मक क्रिया करने की प्रेरणा प्रदान करता है जिससे समस्या पैदा करने वाले कारक अपने आप ही विशाल जन समूह को देखते हुए अलग हो जाते है अथवा अलग कर दिये जाते हैं। इस प्रकार के प्राReseller में अधिकांश व्यक्ति परिवर्तन के लिए तैयार होते है विघ्न पैदा करने वाली All शक्तियों को जड़ से उखाड़ फैकते हैं तथा आत्मनिर्भरता पर बल देते है। इसमें व्यापक सहभागिता होती है और इसीलिए यह आदर्श प्राReseller माना जाता है।
    5. गांधीवादी प्राReseller : गांधीवादी प्राReseller वास्तव में Single ऐसा प्राReseller है जो लोगों के अन्दर अध्यात्मिकता, विचारों की शुद्धता, अहिंसा तथा नैतिकता पर विशेष बल देता है। चूंकि यह प्राReseller गांधी जी के द्वारा बताये गये सामाजिक क्रिया प्राReseller पर आधारित है अत: इस प्राReseller के आधार पर महात्मा गांधी जी ने कर्इ प्रकार के आन्दोलन किये जिनमें असहयोग आन्दोलन, डांडी यात्रामार्च इत्यादि प्रमुख थे। गांधी जी मानना था कि कोर्इ भी सरकार चाहे वह राज सत्तात्मक हो अथवा लोकतंत्रात्मक हो उसे आसानी से समाज कल्याण हेतु मनाया जा सकता है क्योंकि यदि किसी भी व्यक्ति के सामने नैतिकता, अध्यात्मिकता का प्रदर्शन Reseller जाए तो उसका हृदय अवश्य परिवर्तित होगा, ऐसा इसलिए कि वह भी Single सामान्य हृदय का भी प्राणी होता है। इस प्रकार हम कह सकते है कि यह प्राReseller आध्यात्मिकता, उद्देश्यों तथा साधनों दोनों की शुद्धता, अहिंसा तथा नैतिकता पर बल देता है और इन्हीं साधनों के माध्यम से परिवर्तन का उद्देश्य पूरा करने पर बल देता है।
      1. अहिंSeven्मक उग्रवादी परम्परा प्राReseller : अहिंSeven्मक उग्रवादी परम्परा प्राReseller सामाजिक क्रिया का ऐसा प्राReseller है जो महात्मा गांधी द्वारा अपनाये गये अहिंसा, आन्दोलन से प्रेरित  है। इस प्रकार के प्राReseller में समाज के लोग किसी भी समस्या को दूर करने हेतु अहिंSeven्मक आन्दोलनों का सहारा लेते है, लेकिन कभी-कभी वे उग्र भी हो जाते है ऐसा इसलिए कि उनके द्वारा किये जा आन्दोलन पर राज्य सरकार अथवा सरकार ध्यान नही देती है। चूंकि लोगों का लक्ष्य सामाजिक कल्याण से सम्बन्धित होता है। अत: वे उग्रवादी के अनुReseller कुछ ऐसी घटनायें कर जाते है जो हिंसा की श्रेणी में नही आती है लेकिन कहीं न कहीं उग्रवाद का समर्थन करती है। इस तरह की घटनाओं में रेल रोकना, यातायात रोकना, धरना देना इत्यादि आती है। इस प्रकार हम कह सकते है कि व्यक्ति, समूह, समुदाय, समाज इस प्रकार की क्रिया करता है जो उग्र होती है लेकिन हिंसा से परे होती है जो लक्ष्यों की पूर्ति हेतु की जाती है।
      2. सभ्य अहिंSeven्मक परम्परा प्राReseller : सभ्य अहिंSeven्मक परम्परा प्राReseller ऐसा प्राReseller है जिसमें समाज के सभ्य And विशेषज्ञ जनता समस्या को समाप्त करने के लिये प्रतिकात्मक आन्दोलन करती है जिनमें लोग अहिंSeven्मक Reseller से सरकारी तंत्र का विरोध करते हैं तथा सरकारी तंत्र द्वारा चलार्इ जा रही योजनाओं का प्रतिरोध करते हैं। इस प्रकार सभ्य अहिंSeven्मक परम्परा प्राReseller में लोग प्रतिकात्मक आन्दोलन करते हुए काली पट्टी तथा अन्य साधनों का उपयोग करते हैं जिससे उनकी आवाज सरकार तक पहुचे And उनकी समस्याओं का समाधान हो। इस प्राReseller को सभ्य अहिंSeven्मक परम्परा प्राReseller इसलिए कहा जाता है कि इसमें भाग लेने वाले लोग Single ही समूह के होते हैं जो शिक्षित And विशेषज्ञ होते है।
      3. नागरिकों के संCreationत्मक कार्य का प्राReseller : सामाजिक क्रिया का यह प्राReseller अमेरिका में अत्यधिक प्रिय है। वास्तव में इस प्राReseller का जन्म महात्मा गांधी द्वारा किये गये आन्दोलनों पर ही आधारित है। महात्मा गांधी जी मानना था कि समाज के व्यक्तियों को अपने कल्याण हेतु सरकार से मांग रखनी चाहिए लेकिन उसके साथ-साथ ऐसे संCreationत्मक कार्य करने चाहिए जिससे कि समाज उत्तरोत्तर वृद्धि करता रहे। उनका मानना था कि All प्रकार की समस्यायें केवल राज्य स्तर से ही नही सुलझायी जा सकती बल्कि इनका निराकरण स्वयं जनता भी कर सकती है।सामाजिक क्रिया के उपरोक्त प्राResellerों के अलावा भी कुछ अन्य चिन्तकों ने अपने-अपने प्राReseller प्रस्तुत किये है जिनमें ब्रिटों ने भी सामाजिक क्रिया का प्राReseller प्रदान Reseller है। स्वास्थ्य And कल्याण के क्षेत्र में स्थानीय, क्षेत्रीय And राष्ट्रीय सामाजिक संस्थाओं के Reseller में कार्य करती है, इसका स्वReseller मुख्यत: दो बातों पर बल देता है, जैसा कि ब्रिटो ने History Reseller है। 
        1. अभिजात वर्ग सामाजिक क्रिया प्राReseller : अभिजात वर्ग से अभिप्राय उस वर्ग से है जिसमें विषय-विशेषज्ञ And शिक्षित लोग आते हैं। अभिजात वर्ग के लोग सबसे First समस्या का अवलोकन करके विचार विमर्श करते है तत्बाद समस्या क्या है And समस्या का विस्तार क्या है तथा समस्या के उत्तरदायी कारक क्या है का गहन अध्ययन करते है उसके बाद सामाजिक क्रिया के माध्यम से समस्या को दूर करने की कोशिश करते हैं। उपरिलिखित प्राReseller के अन्तर्गत ब्रिटो ने तीन उप-प्राResellerों का History Reseller है :
          1. विधायी क्रिया प्राReseller : विधायी क्रिया वह क्रिया है जिसमें प्रयास Reseller जाता है कि समाज में व्याप्त समस्याओं को सामाजिक विधान बनाकर दूर Reseller जाए। इसके लिए समाज के कुछ अभिजात वर्ग के लोग समस्याओं का आंकलन कर उससे सम्बन्धित विधायी नीतियों का अवलोकन करते हैं। यदि अवलोकन में समस्या से सम्बन्धित कुछ विधान ऐसे होते है जो समस्या को दूर कर सकने में सक्षम होते हैं लेकिन उनका क्रियान्वयन उचित तरीके से नही होता है। अत: उनमें संशोधन आवश्यक हो जाता है अथवा नये विधान बनाने की Need होती है तो अभिजात वर्ग के लोग सामाजिक क्रिया के विभिन्न माध्यमों से सामाजिक नीति के अन्तर्गत बदलाव लाने की कोशिश करते है जिससे समस्याओं का निराकरण Reseller जा सके। अत: हम कह सकते है कि विधायी क्रिया प्राReseller के अन्तर्गत सामाजिक नीति में परिवर्तन लाने के लिए कुछ विशिष्ट व्यक्ति समस्या के प्रति समाज में जनचेतना का प्रसार करते हैं।
          2. स्वीकृत प्राReseller : इस प्रकार के प्राReseller में समाज के विशिष्ट व्यक्ति समाज के कल्याण हेतु तथा समाज को लाभ पहंचु ाने के लिए समाज में आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक तथा धार्मिक कारकों पर नियंत्रण रखने की कोशिश करते हैं। वास्तव में देखा जाए तो किसी भी समाज में आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक तथा धार्मिक कारक समाज को Single उत्तरोत्तर दिशा प्रदान करते हैं। यदि इनका उचित नियंत्रण नही Reseller जाए तो ये समाज को गर्त में ले जा सकते है जिससे समाज का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जायेगा। चूंकि राजनैतिक And धार्मिक कारक समाज का Single अभिन्न अंग है। अत: इसके प्रति समाज के लोगों को जागरूक होना आवश्यक होता है। देखे तो राजनैतिक कारक समाज के परिपाटी को प्रजातांत्रिक मूल्यों के आधार पर चलाता है वही धार्मिक कारक समाज में अध्यात्म And संतोश की भावना का प्रसार करता है। इस प्रकार इन उपरोक्त चारों कारकों पर यदि नियंत्रण कर लिया जाए तो समाज विकास उन्मुख हो सकता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि समाज को लाभान्वित करने के लिए विशिष्ट व्यक्ति आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक आदि कारकों पर नियंत्रण करते हैं।
          3. प्रत्यक्ष भौतिक प्राReseller : इस प्रकार के प्राReseller में समता के साथ न्याय पर समाज के अभिजात वर्ग के लोग विशेष ध्यान देते है तथा वे हमेषा यह प्रयास करते है कि समाज के दबे, कुचले वर्ग के लोगों को भी उचित न्याय मिले। इस प्रकार प्रत्यक्ष भौतिक प्राReseller में  न्याय को प्रोत्साहित करने And अन्याय के विरूद्ध आवाज उठाने में विशिष्ट व्यक्ति आगे आते हैं।
        2. लोकप्रिय सामाजिक क्रिया प्राReseller : इस प्राReseller के अन्तर्गत ब्रिटो ने तीन उप प्राResellerों को सम्मिलित Reseller है :
          1. संचेतना प्राReseller : इस प्रकार के प्राReseller में जन साधारण के बीच जागरूकता का प्रसार Reseller जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि व्यक्ति अपनी समस्याओं की पहचान स्वयं कर ले तो समस्याओं को सुलझाने में ही प्रयास बेहतर तरीके से कर सकता है। इस प्रकार की सामाजिक क्रिया प्राReseller में प्रचार के माध्यम से लोगों के बीच में चेतना फैलायी जाती है जिससे समाज के जन सामान्य लोग समस्याओं के कारकों की पहचान कर सके तथा उनको दूर करने में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर सके। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इस प्राReseller के अन्तर्गत जन समुदाय को शिक्षित करके उनमें चेतना का प्रसार Reseller जाता है।
          2. द्वन्द्वात्मक प्राReseller : द्वन्द्वात्मक प्राReseller Single ऐसा प्राReseller है जो लोगों के बीच में सरकार And जनता के बीच में संघर्श उत्पन्न करवाता है चूंकि किसी भी समाज की समस्या का निराकरण सरकारी तंत्र द्वारा नहीं Reseller जा रहा है तो उसके प्रति समाज के लोगों में असन्तोष व्याप्त हो जाता है जिससे जन सामान्य सरकारी तंत्र के प्रति रूश्ट होने लगता है तथा यही रूश्टता लोगों को Single मंच पर लाती है And सरकार के प्रति संघर्श करने को प्रेरित करती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इस प्राReseller में यह विश्वास दिलाकर संघर्श उत्पन्न Reseller जाता है कि कुछ समय के उपरान्त इससे अच्छी व्यवस्था हो जायेगी।
          3. प्रत्यक्ष गतिशीलता प्राReseller : प्रत्यक्ष गतिशीलता प्राReseller में किसी विशेष कारण का होना आवश्यक है और यह कारण समसामयिक भी होना चाहिए। प्रत्यक्ष गतिशीलता प्राReseller का वर्तमान उदाहरण भ्रष्टाचार के लिये जन लोकपाल विधेयक पास करवाना है। भ्रष्टाचार निवारण के लिए आज सम्पूर्ण देश के नागरिक इसलिए Single जुट हो गये है क्योंकि कही न कहीं वे भी भ्रष्टाचार से ग्रसित है तथा वे भ्रष्टाचार को मिटाना चाहते है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इस प्राReseller में किसी विशेष कारण को लेकर जनसामान्य को हड़ताल के लिए उत्साहित Reseller जाता है।

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