व्यावहारिक मनोविज्ञान का Means, परिभाषा And क्षेत्र

व्यावहारिक मनोविज्ञान मनोविज्ञान का Single पक्ष है जिसके अन्तर्गत Human की विभिन्न समस्याओं के सुलझाने में मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों का प्रयोग Reseller जाता है। व्यावहारिक मनोविज्ञान के विकास पर सर्व First पैटर्सन ने व्याख्या की। उन्होने व्यावहारिक मनोविज्ञान के विकास के चार चरण बताए – First चरण गर्भावस्था, द्वितीय चरण जन्मकाल, तीसरा चरण बाल्यावस्था और चौथा चरण युवास्था, जिनका अघ्ययन आप आगे करेगें। अनेक मनोवैज्ञानिकों ने व्यावहारिक मनोविज्ञान की विभिन्न प्रकार की परिभाषाएं दी है उनमें से एच. डब्ल्यू. हैपनर, पॉफेन बर्जर तथा आर. डब्ल्यू. हजबैण्ड की परिभाषाएं प्रमुख है । व्यावहारिक मनोविज्ञान का क्षेत्र बड़ा विस्तृत And व्यापक है परन्तु हम यहॉ इसके मुख्य मुख्य क्षेत्रो का अघ्ययन करेगें। 

व्यावहारिक मनोविज्ञान Means 

विभिन्न Humanीय समस्याओं के सुलझाने में मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों का प्रयोग करना व्यावहारिक मनोविज्ञान के क्षेत्र में आता है। Meansात्.Human जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में मनोविज्ञान का व्यावहारिक उपयोग उसकी समस्यों का समाधान करने And उसके कल्याण के लिए Reseller जाता है। व्यावहारिक मनोविज्ञान का लक्ष्य Human क्रियाओं का वर्णन, भविष्य कथन और उसकी क्रियाओं पर नियंत्रण है जिससे कि व्यक्ति अपने जीवन को बुद्धिमता पूर्वक समझ सकें, निर्देशित कर सकें तथा Second के जीवन को प्रभावित कर सकें।

व्यावहारिक मनोविज्ञान, मनोविज्ञान का ही Single पक्ष है। जिस प्रकार विज्ञान के सैद्धांतिक तथा व्यावहारिक दो पहलू होते है उसी प्रकार मनोविज्ञान में सैद्धांतिक के साथ-साथ व्यावहारिक पहलू भी है। इसमें भी मनोवैज्ञानिक या वैज्ञानिक अपनी प्रयोगशाला में प्रयोग के आधार पर सामान्य सिद्धांतों की खोज करता है और इनके लाभों को जनसाधारण तक पहुंचाता है।

व्यावहारिक मनोविज्ञान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि And विकास- 

सर्व First पैटर्सन (1940) ने व्यावहारिक मनोविज्ञान के History के विकास पर प्रकाश डाला। उन्होनें अपने लेख Applied Psychology Comes of Age में व्यावहारिक मनोविज्ञान के विकास को चार चरणों में बताया है। ये चरण है गर्भावस्था, जन्मकाल, बाल्यावस्था तथा युवावस्था।

  1. First चरण – गर्भावस्था पैटर्सन के According 1882 से लेकर 1917 तक मनोविज्ञान का विकास व्यावहारिक मनोविज्ञान के गर्भावस्था का काल था। इस काल में गाल्टन, केटेल और बिने जैसे मनोवैज्ञानिकों का योगदान महत्वपूर्ण था। इस काल में अमेरिका सहित कर्इ देश विश्व Fight में लगे हुए थे। 
  2. द्वितीय चरण – जन्मकाल पैटर्सन ने 1917 से 1918 तक के समय को व्यावहारिक मनोविज्ञान का जन्मकाल माना है और इसी काल में कर्इ मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का निर्माण हुआ। इस काल में ही अमेरिका जैसे देशों ने सेना में भर्ती के लिए मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का उपयोग Reseller और सैनिकों के चुनाव के लिए आर्मी-अल्फा और आर्मी-बीटा परीक्षणों का निर्माण हुआ। अल्फा परीक्षण अधिकारी वर्ग में चयन के लिए तथा बीटा परीक्षण जवानों व अनपढ़ लोगों के लिए उपयोग में लिये गए। 
  3. तीसरा चरण – बाल्यावस्था पैटर्सन के According सन् 1918 से 1937 तक मनोविज्ञान के विकास के काल को व्यावहारिक मनोविज्ञान की बाल्यावस्था मानी जानी चाहिए। इसी समय 1937 में अमेरिका में व्यावहारिक मनोविज्ञान की Single राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना हुर्इ जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुधार में मनोविज्ञान के व्यवहार को बढ़ावा देना था। 
  4. चौथा चरण – युवास्था सन् 1937 के बाद व्यावहारिक मनोविज्ञान ने अपनी युवावस्था में प्रवेश Reseller। तब से आज तक इसका क्षेत्र बढ़ता ही जा रहा है। वर्तमान काल में Human के जीवन के कर्इ कार्य क्षेत्रों में इसका उपयोग हो रहा है। 

व्यावहारिक मनोविज्ञान की परिभाषाएं 

मनोवैज्ञानिकों ने व्यावहारिक मनोविज्ञान की विभिन्न परिभाषाएं दी है जिनमें कुछ प्रमुख परिभाषाओं को आगे प्रस्तुत Reseller जा रहा है। सामान्य परिभाषा के Reseller में ‘‘व्यावहारिक मनोविज्ञान सामान्य मनोविज्ञान, औद्योगिक मनोविज्ञान, नैदानिक मनोविज्ञान And सामाजिक मनोविज्ञान का व्यावहारिक अध्ययन है।’’

  1. एच. डब्ल्यू. हैपनर के According ‘‘व्यावहारिक मनोविज्ञान का लक्ष्य Human क्रियाओं का वर्णन, भविष्य कथन And नियंत्रण है ताकि हम स्वयं अपने जीवन को बुद्धिमतापूर्ण सही ढंग से समझ सकें तथा अन्य व्यक्तियों को प्रभावित कर सकें।’’ 
  2. आर. डब्ल्यू. हजबैण्ड के According ‘‘व्यावहारिक मनोविज्ञान सामान्य प्रौढ़ व्यक्तियों के व्यावहारिक पक्षों का अध्ययन करता है।’’ 
  3. पॉफेन बर्जर के According ‘‘व्यावहारिक मनोविज्ञान के उद्देश्य विभिन्न प्रकार की योग्यताओं And क्षमताओं से युक्त व्यक्तियों को प्रशिक्षित करने तथा उनके पर्यावरण का चयन And नियंत्रण करने के बाद उनको उनके कार्यों से इस प्रकार समायोजित करना है कि वे अधिक से अधिक सामाजिक And व्यक्तिगत सुख तथा संतोष पा सकें।’’

अन्य मनोवैज्ञानिकों के According अपने या दूसरों के व्यवहार या आचरण And व्यावहारिक समस्याओं का अध्ययन And Need According वांछित परिवर्तन लाने वाले मनोविज्ञान को व्यावहारिक मनोविज्ञान कहते है।

व्यावहारिक मनोविज्ञान के क्षेत्र 

वर्तमान में व्यावहारिक मनोविज्ञान का क्षेत्र बराबर बढ़ता जा रहा है। उस हर क्षेत्र में जहां Human जीवन में मनोवैज्ञानिक सिद्वांतों का प्रयोग Reseller जा सकता है वहां व्यावहारिक मनोविज्ञान का भी क्षेत्र है। अत: व्यावहारिक मनोविज्ञान का क्षेत्र बड़ा व्यापक And विस्तृत है परन्तु इसके क्षेत्र को निम्नलिखित मुख्य भागों में बांटा जा सकता है-

  1. मानसिक स्वास्थ्य And चिकित्सा 
  2. सामाजिक समस्याएं 
  3. शिक्षा 
  4. परामर्श तथा निर्देशन 
  5. उद्योग And व्यापार 
  6. सेवाओं या नौकरियों में चुनाव 
  7. अपराध निरोध 
  8. सैनिक क्षेत्र 
  9. राजनैतिक क्षेत्र 
  10. विश्व शांति 
  11. यौन शिक्षा 
  12. क्रीड़ा या खेल क्षेत्र 
  13. अन्तरिक्ष मनो विज्ञान 

1. मानसिक स्वास्थ्य And चिकित्सा 

मानसिक स्वास्थ्य And चिकित्सा व्यावहारिक मनोविज्ञान का Single महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इस क्षेत्र में नैदानिक मनोविज्ञान से व्यक्तियों के असामान्य व्यवहार से सम्बन्धित समस्याओं को समझने, उनके कारणों का पता लगाने तथा उनका निराकरण करके व्यक्ति के वातावरण को अनुकूल बनाने में सहायता मिलती है। मानसिक स्वास्थ्य को किस तरह उत्तम बनाये रखा जा सकता है इसके लिए विभिन्न उपायों तथा तकनीकों की खोज की जाती है And इनकी जानकारी व्यक्तियों को दी जाती है। 

मनोवैज्ञानिकों के हस्तक्षेप के पूर्व मानसिक विक्षिप्तों पर झाड़-फूंख करने वाल व्यक्तियों द्वारा अमानुषिक व्यवहार And अत्याचार किये जाते थे। मानसिक विक्षिप्तों को बेड़ियों में जकड़ कर बन्द स्थानों पर रखा जाता था। मनोवैज्ञानिकों ने ऐसे मानसिक विक्षिप्तों की बेड़ियां कटवा कर मनोरोगों के कारणों का विश्लेषण करके उनकी चिकित्सा प्रारम्भ की। आज प्रत्येक व्यवस्थित And विकसित मानसिक चिकित्सालय में ऐसे लोगों चिकित्सा होती है। कुछ मानसिक रोग जैसे हिस्टीरिया, मनोविक्षिप्तता, मनोग्रंथियां And मनोविदलता के बारे में लोगों में बड़ी भ्रान्तियां फैली हुर्इ थीं। लोग इन रोगियों पर भूत-प्रेत का प्रभाव मानते थे। कर्इ मनोरोगियों को डायन या चूड़ैल समझा जाता था और उन पर अनेक प्रकार के अत्याचार किये जाते थे। मनोवैज्ञानिकों ने इन मानसिक रोगों के कारणों का विश्लेषण करके कारणों का पता लगाकर मानसिक रोगों की सफलता पूर्वक चिकित्सा की। फ्रायड, युंग, एडलर आदि मनोविश्लेषणवादियों ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण अन्वेषण किये। मनोवैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगाया कि मन और शरीर का परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध है। अत: रोगियों में शारीरिक रोगों के साथ-साथ मानसिक व्याधियां भी लगी होती है। कर्इ शारीरिक रोगों को दूर करने के लिए आधुनिक चिकित्सक मनोवैज्ञानिकों And मनोचिकित्सकों की सहायता लेते हैं। अनेक विद्वानों का मत है कि यदि Human प्रवृत्तियों And मानसिक प्रक्रियाओं को ठीक-ठीक और सही ढंग से समझ लिया जाए तो 95 % रोगी केवल सुझावों के द्वारा ठीक किये जा सकते हैं।

2. सामाजिक समस्याएं 

व्यावहारिक मनोविज्ञान का सामाजिक समस्याओं को सुलझाने तथा सही और स्वस्थ समाज का निर्माण करने में भी महत्वपूर्ण योगदान है। समाज को समृद्ध बनाने और उसकी प्रगति बनाये रखने में भी व्यावहारिक मनोविज्ञान उपयोगी सिद्ध हुआ है। समाज के व्यक्तियों के समुचित अनुकूलन के लिए भी इसका उपयोग Reseller जाता है। जाति-भेद समस्या, रूढ़िवादी मानसिकता, दहेज प्रथा, कुपोषण और बाल विवाह जैसी ज्वलन्त समस्याओं पर व्यावहारिक मनोविज्ञान का उपयोग Reseller जाता है। सामाजिक सेवाओं, सामाजिक शिक्षा और समाज कल्याण में भी व्यावहारिक मनोविज्ञान का उपयोग Reseller जाता है। मनोवैज्ञानिक सर्वेक्षणों के आधार पर जनता की अभिरुचि का पता लगाकर And उसको समझकर उसके अनुकूल सुझाव देने व सुधार करने का प्रयत्न Reseller जाता है। पश्चिमी देशों में रंग भेद की समस्याएं And समाज में जातिवाद, जातिभेद की समस्याएं भी मनोवैज्ञानिक है। इन All को व्यावहारिक मनोविज्ञान द्वारा हल Reseller जाता है।

समाज सामाजिक सम्बन्धों की Single व्यवस्था है और इन सामाजिक सम्बन्धों के ठीक रहने से ही समाज ठीक रहता है। इनमें गड़बड़ी से ही सामाजिक समस्याएं उत्पन्न होती है। सामाजिक सम्बन्ध मनुष्यों की प्रवृत्तियों, भावनाओं आदि के परस्पर समायोजन पर निर्भर करते है। वास्तव में सामाजिक समस्याएं इसी समायोजन की समस्याएं है। इनको सुलझाने के लिए भी मनोवैज्ञानिक तरीकों को काम में लिया जाता है।

3. शिक्षा 

वर्तमान काल में शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान का व्यवहार बढ़ता ही जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान ने क्रांति कर दी है। शिक्षा मनोविज्ञान Single स्वतंत्र विषय बन गया है। शिक्षा के क्षेत्र की समस्याओं And प्रत्यक्षीकरण, स्मृति, चिन्तन, तर्क आदि अनेक मानसिक प्रक्रियाओं पर शोध And मनोवैज्ञानिक नियमों की खोज की जा रही है। पाठ्यक्रमों को बालकों की रुचि के According बनाने की चेष्टा की जा रही है। बालकों की रुचि योग्यता और सर्वांगीण व्यक्तित्व के विकास के लिए विभिन्न शोध कार्य किये जाते रहे हैं। शिक्षा मनोविज्ञान द्वारा शिक्षा देने के उत्तम उपाय खोजे जा रहे हैं। शिक्षकों को उचित प्रशिक्षण देने And व्यवहार कुशल बनाने के लिए भी शिक्षा मनोविज्ञान की अहम् भूमिका है। बालकों में अनुशासन किस तरह उत्पन्न Reseller जाए, स्वस्थ आदतें कैसी बनार्इ जाएं, बुरी आदतें कैसे छुड़ार्इ जाएं तथा उनकी विभिन्न योग्यताओं का सर्वोत्तम विकास किस तरह Reseller जाए, यह भी शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत Reseller जाता है। इस क्षेत्र में मनोवैज्ञानिक विद्यार्थियों की अभिरुचि तथा मानसिक परीक्षा करके उनके अध्ययन के विषयों को सुनिश्चित करने में सहायता देते हैं। बालक का सर्वांगीण विकास किस तरह Reseller जा सकता है, बालक को क्या पढ़ायें, कब पढ़ायें व कैसे पढ़ायें, इन सम्भावनाओं का भी पता लगाया जाता है। मनोवैज्ञानिक सुझावों के आधार पर पाठ्यक्रमों में सुधार तथा विद्यार्थियों में विभिन्न कार्यक्रमों का प्रबन्धन, शिक्षक-विद्याथ्र्ाी सम्बन्ध, शिक्षा-प्रणाली आदि का भी अध्ययन कर इनमें वांछित सुधार किये जाते है। 

उच्च शिक्षा के लिए विषयों के चयन के लिए और शिक्षा समाप्ति के बाद व्यवसायों के चयन के लिए मनोवैज्ञानिकों के द्वारा परामर्श व निर्देशन दिये जाते है जिससे छात्रों में भटकाव की सम्भावना कम रहती है। छात्रों की योग्यताएं, अभिवृत्ति, बुद्धि And कार्य करने की क्षमता के आधार पर उनको उचित रोजगार की सलाह दी जाती है। चूंकि विद्याथ्र्ाी ही आगे जाकर समाज का परिपक्व नागरिक बनता है, अत: उसे सामाजिक कुरीतियों And बुरार्इयों से दूर रहने की प्रेरणा व शिक्षा दी जाती है।

मादक द्रव्यों के सेवन से होने वाली हानियों के प्रति भी विद्यार्थियों को जागृत Reseller जाता है जिससे कि वह आगे चलकर व्यसन मुक्त आदर्श व्यक्ति बन सकें। वर्तमान समय में संचार माध्यमों द्वारा, पाश्चात्य संस्कृति द्वारा हमारे देश के बालकों पर हमला हो रहा है, जिससे बालकों में असामान्य व्यवहार जैसे- विद्यालय से भाग जाना (भगोड़ा व्यवहार), मादक पदार्थों का सेवन करना तथा चोरी करने जैसे अन्य असामाजिक व्यवहार पैदा हो रहे हैं। इन सबका उपचार व समाधान व्यावहारिक मनोविज्ञान के अन्तर्गत मनोवैज्ञानिक करते हैं।

4. परामर्श तथा निर्देशन 

वर्तमान काल में व्यक्ति का जीवन संघर्षमय हो गया है। व्यक्तियों को भारी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। पढ़े लिखे लोगों में भी बेरोजगारी फैली हुर्इ है। गलत व्यवसाय के चयन की समस्या हर कहीं बनी हुर्इ है। बेरोजगारों की अपेक्षा नौकरियां बहुत कम है जिससे बेरोजगारों में संघर्ष व तनाव व्याप्त है। पढ़े-लिखे लोग भी व्यवसायों में जाना नहीं चाहते और नौकरियों के पीछे भागते है। इनमें से अधिकतर लोग यह भी समझ नहीं पाते कि वे कौन सा कार्य कर सकते है व उनमें कौन से कार्य करने की क्षमता है। ऐसे लोग ऐसे व्यवसाय चुन लेते है जो उनके लिए उपयुक्त नहीं होते और कालान्तर में वे असफल हो जाते है। अत: विकासशील देशों में मनोवैज्ञानिक परीक्षणों की सहायता से परामर्शदाता And मनोवैज्ञानिक लोगों को उनका व्यवसाय निश्चित करने के लिए सलाह देते है। इस प्रकार की मनोवैज्ञानिक सेवाएं विद्यालयों में, महाविद्यालयों में, विश्वविद्यालयों में और रोजगार कार्यालयों में भी मनोवैज्ञानिकों की सहायता से दी जाती है।

सही लोगों के लिए सही काम का चयन (व्यवसायी चयन) और उपयुक्त काम के लिए सही व्यक्ति का चयन (कर्मचारी चयन) भी मनोविज्ञान की सहायता से Reseller जाता है। व्यवसाय में आने वाली रुकावटों और समस्याओं का समाधान भी मनोवैज्ञानिक तरीकों से Reseller जाता है। व्यावसायिक निर्देशन के अतिरिक्त मनोवैज्ञानिक व्यक्तिगत व घरेलू समस्याओं को सुलझाने में भी परामर्श देता है। इस तरह के परामर्श की लोगों को Need पड़ती रहती है और परामर्श से उनकी समस्याओं का समाधान हो जाता है। व्यक्ति की स्वयं की खराब आदतें और अपने पुत्र-पुत्री या परिवार के किसी सदस्य की असमायोजन की समस्या के लिए भी मनोवैज्ञानिक परामर्श लिया जाता है। मनोवैज्ञानिक परामर्श से व्यक्ति अपने या अपने परिवार के सदस्य के व्यवहार में वांछित सुधार लाकर अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की प्रगति कर सकता है।

5. उद्योग And व्यापार क्षेत्र 

उद्योग And व्यापार को वैज्ञानिक स्तर पर लाने And इनको आधुनिक बनाने में भी मनोविज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योगों की सही ढंग से स्थापना करना, उनको आधुनिक Reseller देना, कर्मचारियों का चयन, मशीनों का चयन And प्रबंधन को दुरूस्त करने में मनोविज्ञान ने बहुत सहायता की है। इसके अध्ययन के लिए मनोविज्ञान की शाखाएं जैसे-औद्योगिक मनोविज्ञान (Industrial Psychology) And संगठन मनोविज्ञान (Organisational Psychology) की स्थापना हुर्इ है। औद्योगिक मनोविज्ञान उद्योग के उत्पादन की समस्या, मशीनों की समस्या, कर्मचारियों की समस्या आदि का अध्ययन करता है जबकि संगठन मनोविज्ञान उद्योग के प्रबन्धन का विशेष Reseller से अध्ययन करता है। आधुनिक युग में जहां विश्वभर में उद्योग And आर्थिक उदारीकरण को प्राथमिकता दी जा रही है, वहीं व्यापार क्षेत्र में भी भारी बदलाव आ रहा है। ऐसी स्थिति में औद्योगिक मनोविज्ञान And संगठन मनोविज्ञान का महत्व और भी बढ़ जाता है।

औद्योगिक मनोविज्ञान इस बात का अध्ययन करता है कि कम से कम लागत में अधिक से अधिक अच्छी किस्म का उत्पादन किस प्रकार Reseller जा सकता है। इसके अतिरिक्त कर्मचारियों की व्यक्तिगत समस्याएं, कर्मचारियों की औद्योगिक समस्याएं, कर्मचारियों की चयन समस्याएं, कर्मचारियों की कार्य दशाएं, कर्मचारियों का मनोबल, कर्मचारियों का प्रशिक्षण, कारखानों में मशीनों की दशाएं आदि समस्याओं का अध्ययन भी करता है। इन All समस्याओं के अध्ययन के बाद मनोवैज्ञानिक उद्योग And कर्मचारी कल्याण के लिए समाधान सुझाता है। इसके अतिरिक्त कारखानों और उद्योगशालाओं की बहुत सी समस्याओं जैसे यंत्रों में सुधार कार्य करने की विधि, कार्य करने के घण्टे तथा विश्राम के समय का वितरण, थकावट और उकताहट दूर करने के उपाय, वेतन तथा मजदूरी का निर्धारण, काम करने की स्वास्थ्यप्रद परिस्थितियां आदि पैदा करने में भी मनोवैज्ञानिकों से बहुत सहायता मिलती है। कारखानों में दुर्घटनाओं की रोकथाम सम्बंधी मनोवैज्ञानिक सुझाव भी दिये जाते है। मजदूरों या कर्मचारियों और प्रबन्धकों के बीच मतभेदों को दूर करने में, ताले बन्दी की समस्याएं सुलझाने में भी मनोविज्ञान ने बड़ी सहायता दी है। कर्मचारियों के चौकन्नेपन की, रुचियों की, अभिवृत्ति की, बुद्धि And विशेष योग्यताओं की विभिन्न परीक्षाओं तथा परीक्षणों आदि से जांच की जाती है। 

उद्योग के उत्पादन, वितरण, विनिमय आदि कार्यों के All क्षेत्रों में मनोविज्ञान का प्रयोग Reseller जाता है। उत्पादन के उपभोक्ता, विक्रय तथा विज्ञापन आदि का मनोवैज्ञानिक ढंग से अध्ययन Reseller जाता है। उपभोक्ता किस तरह की वस्तुओं को पसन्द करता है और उन वस्तुओं को किस तरह बेचा जाता है, उत्पादन की गुणवत्ता किस तरह बढ़ार्इ जा सकती है, विज्ञापन के कौन से तरीके सफल हो सकते है आदि इन All प्रश्नों के मनोवैज्ञानिक समाधान सुझाये जाते है। व्यापारिक क्षेत्र And शेयर बाजार में भी मनोवैज्ञानिक प्रभाव देखे जाते है। 

6. सेवाओं या नौकरियों में चुनाव 

वर्तमान में लगभग All देशों में All प्रकार की सरकारी और गैर सरकारी नौकरियों या सेवाओं में चुनाव के लिए मनोवैज्ञानिकों और मनोवैज्ञानिक परीक्षणों की सहायता ली जाती है। मनोवैज्ञानिकों के द्वारा बनाये गए मनोपरीक्षण And परीक्षाओं के आधार पर सार्वजनिक सेवा आयोग, लोक सेवा आयोग तथा अन्य Appointment संस्थाएं, सरकारी हों या गैर सरकारी, कर्मचारियों का चुनाव करती है। सेना में भी थल, वायु और जल सेवाओं के लिए योग्यता परीक्षाओं द्वारा योग्य व्यक्ति का चुनाव Reseller जाता है। ये योग्यता परीक्षाएं वास्तव में मनोवैज्ञानिक परीक्षाएं ही है। द्वितीय विश्वFight में सेना में भर्ती के लिए आर्मी एल्फा तथा आर्मी बीटा मनोवैज्ञानिक परीक्षण बनाए गए थे। अधिकारियों के चुनाव के लिए आर्मी एल्फा परीक्षण तथा सामान्य सैनिकों के चुनाव के लिए आर्मी बीटा परीक्षण काम में लिए गए। कारखानों में मशीनों को चलाने के लिए उपयुक्त कर्मचारी के चुनाव के लिए भी मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का उपयोग Reseller जाता है। गैर सरकारी संस्थाएं भी अपने कर्मचारियों का चुनाव मनोवैज्ञानिक ढंग से करती है। आधुनिक युग में जहां नयी-नयी तकनीकों का उपयोग बढ़ रहा है वहीं उनके संचालन के लिए चयनित कर्मचारियों की Appointment होती है। इन कर्मचारियों का चुनाव मनोवैज्ञानिक विधि से होता है। इस तरह हम देखते है कि नौकरियों में चुनाव के लिए व्यावहारिक मनोविज्ञान का बहुत महत्व है।

7. अपराध निरोध 

अपराधों And अपराधियों की रोकथाम में मनोविज्ञान ने बहुत सहायता की है। बढ़ती जनसंख्या And बेरोजगारी ने समाज में अपराधियों And अपराधों की संख्या भी बढ़ा दी है। मनोविज्ञान के According अपराधी को दण्ड देने की अपेक्षा उसके दोषों को समझकर उनमें सुधार लाने का प्रयास Reseller जाता है। अपराधियों की मानसिकता बदलने का प्रयास Reseller जाता है ताकि वह अपराध कर ही न सके। अपराधियों को सुधारने की दिशा में नित्य नये प्रयोग किये जाते है। खुले जेल-खाने, सुधार गृह, प्रोबेशन (बालसुधार गृह), जूवेनिल रिफार्म हाऊस आदि इसी के परिणाम है। इस प्रकार मनोविज्ञान के प्रभाव से अपराधियों के प्रति दुव्र्यवहार बन्द हो गया है और उनमें सुधार होता जा रहा है।

बाल And किशोर अपराधियों को सुधारने के लिए भी कर्इ मनोवैज्ञानिक उपायों को अपनाया जाता है। किशोर अपराधियों के रहने के वातावरण And उनकी परिस्थितियों में भी परिवर्तन लाने का मनोवैज्ञानिक प्रयास Reseller जाता है। मनोविज्ञान ने अपने शोध कार्यों में यह सिद्ध कर दिया है कि अपराधी अकेले ही अपराधों के लिये उत्तरदायी नहीं है बल्कि उनकी परिस्थितियां, उनका वातावरण और समाज भी अपराध के लिए जिम्मेदार है। अत: मनोविज्ञान इन All का उपचार करने का प्रयत्न करता है। छोटे बच्चों द्वारा मादक द्रव्यों की तस्करी करना और उनका सेवन करना बच्चों का अपराध नहीं है बल्कि उनका समाज, उनका वातावरण And परिस्थितियां यह कृत्य करने के लिए उन्हें बाध्य करती है। ऐसी परिस्थिति में मनोवैज्ञानिक छोटे बच्चों की परिस्थितियों, मानसिक अवस्थाओं में सुधार लाने का प्रयत्न करते है। छोटे बच्चों के वातावरण, परिस्थितियां And उनकी दिनचर्या को भी बदलने का प्रयास Reseller जाता है।

अपराध निरोध के अतिरिक्त न्याय करने में भी मनोविज्ञान से बड़ी सहायता मिलती है। न्यायधीश की मनोवैज्ञानिक अन्र्तदृष्टि सही न्याय देने में सक्षम होती है। अनेक यंत्रों द्वारा भी अपराधी की आन्तरिक स्थिति का पता लगाया जा सकता है और सही न्याय Reseller जा सकता है।

8. सैनिक क्षेत्र 

सेना में भर्ती हेतु उपयुक्त व्यक्तियों के चुनाव में मनोविज्ञान की सहायता ली जाती है। जल, थल तथा वायु सेनाओं में भर्ती के लिए अभ्यासार्थियों का चयन मनोवैज्ञानिक परीक्षण द्वारा Reseller जाता है। Fight काल के दौरान शत्रु को भयभीत करने तथा सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए मनोविज्ञान की सहायता ली जाती है। देशों के बीच शीतFight मनोवैज्ञानिक प्रचारों पर ही निर्भर होते है। सैनिकों में स्थिरता और दृढ़ता बनाये रखने के लिए मनोवैज्ञानिक सुझाव दिये जाते है। जैसा कि First कहा जा चुका है कि अल्फा और बीटा परीक्षण भी सेना में सैनिकों के चयन के लिए काम आते है। ये परीक्षण मनोवैज्ञानिक स्तर पर बनाये जाते है। Fight के दौरान कर्इ सैनिक मानसिक रोगों के शिकार हो जाते है। Fight की स्थितियों से मनोबल And मनोस्थितियों में बदलाव आ जाता है और सैनिक Fight से भाग सकता है। अत: सैनिकों का मनोबल बनाये रखने व मानसिक द्वन्द्वों की तुरंत चिकित्सा करने के लिए मनोवैज्ञानिकों And मनोचिकित्सकों की सहायता ली जाती है।

9. राजनीतिक क्षेत्र

राजनीतिक क्षेत्र में, चाहे राज्य या देश तानाशाही हो, सामन्तशाही हो या जनतंत्रात्मक हो, मनोविज्ञान का व्यापक Reseller से प्रयोग होता है। King को सफल होने के लिए Kingों के मनोविज्ञान को अच्छी तरह से जानना जरूरी है। अच्छा King अपनी प्रजा का मनोविज्ञान जानकर उसके According क्रिया करता है। कानून बनाने के बाद शासन की समस्या हल नहीं हो जाती क्योंकि जनता में कानून को मानने और तोड़ने दोनों तरह की प्रवृत्तियां पायी जाती है। कानून का पालन कराने के लिए King को जनता से मनोवैज्ञानिक ढंग से व्यवहार करने की Need होती है। इसी तरह कानून बनाने में भी इस बात के मनोवैज्ञानिक अध्ययन की Need है कि उस कानून से प्रभावित होने वाले लोगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा तथा उनकी क्या प्रतिक्रिया होगी? राजनीति का Single महत्वपूर्ण पहलू चुनाव भी है और चुनाव में प्रचार का बड़ा महत्व है। मनोवैज्ञानिक ढंग से Reseller गया चुनाव प्रचार व्यक्ति को अपने उद्देश्य में सफलता दे सकता है। चतुर लोग मनोवैज्ञानिक प्रचारों से मतदाताओं का रुख ऐन वक्त पर पलट देते है और हारी हुर्इ बाजी को जीत लेते है। कुछ लोग चुनाव के समय लोगों की भावनाएं जानकर, उनकी भावनाओं को मनोवैज्ञानिक ढंग से भुनाकर चुनाव जीत जाते है। चुनाव के समय विशेष क्षेत्र के मतदाता क्या चाहते है? उनकी मानसिक दशाएं कैसी है? इस ज्ञान के आधार पर ही चुनाव प्रचार Reseller जाता है। 

राजनैतिक प्रशासन में भी मनोविज्ञान का बहुत महत्व है। राजनैतिक पार्टियों का मनोबल गिराने या बढ़ाने में भी मनोविज्ञान की अहम भूमिका रहती है। उपद्रवों या दंगा करने वाली भीड़ को शान्त करना हर अधिकारी के लिए सम्भव नहीं है। ऐसा तो वहीं कर सकता है जो भीड़ मनोविज्ञान को अच्छी तरह जानता हो। राजनेता अपनी राजनीति में तभी सफल हो सकता है जब उसे अपने दल के कार्यकर्त्ताओं के मनोविज्ञान का ज्ञान हो, साथ ही साथ Second दलों के मनोविज्ञान का भी।

10. विश्व शान्ति 

विश्व शान्ति को बनाये रखने के लिए मनोविज्ञान की भूमिका अहम् है। व्यक्तिगत विभिéताओं के कारण समझ लेने पर विभिन्न राष्ट्रों के लोगों में आपसी मतभेद कम हो जाते है। लोगों के व्यक्तित्व के विधेयात्मक गुणों को बढ़ाकर तथा हिंSeven्मक And आक्रामक प्रवृत्तियों को ज्ञान से अहानिकारक तरीकों जैसे खेलों की प्रतियोगिताओं आदि के द्वारा निकालकर विश्व में हिंसा और संघर्ष कम किये जा सकते है। अशान्ति और संघर्ष के मनोवैज्ञानिक कारणों पर दृष्टि रखकर उनके प्रकट होने से First ही उन्हें खत्म Reseller जा सकता है। विभिन्न जातियों And प्रजातियों तथा सम्प्रदायों की प्रवृत्तियों की अभिव्यक्ति पर नजर रखी जा सकती है और उनको आपसी संघर्ष से बचाया जा सकता है। विश्व शान्ति की समस्याएं Human सम्बन्धों से जुड़ी हुर्इ है। अत: Human मनोविज्ञान के ज्ञान से विश्व में शान्ति बनार्इ रखी जा सकती है।

11. यौन शिक्षा 

यौन-क्रिया All प्राणियों में Single आवश्यक शारीरिक या जैविक प्रेरणा है। All प्राणी प्रजनन से अपना वंश बढ़ाते है। परन्तु जब मनुष्य में यौन-क्रिया समय से पूर्व शुरू हो जाए और अनैतिक आचरण के लक्षणों के Reseller में प्रकट होने लगे तो यह Single व्यक्तिगत ही नहीं बल्कि सामाजिक समस्या भी बन जाती है। जब व्यक्ति असामान्य यौन व्यवहार करने लगता है तथा असामान्य साधनों से अपनी काम पूर्ति करता है तो यह अनैतिक आचरण या चरित्र विकृति कहलाती है।

वर्तमान समय में पाश्चात्य यौन स्वच्छन्दता का पूरे विश्व के लोगों पर दुष्प्रभाव पड़ता जा रहा है। अवयस्क व्यक्ति भी इस समस्या की चपेट में आते है और समय से पूर्व वयस्क बन जाते है। टी.वी. मीडिया And अन्य कुछ मीडिया इस समस्या के प्रचारक है। यौन स्वच्छन्दता के कारण व्यक्तियों में चरित्र विकृतियां उत्पन्न होती जा रही है। बलात्कार And अन्य यौन विकृतियां भी इसके कारण है। दूसरी ओर इन विकृतियों के बढ़ने से व्यक्तियों में आपराधिक भावना भी पैदा होती है और वे मनोलैंगिक समस्याओं के शिकार हो जाते है। सम्भोग का सही Means न समझना, मनोनपुंसकता का भय पैदा हो जाना आदि अनेक यौन समस्याओं के समाधान के लिए व्यावहारिक मनोविज्ञान Single महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

व्यावहारिक मनोविज्ञान की यौन-शिक्षा शाखा उपरोक्त प्रकार के चरित्र विकृतियों में सुधार लाने And उन्हें ठीक करने के लिए उपाय सुझाती है। मनो-ल®गिक विकृतियों की भी मनोविश्लेषण And अन्य मनो-चिकित्सा द्वारा चिकित्सा की जाती है। अवयस्क व्यक्तियों को यौन शिक्षा देकर यौन का सही Means समझाया जाता है और उनकी यौन समस्याओं का समाधान Reseller जाता है। यौनाचारण के लिए उन्हें सही समय और व्यवहार की जानकारी दी जाती है।

12. क्रीड़ा या खेल क्षेत्र

खेल या क्रीड़ा जगत् में भी मनोविज्ञान का पर्याप्त उपयोग होता है। खिलाड़ियों के चयन के लिए ही मनोविज्ञान के परीक्षणों का उपयोग होता है। खेलकूद प्रतियोगिताओं में खिलाड़ियों का मनोबल और उत्साह बढ़ाने के लिए भी मनोविज्ञान का बहुत उपयोग होता है। यदि खिलाड़ी किसी कारणवश हतोत्साहित हो जाए तो ऐसी स्थिति में मनोविज्ञान उसकी पूरी सहायता करता है। खिलाड़ियों के मानसिक स्तर को सही बनाए रखने के लिए मनोविज्ञान का पर्याप्त उपयोग Reseller जाता है। खेल या प्रतियोगिता के समय खिलाड़ियों में चिन्ताएं, नैराश्यता And कुंठाएं उत्पन्न हो सकती है तथा उनमें प्रतियोगिता का Single दबाव बना रहता है। ऐसी स्थितियों में मनोवैज्ञानिक उनकी समस्याओं का निदान कर उचित उपाय या परामर्श सुझाते है जिससे कि खिलाड़ियों का मनोबल ऊंचा बना रहे। उनकी चिंताएं, कुंठाएं तथा नैराश्यता में कमी लायी जा सके। जिससे उनके खेल का प्रदर्शन बेहतर प्रतियोगिताओं में मनोवैज्ञानिक खिलाड़ियों के लिए बाहरी वातावरण को उनके पक्ष में बनाने के लिए भी प्रयत्न करते है। दर्शकों में कुछ ऐसे दर्शक बिठा दिए जाते है जो निरन्तर खेलने वाले खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाने के लिए दीर्घा से सकारात्मक टिप्पणी करके प्रोत्साहित करते रहते है। इसी तरह विरोधी टीम का मनोबल कम करने के लिए दीर्घा में दर्शक बिठा दिए जाते है। ये सब मनोवैज्ञानिक स्तर पर होते है। खिलाड़ियों का मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए भी मनोविज्ञान पूरी तरह से उपयोगी होता है। नये खिलाड़ियों को विभिन्न क्रिड़ाओं के लिए मनोवैज्ञानिक ढ़गं से प्रषिक्षण दिया जाता है। क्रिड़ाओं की बारीकियों को भी मनोवैज्ञानिक ढ़गं से समझाया जाता है।

13. अन्तरिक्ष मनोविज्ञान 

अन्तरिक्ष में जाने वाले व्यक्तियों का All प्रकार के मनोवैज्ञानिक परीक्षण किये जातें हैं। प्रगोगषालाओं में कृतिम अन्तरिक्ष का निर्माण कर उनके व्यवहार पर पड.नें वाले अन्तरिक्षीय उड.ानों के प्रभावों का भी मनोवैज्ञानिक अध्ययन Reseller जाता है।

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