व्याकरण का Means, परिभाषा, विशेषताएँ And प्रकार

व्याकरण वह शास्त्र है जो भाषा से संबंधित नियमों का ज्ञान करता है। किसी भी भाषा की संCreation का सिद्धांत अथवा नियम ही उसका व्याकरण है। यदि नियमों द्वारा भाषा को स्थित न रखा जाए तो उसकी उपादेयता, महत्ता तथा स्वReseller ही Destroy हो जायेगा। अत: भाषा के शीघ्र परिवर्तन को रोकने के लिए ही व्याकरण का उस पर नियन्त्रण कर दिया गया है। भाषा यदि साध्य है तो व्याकरण उसका साधन है। व्याकरण भाषा का अनुशासन मात्र ही करता है, शासन नहीं। वह भाषा सृजन उसका साधन है। व्याकरण भाषा का सृजन नहीं। परिषकार करता है।

व्याकरण का Means

व्याकरण का Means है व्यांक्रियन्ते। व्याकरण के द्वारा किसी भी विषय को स्पषट Reseller से प्रस्तुत Reseller जा सकता है। व्याकरण किसी विषय को भाली प्रकार से समझने के लिए Reseller जाता है। जो विषय छात्रों की समझ से बाहर होता है उसका व्याकरा के माध्यम से सीखा जाना अति लाभदायक सिद्ध होता है। व्याकरण भाषा का ही Single Reseller है। व्याकरण को भाषा न कहकर भाषा का ही Single स्वReseller कहा जाता है। यह भाषा King के Reseller में बल्कि अनुKing के Reseller में हिन्दी शिक्षण कला में प्रयुक्त की जाती हैं।

व्याकरण की परिभाषा

  1. पंतजलि के According- ‘‘महाभाषय में व्याकरण (Wordानुशासन) कहा है।’’
  2. डॉ. स्वीट के According- ‘‘व्याकरण भाषा का व्यवहारिक विश्लेषण अथवा उसका शरीर विज्ञान है।’’
  3. जैगर के According- ‘‘प्रचलित भाषा संबंधी नियमों की व्याख्या ही व्याकरण है।’’

व्याकरण की विशेषताएँ

  1. व्याकरण भाषा की शुद्धता का साधन है साध्य नही।
  2. व्याकरण भाषा का अंगरक्षक तथा अनुKing है।
  3. व्याकरण वास्तव में ‘Wordानुशासन’ ही है।
  4. व्याकरण भाषा के स्वReseller की सार्थक व्यवस्था करता है।
  5. व्याकरण भाषा का शरीर विज्ञान है तथा व्यावहारिक विश्लेषण करता है।
  6. गद्य साहित्य का आधार व्याकरण है।
  7. भाषा की पूर्णता के लिए-पढ़ना, लिखना, बोलना तथा सुनना चारों कौशलों की शुद्धता व्याकरण के नियमों से आती हैं।
  8. भाषा की मितव्ययिता भी व्याकरण से होती है।
  9. वाक्य की संCreation शुद्धता उस भाषा के व्याकरण से आती है।
  10. व्याकरण से नवीन भाषा को सीखने में सरलता And सुगमता होती है।

व्याकरण शिक्षण की Need

व्याकरण की शिक्षा, भाषा-शिक्षण का अनिवार्य And महत्वपूर्ण अंग है। व्याकरण भाषा का दिशा निर्देशन करता है और उसे सरलता से अपेक्षित लक्ष्य तक पहुँचाता है।

व्याकरण के नियमों का ज्ञान, छात्रों में ‘मौलिक’ वाक्य संCreation की योग्यता का विकास करता है। भाषा की मितण्ययिता के आधार हेतु व्याकरण के नियमों का ज्ञान आावश्यक है। छात्रों में भाषा शुद्ध, लिखने, बोलने के कौशल का विकास करती है।

भाषा का शुद्ध Reseller पहचानने में छात्रों को सक्षम बनाना ही व्याकरण का मुख्य उद्देश्य है। व्याकरण-शिक्षा से मातृभाषा के प्रयोग-लिखने, बोलने में शुद्धता आती है। मातृभाषा में व्याकरण के उपयोग से शुद्ध And स्पषट व्यवहार आता है। शुद्ध सम्प्रेषण व्याकरण के उपयोग पर निर्भर होता है।

भावों की स्पषटता भाषा पर निर्भर है और भाषा की शुद्धता व्याकरण पर। व्याकरण भाषा का संगठन करता है। व्याकरण की जानकारी के बिना भाषा शुद्ध नहीं हो सकती। इसी कारण व्याकरण का ज्ञान प्राप्त करना अनिवार्य है।

व्याकरण के प्रकार

आज ज्ञान के क्षेत्र में विस्फोट हो रहा है। समस्त अध्ययन क्षेत्रों में ज्ञान में वृद्धि अधिक तीव्रता से हो रही है। इसका प्रभाव व्याकरण के ज्ञान पर भी हुआ है। भाषा वैज्ञानिक ‘चौमस्की’ में Single नवीन व्याकरण का विकास Reseller है जिसे’व्यावहारिक व्याकरण’ की संज्ञा दी जाती है इस प्रकार के व्याकरण में नियमों के अनुसरण की अपेक्षा ‘व्यवहारिकता’ अथवा प्रचलन को विशेष महत्व दिया है।

शास्त्रीय या सैद्धांन्तिक व्याकरण

विद्वानो ने वाक्य संCreation, ध्वनि, स्वर आदि के व्याकरण के नियमों And सिद्धांतों की Creation की है उनका ज्ञान छात्रों को दिया जाता है। तथा छात्रों को भी अवसर देते है वे भी वाक्य संCreation में उनका प्रयोग करें तथा वाक्य की संCreation में घटकों-कर्ता, क्रिया, कर्म, विशेषण, संज्ञा सर्वनाम, क्रिया-विशेषण की पहिचान करे। व्याकरण के नियमों को विशेष महत्व दिया जाता है। इसमें भाषा की शुद्धता को प्राथमिकता दी जाती हैं

प्रासंगिक व्याकरण

इस प्रकार के व्याकरण में शुद्ध स्पषट अभिव्यक्ति पर अधिक बल दिया जाता है। इसमें भाषा की दृषिट से अशुद्धियाँ रहती है परन्तु अपेक्षाकृत कम रहती है। गद्य साहित्य में कहानीकार अपितु सम्प्रेषण की प्रभावशीलता And अभिव्यक्ति पर विशेष ध्यान देते है।

व्याकरण की विभिन्न इकाईयों का अध्ययन

उपसर्ग And प्रत्यय :- उपसर्ग And प्रत्यय किसी Word के आगे व पीछे जुड़कर Word को नया Reseller व Means प्रदान करते है। विद्यार्थियों को इसका अध्ययन रोचक ढंग से कराने के लिए विभिन्न नए प्रकार के शबदों का ज्ञान आवश्यक है। साधारणत: यह अत्:यंत सरल होते है।

संज्ञा व सर्वनाम :- हिन्दी Wordों की Creation में संज्ञा And सर्वनाम को सम्मिलित Reseller जाता है। किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु या भाव का बोध कराने वाले शबदों को संज्ञा कहते है। और संज्ञा के बदले में आने वाले Wordों को सर्वनाम कहते है। सर्वनाम का शाब्दिक Means है- ‘सबका नाम’। विद्याथ्र्ाीयों को इसका ज्ञान माध्यमिक कक्षाओं से ही कराया जाता है। इसका विस्तृत वर्णन उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं तक पूर्ण हो जाता है।

क्रिया, विशेषण, कारक :- जिन वाक्यों अथवा Wordों का प्रयोग संज्ञा And सर्वनाम के स्ािान पपर Reseller जाता है उनको क्रिया कहते है। क्रिया संज्ञा And सर्वनाम में होने वाले कार्य को स्पषट करने का Single बहुत महत्वपूर्ण साधन होता है। इसके द्वारा कार्य का ज्ञान होता है। क्रिया से बनने वाले वर्णो का ज्ञान छात्रों को कराया जाना चाहिए। किस प्रकार क्रिया से वर्णों की उत्पत्ति की जा सकती है।संज्ञा And सर्वनाम को विशेषता बताने वाले Wordों को विशेषण कहते है इस स्तर के छात्रों को शिक्षकों के द्वारा विशेषण का प्रयोग, विशेषणों की Reseller-Creation, विशेषणों की पुनरूक्ति, विशेषणों के संबिंध में All जानकारी प्राप्त हो जाती है और वह विशेष का प्रयाकग करना भी सीख जाता है। गंद्याशों में प्रयुक्त होने वाली विशेषणों का भी छात्र स्वयं अपनी बुद्धि से छांटना प्रारंभ कर देते है।संज्ञा या सर्वनाम के जिस Reseller का सीधा संबंध क्रिया से होता है, उसे कारक कहते है। कारके के आठ भेद होते है। कारक सूचित करने के लिए संज्ञा या सर्वनाम के साथ जो प्रत्यय लगते है उन्हें विभिक्तियॉं कहते है। कारके विद्यार्थियों को वाक्य Creation करने व पहचानने में सहायक होते है। इसे अभ्यास व प्रयोग से छात्र Word Creation को सीख सकते है।

समास :- समास का Means है – संक्षेपीकण। Meansात् कम से कम Wordों में अधिक से अधिक Meansो का प्रकट करना समास का प्रयोजन है। जब दो या दो से अधिक Wordों के मिलने पर, जो नया स्व्तंत्र पद बनता है। तो उस समस्त पद को ‘समास’ कहते है। इसके भी अनेक Reseller And भेद होते तै। इन All का ज्ञान माध्यमिक एव उच्च माध्यमिक स्तर के बालकों कोकराया जाना अत्यंत आवश्यक सिद्ध होता है। समास को हिन्दी भाषा में Single विशिषटता प्रदान की गई। उस विशिषटता से अवगत कराने के लिए इस स्तर के बालकों को मानसिक स्तर अनुकूल होता है।

रस, छंद, अलंकार:- रस युक्त वाक्य ही वगव्य है। इरस कविता का महत्वपूर्ण भग होते है। कविता की Creation करते समय कवि रसों का पोषाण अपनी कविता में करते है। इन रसों के कारण ही कविता में छात्र रूचि लेने लगते है। अत: कविता ज्ञान को सुगम बनाने के लिए छात्रों को रसों का ज्ञन कराया जाना अत्यंत आवश्यक होता है।

कविता में प्रयुक्त होने वाले वर्ण, मात्रा, गति यति, चरण आदि के संघटन को छंट कहते है। छन्दों के द्वारा कविता का निर्माण Reseller जाता है बिहारी तथा अन्य कई कवियों ने अपनी-अपनी कविताओं में छन्दों And दोहो का प्रयोग यिका है। दोहों के विस्तृत स्वReseller को ही छन्द कहा जाता है। यह रसों से पूर्ण होते है और इनको पढने में बहुत आनंद की प्राप्ति होती है। इसलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि उच्च And माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों को छेंद का ज्ञापन कराया जाए। इससे वह All प्रकार के दोहों And छंदों का अध्ययन करने में सक्षमता प्राप्त कर लेते है।

काव्य की शोभा बढ़ाने वाले कारक, गुण, धर्म या तत्व को अलंकार कहते है। अलंकार Word कदो Wordों से मिल कर बना है – अलम्कार। अलम् का Means है, भूषिात करना ‘कार’ का Means है करने वाला। इस प्रकार जो भूषिात करे वह अलंकार कहलाता है। जिस प्रकार सुवर्ण आदि के आभूषाणों से शीरीर की शोभा बढ़ती है- उसी प्राकर जिन उपकरणों से काव्य की सुंदरता मे अभिवृद्धि होती है उसे अंलकार कहते है। इस प्रकार Word और Means की शोभा बढ़ाने वाले तत्व को अलंकार कहते है। अंलकार भी कविता में प्रयुक्त होने वाली Single आवश्यक सामग्री है। अत: कविता के सुगम पठन के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि छात्रों को अंलकारों का ज्ञान कराया जाए। अंलकारों का अध्ययन करने में छात्रों को कविता में प्रयुक्त होने वाले अंलकारों की जानकारी हो जाती है और वे कविता को समझने में सुगमता अनुभव करते है।

पर्यायवाची विलोम Word :- ये पर्यायवाची Word Single ही Means के घ्ज्ञोतक होते है समान Means वाले इन Wordों का Means होता है (पर्याय) बदले में आने वाला शबद, इसे प्रतिWord भी कहते है। पर्यायवाची Wordों के माध्यम से विद्यार्थियों को शबद का ज्ञान होता है व पर्याय को समझने में सार्थक होते है और धीरे-धीरे अभ्यास के माध्यम से उनके Word ज्ञान में वृद्धि होती है। हिन्दी में विरोधी Word के कई पर्याय प्रचलित है जैसे- विलोम,य प्रतिलोम, विरूद्वाथ्र्ाी, निषोधात्मक, विपरीतार्थक आदि, Means के धरातल पर विलोम Word ठीक-ठीक विरोधी Means को व्यंजित करते है। विलोम Word को लिखना अत्यंत सरल है तथा विद्यार्थियों को समझाना भी सरल है। इससे विद्यार्थियों को Word भंडार की ज्ञानात्मक वृद्धि होती है । वह Word के प्रयोग को अभ्यास के माध्यम से समझ पाते है।

मुहावरे व लोकोक्ति:- मुहावरा ऐसा वाक्यांश है जो सामन्य Means का बोध कराकर किसी विलक्षण (विशेष) Means का बोध कराता है मुहावरे के माध्यम से विद्यार्थियों को भाषा संपे्रषाण का ज्ञान होता है उनकी भाषा मे सरलता आती है मुहावरे का प्रयोग उनकी भाषा में ज्ञान के स्तर को बढ़ाता है।

लोकोक्ति (कहावत) आने में Single स्वतंत्र Means रखने वाली लोक प्रचलित उक्ति है। जिसका प्रयोग किसी को शिक्षा देने, चेतावनी देने या व्यंग्य करने उलाहना देने के लिए होता हैै। यह अपनी संक्षिप्त And चटपटी शैली में प्रयुक्त होती है। लोकोक्ति हिन्दी भाषा को Single नवीन Reseller प्रदान करती है। विद्यार्थियों को रोचक उदाहरण का प्रयोग कर लोकाक्ति का अभ्यास कराया जा सकता है। जिससे उन्हें व्याकरणिक ज्ञान प्राप्त होता है।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *